Animal Farm - Original author George Orwell books and stories free download online pdf in Hindi

एनिमल फार्म - मूल लेखक जॉर्ज ऑरवेल

अध्याय १


मैनर फ़ार्म के श्री जोन्स ने रात के लिए मुर्गी-घरों को बंद कर दिया था। लेकिन बहुत नशे में होने के कारण वह झरोखों को बंद करना भूल गया था।लालटेन के प्रकाश का घेरा उसके अगल-बगल नाच रहा था। उसने अहाते के आर-पार लड़खड़ाते हुए चलकर पीछे के दरवाजे को लात मारकर खोला। बावर्चीख़ाने के डिब्बे से बीयर का एक आखिरी गिलास निकालकर पीया और बिस्तर पर चला गया जहां श्रीमती जोन्स पहले से ही खर्राटे भर रही थीं।


जैसे ही शयनकक्ष का प्रकाश बंद हुआ, सम्पूर्ण फ़ार्म की इमारतों में एक उत्तेजना और घबराहट सी फैल गयी। दिन में एक ख़बर फैल गयी थी कि पिछली रात में वृद्ध मेजर, जो श्रेष्ठ मिडिल वाइट नस्ल का एक सूअर था, ने एक अजीब सपना देखा था और वह इसे अन्य जानवरों को बताना चाहता था। इस बात पर सहमति हो गई थी कि मिस्टर जोन्स के जाते ही वे सब बड़े खलिहान में मिलेंगे। वृद्ध मेजर (उसे हमेशा इसी नाम से बुलाया जाता था हालांकि उसका नाम विलिंग्डन ब्यूटी था) का फ़ार्म पर बहुत ही सम्मान था। इसलिए उसे सुनने के लिए हर कोई एक घंटे की नींद खोने के लिए तैयार था।

मेजर बड़े खलिहान के छोर पर बने एक ऊँचे मंच पर पुआल के आसन पर विराजमान था। ऊपर बीम से एक लालटेन लटकी रही थी। वह बारह वर्ष का था। हालाँकि वह थोड़ा मोटा हो गया था किन्तु इसके बावजूद कि उसकी दाढ़ों को कभी काटा नहीं गया था, वह अभी भी अपनी समझदारी और उदारता के साथ एक राजशाही दिखने वाला सुअर था। बहुत पहले से ही अन्य जानवरों का आना शुरू हो गया था और वे आ आकर अपने-अपने तरीक़े से बैठ गए थे। सबसे पहले तीन कुत्ते-ब्लूबेल, जेसी और पिंचर आए। फिर सूअर आये, जो मंच के ठीक सामने भूसे पर बैठ गए। मुर्गियाँ खिड़की के झरोखों पर बैठ गयीं। कबूतर शहतीर पर फड़फड़ाने लगे। भेड़ और गायें, सूअरों के पीछे बैठ गयीं और जुगाली करना शुरू कर दिया। दो गाड़ी वाले घोड़े- बॉक्सर और क्लोवर- एक साथ आए। वे बहुत धीरे-धीरे चल रहे थे। वे अपने विशाल बालों वाले खुरों को बड़ी सावधानी से रख रहे थे ताकि वे पुआल में छुपे किसी छोटे जानवर पर न पड़ जायें। क्लोवर मध्यम आयु की एक मज़बूत ममतामयी घोड़ी थीं। चौथा बच्चा जनने के बाद उसका रंग-रूप पहले जैसा नहीं रह गया था। बॉक्सर लगभग अठारह हाथ ऊँचा एक विशाल जानवर था। उस अकेले में दो घोड़ों के बराबर बल था। नाक के नीचे की सफेद पट्टी से वह कुछ हद तक मूर्ख लगता था। वास्तव में वह पहले दर्जे की बुद्धि वाला था भी नहीं। तो भी उसमें चरित्र की स्थिरता और काम करने की ज़बरदस्त क्षमता के कारण उसका सब सम्मान करते थे। घोड़ों के बाद मुरील- सफेद बकरी और बेंजामिन-गधा आये। बेंजामिन फ़ार्म पर सबसे पुराना और सबसे बुरे स्वभाव का जानवर था। वह शायद ही कभी बात करता था। और कभी करता भी था तो आमतौर पर कोई सनकी टिप्पणी करने के लिए। उदाहरण के लिए वह कहता था कि भगवान ने उसे पूँछ इसलिए दी है कि वह मक्खियों को दूर रख सके। लेकिन जल्द ही न उसके पूंछ रहेगी और न ही मक्खियाँ रहेंगी। फ़ार्म के जानवरों में अकेला वही था जो कभी नहीं हंसा था। अगर उससे पूछा जाता कि क्यों? तो वह कहता कि उसने ऐसा कुछ देखा ही नही जिस पर हँसा जा सके। फिर भी खुले तौर पर स्वीकार किए बिना वह बॉक्सर के लिए समर्पित था। दोनों आमतौर पर रविवार का दिन बाग़ से दूर छोटे-छोटे खेतों में बिना बोले साथ-साथ चरते हुए बिताते थे।


दोनों घोड़े बस बैठे ही थे कि बत्तखों का एक झुंड जिनकी माँ मर गयी थी मरियल सी चहचहाट करते हुए खलिहान में दाखिल हुआ और इधर-उधर घूमकर ऐसी किसी जगह की तलाश करने लगा जहाँ कुचले जाने का ख़तरा न हो। क्लोवर ने अपने अगले पैरों से उनके चारों ओर एक घेरा सा बना दिया। बत्तख़ के बच्चे घोंसला समझकर उसके अंदर बैठ गए और तुरंत ही निंद्रामग्न हो गए। अन्त में मोली- जो एक मूर्ख और सुंदर सफेद घोड़ी थी और मिस्टर जोन्स के जाल में फँसी हुई थी- गुड़ का ढ़ेला चबाते हुए बड़े नाज़-नख़रे के साथ अन्दर आयी। वह मंच के पास सामने ही बैठ गयी। उसने अपनी सफेद अयाल को इस उम्मीद से हिलाना शुरू कर दिया कि सब का ध्यान उस पर चित्रित लाल धारी की ओर आकर्षित हो। सबसे आखिर में बिल्ली आई। जो हमेशा की तरह सबसे गर्म जगह के लिए इधर-उधर देखने लगी और आखिरकार बॉक्सर और क्लोवर के बीच में घुस कर बैठ गई। जहाँ से वह मेजर के कहे हुए एक भी शब्द को सुने बग़ैर पूरे भाषण के दौरान सहमति स्वरूप म्याऊँ-म्याऊँ करती रही।


मूसा-पालतू कौआ, जो पिछले दरवाजे के ऊपर बने घोंसले में सोया रहता था - को छोड़कर सभी जानवर अब मौजूद थे। जब मेजर ने देखा कि वे सभी आराम से बैठ चुके हैं और चौकस होकर उसे सुनने का इंतजार कर रहे हैं, तो उसने अपना गला साफ किया और बोलना शुरू किया:


"भाइयों और बहनों! पिछली रात मुझे जो अजीब सपना आया था उसके बारे में तो आप पहले ही सुन चुके होंगे। लेकिन सपने पर मैं बाद में आऊंगा। उससे पहले मुझे आपसे एक बात और कहनी है। भाइयों और बहनों! मुझे नहीं लगता कि अब मैं आपके साथ लंबे समय तक रहूंगा। मैं सोचता हूँ कि मरने से पहले यह मेरा कर्तव्य है कि जो ज्ञान मैंने अर्जित किया है वह आप लोगों को समर्पित कर दूँ। मैंने लंबा जीवन जीया है। मैं अपनी कोठरी में अकेला पड़ा रहता था इसलिए मेरे पास विचार करने के लिए बहुत समय था। मुझे लगता है कि मैं यह कह सकता हूँ कि मैं इस धरती पर जीवन की प्रकृति के साथ-साथ इस पर रहने वाले सभी जानवरों के बारे में समझता हूं। मैं इस बारे में आपसे बात करना चाहता हूं।


"भाइयों और बहनों! सोचो, हमारे इस जीवन का स्वरूप क्या है? आइए हम इसका सामना करें। हमारा जीवन दयनीय, ​​श्रमसाध्य और संक्षिप्त है। हम पैदा होते हैं। हमें सिर्फ इतना भोजन दिया जाता है जिससे हमारे शरीर में सांस बनी रहे। हममें से जो सक्षम हैं वे अपनी ताक़त के अंतिम छोर तक काम करने के लिए मजबूर हैं। जिस क्षण हमारी उपयोगिता समाप्त हो जाती है, हमें घृणित क्रूरता के साथ मार दिया जाता है। इंग्लैंड में कोई भी जानवर एक वर्ष का होने के बाद खुशी या अवकाश का अर्थ नहीं जानता है। इंग्लैंड में कोई भी जानवर स्वतंत्र नहीं है। एक जानवर का जीवन दुःख और गुलामी के सिवाय कुछ नहीं है। यह एक प्रकट सत्य है।


"लेकिन क्या यह मात्र प्रकृति के नियम का हिस्सा है? क्या यह इसलिए है कि हमारी यह भूमि इतनी गरीब है कि यह उन लोगों को एक सभ्य जीवन नहीं दे सकती है जो इस पर निवास करते हैं? नहीं! भाइयों और बहनों! मैं हज़ार बार कहूँगा नहीं! इंग्लैंड की मिट्टी उपजाऊ है। इसकी जलवायु अच्छी है। यह इस समय निवास करने वाले जानवरों की तुलना में कहीं बहुत अधिक जानवरों को प्रचुर मात्रा में भोजन देने में सक्षम है। हमारा यह अकेला फ़ार्म एक दर्जन घोड़ों, बीस गायों और सैकड़ों भेड़ों का पालन पोषण कर सकता है और वे सभी ऐसे आराम और गरिमा के साथ रह सकते हैं जो अभी हमारी कल्पना से भी परे है। फिर क्यों हम लगातार इस दयनीय स्थिति में बने हुए हैं? क्योंकि हमारे श्रम की लगभग पूरी उपज मनुष्य हमसे चुरा लेता है। भाइयों और बहनों! यह है हमारी सभी समस्याओं का जवाब! इसको एक ही शब्द में अभिव्यक्त किया जा सकता है- मनुष्य। मनुष्य ही हमारा एकमात्र वास्तविक शत्रु है। मनुष्य को दृश्य से हटा दो तो भूख और अधिक काम का मूल कारण हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा।


"मनुष्य एकमात्र ऐसा प्राणी है जो बिना उत्पादन के उपभोग करता है। वह दूध नहीं देता। वह अंडे नहीं देता। वह इतना कमज़ोर है कि हल भी नहीं खींच सकता। वह इतना भी नहीं दौड़ सकता कि खरगोशों को पकड़ सके। फिर भी वह सभी जानवरों का स्वामी है। वह उन्हें काम पर लगाता है। वह उन्हें मात्र इतना देता है कि वे बस भुखमरी से बचे रहें। बाकी सब वह अपने लिए रख लेता है। मिट्टी की जुताई हमारे श्रम से होती है। हमारा गोबर उसे उर्वर बनता है। फिर भी हमारे पास नंगी त्वचा के सिवाय कुछ भी नहीं है। मैं अपने सामने बैठी इन गायों से पूछता हूँ! आपने पिछले साल के दौरान कितने हजार गैलन दूध दिया? उस दूध का, जो मजबूत बछड़ों के पीने के काम आना चाहिए था, क्या हुआ? उसकी हर बूंद हमारे दुश्मनों के गले के नीचे उतर गई। मुर्ग़ियों तुम बताओ, तुमने पिछले वर्ष कितने अंडे दिए। उन अंडों में से कितनों को सेकर चूज़े निकाले गए। बाकी सब जोन्स और उसके लोगों के लिए पैसों की ख़ातिर बाज़ार चले गए। क्लोवर, तुम बताओ, कहाँ गए वो चार बछेरे, जिनको तुमने जना था और जो बुढ़ापे में तुम्हारा सहारा बनते। तुम्हें सुख देते। सब को एक साल का होते होते बेच दिया गया। तुम उनमें से किसी को भी फिर कभी नहीं देख पाओगी! फ़ार्म में कठीन श्रम और घोर कारावास के बदले आपको क्या मिला! बस पेटभर खाना! और रहने के लिए एक कोठरी!


"यहां तक ​​कि इस दुःखी जीवन को जिसे जीने के लिए हम मजबूर हैं, उसके स्वाभाविक काल तक नहीं पहुंचने दिया जाता। मैं अपने लिए बैचेन नहीं हूँ। क्योंकि मैं भाग्यशाली हूं। मेरी उम्र बारह साल है। मेरे चार सौ से अधिक बच्चे हो चुके हैं। एक सुअर का यही स्वाभाविक जीवन है। लेकिन कोई भी जानवर अंत में क्रूर चाकू से नहीं बचता है। यहाँ मेरे सामने जो युवा शूकर बैठे हैं, मैं उनसे कहता हूँ, आप में से हर कोई एक साल के भीतर-भीतर कसाई के पाटे पर अपने जीवन की भीख माँग रहा होगा। उस डरावनी स्थिति में हम सबको आना है -गायों को , सूअरों को, मुर्ग़ियों को, भेड़ों को, हर किसी को। यहाँ तक कि घोड़ों और कुत्तों का भी कोई बेहतर भविष्य नहीं है। बॉक्सर, तुमको भी जोन्स उसी दिन जिस दिन तुम्हारी ये बड़ी बड़ी मांसपेशियाँ अपनी शक्ति खो देंगी कसाई को बेच देगा। जो गला काट कर तुम्हें विलायती कुत्तों के लिए उबाल कर रख देगा। जहाँ तक कुत्तों की बात है, जब वे बूढ़े और दन्तविहीन हो जाते हैं तब जोन्स उनकी गर्दन से एक ईंट बाँध देता है और उन्हें पासवाले तालाब में डुबो देता है।


"भाइयों और बहनों! क्या तब यह सुस्पष्ट नहीं है कि हमारे इस जीवन की सभी बुराइयाँ मनुष्य के अत्याचार से उत्पन्न होती हैं? बस केवल मनुष्य से छुटकारा प्राप्त कर लो फिर हमारे श्रम की उपज हमारी अपनी होगी। हम एक रात में अमीर और आज़ाद हो सकते हैं। तब हमें क्या करना चाहिए? क्यों? मनुष्य जाति को उखाड़ फेंकने के लिए हमें शरीर और आत्मा से रात-दिन काम करना चाहिए! भाइयों और बहनों! यही आपके लिए मेरा संदेश है। विद्रोह! मुझे नहीं मालूम कब वह विद्रोह होगा। एक सप्ताह में भी हो सकता है। या फिर सौ वर्ष भी लग सकते हैं। लेकिन मुझे निश्चित रूप से पता है। वैसे ही जैसे मैं अपने पैरों के नीचे के इस पुआल को देख रहा हूँ। कि देर- सवेर न्याय ज़रूर होगा। भाइयों और बहनों! अपने थोड़े से बचे इस शेष जीवन में अपनी नज़रें इस पर जमाये रखो! और सबसे बढ़कर, मेरे इस संदेश को उन लोगों तक पहुँचाओ जो आपके बाद आनेवाले हैं। ताकि आने वाली पीढ़ियां तब तक संघर्ष करती रहें जब तक उन्हें विजय प्राप्त न हो जाए।


