Muje Arrange Marriage Nahi Karni... A Little Unlove to Lovestory books and stories free download online pdf in Hindi

मुजे अरेंज मेरेज नही करनी...







Muje Arrange Marriage Nahi Karni….

(A Little Unlove to Love Story)

By :- Shrujal Gandhi
























"ये सबसे अच्छा है। दिखता भी अच्छा है हमारी गुड़िया के लिए एकदम परफेक्ट।" मम्मी मेरे पापा को मोबाइल में किसी लड़के का बायो डाटा दिखा रही थी। उनका इरादा पापा को कहने से ज्यादा मुजे सुनाने में था।

"मुजे गुड़िया मत बुलाओ मोम, मेरा नाम प्राप्ति है, इसमे ऐसी क्या कमी है जो आप मुजे ऐसे नाम से बुलाती है? और मेने आपसे पहले भी कहा है मुजे पूछे बिना लड़के मत देखा करो, मुजे अभी से सादी नही करनी।" पता नही मेरी माँ को मेरी सादी की इतनी जल्दबाजी क्यों रहती है।

"लो अब अपनी बेटी को प्यार से बुलाओ तो भी दिक्कत। क्या जमाना आ गया है। और चौबीस की हो चुकी है अब सादी नही करेगी तो कब करेगी? मेरी उमर में?" मम्मी हर बार की तरह मुजे यही सवाल करती। हर बार में चुप रहती और हर बार पापा मजे लेते।

"एक बार बायो डेटा तो देख लो, अगर ना पसंद आए तो हम मना कर देंगे।" पापा ने मेरी और मोबाइल देते हुए कहा।

"ऐसे कैसे मना कर देंगे? ये कोई साड़ी की दुकान थोड़ी है जो पसंद आए रखलो वरना मना करदो। ऐसे रिस्ते रोज रोज थोड़ी आते है? आपही ने इसे बिगाड़ दिया है। वैसे भी आज तक किस लड़के के लिए इसके मुह से हा निकली है?" मम्मी का पारा अब और तेज हो रहा था। अभी कुछ ना बोले उसी में मेरी और पापा की भलाई थी। मेने बायो डेटा देखा।

नाम - शिव उमेशकुमार शर्मा।

नाम अच्छा है। मेने अपने मन में ही कहा। मेरी नजर साइड में फ़ोटो थी वहां पर गई उसके अलावा उन्होंने चार और फ़ोटो थी जो उन्होंने वॉट्सऐप पर ही भेजी थी। मेने बेक करके सबसे पहले उसकी चारो तस्वीरों को गौर से देखा। पहले में उसने ग्रे ब्लेज़र पहना था। और उसने क्लीन सेव की हुई थी।

'ओह गॉड, मुजे बियर्ड वाले लड़के अच्छे लगते है, और में किसी क्लीन सेव वाले से सादी हरगिज़ करना नही चाहती।'

मेने दूसरी दो फ़ोटो देखी जो शर्ट में थी जिसमें उसने थोड़ी बियर्ड रखी थी। पर वो क्लीन सेव में ज्यादा अच्छा लग रहा था। मेने फिर से बायो डेटा देखा।

वो सनफार्मा में जॉब करता था और उसकी सालाना आमदनी आठलाख चालीस हजार थी। मतलब सत्तर हजार हर महीने के। ये अच्छी बात थी। इन्फेक्ट बोहोत अच्छी बात थी। मेरी नजर उसकी हॉबी पर गई। जहा ट्रेवलिंग, मूवी देखना और पढ़ना जैसी कॉमन हॉबी थी जो हर बायो डेटा में मिल जाती थी। मेने बायो डेटा बंध किआ और पापा को मोबाइल वापस लौटा दिया।

"कैसा लगा?" पापा ने पूछा और मम्मी भी मेरी और देख रही थी। मुजे पता नही था की पिछले पांच मिनिट से मुज पर इस तरह की निगरानी रखी जा रही थी।

"ठीक है।" में उसे बेकार नही कह सकती थी। पर मुजे बोहोत अच्छा भी नही लगा था।

"क्या मतलब ठीक है? तुम क्या चाहती हो की अम्बानी उनके बेटे को लेकर तुम्हारा हाथ मांगने आए? क्या ऐसा नही है इस लड़के में जो तुम्हें अच्छा नही लगा?...."

'वो वैसा नही है जेसा में चाहती हु, मतलब मुजे थोड़ा स्टाइलिस्ट हसबंड चाहिए और ये कुछ ज्यादा ही सीधा लग रहा है।' में कहना चाहती थी पर मेने कहा नही।

"ऐसी कौनसी बात है जो तुम इस रिस्ते के लिए मना कर रही हो? हर लड़के को तुम रिजेक्ट करती हो आख़िर तुम चाहती क्या हो?" मम्मी के आवाज में थोड़ा गुस्सा दिखना सुरु हो गया था।

में चुप रही।

"कुछ तो बताओ, तुम बताओगी नही में क्या समज़ू?"

"मुजे अरेंज मैरेज नही करनी है मोम" मेने उनसे नजरे मिलाए बिना केह दिया।

"मतलब? तुम्हारा कोई..."

"बॉयफ्रेंड नही है।" मेने उनको बीचमे ही रोक लिया।

"तो फिर क्या दिक्कत है?" मम्मी को देखकर लग रहा था की अब सबसे अच्छा यही रहेगा की में उनकी बात मान लू। वैसे भी उन्होंने मुजे कभी इतना फोर्स नही किया था।

"कोई दिक्कत नही है पर पता नही जब भी सादी की बात आती है तब में अंदर से डर जाती हु।" मेने इतना कहा उसके बाद मुजे बोहोत पछतावा हुआ। क्योंकि अब वो लेक्चर स्टार्ट हो चुका था जो मेरे चार से ज्यादा बार सुना था।
जिसमे उनकी और उनके जमाने कि सादी की बातें करने लगी जहा वो एक दूसरे को सीधे सादी के वक्त ही मिलते थे वगेरह वगेरह.. आखिरकार आधे घण्टे बाद उनकी कहानी खतम हुई। मम्मी ने शिव के मम्मी को फोन किआ जिससे बात आगे बढ़े। और नतीजा वही आया जिसका मुजे सबसे ज्यादा डर था। मीटिंग दूसरे दिन ही फिक्स कर दी।

"मोम एटलिस्ट दो-तीन दिन तो मांग लेती। कल ही क्यों?" मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की इतनी जल्दबाजी क्यो की जा रही है।

"उनके पास बोहोत सारे रिस्ते आये होंगे। हम देरी कर देंगे तो रिस्ता हाथ से निकल जाएगा। वैसे भी तुम्हे कोनसा कल वर्ल्डकप खेलने जाना है। घर में ही तो रहती हो पूरा दिन" मम्मी की इन बातों से मुजे इतना गुस्सा आया की मेने बिना कुछ कहे अपने कमरे में चली गई। कल क्या होगा इस बारे में सोचते सोचते मुजे निंद भी नही आ रही थी। मेरे पास पास अब एक ही ऑप्सन था। अदिति को कॉल करना। में और अदिति कॉलेज से साथ थे। उसे में अपनी गर्लफ्रैंड भी कह सकती थी क्योकि हम जब कॉल पर बात करते तब एक दो घण्टे कहा निकल जाते पता ही नही चलता था।

"हेय बेब" मेने कहा, हम एक दूसरे को ऐसे ही नाम से बुलाते थे जिससे हम दोनों को बॉयफ्रेंड की कमी मेहसूस ना हो।

"आज कुछ रूठी हुई लग रही हो?" उसने मेरी आवाज से ही मेरा मुड़ भाप लिया।

"कल लड़का देखने जाना है" मेने उदास होते हुए कहा।

"वॉव, में तो मनीष मल्होत्रा के डिज़ाइन वाला लहँगा सिलवाऊंगी?"

"कम ऑन अदिति अब तुम भी मेरा मजाक बनाओगी? यहां मुजे टेंसन के मारे नींद नही आ रही और तुम्हे कपड़ो की पड़ी है।"

"इसमे कोनसी टेंसन वाली बात है?" उसने कहा

"मुजे अरेंज मैरेज नही करनी है।"

"क्यो?" उसने कहा

"इस जमाने में अरेंज मेरेज करूंगी? वहां सत्तराह अठारह साल के लोगो को बॉयफ्रेंड मिल जाता है और एक में हु जो अभी तक एक भी अच्छा लड़का ढूंढ नही पाई..."

"तुम नही हम। मुजे भी कोनसा प्रिंस चार्मिंग मिला है आजतक?" उसने मुजे बीच में ही रोकते कहा।

'तुम्हारा तो एक्स बॉयफ्रेंड भी था।' में कह सकती थी पर में उसका मुड़ बिगड़ना नही चाहती थी।

"हा सोरी। 'हम' बस?" मेने हम पर ज्यादा जोर दिया।

"तुम्हे कोई लड़का अच्छा लगता है?" उसने पूछा

"नही तुम्हे पता है फिर भी क्यो पूछ रही हो?" मुजे अदिति पर थोड़ा गुस्सा आने लगा।

"तो फिर लड़का देख लो ना इसमे प्रॉब्लम क्या है?"

"मुजे पहले बॉयफ्रेंड चाहिए फिर उसके साथ लव मैरेज करनी है। अरेंज मैरेज इस बोरिंग यार।" मेने मुह बनाते हुए कहा।

"आई नो की अरेंज मैरेज बोरिंग है पर और कोई ऑप्शन भी तो नही है। मेरे घर से भी जब कोई रिस्ते की बात आती है तब यही होता है।"

इसके बात हमारी बात डेढ़ घण्टे तक चली जिसमे हमने डिसाइड किया की कल क्या पहनना है। क्या बात करनी है ओर ब्ला ब्ला ब्ला....







