Hatho me apne gulal rakhna books and stories free download online pdf in Hindi

हाथों में अपने गुलाल रखना

वाट्सएप पर मैसैस आते ही प्रियम के चेहरे पर बारिश की पहली बूँद जैसी मुस्कान आ गयी थी ....

प्रिया का मैसेस था ...

" हम आयेगें इन्तजार करना
हाथों में अपने गुलाल रखना "

प्रियम ने भी मुस्कुरा कर जल्दी से रिप्लाई किया ..।

" अरे आप आये तो पहले जल्दी से हमारी शरीकेहयात जी ....हम यहाँ पलके बिछायें आपका इन्तजार कर रहें है ।"

" एक तो यह आपका नेटवर्क ...फोन पर बात हीं नहीं हो रही है । पता है हमें की ट्रेन दो घन्टे लेट है पर हम अभी से स्टेशन आ गये है ,जानता हूँ मैं आप मुझे पागल कहेगीं ,,

पर जिसकी इतनी प्यारी बीबी हो उसका पागल होना तो बनता है ना ,,और यहाँ आकर आपसे दूरी का एहसास ज्यादा तो नहीं पर कुछ कम जरूर हो गया है ,,,वेटिंग फॉर यू माई लव प्लीज कम सून "

वाट्सएप करके प्रियम यादों की गलियों में भटक गया था ..।

जब मम्मा ने बोला था की आज ऑफिस से जल्दी आ जाना और वो हमेशा की तरह टालमटोल में लग गया था पर इस बार मम्मा के सामने उसकी एक ना चली थी और वो जल्दी आने का वादा कर बैठा था।।

ऑफिस में हॉफडे के नाम पर बॉस से लेकर साथियों तक ने झेड़ना शुरू कर दिया था ..

" क्या बात है प्रियम बाबू लगता है जल्दी ही हमें आपकी शादी की बिरयानी खाने को मिलने वाली है ..."

और इधर प्रियम का दिमाग बहुत तेजी से चल रहा था की वो कैसे इस बिन बुलाई आफत से निपटेगा पता नहीं मम्मा कब समझेगी की मुझे अभी एक मुकाम तक जाना है ...

खैर जब आप वक्त से जरा धीरे गुजरने की गुजारिश करती है तो वो कुछ ज्यादा ही तेज चल देता है ...

और प्रियम को भी मन मार कर अपने घरोंदे की तरफ वापस जाना ही पड़ा जहाँ मम्मा बेसब्री से उसका इन्तजार कर रही थी ...

घर में कदम रखते ही उसका फूला हुआ मुँह देखकर मम्मा खिलखिला पड़ी थी ...और इस बात पर वो बिफर गया था ...

" मम्मा आपको बहुत मजा आ रहा है ना ,,,आप देखना मैं उस लड़की के सामने आपके बेटे की इतनी बुराई करूँगी वो खुद मुझसे शादी से इनकार कर देगीं ..."

" नहीं बेटा जी आप ऐसा कुछ नहीं करेंगे ..."

" नहीं मम्मा जी हम ऐसा ही करेंगे आखिर आपके बेटे है तो आपसे कम जिद्दी कैसे होगें ..."

इन दोनों की नोंकझोंक पर मुस्कुराते हुए पापाजी आखिर बोल ही पड़े ..

" जिसको जो करना है कर लेना पर अभी फिलहाल घर से चलिए वहाँ सब हमारा इन्तजार कर रहें होगें।"

और फिर प्रियम चल दिया था मम्मा पापा के साथ यह सोच कर की चाहे जो हो जाये हाँ करके नहीं आयगा ...

लड़की वालों के घर उनका बहुत गर्मजोशी से स्वागत हुआ था पर प्रियम का मूड पल दर पल और खराब होता जा रहा था ..

कुछ पल इधर उधर की बातों में गुजर गये तभी ऐसा लगा था जैसे किसी से सितार के तारों को झनझना दिया ,,,वो पीला आंचल प्रियम की निगाहों में अटक गया था ...

आने वाली के चेहरे पर भी प्रियम जैसी ही बेजारी थी लगता था उसे भी ब्लैकमेल करके ही कमरे में बुलाया गया है ....

तभी एक आवाज आयी .."

" प्रिया बेटा आप प्रियम को अपना नया आर्ट वर्क दिखा कर लाये ना तब तक हम सब बातें कर लेते है ..."

और प्रिया भी झट से आज्ञाकारी बेटी की तरह सर हिला गयी थी ...

दोनों के तन्हा होते ही प्रिया बोल उठी ,,

" प्लीज आप इस शादी से इनकार कर दिजियेगा मैं आगे की पढ़ाई के लिए बेल्जियम जाना चाहती हूँ और मम्मी पापा मुझे ससुराल भेजने की जिद पर अड़े है अब शादी के बाद भी पढ़ाई होती है क्या ..."

और प्रियम जो सुबह से मना करने के जाने कितने बहाने सोच कर आया था वो बोला भी तो क्या ...

" अरे किसने कहा शादी के बाद पढ़ाई नहीं हो सकती मैं खुद आपकी बेल्जियम की टिकट करा दूँगा पर आप मुझे मना करने को ना कहें ..."

और प्रियम के चेहरे पर बिखरे शरारात के रंग देख प्रिया के चेहरे पर भी धनक मुस्कान बिखर गयी और वो शरमा कर वहाँ से चली गयी ...।

दोनों सुबह से जुगाड़ लगा रहे थे इस शादी से बचने के लिए और अब दोनों बहुत फरमाबरदार बच्चे बन कर अपने मम्मी पापा से बोले थे ..

" आप सब की खुशी ही हमारी खुशी है ..।"

और फिर दोनों तरफ तो जैसे हथेली पर सरसों जमाई गयी थी ..

घर वाले उनकी आने वाली जिन्दगी की तैयारी में लग गये और वो आने वाले कल के सपने बुनने में ....

प्रियम कालिंग हो और प्रिया के चेहरे पर मुस्कान ना आये ऐसा भला कब होता है ..

फोन लेते ही प्रियम गुस्से से बोला ...

" मुझ से बड़ा गधा कौन होगा इस दुनिया में .."

प्रियम की बात पर प्रिया परेशान होकर बोली ..

" क्या हुआ है प्रियम बताओ तो सही ..."

" क्या हुआ है कुछ नहीं बस मुझे अपने फैसले पर अफसोस हो रहा है ..."

प्रिया के चारों तरफ जैसे ज्वालामुखी दहक गये थे पर फिर भी वो खुद को नार्मल रखते हुए बोली ...

" किस फैसले पर प्रियम ??शादी की रजामंदी तो हमनें अपनी खुशी से दी थी ना "

" हाँ तो इसी बात का तो रोना है ना .."

" प्रियम जल्दी बोलो बात क्या है नहीं तो मुझे भी गुस्सा आ जायेगा..."

" अरे क्या जल्दी बोलूँ मम्मा मुझे कितने समय से मना रही थी और मैं अपने टशन में मना कर रहा था ।कितना फीका फीका गुजर गया था वेलेंटाइन डे काश मैं मम्मा की बात पहले मान लेता .."

प्रियम की बात पर प्रिया की आँखो में हँसते हँसते आँसू आ गये थे और वो झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोली ,

"तुम सच में पागल हो प्रियम पता है मैं कितना डर गयी थी अच्छा सुनों ...

आप लेट हो गये प्रियम बाबू..... वेलेंटाइन तो आकर गुजर गया .।।"

" ना जी ना कोई लेट वेट नहीं मैं प्रियम सरीन यह ऐलान करता हूँ की प्रिया और प्रियम के लिए वेलेंटाइन 27 फरवरी को मनाया जायेगा ...जल्दी ही सारी तैयारी पूरी की जाये क्योंकि हमारे पास सिर्फ 8 घन्टे ही बाकी है ..."

और इस बात पर दोनों का कहकहा फिजा में बिखर गया था ...।

दोनों ने मिलकर 27 फरवरी का दिन इस खूबसूरत तरीके से गुजारा था जिसकी यादें उनकी आने वाली पूरी जिन्दगी में चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी थी ...

" प्रियम मुझे ना बहुत गुस्सा आ रहा है "

प्रिया बाजार में मिलते ही बोली तो प्रियम उसे बच्चे की तरह बहलाते हुए बोला.....

" क्या हुआ मेरी जान को किस बात का इतना गुस्सा आ रहा है .."

" हाँ तो क्यों ना आये गुस्सा "

प्रिया अपनी छोटी सी नाक चढ़ा कर बोली ...

" इकलौती शादी है मेरी और मुझे समझ नहीं आ रहा की लहँगा किस रँग का लूँ ....

और प्रियम वो तो बस इकलौती वाली बात पर ही अटक गया ...

" इकलौती ???? मतलब तो क्या ??तुम एक शादी से खुश नहीं हो प्रिया ,,,अच्छा बोलो कितनी शादी करनी है फिर ,अच्छा सुनो तुम्हारी खुशी के लिए इजाजत दे रहा हूँ ,,,,हर साल शादी कर लेना ..पर एक शर्त है ,दुल्हा मैं ही रहूँगा ..."

और प्रियम की बात पर बेहद गुस्से में लाल प्रिया झट से खिलखिला दी ..

और प्रिया को मुस्कुराते देख प्रियम जल्दी से बोला ...

" सुनो प्रिया हर वक्त मुस्कुराती रहा करों तुम्हारे चेहरे पर खुशी बिल्कुल वैसी ही लगती है जैसे चाँद की चाँदनी और रही बात लहँगे की तो जरा यह देखना... "

यह कहते हुए प्रियम ने अपना फोन प्रिया के हाथ में पकड़ा दिया ...