"और हाँ, याद रखना भाइयों और बहनों! आपका संकल्प कभी भी न लड़खड़ाए। कोई भी तर्क आपको न भटकाये। उनको कभी भी मत सुनो जो आपको यह बताएं कि मनुष्य और जानवरों का हित एक समान है और एक की समृद्धि दूसरों की समृद्धि है। यह सब झूठ है। मनुष्य अपने सिवाय किसी भी प्राणी का हित नहीं करता है। हम सब जानवरों के बीच संघर्ष के लिए पूर्ण एकता, पूर्ण भाईचारा रहना चाहिए। सभी मनुष्य दुश्मन हैं। सभी जानवर भाई-बहन हैं।"


उसी क्षण एक जबरदस्त हंगामा हुआ। जब मेजर बोल रहा था तब चार बड़े चूहे अपने बिलों से बाहर निकल आए थे और अपने पिछले पैरों पर बैठकर उसको सुन रहे थे। कुत्तों की नज़र अचानक उन पर पड़ गई। बस दौड़कर अपने बिलों में घुसने से ही चूहों की जान बच पाई। मेजर ने चुप्पी साधने के लिए अपना पंजा उठाया।


वह बोला- "भाइयों और बहनों! यहां एक बिंदु है जिसे सुलझाया जाना आवश्यक है। जंगली जीव, जैसे चूहे और खरगोश, क्या वे हमारे दोस्त हैं या दुश्मन? आइए हम इस पर मतदान करते हैं। मैं इस प्रश्न को सभा के सामने रखता हूं- "क्या चूहे हमारे भाई-बहन हैं? ”


तुरंत मतदान हुआ और भारी बहुमत से यह सहमती बनी कि चूहे भी ‘भाई-बहन’ थे। केवल चार ने विरोध में मतदान किया था। तीन कुत्ते और एक बिल्ली। जिनके बारे में बाद में पता चला कि उन्होंने दोनों पक्षों में मतदान किया था। मेजर ने बोलना जारी रखा-


"अब मुझे केवल कुछ बातें और कहनी हैं। मैं दोहराना चाहता हूं कि हमेशा मनुष्य और उसकी संस्कृति के प्रति शत्रुता के अपने कर्तव्य को याद रखें। जो कुछ भी दो पैरों पर चलता है वह दुश्मन है। जो भी चार पैरों पर चलता है या जिसके पंख हैं वह दोस्त है। यह भी याद रखें कि मनुष्य के खिलाफ लड़ते हुए हमें उस जैसा नहीं होना है। यहां तक ​​कि आप उस पर विजय प्राप्त कर लें तब भी उसके दोषों को नहीं अपनायें। कोई भी जानवर कभी भी घर में नहीं रहे। बिस्तर पर न सोए। कपड़े न पहने। शराब का सेवन न करे। तम्बाकू न पिये। धन का स्पर्श न करे। व्यापार नहीं करे। मनुष्य की सभी आदतें बुराई हैं। सबसे बढ़कर, किसी भी जानवर को कभी भी अपनों पर अत्याचार नहीं करना चाहिए। कमजोर या मजबूत, चालाक या सरल, हम सब भाई-भाई हैं। कोई भी जानवर किसी अन्य जानवर को नहीं मारे। सभी जानवर समान हैं।


"अब भाइयों और बहनों! मैं आपको कल रात के अपने सपने के बारे में बताऊंगा। मैं उस सपने का वर्णन नहीं कर सकता। यह ऐसी धरती का सपना था जैसी वह मनुष्य के लुप्त हो जाने पर होगी। लेकिन इसने मुझे उस बात की याद दिला दी जिसे मैं बहुत पहले भूल चुका था। कई साल पहले, जब मैं बच्चा था, मेरी माँ और अन्य सूअरियां एक पुराना गीत गाती थीं। जिसमें वे केवल धुन और पहले तीन शब्दों को जानती थीं। मैं बचपन में उस धुन को जनता था। लेकिन लंबे समय से यह मेरे दिमाग से निकल गयी। तथापि कल रात वह मेरे सपने में मेरे पास वापस आ गयी। तुमको क्या बताऊँ! गीत के शब्द भी वापस आ गए। मेरा पक्का विश्वास है कि ये वही शब्द हैं जो बहुत पहले के जानवर गाते थे और जो समय के साथ विस्मृत हो गए थे। भाइयों और बहनों! मैं अब आपको वह गाना सुनाऊँगा। मैं बूढ़ा हूं और मेरी आवाज कर्कश है लेकिन जब मैं आपको वह धुन सिखा दूँगा तो आप इसे अपने लिए और बेहतर तरीक़े से गा सकेंगे। इस गाने का नाम है-‘इंग्लैंड के जानवर’।


वृद्ध मेजर ने अपना गला साफ किया और गाना शुरू किया। जैसाकि उसने कहा था उसकी आवाज़ कर्कश थी। लेकिन उसने बहुत अच्छा गाया। वह एक बड़ी ही उत्तेजक धुन थी-क्लेमेंटाइन और ला कुकुराचा के बीच की सी । शब्द थे:


इंग्लैंड के जानवर, आयरलैंड के जानवर,

हर भूमि, हर जलवायु के जानवर,

सुनले मेरी ख़ुशी का ज्वार,

आने वाले सुनहरे भविष्य का समाचार।

देर हो या सवेर, वो दिन आना है,

तानाशाह मनुष्य को मिटना है,

इंग्लैंड के उपजाऊ खेतों में,

केवल जानवरों को ही विचरना है।


नाक से छले गायब होंगे,

पीठ की ग़ायब होगी काठी,

लगाम पागड़े को जंग लगेगी,

क्रूर कोड़े से निजात मिलेगी।


मन मान से ज़्यादा धन होगा,

गेहूं, जौ, जई और घास,

तिपतिया, सेम और चुकंदर,

उस दिन सब होंगे अपने पास।


इंग्लैंड के खेत चमक उठेंगे,

पानी भी निर्मल-मीठा,

मंद मलय समीर बहेगी,

जिस दिन मुक्ति होगी।


श्रम करो सब कोई,

गाय, घोड़े, बतख़ और टर्की,

मरें-जियें उस दिवस की आश में,

बढ़ते रहो, स्वतंत्रता की तलाश में।


इंग्लैंड के जानवर, आयरलैंड के जानवर,

हर भूमि, हर जलवायु के जानवर,

सुनले मेरी ख़ुशी का ज्वार,

आने वाले सुनहरे भविष्य का समाचार।


इस गाने को गाने से जानवरों में बेतहाशा उत्साह भर गया। मेजर गाने के अंत तक पहुँचता उससे पहले ही उन्होंने इसे स्वयं गाना शुरू कर दिया था। यहां तक ​​कि उनमें से सबसे बेवकूफों ने भी धुन और कुछ शब्दों को पकड़ लिया था। जहाँ तक सूअरों और कुत्तों जैसे चतुर जानवरों की बात है, उन्होंने कुछ ही मिनटों के भीतर पूरे गाने को कंठस्थ कर लिया था। फिर कुछ प्रारंभिक कोशिशों के बाद पूरे फ़ार्म में जबरदस्त सामंजस्य के साथ ‘इंग्लैंड के जानवर’ की स्वरलहरी फूट पड़ी। गायों ने इसे निम्न स्वर में गाया, कुत्तों ने उच्च स्वर में, भेड़ों ने मिमियाकर, घोड़ों ने तेज़ स्वर में, बत्तखों ने काँऊ-काँऊ कर इसे गया। वे इस गीत से इतने खुश थे कि उन्होंने इसे लगातार पाँच बार गाया। वे शायद इसे रातभर गाते रहते यदि बीच में बाधा खड़ी नहीं होती।


दुर्भाग्य से हंगामें के कारण श्री जोन्स जाग गया था। यह देखने के लिए कि अहाते में लोमड़ी तो नहीं आ गयी वह उछल कर बिस्तर से बाहर निकला और शयनकक्ष के कोने में पड़ी बंदूक को उठा कर अंधेरे में ही एक छह नम्बर का शॉट हवा में दाग़ दिया। छर्रे खलिहान की दीवार में धँस गए। हड़बड़ाहट में बैठक ख़त्म हो गई। सब लोग अपने-अपने सोने की जगह पर भाग गए। पक्षी अपने घोंसलों पर चढ़ गए। जानवर पुआल पर बैठ गए। पूरा फ़ार्म एक ही पल में नींद के आग़ोश में चला गया।


अध्याय २


तीन रात बाद वृद्ध मेजर की नींद में ही शांति से मृत्यु हो गई। उसका शव बग़ीचे के किनारे पर दफ़ना दिया गया।


यह मार्च की शुरूआत थी। अगले तीन महीनों के दौरान बहुत सी गुप्त गतिविधियाँ हुईं। मेजर के भाषण ने फ़ार्म के अतिबुद्धिमान जानवरों को जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण दे दिया था। उन्हें नहीं मालूम था कि मेजर द्वारा विद्रोह के बारे में की गई भविष्यवाणी कब पूरी होने वाली थी। उनके पास यह सोचने का भी कोई कारण नहीं था कि वह उनके स्वयं के जीवनकाल में पूरी होने वाली थी। लेकिन उन्हें यह स्पष्ट हो गया था कि इसके लिए तैयारी करना उनका कर्तव्य था। दूसरों को सिखाने और संगठित करने का काम स्वाभाविक रूप से सूअरों पर आ गया था। जिन्हें आमतौर पर जानवरों में सबसे चतुर माना जाता था। सूअरों में स्नोबॉल और नेपोलियन नामक दो युवा सूअर पूर्वप्रतिष्ठित थे। जिन्हें श्री जोन्स बिक्री के लिए तैयार कर रहे था। नेपोलियन एक बड़ा और भयंकर दिखने वाला बर्कशायर नस्ल का सूअर था। फ़ार्म पर वह एकमात्र बर्कशायर नस्ल का सूअर था। ज्यादा बात करने वाला नहीं था पर अपना रास्ता ख़ुद बनाने वाले के रूप में उसकी प्रतिष्ठा थी। स्नोबॉल नेपोलियन की तुलना में अधिक जीवंत सूअर था। भाषण में तेज और अधिक आविष्कारशील था। लेकिन चरित्र की गहराई में वह नेपोलियन के समान न था। फ़ार्म पर अन्य सभी नर सूअर बच्चे थे। उनमें से सबसे प्रसिद्ध एक छोटा तथा मोटा सुअर था। जिसका नाम स्क्वीलर था। उसके गोल-गोल गाल और चमकदार आंखें थी। उसकी चाल फुर्तीली और आवाज़ संकोची थी। वह शानदार बातें करता था। जब वह किसी कठिन बिंदु पर बहस करता था तो एक विशेष तरीक़े से इधर-उधर हिलता और अपनी पूंछ को लहराता था। यह बहुत ही प्रेरक लगता था। दूसरे जानवर स्क्वीलर के बारे में कहते थे कि वह काले को सफेद और सफ़ेद को काला करने में माहिर था।

इन तीनों ने वृद्ध मेजर की शिक्षाओं को एक पूर्ण विचारधारा में बदल दिया। जिसे उन्होंने पशुवाद का नाम दिया। सप्ताह की कई रातों में, श्री जोन्स के सो जाने के बाद वे खलिहान में गुप्त बैठकें करते थे और दूसरों के सामने पशुवाद के सिद्धांतों को प्रतिपादित करते थे। शुरुआत में वे बहुत ही सुस्ती और उदासीनता के साथ मिलते थे। कुछ जानवर श्री जोन्स, जिसे वे “मालिक” कह कर सम्बोधित करते थे, के प्रति निष्ठा की बात करते थे या ऐसी प्राथमिक टिप्पणियाँ करते थे, जैसे- "श्री जोन्स हमारा पेट भरते हैं”, “वे चले गए तो हम भूख से मर जाएँगे"। अन्य जानवर इस तरह के सवाल पूछते थे कि "हमारे मरने के बाद क्या होता है इसकी चिंता हमें क्यों करनी चाहिए”? या " क्या यह विद्रोह होने भी वाला है या नहीं?”, “इससे क्या फर्क पड़ने वाला है कि हम इसके लिए काम करते हैं या नहीं?" सूअरों को उन्हें यह समझाने में बहुत ही कठिनाई होती थी कि यह सब पशुवाद की भावना के विपरीत है। सबसे मूर्खतापूर्ण प्रश्न सफेद घोड़ी मोली ने पूछे। स्नोबॉल से उसने सबसे पहला प्रश्न यह पूछा कि - "क्या विद्रोह के बाद भी गुड़ मिलेगा?"


स्नोबॉल ने दृढ़ता से कहा-"नहीं! हमारे पास इस फ़ार्म पर गुड़ बनाने का कोई साधन नहीं है। इसके अलावा, आपको गुड़ की आवश्यकता भी नहीं है। आपके पास जितना चाहो उतना जई और घास होगा।"


"क्या मुझे तब भी अपनी अयाल में रिबन बाँधने की अनुमति मिलेगी?" मोली ने पूछा।


"भाइयों और बहनों!" स्नोबॉल ने कहा, "वे रिबन जिन पर आप अपनी जान छिड़कते हैं, गुलामी के प्रतीक हैं। क्या आपको पता नहीं, स्वतंत्रता रिबन से कहीं अधिक मूल्यवान है?"


मोली सहमत थी। लेकिन वह ज़्यादा आश्वस्त नहीं लग रही थी।

सूअरों को मूसा द्वारा फैलाये गए झूठों का मुकाबला करने के लिए और भी कठिन संघर्ष करना पड़ता था। मूसा, जो श्री जोन्स का विशिष्ट पालतू था, जासूस और चुग़लख़ोर था। लेकिन वह एक चतुर वक्ता भी था। उसका दावा था कि वह गन्ने के पहाड़ नामक उस रहस्यमय देश के बारे में जनता था, जहाँ मृत्यु के बाद सभी जानवर जाते हैं। मूसा का कहना था कि यह बादलों से थोड़ा आगे आकाश में कहीं था। गन्ने के पहाड़ में सप्ताह के सातों दिन रविवार होते हैं। वर्ष के सभी मौसमों में तिपतिया घास होती है। गुड़ और अलसी की ख़ल्ली झाड़ियों पर लगती है। जानवरों को मूसा से नफरत थी। क्योंकि वह केवल बातें करता था, कोई काम नहीं करता था। लेकिन उनमें से कुछ गन्ने के पहाड़ की कहानी पर विश्वास करते थे। उन्हें यह विश्वास दिलाने के लिए कि ऐसी कोई जगह नहीं है, सूअरों को बहुत तर्क-वितर्क करना पड़ता था।


उनके सबसे वफादार शिष्य दोनों गाड़ी वाले घोड़े -बॉक्सर और क्लोवर थे। इन दोनों को खुद सोचने में बड़ी कठिनाई होती थी। लेकिन एक बार सूअरों को अपने शिक्षकों के रूप में स्वीकार करने के बाद वे उन सभी बातों को आत्मसात कर लेते थे, जो उन्हें बताई जाती थीं। उन बातों को वे सरल तर्कों द्वारा अन्य जानवरों तक पहुँचाते थे। वे खलिहान की गुप्त बैठकों में नियमित रूप से उपस्थित होते थे और ‘इंग्लैंड के जानवर’ गाने के गायन का नेतृत्व करते थे। बैठकें हमेशा उस गाने के गायन के साथ समाप्त होती थी।


