Kab pyar ho gaya, pata hi nahi chala books and stories free download online pdf in Hindi

कब प्यार हो गया,पता ही नहीं चला

देखो कितनी खूबसूरत लग रही हो तुम इस जोड़े में, रिजवान तुम्हें बहुत खुश रखेंगे, खुदा की रहमत है कि तुम्हें रिजवान जैसे शौहर नसीब हुए, दौलत से भी अमीर है और दिल से भी, 
सच कहा अम्मी आपने वो दौलत से अमीर है इसीलिए आप और अब्बूजान हमारा निकाह वहाँ करना चाहते है, ताकि अब्बूजान का राजनीतिक सत्ता और मजबूत हो जाये, यही तो चाहते है आप ,किसी ने हमसे पूछा कि हमें निक़ाह कुबूल है या नही ,हम वहाँ अपनी जिंदगी चाहते है या नही, पर किसी ने पूछना जरूरी ना समझा, बस फ़रमान जारी कर दिया हमारे नाम का, और हमे मौहलत भी ना दी कि हम अपनी सोच का पहलू आप के सामने पेश कर सके, ऐसा क्यों अम्मी, अब्बूजान तो हमसे बेइंतहा मोहब्बत करते है, हम तो उनके जान का टुकड़ा है फिर अपनी जान को ऐसे किसी के भी हवाले कैसे कर सकते है वो,

किसी भी मतलब रिजवान तुम्हारे बचपन के दोस्त है, एक ही स्कूल से लेकर कॉलेज तक तुमने साथ पढ़ाई की है, याद नही तुम्हे रिजवान से मिलने के लिए तुम कितने बहाने ढूंढा करती थी, बचपन में तुम दोनों का अजीज खेल निकाह का ही होता था, और रही खानदान की बात तो उससे भी तुम अंजान नही हो, रिजवान की अम्मी तुम्हे सर आँखों पे नवाजती थी , और आज भी पूरा खानदान इतना खुश है जैसे अल्लाह ने उन्हें चाँद का टुकड़ा दे दिया हो,

अम्मी वो बचपन था, बचपन की बातों को जवानी की जंजीर क्यों बना रही हो, हाँ हम कुबूल करते है कि रिजवान बहुत अच्छे इंसान है कोई भी लड़की उनसे निकाह करेगी तो वो बहुत खुशकिस्मत होगी, पर हम उनके लिए प्यार नही महसूस करते है ,वो हमारे दोस्त है,ओर हमने कभी दोस्ती की मर्यादा को पार कर कुछ नही सोचा, पता नही रिजवान ने हाँ कैसे करदी, वो हमसे कब मोहब्बत करने लगे हमे नही पता, पर हम उन्हें नही चाहते,

तो किसे चाहती हो रोहन को, जिससे छुप छुप कर तुम मिलने जाती हो, अपने खानदान की आबरू को तांक में रखकर, जिसकी पहचान ख़ुद हिन्दू है, वो हमारे धर्म के बारे में कुछ जानता भी नहीं, उससे मोहब्बत कर बैठी तुम, क्या कहा था तुमने अभी की तुम तुम्हारे अब्बूजान की जान हो तो एक पल में खयाल नही आया कि जब अब्बूजान को ख़बर होगी तो उनकी जान एक पल में निकल जायेगी, इतने वर्षों से उन्होंने जो इज्ज़त और सियासत में रुत्वा हासिल किया है उसे तुम पैरों तले कुचल दोगी, किस बात का बदला ले रही हो,तुम्हें बेइंतहा मोहब्बत करने का,या तुम्हारी हर खवाहिश को पत्थर की लकीर समझने का,कौनसी आरजू हमने तुम्हारी पूरी नही की ,फिर हमें क्यों जीते जी मार देना चाहती हो, हम तुम्हे कैसे किसी के हवाले करदे जिसे हम जानते तक नही,कल को तुम्हें धोका देकर चला गया तो क्या तुम ख़ुद को माफ कर पाऊँगी, उनके खानदान के लोगो से कैसे रिश्ता बना पाऊँगी, एक पल के प्यार के लिए अपनी ताउम्र का दफ़न मत करो।

