navita ki Kalam se .. books and stories free download online pdf in Hindi

नविता की कलम से...

नविता की कलम से...


✍️ 🎼Navita 🎼 ✍️


🥀 Dedicated to 🌷


My lovely family

Specially my mother- in -law

My friends- Garry ,Sonam & me ..


Thanks to - Wr.Messi 🙏🙏


Also Dedicated to :
🤗 All world's Wonderful reader's 🤗


Cover page - Wr. Messi 🙏


📚 Book summary 📚


नमस्कार मेरा नाम नविता जिंदल है और मैं मूल रूप से पंजाब के पटियाला शहर की रहने वाली हूँ। फिर चंडीगढ़ में शादी की और भारत के विभिन्न हिस्सों में घूमने का मौका मिला मुझे । इस यात्रा के माध्यम से मैंने कई लोगों और जीवन की कई घटनाओं से बहुत प्यार जमा किया है। और मेरी इस novel के माध्यम से "नविता की कलम से.." मैं उस प्रेम के सार को बरसाना चाहती हूं जो अभी भी मेरे अंदर बसा हुआ है और जीवन की सभी यादो को आप सब के साथ शेयर करना चाहती हूँ । यहाँ मेरे प्यार का प्रस्ताव है।इस novel मे आप सब को नई नई कहनियाँ पढ़ने को मिले गई l जिस के साथ कुछ ज़िन्दगी के सच , और प्यार भरी कविताएँ मिले गई l



"नविता की कलम से ..." Novel को लिखने के लिए Wr.Messi जी ने मुझे प्रेरित किया और मेरी मदद करी ,जिसे में कभी नहीं भूल सकती l इस novel को लिख कर मुझे जितनी ख़ुशी हो रही है , उम्मीद है आप सब wonderful reader's को भी पढ़ने मे उतनी ख़ुशी होगी l




Happy reading ☺️

All lovely readers 😊😊






1 - 🎼 ज़िन्दगी जीने की चाहत 🎼


ज़िन्दगी मे हम आज को भूल ,कल की फ़िक्र मे लगे रहते है l कभी धन की चाहत , तो कभी बेटे की चाहत , तो कभी और इच्छा पूरी करने की चाहत l इसी इच्छा के चकर मे आज मे जीना भूल जाते हैं l हम क्यों नहीं आज मे जीते ? क्यों कल को आज ही , बनाने लग जाते है ? जब की कल का किसी को नहीं पता l

मेरी ये कहानी एक ऐसे परिवार की है , जिन के पास सब कुछ था , फिर भी कुछ चाहत थी , ज़िन्दगी जीने की l

सतपाल जी, घर मे सब से बड़े बेटे थे l उन के चार भाई और ३ बहने थी l सतपाल जी का कारोबार बहुत अच्छा था l धन की कोई कमी नहीं थी l. एक भाई डॉक्टर था , और एक गवर्नमेंट नोकरी , और दो पढ़ रहे थे l बहनो की शादी कर दी थींl

सतपाल जी की शादी होई l उन के घर ३ बेटियाँ पैदा होइ l सतपाल जी और उन की पत्नी को बेटे की चाहत थी l जब ३ बेटियाँ होने के बाद ,फिर से बेटी ना हो जाये, इस डर से उन्हों ने एक बेटे को गोद लिया l पर भगवान की मर्जी के आगे किस की चली है , बेटे को निमोनिया बीमारी होगी। जिस के इलाज के लिए वो दोनों इधर उधर बहुत भागे ,पर कोई इलाज ना हुआ l आखिर वो भगवान को प्यारा हो गया l बेटे की चाहत फिर रहे गई l १५ साल बाद फिर एक लड़की का जन्म हुआ l. सतपाल जी की पत्नी अपने देवर (राज) के परिवार से जलती थी क्योकि उन के घर दो लड़के थे l

जब भी जे बेटे की चाहत की बात होती है तो मुझे "अजीत कुमार तलवार" जी की कविता हमेशा याद आ जाती हैं की