प्रिया ने जब स्क्रीन की तरफ देखा तो हैरान रह गयी ..

एक बेहद खूबसूरत सतरंगी लहंगा उसके सामने था ...

प्रियम ने प्रिया के कानों में सरगोशी की ...." कैसी लगी मेरी पसंद..."

और प्रिया फिर इठला कर बोली ...

" बेहद खूबसूरत प्रियम बाबू .....और आपकी पसंद पर तो हमें वैसे भी कोई शक नहीं है.. क्योंकि हम भी तो आपकी ही पसंद है ना ...."

और प्रियम वो तो बस प्रिया की झरने की तरह कलकल करती मुस्कान से घायल ही हो गया था ...

अगली सुबह प्रिया के वाट्सएप पर मैसेस था ...।

" तुम बहुत खराब हो प्रिया ..."

प्रिया ने मैसेस पढ़ कर तुरंत टाइप किया

" क्यों अब मैंने क्या किया बोलो प्रियम बाबू बोलो ना "

प्रिया की बात पर प्रियम गुस्सा होते हुए बोला ....

" अच्छा तुमने क्या मुझे पागल समझ रखा है ।मैं बोल रहा हूं प्रिया बाबू ....बेटा ...सोना और बाबू .....बाबू सो गया ....तुम्हें....तुम्हें ना प्रिया मेरे जज्बातों की बिल्कुल भी परवाह नहीं है... तुम जानती हो ...तुम से बात करें बिना मुझे नींद नहीं आती ...पर तुम बस आराम से सो जाती हूं और मैं फिर रात भर तारे गिनता हूँ अच्छा सुनो ना मैंने तुम्हारे लिए रात भर जाग कर कुछ लिखा है "

" तुमने ????अच्छा तुमने कुछ लिखा है ..जहाँ तक मुझे जानकारी है प्रियम बाबू आप तो लेखक नहीं है ना फिर आज सूरज कहाँ से निकला है ....ओह माई गॉड मुझे तो बिल्कुल विश्वास नहीं हो रहा ...वैसे मैनें सुना तो है की लोग प्यार में शायर बन जाते है पर ऐसा सच में होता है आज पहली बार देखा अच्छा प्लीज जल्दी से भेजो मुझे भी देखना है तुमने क्या लिखा है ...

" हाँ प्रिया भेज रहा हूँ ना पर वादा करों अच्छा नहीं लगा तो मुझ पर गुस्सा मत करना ..."

" ओके जी पर पहले भेजो तो "

और प्रिया का यह मैसेस ब्लू टिक होते ही कुछ लाइनें मोबाइल स्क्रीन में झिलमिलाने लगी थी ।।।

" देख लेना प्रिया "

मैं बारिश हो जाऊँगा तुम बादल हो जाओगी "देख लेना प्रिया "

इतना तुमको चाहूँगा तुम पागल हो जाओगी
" देख लेना प्रिया "

कहता है सुन यह धूप किनारा तेरा हुआ मैं सारा का सारा "देख लेना प्रिया "

तेरे होठों पर हमेशा मैं हँसता ही रहूँगा " देख लेना प्रिया "

भीगी जो तेरी आँखें आँखों से आसूँ बन मैं ही गिरूँगा " देख लेना प्रिया "

दिल तो हर सीने में है ,,प्यार लेकिन मुझ में सबसे ज्यादा " देख लेना प्रिया "

अपनी लकीरों में लिख लूँगा खुद ही तुमको मैं ..है यह मेरा वादा " देख लेना प्रिया "

कहता है सुन यह धूप किनारा तेरा हुआ मैं सारा का सारा " देख लेना प्रिया "

तेरे होठों पर हमेशा मैं हँसता ही रहूँगा "देख लेना प्रिया "

भीगी जो तेरी आँखें आँखों से आसूँ बन मैं ही गिरूँगा " देख लेना प्रिया "

बरसो ना भूलोगी ऐसी कहानी तुमसे कह जाएंगे हम " देख लेना प्रिया "

ऐसा भी होगा एक दिन दिल की जगह सीने में रह जाएंगे हम " देख लेना प्रिया ..."

कहता है सुन यह धूप किनारा तेरा हुआ मैं सारा का सारा " देख लेना प्रिया .."

तेरे होठों पर हमेशा मैं हँसता ही रहूँगा "देख लेना प्रिया .."

और यह सच है कि मैं तुम्हारे लिए एक दिन यह सब जाऊँगा देख लेना प्रिया....

सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा
प्रियम सरीन

प्रियम की लिखी लाइनों को पढ़कर प्रिया बार बार इन खूबसूरत लफ्ज़ों की गहराई को महसूस कर रही थी .

और फिर प्रिया प्रियम से बोल बैठी ,,,

" प्रियम यह बहुत बहुत खूबसूरत है पर पता नहीं क्यों मुझे विश्वास नहीं हो रहा की यह तुमने लिखा है सच क्या है प्लीज बोलो ना "

कुछ देर दोनों तरफ खामोशी पसरी रही..और फिर प्रियम धीरे से बोला ....

" मेरी बात सुनकर नाराज तो नहीं होगी ना प्रिया ...वो क्या है ना एक विडियों की मदद से लिखा है पर यह भी सच है लफ्ज़ दर लफ्ज़ यह मेरे दिल की आवाज की आवाज है और वो वाली जो लाइन है ना " देख लेना प्रिया " वाली ...वो पूरी की पूरी ओरिजनल है सिर्फ और सिर्फ मेरे दिल की आवाज।।। "

" वैसे एक बात बोले प्रियम बाबू इस पूरे नगमें में यही लाइन ही सबसे खूबसूरत है ,"

और यह कहते हुए प्रिया शरमा कर मुस्कुरा दी ...

" अच्छा प्रियम सुनो ना मुझे अपनी एक अच्छी सी तस्वीर तो वाट्सएप करना जरा ..."

" क्यों क्या करना है तस्वीर का मुझे देखने का मन है तो बस आदेश करों बन्दा खुद ही हाजिर हो जायेगा.."

" उफ्फ्फ तुम फिर से पटरी से उतर गये प्रियम बाबू हर वक्त रोमांस का बुखार तुम्हारे सर पर सवार रहता है ,अच्छा पहले मेरी बात सुनों पहले अपनी कुछ अच्छी तस्वीरें तुरंत मुझे भेजो फिर मैं बताती हूँ की मुझे क्या करना है ...."

" जो आज्ञा स्वीटहार्ट बस जरा दो मिनट का वक्त देना और फिर प्रियम ने जल्द ही अपनी कुछ तस्वीरें प्रिया को भेज दी ..."

मैसेस टोन बजते ही प्रिया ने लपक कर अपना फोन ऑन किया ,,प्रियम की बहुत सी तस्वीरे देखकर प्रिया के चेहरे पर लालिमा आ गयी और फिर उसने भी अपनी कुछ चुनिंदा फोटो प्रियम को एक सवाल के साथ भेज दी ...

" प्रियम जल्दी से बताना सबसे खूबसूरत तस्वीर कौन सी है ..????."

और प्रियम तो तस्वीरों को देख कर उनमें खो ही गया और उससे उल्टा सवाल कर बैठा ..

" सोना थोड़ा आसान काम नहीं दे सकती थी तुम ....मुझे तो तुम हर तस्वीर में बेहद खूबसूरत लग रही हो मैं कैसे बता सकता हूँ कि सबसे अच्छी तस्वीर कौन सी है ....??"

" अब काम मुश्किल हो या आसान मैं कुछ नहीं जानती प्रियम बाबू ,जवाब तो आपको देना ही होगा अगर आपको यह जानना है की मुझे इन तस्वीरों का क्या करना है ,,,"

" अच्छा रूको बताता हूँ कौन सी तस्वीर सबसे खूबसूरत है ,यह जो लाल साड़ी वाली तस्वीर है ना जिसमें तुमने बड़ी सी बिन्दी माथे पर सजा रखी है यह वाली मुझे सबसे खूबसूरत लगी पूछो.....क्यों। ????

" तो बताओ ना प्रियम बाबू ...??"

" वो क्या है ना सोना तुम्हारे चेहरे पर बड़ी सी बिन्दी बिल्कुल वैसी ही लगती है जैसे खूबसूरत अम्बर पर जगमगाता चाँद बस इसलिए अच्छा अब तो बता दो क्यों तस्वीरें पसंद करा रही हो ...."

" वो क्या है ना प्रियम बाबू अब पुराने जमाने गये जब अपने पतिदेव का नाम मेहंदी से लिखवाते थे अब तो नाम के साथ बकायदा दुल्हा दुल्हन की तस्वीर मेहंदी से हाथों में सजाई जाती है और इसके लिए पन्द्रह दिन पहले तस्वीर देनी पड़ती है बस इसलिए आपसे यह सब जद्दोजहद करवा रहे थे हम .....समझे प्रियम बाबू.....? ????"

प्रिया की बात पर बस मुस्कुरा दिया था प्रियम ....

" सच में कब जाएगा तुम्हारा बचपना प्रिया "

" अच्छा प्रियम बाबू आपको मेरा प्यार बचपना लगता है ...कोई ना ...जिस दिन हम बड़े हो गए ना तुम ही ढूंढोगे इस शरारती प्रिया को फिर मत कहना ....

प्रिया तुम बदल कैसे गई शादी के बाद तुम तो शादी से पहले बिल्कुल ऐसी नहीं थी ना ...."