दूसरे दिन

"आठ बज चुके है हमे साढ़े दस बजे से पेहले उनके घर जाना है।" मोम ने मुजे उठाते हुए कहा।

"मुजे नही जाना" मेने उबासी ले रही थी। में अभीभी बिस्तर में लेटी हुई थी।

मम्मी मेरे पास आई और बैठ गई। फिर उन्होंने मेरे बाल सहलाना सुरु कर दिया। ये उनका ब्रह्मास्त्र था जो मुजे हर बार हरा देता था।

अगर में खुद तैयार होती तो में ज्यादा कुछ नही करती पर मम्मी ने मुजे इस तरह से तैयार किया था की मेने खुद को कहि बार आईने में जाकर देखा। पता नही सभी लडकिया ऐसा करती होगी या सिर्फ में ही ऐसी हु? जो अच्छे से तैयार होने के बाद आईने के सामने खुद की तारीफ करती हो। और खुद पर ही मरती हो।

हम साढ़े दस से दस- पंद्रह मिनिट देर से पहुचे जो इंडिया के लिए वक्त पर ही कहा जा सकता है। उनका घर दो मंजिला था। जो सफेद और ग्रे कलर में जच रहा था। घर के आगे छोटा सा गार्डन और पार्किंग भी था। गार्डन में एक जुला था जहा सुबह चाय पीनेका अच्छे से मजा लिया जा सकता था। हम गेट खोल कर अंदर गए।

मेरी दिल की धड़कने तेज हो रही थी और दिमाग ने भी साथ देना बंध कर दिया था।

"आइए आइए रेणुका जी" अंदर से एक आधेड़ उम्र की महिला ने आते ही हाथ जोड़ते हुए मेरी मम्मी को बुलाया फिर पप्पा के सामने देखा और आखिरकार मुजे। वो शिव की माँ थी। जो हमारे आनेका बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। और करना भी चाहिए आखिरकार उनके बेटे को लड़की देखने जो आई थी।

हम अंदर चले गए। वहां शिव के पापा थे। उन्होंने खड़े होकर हमारा स्वागत किआ। आधे मिनिट के बाद अंदर के कमरे से शिव बाहर आया। अचानक ही उसे देखकर मेरी धड़कने बढ़ गई। उसने ब्राउन शर्ट और ब्लेक फॉर्मल कपड़े पेहेने थे। वो फ़ोटो से ज्यादा रियलिटी में अच्छा लग रहा था। और उसने बियर्ड भी रखी थी। पर वो उतना भी अच्छा नही था जेसा हसबंड में चाहती थी। उसने मेरे मम्मी पप्पा का अभिनंदन किया। हमने एक दूसरे की और एक सेकंड से भी कम देखा और नजरे गुमा दी। मुजे उसके परफ्यूम की हल्की सी खुसबू मेहसूस हो रही थी।

हम सोफे पर बैठ गए। शिव मेरे बाये सोफे पर था। हालांकि हमारे बीच हमारे पेरेंट्स थे। वो सोफे के एक कोने पर था और में दूसरे सोफे के कोने पर। हमारे सामने दो कुर्सी रखी थी जहा एक कुर्सी पर शिव के पापा थे और एक कुर्सी खाली थी। हमारे पेरेंट्स एक दूसरे को किस तरह से जानते है वो बताने लगे और जो रिस्तेदार कॉमन थे उनकी बाते पांच दस मिनिट तक चली। आखिरकार अरेंज मैरेज की मीटिंग में यही तो होता है। में तब तक घर को निहारती रही। हमारे सामने बड़ा एलईडी टीवी लगा था जिसके साइड में कुछ शोवपीस लगे थे। उसके पीछे से ऊपरी मंजिल पर जाने की सीढ़िया थी। घर में थोड़ा रिनोवेशन कुछ समय पहले ही किया गया हो ऐसा लग रहा था।

सारे रिस्तेदारो की बाते खतम होने के बाद रूम में आधे मिनिट तक अजीब सी खामोसी छा गई। हर कोई इधर उधर देख रहा था। खामोसी का मतलब था की अब बाते खतम हो गई अब नास्ते का वक्त हो गया। शिव की मम्मी उठ के किचन में चली गई। हम लड़कियों को सिखाया जाता है की अगर किसी के भी घर में अच्छे दिखना है तो रसोई में मदद करने चले जाओ। इससे लड़के को लड़की में इंटरेस्ट आये ना आये पर कम से कम घर की सारी लेडिस डिपार्टमेंट इम्प्रेस जरूर हो जाती है। में सोच ही रही थी की किचन में जाऊ पर मुजे शर्म आ रही थी, तभी मम्मी ने मुजे किचन में जानेका इसरा किया। मेने गहरी सांस ली और उठ कर किचन में चली गई।

"अरे बेटा तुम क्यों यहा आई हो? में सब लेकर आती हु तुम बाहर बेठो। वैसे भी इतना ज्यादा कुछ है ही नही सब कुछ रेडी है।" उन्होंने मुजे देख कर ही कहा।

"नही आंटी, में नास्ते की डिश बाहर ले जाती हु" उन्होंने मुस्कुरा दिया। मुजे पता नही था वह की मेने जो कहा वो सही था या गलत। मेरे मन में जो आया मेने वो कह दिया। वहा पर सब कुछ रेडी था। हर प्लेट में दो समोसे थे और साथ में एक स्वीट थी जिसे क्या कहते है मुजे पता नही है पर उसका टेस्ट लाजवाब होता है। साथ में बची कुछ जगह में मिक्स चेवाड़ा था। समोसे के चटनी की छोटी डिस अलग थी। प्लेटफार्म पर एक ट्रे रखी थी। मेने तीन डिश उसमे रख दी और बाहर चली गई। हमे पहले से पता हो की लड़के को ना ही कहना है फिर भी ये सब फॉर्मेलिटी हमे करनी पड़ती है क्योंकि इसका सीधा ताल्लुक हमारे मम्मी पप्पा के दिए गए संस्कार से होता है।

मेरे सामने सबसे पहले शिव था। मेने बिना नजर मिलाए उसके सामने टेबल पर डिश रख दी। फिर ओर दो डिश को रख देने के बाद मेने दूसरा चक्कर लगाया। डिश में जितना खाना रखा हो उसमे से दो तीन चीज़ निकले बिना कोई मेहमान खाना नही खाता ये हमारे समाज का एक अनकहा रिवाज है। हम तीनो ने एक एक समोसा निकाल लिया। मुजे स्वीट उतनी अच्छी लगी की मुजे और चार पांच देते तो भी में उसे चट कर जाती पर वहा में मांग नही सकती थी। नास्ता हो जाने के बाद मेने प्लेट किचन में ले जाने के लिए मदद की। हम दोनों की मम्मी उठ कर अंदर के कमरे में चली गई। मतलब अब वो पल आने वाला था जिसके लिए में सबसे ज्यादा नर्वस थी। "पर्सनल मीटिंग"। मम्मी ने हम दोनों को अंदर आने का इशारा किया। पहले शिव अंदर गया उसके पीछे पीछे में चली गई।

"जो भी बात करनी हो खुल के करना इसे अपना ही घर समजो " शिव के मम्मी ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर कहा। उनकी इस बात से मुजे थोड़ी हिम्मत मिली। हम दोनों की मम्मी बाहर चली गई और जोर से दरवाजे के बंध होने की आवाज सुनाई दी। कमरे में इतनी खामोशी थी की मुजे दो ही आवाज आ रही थी। एक पंखे की और मेरे जोरो से धड़क रहे दिल की। कमरे में दो फोल्डिंग वाली कुर्शिया थी। शिव ने एक कुर्शी मेरे लिए पीछे की। मुजे बोहोत शर्म आ रही थी पर मेने अपने आपको ठीक दिखाते हुए उसे थेंक्स कहा। वो मेरे सामने बैठ गया।

"तुम नर्वस लग रही हो।" उसने कहा और मुस्कुरा दिया।

"हा थोड़ी सी।" एक्च्युअल में में बोहोत ही नर्वस थी। हम दोनों का आई कॉन्टेक्ट हुआ। वो मुझसे कही ज्यादा कॉन्फिडेंट लग रहा था।

"रिलेक्स, इसमे इतना नर्वस होने वाली कोई बात नही है। पर ये अरेंज मैरेज की सिस्टम ही कुछ ऐसी है की थोड़ी दिक्कत रहती ही है।"

"ओह हा।" बात कहा से सुरु करू मुजे पता ही नही चल रहा था।

"तुमने ग्रेजुएशन कहा से की है?" उसने पहली सुरुआत की।

"बेचलर गवर्मेन्ट इंजीनियरिंग कॉलेज से और मास्टर्स रचना यूनिवर्सिटी से। और आप ने?"

"मेने बेचलर और मास्टर दोनों एचआरएम यूनिवर्सिटी से किआ है और तुम मुजे 'आप' कह कर मत बुलाओ।" मुजे दोनों बातो से जटके लगे। क्योंकि एचआरएम यूनिवर्सिटी से ग्रेज्युएशन करना लोहे के चने चबाने जितना मुश्किल था और उसे में 'तुम' कह कर बुलाना ये मेने कभी नही सोचा था।

"नही में आप कह कर ही बुलाऊंगी।" मेने कहा।

"क्यो?"

"में आपको तुम कहूंगी तो लोग क्या सोचेंगे?" इसका सीधा इल्ज़ाम मेरे मम्मी पप्पा पर ही जाता की उन्होंने अपनी बेटी को इज्जत देना नही सिखाया।

"ऐसा हो तो उनके सामने आप केहकर बुलाना और अकेले में तुम केहकर" उसने मुस्कुराते कहा।

"हा ठीक है" अब जा कर मेरी सांस में सांस आई क्योकि की में किसी स्टुपिड डंप लड़के के साथ कमरे में नही थी। लड़का थोड़ा प्रेक्टीकल लगता है। मेने अपने मन में ही बोलना सुरु कर दिया।

"अपने बारे में कुछ बताओ" में अपने खयालो में डूबी थी और अचानक ही उसके सवाल से में सपनो से बाहर आ गई।

"ओह, हा..." में थोड़ी हकलाई और फिर मेरे ग्रेड्यूएसन और हॉबीज के बारे में बताया उसके बाद उसने भी यही बात बताई।

"एक बात पूछ सकता हु?" उसके इस सवाल से मेरी धड़कने जो दो मिनिट पहले ही नॉर्मल हुई थी वो फिर से रफ्तार पकड़ने लगी।

"हा पूछो"

"तुम अपनी मर्जी से यहां आई हो..... आई मीन तुम्हे फोर्स फूली तो यहां लाया है ऐसा कुछ तो नही है?" उसका कॉन्फिडेंस अब थोड़ा टूट रहा था।

"नही ऐसा कुछ नही है। में क्या कहु कुछ समज में नही आ रहा..." मे जब से आई हु तब से कोई सवाल नही किया था। ना ही कोई जवाब अच्छे से दिया था। जाहिर है उसे ऐसा लगना ही था। 'कम ऑन प्राप्ति' मेने अपने मन में ही कहा।

"सरमाओ मत, दोस्त की तरह ही बात करते है। अगर तुम्हे कोई दिक्कत हो तो तुम अपनी मम्मी को भी अंदर बुला सकती हो।" उसकी इस बात से मुजे गिल्ट फील हो रही थी क्योंकि में कुछ ज्यादा ही चुप थी।

"नही इसकी कोई जरूरत नही है। एक्च्युलि सब कुछ इतना जल्दी हो गया की में कुछ समझ ही नही पाई।" सायद मुजे ये नही कहना चाहिए था बोलने के बाद मुजे एहसास हुआ।

"हा सच कहा। मुजे भी इसा लगा की मेरे पेरेंट्स कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी कर रहे है।"

"यस एक्सेटली मुजे भी यही लग रहा है"। हम दोनों ने मुश्कुरा दिया।

"मुजे ये सब थोड़ा अजीब लग रहा है।" उसने कहा

"क्या अजीब ?"