हुआ यह है कि विद्रोह उम्मीद से बहुत पहले ही हो गया! श्री जोन्स यद्यपि एक कठोर स्वामी था तो भी एक सक्षम किसान था। किन्तु कुछ समय से उसके बुरे दिन आ गए थे। इसलिए पिछले कुछ वर्षों में एक मुकदमे में पैसा खोने के बाद वह बहुत निराश हो गया था और ज़रूरत से ज्यादा पीने लगा था। दिन में वह पूरे समय रसोई में अपनी विंडसर कुर्सी पर बैठकर अख़बार पढ़ता रहता था और शराब पीता रहता था और प्रायः मूसा को बीयर में भिगोए हुए रोटी के टुकड़े खिलाता रहता था। उसके आदमी बेकार और बेईमान थे। खेत झाड़-झंकाड़ से भरे गये थे। इमारतों की छत जर्जर हो गई थी। झाड़ियाँ उपेक्षित थीं और जानवर कुपोषित थे।


जून आ गया था और घास कटने के लिए लगभग तैयार थी। मध्य-गर्मी की एक पूर्व संध्या में, जो शनिवार का दिन था, श्री जोन्स विलिंग्डन चला गया और रेड लाईन शराबखाने में इतना नशा कर लिया कि रविवार की दोपहर तक वापस नहीं आया। उसके आदमियों ने गायों को अलसुबह ही दुह लिया और जानवरों को खिलाने-पिलाने की चिंता किए बिना आवारगर्दी करने के लिए निकल गए। जब श्री जोन्स वापस आया तो वह तुरंत ही अपने चेहरे पर न्यूज ऑफ द वर्ल्ड रखकर ड्राइंगरूम के सोफे पर सो गया। नतीजा यह हुआ कि शाम को भी जानवरों को खाना नहीं मिला। अंततः वे इसे और सहन नहीं कर सके। एक गाय ने अपने सींग से भंडारघर के दरवाजे को तोड़ दिया और सभी जानवर डिब्बों में रखा सामान खाने लगे। तभी श्री जोन्स की आँखे खुल गई। अगले ही पल वह और उसके चार आदमी हाथों में चाबुक लेकर भंडारघर में आ गये और चारों ओर से चाबुक चलाने लगे। यह भूखे जानवरों की सहनशक्ति के बाहर था। सब एक साथ मिलकर, यद्यपि पहले से ऐसी कोई योजना नहीं थी, अपने उत्पीड़कों पर झपट पड़े। जोन्स और उसके आदमियों पर अचानक चारों ओर से लात और धक्के पड़ने लगे। स्थिति उनके नियंत्रण से काफी बाहर थी। उन्होंने पहले कभी भी जानवरों को इस तरह का व्यवहार करते नहीं देखा था। इस तरह जानवरों के अचानक उत्तेजित हो जाने से, जिनके साथ वे चाहे जैसे मारपीट और बदसलूकी किया करते थे, वे अत्यधिक भयभीत हो गए। केवल एक-दो पल के बाद अपना बचाव करना छोड़कर वे भाग खड़े हुए। एक मिनट के बाद वे पांचों गाड़ी के रास्ते पर तेज़ी से दौड़ रहे थे। जानवर विजेताओं की तरह उनका पीछा कर रहे थे।


श्रीमती जोन्स ने बाहर जो कुछ हो रहा था उसको शयनकक्ष की खिड़की से झाँक कर देखा और जल्दी से कुछ सामान एक मोटे कपड़े के बैग में डाल कर दूसरे रास्ते से फ़ार्म के बाहर निकल गई। मूसा अपने घोंसले से तेज़ी से बाहर निकला और ज़ोर से काॅव-काॅव करता हुआ उसके पीछे उड़ गया। इस बीच जानवरों ने जोन्स और उसके आदमियों का बाहर सड़क तक पीछा किया और फिर उनकी पीठ पीछे पांच आरे वाला दरवाज़ा बंद कर दिया। इस प्रकार, वे यह जान पाते कि क्या हुआ, उससे पहले ही विद्रोह सफलतापूर्वक पूरा हो गया था। जोन्स को निष्कासित कर दिया गया था और मैनर फार्म उनका हो गया था।


कुछ मिनटों के लिए तो जानवरों को अपने सौभाग्य पर विश्वास ही नहीं हुआ। उन्होंने पहला कार्य एक समूह बनाकर फ़ार्म की सीमाओं के साथ-साथ दौड़ने का किया। मानो यह सुनिश्चित कर रहे हों कि वहाँ पर कोई इंसान तो नहीं छुपा हुआ था। फिर वे जोन्स के घृणास्पद शासनकाल की आख़िरी निशानियों को मिटाने के लिए फ़ार्म की इमारतों की ओर दौड़ पड़े। अस्तबलों के अंतिम छोर पर स्थित साज-कक्ष के दरवाज़ों को तोड़कर खोला गया और उसमें रखी हुई मुखरियों, नक़तोड़ों, साँकलो और उन क्रूर छुरों को, जिनसे श्री जोन्स सूअरों और मेमनों का बधियाकरण करता था, कुएं में फैंका गया। बागडोरों, लगामों, ब्लिंकरों और अपमानजनक छींको को अहाते में कचरा जलाने के लिए जलाई जा रही आग में फैंका गया। ऐसा ही चाबुकों के साथ किया गया। जब चाबुकों को आग की लपटों में जलते हुए देखा तो सभी जानवर खुशी से उछल पड़े। स्नोबॉल ने उन रिबनों को भी आग में फेंक दिया जिनसे आमतौर पर बाजार के दिनों में घोड़ों की अयाल और पूंछ को सजाया जाता था। वह बोला "रिबन को कपड़े के रूप में माना जाना चाहिए, जो मनुष्य की निशानी है। सभी जानवरों को नग्न रहना चाहिए।"


जब बॉक्सर ने यह सुना तो वह अपनी छोटी सी भूरी टोपी, जिसे वह गर्मियों में अपने कानों से मक्खियों को दूर रखने के लिए पहनाता था, लेकर आ गया और उसे भी आग में डाल दिया।


थोड़े समय में ही जानवरों ने वह सब कुछ नष्ट कर दिया जो उन्हें श्री जोन्स की याद दिलाता था। फिर नेपोलियन उनको भंडारघर में ले आया और सबको मकई का दुगुना राशन दिया। साथ ही प्रत्येक कुत्ते को दो-दो बिस्कुट भी दिए। फिर उन्होंने ‘इंग्लैंड के जानवर’ गाने को शुरू से लेकर अंत तक लगातार सात बार गाया। फिर वे रात में आराम करने के लिए चले गए और ऐसे सोये जैसे वे पहले कभी नहीं सोए थे।


लेकिन वे हमेशा की तरह भोर में ही उठ गए और कल अचानक घटी शानदार घटना याद आते ही वे सभी एक साथ दौड़कर चरागाह में पहुँच गए। चरागाह से थोड़ी दूर एक टीला था जिस पर से पूरा फ़ार्म नज़र आता था। जानवर दौड़कर उसकी चोटी पर पहुँच गए और सुबह की शुभ्र रोशनी में चारों ओर देखा। हाँ, यह उनका था - जो कुछ वे देख सकते थे वह उनका था! उस विचार के परमानंद में वे कलोल करने लगे। वे उत्साह से उछल-कूद करने लगे। वे ओस में लुढ़कने लगे। वे गर्मियों की मीठी घास को मुँह भर-भर कर खाने लगे। वे काली मिट्टी के पिंडो को लात मार-मार कर उछालने लगे और उसकी समृद्ध गंध को सूँघने लगे। फिर उन्होंने पूरे फ़ार्म का निरीक्षण-दौरा किया और अत्यधिक प्रशंसा के साथ खेतों, घास के मैदानों, बगीचों, उपवनों और तालाबों का अवलोकन किया। ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने पहले कभी इन चीजों को नहीं देखा था। अब भी उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि यह सब उनका अपना था।


इसके बाद वे वापस फ़ार्म की इमारतों की ओर आ गए और फार्महाउस के दरवाजे के बाहर चुपचाप खड़े हो गए। यह भी उनका ही था। लेकिन वे अंदर जाने से डर रहे थे। तथापि एक पल के बाद स्नोबॉल और नेपोलियन ने अपने कंधों से धक्का मार कर दरवाज़े खोल दिए और जानवर बहुत ही सावधानी से, ताकि कोई चीज़ अस्तव्यस्त न हो जाए, क़तारबद्ध होकर अंदर प्रविष्ट हो गए। वे पंजों के बल एक कमरे से दूसरे कमरे में आ जा रहे थे। उन्हें फुसफुसाहट से अधिक बोलने में भय लग रहा था। वे भयकातर होकर अविश्वसनीय ऐश्वर्य, मुलायम गद्देयुक्त बिस्तर, दर्पणों, घोड़े के बालों से बने सोफ़े, ब्रुसेल्स कालीन, ड्राइंगरूम की अंगीठी पर रखे महारानी विक्टोरिया के चित्र को देख रहे थे। वे सीढ़ियों से नीचे आ ही रहे थे कि मोली के खो जाने की ख़बर मिली। वापस जाने पर पता चला कि वह सबसे बढ़िया वाले शयनकक्ष में रह गई थी। उसने श्रीमती जोन्स की ड्रेसिंग टेबल से नीले रिबन का एक टुकड़ा ले लिया था और उसे अपने कंधे के सामने पकड़े हुए बेहद ही मूर्खतापूर्ण तरीक़े से दर्पण में देख कर आत्ममुग्ध हो रही थी। सभी जानवर उसका कठोर तिरस्कार करते हुए बाहर निकल गए। रसोई में लटक रहे भूने हुए माँस-खंडों को गाड़ने के लिए उतर लिया गया था। बावर्चीख़ने में पड़ी बीयर की पीपी बॉक्सर के खुर की चोट से पिचक गई थी। इसके अलावा घर की किसी भी चीज को नहीं छुआ गया था। तत्काल सर्वसम्मति से यह संकल्प पारित किया गया कि फार्महाउस को एक संग्रहालय के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए। सभी सहमत थे कि कोई जानवर कभी भी वहां नहीं रहेगा।


जानवरों ने अपना नाश्ता किया और फिर स्नोबॉल और नेपोलियन ने उन्हें एक बार फिर से एक साथ बुलाया।


स्नोबॉल ने कहा- "भाइयों और बहनों! अभी साढ़े छह बजे हैं और हमारे सामने लंबा दिन पड़ा है। आज हम घास की कटाई शुरू करते हैं। किंतु एक बात और भी है जिस पर हमें पहले ध्यान देना होगा।"


सूअरों ने अब खुलासा किया कि पिछले तीन महीनों के दौरान उन्होंने एक पुरानी वर्तनी पुस्तक, जो श्री जोन्स के बच्चों की थी और कूड़े के ढेर पर फेंक दी गई था, से पढ़ना-लिखना सीख लिया था। नेपोलियन ने काले और सफेद पेंट के बर्तन मँगवा लिये और मुख्य सड़क पर खुलने वाले पाँच आरों वाले दरवाज़े की ओर चला। फिर स्नोबॉल (क्योंकि स्नोबॉल लेखन में सबसे अच्छा था) ने अपने पंजे के पोरों के बीच एक ब्रश लिया और गेट की शीर्ष पट्टिका पर लिखे ‘मैनर फ़ार्म’ को पोतकर उसके स्थान पर ‘एनिमल फ़ार्म’ लिख दिया। अब से फ़ार्म का यही नाम था। इसके बाद वे पुनः फ़ार्म की इमारतों के पास गए। जहाँ स्नोबॉल और नेपोलियन ने एक सीढ़ी मँगवाई और उसे बड़े खलिहान की आख़री दीवार के सहारे लगवाया। उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीनों के अपने अध्ययन से सूअरों ने पशुवाद के सिद्धांतों को सात आज्ञाओं के रूप में लेखबद्ध करने में सफलता प्राप्त कर ली थी। इन सात आज्ञाओं को अब दीवार पर अंकित किया जाएगा। वे अटल कानून होंगी और आज के बाद एनिमल फार्म के सभी जानवरों को उनका पालन करना होगा। कुछ कठिनाई के साथ (क्योंकि सुअर के लिए सीढ़ी पर खुद को संतुलित करना आसान नहीं होता है) स्नोबॉल ऊपर चढ़ गया और स्क्वीलर के साथ, जो उससे कुछ पायदान नीचे पेंट का बर्तन पकड़े खड़ा था, काम में लग गया। आदेशों को काली दीवार पर बड़े सफेद अक्षरों में लिखा गया था, जिनको तीस गज दूर से पढ़ा जा सकता था। आदेश इस प्रकार थे-


1. जो भी दो पैरों पर चलता है वह दुश्मन है।

2. जो कोई चार पैरों पर चलता है या जिसके पंख हैं,

वह दोस्त है।

3. कोई भी जानवर कपड़े नहीं पहनेगा।

4. कोई भी जानवर बिस्तर पर नहीं सोयेगा।

5. कोई भी जानवर शराब नहीं पियेगा।

6. कोई भी जानवर किसी अन्य जानवर को नहीं मारेगा।

7. सभी जानवर समान हैं।


यह बहुत करीने से लिखा गया था। सिवाय इसके कि "दोस्त" को “दोत्स" लिख दिया गया था और एक "स" को उलटा लिख दिया गया था। हालाँकि वर्तनी सब तरह से सही थी। स्नोबॉल ने इसे जोर से पढ़ा ताकि सबको जानकारी हो जाये। सभी जानवरों ने पूर्ण सहमति से सिर हिलाया। चतुर लोगों ने तुरन्त ही आज्ञाओं को हृदयंगम करना शुरू कर दिया।


स्नोबॉल पेंट-ब्रश को नीचे फेंकते हुए चिल्लाया - "भाइयों और बहनों! आओ अब घास के मैदान में चलें और यह प्रतिज्ञा करें कि हम जोन्स और उसके आदमियों की तुलना में अधिक तेज़ी से फसल काटेंगे।”


लेकिन उसी समय तीनों गायें, जो काफ़ी देर से असहज लग रही थीं, ज़ोर-ज़ोर से रम्भाने लगी। उन्हें चौबीस घंटे से दूहा नहीं गया था और उनके थन फटने को हो रहे थे। थोड़े विचार-विमर्श के बाद सूअरों ने बाल्टियां मँगवाई और गायों को अच्छी तरह से दुह लिया। उनके पंजे इस काम में माहिर थे। कुछ ही देर में झागयुक्त मलाईदार दूध की पाँच बाल्टियां भर गयीं। जिनको कई जानवरों ने काफी दिलचस्पी के साथ देखा।


एक बोला "इतने सारे दूध का क्या होगा?"