" अच्छा अच्छा अच्छा चुप हो जाओ और सुनो... कभी मत बदलना ...मेरे लिए भी नहीं तुम जैसी हो वैसी ही रहना बस हाँ यह जो तुम रात में बारह बजे ना पानी पूरी के लिए जिद करती हो ना ...बस वो छोड़ दो सच में कभी-कभी तो मन करता है मैं खुद ही पानी पूरी बेचना शुरु कर दूँ और जब कभी भी जिस पहर भी तुम्हारा मन हो पानीपुरी लेकर हाजिर हो जाऊँ "

और प्रियम की इस बात सुनकर प्रिया बेतहाशा हँसने लग गई ....

" अच्छा मतलब अब मेरे इतने बुरे दिन आ गए कि मैं पानीपुरी वाले से शादी करूँगी ...ऐसा करो प्रियम बाबू...किसी और को ढूँढ लो ...

मैं ना करने वाली तुमसे शादी ...."

प्रिया की बात सुनकर प्रियम गुस्से में प्रिया के पीछे भागा था ...अब मंजर यह था ..की प्रिया आगे आगे और प्रियम पीछे पीछे ...पर कब तक आखिरकार प्रियम ने प्रिया को पकड़ लिया और फिर अपने करीब करते हुए बोला ...

" सुनो प्रिया मैं पानीपूरी बेचूँ या जूते पॉलिश करूँ ...सात जन्म तक शादी तुम्हें मुझसे ही करनी है ..."

प्रियम की इस बात का जवाब प्रिया ने शर्मिली मुस्कान के साथ दिया और प्रियम के आगोश में सिमट गयी ....
धीरे धीरे शादी का दिन करीब आ रहा था और प्रिया और प्रियम की बैचनी भी बढ़ती जा रही थी ...प्रियम को जाने क्यों अक्सर लगता था की ...प्रिया उससे दूर ना हो जाये ..

वहीं प्रिया को नये घर नये परिवार की खुशी तो थी पर बाबुल का आँगन छोड़ना इतना आसान कहाँ होता है और अपने कमरे से तो प्रिया को इश्क था ...

आज भी वो अनमनी सी अपने कमरे में बैठी थी ..की एक बार फिर प्रियम कॉलिंग ने उसके चेहरे पर मुस्कान सजा दी थी... उसने अपनी उदासी को परे करने की कोशिश करके मुस्कुराते हुए फोन उठाया और बोली...

" हाय प्रियम कैसे हो आप "

प्रिया ने कोशिश तो अच्छी की थी अपने लहजे की नमी को छुपाने की पर दूसरी तरफ भी प्रियम था जो प्रिया के नस नस से वाकिफ हो चुका था ..

" हैलो हाय बाद में करना प्रिया मैडम पहले यह बताइए कि ...आप उदास क्यों है ??? "

और प्रियम की बात सुन चौंक ही तो गई थी प्रिया ...

और फिर हड़बड़ाते हुये बोली ....

" उदास कौन है उदास....मैं तो बिल्कुल भी उदास नहीं हूँ ...."

प्रिया की बात सुनकर प्रियम बोला ....

" अरे प्रिया मैडम ...आप ना मुझसे तो झूठ बोला ना करिए क्योंकि दुनिया में तुम सबके सामने झूठ बोल सकती हो खुश रहने की एक्टिंग कर सकती हो पर मेरे सामने बिल्कुल नहीं ...बोलो ना सोना... क्या बात है क्यों परेशान हो आप...."

" बात कुछ भी नहीं है प्रियम ...बस पता नहीं क्यों ..कभी-कभी दिल घबराता है ..

जिस घर में जिस कमरे में मैंने अपना पूरा बचपन पूरा लड़कपन गुजारा एक पल में सब पराया हो जाएगा मैं सब कुछ छोड़ कर के एक नया घर अपना बना लूँगी...

पर क्या सच में सब कुछ छोड़ना इतना आसान है पता है मैंने अपने कमरे को बहुत प्यार से सजाया था और अभी से छोड़ने का सोच कर भी ना दिल घबराता है .."

प्रिया की बात सुन प्रियम कुछ सोचते हुए बोला...

" अच्छा ठीक है उदास बाद में होना प्रिया पहले ऐसा करो मुझे अपने कमरे की बहुत सारी तस्वीरें भेजो ना ...

प्रियम की बात सुनकर प्रिया बोली ....

" तस्वीरों का क्या करोगें प्रियम बाबू ..."

" अरे करूँगा क्या बस देखूँगा कि मेरी प्रिया मैडम का कमरा कैसा है ..."

और प्रियम की बात सुन प्रिया ने बिना किसी बहस के अपने कमरे के हर कोने की तस्वीर प्रियम के हवाले कर दी थी...

तस्वीरें देख कर प्रियम बोला...

" लो तुम्हारी उदासी के चक्कर में मैनें फोन क्यों किया था यह तो बताना ही भूल गया ...अच्छा सुनों तुम्हें एक गाना फॉरवर्ड कर रहा हूँ जरा सुनना और फिर उसके बाद मुझे फोन करना...समझी सोना ..."

" अच्छा बाबा ठीक है पर पहले भेजों तो सही और सुनों फोन मत काटना साथ में सुनते है ना ...."

और प्रिया की बात पर प्रियम ने गाना उसे भेज दिया ..

प्रिया नें जैसे ही डाउनलोड करके गाना सुनना शुरू कर फिज़ा में जैसे रूमानियत धुल गयी थी ....प्रिया और प्रियम दोनों लफ्ज़ों की जादूगरी में खो गये थे ....

प्रिया लाइन दर लाइन गाने की खूबसूरती को अपने अन्दर उता रही थी और गाना खत्म होते होते खुद भी गुनगुनाने लगी...।

तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें...
तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें...

तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें
तेरी बातें चटपट चाट सी हैं
तेरी आँखें गंगा घाट सी हैं
मैं घाट किनारे सो जाऊँ ....
फिर सुबह सुबह जागूँ तुझमें ....

तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें
तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें
आ आ..

तुझे शहर घुमाऊँ देर तलक
यूँही दायें बाएँ मुड़ा करूँ .....
तुझे स्कूटर पे बिठा के मैं
तेरे साथ हवा में उड़ा करूँ.....

तुझे शहर घुमाऊँ देर तलक
यूँही दायें बाएं मुड़ा करूँ ...
तुझे स्कूटर पे बिठा के मैं
तेरे साथ हवा में उड़ा करूँ.....

मेरी कमर पे तेरा हाथ आये
तो बल्ब रगों में जल जाए
मेरी साँस में तेरी साँस चले..
मैं दिल की तरह धड़कूँ तुझमें....

तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें
तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें
ना ना..

हर सन्डे में संगम टॉकीज में
तुझे फिल्म दिखाऊँ नाईट शो
फिल्मों की तरह इक दिन यूँ हो
बन जाऊँ मैं तेरा हीरो.....

हर सन्डे में संगम टॉकीज में
तुझे फिल्म दिखाऊँ नाईट शो
फिल्मों की तरह इक दिन यूँ हो
बन जाऊँ मैं तेरा हीरो....

तेरा दिल बहलाऊँ डाँस करूँ
मैं यूँही तुझे रोमाँस करूँ .....
तेरे दिल में रहूँ खुशियों की तरह
तू हँसे तो मैं झलकूँ तुझमे.....

तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमे
तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें....

और प्रियम भी देर तक प्रिया के गुनगुनाने में उसका साथ देता रहा और फिर धीरे से बोला ....

" प्रिया मैं चाहता हूँ की संगीत में मैं तुम्हारे साथ इसी गाने पर डान्स करूँ ....पर सुनों वो जो मेरा साला है ना अरे बोले तो तुम्हारा भाई ...उसको इसके लिए मेहनत करनी पड़ेगी ...."


" प्रियम की बात सुन प्रिया आश्चर्य से बोली परफॉर्म हमें करना है तो भाई को क्या काम है ..."

" अच्छा जी काम क्यों नहीं है सुनो ...हमारे लिए स्कूटर तो वही ढूँढ कर लाएगा ना ...और संगम टॉकीज़ की टिकट और हाँ बनारस को लखनऊ भी तो वही लेकर आएगा ना मुझे पूरा का पूरा माहौल चाहिए तभी तो फील कर पाऊँगा कि मैं तुम्हें अपने साथ लेकर बनारस की गलियों में खो गया हूँ...

" वेट ...वेट ..वेट .. प्रियम बाबू अच्छा सुनो ...भाई को इतना परेशान करने से अच्छा है हम बनारस ही चले जाएगें और आप मुझे बनारस की गलियों में इस्कूटर पर घुमा लाना और मैं आपको आपकी कमर पर कस के पकड़ लूगीँ जिससे आपके दिल में बल्ब जल जाए ..."

और इतना कहकर खिलखिला दी थी प्रिया ..

और प्रियम एक बार फिर प्रिया कि कल कल करती झरने जैसी हँसी में कहीं गुम हो गया था ...

" तुम भी ना प्रिया हर बार अपनी बातों में मुझे उलझा देती हो ...अरे बनारस भी चले जायेगें पर पहले संगीत का तो सोचों उसका क्या होगा मुझे तो बिल्कुल भी डान्स नहीं आता पर मैं अपनी प्रिया के साथ बहुत सारा डान्स करना चाहता हूँ ...क्या करूँ ...कुछ समझ ना आ रहा ..."

" बस इत्ती सी बात प्रियम बाबू अच्छा सुनो वो मेरी सहेली है ना वृन्दा ..अब से रोज शाम को आप हमसे एक घन्टा उसके घर पर मिला किजिएगा हम आपको डान्स सिखा देगें ठीक है ना ..."