"यही की आज के इतने फ़ास्ट जमाने में जिंदगी का फैसला पांच दस मिनिट में करलो। एटलिस्ट थोड़ा ज्यादा वक्त मिलना चाहिए। ये पूरी ज़िन्दगी का सवाल है।" उसकी बात प्रेक्टिकल थी।

"हा में भी यही सोच रही थी।" आखिरकार ऐसी सोच वाले लड़के भी होते है ये मुजे आज पता चला। उसकी सोच मुझसे काफी मिलती जुलती थी और में भी अपने विचार इसके सामने रख सकती थी। पर इसका मतलब ये नही था की में उसे हा कहने वाली थी।

"तुम्हारा क्या कहना है इस बात पर?"

"सच कहु तो मुजे अरेंज मैरेज से ही डर लगता है। क्योंकि हमे जो भी रिव्यू मिलते है वो अच्छे ही मिलते है। इंसान सच में कैसा है ये तभी पता चलता है जब बात काफी आगे बढ़ गई हो। और तब ना भी नही कह सकते" मेने सही कहा या गलत मुजे पता नही था। वो हँसने लगा। मुजे लगा मेने कोई गलत बात कह दी।

"तुम मेरा दिमाग पढ़ रही हो" उसने हसते हसते कहा।

"वॉव आप भी ऐसे ही सोचते हो?" मुजे अच्छा लगा की कोई मेरी तरह भी सोचता है। मेरी इस सोच से मम्मी मुजे हमेसा डांटती थी।

"आप नही तुम" उसने करेक्सन किया।

"ओह हा"

"फेमिली वालो को लगता है की वो लोग जिस लड़की को चूज़ करते है वही दुनिया की सबसे अच्छी लड़की है। और हम लव मैरेज के लिए किसीको चुने तो वो दुनिया की सबसे बुरी लड़की होती है" उसने एतराज़ जताते हुए कहा।

"या एक्सेटली मेरे पेरेंट्स भी ऐसे ही सोचते है।" हम दोनों मुश्कुरा रहे रहें थे। मेने पहले चार लड़को को रिजेक्ट किया था पर किसी के साथ इतनी खुल कर बात नही की थी। या यू कहु की वो शिव जितने कॉन्फिडेंट और ओपन माइंडेड नही थे।

हमारी नजर घड़ी पर गई। दस मिनट से ज्यादा हो चुके थे अब बात को दो मिनट में खतम करना था। अगर मीटिंग दस मिनिट से ज्यादा चलती है तो बाहर बैठे लोग उसे हा समझ लेते है। और ये में हरगिज़ नही चाहती थी।

"हमे अब चलना चाहिए।" उसने कहा। और हम दोनों खड़े हो गए।

"तुम्हे अगर कंफ्यूज हो तो जल्दबाजी में डिसीजन मत लेना। चाहो तो दूसरी बार मिल सकते हो।" उसने मुजे हौसला देते कहा।

"हा तुम भी जो हो वो बता देना।" मेने कहा। हम दोनो ने छोटी सी स्माइल की और बाहर चले गए।


"कैसा रहा? आज तो पंद्रह मिनिट तक बात चली मतलब में इसे तुम्हारी हा ही समझ लू या अभी भी सोचना बाकी है?" कार में बैठते ही मोम ने खिलखिलाकर कहा। मुझसे ज्यादा मम्मी ज्यादा खुश लग रही थी।

"आप तो अभी से सुरु हो गई! मुजे थोड़ा वक्त तो दो। वैसे भी घर जा कर सोना चाहती हु। फिर उसके बारे में बात करेंगें।" मेने कहा।

"अच्छा ये तो बताओ की बात क्या हुई थी?" मम्मी ने फिरशे पूछा।

"मोम" मेने जोर से कहा।

"तुम इतनी उतावली क्यो हो रही हो। उसने कहा ना वो साम को सब कुछ बताएगी।" पप्पा ने मम्मी से कहा तब जा कर मम्मी थोड़ी सांत हुई।

घर जाकर मेने अपनी बची हुई नींद पूरी की। जैसे ही में उठ कर लिविंग रूम में आई तभी मम्मी और पापा ने सोफे पर अपनी जगह बना ली और एक जगह मेरे लिए भी रखी थी। आज पहली इस बार ऐसा हुआ होगा की मेरे उठने का लोग इंतज़ार कर रहे थे।

"सपने में कौन आया था आज? जीजू आये थे क्या?" मेरा भाई कॉलेज से आ चुका था और आज मुजे चिढ़ाने के लिए उसके पास एक अच्छा सा मौका था।

"मम्मी इसे समजाओ वरना में इसकी धुलाई कर दूंगी।" मुजे उसके ऊपर कुछ ज्यादा ही गुस्सा आगया।

"अभी से सरमाने लगी हो जीजू के नाम से..." उसे मेरी बात का कोई फर्क नही पड़ा। मेने सोफे पर रखा पिल्लों उठा कर उसे जोर से फेका पर उसने अपने हाथो से उसे पकड़ लिया।

"देव, अब बस करो।" मम्मी ने थोड़े गुस्से में कहा। वो किचन में चला गया फिर वहा से मेरी और देखकर ऐसे मुश्कुरा रहा था जैसे मेने हा कर दी हो। में दौड़ती हुई किचन में गई और वो भागकर पिछले दरवाज़े से फिर से लिविंग रूम में आ गया। में उसे पकड़ने ही वाली थी की पापा ने जोर से आवाज लगाई।

"ये क्या बचपना लगा रखा है।" कमरे में सन्नाटा छा गया। में सोफे में जा कर बैठ गई। और कुछ सेकंड खड़े रहने के बाद देव मेरी दाहिनी और आकर बैठ गया। आखिर वो जाता भी कहा। कितना भी जगडले पर आखिर आना तो मेरे पास ही था। आखिर यही तो खास बात होती है भाई बेहेन की। जितना ज्यादा लड़ाई उतना ज्यादा प्यार।


एक मिनिट की खामोसी के बाद कोर्ट के जैसी सुनवाई सुरु हुई। जहा कटहरे में खड़े रेहकर मुजे अपनी बात सुनानी थी। जहा मम्मी जज भी थी और वकील भी। देव और पापा ऑडियंस जैसे थे जिनकी बाते मम्मी इग्नोर कर देती थी।

"घर अच्छा था" मम्मी ने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा जिससे उस बात का अच्छा माहौल बन सके।

"अच्छा नही बोहोत अच्छा, और आजतक जितने लड़के देखे उनमे से मुजे ये सबसे अच्छा लगा।" पापा ने अपना जजमेंट पास किया।

"हा वो तो है।" मम्मी ने हामी भरी।

"हा" में केहना चाहती थी तभी मेरे मोबाइल में वाईबेट हुआ मेने फोन अनलॉक लिया मेरी धड़कने बढ़ गई। इंस्टाग्राम में im_shiv09 नाम की फॉलो रिक्वेस्ट थी। मतलब शिव ने मेरे इंस्टाग्राम के एक्सेप्ट नाम के दरवाजे पर दस्तक दे चुका था। मुजे कुछ समझ नही आ रहा था इसीलिए मेने मम्मी पप्पा को मीटिंग के बारे में जल्दबाजी में वो बताया जो कहा जा सकता था। और जल्द से जल्द बात खतम करना चाहती थी। मेरा ध्यान इंस्टाग्राम में आई रिक्वेस्ट के ऊपर ही था। दस मिनिट की बातचीत के बाद मम्मी पप्पा ने फैसला मुज पर छोड़ दिया। एक एक सेकंड मोबाइल में ध्यान रहने पर पता चला की दस मिनट कितना लंबा वक्त होता है। जैसे ही बात खतम हुई में अंदर के कमरे में चली गई।

मेने उसके डीपी को देखा और एक्सेप्ट पर अपना अंगूठा ले गई पर मेने क्लिक नही किया। मेरे मन में कही सवाल थे।

'क्या ये जल्दबाजी नही हो रही? , क्या ये बात मम्मी पप्पा को बतानी चाहिए?' मेरे पास एक ही विकल्प था अदिति को कॉल करना।

"हाय डियर ?" अदिति ने फोन उठाते ही कहा।

"वन मोर कन्फ्यूजन" मेने रूखी आवाज में कहा।

"क्या हुआ?"

"उसने इंस्टाग्राम पर रिक्वेस्ट भेजी है"

"वोट? उसमे प्रॉब्लम क्या है? ये तो अच्छी बात है। इन्फेक्ट इससे ये प्रूफ होता है की उसे तुममे इंटरेस्ट है।" अदिति की आखिरी लाइन पर ज्यादा जोर दिया था। मुजे अदिति को हग करने का दिल आ गया था। आखिरकार उस डफर ने वो बात पकड़ ली थी जिसका मुजे डर था। और वो डर था 'उसका जवाब क्या होगा' उसकी रिक्वेस्ट एक अच्छा संकेत थी।

"यू नो में इसी लिए तुम्हे कोल करती हु क्योंकि जो में नही पकड़ सकती वो तुम पकड़ लेती हो।" में उसकी जल्दी से तारीफ नही करती थी पर इस बार करदी।

"थेँक्यु स्वीटहार्ट। अब फोन रखो और उससे बात करो।" उसने कहा और में बाय कहु उससे पहले ही उसने फोन कट कर दिया।

मेने अपने मन में चल रहे सवालो का बिना जवाब दिए फॉलो रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली और फॉलो बेक कर लिया। मुजे लगा उसका अब मेसेज आएगा उसके बजाय रात 11 बजे उसने मेरे तीन फ़ोटो लाइक किए। में ऑनलाइन ही थी बदले में मेने भी उसके तीन फ़ोटो लाइक किए पर मेने 10 मिनिट बाद लाइक्स किये जिससे उसे ये न लगे की में फ्री रहती हु। मेने सोचा सायद अब मेसेज आएगा और में इंतजार करती रही। जिसमे आधे घण्टे में मैने इंस्टाग्राम में मनीष मल्होत्रा और सब्यसाची मुखर्जी की सारी कलेक्शन देख ली फिर यु ट्यूब पर बिग बोस के हॉट सिन देखते देखते तकरीबन साढ़े बारा बजे सो गई।

सुबह में नो बजे उठी वो भी तब जब मम्मिने झाडू लगाने के लिए पंखा बंध किया। में रोज आठ बजे के आसपास उठ जाती थी या फिर साढ़े आठ बजे मम्मी मुजे उठा ही देती थी। पर सायद कल लड़का देखा था और उसका जवाब में ना देदु तब तक मम्मी मुजे जरा भी परेशान नही करना चाहती थी। जिससे में फ्री माइंड से सोच सकु। मेने मम्मी को देखकर मुस्कुरा दिया। मम्मी ने भी मुस्कुरा दिया। मेने मोबाइल लिया और नेट ऑन किया। महसूस हुआ की आज मोबाइल हररोज से कुछ ज्यादा वाइब्रेंट हुआ। मेने नोटिफिकेशन को स्क्रॉल किया। जिसमे लिखा था।

im_shiv09 : गुड़ मॉर्निंग

में अब पूरी तरह से जग चुकी थी। हाय या हेल्लो से ज्यादा गुड़ मॉर्निंग विष करना एक अच्छी सुरुआत थी।

prapti_207 : गुड़ मॉर्निंग

एक मिनिट बाद फिर नोटिफिकेशन आई।

im_shiv09 : फ्रेश हो गई?

prapti_207 : नही आज देर हो गई। अभी बेड में ही हु। और तुम?