निःशब्द हो गयी थी नगमा ,जैसे उनके अरमानों को किसी ने कुचल दिया, बेइंतहा मोहब्बत कर बैठी थी वो रोहन से पर अब्बूजान की इज़्ज़त कैसे धूमिल कर सकती थी, निक़ाह के लिए मंजूरी देदी उसने पर अपने दर्द को अपने दिल मे छुपाकर साथ ले जाने का गुनाह कर बैठी,

निक़ाह क़ुबूल करने के बाद बहुत ही प्यार और इज़्ज़त से उन्हें घर में लाया गया, सब बहुत खुश थे, पर नगमा अपने दर्द को अपना हथियार बना बैठी थी, पहली रात जब रिजवान ने दस्तक दी कमरे में तो नगमा अपने दर्द पर काबू नही कर पाई,

खबरदार जो आपने हमारे करीब आने की गुस्ताखी की,हम बर्दाश्त नही कर पाएंगे,

नगमा की इस बर्ताब की वज़ह रिजवान समझ नही पा रहा था,क्या हुआ नगमा कोई बात है क्या जो हमें नही मालूम,क्या हमने कोई गुस्ताखी करदी आपके साथ,क्यों आप ये बर्ताव कर रही है हमारे साथ हमसफ़र होने से पहले हम अच्छे दोस्त है तुम हमे बता सकती हो,

अगर हम अच्छे दोस्त होते तो कमसे कम एक बार हमसे पूछते की हम ये निक़ाह करना चाहते थे या नहीं हमे सबने अपनी सत्ता का खेल समझ कर खेला, हमने कब कहाँ था तुमसे की हम तुमसे मोहब्बत करते हों, तुम हमारी दोस्ती को क्यों मोहब्बत समझ बैठे, 

ये तुम क्या कह रही हो जब तुम्हारी अम्मी से हमारी इस रिश्ते को लेकर बात हुई तो उन्होंने हमें ये कहा कि तुम भी हमें पसंद करती हो,और तुम्हे इस रिश्ते से कोई शिकायत नही,फिर अचानक कैसे तुमने हम पर ये आरोप लगा दिया,क्या तुम किसी और को चाहती हो, 

नही वो बात नही है हम अभी निक़ाह के लिए तैयार नही थे, हम समझ नही पा रहे थे इस रिश्ते को अभी हमारी उम्र ही क्या थी, पर हमें लगा तुमने हमारे साथ धोखा किया, पर हम अभी भी तैयार नही है,

मुझे कोई जल्दी नही है नगमा तुम जितना वक़्त लेना चाहती हो ले सकती हो हम कभी कोई ऐसा काम नही करेंगे कि तुम्हें शर्मिंदगी महसूस हो,पर एक दरख्वास्त है ये बात किसी को पता न चले अंजाने में सब दुखी हो जायेगे,और हम तुम्हे किसी के दुख की वजह नही बनने देना चाहते, औऱ एक बात जो शायद हम आपसे कभी कह नही पाए वो आज कह देना चाहते है, हम आपसे बेइंतहा मोहब्बत करते है कभी इस जान की भी तुम्हे जरूरत हुई तो हँसते हुए कुर्बान कर देंगे।

समझ नही आ रहा था नगमा को की जो हुआ वो ठीक था या नही होना चाहिए था, क्या रिजवान का उसकी जिंदगी में आना ख़ुदा की रहमत है, या जिंदगी से प्यार की बलि चढ़ गई हमेशा के लिए, पर कुछ भी हो हम अपने अब्बूजान की इज़्ज़त ऐसे बिखेर नही सकते,हम रोहन के बारे में किसी को कुछ नही बताएंगे, हम मानते है रोहन हमारा प्यार है पर हम अपने अब्बूजान को जीते जी मार नही सकते, हमें इस निक़ाह को निभाना होगा।

अचानक फ़ोन बजा, देखा तो रोहन का फ़ोन था,
वेवफा हो तुम, आखिर तुमने साबित कर दिया कि मुसलमान किसी के सगे नही होते , दिखा दी अपनी औकात ,मेरे प्यार का ये सिला दिया तुमनें, आज महसूस हुआ कि तुमसे मोहोब्बत करके बहुत बड़ी गलती की मैंने, और तुमने एक पल में मुझे छोड़ दिया, पर मैं तुम्हें चैन से जीने नही दूँगा, रिजवान नाम है ना उसका, सब कुछ बता दूँगा उसे, तब देखते है कि वो कितना बड़े दिल वाला है,किसी का निवाला उसके गले से कैसे उतर ता है,,