मुर्गियों में से कोई बोली "जोन्स कभी-कभी इसे हमारे भरते में मिलाता था।"


"भाइयों और बहनों! दूध की चिंता मत करो”, नेपोलियन बाल्टी के सामने खड़ा होकर चिल्लाया, "इसके बारे में बाद में सोच लिया जाएगा। पहले फसल अधिक महत्वपूर्ण है। भाई स्नोबॉल आपकी अगुवाई करेंगे। कुछ मिनटों में ही मैं आ जाऊँगा। भाइयों और बहनों! आगे बढ़ो घास आपका इंतजार कर रहा है।"


इसलिए जानवरों का समूह कटाई शुरू करने के लिए घास के मैदान की ओर चल दिया। जब वे शाम को वापस आए तो देखा कि दूध गायब हो गया था।


अध्याय ३


घास काटने में उन्होंने कितना परिश्रम किया था! पसीना बहाया था! लेकिन उन्हें प्रयासों का पुरस्कार मिला। क्योंकि फ़सल उनकी उम्मीद से अधिक हुई थी। कभी-कभी काम कठिन लगता था। क्योंकि उपकरणों को मनुष्यों के लिए डिज़ाइन किया गया था न कि जानवरों के लिए। यह एक बड़ी कमी थी कि कोई भी जानवर किसी भी उपकरण का उपयोग करने में सक्षम नहीं था। क्योंकि इसके लिए पिछले पैरों पर खड़े होने की दरकार थी। लेकिन सूअर इतने चालाक थे कि वे हर मुश्किल का कोई न कोई हल निकल लेते थे। जहाँ तक घोड़ों की बात है, वे खेत के चप्पे-चप्पे से वाक़िफ़ थे और वास्तव में जोन्स और उसके आदमियों की तुलना में वे घास को बाँधने और इकट्ठा करने के काम को बेहतर तरीके से समझते थे। सूअर काम नहीं करते थे। वे दूसरों का निर्देशन और पर्यवेक्षण करते थे। उनके बेहतर ज्ञान के कारण यह स्वाभाविक भी था कि वे सबका नेतृत्व करें। बॉक्सर और क्लोवर खुद कटर या हॉर्स-रेक से जुत गए (इन दिनों में किसी बागडोर या लगाम की आवश्यकता नहीं थी) और मैदान में चारों ओर तेजी से चलने लगे। एक सूअर उनके पीछे-पीछे चलने लगा जो आवश्यकतानुसार कभी “आगे बढ़ो भाई” और कभी “पीछे आओ भाई” कहता जा रहा था। छोटा-बड़ा प्रत्येक जानवर घास को पलटने और इकट्ठा करने का काम कर रहा था। यहां तक ​​कि बतख और मुर्गियाँ भी पूरे दिन धूप में घास के छोटे-छोटे लच्छे चोंच में लिए इधर से उधर परिश्रम कर रही थी। अंत में उन्होंने जोन्स और उसके आदमियों को जितना समय लगता था उससे भी दो दिन पहले ही घास कटाई का काम पूरा कर लिया। इसके अलावा, इस बार फ़ार्म में अब तक की सबसे अच्छी फसल हुई थी। किसी भी तरह की कोई क्षति भी नहीं हुई थी। मुर्ग़ियों और बतख़ों ने अपनी तेज आँखों से आखिरी डंठल तक इकट्ठा कर लिया था। फ़ार्म के किसी भी जानवर ने ग्रास-भर भी चोरी नहीं की थी। उस ग्रीष्म ऋतु में फ़ार्म का काम घड़ी की तरह चलता रहा। जानवर खुश थे क्योंकि उन्होंने कभी ऐसा नहीं सोचा था। भोजन का हर कोर एक तीव्र सकारात्मक आनंद देता था। क्योंकि यह वास्तव में उनका अपना भोजन था। जो स्वयं द्वारा और खुद के लिए उत्पादित किया गया था। न कि एक कुटिल स्वामी द्वारा उन्हें ख़ैरात में दिया गया था। बेकार परजीवी मनुष्यों के चले जाने से सभी के लिए ज़्यादा खाना उपलब्ध था। यद्यपि जानवर अनुभवहीन थे तो भी उनके पास ज़्यादा फ़ुर्सत थी। उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उदाहरण के लिए उस वर्ष जब उन्होंने मकई की फसल की कटाई की तो उन्हें इसे प्राचीन शैली में कुचलना पड़ा और भूसे को फूँक मार मार कर उड़ाना पड़ा। क्योंकि खेत में थ्रेशिंग मशीन नहीं थी। लेकिन सूअरों ने अपनी चतुराई और बॉक्सर ने अपनी जबरदस्त मांसपेशियों के सहारे हमेशा उन्हें कठिनाइयों से बाहर निकल लिया। बॉक्सर सबका आराध्य था। जोन्स के समय में भी वह मेहनती था। लेकिन अब वह अकेला तीन घोड़ों के बराबर काम कर रहा था। कई दिन तो ऐसे होते थे जब खेत का पूरा काम उसके ताकतवर कंधों पर टिका हुआ लगता था। सुबह से रात तक वह हमेशा ही उस जगह पर धक्कापेल करता रहता था, जहां काम सबसे कठिन होता था। उसने एक गौरया के साथ यह तरतीब कर ली थी कि वह उसे सुबह औरों से आधे घंटे पहले जगा दिया करे। दिन का नियमित काम शुरू होने से पहले वह इस समय का उपयोग स्वेच्छा से कुछ ऐसे कामों में करता था जो सबसे ज्यादा जरूरी होते थे। हर समस्या, हर झटके के लिए उसका जवाब होता था-"मैं और मेहनत करूंगा!" जिसे उसने अपने व्यक्तिगत आदर्श वाक्य के रूप में अपना लिया था।


लेकिन सब ने अपनी क्षमता के अनुसार काम किया। उदाहरण के लिए मुर्गियों और बत्तखों ने कटाई के दौरान बिखरे अनाज को इकट्ठा करके पांच मण मकई बचायी। किसी ने चोरी नहीं की। राशन के लिए कोई बड़बड़ाया भी नहीं। झगड़ा, मार-काट और ईर्ष्या, जो पुराने दिनों में आम बात थी, लगभग गायब हो गई थीं। किसी ने भी या यों कहें अधिकतर ने कामचोरी नहीं की। यह सच था कि मोली सुबह उठने में आनाकानी करती थी और यह बहाना करके कि उसके पैर में पत्थर घुस गया है खेत पर जल्दी काम छोड़ देती थी। बिल्ली का व्यवहार भी कुछ अजीब था। जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि जब भी कोई काम होता था तो बिल्ली ग़ायब मिलती थी। वह घंटों गायब रहती थी और फिर भोजन के समय या शाम को काम खत्म होने के बाद फिर प्रकट हो जाती थी, जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। लेकिन वह हमेशा ऐसे उत्कृष्ट बहाने बनाती थी और इतने प्यार से म्याऊँ म्याऊँ करती थी कि उसके अच्छे इरादों पर विश्वास नहीं करना असंभव था। बुज़ुर्गवार गधे बेंजामिन में विद्रोह के बाद से कोई परिवर्तन नहीं आया था। वह अपना काम उसी धीमे और जिद्दी ढंग से करता था जैसा वह जोन्स के समय में करता था। न कभी कामचोरी करता था न स्वेच्छा से अतिरिक्त काम करता था। विद्रोह और इसके परिणामों के बारे में वह कोई राय व्यक्त नहीं करता था। यह पूछे जाने पर कि क्या वह जोन्स के चले जाने से खुश नहीं था, वह केवल यह कहता था कि "गधे लंबे समय तक जीवित रहते हैं। आपने कभी भी किसी मृत गधे को नहीं देखा होगा।" दूसरों को इस गूढ़ उत्तर पर संतोष करना पड़ता था।


रविवार को कोई काम नहीं होता था। नाश्ते की अवधि सामान्य से एक घंटे अधिक थी। नाश्ते के बाद एक समारोह होता था। जो हर हफ्ते बिला नागा मनाया जाता था। सबसे पहले ध्वजारोहण होता था। स्नोबॉल को साज़-कक्ष में श्रीमती जोंस का एक पुराना हरा मेज़पोश मिल गया था, जिस पर उसने सफ़ेद रंग से एक खुर और एक सींग का चित्र बना दिया था। इससे हर रविवार की सुबह फार्महाउस के बग़ीचे में झंडरोहण किया जाता था। स्नोबॉल ने सबको समझाया था कि हरा झंडा इंग्लैंड के हरे-भरे खेतों का प्रतीक था, जबकि खुर और सींग जानवरों के उस भावी गणतंत्र का चिह्न थे, जिसका उदय मनुष्य जाति का अंतिम रूप से पराभव होने पर होने वाला था। झंडा फहराने के बाद सभी जानवर आम सभा के लिए, जिसे बैठक कहा जाता था, बड़े खलिहान में इकट्ठे होते थे। यहां आने वाले सप्ताह के काम की योजना बनाई जाती थी और संकल्प रखे जाते थे। उन पर बहस की जाती थी। संकल्प हमेशा सूअर ही रखते थे। अन्य जानवर यह तो जान गए कि वोट कैसे देते है लेकिन स्वयं के संकल्प लाने के बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा था। स्नोबॉल और नेपोलियन कमोबेस बहस में सबसे ज़्यादा सक्रिय रहते थे। लेकिन यह देखा गया कि ये दोनों आपस में कभी सहमत नहीं होते थे। दोनों में से कोई भी जो कुछ भी सुझाव देता था दूसरा उसका विरोध करता था। यहां तक ​​कि जब यह संकल्प पास किया गया - एक ऐसी बात जिस पर कोई भी आपत्ति नहीं कर सकता था - कि बग़ीचे के पीछे का चरागाह उन जानवरों की आरामगाह के रूप में छोड़ दिया जाए जो सेवानिवृत्त हो चुके थे, प्रत्येक वर्ग के जानवरों की सेवानिवृत्ति की सही उम्र पर एक तूफानी बहस हो गई थी। बैठक हमेशा ‘इंग्लैंड के जानवर’ गाने के गायन के साथ समाप्त होती थी और दोपहर बाद का समय मनोरंजन के लिए छोड़ दिया गया था।


सूअरों ने साज़-कक्ष को अपना मुख्यालय बना लिया था। यहाँ वे शाम को उन पुस्तकों से, जिन्हें वे फ़ार्महाउस से ले आए थे, लोहारगिरी, बढ़ईगिरी और अन्य आवश्यक कलाओं का अध्ययन करते थे। स्नोबॉल अन्य जानवरों को, जिन्हें वह पशु समितियां कहता था, के रूप में संगठित करने में वयस्त हो गया था। वह इस कार्य में अडिग था। उसने मुर्गियों के लिए अंडा उत्पादन समिति, गायों के लिए स्वच्छ पूंछ संघ, आदिवासी बंधु पुनर्शिक्षा समिति (इस का उद्देश्य चूहों और खरगोशों को वश में करना था), भेड़ों के लिए ध्वल ऊन आंदोलन की स्थापना की तथा इसके अलावा पढ़ने-लिखने के लिए कक्षाओं की भी स्थापना की गई। कुल मिलाकर ये परियोजनाएं असफल रहीं। उदाहरण के लिए वन्य प्राणियों को वश में करने का प्रयास लगभग तुरंत ही विफल हो गया था। वे अधिकांशतः पहले की तरह ही व्यवहार करते रहे और जब उनके साथ उदारता बरती जाती तो वे इसका फ़ायदा उठाते थे। बिल्ली पुनर्शिक्षा समिति में शामिल हो गई और कुछ दिनों तक इसमें बहुत सक्रिय रही। एक दिन वह छत पर बैठ कर गौरैयाओं से, जो उसकी पहुँच से बाहर थीं, बात करती दिखाई दी। वह उन्हें कह रही थी कि अब सभी जानवर भाई-बहन हैं और कोई भी गौरैया चाहे तो आकर उसके पंजे पर बसेरा बना सकती है। लेकिन गौरैयाओं ने उससे दूरी ही बनाए रखी।


तथापि पढ़ने- लिखने की कक्षाओं को बड़ी सफलता मिली थीं। शरद ऋतु तक फ़ार्म का लगभग हर जानवर कुछ हद तक साक्षर हो गया था।


जहाँ तक सूअरों की बात है, वे पहले से ही अच्छी तरह से पढ़-लिख सकते थे। कुत्तों ने काफ़ी हद तक पढ़ना सीख लिया था। लेकिन उनकी सात आज्ञाओं के अलावा कुछ भी पढ़ने में रुचि नहीं थी। बकरी मुरील कुत्तों की तुलना में कुछ बेहतर पढ़ सकती थी और कभी-कभी शाम को दूसरे जानवरों को अखबार के टुकड़े, जो उसे कचरे के ढेर पर मिल जाते थे, पढ़ कर सुनती थी। बेंजामिन सुअरों के समान अच्छी तरह से पढ़ सकता था। लेकिन उसने कभी भी अपनी योग्यता का उपयोग नहीं किया। वह कहता था कि जहाँ तक वह जनता है, यहाँ पढ़ने लायक कुछ भी नहीं है। क्लोवर ने पूरी वर्णमाला सीखली थी। परंतु वह शब्द नहीं बना पाती थी। बॉक्सर ‘घ’ वर्ण से आगे नहीं बढ़ सका। वह अपने बड़े खुर से रेत पर क, ख, ग, घ लिखता और फिर अपने कानों को पीछे करके अक्षरों को घूरता हुआ खड़ा रहता। कभी-कभी वह अपने बलों को झटक कर यह याद करने की भरसक कोशिश करता कि इसके आगे क्या आयेगा। किंतु वह कभी याद नहीं कर पाता। कई बार वास्तव में उसने च, छ, ज, झ भी सीखा। लेकिन जब तक वह इनको सीखता तब तक हर बार यह पता चलता कि वह क, ख, ग और घ को भूल गया है। अंततः उसने पहले चार अक्षर में ही संतोष करने का फ़ैसला किया और अपनी स्मृति को ताज़ा रखने के लिए वह हर दिन उनको एक या दो बार लिख लेता था। मोली ने अपने नाम के दो अक्षरों के अलावा कुछ भी सीखने से इंकार कर दिया था। वह टहनी के टुकड़ों से बड़े करीने से वे दो अक्षर बनती और फिर उन्हें एक-दो फुलों से सजाती और उन्हें निहारते हुए उनके चारों ओर घूमती।


फ़ार्म के अन्य कोई भी जानवर ‘क’ अक्षर से आगे नहीं बढ़ सके। यह भी जानकारी में आया कि भेड़, मुर्गी और बत्तख जैसे मूर्ख जानवर सात आज्ञाओं को याद करने में भी असमर्थ थे। काफ़ी सोच-विचार के बाद स्नोबॉल ने घोषणा की कि सात आज्ञाओं को वस्तुतः एक सूत्र में समाहित किया जा सकता है। जो इस प्रकार है: "चार पैर अच्छे, दो पैर बुरे।" उसने कहा कि इसमें पशुवाद का मूलभूत सिद्धांत निहित है। जिसने भी इसे अच्छी तरह समझा लिया वह मनुष्य के प्रभावों से सुरक्षित रहेगा। शुरुआत में पक्षियों ने इस पर आपत्ति जताई। क्योंकि उन्हें लगा कि उनके भी दो पैर हैं। लेकिन स्नोबॉल ने उन्हें साबित कर दिया कि ऐसा नहीं था।


उसने कहा, “भाइयों और बहनों! पक्षी का पंख प्रणोदन का अंग है। तिकड़म का नहीं। इसलिए इसे पैर ही माना जाना चाहिए। मनुष्य का विशिष्ट चिह्न हाथ है। यह वह साधन है जिससे वह सारी शरारतें करता है। "


पक्षी स्नोबॉल के लंबे शब्दों को नहीं समझ पाए लेकिन उन्होंने उसकी व्याख्या को स्वीकार कर लिया। सभी छोटे-बड़े जानवर नये सूत्र को हृदयंगम करने में जुट गए। “चार पैर अच्छे, दो पैर बुरे” को खलिहान की अंतिम दीवार पर सात आज्ञाओं के ऊपर बड़े-बड़े अक्षरों में अंकित कर दिया गया। जब एक बार इसे हृदयंगम कर लिया तो भेड़ों में इस सूत्र के प्रति एक ज़बरदस्त लगाव पैदा हो गया। अक्सर जब वे मैदान में लेटी हुई होतीं तो मिमियाने लगती- "चार पैर अच्छे, दो पैर बुरे! चार पैर अच्छे, दो पैर बुरे!" और बिना थके घंटों तक इसे मिमियाती रहतीं।