बेटा वारस है, तो बेटी पारस है.
बेटा वंश है, तो बेटी अंश है.
बेटा आन है, तो बेटी शान है.
बेटा तन है, तो बेटी मन है.
बेटा मान है, तो बेटी गुमान है.
बेटा संस्कार है, तो बेटी संस्क्रति है.
बेटा आग है, तो बेटी बाग है.
बेटा दवा है, तो बेटी दुआ है.
बेटा भाग्य है, तो बेटी विधाता है.
बेटा शब्द है, तो बेटी अर्थ है.
बेटा गीत है, तो बेटी संगीत है.
बेटा प्रेम है, तो बेटी पुजा है.
कुछ भी हो बेटी तो बेटी है
पर बेटा भी तो बेटा ही है न
हर घर की शान भी तो है
पर कभी दोनों में अंतर न करो
प्यार से दोनों को सदा सींचो !!

ज़िन्दगी के आखरी दिनों मे सतपाल जी को संभाला तो उन की बेटियो ने l बेटा अगर बड़ा हो कर माँ बाप को ना संभाले ,तभी हम सब यहीं कहते है की " अच्छा होता भगवान बेटी दे देता " l तो पहले से क्यों हम बेटे की चाहत करते है ?

राज, सतपाल जी का दूसरा भाई था, जो डॉक्टर था l उसके पास धन भी था और बेटे भी l. फिर भी उस के घर खुशियां नहीं थी l डॉक्टर जी की पत्नी अपने बेटे को जन्म देने के बाद ख़ुशी से रह रही थी l अचानक एक दिन उसकी ताबित खऱाब होगी l उसके फेफड़े खऱाब हो गए, जिसके कारण उसकी मौत होगी l डॉक्टर जी ने बच्चों के लिए दूसरी शादी करी l पर वो पत्नी उसके बेटों को नहीं चाहती थी , इसलिए वो डॉक्टर को छोड़ कर चली गई l. फिर डॉक्टर ने ३ शादी करी , जो सफल ना रही l फिर ४ शादी करी , वो पत्नी भी घर पर लड़ाई झगड़ा करती l .इसलिए डॉक्टर अपने परिवार को लेकर दूर चले गये l

उधर ४ भाई जो घूमने के लिए गंगा सागर गया था , वहाँ गाड़ी गंगा साग़र मे गिरने से भगवान को प्यारा होगा l फिर ५ भाई के फेफड़ो मे पानी भरने के कारण भगवान को प्यारा हो गया l डॉक्टर भी अपने बेटों की शादी कर भगवान को प्यारे हो गए l

ये सब दुःख देखने के लिए एक सतपाल जी थे , जिन्हों ने बाद मे सब भाईओ के परिवार को संभाला , सब बच्चों को क़ारोबार मे सेट करा l ज़िन्दगी के दुःख देखते देखते वो खुद बीमार रहने लगे , जे देख उन की बेटियाँ सतपाल जी को अपने पास लेकर चली गई l

"ज़िन्दगी मे दुःख कब आ जाये पता नहीं , जरूरत है तो उन से लड़ने के लिए हिम्मत की l ज़िन्दगी को हँस कर जीओ ,रोना तो हम जन्म से ही सीख जाते है l"

सब कुछ होने के बाद भी सतपाल जी ज़िन्दगी को ख़ुशी से जी नहीं पाए l

क्या करनी ऐसी ज़िन्दगी ? जिसमे धन होने के बाद भी ख़ुशी ना थी l. जिस के पास बेटा था , तो पत्नी का सुख ना था l बेटे को माँ का प्यार ना था l तो क्या करनी ऐसी ज़िन्दगी ? जिस मे हम आज मे जीना ही भूल गए l कल की फ़िक्र मे आज रोते रहे l.
ज़िन्दगी को खुल कर जीओ l कल का सोच आज क्यों जीना भूल जाते हो ?



"इस कदर जीना है मुझे की,
आने वाले कल की फिक्र ना हो,
बीत गया जो कल में,
उसका फिर कभी जिक्र ना हो….

" ज़िन्दगी जीने की चाहत " को पूरा करो l
चाहत को ज़िन्दगी मत बनाओ l


To Be continue to next chapter...


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Thanku so much 🙏🙏

Navita 🎼