Kasoor to tumhara tha, fir saza mujhe kyun mili ? books and stories free download online pdf in Hindi

क़सूर तो तुम्हारा था,फ़िर सजा मुझे क्यों मिली ?

क्या हुआ था तुम्हारे साथ?
ये सवाल अभी तक ना जाने कितनी बार निधि के जहन से गुजरा ,पर वो ख़ामोश ही रही ,उसे फिर से उन्ही भावनाओं को महसूस करके अपने दिल के टुकड़े नही करने थे।
फिर आज क्यों ये दिल वेबस था कि उड़ेल दु जो इस दिल मे किसी कोने में बैठ मुझे रोज तकलीफ से गुजरने को मजबूर करता है,
तुम अजनबी हो साहिल ,नही अजनबी तो नही वर्षो पहले तुम्हारी एक झलक के लिए मैं कितना इंतजार करती थी, तुम आज भी वैसे ही हो,बिल्कुल नही बदले,और मैं शरीर से लेकर आत्मा तक बदल गयी, अब वो चुलबुली सी शरारती सी लड़की कही जीवन के तपेड़ो में खत्म हो गयी।
अरे निधि किस सोच में डूब गई ,बताओ ऐसी हालत कैसे हो गयी तुम्हारी ,क्या हुआ,कुछ तो बोलो। तुम्हारी तो शादी हो गयी थी ना, कितना वक्त हो गया हमे कॉलेज छुटा तो मैंने अपने पापा का बिजनेस जॉइन करलिया और फिर मैं बंगलोर चला गया, व्यस्त जिंदगी में इतना व्यस्त हो गया कि कभी दोस्तो की सुध आयी ही नही। 

हाँ सही कह रहे हो ये वक़्त बहुत तेज़ी से गुजरता है, पर जब रुक जाता है तो ता उम्र उन्ही यादों में तुमको घसीटकर ले जाता है।

कॉलेज खत्म हुआ उसके बाद मेरी जॉब लग गयी अच्छी जिंदगी चल रही थी, शादी का वक़्त आया तो घरवालों ने अच्छा लड़का, अच्छा घर देख कर शादी भी कर दी, 

रोहित अच्छा लड़का था, बहुत खुश थी मैं नई जिंदगी में, ख्वाहिशे एक से बढ़कर एक पूरी होती थी, प्यार की कोई कमी नही थी , घर मे रोहित एक देवर और रोहित के माता पिता थे, 

काश वो रात मेरी जिंदगी में ना आती और उस सपने से मैं नही जागती तो ये दुनिया आज भी मेरे लिए एक दर्प की भांति खूबसूरत होती।
उस रात रोहित को अपने दोस्त की शादी में जाना था तो वो सुबह ही निकल गए थे, दोपहर में पता चला कि रोहित की मौसीजी जो पास के शहर में रहती थी का एक्सीडेंट हो गया वो हॉस्पिटल मैं थी तो मम्मी पापा तुरंत निकल गए, रात को 10 बज गए थे, पर राजीव मेरा देवर का कोई पता नही था, छोटा था तो बहुत लाडला था सबका, मुझसे तो शरारते खत्म ही नही होती थी, सबने उसे सर चढ़ा के रखा था, हर फ़रमाइश जैसे हुक्म हो पूरी होती थी। 
दरवाजे की घंटी बजी ,मुझे लगा राजीव ही होगा क्योंकि उस रात कोई और आने वाला नही था, गेट खोलते ही मुझे उसकी हालत का अंदाज़ा हो गया था, शराब में टुन्न कदम भी साथ नही दे रहे थे, ऐसा पहली नही हुआ था कि वो शराब पीकर आया हो, पर कोई कुछ कहता ही नही था, सब कहते कि जिम्मेदारी आएगी तो सब सुधर जाएगा, 
भाभी मम्मी पापा कहा है दिखाई नही दे रहे है,

वो मौसीजी का एक्सीडेंट हो गया तो वहाँ उन्हें अचानक जाना पड़ा, बहुत देर हो गयी है आप हाथ मुँह धोलो ,मैं खाना लगा देती हूँ, 
और भैया वो कहाँ है?
वो अपने दोस्त की शादी में गए है सुबह आएँगे कहकर मैं रसोई में चली गयी, 
अचानक कदमों की आवाज मुझे मेरे पीछे सुनाई दी , और हाथों ने मुझे खिंचा ,जो मैं सपनों में भी कभी सोच नही सकती थी वो रूप आज उसमे दिखाई दे रहा था,
मैंने जैसे तैसे खुद को छुड़ाया ,हैवान हो तुम, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे बदतमीजी करने की,
पर वो सुनने को तैयार ना था, मुझ पर हावी हो गया था , पता नही था मुझे ,पर अपने आप को उस हैवान से बचने के लिए मैंने बेलन उसके सर पर दे मारा, वो बदहवास ज़मीन पर गिर पड़ा और खून देख मेरे होश उड़ गए,पर उस वक़्त खुद को बचाने का कोई उपाय ना था, मैं अपने कमरे की ओर भागी, पसीने में लथपथ , समझ नही आ रहा था क्या करूँ ,मैंने अपने आप को कमरे में बंद कर दिया, और पति के आने का इंतजार करने लगी, भरोसा था मुझे वो सब ठीक कर देंगे, अब एक पल हम इस घर मे नही रहेंगे, मैं और रोहित कही दूर चले जाएँगे।

कब रोते रोते आँखे बंद हो गयी पता ही नही चला, अचानक दरवाजा खटखटाया किसी ने और मेरी नींद टूटी ,
कौन है 

मैं रोहित ,दरवाजा खोलो।
मैने दरवाजा खोला और रोहित से लिपट कर रोने लगी, रोहित वो रात को राजीव ने, मेरे साथ बदतमीजी करने की कोशिश की ,कोई नही था मुझे बचाने वाला, 

तभी नीचे से आवाज आई ये झूठ बोल रही है ,मुझ पर इल्जाम लगा रही है माँ ,मैं क्या भला ऐसा करने के बारे में सोच भी सकता हूँ, पता नही भाभी को क्यों आज में खटक रहा हूँ, 

रात को जब मैं आया तो पता नही कैसे कैसे अश्लील बातें कर रही थी ,मुझे तो शर्म आ रही थी, और जब मैंने मना किया तो मुझे सर पे मारा , पता नही क्या गलती हो गयी मुझसे की भाभी को ये सब करना पड़ा,

मैं सोच समझ नही पा रही थी कि ये क्या बोल रहा है, कितना झूठा इल्जाम लगाया मुझ पर वो भी सिर्फ इसलिए कि मैं औरत हूँ, 
मेरी निःशब्द निगाहें बस रोहित की और देख रही थी जिन्हें भरोसा था अपने प्यार पर अपने विश्वास पर, 

पर वो शब्द जो मेरी कानो में अभी भी तीर की भांति मुझे अंदर से चीर देते है , की तुमने ये अच्छा नही किया निधि, तुमने मुझे धोखा दिया, तुमसे मुझे ये उम्मीद नही थी,
उम्मीद नही थी ,ये क्या कह दिया तुमने रोहित,मै वही टूट गयी, मुझे अब अपना यहाँ कोई नहीं दिखाई दे रहा था, एक पल मे मुझे दोषी ठहरा दिया गया,और मैं अपनी सफाई में कुछ बोल भी ना पाई।
उधर एक फ़ोन रोहित के पिता ने मेरे पिता को लगाया, मैं खत्म हो चुकी थी, ये रिश्ता एक बोझ बन गया था, जहाँ मेरा अस्तित्व मिट्टी में मिल चुका था, 

जब मेरे पिता से मेरा सामना हुआ तो लगा इस लाश को कोई कंधा देने आ गया, 

मुझे मेरी बेटी पर पूरा विश्वास है , अब मेरी बेटी का इन दरिंदो से कोई वास्ता नही, 
और वो मुझे अपने घर ले आये, मैं खुद पर से विश्वास खो चुकी थी लगता था कही पापा भी तो दिखावा नही कर रहे ,क्या उन्हें सच मे मुझ पर विश्वास था, या मैं उनकी बेटी हूँ ये काफी था, पर महफूज थी मैं उनकी छत्रछाया मैं , 2 साल लग गए मुझे उस नरक की भयाभय यादों से निकलने में, बहुत कोशिश के बाद नई जिंदगी की शुरुआत करने लगी, 
ना जाने क्यों मैं इतना सब कुछ तुमसे कह गयी साहिल, अभी तक पापा से भी मैं अपने अश्को को रिहा नही पाई थी, 
वही अश्क़ साहिल की आँखों मे उतर आए थे, 

इतना सब कुछ हो गया तुम्हारे साथ ,उसने तसल्ली देने के लिए थामा मेरा हाथ, शायद अगर कॉलेज में थामा होता तो कबका उसे अपना बना चुकी होती,पर उसे तो पता ही नही था, एक तरफा मोहोब्बत एक तरफा ही रह गयी, पर आज ये दिल धड़कने की मंजूरी नही देता, फिर से किसी पे विश्वास करने की चाहत नही होती, 
पहली बार शायद निधि को इतना गौर से देखा मैं, कॉलेज में तो कभी ध्यान ही नही दिया, बस इतना पता था,क्लास की सबसे सुंदर और चुलबुली लड़की थी, निधि, आज क्यों मेरा मन उससे बार बार देखने को कर रहा था, क्या उसके साथ जो हुआ वो मुझे उसकी तरफ खिंच रहा था, 
क्या हुआ साहिल तुम बताओ तुमने शादी नही की, कितनी लड़किया फिदा थी तुम पर, 
हाँ वो सब कॉलेज की बाते है, पापा का बिजनेस इतना फैला हुआ है कि संभालते संभालते शादी की सोच आयी ही नही, मम्मी थी नही , जब मैं छोटा था तभी उनका देहांत हो गया था, एक बहन है उसकी शादी हो गयी, और चाचा चाची का परिवार है जो साथ रहता है, अभी बैंगलोर में पापा के दोस्त की बेटी की शादी है और मुझे कुछ डील्स भी साइन करनी है तो वही जा रहा हूँ और तुम ?
मैं भी बैंगलोर जा रही हुँ मेरी कजिन की शादी है तो पापा पहले ही चले गए और मैं अब जा रही हूँ, मन नही था जाने का पर बहुत जिद की तो आना पड़ा,
अच्छा हुआ सफर अच्छा कट जाएगा साथ में।
स्टेशन पर मुझे पापा लेने आ गए थे, और हम फिर अपनी राहों में गुजर गए, 
इतने वक़्त के बाद सब से मिल रही थी, पता नही क्या सोचते होंगे मेरे बारे में, क्या सबको मैं ही गलत गलती होंगी, कोई पूछेगा तो क्या जवाब दूँगी, ऐसे अनगिनत सवाल मुझे घेरे थे, 
सब शादी के माहौल में खुश थे, मैं भी उसमे मसगूल हो गयी, फिर वही रस्में मेरे जहन को झगझोड़ गयी, आँखों मे आँसू कैद हो गए और लबो पे काल्पनिक हँसी को सजा लिया मैंने, और क्या करती कहती सबको की आओ मेरे दुख में शोक मनाओ, इतनी खुदगर्ज नही थी मैं।

शाम को महिला संगीत था , तैयार होना था, मैं इतना तामझाम तो नही की ,पर थोड़ा तो अच्छा दिखना ही था, नीले रंग के लहँगे में खुद को समेटा, और फिर हल्का सा मेक अप किया, जो मेरे चेहरे की मुस्कान को बड़ा सके,क्या फर्क पड़ता है दिल तो रो ही रहा था,

सब बाहर संगीत का मजा ले रहे थे, तभी ये निगाहें किसी अनजान चेहरे पर ठहर गयी, साहिल यहाँ क्या कर रहा है, क्या मुझे ढूंढता हुआ आया है, एक मजाक था जो होठो से बाहर आया, पर मैं उससे ज्यादा बात नही करुँगी,यहाँ लोग क्या कहेंगे कि देखो खुद का घर तो बस नही पाया दूसरे पर निगाह जमाये बैठी है, 
अचानक उसने मुझे आवाज लगा दी, निधि तुम यहाँ, 

हाँ मैंने कहा था ना मेरे कजिन की शादी है, 

और तुम यही के लिए तो मैं आया था ,मेरे पापा के दोस्त के बेटे की शादी में, ये दुनिया अचानक बहुत छोटी हो गयी, हम एक दिन मैं 2 बार मिले, चलो अच्छा ह मैं बोर नही होंगा।
पहले तो कभी मैंने निधि से इतनी बाते की आज बस उसका चेहरा दिल को सुकून दे रहा था, मैं उसकी तरफ खिंचा जा रहा था, ऐसा कही इसलिए तो नही की उसके लिए मुझे हमदर्दी होने लगी थी, 
वो कुछ सकपकाई हुई थी जीतना खुल के वो ट्रैन में बाते कर रही थी उतना ही आज नजर चुरा रगी थी, शायद लोगो का डर की लोग क्या कहेंगे,आप कुछ करो या ना करो लोग तो फिर भी कुछ कहेंगे ही।
पर पता नही क्यों आज मेरा मन उससे बात करने को कर रहा था, पहले तो कभी इस तरह मैंने उसके बारे में नही सोचा, ये नजर से देखा भी नही । क्या मैं उसे चाहने लगा था

 

जैसे तैसे संगीत का दिन निकला अगले दिन शादी थी, साहिल सुबह सुबह यहाँ क्या कर रहा है , उसे तो शाम को आना चाहिए था, क्या वो मुझसे मिलने आया है, ना मुझसे मिलने क्यों आया होगा , 

हाई निधि ,

साहिल तुम इतनी सुबह यहाँ कोई काम था,
नही वो सोचा अब अच्छे से शादी में सम्मिलित होता हूँ, आज कुछ काम था नही तो सोचा यही आ जाता हूँ तुमसे बात भी हो जाएगी, क्यों ठीक किया ना,
हाँ ठीक ही किया, 
और बताओ क्या सोचा है तुमने अपनी आगे की जिंदगी में, क्या शादी करने का इरादा है, कोई लड़का अंकल ने देख रखा है क्या,
ये क्या हो गया इसे अचानक मेरी शादी की बात कहा से आ गयी, मैं मन में बुदबुदा रही थी,
नही मैं शादी नही करना चाहती, एक बार धोखा खा चुकी हूं दोबरा मुझसे ये नही होगा, मैं अपनी पूरी जिंदगी ऐसे ही बीता देना चाहती हूँ , अब किसी ने दोबारा धोखा दिया तो मैं ख़त्म हो जाऊँगी,
क्या तुम्हें पूरी दुनिया रोहित के जैसी लगती है, क्या सबके दिल एक जैसे होते है, उसे तुमसे प्यार था ही नही जो तुम्हारा विश्वास कैसे टूट गया, अगर प्यार होता तो वो तुम पर विश्वास करता, क्या उसके परिवार की सजा तुम ताउम्र खुद को दोगी, तुम्हे अपनी जिंदगी अधूरी नही लगती,
लगती है बहुत अधूरी लगती है, लगता है हो कोई जो मुझे समझे, मुझसे बस मुझसे प्यार करे, मुझ पर विश्वास करे, ऐसे बीच राह में ना छोड़े, पर तुम्हे क्या लगता है ऐसे फ़रिश्ते भगवान नही भेझता , यहाँ चाहे लड़के की गलती हो पर सजा मुकम्मल लड़की के लिए होती है, आज यहाँ शादी में सब मुझसे प्यार से बाते कर रहे है पर मैं जानती हूँ अंदर ही अंदर जाने क्या क्या सोच रहे है मेरे बारे में,

तुम्हे क्यों फर्क पड़ता है सबसे, क्या करेंगे वो लोग तुम्हारे लिए, तुम्हे खुद अपने लिए कुछ करना होगा, ये तुम्हारी जिंदगी है कोई और इसका फैसला नही कर सकता,

करोगी मुझसे शादी, वादा करता हुँ मर जाऊँगा पर तुम्हे एक पल के लिए भी दुखी नही करूँगा, तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी कर जाऊँगा, बस तुम्हें मुझ पर विश्वास करना होगा 
विश्वास ही तो किया था मैंने साहिल उसी बात की सजा मिली मुझे अब तो खुद पे भी विश्वास नही होता, 

कितना अजीब होता है नसीब जिस इंसान की झलक की मैं दिवानी थी ,आज वही किस्मत ने सामने ला खड़ा किया था वो भी मुझसे शादी की बात रहा था, पर आज में और उस वक़्त में बहुत फ़र्क आ चुका था, अब मैं वो निधि नही रह गयी थी जो उस वक़्त थी,
क्या सोच रही हो तभी निधि के पापा वहाँ आ गए,

क्या हुआ तुम कौन हो बेटा।
निधि के चाचा जी ने कहा ये साहिल है , मेरे अजीज़ दोस्त महेश सोलंकी के बेटे, अपने पिता का सारा बिजनेस इसने ही संभाल रखा है, बहुत अच्छा लड़का है, दिल से भी और मेहनत से भी। 
अंकल आप मेरे बारे में जान ही चुके है, मैं ओर निधि एक ही क्लास में एक ही कॉलेज में पड़ते थे, बहुत वक़्त के बाद हमारी मुलाकात हुई, मुझे खबर भी नही थी कि निधि के साथ इतना बड़ा हादसा हो गया, पर इसमें निधि की कोई गलती नही , इसे हक़ है अपनी जिंदगी खुशी से बिताने का, 
मैं आपसे निधि का हाथ माँगता हूँ मैं जानता हूँ ये जगह और और माहौल सही तो नही की मैं ऐसी बात करूं ,ये बात मेरे पापा को आपसे करनी चाहियें पर मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि पापा को कोई दिक्कत नही होगी, मेरी हाँ मतलब पापा की हाँ, बस मैं आपकी रजामंदी चाहता हूँ, 
आप निधि को समझाइये 
निधि के चाचा ने कहा, बेटा साहिल बहुत अच्छा लड़का है और किसी एक नए धोका दिया तो सब वैसे ही निकले जरूरी नही, तुम्हे आगे बढ़ना होगा, किस्मत बार बार मेहरबान नही होती सोचो और फिर कोई फैसला लो।
पापा मुझे वक़्त चाहिए सोचने के लिए,मई चाहती हूं कि कोई निर्णय लू तो फिर पछतावा ना हो।
मैं इंतज़ार करूँगा, तुम जितना समय चाहो ले सकती हो।
लगभग 1 सप्ताह बाद निधि ने शादी के लिए हाँ कर दी, और साहिल और निधि ने अपने जीवन की नई शुरुआत की।

दोस्तों जिंदगी रुकने का नाम नही, और हर वक़्त वेवफाई हो आपके साथ ये भी जरूरी नही, आगे बढ़ना और जिन्दगी को महसूस करना जरूरी है।

धन्यवाद