मेने तुरंत रिप्लाय दिया

im_shiv09 : हा बस अभी चाय खतम की।

prapti_207 : ओह गुड।

im_shiv09 : घर में सब ठीक है?

prapti_207 : हा।

im_shiv09 : हम्म्म्म

उसने लिखा फिर कोई मेसेज नही आया। मुजे एहसास हुआ की में कुछ ज्यादा ही भाव खा रही हु। क्या मेने ज्यादा ईगो नही दिखा दिया? क्या इसे में ना समझलू? मेने आरती को कॉल किया और उसने स्क्रीनशॉट मंगवाए। स्क्रीनशॉट भेजने के दो मिनिट बाद उसका कोल आया।

"ये तुम क्या कर रही हो???" आरती की आवाज़ में थोड़ी नाराज़गी महसूस हो रही थी।

"मेने क्या किया?"

"ऐसा ही करोगी तो सिंगल ही रह जाओगी डफर " उसकी आवाज़ थोड़ी उची हो रही थी।

"पर हुआ क्या ये तो बताओ"



"मेरा एक ओरियो मिल्कशेक" मेने काउंटर पर कहा।

"मेरा स्मॉल मार्गेरीटा पिज़्ज़ा" आरती ने कहा।

आरती ने मिलने के लिए कहा था वैसे भी हमे मिले एक हप्ते से ज्यादा हो गया था। चाहे तो हम घर पर भी मिल सकते थे पर वहा पर हम खुलकर बात नही कर सकते थे इसीलिए हमने 'कैफे एपेटिटो' को चुना था। हम ऑर्डर देकर कॉर्नर में रखी कुर्सी पर बैठ गए जहा हम अक्सर बैठते है। हमारी बाईं और एक कपल बैठा था जिनके पास बेग थे। मतलब वो लोग बंक मार कर यहां आए थे।

"वॉव इन लोगो की किस्मत कितनी अच्छी है?" मेने कपल की और इसरा करते कहा।

"इनका भी कटेगा।" आरती ने कहा और हम दोनोंको जोरो से हसी आगई। उस कपल ने हमारी और देखा और हमने नज़रे फिराली। मेने मुह पर हाथ रख लिया पर मुजे अभीभी हसी आ रही थी। पर आरती चुप हो गई थी। वो उस कपल को ही देख रही थी। पर उसके चेहरे पर से हसी गायब हो चुकी थी।

"हेय" मेने कहा। आरती ने मेरी और देखा और उसने सिर हिला कर मना कर दिया।

"कम ऑन आरती उस बात को अब दो साल हो चुके है।" आरती का कॉलेज में बॉयफ्रेंड था। जो हमारा क्लासमेट था। ढाई साल रिलेशनशिप में रहने के बाद आर्यन ने कास्ट प्रॉब्लम केहकर आरती से ब्रेकअप कर लिया था बाद में पता चला की उसे एक रईस लड़की मिल गई थी इसीलिए उसने ब्रेकअप किया था। हालाकि उस रईस के साथ उसका रिस्ता लंबे वक्त तक नही टिक पाया। पर आरती को इस बात से उभर ने में काफी वक्त निकल गया था। सायद आज भी उसे उस बात से तकलीफ हो रही होगी तभी उसके हावभाव बदल गए है। अच्छा है की में इन सब से दूर ही हु। ना कोई एक्स ना कोई तकलीफ।

"सोरी..." आरती ने कहा "....हम यहा तुम्हारी बात करने आये थे।"

"हा, पर तुम आर्यन को लेकर अभीभी अपसेट हो?" मेने उसके नजदीक जाकर कहा।

"नही ऐसी कोई बात नही है पर कभी कभी..."

"योर पिज़्ज़ा मेम" वेइटर के आते ही आरती रुक गई।

"भूल जाओ उन सबको और टूट पड़ो पिज्जा पर" मेने पिज़्ज़ा की और देखते कहा। मेने टोमेटो केचअप की लाल बोतल ली और पिज़्ज़ा के ऊपर आरती का 'ए' और मेरा 'पी ' बना दिया।

"तुम अभीभी बच्ची ही हो" अपसेट आरती ने आखिरकार मुस्कुरा दिया।

"हा। खाने और सोने से ज्यादा प्यार में किसीसे नही करती।" मेने पिज्जा का स्लाईस लेते हुए कहा।

"और मोबाइल??" आरती ने याद दिलाया

"हा मोबाइल भी"

"और में?" आरती ने एक आंख छोटी करके पूछा

"तुम तो मेरी जिंदगी हो। आई लव यू" मेने आरती को फ्लाइंग किस भी दि। उसने भी रिटर्न में फ्लाइंग किस के जवाब दे दिया।

"पर अब तुम्हे थोडी बड़ी होनेकी जरूरत है।" उसने फिरशे वो टॉपिक निकाला जिससे में बोर हो चुकी थी।

"योर मिल्कशेक मेम" वेइटर ने कहा। मेरा मिल्कशेक आ चुका था। जिसमे ऊपर एक ओरियो बिस्किट था और दो केन्डी स्टिक थी। बीच में शेक के साथ आइसक्रीम और बाहर की ओर चॉकलेट थी। उसमे एक लकड़ी का स्पून था और साथ में एक स्ट्रॉ। मेने ओरियो उठाया और आरती ने केन्डी स्टिक। खाने में हम इतना बिजी हो गए थे की बिना बात किए हमने ओरियो की बिस्किट, केन्डी स्टिक और आइसक्रीम खतम करदी। पिज़्ज़ा की भी बस दो स्लाइस बची थी।

"हम यहां बात करने आए है स्वीटहार्ट" आरती ने प्यार से मेरी नजर खाने से हटाई।

मेने कंधे उचका दिए। और स्ट्रॉ से मिल्कशेक पिने लगी।
आरती मेरी और गुरती रही।

"रिलेक्स अभी मिल्कशेक तो खतम होने दो और मैरेज की सोच से मुजे पहले से ही बोहोत टेंसन है उसमे तुम और टेंसन देने जा रही हो।" मेने नाराजगी जताते कहा।

वो बिना कुछ कहे मेरी और गुरती रही।

"क्या?.... गुर क्यों रही हो?"

"तुम्हे थोड़ा इगो कंट्रोल करने की जरूरत है।"

"अब इसमे ईगो कहा से आया?" में आरती के ऐसे बर्ताव से हैरान थी।

"तुम अभी तक सिंगल क्यो हो इसका जवाब दो"

"क्योंकि मुजे कोई ढंग का लड़का अभीतक मिला ही नही है।"

"नही तुम्हारे इस ईगो की वजह से" आरती थोड़ी आक्रामक बन रही थी।

"पर तुम अचानक ऐसी बात क्यों करने लगी?" में अभी भी हैरान थी।

"क्योकि तुम्हारी सादी की बात चल रही है और तुम इसे लेकर कुछ ज्यादा ही लापरवाह हो। तुम सोचती हो की तुम्हे कोई रिच, हेंडसम और स्टाइलिश लड़का मिलना चाहिए जबकी तुम खुद एक ऑर्डिनरी लड़की हो।"

"में ये सब नही जानती, इन्फेक्ट मुजे सादी ही नही करनी।" मेने मुह बनाते हुए कहा।

"पर क्यो?"

"बस ऐसेही"

"अगर लड़का हेंडसम हो। स्टाइलिश हो। रिच हो तब भी नही?"

"अगर ऐसा होगा तो कर लुंगी।" मेने बड़ी स्माइल देते है कहा।

"सेल्फिस" उसने टेढ़ी नजर से देखते कहा।

"आज तुम मम्मी की तरह बाते क्यों कर रही हो?"

"ठीक है अब कुछ नही पूछुंगी। तुम्हे खुद की कोई फिक्र नही है तो में क्यों तुम्हे फोर्स करू।" आरती इतना केहकर रुक गई। बिस सेकंड तक हम दोनों मेसे किसी ने कुछ नही कहा। फिर मेने सुरु किया।

"एक्च्युलि मुजे बोहोत अकेलापन मेहसूस हो रहा है। में भी चाहती हु की कोई हो जो मेरे साथ हरपल हो। ऐसा नही है की सादी से में भाग रही हु पर सादी के बाद पार्टनर अच्छा नही निकला तो? इसी डर से में किसीसे जुड़ना नही चाहती। फिर तुम्हारी और आर्यन की बात याद आती है। रिलेशनशिप अच्छा हो तब तक तो सबकुछ ठीक है पर बाद में कुछ अनबन हो जाए उसके लिए लंबे वक्त तक रोना और उसे याद करते रहना। इस सब से डर लगता है मुजे। अपनी जिंदगी को किसीके हाथ में दे देना फिर उसके इसरो पे नाचना। घर से बाहर निकलो तो उसे बताकर जाओ वरना फिर उसपे बेहेस करना। सादी के बाद मनचाहे कपड़े भी नही पेहेन सकते। अगर शोर्ट्स पेहेन ली तो तो गए काम से। हर रोज खाना पकाना और घर के सारे काम करना। ये सब मुझसे नही होगा। "

"वॉव...कितना कुछ छुपा रखा है तुमने अपने अंदर?" आरती ने आँखे बड़ी करके मेरी और देखा।

"पता नही। हम लडकिया ही क्यो? लड़के अपना घर छोड़कर हमारे घर क्यो नही आते?" मेने कहा

"तुम्हारी बात सायद सही है पर जो है वो है। तुम ये क्यो सोचती हो की पार्टनर बुरा निकला तो क्या होगा। कभी ये सोचा है की पार्टनर अच्छा निकला तो क्या होगा?"

मेने सिर हिला कर हामी भरी। उसकी बात सही थी। मेने कभी ये नही सोचा था की पार्टनर अच्छा होगा तो क्या होगा। मेरा दिमाग ब्लेंक हो गया था।

"तुम सादी के बारे में क्या सोचती हो?" मेने आरती से पूछा

"मुजे एक अच्छा लड़का चाहिए।"

"अच्छा मतलब?"

"मतलब जो मुजे समजे। जो सिर्फ मेरा लाइफ पार्टनर ही नही पर अच्छा दोस्त भी हो। मिडल क्लास भी चलेगा। लुक्स मेभी थोड़ा कोम्प्रोमाईज़ कर लुंगी पर अंडरस्टैंडिंग बढ़िया होनी चाहिए।"

"अगर दोस्त जेसा ही लाइफ पार्टनर चाहिए तो दोस्त ही बनालो इसमे सादी करने की क्या जरूरत है?" मेने कहा।

"क्योंकि दोस्त वो नही दे सकता जो लाइफ पार्टनर दे सकता है।"

"क्या?"

उसने आंख मारी और में समझ गई। उसका इसारा सायद सेक्स की और था।

कैफे में पब्लिक ज्यादा हो रही थी जिससे हमारी टॉप सीक्रेट बाते करना मुश्किल हो रहा था। हमने बिल पे किया और पार्किंग में आ गए। दोपहर में धूप थी पर पार्किंग में बिल्डिंग का साया था। हम ने अपने अपने एक्टिवा को डबल स्टैंड पर रख दिया और वही पर अड्डा जमा दिया। बिल्कुल लड़को की तरह। नीचे पार्किंग में भी कुछ कपल्स बैठे थे जो कैफे एपेटिटो या दूसरा कोई भी कैफे एफोर्ट नही कर सकते थे। पार्किंग के कोने में थोड़ी जडिया थी जहा हमे कुछ हलचल महसूस हुई। मेने वहा देखा तो एक लड़का लड़की लिपटे हुए थे। मेने पेहली बार लाइव स्केंडल देखा था। पर लोगो की मौजूदगी का एहसास होते ही वो लोग नो दो ग्यारह हो गए। लड़का दुबला पतला था और थोड़ा काला भी और लड़की को देखो तो कोई मॉडल से कम नही थी। उनकी उम्र उन्नीस या बिस की होगी। ये देख कर थोड़ा दुःख भी हुआ क्योंकि हमारा जनरेशन कुछ ज्यादा तेज़ी से गलत दिशा में आगे बढ़ रहा है और हम कुछ कर भी नही सकते।

"ऐसी लड़की ऐसे लड़के को सिलेक्ट कैसे कर सकती है?" उस लड़के की और देखते मेने आरती से कहा।

"लव इस ब्लाइंड" आरती ने कंधे उचकाते कहा।

"अब क्या करू?" मेरा दिमाग फिर से शिव में चला गया।

"मतलब?"

"मतलब शिव के बारे में क्या करू? कुछ समझ में नही आ रहा।" मेने इंस्टाग्राम में हमारी चेट दिखाई।

"उसे तुममे इंटरेस्ट तो है ही।" आरती ने चेट पड़ते हुए कहा। मेने हामी भरी।

"और तुम्हे?" उसने मेरी और देखते कहा।

"मुजे कुछ समझ में नही आ रहा।" मेने मोबाइल वापस लेते कहा।

"बेस्ट ऑप्सन एक ही है"

"क्या?"

"तुम उससे बात करती रहो। फिर जो होगा देख लेना।"

मेने सिर हिला कर फिरसे हामी भरी। और हम दोनों अपने अपने घर की और चल दिए।



अभी बिस दिन तक सूतक था। मतलब इस दिनों में कोई भी सुबह काम की सुरुआत नही करते इसी मान्यता की वजह से हमारे पास बिस दिन थे। जिसमे में अच्छा खासा वक्त लेकर सोच सकती हु। वरना घर पर जवाब मांग मांग कर सर पका देते।

अगले दो तीन दिन तक हमारे बीच लगातार चेटिंग होती रही । पर फिर भी मुजे ऐसी कोई फीलिंग नही थी की में उसे प्यार का नाम दे सकु। वो अच्छा लड़का था पर हम दोस्त की तरह ही बात कर रहे थे। में या उसने कभी सादी , प्यार या मिलने जैसी कोई बात नही की थी।


चौथे दिन सुबह नो बजे मेने शिव को गुड़ मोर्निंग का मेसेज किया। रोज शिव मेसेज की सुरुआत करता था पर इस बार मेने सुरुआत की जिससे मुजे ईगो है ये ना दिखे।
पंद्रह-बिस मिनिट बाद उसका मेसेज आया।

im_shiv09 : गुड़ मोर्निंग।
im_shiv09 : क्या कर रही हो?

prapti_207 : कुछ खास नही।

im_shiv09 : ओके, खाना खा लिया?

prapti_207 : हा, और तुमने?

im_shiv09 : हा बस अभी खतम किया।

prapti_207 : गुड

im_shiv09 : कैसा रहा आज का दिन?

prapti_207 : अच्छा था। पर कुछ खास भी नही था।

im_shiv09 : ओह।

prapti_207 : और तुम्हारा

im_shiv09 : जॉब पर तो रोज की तरह ही था। पर घर में सिर्फ तुम्हारी ही बात होती रही।

prapti_207 : मेरी बाते?

im_shiv09 : तुम्हारी तारीफ हुई और मेरा जबाव मांग रहे थे।

prapti_207 : मेरी तारीफ? 😳
prapti_207 : और तुमने क्या जवाब दिया?

im_shiv09 : हा। मम्मी पप्पा को तुम बोहोत पसंद आई हो। तुमने किचन जाके मोम की मदद की वो बात मोम ने हम सबको चार से ज्यादा बार सुनाई है।

वॉव, मतलब मेरा किचन में जाने का फैसला बिल्कुल सही था। मुजे अच्छा लग रहा था की आखिर किसीको तो में अच्छी लगती हु। पर में अपनी और तारीफ सुनना चाहती थी।

prapti_207 : थेँक्यु सो मच। आंटी ने और कुछ कहा था?

im_shiv09 : हा, तुम बोहोत खूबसूरत हो ये भी कहा था।

prapti_207 : थेँक्यु ☺️

वॉव, आखिर किसीको तो मेरी कदर हुई। मुजे किसीने खूबसूरत कहा जो में सायद हु ही। इस बात से मुजे बोहोत अच्छा लगा। में थेँक्यु सो सो सो मच कहना चाहती थी पर मेने ओवर रिएक्ट नही किया। इसके बजाय मेने एक स्माइली भेज दी। में कुछ बार पिले गोलू मोलू इमोजी को भी यूज़ कर लेती हु जिससे चेटिंग में इमोशन्स भी महसूस हो।

im_shiv09 : बाई द वे तुम उस दिन बोहोत अच्छी लग रही थी। 😅

वोह...एक और तारीफ!!! मेरी दिलकी धड़कने थोड़ी तेज़ हो गई। क्या बोलू इसका कोई जवाब मेरे पास नही था। मेने उस लास्ट मेसेज को दो बार पढ़ा। आखिरकार उसने खुद मेरी तारीफ की थी जो अक्सर इस तरीके से कोई नही करता था। हा इंस्टाग्राम और फेसबुक में काफी लड़को ने मेसेज करके इससे ज्यादा तारीफ की थी पर उनका इरादा कुछ और ही होता है जिसे हर कोई लड़की इग्नोर करती है।

prapti_207 : थेँक्यु वेरी मच। तुम भी अच्छे लग रहे थे।

im_shiv09 : ओह थेंक्स।

prapti_207 : वेलकम

im_shiv09 : एक बात कहनी थी।

इस मेसेज से मेरे दिमाग में काफी सारे सवाल पैदा हो गए। क्या उसकी कोई गर्लफ्रैंड है और उसके बारे में बताना चाहता है? या वो मुझसे पीछा छुड़ाना चाहता है? या वो कहेगा की उसकी कोई गर्लफ्रैंड है और वो मुजे रिजेक्ट कर देगा? मेने अपने दिमाग को काबू करके रिप्लाय किया? तभी उसका एक और मेसेज आया।

im_shiv09 : आई मीन पूछनी थी।

अब जाकर मुजे थोड़ी राहत मिली।

prapti_207 : क्या?

im_shiv09 : क्या हम नंबर एक्सचेंज करले?

मेने बिना सोचे अपना नंबर दे दिया। और बदले में उसने उसका नम्बर दे दिया। आखिरकार उसने मुजे ऑर्डर नही किया था की 'मुजे तुम्हारा दो' उसने पूछा था की 'क्या हम नंबर एक्सचेंज करले?' मतलब उसका इरादा गलत नही था।

im_shiv09 : तुम कहा पर हो?

prapti_207 : घर में ही हु। क्यू?

im_shiv09 : अपने कमरे में हो?

prapti_207 : नही लिविंग रूम में हु। पर हुआ क्या?

im_shiv09 : कुछ नही कोल पर बात करनी थी।

क्या उसने मुजे कोल पर बात करने को कहा? मेने दुबारा मेसेज पढ़ा। बात करते करते साढ़े दस बज चुके थे। मेरे घर में अब सोने के लिए अपने अपने कमरे में जा चुके थे। इतनी देर से चेट करके मेरा अंगूठा जवाब देने लगा था। जिससे कॉल पर बात करने का मन मेरा भी हो गया था पर ऐसे किसी लड़के के साथ बात करने में मुजे जिजक हो रही थी। फिर मेने रिप्लाय किया।

prapti_207 : पांच मिनट बाद कोल करना में अपने कमरे में जा रही हु। में मेसेज करूंगी।

im_shiv09 : ओके डन।

मे कुछ ही सेकंड में अपने कमरे में चली गई पर मुजे थोड़ी गभराहत हो रही थी। मेने पहले किसी लड़के से इतनी रात को और वो भी घर वालो से छुप कर बात नही की थी। मेने गहरी सांस ली और उसे कॉल करने को कह दिया। मेने अपना फोन पहले ही साइलेंट कर दिया था।

मेरा मोबाइल वाइब्रेट होने लगा और डिस्प्ले पर 'शिव' का नाम नजर आ रहा था। डिस्प्ले में बीच का बटन जो फैसला करता है की कोल उठाना है या काटना है उसी पर मेरा हाथ अटक गया। पाच लंबे सेकंड बाद मेने उस बटन की हरे कलर की ओर स्क्रॉल किया। और मोबाइल को मेरे कान की और ले गई।

"हेलो" वो शिव की आवाज़ थी। मेने कुछ जवाब नही दिया थोड़ी देर बाद फिरसे आवाज आई।

"हेलो?" उसकी आवाज़ थोड़ी गहरी थी।

"हेय" मेने कहा।

"बात करने में तुम्हे कोई प्रॉब्लम तो नही है ?" सायद उसने मेरी आवाज़ में छुपी गभराहत को भाप लिया था।

"नही कोई प्रॉब्लम नही है... बस थोड़ी नर्वस हु।" मेने धीमी आवाज़ में कहा ताकि मेरी आवाज़ मम्मी पप्पा या भाई की बेडरूम तक ना जाए।

"तुम्हारी आवाज़ ठीकसे नही आ रही" उसने कहा और मेने वही बात थोड़ी जोर से दोहराई।

"इसमे क्या नर्वस होना? में कोई बड़ी पोस्ट का अफसर थोड़ी हु?"

"नही पर मेने कभी इस तरह बात नही की। आई मीन घर वालो से छुपा कर।"

"ओह, तुमने कभी घर वालो से छुप कर किसी लड़के बात भी नही की? छुप कर किसी लड़के को मिली भी हो या नही?

"कभी नही"

"कभी क्लास बंक करके मूवी देखने या ऐसा कुछ नही किया आज तक?"

