Aadhi najm ka pura geet - 25 books and stories free download online pdf in Hindi

आधी नज्म का पूरा गीत - 25

आधी नज्म का पूरा गीत

रंजू भाटिया

Episode 25

रूहानी प्यार का सफ़र

हर अतीत एक वो डायरी का पुराना पन्ना है जिस को हर दिल अजीज यदा कदा पलटता है और उदास हो जाता है.कई बार उस से कुछ लफ्ज़ छिटक कर यूँ बिखर जाते हैं...कोई नाम उन में चमक जाता है, पर कोई विशेष नाम नहीं, क्यों कि मोहबत का कोई एक नाम नहीं होता, उसके कई नाम होते हैं....वैसे तो अमृता का दूसरा मतलब ही मोहब्बत है, पर उनके कुछ लिखे कुछ पन्ने जो मोहब्बत को एक नए अंदाज़ से ब्यान करते हैं...उनको यहाँ कुछ बताने की कोशिश कि है......काया विज्ञान कहता है :यह काया पंचतत्वों से मिल कर बनी है --पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, और आकाश...लेकिन इन पांच तत्वों के बीच इतना गहन आकर्षण क्यों है कि इन्हें मिलाना पड़ा ?कितने तो भिन्न है यह, कितने विपरीत....कहाँ ठहरा हुआ सा पृथ्वी तत्व, तरंगित होता जल तत्व दहकता हुआ अग्नि तत्व प्रवाह मान वायु तत्व और कहाँ अगोचर होता आकाश तत्व, कोई भी तो मेल नहीं दिखता आपस में यह कैसे मिल बैठे..? कौन स स्वर साध गया इनके मध्य..? निश्चित ही इन्हें जोड़ने वाला, मिलाने वाला कोई छठा तत्व भी होना चाहिए...अभी यह प्रश्न सपन्दित हुआ ही था कि दसों दिशाएँ मिल कर गुनगुनाई..प्रेम..वह छठा तत्व है प्रेम....यह सभी तत्व प्रेम में है एक दूसरे के साथ, इस लिए ही इनका मिलन होता है..यह छठा तत्व जिनके मध्य जन्म लेता है.वे मिलते ही हैं फिर, उन्हें मिलना ही होता है, मिलन उनकी नियति हो जाती है !मिलन घटता ही है..कहीं पर भी..किसी भी समय...इस मिलन के लिए स्थान अर्थ खो देता है..और काल भी..स्थान और काल कि सीमायें तोड़ कर भी मिलना होता है....फिर किसी भी सृष्टि में चाहे किसी भी पृथ्वी पर चाहे फिर पैरों के नीचे कल्प दुरी बन कर बिछे हों.निकट आना होता है उन्हें.... यह सच ही है जो कोई प्रेम को जी लेता है, उस में देवत्व प्रगत हो जाता है..फिर दसों दिशाएँ मुस्करा उठती हैं...हम सब भी आपस में प्रेम करतीं है, तभी हम मिलती हिं..इंसान के भीतर...और जन्म देती है ग्यारहवीं दिशा को प्रेम में डूबी हम जहाँ मिलती है वही परम प्रेम घटित होता है..और वहीँ परमात्मा का वास......जब यह प्रेम, इंसान और इंसान के बीच जन्मता है तो बाँध लेता है..और जब इंसान और कायनात के बीच फैलता है तो मुक्त कर देता है.प्रेम ही बंधन...प्रेम ही मुक्ति...कोई कोई दिल न जाने मोहब्बत कि कैसी भूख ले के दुनिया में आया है, जिसने अपनी कल्पना कि पहचान तो कर ली.एक परछाई कि तरह.लेकिन रास्ता चलते हुए उसने वह परछाई कभी देखी नहीं...उस दिल ने वह पगडंडियाँ खोज ली जिन पर वह सहज चल सकता है, लेकिन वह राह खोज लेना उसके बस में नहीं है वह उसकी कल्पित मोहब्बत की राह है..मोह की कला है किसी के अक्षरों कि इतनी प्यारी पगडंडियाँ होती है जो किताबों से उठ कर कई बार इंसान के पैरों के आगे बिछ जाती है..मैंने तो कहा था --तू साथ चलती रहे और मैं कभी न थकूं !और साहिर के लिए अमृता का प्यार एक बहाना बन गया उन्हें रब के प्यार की और ले जाने के लिए वे लिखती है जो लोग रेत को पानी समझने की गलती नहीं करते हैं, उनकी प्यास में जरुर कोई कसर होगी पर मेरी प्यास में कोई कसर नहीं है..मेरे छलावे.मेरे सयाने पन में कोई कसर हो सकती है, पर प्यास में नहीं..और प्यार की वही कशिश रही कि इश्क मिजाजी की तलाश में उनके कदम इश्क हकीकी की तरफ बढ़ते गए और उनके लेखन में आलेखों में नज्मों में सूफियाना अंदाज़ आता चला गया जो कभी लिखा करती थी दिल्ली की गलियाँ, एक लड़की एक जाम.तीसरी औरत हीरे की कनी लाल मिर्च एक थी अनीता वही कलम अब लिखने लगी दरवेशों की मेहँदी शक्ति कणों की लीला सातवीं किरण अक्षर कुंडली इश्क सहस्त्रनाम इश्क अल्लाह हक़ अल्लाह यह कम गौर करने वाली बात नहीं कि अमृता एक कवि हैं लेखन हैं लेकिन उनसे मिलने वाले लोग लेखक कवि कम बलिक साधक और साधू अधिक होते हैं. मन मिर्ज़ा तन साहिबा, एक मुट्ठी अक्षर, समरण गाथा, काल चेतना, अन्नत नाम जिज्ञासा, अज्ञात का निमंत्रण, सपनों की नीली सी लकीर आदि लिखे गए में उनकी दिशा परिवर्तन चिंतन शिद्दत से दिखायी देता है कभी साहिर के लिए उन्होंने लिखा था..लिख जा मेरी तकदीर मेरे लिए मैं जी रही हूँ तेरे बिना तेरे लिए हर्फ मेरे तड़प उठते इसी तरह सुलगते हैं यह सितारे रात भर जिस तरह...और उसी तड़प ने रूप ले लिया अब

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