नेपोलियन, स्नोबॉल की समितियों में कोई दिलचस्पी नहीं लेता था। वह कहता था बड़ों के लिए कुछ किया जाये, इससे ज़्यादा महत्वपूर्ण युवाओं की शिक्षा थी। घास कटाई के थोड़े दिनों बाद ही जेसी और ब्लूबेल दोनों माँ बन गई और दोनों ने नौ मजबूत पिल्लों को जन्म दिया। जैसे ही उनका दूध छूटा नेपोलियन उन्हें यह कह कर उनकी माताओं से दूर ले गया कि उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी वह स्वयं उठाएगा। वह उन्हें एक मचान पर ले गया, जिस तक केवल साज़-कक्ष से होकर सीढ़ी द्वारा ही पहुंचा जा सकता था। वहां उन्हें इस तरह एकांत में रखा गया कि फ़ार्म के बाकी जानवर जल्द ही उनके अस्तित्व के बारे में भूल गए।


यह रहस्य कि दूध कहाँ चला जाता था जल्द ही साफ हो गया। यह हर दिन सूअरों के खाने में मिला दिया जाता था। सेब अब पकने लगे थे और बग़ीचे का घास हवा चलने पर उनसे अट जाता था। जानवरों ने नैमेतिक रूप से यह मान लिया था कि सेब उनके बीच समान रूप से बाँटे जाएँगे। तथापि एक दिन आदेश निकला कि हवा से गिरे हुए सभी सेब एकत्रित करके सूअरों के उपयोग के लिए साज़-कक्ष में लाए जायेंगे। इस पर अन्य कुछ जानवर बड़बड़ाये तो सही पर इसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ। इस बात पर सभी सूअर पूर्णतः सहमत थे। यहां तक कि स्नोबॉल और नेपोलियन भी। अन्य जानवरों को आवश्यक स्पष्टीकरण देने के लिए स्क्वीलर को भेजा गया। उसने रोते हुए कहा "भाइयों और बहनों ! मुझे आशा है कि आप यह नहीं सोचेंगे कि हम सूअर स्वार्थ और विशेषाधिकार की भावना के वशीभूत हो कर ऐसा कर रहे हैं? वास्तव में हम में से अधिकांश दूध और सेब को नापसंद करते हैं। मैं स्वयं उनको नापसंद करता हूं। इन चीजों को लेने के पीछे हमारा एकमात्र उद्देश्य हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करना है। भाइयों और बहनों! विज्ञान से यह साबित हो गया है कि दूध और सेब में ऐसे तत्त्व पाये जाते हैं जो सुअरों के स्वास्थ्य और क्षेम के लिए अत्यंत आवश्यक होते है। हम सूअर मानसिक कार्य करते हैं। इस फ़ार्म के प्रबंध और संगठन का सम्पूर्ण दायित्व हम पर है। हम दिन-रात आपकी भलाई के बारे में सोचते हैं। हम आपके भले के लिए ही यह दूध पीते हैं और ये सेब खाते हैं। क्या तुम जानते हो कि यदि हम सूअर अपने कर्तव्य में विफल हो गए तो क्या होगा? जोन्स वापस आ जाएगा! हाँ! जोन्स वापस आ जाएगा। भाइयों और बहनों! निश्चित रूप से जॉन्स वापस आ जाएगा!" स्क्वीलर इधर- उधर हिलते हुए और अपनी पूँछ को लहराते हुए याचना करके लगभग रो पड़ा। "निश्चित रूप से आप में से कोई भी यह नहीं चाहेगा कि जोन्स वापस आये?"

अगर कोई चीज एकदम निश्चित थी तो वह यह थी कि कोई भी जानवर नहीं चाहता था कि जोन्स वापस आये। सूअरों के स्वास्थ्य को अच्छी हालत में रखने का महत्व एकदम स्पष्ट था। इसलिए बिना किसी बहस-मुहाबसे के यह तय पाया गया कि दूध और हवा से गिरे सेब (और पकने पर सेब की मुख्य फसल भी) केवल सूअरों के लिए ही आरक्षित रहेगी।


अध्याय ४


गर्मियों के जाते जाते यह ख़बर कि एनिमल फ़ार्म पर क्या हुआ था आधे प्रांत में फैल गई थी। हर दिन स्नोबॉल और नेपोलियन कबूतरों के झुण्ड के झुण्ड बाहर भेजते थे। जिनको ये निर्देश दिए गए थे कि पड़ोसी फार्मों के जानवरों के साथ घुलमिल कर उन्हें विद्रोह की कहानी सुनाई जाए और उन्हें ‘इंग्लैंड के जानवर’ गाने की धुन सिखाई जाए।


इस अधिकांश समय में श्री जोन्स विलिंग्डन में रेड लाइन शराबखाने में बैठा रहता था और आने-जाने वालों को अपना दुखड़ा सुनाता रहता था कि कैसे निकम्मे जानवरों के झुण्ड ने उसे अपनी सम्पत्ति से बेदख़ल करके उसके साथ घोर अन्याय किया है। दूसरे किसान सैद्धांतिक रूप से उसके प्रति सहानुभूति व्यक्त करते थे। लेकिन उन्होंने शुरुआत में उसकी ज़्यादा मदद नहीं की। उनमें से प्रत्येक चुपके- चुपके दिल में यही सोचता रहता था कि क्या वह किसी तरह से जोन्स के दुर्भाग्य को अपने फायदे में नहीं बदल सकता? यह भाग्य की बात थी कि एनिमल फार्म से सटे दो फार्मों के मालिक आपस में स्थायी रूप से नाराज़ थे। उनमें से एक, जिसे फॉक्सवुड कहा जाता था, बड़ा, उपेक्षित और पुराने जमाने का फ़ार्म था। जिस पर घने पेड़ उग आए थे। उसके सभी चरागाह उजड़ गए थे और उसकी बाड़ बेहद ही बदहाल थी। उसका मालिक, मिस्टर पिलकिंगटन, एक सहज-सरल सज्जन किसान था। जो अपना अधिकांश समय मौसम के अनुसार मछली पकड़ने या शिकार करने में बिताता था। दूसरा फ़ार्म , जिसे पिंचफील्ड कहा जाता था, छोटा और सारसंभाल करके रखा हुआ था। इसका मालिक कोई श्री फ्रेडरिक था। जो सख्त-मिज़ाज, चतुर और मुक़दमेबाज व्यक्ति था। उसे कठोर सौदेबाज़ी के लिए जाना जाता था। ये दोनों एक-दूसरे को इतना नापसंद करते थे कि उनके लिए अपने हितों की रक्षा के लिए भी किसी समझौते पर पहुंचना मुश्किल था।


फिर भी वे दोनों एनिमल फार्म के विद्रोह से पूरी तरह से भयभीत थे और अपने जानवरों को इस बारे में ज़्यादा कुछ सीखने से रोकने के लिए बहुत चिंतित थे। शुरुआत में वे जानवरों द्वारा स्वयं फ़ार्म का प्रबंधन करने के विचार का तिरस्कार करने के लिए हँसने का नाटक करते थे। वे कहते थे कि एक पखवाड़े में यह पूरा खेल खत्म हो जाएगा। वे इस बारे में यह कहते थे कि मैनर फार्म (वे इसे मैनर फार्म ही कहते थे, "एनिमल फार्म" नाम उनको बर्दाश्त नहीं था) के जानवर हमेशा आपस में लड़ते रहते हैं और तेजी से भूख से मर रहे हैं। जब समय बीतता गया और यह स्पष्ट हो गया कि जानवर भूख से नहीं मरे तो फ्रेडरिक और पिलकिंगटन ने अपना स्वर बदल लिया और एनिमल फ़ार्म पर पनप रही भयानक दुष्टता की बात करना शुरू कर दिया। यह प्रचार किया जाने लगा कि वहाँ के जानवर नरभक्षी हो गए थे। एक-दूसरे को गर्म की गई घोड़े की नालों से प्रताड़ित करते थे। वे अपनी मदाओं को एक-दूसरे के साथ बाँट लेते थे। फ्रेडरिक और पिलकिंगटन कहते थे कि प्रकृति के नियमों के खिलाफ विद्रोह करने का यही परिणाम होता है।


तथापि इन कहानियों पर कभी भी पूरी तरह से विश्वास नहीं किया गया था। एक अद्भुत फ़ार्म की अफवाहें, जहां इंसानों को बाहर कर दिया गया था और जानवर अपने मामलों का स्वयं प्रबंधन कर थे, अस्पष्ट और विकृत रूप में प्रसारित होती रही और उस वर्ष देहातों में विद्रोह की लहर चलती रही। बैल, जो हमेशा विनयशील माने जाते थे, अचानक बर्बर हो गए थे। भेड़ें बाड़ फाँदकर तिपतिया घास खाने लगी थीं। गायें बाल्टियों को लात मारने लगी थीं। शिकारियों ने बाड़ को मानने से इनकार कर दिया था। घोड़े अपने सवारों को दूसरी दिशा में लेकर दौड़ेने लग गए थे। इससे भी बढ़कर, ‘इंग्लैंड के जानवर’ गाने के शब्द और धुन को हर कोई जानने लग गया था। यह आश्चर्यजनक गति से फैल गया था। मनुष्य जब इस गीत को सुनते तो वे अपने ग़ुस्से को रोक नहीं सकते थे। यद्यपि ऊपर से वे इसे हास्यास्पद मात्र मानने का दिखावा करते थे। वे कहते थे कि उनको समझ में नहीं आता कि जानवर भी ऐसे घृणित बकवास गाने को गाने के लिए कैसे तैयार हो गए। इसको गाते हुए पकड़े गए किसी भी जानवर को मौके पर ही कोड़े लगाए जाते थे। तो भी गाना अनवरत चल रहा था। काली चिड़िया इसे झाड़ियों में चूँ-चूँ कर के गाती थी। कबूतर इसे छज्जे पर गुटरगूं कर के गाते थे। यह भट्टियों के शोर में और चर्च की घंटियों की धुन में समा गया था। जब मनुष्य इसे सुनता था तो अन्दर ही अन्दर काँप जाता था। उसे इसमें भावी कयामत की भविष्यवाणी सुनाई देती थी।


अक्टूबर की शुरुआत में जब मकई को काटकर ढेर कर दिया गया था और कुछ मकई को साफ़ भी कर लिया गया था तब कबूतरों का एक झुण्ड हवा में कलाबाज़ियाँ खाते हुए बेहद उत्तेजना के साथ एनिमल फ़ार्म के अहाते में उतरा। फॉक्सवुड और पिंचफील्ड के आधा दर्जन अन्य आदमियों के साथ जोन्स और उसके सभी आदमी पांच आरे वाले दरवाज़े में प्रवेश कर गए थे और फ़ार्म की ओर आने वाली गाड़ी की पटरियों पर आ रहे थे। जिससे खेत को नुकसान हुआ था। जोन्स के सिवाय उन सभी के हाथों में लाठियाँ थीं। जोन्स के हाथों में बंदूक थी और वह सबसे आगे चल रहा था। जाहिर था कि वे फ़ार्म पर पुनः कब्जा करने का प्रयास करने वाले थे।


इसकी पहले से ही आशंका थी और सभी तैयारियां कर ली गई थीं। स्नोबॉल, जिसने जूलियस सीज़र के अभियानों की एक पुरानी किताब जो उसे फार्महाउस में मिल गई थी, का अध्ययन कर लिया था, रक्षात्मक मुहीम का प्रभारी था। उसने तुरंत आदेश दिए और कुछ ही मिनटों में हर जानवर अपने मोर्चे पर पहुँच गया।


जैसे ही मनुष्य फ़ार्म की इमारतों के पास पहुँचे, स्नोबॉल ने अपना पहला हमला बोला। सभी कबूतर, जो पैंतीस की संख्या में थे, मनुष्यों के सिर के ऊपर इधर-उधर उड़ने लगे और हवा से ही उन पर बींट करने लगे। जब मनुष्य उनका मुक़ाबला कर रहे थे तभी बतख़ें, जो बाड़ के पीछे छुपी हुईं थीं, तेज़ी से बाहर निकलीं और शातिराना अंदाज में उनकी पिंडलियों पर काटने लगीं। तथापि यह केवल एक हल्की पैंतरेबाज़ झड़प थी। जिसका उद्देश्य थोड़ी अव्यवस्था पैदा करना था। मनुष्यों ने आसानी से अपने डंडों से बतख़ों को भगा दिया। स्नोबॉल ने अब हमले की अपनी दूसरी योजना पर अमल शुरू किया। मुरील, बेंजामिन और सभी भेड़ें, जिनकी अगुवाई स्नोबॉल कर रहा था, आगे बढ़े और मनुष्यों के चारों ओर से सींग और भेंटी मारने लगे। बेंजामिन पीछे मुड़कर अपने छोटे-छोटे खुरों से उनके दुलती मारने लगा। लेकिन एक बार फिर मनुष्य अपने डंडों और कील वाले जूतों के कारण मज़बूत स्थिति में आ गए। अचानक स्नोबॉल की किलकारी सुनकर, जो पीछे हटने का संकेत था, सभी जानवर मुड़ गए और द्वार से होकर अहाते में आ गए।


मनुष्यों ने जीत का नारा बुलंद किया। अपनी कल्पना के अनुरूप उन्होंने दुश्मनों को भागते हुए देखा और वे अव्यवस्थित हो कर उनके पीछे दौड़े। यह बिलकुल वैसे ही हो रहा था जैसा स्नोबॉल चाह रहा था। जैसे ही वे ठीक अहाते के अंदर पहुँचे, तीन घोड़े, तीन गायें, और बाकी सूअर, जो गाय के छपरे में घात लगाकर बैठे थे, अचानक उनको अलग-थलग करते हुए उनके पीछे से निकले। स्नोबॉल ने अब धावा बोलने का संकेत दिया। वह सीधा जोन्स पर लपका। जोन्स ने उसे आते हुए देखा तो अपनी बन्दूक़ उठाई और फ़ायर कर दिया। छर्रों से स्नोबॉल की पीठ पर खून की धारायें बहने लगीं और एक भेड़ मारी गई। बिना एक पल रुके स्नोबॉल ने अपने पन्द्रह पत्थर जोन्स के पैरों पर फैंक मारे। जोन्स गोबर के एक ढेर में जा गिरा और उसकी बंदूक उसके हाथों से उछल गई। लेकिन सबसे भयानक दृश्य बॉक्सर का था। वह अपने पिछले पैरों के बल पर खड़ा होकर एक वयस्क घोड़े की तरह अपने लोहे की नाल लगे बड़े-बड़े खुरों से चोट कर रहा था। उसका पहला वार फॉक्सवुड के एक सईस की खोपड़ी पर पड़ा, जो बेजान होकर कीचड़ में पसर गया। उस पर दृष्टि पड़ते ही कई आदमी अपनी छड़ी पटक कर भाग खड़े हुए। वे भय के वशीभूत हो गए। अगले ही पल सभी जानवर अहाते के चारों ओर चक्कर लगते हुए उनका पीछा करने लगे। उनके सींग और लात मारे जा रहे थे। उनको काटा और रौंदा जा रहा था। फ़ार्म पर एक भी ऐसा जानवर नहीं था जो अपने तरीक़े से उनसे प्रतिशोध नहीं ले रहा था। यहां तक कि बिल्ली भी अचानक छत के ऊपर से एक गवाले के कंधों पर झपटी और अपने पंजे उसकी गर्दन में गड़ा दिए। जिस पर वह बुरी तरह चीख़ने लगा। एक क्षण रास्ता साफ़ देख कर आदमी प्रसन्न हुए और तेज़ी से अहाते के बाहर निकले और भयभीत होकर मुख्य सड़क की ओर दौड़ने लगे। इस प्रकार आक्रमण के पांच मिनट के भीतर ही वे अपमानित होकर उसी रास्ते से पीछे हट गए जिससे वे आए थे। बतख़ों का एक झुण्ड पूरे रास्ते सी-सी करते हुए और उनकी पिंडलियों को नोंचते हुए उनके पीछे दौड़ता रहा।


एक को छोड़कर सभी आदमी चले गए थे। पीछे अहाते में बॉक्सर सईस को, जो कीचड़ में नीचे की ओर मुंह करके पड़ा हुआ था, पलटने के लिए उस पर अपने खुर से वार कर रहा था । सईस में कोई हरकत नहीं हुई।


"वह मर चुका है"- बॉक्सर ने दुखी होकर कहा। "मेरा ऐसा करने का कोई इरादा नहीं था। मैं भूल गया था कि मैंने लोहे के जूते पहन रखे थे। कौन विश्वास करेगा कि मैंने ऐसा जानबूझकर नहीं किया?"