प्रिया की बात सुनकर प्रियम तो उसी वक्त खुशी से भांगड़ा करने लगा ...सामने की अलमीरा में उसके जीती हुयी बहुत सी शील्डे उसे पागलो की तरह भांगड़ा करते देख मुस्कुरा रही थी ....क्योंकि वो सब प्रियम के डान्स काम्पिटीशन जीतने की वजय से ही यहाँ थी ...और अब अपने कॉलेज का बेस्ट डान्सर रह चुका प्रियम प्रिया का स्टूडेंट बन गया था ...

प्रियम ने प्रिया से रोज मिलने का बहाना तो ढूँढ लिया था पर जाने क्यों वक्त ने भी ठान लिया था की वो सुस्त रफ्तारी में कछुये को ही मात दे देगा ....वैसे बस वक्त उस वक्त ही खरगोश जैसा हो जाता जब प्रिया प्रियम के साथ होती ...बाकी वक्त बेहद धीमी गति से गुजरता था ....

धीरे धीरे ही सही पर वक्त गुजरा और आज वो दिन भी आ गया जिसका प्रिया और प्रियम को बेसब्री से इन्तजार था ....

सुबह से ही दोनों ही घरो़ में अफरातफरी का माहौल था ...

दोनों घरों में पूरी कोशिश थी की फूफाजी और जीजा जी किसी बात पर रूठे नहीं ...

संगीत में रात भर प्रिया के साथ रहने के बाद भी आज सुबह से प्रियम की बैचनी आसमान छू रही थी

वो ख्यालों में बहुत बार प्रिया को उस सतरंगी लहंगें में देख चुका था ..जो उसने बहुत मेहनत से प्रिया के लिए लिया था ...प्रिया ने फोन पर बताया था की उसकी मेहंदी का रंग बहुत गहरा आया है ...और यह भी की सब इस बात के लिए उसे छेड़ रहे है ..की इसका पति इसको बहुत ज्यादा प्यार करता है तभी तो मेहंदी इत्ता रंग लायी है ...।

तुम्हें अब भी मेरी वफा पर कोई शक है क्या प्रिया ...प्रियम से खुद से ही बातें की ...

देख लेना प्रिया जिन्दगी में चाहे जो भी हालात हो तुम हमेशा अपने प्रियम को अपने साथ खड़ा पाओगी ..

धीरे धीरे शाम भी आ ही गयी ..प्रियम दुल्हा बन कर खड़ा था ...और उसकी मम्मा उसकी नजर उतार उतार कर ना थक रही थी ...प्रियम का बस चलता तो बुलेट ट्रेन की स्पीड से ले जाकर बारात प्रिया के दरवाजे पर खड़ा कर देता पर सब यार रिश्तेदार आज पता नहीं किस बात की दुश्मनी निकालने में लगे हुये थे ...जितना वो जल्दी जाना चाहता था ...उतना ही सब नागिन डांस पर झूम रहे थे ....

खुदा खुदा करके आखिर बारात दरवाजे पर जा ही पहुँची...प्रियम ने निगाह उठा कर देखा ...प्रिया धीमें कदमों से चलती हुयी आ रही थी ....

प्रियम को अपने चारों तरफ घन्टी बजती सुनाई दी .....बचपन में जब नानीघर होता था ना तो भरी दोपहर में आइसक्रीम वाला जब घन्टी बजाता था ...वहीं वाली घन्टी वहीं खुशी प्रियम को प्रिया को देखकर हो रही थी जितनी बचपन में होती थी आइसक्रीम वाले को देखकर ...सारी हँसी ठिठोली रस्मों रिवाज के बाद आखिरकार विदाई की बेला भी आ ही गयी ....

प्रियम ने प्रिया से वादा किया था की वो विदाई के वक्त प्रिया की आँख से एक आँसू गिरने नहीं देगा ...पर यह वक्त ही ऐसा होता है सारे वादे धरे के धरे रह जाते है ...प्रिया तो दूर की बात प्रियम खुद अपने आँसू चाहकर भी नहीं छुपा पाया था ...जब प्रिया को गाड़ी म़े उसके पहलू म़े बिठाया गया ..तो वो धीरे से प्रिया का हाथ पकड़ कर बोला .

" .बस प्रिया चुप हो जाओ ना मैं कौन सा तुम्हें किडनैप करके ले जा रहा हूँ जब कहोगी तब तुम्हें सबसे मिलवाने ले आया करूँगा ठीक है ना .."

और प्रियम की किडनैपिंग वाली बात सुनकर प्रिया रोते रोते हँस दी थी ..

घर पर सब लोग नयी बहु के स्वागत में पलकें बिछाये बैठे थे ...जहाँ जीजाजी लोग छड़ी खिलाई का इन्तजार कर रहे थे ..वहीं बड़ी भाभी चुपके से प्रिया के कान में हिदायत दे गयी थी की चाहे जो हो जाये ...कंगन जुआ में उसको ही जीतना है ....

सारी रस्मों रिवाजों को निभा कर वो बेबसी से अपनी दर्द होती कमर के बारे में सोच ही रही थी की शायद बुआ जी को उसपर रहम आ गया ...वो छोटी भाभी को आवाज लगाते हुये बोली ...

अरे छोटी बहू बिटिया को अपने कमरे में ले जा थोड़ी कमर ही सीधी कर लेगी ..

प्रिया ने यह बात सुनकर एक लम्बी साँस खारिज की और अपने भाभी भरकम लंहगें को सम्भालती हुयी छोटी भाभी की हमराही में उनके साथ चल दी ...

उसके लिए तकिया लगाते हुये छोटी भाभी ने बहुत राजदारी से सरगोशी की ...

" पता है देवरानी जी हमारे देवर जी ने आपके लिए बहुत मेहनत की है ....पता है इत्ता अच्छा सरप्राइज आपको जिन्दगी में ना मिला होगा जैसा आज मिलने वाला है ..."

" प्लीज बताये ना भाभीजी ऐसा क्या नायाब कर दिया आपके देवर ने ..."

प्रिया ने अचानक आयी इस बात पर उत्सुकता से पूछा ...

प्रिया की बात पर छोटी भाभी खुल कर खिलखिलाई और बोली ...

" दुल्हन हम तुमको क्या बेवकूफ नजर आते है देवर जी इतने दिनों से मेहनत कर रहे है और हम सब बता कर उनकी मेहनत पर पानी फेर दे ऐसा नहीं हो सकता ...शाम तक का इन्तजार तो आपको करना ही होगा ...अच्छा आप थोड़ी देर आराम कर लो ...शाम को मिलते है ठीक है ना "

और प्रिया जो यह सोच रही थी की तन्हा होते ही एक झपकी ले लेगी ...अब नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी ...

शाम के वक्त एक बार फिर सबकी शैतानी चरम सीमा पर थी ...सब लोग मिलकर प्रियम का रिकॉर्ड लगा रहे थे ...हुआ यह था की प्रिया की चुनरी डालकर जीजाजी लोगों ने छोटे भाई को बिठा दिया था और प्रियम जाकर अपने दिल का हाल बता आया था ...अब सब मजे ले लेकर प्रियम का मजाक बना रहे थे ...जहाँ प्रियम मुँह फुला कर बैठा था ...वहीं दूसरी तरफ प्रिया अपनी हँसी रोकने की कोशिश में हलकान हो रही थी ...

और जब बहुत देर तक सबका हँसना बन्द नहीं हुआ तो प्रियम गुस्से में उठा और प्रिया का हाथ पकड़ कर बोला ...

" तुम चलो मेरे साथ बहुत हो गया..इन सब से तो मैं बाद में बदला लूँगा ..बहुत मजा आ रहा है सबको मुझे सताने में ..."

और प्रियम लगभग खीचतें हुये प्रिया को अपने साथ ले गया ..पर कमरे की दहलीज पर जाकर प्रिया के कदमों में जैसे बेड़ियाँ ही पड़ गयी ...उसने एक बाद अपनी आँखें मसल कर देखा ..उसे लग रहा था जैसे वो सपना देख रही है ... यह तो बिल्कुल उसके कमरे जैसा था ...

" प्रियम यह सब क्या है ...यह तो हूबहू मेरे घर जैसा कमरा है "

" हाँ प्रिया यह तुम्हारे घर जैसा ही कमरा है याद है ना एक बार तुम उदास सी थी इस बात को लेकर मैनें तभी यह सोच लिया था की मैं तुम्हारे कमरे जैसा ही कमरा बनवा दूँगा जिससे तुम्हें बहुत अच्छा लगे ..."

प्रियम की बात पर प्रिया की आँख एक बार फिर भर आयी और वो बिना कुछ बोले प्रियम की चौड़ी छाती में खुद को छुपा गयी ...प्रियम धीरे धीरे उसके सर को सहला रहा था ....और फिर उसने प्रिया के कानों में सरगोशी की ...

" सुनो प्रिया तुम्हारी खुशी मेरे लिए बहुत मायने रखती है ...तुम बस हमेशा खुश रहना .."

और फिर उस खूबसूरत रात मैं इकलौता चाँद उन दोनों के मिलन का गवाह बन गया था ..

" अच्छा प्रिया यह बताओ हनीमून में कहाँ जाना है ..मम्मा हमें गोवा भेजना चाहती है और पापा केरला ...तुम बोलो तुम्हें कहाँ जाना है .."

" प्रियम मुझे समन्दर बहुत पंसद है पर गोवा में तो बहुत भीड़ होती है ...मैं किसी ऐसी जगह जाना चाहती हूँ जहाँ शान्ति हो ,तन्हाई हो ,खूबसूरत मौसम और हम तुम हो ...