"नही"

"मतलब तुमने अभी तक जिंदगी के मजे नही लिए।"

उसकी बात सही थी मेने जिंदगी के मजे नही लिए थे। मेने ना कभी ज्यादा क्लास बंक किए थे और नाही कभी लेट नाइट आउट किया था और ना कभी उल्टा सीधा काम किया था। जिससे मुजे गर्व होता था की मेने अपने पेरेंट्स का सिर जुकने वाली कोई हरकत नही की थी पर ये भी सच है की इस चक्कर में मेने अपनी जिंदगी के मजे नही लिए थे। मुजे जलन होती थी जब कॉलेज में मेरी एक दोस्त बंक करके अपने बॉयफ्रेंड के साथ मूवी देखने जाती थी और में उनके घर जुठ कहती थी की वो मेरे घर पर पढ़ाई कर रही है।

'हा ऐसा ही है' में केहना चाहती थी।

"नही ऐसा कुछ नही है" मेने कहा

"नही तुमने ज़िन्दगी के मजे नही किए है। घर वालो से छुप कर कुछ काम करने के मजे ही अलग है।"

"पर अब तो कॉलेज भी खतम हो चुका है, अब कहा से बंक करू?"

"अपने घरसे"

"किसके साथ?"

"तुम्हे प्रॉब्लम ना हो तो.... मेरे साथ?" उसने मेरे साथ थोड़ी देर बाद कहा और उस पर ज्यादा जोर भी दिया था।

"में किसी के साथ भागना नही चाहती" मे हैरान थी की उसने सीधी ऐसी बात कह कैसे दी?

"में भागने की बात नही कर रहा हु.."

"तो?"मेने बीच में ही उसे रोक लिया।

"में मिलने की बात कर रहा हु" वो हँसने लगा।

"ओह, आम सोरी" मेने उससे कहा

बुध्धु, पागल, डफर मेने अपने आपसे कहा। में इतना भी समझ नहि सकी की उसने सिर्फ मुजे मिलने का ऑफर किया है भागने का नही।

"बड़ी जल्दी है तुम्हे भाग कर सादी करने की" उसने मेरा मजाक बनाना सुरु कर दिया।

"नही मुजे समझने में थोड़ी गलती हो गई थी"

"ओह, जब गलती की है तो सजा भी मिलेगी" उसने टोन में कहा।

"क्या, केसी सजा?" क्या मेने इतनी बड़ी गलती कर दी थी? वो जो भी हो पर शिव का बोलने का और बात करने का तरीका उसके बायो डेटा और पहली मीटिंग से काफी अलग था।

"सजा ये है की तुम कल मुजे मिलने आ रही हो। और वो भी घर में बिना बताये"

"क्या????" मेने जोर से कहा।

"हा, मे कल साम साढ़े पाँच बजे गैलेरिया मोल के मैकडोनाल्ड में तुम्हारा इंतज़ार करूंगा। वक्त पर पोहोच जाना।" उसने कहा

"लेकिन...."

"लेकिन वेकिन कुछ नही। अब सारे सवाल जवाब फेस टु फेस ही करेगे। कल मिलते है। गुड़ नाइट।" मेने गुड़ नाइट के रिप्लाय का रिप्लाय किया बाद में फोन कट हो गया। आज तक मेने सब पर रॉब जमाया था। पर आज पहली बार किसीने मुज पर रॉब जमाया था।


में गैलेरिया मोल के मैकडोनाल्ड के बाहर खड़ी थी। पर दरवाजा खोलने की हिम्मत नही जुटा पा रही थी। क्योंकि सायद अंदर शिव मेरा इंतज़ार कर रहा था और में उसे इस तरीके से मिलने के लिए मेन्टली तैयार नही थी। मेने रेड एन्ड वाइट टीशर्ट और ब्लेक कॉटन पेंट पहनी थी। मेने मोबाइल में सेल्फी ऑन की जिससे में अपने एक्टिवा पर आते वक्त बिखरे बालो को सेट कर सकु। मेरी एक लट आंखों तक आ रही थी जिसे मेने दाहिने कान की पीछे सेट किया।

"वो लट अच्छी लग रही थी।" पीछे से एक जानी पहचानी आवाज़ आई। मेने पूछे मुड़कर देखा। वहां शिव था। उसने ग्रे टीशर्ट और जीन्स पेहनी थी।

"ओह, हेय" मेने उससे हाथ मिलाया। उसका हाथ थोड़ा ठंडा था।

"मुजे नही लग रहा था की तुम आओगी।" उसने कहा

"फिर भी में आ गई।" मेने स्माइल के साथ कहा। हालांकि मुजे डर लग रहा थी मुजे कोई यहा देख ना ले।

"फाइव थर्टी सेवन। ऑन टाइम। ग्रेट" उसने अपनी घड़ी दिखाते कहा।

"हा। मुजे लगा तुम अंदर होंगे।"

"नही में बहार ही इंतज़ार कर रहा था।" उसने दरवाजा खोलते कहा।

उसने मुजे अंदर जाने का इसरा किया।

'उसने दरवाजा मेरे लिए खोला था मतलब बंदा जेंटलमैन है।' मेने खुद से कह।

मैकडोनाल्ड में कपल ज्यादा नजर आ रहे थे। मतलब अगर आप यहां किसी लड़के के साथ आते हो और कोई आपका जान पहचान वाला आपको देख ले तो सीधा लवर गोसित किया जाएगा। मे दुवा कर रही की अंदर कोई जान पहचान वाला न हो। यह वही लोग आते थे जिसे ज्यादा वक्त बिताना हो।

"हेय प्राप्ति" साइड से आवाज आई।

मेरी अचानक रूह कांप गई। मेने पीछे मुड़कर देखा। वहा शिवानी थी। जो मेरी स्कूल टाइम की दोस्त थी। पाचवी क्लास से आठवी तक हम एक ही बेंच पर बैठते थे। और कॉलेज भी एक ही था पर उसकी फील्ड अलग थी। फिर भी हमारा थोड़ा मिलना जुलना रहता ही था। उसके तीन और लडकिया थी। एक पल को में उसे देख कर खुश हो गईथी पर शिव साथ में था उस बात से गभरा भी गई थी।

"ओह, शिवानी तुम यहा।" मेने कहा।

"तुम किसके साथ आई हो?" उसने पूछा। मेने बिना कुछ कहे शिव की और देखा। और वो समझ गई। पर वो वो समझ गई थी जो था ही नही। मेने उसे जल्दी से बाय कह दिया जिससे वो और सवाल ना पूछे।

शिव कोई टेबल चुने उससे पहले मेने सबसे कोने में दो चेर और टेबल थी वहा जा कर बेथ गई जिससे हमे कोई जल्दी से देख न पाए। शिव ने काउंटर पर जाके दो बर्गर, एक फ्रेंच फ्राइस और दो कोक ले आया।

"तुम इतना डरती क्यो हो?" उसने फ्रेंचफ्राइस सॉस में डुबोते हुए पूछा।

"में डरती हु?" मेने भी फ्रेंच फ्राइस उठाई।

"हा तुम्हारी दोस्त को देखकर तुम्हारा चेहरा पिला पड़ गया था।" वो मेरा मजाक बना कर हँसने लगा।

"तुम्हे डर नही लगता? अगर कोई हमे साथ में देख लेता है तो घर पर पता चल जाएगा।" मेने थोड़ा जोर देकर कहा।

"तुम अपने बॉयफ्रेंड से ऐसेही मिलती थी?"

"कोंन में?"

"हा तुम। और तीसरा है कोई यहां पर?"

"किसने कहा मेरा बॉयफ्रेंड था?"

"किसीने नहिं बस ऐसेही ही कहा। आजकल सबके एक्स होते है। मेने सोचा तुम्हारा भी होंगा।"

"नो आम फोरेवर सिंगल। बाई द वे। तुम्हारी.. कोई...गर्लफ्रैंड?"

"हा.. थी...पर एक साल पेहले ही ब्रेकअप हो गया" उसकी ये बात मुजे अच्छी नही लगी। सायद ये यूज़ एन्ड थ्रो वाला लड़का तो नही है? वैसे भी उसने मुजे बोहोत जल्दी मिलने बुला लिया था मतलब ये लड़का सीधा तो नही हो सकता। में उसे संदेह की नज़रो से देख रही थी।

'तुमने उसे यूज़ किया और काम खतम होने पर उससे ब्रेकअप कर लिया' मेरा सकी दिमाग थोड़ा आक्रामक हो रहा था।

"ब्रेकअप क्यों हुआ?" मेंने पूछा।

"वही.. मिसअन्दरस्टेंडिंग" वो मुझसे नजरे चुराकर बात कर रहा था

हमारी साइड में एक कपल सेल्फी ले रहे थे। हम दोनों ने उनकी और देखा। फिर उसने मेरी और देखा।

"सेल्फ़ी?" उसने पूछा। मेरा दिमाग उसकी एक्स गर्लफ्रैंड की बातों में ही उलजा हुआ था। और वो मेरे साथ सेल्फी लेने की बात कर रहा था। एक पल पहले उसके एक्स से सीधा मेरे साथ सेल्फी? लड़के टॉपिक्स को कितनी आसानी से बदल लेते है।

"कुछ जल्दबाजी नही हो रही?" में उसे टॉपिक पर रखना चाहती थी।

"तुम्हे ऐसा लग रहा हो तो....अगली बार ले लेंगे?" उसने अपने शब्दो को मोड़ते हुए कहा।

"अगली बार?"

"हा ऐसा हो तो अगली बार मूवी या दूसरा कोई प्लान करेंगे।"

उसने अगली बार के लिए मूवी और सेल्फी का प्लान भी बना दिया? ये कुछ ज्यादा ही फ़ास्ट जा रहा है। दाल में कुछ काला तो है ही। जिस रफ्तार से ये जा रहा है उस तरह से ये दो दिन में कोई गलत डिमांड भी कर सकता है। मेरा डिटेक्टिव दिमाग अब दौड़ने लगा था। में सायद गलत लड़के के साथ हु ऐसा मुजे लगने लगा था। मुजे थोड़ा गुस्सा आने लगा था। मुजे कोई यूज कर रहा है ऐसा मुजे लगने लगा था। और में किसीको अपना यूज़ नही करने दूंगी। में अभीभी उसे संदेह की नज़रो से देख रही थी।

"तुम मुजे ऐसे क्यों देख रही हो?" उसकी नजर मुज पर पड़ी।

"कहि तुम मुजे फसाने की कोसीस तो नही कर रहे हो?" मेने सीधा पूछ लिया।

"क्या? तुम्हे ऐसा लगता है? आम सोरी मेने कुछ गलत कह दिया हो तो...."

"तुम बोहोत फ़ास्ट हो..."

"फ़ास्ट? मतलब?" वो अनजान बन रहा था जैसे उसे कुछ पता ही ना हो।

"तुम अपनी एक्स गर्लफ्रैंड की बात को टाल रहे हो। मुजे पूछे बिना अगली बार मीटिंग और सेल्फी का प्लान भी बना लिया? आई मीन तुम कहा से कहा जा रहे हो?"