"भाइयों और बहनों! कोई भावुकता की बात नहीं है” स्नोबॉल, जिसके घाव से अभी भी खून टपक रहा था, ने क्रंदन किया "युद्ध, युद्ध है। मरा केवल मनुष्य ही है।"


बॉक्सर ने बार-बार कहा "मेरा किसी की जान लेने का कोई इरादि नहीं था, चाहे वह मनुष्य की ही क्यों न हो” और उसकी आँखों में आँसू आ गए।


"मोली कहाँ है?" किसी ने आश्चर्य से कहा।


मोली वास्तव में गायब थी। एक क्षण के लिए बड़ी खलबली मची। यह आशंका हुई कि कहीं उन आदमियों ने उसे कोई नुक़सान तो नहीं पहुँचाया। या कहीं वे उसको साथ ही तो नहीं ले गए। हालांकि, अंत में वह नाँद में पड़े घास में सिर गड़ाये अपने थान में छिपी हुई मिली। जैसे ही बंदूक चली वह भाग खड़ी हुई। जब अन्य जानवर उसकी तलाश करके वापस आए तब पता चला कि सईस, जो वास्तव में केवल स्तब्ध था, ठीक हो गया था और भाग गया था।


अब जानवर अत्यंत उत्साह के साथ पुनः इकट्ठे हो गए और हर कोई ज़ोर-ज़ोर से लड़ाई में अपने-अपने कारनामे सुनाने लगा। तुरंत एक सद्यःस्फूर्त विजय का जश्न मनाया गया। झंडा फहराया गया और ‘इंग्लैंड के जानवर’ गीत को कई बार गाया गया। फिर जिस भेड़ को मार दिया गया था उसका औपचारिक रूप से अंतिम संस्कार किया गया। उसकी कब्र पर एक नागफनी की झाड़ी लगाई गई। कब्र के पास स्नोबॉल ने एक छोटा सा भाषण दिया जिसमें सभी जानवरों को जरूरत पड़ने पर एनिमल फार्म के लिए मर-मिटने के लिए तैयार रहने पर जोर दिया गया।


जानवरों ने सर्वसम्मति से एक सैन्य-सम्मान "पशुनायक -प्रथम श्रेणी" की स्थापना का फैसला लिया। जो तत्काल स्नोबॉल और बॉक्सर को प्रदान किया गया। यह एक पीतल का पदक था (वे वास्तव में कुछ पुरानी पीतल की रकाबें थीं, जो साज़-कक्ष में मिली थीं) जो रविवार और छुट्टियों में पहना जाना था। "पशुनायक-द्वितीय श्रेणी" एक अन्य सम्मान की स्थापना की गई जो मरणोपरांत भेड़ को प्रदान किया गया।

इस बात पर काफ़ी चर्चा हुई कि लड़ाई को क्या नाम दिया जाना चाहिए। अंत में इसे “गौशाला का युद्ध” नाम दिया गया। क्योंकि गौशाला ही वह जगह थी जहां से घात लगाकर हमला किया गया था। श्री जोन्स की बंदूक कीचड़ में पड़ी हुई मिली। यह पता था ही कि फार्महाउस में कारतूस थे इसलिए यह निर्णय लिया गया कि बंदूक़ को ध्वज-दण्ड के पास तोप की तरह स्थापित किया जाए और इसे वर्ष में दो बार दागा जाए - एक बार बारह अक्टूबर को, जो गौशाला के युद्ध की सालगिरह है और एक बार मध्य-गर्मियों में, जो विद्रोह की सालगिरह है।


अध्याय ५


जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती गई, मोली अधिक से अधिक उपद्रवी होती गई। वह हर सुबह काम पर देर से पहुँचती थी और यह कहकर माफ़ी माँग लेती थी कि उसे गहरी नींद आ गई थी। वह अजीब सा दर्द होने की शिकायत करती थी। यद्यपि उसे भूख ख़ूब लगती थी। वह कोई न कोई बहाना करके काम से भाग जाती थी और पानी के तालाब पर चली जाती थी। जहाँ वह पानी में अपनी परछाईं पर मूर्खतापूर्वक टकटकी लगाए खड़ी रहती थी। लेकिन कुछ ज़्यादा गंभीर बात होने की अफवाहें भी थीं। एक दिन जब मोली अहाते में अपनी लंबी पूंछ को वेग से हिलाते हुए घास के डंठल चबाते हुए पुलकित होकर टहल रही थी तब क्लोवर उसे एक तरफ ले गया।


उसने कहा- "मोली, मुझे तुमसे एक बहुत ही गंभीर बात करनी है। मैंने आज सुबह तुम्हें फॉक्सवुड से एनिमल फार्म को अलग करने वाली बाड़ के ऊपर से झाँकते हुए देखा था। श्री पिलकिंगटन का एक आदमी बाड़ के दूसरी तरफ खड़ा था और- यद्यपि मैं काफ़ी दूर थी तो भी मैं लगभग निश्चित हूं कि मैंने यह देखा है- वह तुमसे बात कर रहा था और तुम उसे अपनी नाक सहलाने दे रही थी। इसका क्या मतलब है, मोली?"


"वह नहीं था! मैं नहीं थी! यह सच नहीं है!" मोली ने इतराना और पाँव से ज़मीन खुरचना शुरू कर दिया और क्रंदन करने लगी।


"मोली? मेरी ओर देखो। क्या तुम सच कह रही हो कि वह आदमी तुम्हारी नाक नहीं सहला रहा था?"


"यह सच नहीं है!" मोली ने दोहराया। लेकिन वह क्लोवर की आँखों में आँखे डालकर नहीं देख सकी और अगले ही पल वह मैदान की ओर सरपट दौड़ गई।


क्लोवर के मन में एक विचार आया। दूसरों से कुछ कहे बिना वह मोली के थान पर गई और अपने खुर से भूसे को पलटा। भूसे के नीचे गुड़ की भेली का एक छोटा सा ढेर और विभिन्न रंगों के रिबन के गुच्छे छुपे हुए थे।


जनवरी में संगीन पीड़ादायक मौसम आया। पृथ्वी लोहे की तरह सख़्त हो गई। खेतों में कुछ भी नहीं किया जा सकता था। बड़े खलिहान में कई बैठकें हुईं। सूअर आने वाली ऋतु के काम की योजना बनाने में व्यस्त हो गए। यह मान लिया गया था कि सूअरों, जो अन्य जानवरों की तुलना में स्पष्ट रूप से चतुर थे, को ही कृषि नीति से सम्बंधित सभी सवालों पर निर्णय करना चाहिए। हालांकि उनके फैसलों की बहुमत द्वारा पुष्टि किया जाना आवश्यक था। यदि स्नोबॉल और नेपोलियन के बीच विवाद नहीं होते तो यह व्यवस्था पर्याप्त रूप से सफल रहती।


वे दोनों हर उस बिंदु पर असहमत होते थे जिस पर असहमति की गुंजाइश थी। यदि उनमें से कोई एक बड़े भाग में जौ की बुवाई करने का सुझाव देता तो दूसरा निश्चित रूप से एक बड़े भाग में जई की बुवाई की मांग करता था। यदि उनमें से कोई यह कहता कि यह खेत सिर्फ गोभी के लिए सही था तो दूसरा घोषणा करता कि यह कंदमूल के अलावा हर चीज़ के लिए बेकार था। प्रत्येक के अपने-अपने अनुयायी थे और इसलिए उग्र बहसें हुआ करती थीं। बैठकों में स्नोबॉल अपने शानदार भाषणों से अक्सर बहुमत हासिल करता था। लेकिन नेपोलियन बीच के समय में अपने लिए समर्थन हासिल करने में बेहतर था। वह भेड़ों के बीच विशेष रूप से सफल रहता था। कुछ दिनों से भेड़ों ने "चार पैर अच्छे, दो पैर बुरे" समय-बेसमय मिमियाना शुरू कर दिया था। वे अक्सर इससे बैठक को बाधित करती थीं। यह देखा गया कि वे विशेषतौर से स्नोबॉल के भाषणों के महत्वपूर्ण क्षणों में "चार पैर अच्छे, दो पैर बुरे" मिमियाते हुए घुस आती थी। स्नोबॉल ने किसानों और पशुपलकों के पिछले कुछ आँकड़ों, जो उसे फार्महाउस में मिल गए थे, का बारीकी से अध्ययन कर लिया था और अब उसके पास नवाचारों और सुधारों की पूरी योजना थी। वह खेत की नालियों, भंडारण और आधारभूत धातुमल के बारे में सूझ-बुझ भरी बातें करता था। उसने सभी जानवरों के लिए अपना गोबर सीधे ही खेतों में हर दिन एक नई जगह पर डालने की एक जटिल योजना तैयार की थी ताकि उसके वहन में लगने वाला श्रम बचाया जा सके। नेपोलियन ने अपनी खुद की कोई योजना प्रस्तुत नहीं की थी किंतु वह शांति से बोला कि स्नोबॉल की योजना का कोई परिणाम नहीं निकलेगा और ऐसा लगता है कि वह अपना समय ख़राब कर रहा है। लेकिन उनके सभी विवादों में से किसी पर भी इतनी कड़वाहट नहीं हुई थी जितनी पवनचक्की पर हुई।


लंबे चरागाह में फ़ार्म की इमारतों के पास ही एक छोटा सा टीला था, जो फ़ार्म का सबसे ऊंचा स्थान था। जमीन का सर्वेक्षण करने के बाद स्नोबॉल ने घोषणा की थी कि इसको एक डायनेमो संचालित करने और फ़ार्म में विद्युत शक्ति की आपूर्ति करने के लिए उपयोग किया जाए। इससे थानों में रोशनी होगी, सर्दियों में उनको गर्म किया जा सकेगा और एक आरामशीन, चारा काटने की मशीन, चुकंदर छीलने की मशीन और बिजली से चलने वाली दूध निकालने की मशीन भी चलाई जा सकेगी। जानवरों ने इस तरह की किसी भी चीज़ के बारे में पहले कभी नहीं सुना था। (क्योंकि फ़ार्म पुराने जमाने का था और उसमें केवल अनगढ़ मशीने थीं) जब स्नोबॉल उन्हें उन शानदार मशीनों के बारे में बताने लगा, जो जब वे खेतों में आराम से चर रहे होंगे या पढ़कर और वार्तालाप करके अपने दिमाग़ को तेज़ कर रहे होंगे तब उनके लिए उनका काम कर देंगी, तो वे आश्चर्यचकित होकर सुनते रहे।


कुछ हफ़्तों में ही स्नोबॉल की पवनचक्की की योजना पूरी तरह से तैयार हो गई। यांत्रिक विवरण अधिकतर तीन पुस्तकों --वन थाउजेंड यूजफुल थिंग्स टू डू अबाउट द हाउस, एव्री मैन हिज ओन ब्रिकलेयर और इलेक्ट्रिसिटी फ़ॉर बीगिनर्स- से आया था, जो श्री जोन्स की थीं । स्नोबॉल अपने अध्ययन के लिए एक छप्पर का इस्तेमाल करता था, जो कभी अण्डे सेने के लिए इस्तेमाल किया जाता था और जिसकी फ़र्श चिकनी लकड़ी की थी। वह चित्र बनाने के लिए उपयुक्त था। वह वहाँ घंटों तक बंद रहता था। वह पत्थर की सहायता से किताबों को खोलकर रखता और चाक के एक टुकड़े को अपने पंजे के पोरों के बीच पकड़ कर तेजी से आगे-पीछे होते हुए और उत्साह से ठिनठिनाते हुए एक के बाद एक रेखायें खींचता रहता था। धीरे-धीरे योजना क्रैंक और कॉग-व्हील्स के एक जटिल समूह के रूप में विकसित होने लगी। जिसने आधे से अधिक फ़र्श को घेर लिया था। यह अन्य जानवरों की समझ से पूरी तरह बाहर थी। किंतु बड़ी प्रभावशाली लगती थी। वे सभी दिन में कम से कम एक बार स्नोबॉल के चित्र को देखने अवश्य आते थे। यहां तक ​​कि मुर्गियाँ और बत्तखें भी आतीं थी और इस बात का पूरा ध्यान रखती थी कि कहीं चाक के निशान पर पैर नहीं पड़ जाए। केवल नेपोलियन इससे अलग-थलग रहा। वह शुरू से ही खुलकर पवनचक्की के खिलाफ था। तथापि एक दिन वह अप्रत्याशित रूप से योजना को देखने पहुँच गया। उसने गम्भीरता से छप्पर के चारों ओर चक्कर लगाया। योजना के हर विवरण की ओर बारीकी से देखा। एक या दो बार उनकी ओर क्रोध से देखा। फिर अपनी आंख के कोने से उन पर चिंतन करते हुए थोड़ी देर तक खड़ा रहा। फिर अचानक उसने अपना पैर उठाया, योजना पर पेशाब किया और बिना एक शब्द बोले बाहर चला गया।


पूरा फ़ार्म पवनचक्की के विषय पर गहराई से विभाजित था। स्नोबॉल ने भी इस बात से इनकार नहीं किया था कि इसे बनाना एक कठिन काम है। खदानों से पत्थर निकालने होंगे। दीवारें बनानी होंगी। फिर पंखा बनाना होगा। उसके बाद डायनेमो और केबल की आवश्यकता होगी।(ये कैसे खरीदे जाने थे, स्नोबॉल ने नहीं बताया था।) लेकिन उसने कहा था कि यह सब एक साल में किया जा सकता है। उसने घोषणा की कि उसके बाद इतना श्रम बच जाएगा कि जानवरों को सप्ताह में केवल तीन दिन काम करने की आवश्यकता होगी। दूसरी ओर, नेपोलियन का तर्क था कि समय की सबसे बड़ी माँग है खाद्य उत्पादन को बढ़ाना और अगर उन्होंने पवनचक्की पर समय बर्बाद किया तो वे सभी भूखे मर जाएँगे। जानवर दो गुटों और दो नारों - "स्नोबॉल को वोट दो और सप्ताह में तीन दिन काम करो" और "नेपोलियन को वोट दो और भरपेट चुकंदर खाओ"- में संगठित हो गए। बेंजामिन एकमात्र ऐसा जानवर था जो किसी भी गुट में नहीं था। उसने यह मानने से इंकार कर दिया कि भोजन अधिक मात्रा में हो जाएगा या पवनचक्की से काम कम हो जाएगा। उसने कहा- पवनचक्की हो या न हो जीवन वैसे ही बितेगा जैसे पहले बितता आया था- यानी बुरे तरीके से।