अच्छा बोलो अन्डमान कैसा रहेगा .."

" बहुत अच्छा बहुत ज्यादा अच्छा ..चलो ठीक है हम लोग अन्डमान निकोबार ही जायेगें मैं अभी टिकट करवाता हूँ ..।"

" प्रियम की बात पर एक बार प्रिया की एक धड़कन सी मिस हुयी और वो बोली ..टिकट से एक बात याद आयी प्रियम आपको मेरी बेल्जियम की भी तो टिकट करानी है ना ...याद है ना आपको मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करनी है..."

प्रिया की बात पर प्रियम का मुँह भी उतर गया अभी तो मिलन की शहनाई बजी थी ..और अब जुदाई मुक्कदर बन रही थी ...एक बार तो प्रियम का मन हुआ अपने वादे से मुकर जाये ..पर प्रिया की खुशी के आगे तो उसे कुछ नजर ही नहीं आता है अपना टूटा हुआ दिल भी ...

प्रियम अपने दिल की टीस को दबाता हुआ बोला ...

" ठीक है प्रिया लौट कर आकर मैं तुम्हारी वहाँ की टिकट भी करा दूँगा बस एक परेशानी है मैं तुम्हारे बिना यह तीन साल कैसे बिताऊँगा यह नहीं समझ आ रहा है .."

प्रियम की बात पर प्रिया की आँख भी भर आयी ...

एक तरफ बचपन का सपना था तो एक तरफ नया पनपता प्यार ...प्रिया को दुविधा में देखकर प्रियम उसके माथे पर बोसा देता हुआ बोला ...

" परेशान मत हो प्रिया ...मैं भी ना कितना पागल हूँ ...देख लेना प्रिया यह तीन साल बस चुटकियों में गुजर जायेगें ...फोन है ..वाट्सएप है ...विडीयों कालिंग भी तो है ...और हाँ जब तुम्हारी हॉलिडे होगी तब तुम आ जाना ...और मैं भी मौका मिलते ही तुम्हारे पास आ जाउँगा ..इसी बहाने हम भी विदेश घूम लेगें .."

यह कहते हुये प्रियम ने प्रिया की छोटी सी नाक दबा दी ..और प्रियम की बात पर प्रिया भीगी पलकों के साथ भी मुस्कुरा दी ...


खुशियों के पल अक्सर बहुत जल्द गुजर जाते है ..प्रिया की जिन्दगी में भी यह पल पंख लगाकर उड़ गये थे ...आज उसे अपना देश छोड़कर जाना था ..अपने प्रियम को छोड़कर जाना था ...जाने क्यों दिल बार बार घबरा रहा था जैसे कुछ गलत होने वाला हो ..।

प्रियम खुद के आँसू छिपाकर बार बार प्रिया को हँसाने की कोशिश में लगा हुआ था ..एयरपोर्ट पर यात्रियों के लिए फायनल कॉल होने पर प्रिया को मजबूरन प्रियम का हाथ छोड़ना पड़ा ...और हाथ छोड़ने के साथ ही आँखों में रूके हुये आँसू भी प्रिया का साथ छोड़ गये थे ...

भारी कदमों से उसने प्लेन में कदम रखा ..और अपनी सीट पर जाकर आँखें बन्द कर ली ...आँसू अब भी पलकों की बाढ़ तोड़ रहे थे ..तभी अचानक प्रिया को अपने चेहरे पर किसी के निगाहों की गरमी महसूस हुयी ...उसने आँख खोलकर देखा तो एक अन्जान चेहरा पुरशौक निगाहों से उसें देख रहा था ..प्रिया से नजर मिलते ही उसने एक प्यारी सी मुस्कान अपने होठों पर रख ली ..अजनबी की इस हरकत पर प्रिया अन्दर तक सुलग गयी ...एक कहर भरी निगाह उस अजनबी पर डाल प्रिया ने खुद को प्लेन की खिडक़ी की तरफ व्यस्त कर लिया ...।
अजनबी देश में पहला कदम कुछ ज्यादा ही भारी लगा था प्रिया को वैसे तो कदम कदम पर प्रियम उसके साथ था ...पर यह सब दिल बहलाने के लिए ही था ...हकीकत में तो प्रिया तन्हा ही थी ...कॉलेज का पहला दिन वो खुद को कुछ ज्यादा ही परेशान महसूस कर रही थी और उस पर सितम यह वो अजनबी निगाहें यहाँ भी उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी...

दिन एक बार फिर कछुए की रफ्तार से गुजर रहे थे ...प्रिया ने खुद को अपना सपना पूरा करनें में झोंक दिया था ...बहुत दिनों से वो लाइब्रेरी में एक किताब देख रही थी पर हर बार वो उसे मिलती ही नहीं थी ...आज भी उसकी कोशिश नाकाम ही थी जब उस अजनबी चेहरे ने वो किताब उसके सामने रख दी ...

" प्रिया जी सुनिए आप यह किताब ले लिजिये मैं बहुत दिनों से आपको इस किताब के लिए परेशान होता देख रहा हूँ ..."

उस अजनबी को देखकर प्रिया को एक बार गुस्सा तो बहुत आया पर फिर उसने खुद को समझा लिया की यह वक्त गुस्सा करने का नहीं है ...और उसने बिना कुछ कहे वो किताब थाम ली ...

अपने कमरे में आकर जैसे ही उसने उस किताब को खोला एक कागज उसके कदमों में आ गिरा था ....


उस पर लिखी सिर्फ एक लाइन प्रिया के तनबदन में आग लगा गयी थी ....बहुत मुश्किल से उसने कागज पर लिखी लाइन को दोहराया ...

" न जाने क्यों तुम्हें खोने से डर लगता है, जब कि 'तुम' मेरे हो ही नहीं ..."

यह बन्दा खुद को समझता क्या है कल ही इसकी सारी आशिकी ना निकाली तो मेरा नाम भी प्रिया नहीं यह कहकर प्रिया ने एक जोरदार मुक्का दीवार पर मारा ...दीवार का तो खैर क्या बिगड़ना था ....प्रिया जरूर अपना दर्द करता हुआ हाथ लेकर बैठी रह गयी ...

सुबह प्रिया की निगाहें हर तरफ बस उस अजनबी को ही ढूंढ रही थी ..पर आज जैसे वो अंतर्ध्यान ही हो गया था...


उसने भी जैसे कसम खा रखी थी की आज वो प्रिया के सामने भी नहीं पड़ेगा ..या फिर उसे डर होगा की आज प्रिया के हाथों उसकी दुर्गति होना पक्की है ...


अब यह उस अजनबी का बैड लक ही था की आखिर कार वो प्रिया के हत्थे चढ़ ही गया ....

प्रिया का गुस्सा सातवें आसमान पर था ...बहुत कोशिश करके उसने अपनी आवाज धीमी रखी और बोली ...

" तुम खुद को समझते क्या हो ...क्या जानते हो मेरे बारे में बोलों ...बोलो ना आखिर किसने हक दिया तुम्हें मुझे घूरने का कुछ भी लिख कर देने का ...अब कुछ बोलेगे भी या तुम्हारी जबान पर ताले लग गये है ...."

" मुझे माफ कर देना प्रिया मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता था ....बस पता नहीं क्यों उस दिन प्लेन की सीट पर रोती हुयी लड़की मेरे दिल पर कब्जा करके बैठ गयी है ...मैं जानता हूँ की मैं कभी तुम्हारे साथ नहीं चल सकता ...तुम कभी मेरी नहीं हो सकती ...पर प्लीज खुद से दो कदम पीछे चलने का हक तुम मुझसे कभी छीन नहीं सकती ..."


जानता हूँ की मेरा तुमपर कोई हक नहीं तुम किसी और की अमानत हो ...पर मेरी चाहत पर रोक लगाने वाली तुम होती कौन हो ...हाँ मेरा एक वादा है तुमसे जो मैं मरते दम तक निभाऊँगा कभी भी मेरी वजय से तुम्हें कोई भी तकलीफ नहीं होगी ...ना ही आगे से मैं तुम्हारे रास्ते में आऊँगा ...ठीक है ना ..."

यह कहकर वो अजनबी रूका नहीं और लम्बे लम्बे कदम भर प्रिया से दूर चला गया ...प्रिया खुद पास रखी एक बेन्च पर बैठ गयी ...अभी वो कुछ सोच भी नहीं पायी थी की उसका फोन बजने लगा था ...

एक बार फिर प्रियम कालिंग उसके उदास चेहरे पर मुस्कान सजा रहा था ..

प्रिया के फोन उठाते ही प्रियम नानस्टॉप ट्रेन की तरह शुरू हो गया ...

" जानती हो प्रिया पूरे घर में होली की जोर शोर से तैयारी हो रही है ...पर मैं क्या करूँ मेरे तो सारे रंग ही तुम चुरा ले गयी हो .. मैनें भी सोच लिया है मैं भी तीन साल तक होली नहीं खेलूँगा ...जब तुम आओगी तभी मेरी होली होगी ..ठीक है ना ..."

प्रियम की बेताबी महसूस कर प्रिया हौले से मुस्कुरा दी ...और बोली ...

" पक्का ना प्रियम बाबू मेरे बिना आप बिल्कुल होली नहीं खेलेगें .."

" पक्का पक्का पक्का वाला वादा मेरी जान ...मैं प्रियम सरीन पूरी कायनात को हाजिर नाजिर जानकर यह शपथ लेता हूँ की मैं प्रिया सरीन के बिना कभी भी होली नहीं खेलूँगा ..."

प्रियम की बात पर प्रिया खिलखिला पड़ी और फिर धीरे से बोली ...

