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जीवन के विभिन्न पहलुओं पर लिखने की एक कोशिश.....
छोटी सी कहानी थी वो बारिश वाली शाम बड़ी सुहानी थी। राह गुज़रती रही कारवां बढ़ता गया।वो राह वो बारिश वो शाम दूर कहीं रह गये कहीं दूर फिर किसी कहानी के इंतजार में....! -Apoorva Singh
मैं रंग की गोरी और वो वर्ण का श्याम मेरी हर सांस में बसा है बस एक ही नाम राधे श्याम🙏 -Apoorva Singh
आओ एक छोटा सा काम करे दूर रहकर भी ख्वाबो के जरिये मुलाकात करे। -Apoorva Singh
यूँ तो अफ़साने बहुत है कलम चलाने को शुरुआत कहां से करूँ ये सोच कर हाथ रुक जाते हैं -Apoorva Singh
यूँ तो हसरत-ए-दिल तमाम हैं बयां करने को मगर उन्हें एक मुलाकात भी गंवारा नही तो क्या कीजै। -Apoorva Singh
आंखों से जो कह न सकूँ उसे होठों से कैसे समझाऊं मैं कर सकूँ तारीफ तुम्हारी जिन लफ्जो में वो लफ्ज कहां से लाऊं मैं -Apoorva Singh
वो सर्दी के कोहरे के बाद खिली धूप सा है और मै धूप के बाद की सर्द शाम हूँ कुछ ऐसा ही है ये इश्क़ साथ होकर भी जुदा सा -Apoorva Singh
विरह की घड़ियों के बाद मिलन के सुनहरे पलों का आना अभी बाकी है। तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारा लौट कर आना अभी बाकी है। ये मन बावरा अक्सर भटकता रहता है तुम्हारी तलाश में।इसी मन बावरे का मंजिल पर पहुंच कर ठहरना अभी बाकी है। तेरे जाने के बाद यूँ तो किस्से बहुत सुनाये है जमाने ने मुझको लेकिन इन्ही किस्सो का कहानियां बन कर अमर हो जाना अभी बाकी है। तेरे हर एहसास को संजोया है मैंने खुद में मेरी रूह की तरह।इसीलिए तू मुझमे अभी बाकी है।हां तू मुझमे अभी बाकी है।
दरख्तों से पत्ते भी अब बिछड़कर गिरने लगे है दरिया से साहिल भी छूटकर बिछड़ने लगे हैं। कहीं देर न हो जाये आने में तुझको ए साथी क्योंकि टूटकर हम भी अब बिखरने लगे हैं
एक निश्छल मुस्कान के साथ करुणा भरा हृदय और उस हृदय में भरा इंतजार करने का धैर्य यही तो निशानी है उस परम प्रेम की जो कि अनंत है। -Apoorva Singh
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