पवनचक्की पर विवादों के अलावा फ़ार्म की रक्षा का सवाल भी था। यह पूरी तरह से महसूस किया जा रहा था कि यद्यपि मनुष्यों को गौशाला के युद्ध में हरा दिया गया था तो भी वे एकबार और प्रयास कर सकते हैं और श्री जोन्स को पुनर्स्थापित कर सकते हैं। उनके पास ऐसा सोचने के करने कारण भी थे क्योंकि उनकी हार की खबर देश भर में फैल गई थी और पड़ोसी फार्मों के जानवर पहले से कहीं अधिक आराम तलब हो गए थे। हमेशा की तरह स्नोबॉल और नेपोलियन के बीच असहमति थी। नेपोलियन के अनुसार जानवरों को आग्नेयास्त्र खरीदने चाहिएँ और उनके उपयोग का प्रशिक्षण लेना चाहिए। स्नोबॉल के अनुसार उन्हें अधिक से अधिक कबूतरों को बाहर भेजना चाहिए और अन्य फार्मों के जानवरों को विद्रोह के लिए उकसाना चाहिए। एक ने तर्क दिया कि यदि वे खुद का बचाव नहीं कर सकते हैं तो उनका हारना निश्चित है। दूसरे ने तर्क दिया कि अगर हर जगह विद्रोह हो जाता है तो उन्हें खुद का बचाव करने की आवश्यकता ही नहीं होगी। जानवरों ने पहले नेपोलियन को सुना। फिर स्नोबॉल को। पर यह तय नहीं कर पाये कि कौन सही था। वास्तव में वे हमेशा खुद को उस व्यक्ति से सहमत हुआ पाते थे जो उस समय बोल रहा होता था।


आखिर में वह दिन आ गया जब स्नोबॉल की योजना पूरी हुई। इस पर बाहर एक भयावह ध्वनि हुई और पीतल-जड़ित पट्टा पहने हुए नौ विशाल कुत्ते सीधे खलिहान में आकर घुस गए। वे सीधे स्नोबॉल पर झपटे, जो उनके भड़कते हुए जबड़ों से बचने के लिए बस सही समय पर अपनी जगह से हट गया था। क्षणभर में वह दरवाजे से बाहर हो गया था और कुत्ते उसके पीछे थे। भय और आश्चर्य के मारे जानवरों की आवाज़ भी नहीं निकली। वे सभी इस भाग-दौड़ को देखने के लिए भीड़ की भीड़ दरवाजे से बाहर निकले। स्नोबॉल उस लंबे चरागाह के बीचों-बीच से सड़क की ओर दौड़ रहा था। वह उतना भाग रहा था जितना एक सुअर भाग सकता था। लेकिन कुत्ते उसके करीब पहुँच गए थे। अचानक वह फिसल गया और यह निश्चित ही लग रहा था कि कुत्ते उसे पकड़ लेंगे। तभी वह उठा और पहले से भी तेज़ भागने लगा। कुत्ते फिर उस पर हावी होने लगे। उनमें से एक ने स्नोबॉल की पूंछ जबड़े में ले ही ली थी पर स्नोबॉल ने इसे सही समय पर खींच लिया। फिर उसने एक अतिरिक्त छलाँग लगाई और कुछ इंच के फ़ासले से ही बाड़ के एक छेद में से निकल गया। उसके बाद उसे कभी नहीं देखा गया।


मूक और भयभीत जानवर वापस खलिहान में चले गए। एक क्षण में कुत्ते फिर वापस आ गए। पहले तो कोई भी कल्पना नहीं कर पाया था कि ये जीव कहाँ से आए थे, लेकिन समस्या जल्द ही हल हो गई। ये वही पिल्ले थे जिन्हें नेपोलियन उनकी माँ से दूर ले गया था और निजी तौर पर पाल रहा था। हालांकि अभी तक वे पूर्ण विकसित नहीं हुए थे फिर भी वे विशाल कुत्ते थे और भेड़ियों की तरह भयंकर दिखते थे। वे नेपोलियन के करीब आ गए थे। सब देख रहे थे कि वे उसके सामने अपनी पूंछ उसी तरह से हिला रहे थे जिस तरह अन्य कुत्ते श्री जोन्स के सामने हिलाते थे।


नेपोलियन, जिसके पीछे-पीछे कुत्ते चल रहे थे, अब फ़र्श के उस उभरे हुए हिस्से पर चढ़ गया जहाँ पहले मेजर अपना भाषण देने के लिए खड़ा हुआ था और घोषणा कर दी कि अब से स्नोबॉल के निष्कासन से पहुँचे सदमे से भी ज़्यादा जानवरों को इस घोषणा से निराशा हुई थी। यदि उन्हें उपयुक्त तर्क मिल जाते तो उनमें से कइयों ने इस बात का विरोध किया होता। यहां तक ​​कि बॉक्सर भी कुछ परेशान था। उसने अपने कानों को पीछे किया। कई बार अपने माथे की लट को हिलाया और अपने विचारों को नियंत्रित करने की कोशिश की। किन्तु अंत तक उसे यह समझ नहीं आया कि क्या कहे। तथापि स्वयं कुछ सूअर अपनी बात कहने में अधिक स्पष्ट थे। आगे की पंक्ति में बैठे चार युवा सूअरों ने ज़ोर से चिल्ला कर अस्वीकृति व्यक्त की। चारों टेकी से उठ खड़े हुए और एक साथ बोलने लगे। किन्तु नेपोलियन के पास बैठे कुत्तों ने अचानक गहरी और भयानक गुर्राहट की। सूअर चुप हो कर बैठ गए। तब भेड़ों ने असाधारण रूप से मिमियाना शुरू किया- "चार पैर अच्छे, दो पैर बुरे!" जो लगभग पंद्रह मिनट तक चला और चर्चा के किसी भी अवसर पर पूर्ण विराम लगा दिया।


तत्पश्चात् दूसरों को नई व्यवस्था समझाने के लिए स्क्वीलर को फ़ार्म में चारों ओर भेजा गया।


उसने कहा "भाइयों और बहनों! मुझे विश्वास है कि यहां हर जानवर इस बलिदान की सराहना करता है जो मित्र नेपोलियन ने खुद पर इस अतिरिक्त ज़िम्मेदारी को लेकर किया है। भाइयों और बहनों! यह मत सोचो कि नेतृत्व कोई खुशी की बात है! बल्कि इसके विपरीत यह एक भारी-भरकम ज़िम्मेदारी का काम है। मित्र नेपोलियन को जानवरों की समानता में सबसे ज़्यादा और दृढ़ विश्वास है। आपके फ़ैसले स्वयं आपको करने देने में उसको सबसे ज़्यादा ख़ुशी होगी। लेकिन भाइयों और बहनों! कभी-कभी आप भी तो गलत निर्णय कर सकते हैं। तब हम कहां होंगे? मानलो आपने स्नोबॉल की पवनचक्कियों के बारे में चमक-दमक वाली बातों में आकर उसका अनुसरण करने का फैसला कर लिया होता तो? स्नोबॉल, जिसे हम अब जानते हैं, एक अपराधी से कम नहीं था?”


किसी ने कहा, "वह गौशाला के युद्ध में बहादुरी से लड़ा था।”


स्क्वीलर ने कहा, "बहादुरी पर्याप्त नहीं है। वफादारी और आज्ञाकारिता भी महत्वपूर्ण है। जहाँ तक गौशाला के युद्ध की बात है, मेरा मानना ​​है कि समय के साथ हमें यह पता भी लग जाएगा कि युद्ध में स्नोबॉल की भूमिका को अतिरंजित करके पेश किया गया था। अनुशासन, भाइयों और बहनों! फ़ौलादी अनुशासन! यही आज का नारा है। एक गलत कदम पड़ा नहीं कि हमारे दुश्मन हम पर हावी हो जायेंगे। निश्चित रूप से, भाइयों और बहनों! आप नहीं चाहते ना कि जोन्स वापस आये ? "


एक बार फिर यह तर्क अचूक था। निश्चित रूप से जानवर नहीं चाहते थे कि जोन्स वापस आये। यदि रविवार की सुबह का वाद-विवाद उसे वापस लाने के लिए उत्तरदायी था तो ऐसा अड़-विवाद बंद होना ही चाहिए। बॉक्सर, जिसे अब तक सोचने का वक़्त मिल गया था, ने सामान्य भावनाओं को यह कह कर व्यक्त किया कि- "यदि मित्र नेपोलियन यह कह रहा है तो यह सही ही होना चाहिए।" इसके बाद से उसने अपने निजी आदर्श वाक्य "मैं और मेहनत करूँगा" के अतिरिक्त यह सूत्र और अपना लिया कि "नेपोलियन हमेशा ही सही होता है।"


इस समय तक मौसम टूट चुका था और बसंत की जुताई शुरू हो गई थी। जिस छप्पर में स्नोबॉल ने पवनचक्की की अपनी योजना चित्रित की थी उसे बंद कर दिया गया था और यह मान लिया गया था कि योजना को मिटा दिया गया था। हर स्नोबॉल के निष्कासन के बाद तीसरे रविवार को नेपोलियन की इस घोषणा को सुनकर जानवर कुछ आश्चर्यचकित थे कि आख़िरकार पवनचक्की बनाई जाएगी। उसने अपना मन बदलने का कोई कारण नहीं बताया। लेकिन जानवरों को केवल यह चेतावनी दी कि इस अतिरिक्त कार्य का मतलब होगा, बहुत कठिन काम करना। उनके राशन को कम करने की भी ज़रूरत पड़ सकती है। तथापि योजनाएँ अंतिम विवरणों सहित पूरी तरह से तैयार हो चुकी थीं। सूअरों की एक विशेष समिति पिछले तीन हफ्तों से उन पर काम कर रही थी। पवनचक्की के निर्माण में कई अन्य सुधारों के साथ दो साल का समय लगने की उम्मीद थी।


उस शाम स्क्वीलर ने अन्य जानवरों को निजी तौर पर समझाया कि नेपोलियन वास्तव में कभी भी पवनचक्की के विरोध में नहीं था। इसके विपरीत, वही था जिसने शुरुआत में इसकी वकालत की थी और स्नोबॉल ने अण्डे सेने के छप्पर के फर्श पर जो योजना चित्रित की थी वह वास्तव में नेपोलियन के कागजो में से ही चुराई गयी थी। पवनचक्की वास्तव में नेपोलियन की अपनी रचना थी। एक ने पूछा- फिर वह इसके खिलाफ इतनी दृढ़ता से क्यों बोला था? यहां स्क्वीलर ने बहुत ही धूर्तता से काम लिया और बोला - वह मित्र नेपोलियन की चालाकी थी। वह स्नोबॉल, जो एक खतरनाक चरित्र और बुरी प्रतिष्ठा वाला था, से छुटकारा पाने के लिए पैंतरेबाज़ी के तहत पवनचक्की का विरोध करते हुए दिख रहा था। अब जब स्नोबॉल रास्ते से हट गया तो योजना उसके हस्तक्षेप के बिना आगे बढ़ सकती है। स्क्वीलर ने कहा यह कुछ ऐसा था जिसे रणनीति कहा जाता है। उसने झूमते हुए और अपनी पूँछ को लहराते हुए मस्त हँसी के साथ इसे कई बार दोहराया। "रणनीति, भाइयों और बहनों! रणनीति!" जानवर निश्चित नहीं कर पा रहे थे कि इस शब्द का क्या मतलब है। लेकिन स्क्वीलर इतना यक़ीनी तौर से बोला था और तीनों कुत्ते, जो उसके साथ थे, इतने धमकी भरे लहजे में गुर्राये थे कि उन्होंने आगे कोई सवाल किए बिना उसकी व्याख्या को स्वीकार कर लिया।


अध्याय ६


उस वर्ष सभी जानवरों ने ग़ुलामों की तरह काम किया। लेकिन वे अपने काम से खुश थे। उन्होंने किसी भी प्रयास या बलिदान के प्रति असंतोष प्रकट नहीं किया। वे जानते थे कि उन्होंने जो कुछ भी किया था वह उनके स्वयं के और उनकी आने वाली पीढ़ियों के फ़ायदे के लिए था। न कि निठल्ले और चोरी करने वाले मनुष्यों के फ़ायदे के लिए।


पूरे बसंत और गर्मियों में उन्होंने प्रति सप्ताह साठ घंटे काम किया और अगस्त में नेपोलियन ने घोषणा की कि रविवार को भी दोपहर बाद काम किया जाएगा। यह काम एकदम स्वैच्छिक था लेकिन जो भी जानवर काम से अनुपस्थित हो जाता था उसका राशन घटाकर आधा कर दिया जाता था। तो भी कुछ कार्यों को अधूरा छोड़ना पड़ा। फसल पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ी कम हुई थी। दो खेतों में गर्मियों की शुरुआत में ही कंदमूल की बुवाई की जानी थी। किंतु समय पर जुताई पूरी नहीं होने के कारण, बुवाई नहीं की जा सकी। यह अनुमान लगाना कोई कठिन नहीं था कि आने वाली सर्दियों में मुश्किल होने वाली है।


पवनचक्की के निर्माण में अप्रत्याशित कठिनाइयाँ उपस्थित हुईं। फ़ार्म पर चूना पत्थर की एक अच्छी खदान थी। अहाते के एक कमरे में बहुत सारी बजरी और सीमेंट मिल गई थी। इस प्रकार निर्माण के लिए आवश्यक सभी सामग्री उपलब्ध थी। लेकिन पहली समस्या जिसको जानवर हल नहीं कर सके वह यह थी कि पत्थर को उपयुक्त आकार के टुकड़ों में कैसे तोड़ा जाए। ऐसा लगता था कि गैंती और सबल के अलावा दूसरा कोई तरीक़ा नहीं था जिससे यह काम किया जा सके। जानवर इनका इस्तेमाल नहीं कर सकते थे क्योंकि कोई भी जानवर अपने पिछले पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता था। हफ्तों तक व्यर्थ प्रयास करने के बाद किसी के दिमाग़ में सही विचार आया - अर्थात् गुरुत्वाकर्षण बल का उपयोग करना। विशाल शिलाखंड जो उपयोग की दृष्टि से बहुत बड़े थे, खदान की तलहटी में चारों ओर बिखरे पड़े थे। जानवर इनके चारों ओर रस्सियाँ बाँधते और फिर सब साथ मिलकर - गायें, घोड़े, भेड़ें, जो भी रस्सी को पकड़ सकते थे, यहाँ तक कि कभी-कभी सूअर भी नाज़ुक क्षणों में उनके साथ हो जाते थे - उन्हें अत्यंत धीमी गति से ऊपर की ओर घसीटते हुए खदान की चोटी तक ले जाते। वहाँ से वे खदान के किनारों से होते हुए ढलान पर नीचे की ओर लुढ़काए जाते। जिससे वे चकनाचूर होकर टुकड़ों में बिखर जाते थे। टूटे हुए पत्थरों का परिवहन अपेक्षाकृत सरल था। घोड़ें इन्हें गाड़ियों में ले जाते थे। भेड़ें एक-एक टुकड़े को खींच कर ले जाती थीं। यहां तक ​​कि मुरील और बेंजामिन ने खुद को एक पुरानी बग्घी में जोत लिया था और अपना योगदान कर रहे थे। देर गर्मियों तक पत्थर का पर्याप्त भण्डार जमा हो गया था। फिर सूअरों के अधीक्षण में इमारत का काम शुरू हुआ।