" ठीक है प्रियम सरीन ....

" हम आयेगें इन्तजार करना
हाथों में अपने गुलाल रखना "

" बस तुम जल्दी आ जाओ प्रिया तुम्हारे बिना तुम्हारा प्रियम अधूरा है ..."

" प्रिया भी तुम्हारे बिना अधूरी है प्रियम बहुत जल्द ही मैं वापस आऊँगी ..."

यह कहकर प्रिया ने फोन रख दिया ....

पास खड़े साये ने भी एक नजर भर कर प्रिया की तरफ देखा और हारे कदमों से आगे बढ़ गया ...।

वक्त का काम है गुजरना ..अच्छा है या बुरा आखिर गुजर ही जाता है ...आज प्रिया की वापसी का दिन था ...जहाँ प्रिया की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं था ...वही दूसरी और प्रियम के कदम भी जमीन पर नहीं पड़ रहे थे ....प्रिया के इन्तजार में प्रियम घन्टो पहले स्टेशन जाकर खड़ा हो गया था ...

एक कुली के टक्कर लगते ही प्रियम वर्तमान में वापस आ गया ...

" मैं भी ना कितना पागल हूँ ...बैठा बैठा सदियों का सफर कर आया .."

प्रियम ने खुद की ही डाँट लगायी और एक बार फिर ट्रेन की स्थिति देखी ट्रैन अभी भी पूरे एक घन्टे लेट थी ...प्रियम सच में प्रिया के लिए हाथों में गुलाल लेकर उसका इन्तजार कर रहा था ....पूरा घर वो फूलों से सजा कर आया था प्रिया के स्वागत के लिए और तो और प्रिया की पसंद की हर चीज उसने पहले ही से लाकर घर में रख दी थी चाहे वो पानी पूरी हो या फालसे या फिर एक्सट्रा चीज वाला पिज्जा सब कुछ था बस प्रिया का इन्तजार ही नहीं खत्म हो रहा था ...।

बस आधा घन्टा प्रियम ने जैसे खुद को तस्सली दी और अपने हाथों में लिए गुलाल की तरफ देखा ...तभी अचानक से पीछे से किसी ने प्रियम को टक्कर मारी ...प्रियम के हाथों से सारा गुलाल स्टेशन पर बिखर गया था ...वो गुस्से में कुछ बोलने ही वाला था की एनाउंसमेंट सुनकर उसके पैरों तले से जमीन निकल गयी ...

प्रिया की ट्रेन का एक्सीडेंट हो गया है ...पूरी की पूरी ट्रेन नदी में समा गयी है ...

प्रियम को तो इसके आगे कुछ सुनाई ही नहीं दिया ...याद रहा तो बस इतना की प्रिया को तो बिल्कुल तैरना भी नहीं आता है ...उसे समन्दर बहुत अच्छा लगता है ...पर पानी से उसकी जान भी बहुत जाती है ....

जैसे तैसे करके वो घटनास्थल तक जा पहुँचा ...हर तरफ चीख पुकार मची पड़ी थी ...कुछ लोगों को बचाया भी गया था ...प्रियम पागलों की तरह प्रिया को ढूँढ रहा था पर उसका कोई भी नामोंनिशान नहीं था ....


सब कुछ खत्म होना क्या होता है आज प्रियम को पता लगा था ...वो घटनास्थल से हटने को तैयार नहीं था ...प्रियम के घरवाले भी हादसे की खबर मिलते ही पहुँच गये थे ...

पर प्रियम को सम्भालना किसी के बस की बात नहीं थी ...जैसे तैसे करके प्रियम को घर लाया गया ....घर में कदम कदम पर प्रिया की यादें बिखरी पड़ी थी ...प्रियम ने अपने हाथों से सारे फूल नोंच दिये सारा गुलाल बिखेर दिया ...सब कुछ तबाह कर दिया पर दिल को करार नहीं आ रहा था वो खुद को एक कमरे मैं कैद करके बैठा था ...।

मम्मा की लाख कोशिशों के बाद भी वो अपने कमरे से बाहर नहीं आया.।।

दिन बीतते जा रहे थे और प्रियम जोग लेकर बैठा था ...उसकी पूरी जिन्दगी प्रिया पर जैसे खत्म हो गयी थी ..और फिर एक दिन ...

प्रियम की मम्मी ने उसके आगे हाथ जोड़ दिये ...

" बेटा प्रिया के जाने का हमें भी बहुत दुःख है पर मरने वालों के साथ मरा नहीं जाता ...किसी और के लिए ना सही मेरे लिए वापस आ जाओ बेटा मैं तुम्हें इस तरह से नहीं देख सकती ...."

मम्मा की बात पर मम्मा की गोद में सर रख कर प्रियम फूट फूट कर रो दिया ...मुझे विश्वास नहीं होता मम्मा की प्रिया ने अपना वादा तोड़ दिया ...उसने कहा था अगर मैं हाथों मे गुलाल लेकर उसका इन्तजार करूँगा तो वो आयेगी ...बहुत खराब है प्रिया मम्मा उसने अपना वादा तोड़ दिया ...मैं गुलाल लेकर खड़ा था स्टेशन पर पलकें बिछाये उसका इन्तजार कर रहा था और वो ...वो नहीं आयी ...."

प्रियम तड़प तड़प कर रो रहा था ..मम्मा ने भी प्रियम को चुप कराने की कोशिश नहीं की ...शायद हिमशैल के पिघल जाने के बाद ही उन्हें अपना पुराना प्रियम वापस मिल जाये..।

उस दिन के बाद से प्रियम ने सोच लिया था मम्मा के लिए ही सही पर वो खुश रहने का दिखावा कर लिया करेगा ..प्रिया के जाने में मम्मा की क्या गलती है आखिर जो मैं उन्हे सजा दे रहा हूँ..।।

कल से मैं ऑफिस जाना शुरू कर दूँगा ...वैसे मेरे ऑफिस में भी सब कितने अच्छे है ..मैं इतने दिनों से नहीं आ रहा था फिर भी बॉस ने मुझे ऑफिस से बाहर नहीं किया ...अभी प्रियम यह सब सोच ही रहा था की उसे एक आवाज सुनाई दी ...

" आन्टी कहाँ है आप यह देखिये मैं आपके लिए अपने हाथों का बना मूँगदाल का हलवा लेकर आयी हूँ ..."

" अरे वृन्दा बेटा आओ ना कितनी बार समझाया तुम्हें क्यों रोज रोज परेशान होती हो ..."

" अरे आन्टी आप भी ना अपनों के लिए कुछ करने में कैसी परेशानी ..अच्छा यह बताये अब प्रियम कैसा है ..."

" पहले से कुछ ठीक है वृन्दा मैं बस चाहती हू्ँ वो फिर से जिन्दगी की ओर वापस आ जाये .."

" सब ठीक हो जायेगा आन्टी आप बस जल्दी से तैयार हो जाईये ..हम लोग शापिंग पर जा रहे है और वापसी में पाँच पानी वाले बताशे भी खा कर आयेगें ..."

पाँच पानी वाले बताशे ..यह सुनकर प्रियम को एक बार फिर लगा किसी ने उसके जख्मों पर नमक छिड़क दिया हो ...जान देती थी पाँच पानी वाले बताशे पर प्रिया ...सिर्फ बताशे खिलाने इत्ती दूर हजरतगंज जाना कभी कभी प्रियम को खलता भी था ...काश ..काश प्रिया तुम वापस आ जाओ ...तुम रात बारह बजे भी बोलोगी तो मैं तुम्हें बताशे खिलाने ले जाने को मना नहीं करूँगा ...वैसे मैं खुद में इतना खोया रहा कभी नोटिस ही नहीं किया यह वृन्दा आजकल रोज हमारे घर आ जाती है ...खैर मुझे क्या मम्मा का दिल लगा रहता है ..और मुझे भी अब मम्मा की खुशी के लिए खुश रहना है ..चलो आज मम्मा का डाईवर ही बन जाता हूँ मम्मा खुश हो जायेगी ...

यह सोचते हुए प्रियम ने गाड़ी की चाबी उठाई और मम्मा के पास जाकर बोला ...

" मम्मा मैं भी आप सबके साथ मार्केट जा रहा हूँ बहुत दिन हो गये बताशे नहीं खाये ..."

प्रियम की बात पर मम्मा के चेहरों पर धनक मुस्कान बिखर गयी ...उधर वृन्दा के चेहरे पर भी एक अनकही खुशी लहराई थी ...

वृन्दा और मम्मा के साथ बाहर आकर प्रियम को अहसास हुआ ..की जिन्दगी बस उसके लिए रूकी है ..बाकी सब कुछ तो वैसे ही चल रहा है ...उसने अपने दिल के दर्द को दबाने की नाकाम कोशिश की और मम्मा को देखकर मुस्कुराया ...उसे मम्मा के लिए सही पर खुश रहने का दिखावा तो करना ही था ...

अगले दिन प्रियम ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था ...मम्मा के चेहरे पर भी एक अलग भी सुकून भरी मुस्कान थी ...मम्मा ने आज प्रियम के पसंदीदा आलू के पराठें बनाये थे साथ में धनिया की चटनी भी थी ...बहुत दिनों बाद ऑफिस आकर प्रियम को सबकुछ अजीब लग रहा था ..और सबसे अजीब उसे लगा था वृन्दा का अपने ऑफिस में होना...

उसके पीछे से वृन्दा ने उसका ही ऑफिस ज्वाइन कर लिया था ..वैसे तो प्रिया की सहेली होने के नाते प्रियम वृन्दा को बहुत पहले से जानता था ..पर अब जाने क्यों वृन्दा का अपने ऑफिस में होना उसे अच्छा नहीं लगा था ..