"मेने प्लान नही बनाया है। मैने तो बस ऐसे ही बोल दिया। और में एक्स गर्लफ्रैंड की बात कर के मेरा मुड़ खराब नही करना चाहता। आई मीन हमारा" वो अपने आपको बचाने की कोसीस कर रहा था।

"तुम बात को गुमा रहे हो" उसे पता नही था उसका पाला किससे पड़ा है। में किसीके हाथ में ऐसे नही आने वाली।

आधी मिनिट तक खामोशी छाई रही। में उसका जवाब सुनना चाहती थी। और वो कुछ सोच रहा था। उसने मेरी और देखा और चुप्पी तोड़ी।

"अगर तुम्हे ऐसा लगता है तो हम बात को यही खतम कर सकते है।"

क्या उसने ब्रेकअप कर लिया? आइ मिन उसने मुजे रिजेक्ट कर दिया? मेरा सक गलत तो नही था? मेने जल्दबाजी में कुछ ज्यादा ही बोल दिया ऐसा मुजे लगा। चाहे वो गलत भी हो पर मुजे उससे ऐसे बात नही करनी चाहिए थी ऐसा मुजे एहसास हुआ।

"मेरा वो मतलब नही था। पर..." पर के आगे क्या बोलू मुजे पता ही नही था।

"पर..." उसने दोहराया

में चुप रही। मेरे पास कोई जवाब नही था। वो भी कुछ नही बोला। इसने बर्गर उठाया और उसकी एक बड़ी बाइट ली। मेने कोक पीना सुरु कर दिया। हम दोनों बिना कुछ बात किये बस खाये जा रहे थे। दस मिनिट बाद हमारी प्लेट खाली हो गई।

"और कुछ??" उसने पूछा। मेने नजरे मिलाये बिना सिर हिला कर मना कर दिया।

हम दोनों हेंड वोस करने चले गए। उसने हाथ धोने के बाद अपने हैंकि से हाथ पोछ लिए पर मेरे पास हैंकि नही था। उसने बिना बोले अपना हैंकि मुजे दे दिया और मेने हाथ पोछ कर उसे वापस दे दिया।

"थेंक्स" मेने कहा। उसने बस हामी भरी। हम मैकडोनाल्ड बाहर आ चुके थे।

"कितना हुआ?" मेने पर्स खोलते हुए कहा।

"इनवाइट मेने किया था तो ट्रीट भी मेरी तरफ से मान लो।" उसने छोटी सी स्माइल के साथ कहा। सायद उसे मेरी बात का बुरा लगा होगा। क्योकि को मुजे लेकर एक्साइटेड था और मेने उसे टोंट में प्लेयबोय बोल दिया था। में कोई साइकोलॉजीस्ट तो नही हु पर उसकी स्माइल कि पीछे का ऑफ मुड़ में साफ साफ देख सकती थी।

"सात बाइस हो गई है। तुम्हे देर हो रही होंगी।" उसने कहा।

"ओह हा।बाय" मेने ना सोरी कहा ना थेँक्यु बस बेवकूफ की तरह वहा से चलने लगी। सायद हम पहली और आखिरी बार मिल रहे थे। सायद हमारा मिलना यही तक था। बस एक लंच तक। ये कोई प्यार मोहब्बत नही था। ना ही गहरी दोस्ती। ना हम एक दूसरे को अच्छे से जानते थे। पर फिर भी मुजे बुरा लग रहा था। पता नही क्यों बस बुरा लग रहा था।

"प्राप्ति..." शिव ने आवाज लगाई। मेने पूछे मुड़कर देखा।

"तुम कैसे आई हो?" उसने पूछा।

"एक्टिवा ले कर। क्यों?"

"कुछ नही अगर ऑटो से आई होती तो ड्रॉप कर देता।"

"नो थेंक्स में चली जाऊंगी।"

"ओके नो प्रॉब्लम। घर पोहोच जाओ तो मेसेज कर देना ।बाय" उसने कहा और हाथ हिलाजर बाय करके वो मुड़कर चलने लगा। में कुछ पल वही पर खड़ी रही। मुजे अभी उसे मेसेज करना था मतलब बात यहां पर खतम नही हुई थी। पर उसकी ये बात मेरे अंदर लग गई। जिसे मेने प्लेबॉय कहा आखिर उसे मेरी परवाह थी।



"कहि तुम मुजे फसाने की कोसीस तो नही कर रहे हो?"

"घर पोहोच जाओ तो मेसेज कर देना"

एक्टिवा पर जाते वक्त इस दो बातो को मेने सो से ज्यादा बार दिमाग में गुमाया था। आखिर मेरी आंखे भर आई। उससे आंसू बाहर तो नही आये पर मेने किसी को गलत कहा और फिर भी उसने इस बात को इग्नोर करके मेरी परवाह की इस बात का मुजे बुरा लग रहा था। आजतक आरती ने मुजे कहि बार बेवकूफ, डफर, बेपरवाह कहा था पर मुजे कुछ नही हुआ। पर शिव की शिर्फ़ खामोशी मुजे चुभ रही थी। क्यू? ये पता नही।

घर पोहच कर मे घर के अंदर जाऊ इससे पहले मेने शिव को मेसेज किया की में घर पोहोच गई हु।

मैकडोनाल्ड में बर्गर, कोक और फेंचफ्राइस खाने के बाद मुजे ज्यादा भूख नही थी। और जो थी वो ऑफ मुड़ से मिट चुकी थी। आधे घंटे बाद उसका मेसेज आया। मेने तूरंत मेसेज देख लिया।

im_shiv09 : ओके

prapti_207 : और तुम पोहोच गए?

वो ऑनलाइन था फिर भी सात मिनिट बाद उसका मेसेज आया।

im_shiv09 : हा

prapti_207 : डिनर हो गया?

उसने दस मिनट तक मेसेज नही देखा। मुजे ये बात चुभ रही थी की वो मुजे देर से रिप्लाय कर रहा था। मेने फिर मेसेज किया।

prapti_207 : आई एम सोरी। मेने बेवजह तुम पर सक किया।

उसने तुरंत मेसेज पढ़ लिया। और टाइपिंग का।सिम्बोल आ गया।

im_shiv09 : इट्स ओके।

prapti_207 : क्या कर रहे हो?

उसने रात साढ़े दस बजे तक मेसेज नही पढ़ा। मुजे ये दो घण्टे दो दिन जैसे लग रहे थे। ग्यारह बजे मुजे नींद आने लगी फिर भी उसका कोई रिप्लाय नही आया। में कब सो गई मुजे पता ही नही चला।

सुभह मेरी नींद खुली तो मेरा मोबाइल हाथ में ही था। मेने तुरंत इंस्टाग्राम खोला पर उसमे एक मेसेज था। मेने ओपन किया तो वो आरती का था। जिसमे उसने किसी मीम को फॉरवर्ड किया था। मेने शिव का कन्वर्सेशन खोला। मेरा मेसेज अभी भी रीड नही हुआ था। मेने फिर गुड़ मोर्निंग का मेसेज किया।

बारह बजकर सात मिनिट पर उसका रिप्लाय आया। जिसमे रूखा सूखा 'जीएम' लिखा था।

prapti_207 : क्या इसे में ना समज लू?

मेने उससे सीधा जवाब मांग लिया। और मुजे पता था की वो मुजे ना ही कहेगा। वैसे भी मेरे जैसी नेरो माइंड लड़की के साथ कोई हा नही कहेगा। में अपने आपको छोटा मानने लगी थी।

दो मिनट बाद ही उसका मेसेज आया।

im_shiv09 : तुम्हारी यही प्रॉब्लम है।

prapti_207 : क्या प्रॉब्लम?

उसने दस मिनिट तक मेसेज नही पढा

मेने बिना कुछ सोचे समजे शिव को फोन लगाया। आठवी रिंग के बाद उसने मेरा फोन उठाया।

"हेलो?"

"साम साढ़े पाँच बजे गैलेरिया मोल के मैकडोनाल्ड में मै तुम्हारा इंतज़ार करूंगी। वक्त पर पोहोच जाना।" वो कुछ कहे उससे पहले मेने फोन कट कर दिया।



मेने ये क्यों कहा। वहां पर जा कर क्या बात करूंगी। क्या कहूंगी। मुजे ये कुछ पता नही था। वो आएगा भी नही ये भी नही पता था।

साम पाच बजे में मैकडोनाल्ड गई। वही पर जहा हम कल मिले थे। शिव वहा बाहर ही अपने बाल ठीक कर रहा था। उसने रेड चेक्स शर्ट और ब्लेक फॉर्मल पेन्ट पेहेना था। उसका ध्यान अंदर की और था। वो दाहिने हाथ से बिखरे बाल ऊपर किर रहा था।

"बिखरे हुए बाल भी अच्छे लग रहे थे।" मेने कहा।

"ओह, हेय" उसने स्माइल कर के कहा। उसने पहले हाथ आगे किया औए हमने हाथ मिलाया। वो कल की तरह ही थोड़ा ठंडा था। उसे देखकर ये नही लग रहा था की उसे मेरी किसी बात का बुरा लगा हो। उसकी स्माइल भी रियल थी।

"मुजे नही लग रहा था की तुम आओगे।" मेने कहा

"फिर भी में आ गया।" उसने स्माइल के साथ कहा।

"अंदर चले?" मेने पूछा

"क्यो नही?" उसने दरवाजा खोला और मुजे पहले अंदर जाने का इसरा किया।

अंदर कल की तरह ही आधे से ज्यादा टेबल्स खाली थे। आज भी ज्यादातर कपल्स ही दिख रहे थे। वहां कोने ने मैकडोनाल्ड वालो ने अलग से काच का रूम बनाया था। जिसमे चार पाच सोफे रखे थे। और उस रूम को सफेद और लाल रंग के बलून्स से सजाया था। बहार एक लाल गुलाब का बुके भी था। एक बड़ी सी स्पीकर की सिस्टम भी थी। जहा दो लोग "अभी तो पार्टी सुरु हुई है" गाने से स्पीकर का टेस्टिंग कर रहे थे।

हमारी कल की जगह पर एक कपल बैठा था। जहा लड़की लड़के को फ्रेंचफ्राइस खिला रही थी। बीच में रखे दो चेर वाले टेबल पर मेने अपना पर्स रख दिया।

"हम यहा बैठेंगे?" शिव ने पूछा।

"हा। क्यो?" में बेठ गई।

"यहा हमे कोई भी देख लेगा।" वो थोड़ा हकला रहा था।

"तुम्हे डर लग रहा है?"

"मुजे नही तुम्हे कल डर लग रहा था।" उसने कहा।

'ओह हा मुजे डर नही लग रहा। इस बात पर मेने ध्यान ही नही दिया। पता नही क्यो पर आज कोई डर नही लग रहा था। जिसे देखना हो देख ले। जिसे जो कहना हो कह दे। में यह से नही हिलने वाली।' मेने अपने आपसे कहा।

"नो आई एम फाइन" मेने भी स्माइल की

"तुम क्या लोगी? फ्रेंचफ्राइस या बर्गर? या कुछ और?"

"फ्रेंचफ्राइस"

"कोक?"

"नही सिर्फ फ्रेंचफ्राइस"

उसे देखकर कहि से भी ये नही लग रहा था की कल वो मुजे इग्नोर कर रहा था। वो सायद बिजी हो इसी लिए लेट रिप्लाय किया हो। या फिर किसी काम में उलजा हो या फिर किसी और बात से परेसान हो ये भी हो सकता है। सीधा सक करना सायद ज्यादा प्रॉब्लम दे सकता है। इसीलिए नॉर्मल रिएक्ट करना ही अच्छा रहेगा।

प्लेट रखने की आवाज से में अपने खयालो से बाहर आ गई। शिव ने अपने लिए बर्गर और कोक लिया था। और मेरी फ्रेंचफ्राइस भी थी। वो बैठ गया और मेरी फ्रेंचफ्राइस की प्लेट मुजे दी। में नीचे की और देख रही थी। उसने बर्गर खाना सुरु किया पर मेने अभी तक अपनी प्लेट को हाथ तक नही लगाया था।

"क्या हुआ?" उसने पूछा।

"तुम मुजे इग्नोर कर रहे थे?" मेने पूछ लिया।

"तुम्हारी सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही है।"

"कैसी प्रॉब्लम? तुमने कल भी यही कहा था पर तुमने कोई जवाब नही दिया था।"

"तुम अपने दिमाग में कुछ भी सोच लेती हो। और सीधा सक सामने वाले पर करती हो। कल तुम कह रही थी की में तुम्हे फसाने की कोसीस कर रहा हु। सच कहु तो मुजे तुम्हे मिलना अच्छा लगा इसी लिए मेने सेल्फ़ी और मूवी की बात की थी। बात रही मेरी एक्स की तो ये देखो स्क्रीन सोट"

उसने एक मिनिट तक मोबाइल में कुछ ढूंढने के बाद मुजे उसकी गर्लफ्रैंड के साथ हुए चेट दिखाये। जिसमे वो सादी के बाद शिव के मम्मी पप्पा से अलग रहने की बात को ले कर बेहेस चल रही थी। मेने ज्यादा नही पढ़ा पर मुजे मामला समझ में आ गया। मेने मोबाइल उसे वापस दे दिया। पर मेने कुछ नही कहा।

"और तुम कह रही थी की में इसे ना समाज लू?" उसकी आवाज तेज थी।

"तुम मुजे इग्नोर कर रहे थे इसी लिए मुजे ऐस लगा।"

"मेने तुम्हे कभी इग्नोर नही किया। ऑफिस में कल ऑडिट है और काम सबको घर पर भी दिया हुआ है। सारे डॉक्यूमेंट कम्प्लीट करने है। कल में रात सड़े ग्यारह बजे घर आया था। ऑफिस में पूरे वक्त बोस मेरे सामने थे। इसीलिए तुम्हार मेसेज भी नही पढ़ सकता था। इवन जो मेसेज के रिप्लाय किए थे वो भी मेने वॉशरूम जाने का बहाना बना कर किये थे। और तुम कह रही हो की में तुम्हे इग्नोर कर रहा हु? मुजे तुम्हें इग्नोर करना ही होता तो में यहा आता ही क्यो? अभी भी काम बाकी है फिर भी में यहा पर आया हु सिर्फ तुम्हारी वजह से। इससे ज्यादा में क्या कर सकता हु?"

मेरा दिमाग सुन हो चुका था। कुछ पल बाद मुजे अपनी कुछ गलतियो का एहसास हुआ। मेरी आँखे भर आई थी पर में जैसेतैसे अपने जज़्बातों को काबू करने की कोसिस कर रही थी।

मेने नजरे उसकी और की पर चार पाच सेकंड तक कुछ नही कहा। बस देख रही थी।

"आम सोरी... जो भी हुआ। आई मीन मेने जो किया।" मेने फिर नजरे नीचे कर ली।

"गलती मेरी भी है। में एक्साइटमेंट में कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी कर रहा था।" उसने कहा।

"नही। तुम्हारी गलती नही है। में तुम्हे जज करने में जल्दबाजी कर रही थी।"

एक मिनट तक हम दोनों चुप रहे।

"भूल जाओ जो भी हुआ उसे अब बदल नही सकते।" उसने चुप्पी तोड़ी।

में अभीभी अपसेट थी। में उसी तरह बैठी रही। बिना कुछ बोले।

"कुछ खालो अच्छा लगेगा।" उसने कहा। पर में वैसी ही बैठी रही।

में वैसे ही बैठी रही तभी उसने मेरा टेबल पे रखा हाथ पकड़ लिया। मेने अपने हाथों से पकड़ थोड़ी मजबूत की। जब उसने मेरा हाथ पकड़ा मेरी धड़कन तेज़ हो गई। पूरे शरीर में खून की रफ्तार थोड़ी तेज़ होती महसूस हो रही थी। मुजे लगा में उसकी बेइज्जती कर रही हु। पर में कुछ नही बोली। और ना वो कुछ बोल रहा था। उसने भी मेरा हाथ पकड़े रखा। और हम दोनों ने एक दूसरे की और देखा। कुछ पल बाद पास में लोगो की मौजूदगी का एहसास होते ही मेने हाथ खिंच लिया। वो भी अचानक होस में आ गया। और फिरसे खामोसी छा गई। हम बात करने आये थे पर बात सायद आवाज़ से नही खामोसी से हो रही थी। लब्ज़ कम थे पर पल पल एहसास जरूर हो रहा था। खामोशी भी इतनी अच्छी होती है ये आज पता चला। लम्बे दो मिनिट बाद मेने कहा।

"में नेरो माइंडेड हु?"

"क्या?" उसने पूछा

"में नेरो माइंडेड हु?" मेने फिरसे दोहराया।

"नही। बस तुम दुसरो को जज करने में ज्यादा जल्दबाजी करती हो। और सायद तुम किसी पर भरोसा नही करती।"

"पता नही में ऐसी क्यों हु?" मुझे गिल्ट फील हो रही थी।

"जैसी भी हो अच्छी हो। बस दिमाग के कुछ जंग लगी पुरानी सोच को हटाने की जरूरत है। और कुछ नये पुर्जे लगाने की भी जरूरत है"

"जंग लगी सोच मतलब?"

"जल्दबाजी में लोगो को जज करना टालना होगा।"

"और कोनसा नया पुर्जा डालना है?"

"तुम्हारी जिंदगी में लाइफ पार्टनर डालनेकी जरूरत है।"

"लाइफ पार्टनर? उससे क्या होगा?"

"हर इंसान को लाइफ पार्टनर की जरूरत होती है। जिससे साथ हम सबकुछ बाट सके। तकलीफ, प्यार, खुशी, दुःख। सबकुछ। चाहे जिंदगी में कुछ भी बुरा हो जाए।पर एक वजह रहती है खुश रहने की। खुद दुखी हो जाए पर पार्टनर को दुख ना हो इस वजह से खुद को भी खुस रखना पड़ता है। जो बात पूरी दुनिया से नही कह सकते वो उसे कह सकते है। पूरी दुनिया साथ हो ना हो वो हमेशा साथ रहता है। कोई और भरोसा करे ना करे वो हमेसा करता है। मतलब वो इंसान जो जिंदगी भर साथ रहेगा हर हालात में।उसके साथ लड़ेंगे भी। गुस्सा भी करेंगे। कुछ दिन तक सायद बात नही करेंगे पर कभी हमारा हाथ नही छोड़ेंगे। एकदूसरे को मना ही लेंगे।"

"और छोड़ दिया तो?"

"अपनी और से सब कुछ दो और फिर भी वो तुम्हारा हाथ छोड़ दे तो बदकिस्मती उसकी है जिसने उसे छोड़ दिया जो उसका सब कुछ छोड़ने को तैयार था। "

"पर तकलीफ तो हमे ही होंगी ना?"

"हे भगवान। तुम सिंगल ही मरो। में चला दूसरी कोई लड़की देखने।" वो खड़ा हो कर चलने लगा। में कुछ ज्यादा ही सवाल करती हु। आखिर में ऐसा बार बार क्यो करती हु? मेने अपने आप पर गुस्सा जताने लगी।

बर्थड़े की ग्लास रूम के बाहर बर्थडे का कुछ सामान पड़ा हुआ था। मेंने उससे एक गुलाब निकाल लिया। शिव बाहर निकले उससे पहले मेने उसे आवाज लगाई। उसने पीछे मुड़कर देखा। मेने शिव को इतनी जोर से आवाज़ लगाई थी की मैकडोनाल्ड में बैठे सभी लोग मेरी और देखने लगे।

"अब क्या है?" उसने फिक्केपन के साथ कहा।

में अपने घुटनो पर बैठ गईं। और गुलाब उसकी और किया।

"क्या तुम जिंदगी भर मेरी ऐसी बकबक को जेल सकोगे?"

उसके चेहरे का रंग उड़ चुका था। उसका मुह खुला का खुला ही था।

"क्या कर रही हो प्राप्ति लोग देख रहे है।"

"देखने दो"

"बाहर चल कर बात करते है।" उसने लोगो की और देखते हुए कहा।

"नही अभी यही पर जवाब चाहिए" उसकी और ही देख रही थी। गुलाब अभी भी उसकी और था।

"फिर जल्दबाजी?" उसने हैरान चेहरे से कहा।

"जल्दी जवाब दो शिव मेरे घुटने दर्द हो रहे है।" मुजे शिव पर गुस्सा आने लगा था। दो मिनिट पहले जो लाइफ पार्टनर की बाते समजा रहा था अभी वो डर रहा है?

वो इधर उधर देख रहा था। सायद वो ये समझने की कोसीस कर रहा था की ये सच में हो रहा है?

"एक बार और सोच लो। वैसे भी कोनसी लड़की तुम्हे ऐसे सबके सामने घुटनो पर बैठ कर गुलाब देकर प्रोपोज़ करेंगी?"

"चेलेंज दे रही हो?"

"अब ये गुलाब लेना हो तो लो। ज्यादा नाटक मत करो। वैसेभी दो मिनट पेहले तुम्हिने कहा था की कुछ भी हो जाए पर एकदूसरे को मना लेंगे।" मेने प्यार से कहा।

उसके चेहरे के हावभाव बदल गए। हैरान चेहरे ने आखिर हस दिया। उसने एक हाथ से गुलाब ले लिया और दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ कर जोर से अपनी और खिंच लिया। में कुछ बोलू या सोचु उससे पहले उसने उसने मुजे हग कर लिया। मेने भी उस हग को मजबूत कर लिया। मैकडोनाल्ड में खड़े लोग तालिया बजा रहे थे। और कुछ लोग चिल्ला कर हमे अभिनंदन देने लगे।