कहानी "कपूर साहब की फैमिली" देविका और अशोक की है, जो अपने पुराने सोफे को बदलने का विचार कर रहे हैं। देविका ने ओएलएक्स पर एक नया सोफासेट देखा है और इसका दाम भी ठीक है, लेकिन अशोक घरेलू खर्चों की चिंता करते हैं। देविका का कहना है कि पुराने सोफे को निकालने से कुछ फायदेमंद होगा। शाम को वे सोफासेट बेचने वाले के घर जाते हैं। वे एक पुरानी सोसाइटी में रहते हैं, जहां सुरक्षा कड़ी है। अंततः वे सही फ्लैट पर पहुंचते हैं, जहां एक महिला उनका स्वागत करती है। फ्लैट में उनका पति टीवी देख रहा है। वे सोफे को देखते हैं, जो वास्तव में ओएलएक्स पर दिखाए गए सोफे जैसा है। यह एक बड़ा सोफा है, जो दीवान का काम भी कर सकता है। देविका को खुशी है कि उन्हें अलग से दीवान नहीं खरीदना पड़ेगा। अशोक सोचते हैं कि क्या इतना बड़ा सोफा उनके ड्राइंगरूम में ठीक से समा पाएगा। कहानी में श्याम कपूर का भी जिक्र होता है, जो पहले बैंक में काम करते थे और अब वीआरएस ले चुके हैं। कपूर साहब की फैमिली by Manish Kumar Singh in Hindi Moral Stories 4 1.2k Downloads 5k Views Writen by Manish Kumar Singh Category Moral Stories Read Full Story Download on Mobile Description दुनिया के लिए विज्ञान और नवीन प्रविधियॉ चाहे कितनी भी जरुरी हो, विकास-दर और औद्योगिक विकास कितना भी अहम स्थान रखता हो, इनकी न कोई विचारधारा होती है और न ही मानवीय संवेदना। यह दुनिया प्यार के भूखे लोगों से भरी है। एक-दूसरे से कतरा कर निकल जाने वाले अजनबी भी दरअसल जरा बेरुखी की धूल हटाने पर आत्मीय बन सकते हैं। मानता हॅू कि वृहद् सामाजिक-आर्थिक प्रक्रियाओं के आगे इंसान बौना है। लेकिन इंसानों के मध्यं जो संबंध हैं वे कतई मामूली नहीं हैं। परिवर्तन में कड़वाहट भी आती है पर फिर भी बदले माहौल से जुड़कर इंसान जीवन की सार्थकता की तलाश छोड़ता नहीं है। जिससे हमारा संबंध बन जाता है चाहे वह घर की दीवालें हो या ऑगन में खड़ा मूक पेड़ या फिर कोई मनुष्य, सारी जिन्दगी न हमें उसे सिर्फ देखते हैं बल्कि हर पल महसूस भी करते हैं। तभी तो पल भर में कई जमाने गुजर जाते हैं लेकिन सारे जन्म एक पल नहीं गुजरता है। अनगिनत छद्म और छलावों के बीच कभी तो हम अपने सच्चे रुप में सामने आते हैं। कुदरत ने हमें सब कुछ दिया है फिर भी हम जिन चीजों के लिए भागते हैं उनमें से ज्यादातर के बगैर हमारा काम आसानी से चल सकता है। अनजान लोग भी प्यार भरे बर्ताव से कितनी जल्दी अपने बन जाते हैं। More Likes This पीड़ा में आनंद - भूमिका by Ashish Kumar Trivedi एक समय ऐसा भी आएगा - 1 by Wow Mission successful रौशन राहें - भाग 1 by Lokesh Dangi अहम की कैद - भाग 1 by simran bhargav भूलभुलैया का सच by Lokesh Dangi बदलाव ज़रूरी है भाग -1 by Pallavi Saxena आशा की किरण - भाग 1 by Lokesh Dangi More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories