Aur Tum Aaye 1 - SJT books and stories free download online pdf in Hindi

और तुम आए - SJT

और तुम आए... By- SJT

आज पूरे 9 साल हो गए हैं उसे देखे हुए ।
आज भी मुझे अच्छे से याद है , जब उसके पापा का ट्रानसफर नागपुर में हो गया था । और हम तब से आज मिले हैं ।

वो भी भईया की शादी में , मुझे तो अब भी यकीन नहीं हो रहा की तुम वही अतुल हो , पहले कितने दुबले पतले थे ।
स्कूल में सब बच्चे कंकाल कह कर चिढ़ाते थे , याद है तुम्हें..?
अच्छा ये सब छोड़ो अंकल आंटी कैसी हैं , मुझे याद करते हैं या नहीं..?
मुझे तो आंटी के हाथ की बनी चाय पीने में जो मज़ा आता था वो मज़ा बड़े बड़े होटलों में पीने से नहीं मिलता ।

मैं भी कितनी पागल हूं.. तुम्हें बोलने का तो मौका ही नहीं दे रही ।
अब तुम बोलोगे और मैं सुनूंगी , अच्छा अब मेरे सारे सवालों के जवाब दो , अब मैं सिर्फ़ सुनुंगी तुम बोलो ।

इस से पहले की अतुल कुछ बोल पाता , सलोनी के भईया उसे सब से मिलवाने के लिए ले गए ।

सलोनी बहुत ख़ुश थी अतुल से दोबारा मिल के , उसे अब भी यक़ीन नहीं था कि ये वही अतुल है जो 9 साल पहले बिछड़ गया था ।

यह बात सच है की सलोनी अतुल को पसंद करती थी ,
पर कभी किसी को बताई नहीं यहां तक की वह इस बात का एहसास अतुल तक को भी नहीं होने दिया ।

अतुल अब पहले जैसे नहीं रहा जाने कहां खोया रहता है ,
कहीं कोई और तो नहीं आ गई उसकी ज़िन्दगी में ,
बाज़ार जाते हुए रास्ते भर सलोनी ख़ुद से ही सवाल जवाब कर रही थी ।
बाज़ार पास होने की वज़ह से अकेले ही चल पड़ी थी ।

पीछे से आवाज़ आई अरे ! तुम पैदल जा रही हो ? सलोनी ने ध्यान न दिया , तो अतुल ने छु कर कहा ,,,, किस दुनिया में खोई हो ..? मैं खोई हूं या तुम , सलोनी ने हसते हुए कहा ।
अतुल ने भी हस के बात टाल दी , वैसे क्या लेने जा रही हो बाज़ार , मुझे बता दो मैं ले आऊंगा तुम घर जाओ ,
होने वाली भाभी का कुछ सामान बाकी था वही लेने जा रही हूं ।

दोनों बातें करते हुए बाज़ार की तरफ़ चल दिए , सलोनी को यह अच्छा मौका लगा अतुल से अकेले बात करने का ,
अतुल भी शायद ऐसा ही मौका चाहता था सलोनी से बात करने का ।

दोनों ही बहुत कुछ पूछना चाहते थे एक दूसरे से , मगर घर में चहल पहल की वजह से बात नहीं कर पा रहे थे ।
सलोनी ने फिर से वही सवाल के जवाब पूछने लगी ,
जो सुरु दिन अधूरे रह गए थे ।
अतुल ने बात टालते हुए कहा , तुम बताओ मुझे कभी याद करती थी ..?
सलोनी कुछ न बोली , तो अतुल ने फिर से पूछा ,
गुस्से भरी नज़रों से देखते हुए सलोनी ने पूछा पहले मेरे सवाल के जवाब दो ।
सलोनी की ज़िद की वजह से अतुल बताने में मजबूर हो गया ।
नागपुर जाने के 3 महीने बाद ही पापा की कार ऐक्सिडेंट में मौत हो गई थी , तब से मम्मी की भी तबियत ठीक नहीं रहती , तब से मैं ही देख भाल कर रहा हूं , सब कुछ मुझे ही करना पड़ता है ।

इतना सब सुन कर सलोनी के आंखों से सागर छलकने लगा , और लिपट कर रोने लगी ।

अतुल ने समझाते हुए कहा , मुझे सेविंग कराना है तो तुम अपना काम कर लो , अगर मेरे से जल्दी तुम्हारा काम हो जाए तो तुम घर चली जाना, अगर समय लगे तो बता देना ।
सलोनी ने जानबूझकर समय लगाया ताकि वह अतुल के साथ चल सके , जैसा चाहती थी वैसा ही हुआ ।
तुम यहां हो तो आंटी की देख भाल कौन करता होगा ,
सलोनी ने भरे स्वर में पूछा ,
एक है देख भाल करने वाली , अतुल ने जवाब दिया ।
सलोनी इतना सुनकर ख़ामोश हो गई जैसे दिल पर किसी ने खंजर चला दिया हो ।
जो अभी कदम मिलाकर चल रही थी अचानक वो पीछे पीछे चलने लगी ,
अतुल ने थोड़ा हसते हुए कहा जानना नहीं चाहोगी की वो कौन है ।
सलोनी इससे पहले बोल पाती की नहीं जानना मुझे , अतुल ने कहा वह काम करने वाली बाई है ।

सलोनी के चेहरे में मुस्कान सी दौड़ पड़ी , और वह वहीं पर खड़ी हो गई।
सलोनी ने कहा झूठ मत बोलो , अभी तुमने कहा था कि सब काम तुम ख़ुद करते हो ।
हा कहा तो था पर मेरा मतलब जिम्मेदारियां वाला था ।
सलोनी ने थोड़ा गुस्से भरे स्वर में कहा तो फिर तुमने पहले क्यों नहीं बताया साफ साफ ,
तुम्हारी हसी वापस लाने के लिए ऐसा घुमा के बताना पड़ा , अतुल ने समझाते हुए कहा , झूठ सलोनी ने कहा ।
दरअसल तुम्हारे दिल में क्या है मैं जानना चाहता था
बस इसी लिए ऐसा बोला ।
दिल की बात सुनकर सलोनी थोड़ा हंसते हुए बोली , मतलब मैं समझी नहीं , साफ साफ कहो ,
अतुल बिना किसी यहां वहां की बात किए बोला ,
मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं ।
क्या तुम मुझे पसंद करती हो ? बोलकर आगे बढ़ गया ।

घर पहुंचने के बाद अतुल डर भी रहा था कि कहीं सलोनी किसी से कुछ कह ना दे ।
अतुल सुनना चाहता था की सलोनी उसे पसंद करती है या नहीं ।
कल अतुल को जाना था वापिस , पर जवाब अभी तक नहीं मिल पाया था ।

सलोनी चाहती थी की गले लग कर बताए हाल ए दिल ,
पर घर में भीड़ की वजह से ऐसी बात भी नहीं कर सकते थे ।
और अतुल को बिना जवाब सुने ही जाना पड़ा ।

शिक्षा - काल करे सो आज करे , आज करे सो अब ।

लेखक - जीतेश तिवारी SJT
मो. 91 8655307271