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तक़दीर

यह कहानी है ,दो बच्चों की एक लड़का जिसका नाम सीनू था और एक लड़कीजिसका नाम जुगनू था। सीनू एक बहुत गरीब लड़का था। वो फुटपाथ पर भीख माँगता था और जुगनू एक अमीर घर की लड़की थी। अमीरी और गरीबी ना देखते हुए वह दोनों एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे। सीनू को वाईलीन बजाने का बहुत शौक था। जुगनू के कहने पर उसने एक नई धून तैयार की थी। सीनू को स्कगाड़ी से रोज़ ।०० रूपये मिलते थे। जो कि उसे जुगनू देती थी, लेकिन सीनू को इस बारे में पता नहीं था। एक दिन जुगनू के पापा का ट्रांसफर कहीं और हो गया जिससे उन्हें कहीं और जाना पड़ा। लेकिन जाने से जुगनू ने रोज़ की तरह सीनू को I०० रूपये दिए और बार उसने उस नोट पर अपना नम्बर लिखकर दे दिया। लेकिन सीनू के वो नम्बर देखने से पहले ही एक लड़का जो कि सीनू की तरह भीख माँगता था उसने वो नोट सीनू से छीन लिया और वहाँ से भाग गया, तब सीनू भी उसके पीछे भागने लगा वो नोट उससे वापस लेने के लिए तभी सीनू का एक कार से एक्सीडेंट हो गया। वो कार एक औरत चला रही थी। वो जल्दी से उसे अस्पताल लेकर गई, सीनू को ज्यादा चोट नहीं आई थीं। लेकिन पुलिस के आने से वो औरत बहुत डर गई थी, उसने अपने पति को जल्दी से फोन किया उस औरत का पति बहुत बड़ी बिज़नस मेन था। उस औरत का पति थोड़ी देर बाद वहाँ पहुँचा फिर जब वो उस लड़के से मिलने जा रहा था, तब उसने देखा कि एक पुलिस वाला उससे पैसे न लूटने के लिए सीनू को झूठ बोलने के लिए कह रहा था। लेकिन सीनू इतना अच्छा बच्चा था कि उसने उस पुलिस वाले कि बात नहीं मानी और बल्कि वो उस औरत के बारे में पूछने लगा कि क्या वो ठीक है। जब उस औरत के पति ने यह देखा ताे वो बहुत खुश हुआ। वो दोनों सीनू को अपने घर ले आए। उन दोनों पति और पत्नी को खुद का कोई बच्चा नहीं था और वो एक बच्चे अडोप्त भी करना चाहते थे। तभी उस औरत ने अपने पति से कहा कि हम सीनू को अपना बेटा बना लेते है। उसका पति भी उसकी बात से सहमत हो गया और उसी दिन उसने सीनू से पूछा की क्या तुम हमारे साथ ही रहोगे तो सीनू ने भी हाँ बोल दिया। वो दोनों पति-पत्नी बहुत खुश हुए। उन्होंने सीनू का एडमीशन बहुत अच्छे स्कूल में करवाया। वो दोनों सीनू के मम्मी-पापा होने के बाद भी सीनू ने उन्हें मम्मी-पापा नहीं बुलाया, वो उन्हें अंकल और आंटी बुलाता था। जिससे उन्हें बहुत बुरा लगता था। काफी दिन बितने के बाद भी सीनू जुगनू को भूला नहीं पाया था। बोरोज़ उस पार्क में जाता था, जहाँ वो दोनों मिलते थे। दूसरी तरफ जुगनू सीनू का फोन आने का इंतजार करती थीं। जब भी कोई फोन आता था तो जुगनू को ऐसा लगता था कि सीनू का फोन आया है। जुगनू और सीनू रोज़ एक दूसरे बहुत याद करते थे। इस तरह कई साल बित गए, जुगनू और सीनू दोनों बहुत बडे हो गए। फिर एक दिन