यादों की कैद से प्रियम बाहर आने की कोशिश में लगा था ...और एक चीज जो उसने शिद्दत से महसूस की थी वो थी की वृन्दा उसकी मम्मा का ही नहीं उसका भी कुछ ज्यादा ही ख्याल रखने लगी थी ...

अब तो ऑफिस में भी उनको लेकर कानाफूसी शुरु हो गयी थी ...

" सुनिये हम इतनी दूर से आपके लिए पाँच पानी वाली पानीपुरी लेकर आये और आपने नजर उठा कर नहीं देखा ..जबकि कॉलेज में कम से कम दो बार तो जरूर आप अपनी पानीपूरी को मिस करती थी और खुद से अहद करती थी की अपने देश वापस जाकर आप रोज पानीपूरी खाया करेगी ..." आपको पता है वादा तोड़ना अच्छी बात नहीं होती फिर चाहे वो खुद से किया गया हो या किसी और से ..."

उस अजनबी की बात पर प्रिया ने अपनी आँख उठा कर देखा ...प्रिया की आँखों मे मरघट सी खामोशी थी ....
उसकी आँखों के आगे एक बार फिर ना चाहते हुये भी वो मंजर लहरा गये थे ...

कितनी खुश थी उस दिन प्रिया.. एक एक पल गिन रही थी ...प्रियम कितनी बेसब्री से प्रिया का इन्तजार कर रहा था ...प्रिया का हाल भी प्रियम से कुछ अलग नहीं था ...वक्त काटे नहीं कट रहा था ....और फिर अचानक से अंधेरा छा गया ...क्या हुआ था प्रिया को कुछ समझ नहीं आया था ..आँख खुली तो खुद को आधा अधूरा सा अस्पताल में पाया ....हादसे में प्रिया अपना चेहरा और अपना एक पैर गंवा चुकी थी ..


प्रिया के चारो तरफ चीख पुकार मची थी ...कोई अपने परिजन की मौत पर बिफर बिफर कर रो रहा था तो कोई पागलों की तरह अपने गुमशुदा घरवालों को ढूँढ रहा था ..प्रिया को भी याद आया ..प्रियम भी तो उसे ढूँढ रहा होगा ना ..जाने क्या गुजरी होगी उसके ऊपर इस हादसे की सुनकर उसने तुरंत पास से गुजरती एक नर्स को आवाज दी जिससे वो प्रियम को अपने बारे में बता सके ...तभी उसे याद आया अब तो वो किसी के भी लायक नहीं रह गयी है ...जिन्दगी ने उसके साथ बहुत अच्छा मजाक किया था ..प्रिया ने सोच लिया था की वो वापस जाकर प्रियम के लिए इम्तिहान नहीं बनेगी ...जिस चेहरे को आईने में देखकर वो खुद डर जाती है ...उस चेहरे को अब वो प्रियम के लिए आजमाइश नहीं बना सकती ...वैसे भी अब वो कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती ...प्रिया कभी नहीं चाहती थी की इस बोझ तले उसका और प्रियम का प्यार कही खो जाये ...प्रिया ने सोच लिया था की बाकी की जिन्दगी भी वो प्रियम की हसीन यादों के साथ ही गुजार लेगी ...


अभी प्रिया इस सोचविचार में लगी ही थी की उसने एक हमदर्द आवाज सुनी ...

" अब कैसी तबीयत है तुम्हारी प्रिया ...पता है पूरे अठ्ठारह दिन बाद तुम होश में आयी हो ..तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी ...अच्छा चलो अब जल्दी से अपने घर वालों का नम्बर दो वो तुम्हारे लिए बहुत परेशान होगें ना ..."

प्रिया अपने सामने उस अजनबी को देखकर हैरान थी ...अजनबी ने भी जैसे प्रिया की बैचेनी समझ ली थी ...इसलिए प्रिया की आँखों में आँखे डालकर बोला ...

" तुम्हें याद है ना प्रिया बेल्जियम में हम तुमसे वादा किये थे की भले ही तुम्हारे साथ ना चल सके पर तुमसे दो कदम पीछे चलने का हक तुम हमसे नहीं छीन सकती ...जब तुम अपने देश वापस आ रही थी तो हम सकुशल तुम्हें तुम्हारे घर वालों के साथ देखना चाहते थे ..बस इसलिए तुम्हारे साथ उस सफर में साथ थे ...पर वो सफर कभी पूरा ही नहीं हुआ ...जानती हो प्रिया जब यह एक्सीडेंट हुआ मुझे खुद से ज्यादा तुम्हारी फ्रिक हुयी ..मुझे तो तैरना आता था ...और भगवान की कृपा से मुझे ज्यादा चोट भी नहीं लगी थी ...पर तुम डिब्बे के साथ ही पानी म़े डूब गयी थी ..मेरा दिल जानता है की कैसे मैं तुम्हें बाहर लेकर आया था ...तुम्हें बचाने के बाद मैनें पाँच और जानें भी बचाई थी ..फिर मैं खुद बेहोश हो गया ...अगर उस दिन तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाता ..."

प्रिया की समझ में नहीं आ रहा था की वो जिन्दगी के इस मजाक पर हँसे या रोये...उस अजनबी ने बार बार कोशिश की ...की प्रिया अपने अपनों के पास लौट जाये ..और जिन्दगी की तरफ वापस लौट जाये ..पर प्रिया का इनकार इकरार में बदल ही नहीं रहा था ...वो अब अपने लिए नौकरी ढूँढ रही थी ...अब इसे किस्मत का हसीन इत्तेफाक कहे या वक्त का जालिम सितम ..बहुत कोशिशों के बाद प्रिया को प्रियम के ऑफिस में ही जॉब मिल गयी ...प्रिया अब प्रियम की बॉस थी ...

इधर प्रियम रोज रोज बढ़ती वृन्दा की हरकतों से परेशान था ...उसने सोच लिया था आज तो वो वृन्दा से बात करके ही रहेगा ..आखिर वो चाहती क्या है ..क्यों हाथ धोकर उसके पीछे पड़ी है ...

ऑफिस का माहौल भी आजकल कुछ ज्यादा ही गरम है ..लोग अक्सर नये बॉस के बारे में गॉसिप करते मिल जाते है...किसी को लगता है की नयी बॉस हद दर्जा घंमडी है तो किसी को लगता है शायद ही मैडम ने कभी किसी से सीधे मुँह बात की होगी ...और तो और किसी ने आज तक नये बॉस का चेहरा भी नह़ी देखा था ...सबको अब लगने लग गया था की नयी बॉस कुछ ज्यादा ही खूबसूरत है और उन्हें इसी बात का घंमड है...

खैर प्रियम को इन सब हलचलों से कुछ लेना देना नहीं था वो अपनी ही जिन्दगी के तूफानों में उलझा हुआ था ...

इधर प्रिया के कानों में भी प्रियम और वृन्दा को लेकर उड़ती उड़ती खबरें जा पहुँची थी ...


वृन्दा और प्रियम के साथ ....???

यह सोचकर ही प्रिया का दिल बुरा हो गया था ...उसे याद है जब वो संगीत की तैयारी के लिए वृन्दा के घर जाती थी ..तो वृन्दा अक्सर बातों बातों में प्रियम की ढेर सारी तारीफें करती थी ...तब तो प्रिया आने वाली खुशियों की शहनाई में इस कदर खोई थी की उसे वृन्दा के दिल की आवाज सुनाई ही नहीं दी ...अब उसे याद आ रही थी वो सारी बातें ...मतलब वृन्दा पहले से ही प्रियम को चाहती थी ...और अब प्रियम भी वृन्दा को चाहने लगा है ...यह सोचना भी प्रिया को कितना खराब लगा था यह भी सिर्फ प्रिया ही जानती थी ...प्रिया ने गुस्से में पेपरवेट सामने ग्लास वॉल पर दे मारा था ...सारा ऑफिस इस अचानक वारदात से सहम गया था ...

प्रियम का पास बैठा आयुष इस बात पर मुँह बनाकर बोला ...

" हुह पता नहीं खुद को क्या तोप समझती है यह प्रिया मैडम ...अरे करी होगी बेल्जियम से पढ़ाई ..होगी गोल्ड मेडलिस्ट तो हम क्या करे ...इतनी घमंडी है मैडम की किसी को बात करने के लायक नहीं समझती ..लगता है जैसे दुनिया जहान के काम करने की जिम्मेदारी खुद ही ले रखी है ..सबसे पहले आ जायेगी और सबके जाने के बाद जायेगी ...पता नहीं क्या होगा हम सबका .."

प्रियम ने आयुष की बड़बड़ाहट पर कान ही नहीं धरे थे ..उसे तो बस आज हर हाल में वृन्दा नाम की मुसीबत से छुटकारा पाना था ....और वो कहावत भी तो है ना शैतान का नाम लो और शैतान हाजिर ....प्रियम वृन्दा के बारे में सोच ही रहा था कि .....तभी सामने से उसे वृन्दा आती नजर आयी ...और एक अदा के साथ प्रियम से बोली ...

" आओ प्रियम चलो साथ में लन्च करते है ...आज मैनें खास तुम्हारे लिए मटर मशरूम की सब्जी बनायी है साथ में नान भी है ..."

अभी वृन्दा कुछ और कहती इससे पहले ही प्रियम बोल उठा ..