तुम ऐसा कुछ नही करोगे रोहन, ये शादी हमारी भी मर्जी के खिलाफ हुई है, हम भी बहुत लड़े है खुद से पर अब्बूजान को ऐसे टूटते हुए नही देख सकते थे, इसीलिए हमने ये निक़ाह कुबूल किया, अगर तुम हमसे प्यार करते हो तो हमारी मज़बूरी को समझोगे, हमने कोई दगा नही किया, बस तुमसे प्यार किया।

मुझे कुछ नही पता मैं तुम्हें सुकून से रहने नही दूँगा, तुम्हारी जिंदगी बर्बाद कर दूँगा,

और फ़ोन कट कर दिया,

या अल्लाह ये कैसी घड़ी में फंसा दिया अब हम क्या करे, रिजवान को कुछ बता नही सकते, अब्बूजान को भी कुछ बता नही सकते, और घर में किसी को ख़बर हुई तो बदनामी सरेआम होगी सबकी, क्या करे हम, क्या हम ख़ुद को ख़त्म करले,ताकि सबकी परेशानियों की वजह ही कितम हो जाये।

रिजवान हो तुम, 
जी हाँ कौन बात कर रहे है,

मैं रोहन बात कर रहा हूँ आपकी बीवी के बारे में एक सच आपको बताना है , मुझे मिलो,आपकी पैरों तले जमीन खिसक जाएगी
हम अभी आते है अम्मीजान बाहर कुछ जरूरी काम से जा रहे है, 

रोहन से मिलने के बाद रिजवान को सब कुछ पता चल गया,

जिस बीबी को तुम सर आँखों पर बिठा रखे हो वो तो किसी को मुँह दिखाने लायक भी नही है, सच छुपाया है उसने तुमसे, हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे, पर उसने मुझे धोका देकर तुमसे शादी करली, दो जिन्दगी बर्बाद कर दी उसने,

बहुत अच्छा हुआ नगमा ने तुम्हे अपना हमसफ़र नही चुना ,क्या कहा तुमने तुम प्यार करते थे उनसे,तो प्यार यही होता है क्या की कोई तुम्हे ना मिले तो उस प्यार को दुश्मनी में बदल दो, अच्छा है क़िस्मत ने उनसे उनकी मर्जी नही पूछी वरना वो अपनी जिंदगी तबाह कर लेती, हमे इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि उनकी जिंदगी में कौन था, पर जब तक हम है उनकी जिंदगी में कुछ गलत होने नही देंगे, 

दूसरी तरफ रोहन ने फोन पर नगमा को धमकी दी थी वो रिजवान को आज सब कुछ बताने वाला है, गलती से फोन चालू रह गया, और उसे रोहन ओर रिजवान की असलियत का पता चला,

कितना गलत थे हम रिजवान को लेकर सब कुछ पता चलने के बाद भी उन्होंने हमारी परवाह की, और हम उन्हें बेकसूर होते हुए भी सजा दे रहे थे, और जिस इंसान के लिए सब कुछ छोड़ने को तैयार थी उसी ने हमारी दुनिया उजड़नी चाही, हम अपने आप को कभी माफ नही कर पाएंगे, पर अपनी गलती सुधार कर पश्चाताप करना चाहते है,

जब रिजवान घर आया तो नगमा खुद को रोक न सकी , हमे माफ कर दीजिए, गुनहगार तो हम थे, आप ने तो हमें गुनाह का इल्जाम भी ना दिया, 
देखिए नगमा जो हुआ उसे भूल जाइए, अपनी जिंदगी की नई शुरुआत कीजिये, शायद जो हुआ वो अच्छा हुआ,वरना हम भी अपनेआप को माफ नही कर पाते, इतने अच्छे दोस्त को हम शूली पर कैसे चढ़ने देते,

पता ही नही चला मुझे कब प्यार हो गया, शायद लोग सही कहते है प्यार कब ,किससे ,हो जाये ये कोई नही बता सकता,क्योंकि ये दिल हमारा ग़ुलाम नही,हम दिल के गुलाम होते है,।

तो ये थी नगमा के प्यार की दास्तां, मुझे उम्मीद है आपको पसंद आई होगी।

धन्यवाद

सोनिया चेतन कानूनगों