" सुनों वृन्दा मुझे नहीं पता तुम अपने दिल में मेरे लिए क्या जज्बात रखती हो ...पर मैं कभी वादा खिलाफी नहीं करता ...मैनें प्रिया से वादा किया था ...मैं हमेशा हाथों में गुलाल लेकर उसका इन्तजार करूँगा ...और मैं मरते दम तक अपना वादा निभाऊँगा समझी तुम ...मेरे और तुम्हारे रास्ते अलग है ...और वो हमेशा अलग ही रहेगे ..."

प्रियम की बात सुनकर वृन्दा बिना कुछ बोले वहाँ से चली गयी ...अगले दिन सबकी जुबान पर बस एक ही बात थी ...

वृन्दा से ऑफिस से रिजाइन कर दिया था ...किसी और का तो पता नहीं पर प्रियम इस खबर से बहुत खुश था ...

प्रिया भी वृन्दा के इस तरह से चली जाने पर हैरान थी ...आज उसे पूरे स्टॉफ के साथ एक मीटिंग करनी थी ...पता नहीं क्यों उसका दिल घबरा रहा था ...उसे बस एक बात का ही डर था की प्रियम उसकी आवाज ना पहचान ले ...।

सब लोगों के साथ प्रियम भी मीटिंग रूम में अपने बॉस का इन्तजार कर रहा था ...प्रिया अभी नहीं आयी थी और सब उसके बारे में ही बातें कर रहे थे ...

सोनिया हाथों का माइक बना कर बोली ...

" सुनों सुनो सुनो ..अभी थोड़ी सी देर म़े हम सबके बीच महारानी एलिजाबेथ आने वाली है ...वो कभी हम सबको अपना चेहरा नहीं दिखाती है ...क्योंकि उन्हे लगता है हम सब बुरी नजर वाले है और उनको नजर लगा सकते है ...और तो और हमारी प्रिया मैडम जो की बेल्जियम से पढ़ाई करके आयी है ...और माशाअल्लाह उन्हें इसके लिए गोल्ड मैडल भी मिला है ...आप सब उनके कदमों की नजाकत देखिएगा ..वो अपने कदम इस तरह धरती पर रखती है ...जैसे धरती फूलों की बनी हुयी हो ..और उनके कदम रखते ही खराब हो जायेगी ..."

अभी सोनिया की बात खत्म भी नहीं हुयी थी की प्रिया सामने से आती दिखाई दी ...सोनिया ने जल्दी से अपनी सीट सम्भाल ली ..

वैसे तो प्रिया बहुत सम्भाल कर ही चलती थी पर आज जाने कैसे उसका पैर कारपेट में फँस गया ...वो मुँह के बल बस गिरने ही वाली थी की प्रियम ने आगे बढ़कर उसे थाम लिया ...

प्रिया के लड़खड़ाने से उसका नकली पैर एक तरफ झूल गया था ..साथ ही उसका स्कार्फ भी हट गया था ...प्रिया का चेहरा देखकर सोनिया की चीख निकल गयी थी ...

सोनिया की इस हरकत पर सबने उसे घूर कर देखा ...प्रियम को छोड़कर एक एक कर सब मीटिंग रूम से बाहर चले गये ...

प्रियम ने जल्दी से प्रिया के हाथ में पानी का गिलास पकड़ाया और बोला...

" मैम आर यू ओके ..चलिए मैं आपको आपके केबिन तक ले चलता हूँ ..."

यह कहते हुये प्रियम ने प्रिया का हाथ थाम लिया ..प्रिया ने भी प्रियम को कुछ नहीं बोला ...हाँ अपने केबिन में आकर अपना चेहरा छिपाकर फूट फूटकर रो दी ...

प्रिया के केबिन से बाहर आकर प्रियम सीधे सोनिया की सीट पर गया और बोला ...

" तुम्हें शरम आनी चाहिए सोनिया ..किसी के बारे में बिना कुछ जाने कुछ भी बोल रही थी ..पता नहीं उनके साथ क्या हादसा हुआ होगा ..फिर भी देखो वो आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है .."

प्रियम की बात पर सोनिया सर झुका कर बोली ...

" आई एम सॉरी ...प्रियम सर ...हम सबको कुछ भी नहीं मालूम था वरना ऐसा कुछ नहीं होता ..मैं आज भी जाकर मैडम से माफी माँग लूँगी .."


प्रियम ने एक नजर सोनिया की तरफ देखा और ऑफिस से बाहर चला गया ...जाने क्यों आज जब उसने अपनी बॉस का हाथ थामा तो उसे प्रिया की याद बेतहाशा आयी थी ..वो जानता था यह उसकी प्रिया नहीं हो सकती ...क्योंकि उसकी प्रिया तो उससे दो मिनट भी दूर नहीं रह सकती थी ...

" तुमने वादा तोड़कर बहुत गलत किया प्रिया ..बहुत गलत "

प्रियम ने एक बार फिर ख्यालों ख्यालों में प्रिया को मुखातिब किया ...

होली आने में बस तीन दिन बाकी थी ..और ऑफिस में सबका उत्साह देखने लायक था ...ऑफिस के लॉन में होली खेलने की सारी तैयारी थी ...सारा ऑफिस खुश था ...प्रिया और प्रियम को छोड़कर ...

प्रियम जबरदस्ती खुद को व्यस्त रखने की कोशिश कर रहा था ..वहीं प्रिया अपने बार बार बहने वाले आँसुओ को रोक रही थी ...

तभी सोनिया उसके केबिन में आ गयी ...

" मैम आप ने मुझे माफ कर दिया ना मैनें उस दिन जानबूझकर कुछ नहीं किया था ...प्लीज मैम आई एम सॉरी ...मैम अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं आपके गुलाल लगा सकती हूँ .."

यह कहकर सोनिया ने प्रिया की तरफ कदम बढ़ाये ...

प्रिया अचानक ही घबरा कर खड़ी हो गयी ...और बोली ...

" सॉरी सोनिया मैं होली नहीं खेलती ...और हाँ मैनें तुम्हें माफ कर दिया तुम्हारी तो कोई गलती भी नहीं है ..तुम मेरा क्या मजाक बनाओगी ...मेरा मजाक तो मेरी किस्मत बना चुकी है "

प्रिया की बात पर सोनिया दो कदम पीछे हट गयी ..पर साथ ही उसके कदमों को जैसे जमीन ने जकड़ लिया था ...प्रिया मैडम के डेस्कटॉप पर एक स्लाइड्स शो चल रहा था ...जिसमें प्रिया और प्रियम की ढेर सारी हँसती मुस्कुराती फोटो कैद थी ...

सोनिया बिना कुछ कहे प्रिया के केबिन से बाहर चली गयी और प्रियम के पास जाकर बोली ...

" आपको पता है प्रियम सर ...प्रिया मैडम के पास आपकी बहुत सारी तस्वीरें है .."

सोनिया की बात पर प्रियम ने बे यकीन हो कर सोनिया की तरफ देखा ...

तो सोनिया हड़बड़ाकर बोली ...

" हम झूठ नहीं बोल रहे सर हमनें खुद अपनी आँखों से देखा है ..."

प्रियम बिना एक पल गँवाये ..प्रिया के सर पर खड़ा था ...

" कौन हो तुम ???"


प्रियम की बात पर प्रिया सर झुका कर खड़ी हो गयी ...

प्रिया की चुप्पी प्रियम के लिए नाकाबिले बर्दाश्त थी..

" बोलती क्यों नहीं ....तुम मेरी प्रिया हो ना ??

क्यों किया तुमने मेरे साथ ऐसा ..."???

जानती हो तुम्हारे चले जाने पर मैनें खुद भी जीना छोड़ दिया है ..."

तुम्हें मुझपर जरा भी तरस नहीं आया प्रिया ...क्या तुम नहीं जानती थी की तुम्हारा प्रियम तुम्हारे बिना नहीं रह सकता ..."


" प्रियम उस हादसे ने सब खत्म कर दिया ...मैं आधी अधूरी तुम्हारे पास कैसे वापस आ सकती थी ..."

" शट अप प्रिया जस्ट शट अप आखिर मेरे प्यार में क्या कमी रह गयी थी जो तुम मुझपर इतना भरोसा नहीं कर सकी ...तुमने एक बार भी नहीं सोचा की तुम्हारे खो जाने पर मुझपर क्या गुजरेगी ..."

प्रियम की बात पर प्रिया सर झुका कर बोली ...

" मुझे माफ कर दो प्रियम मुझे अपनी गलती समझ आ गयी है ...मैं सच में बहुत बेवकूफ हूँ "

" नहीं प्रिया अब तुम्हें इतनी आसानी से माफी नहीं मिलेगी ...तुमने जो किया है उसकी सजा तो तुम्हें जरूर मिलेगी ..."

" सजा कैसी सजा प्रियम ..."

प्रिया की बात पर प्रियम अपनी मुस्कान दबाता हुआ बोला ...

" सुनों प्रिया अब तुम्हें इन नकली सहारों की जरुरत नहीं है ..."

यह कहते हुए प्रियम ने प्रिया को गोदी में उठा लिया ...और फिर उसकी आँखों में आँखें डालकर बोला....

और आपकी सजा यह है प्रिया मैडम की आज आपका प्रियम अपने हाथों से आपके गालों पर गुलाल लगायेंगा और फिर आपको पाँच पानी वाली पानीपूरी भी खिलाने ले जायेगा...बहुत इन्तजार कराया प्रिया ..अब मैं भी गिन गिनकर बदला लूँगा ..."

प्रियम की बात सुनकर प्रिया ने खुद को प्रियम के आगोश मे छुपा लिया था ....

जुदाई का मौसम अब गुलाल के रंग में रंग गया था ...






नेहा अग्रवाल नेह