लेकिन यह एक धीमी और श्रमसाध्य प्रक्रिया थी। कई बार एक ही शिलाखण्ड को खदान की चोटी तक खींच कर ले जाने के लिए पूरे दिन थकाऊ प्रयास करना पड़ता था। कई बार जब उसे किनारों से होते हुए गिराया जाता तो वह बिना टूटे रह जाता था। बॉक्सर के बिना कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता था। उसकी ताकत बाकी सभी जानवरों की कुल ताक़त के बराबर लगती थी। जब शिलाखण्ड खिसकने लगता और जानवर पहाड़ी से नीचे की ओर घिसटने लगते और निराश होकर चिल्लाने लगते तब हमेशा बॉक्सर ही रस्सी को मज़बूती से खींच कर खड़ा होता था और शिलाखण्ड को रोक देता था। ढलान से एक-एक इंच करके ऊपर जाते हुए, तेज़-तेज़ चलती हुई साँसें, जमीन को जकड़े हुए उसके ख़ुरों की नोक और पसीने से लथपथ उसके बड़े-बड़े पार्श्वों को देख कर सभी उसके प्रति प्रशंसा से भर उठते थे। क्लोवर कई बार उसे सावधान रहने और ज़्यादा तनाव न लेने की चेतावनी देती थी। लेकिन बॉक्सर कभी भी उसकी बात नहीं सुनता था। उसे अपने दो नारों - "मैं और कड़ी मेहनत करूंगा" और "नेपोलियन हमेशा सही होता है”- में हर समस्या का समाधान दिखाई देता था। उसने अब गौरैया को सुबह आधे घंटे के बजाय पौंन घंटे पहले जगा देने के लिए कह दिया था। अपने खाली समय में, जो आजकल ज़्यादा नहीं होता था, वह अकेले खदान में जाता था और टूटे हुए पत्थरो को इकट्ठा करके उनको बिना किसी की मदद के पवनचक्की वाली जगह पर खींच लाता था।


जानवर अपने कठिन काम के बावजूद भी पूरी गर्मियों में बुरी स्थिति में नहीं थे। अगर उनके पास उससे ज़्यादा भोजन भी नहीं था जितना जोन्स के समय हुआ करता था तो उससे कम भी नहीं था। केवल खुद को खिलाने-पिलाने और पांच अपव्ययी मनुष्यों का पेट भरने की जम्मेदारी नहीं होने का फ़ायदा इतना शानदार था कि इसे पछाड़ने के लिए बहुत सी विफलताएँ भी कम थी। कई मायनों में पशुओं का काम करने का तरीका अधिक कुशल और श्रम बचाने वाला था। उदाहरण के लिए निराई जैसे काम इतनी सूक्ष्मता से किए जा सकते थे जो मनुष्यों के लिए असंभव थे। यही नहीं अब जानवर विचरण नहीं करते थे इसलिए कृषि योग्य भूमि से चरागाह को अलग करने के लिए बाड़बंदी करना अनावश्यक नहीं था। जिससे बड़ों और दरवाज़ों के रखरखाव पर लगाने वाला बहुत सा श्रम बच जाता था। फिर भी जैसे-जैसे गर्मियों का मौसम बीतने लगा वैसे-वैसे कई तरह की अप्रत्याशित कमियाँ महसूस होने लगीं। ईंधन-तेल, कीलों, रस्सियों, कुत्ते के बिस्कुटो और घोड़ों की नालों के लिए लोहे की आवश्यकता थी। जिनमें से किसी भी चीज़ का उत्पादन फ़ार्म पर नहीं होता था। बाद में विभिन्न औज़ारों के अलावा, बीज और कृत्रिम खाद की भी आवश्यकता होगी। अंत में पवनचक्की के लिए मशीनरी की भी आवश्यकता होगी। ये कैसे खरीदे जाने थे इसकी कोई भी कल्पना नहीं कर सकता था।


एक रविवार की सुबह जब जानवर अपने आदेश प्राप्त करने के लिए इकट्ठे हुए तब नेपोलियन ने घोषणा की कि उसने एक नई नीति पर फैसला किया है। अब से एनिमल फार्म पड़ोसी फार्मों के साथ व्यापार करेगा। हाँ, किसी व्यावसायिक उद्देश्य के लिए नहीं,बल्कि बस कुछ सामग्रियाँ प्राप्त करने के लिए। जिनकी तत्काल आवश्यकता थी। उसने कहा कि बाक़ी सब चीज़ों पर पवनचक्की की ज़रूरतों को प्रमुखता देना ज़रूरी है। इसलिए वह घास के एक ढेर और चालू वर्ष की गेहूं की फसल को बेचने की व्यवस्था कर रहा है। बाद में यदि अधिक धन की आवश्यकता पड़ी तो इसे अंडे की बिक्री से पूरा किया जाएगा। जिसके लिए विलिंगडन में हमेशा माँग रहती है। नेपोलियन ने कहा- मुर्गियों को पवनचक्की के निर्माण के लिए अपने स्वयं के विशेष योगदान के रूप में इस बलिदान का स्वागत करना चाहिए।


एक बार फिर जानवरों को एक अस्पष्ट सी बेचैनी महसूस हुई। कभी भी इंसानों के साथ कोई व्यवहार नहीं करना है, कभी भी व्यापार नहीं करना है, कभी भी पैसे का उपयोग नहीं करना है - क्या ये जोन्स को निष्कासित किए जाने के बाद हुई पहली विजयी बैठक में पारित किए गए शुरुआती प्रस्ताव नहीं थे? सभी जानवरों को ऐसे प्रस्ताव पारित किए जाने की यादास्त थी।या कम से कम उन्होंने सोचा था कि उन्हें ऐसी यादास्त थी। उन चार युवा सूअरों ने, जिन्होंने उस समय विरोध किया था जब नेपोलियन ने बैठकों को समाप्त किया था, डरते-डरते विरोध किया लेकिन उनको कुत्तों की जबरदस्त गुर्राहट ने तुरंत चुप कर दिया। फिर हमेशा की तरह, भेड़ें फट पड़ी "चार पैर अच्छे, दो पैर बुरे!" और क्षणिक कष्टकर स्थिति कम हो गई । अंत में नेपोलियन ने चुप्पी साधने के लिए अपना पंजा उठाया और घोषणा की कि उसने पहले से ही सारी व्यवस्था कर दी है। किसी भी जानवर को मनुष्यों के संपर्क में आने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह स्पष्ट रूप से सबसे अवांछनीय भी है। उसने पूरा भार अपने कंधों पर लेने का इरादा कर लिया था। विलिंग्डन में रहने वाले एक सॉलिसिटर श्री व्हिम्पर ने एनिमल फार्म और बाहरी दुनिया के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के लिए सहमति दे दी थी। वह हर बाद में स्क्वीलर ने फ़ार्म का एक चक्कर लगाया और जानवरों के दिमाग को शांत किया। उसने उनको आश्वस्त किया कि व्यापार में संलग्न न होने और पैसे का उपयोग न करने का प्रस्ताव कभी पारित ही नहीं हुआ था। यहां तक ​​कि ऐसा कोई सुझाव ही नहीं आया था। यह शुद्ध कल्पना थी। शायद यह स्नोबॉल द्वारा प्रसारित कोई झूठ था। कुछ जानवरों के मन में अभी भी हल्का सा संदेह था। लेकिन स्क्वीलर ने उनसे चतुराई से पूछा, "भाइयों और बहनों! क्या आप निश्चित हैं कि यह कोई ऐसी बात नहीं है जिसको आपने कभी सपने में भी देखा हो? क्या आपके पास इस तरह के प्रस्ताव का कोई रिकॉर्ड है? क्या इसे कहीं भी लिखा गया है?" चूंकि यह निश्चित रूप से सत्य था कि ऐसी कोई भी बात लिखित में मौजूद नहीं थी, इसलिए जानवर संतुष्ट हो गए कि वे ही गलत थे।


प्रत्येक सोमवार को, जैसा कि तय हुआ था, श्री व्हिम्पर फ़ार्म पर आता था। वह धूर्त दिखने वाला एक ठिगना सा व्यक्ति था। उसके पार्श्वों में बड़ी-बड़ी मूँछें थी। वैसे तो वह एक छोटा-मोटा सॉलिसिटर था लेकिन इतना शातिर था कि उसे सबसे पहले यह एहसास हो गया था कि एनिमल फ़ार्म को एक दलाल की आवश्यकता थी और अच्छी दलाली मिलने की सम्भावना थी। जानवरों को उसका आना -जाना देखकर एक प्रकार का ख़ौफ़ सा होता था। वे जितना संभव हो उससे बचते थे। फिर भी नेपोलियन को चारों तरफ व्हिम्पर, जो दो पैरों पर खड़ा था, को आदेश देते हुए देखना उनके अभिमान को जागृत करता था। उनका नई व्यवस्था में आंशिक रूप से ही सामंजस्य बैठता था। मानव जाति के साथ उनके संबंध अब पहले जैसे नहीं थे। एनिमल फार्म से, अब जबकि वह और समृद्ध होता जा रहा था, मनुष्य की नफ़रत किसी भी तरह से कम नहीं हुई थी बल्कि वास्तव में वे अब पहले से कहीं ज्यादा नफरत करने लगे थे। प्रत्येक मनुष्य इस बात को श्रद्धापूर्वक धारण करता था कि फ़ार्म तो देर-सवेर दिवालिया हो ही जाएगा। बल्कि उससे भी बढ़कर पवनचक्की एक विफलता साबित होगी। वे मायखानों में मिलते थे और एक-दूसरे को रेखा-चित्र के माध्यम से साबित करते थे कि पवनचक्की का नीचे गिरना तय है। यदि वह खड़ी भी रह गई तो भी काम कभी नहीं करेगी। तो भी, उनकी इच्छा के विपरीत, उनके मन में उस दक्षता के लिए एक निश्चित सम्मान पैदा हो गया था जिससे जानवर अपने मामलों का प्रबंधन कर रहे थे। इसका एक लक्षण यह था कि वे एनिमल फार्म को उसके सही नाम से पुकारने लगे थे और यह ढोंग करना बंद कर दिया था कि इसे मेनर फार्म कहा जाता था। उन्होंने जोन्स की तरफ़दारी करना भी छोड़ दी थी। जोन्स ने भी अपने फ़ार्म को वापस पाने की उम्मीद छोड़ दी थी और प्रांत के दूसरे हिस्से में रहने चला गया था। व्हिम्पर के सिवाय अभी तक एनिमल फार्म और बाहरी दुनिया के बीच कोई संपर्क नहीं था। किंतु लगातार ये अफवाहें उड़ रही थीं कि नेपोलियन फॉक्सवुड के श्री पिलकिंगटन के साथ या पिंचफील्ड के श्री फ्रेडरिक के साथ कोई व्यापार समझौता करने वाला था। लेकिन ऐसा लग रहा था कि वह दोनों से साथ-साथ समझौता कभी नहीं करेगा।


इस समय के आस-पास की ही बात है कि सूअर अचानक फार्महाउस में चले गए और वहां अपना निवास स्थान बना लिया। फिर से जानवरों को याद आया कि इसके खिलाफ एक प्रस्ताव शुरुआती दिनों में पारित किया गया था और फिर स्क्वीलर उन्हें यह समझाने में सफल हो गया कि ऐसी बात नहीं थी। उसने कहा- यह बहुत ही ज़रूरी था कि सूअरों, जो फ़ार्म का दिमाग थे, के पास काम करने के लिए एक शांत जगह होनी चाहिए। यह नेता की गरिमा के लिए भी ज़्यादा अनुकूल था (वह पिछले काफ़ी समय से नेपोलियन को "नेता" की उपाधि से सम्बोधित करने लग गया था) कि वह मात्र एक टिके रहने की जगह के बजाय एक घर में रहे। फिर भी कुछ जानवर यह सुनकर परेशान थे कि सूअर न केवल अपना भोजन रसोई में लेते थे और ड्राइंग-रूम को मनोरंजन कक्ष के रूप में इस्तेमाल करते थे बल्कि बिस्तरों में भी सोते थे। बॉक्सर ने तो हमेशा की तरह "नेपोलियन हमेशा सही है!" कहकर अपना ध्यान हटा लिया, लेकिन क्लोवर, जिसका यह ख़्याल था कि उसे बिस्तरों के खिलाफ एक निश्चित निर्णय के बारे में याद है, खलिहान के आख़िरी भाग में गई और वहां अंकित सात आज्ञाओं की पहेली को समझने की कोशिश करने लगी। एक-एक अक्षर से अधिक पढ़ने में असमर्थ होने के कारण वह मुरील को वहाँ बुलाकर लाई।

उसने कहा- "मुरील मुझे चौथा आदेश पढ़कर सुनाओ। क्या यह बिस्तर में कभी नहीं सोने के बारे में कुछ कहता है?"


कुछ कठिनाई के साथ मुरील ने उसे पढ़ दिया।


इसमें लिखा है- "कोई भी जानवर चादर वाले बिस्तर पर नहीं सोएगा”।


बड़ी अजीब बात है! क्लोवर को यह याद नहीं आ रहा था कि चौथे आदेश में चादरों का उल्लेख भी किया गया था। पर जब यह दीवार पर लिखा है तो ऐसा ही होगा।

उस समय स्क्वीलर दो-तीन कुत्तों के साथ वहाँ से गुजर रहा था, उसने पूरे मामले को उचित परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया। उसने कहा, "तो भाइयों और बहनों! आपने सुना है कि हम सूअर अब फार्महाउस के बिस्तर में सोते हैं? क्यों नहीं सोएँ? निश्चित रूप से आपको अंदाज़ा होगा कि बिस्तर के विरुद्ध कभी कोई आदेश नहीं था। बिस्तर का मतलब मात्र सोने की जगह से है। अगर ठीक से कहा जाए तो थान में पुआल का ढेर भी एक बिस्तर है। नियम चादरों के विरुद्ध था। जो मनुष्य का आविष्कार हैं। हमने फार्महाउस के बिस्तरों से चादरें हटा दी हैं। केवल कंबलों में सोते हैं। वे आरामदायक भी बहुत हैं। लेकिन उससे ज्यादा आरामदायक नहीं है, जितने की हमें ज़रूरत है। भाइयों और बहनों! मैं आपको बतादूँ आजकल हमें बहुत ज़्यादा दिमागी काम करना पड़ता है। शायद आप हमसे हमारा चैन नहीं छिनेंगे। भाइयों और बहनों! क्या आप ऐसा करोगे? आप यह तो नहीं चाहेंगे ना कि हम हमारा कर्तव्य करते-करते थक जायें? निश्चित रूप से आप में से कोई भी नहीं चाहता होगा कि जोन्स वापस आ जाये? "


इस बात के लिए जानवरों ने उसे तुरंत आश्वस्त कर दिया और सूअरों के फार्महाउस के बिस्तरों में सोने के बारे में आगे और कोई बात नहीं की गई। जब कुछ दिनों बाद यह घोषणा की गई कि अब से सूअर अन्य जानवरों की तुलना में सुबह एक घंटे देर से उठेंगे तो इस बारे में भी कोई शिकायत नहीं की गई।


शरद ऋतु के आते-आते जानवर थक गए थे। लेकिन वे खुश थे। वे एक कष्टदायक वर्ष गुज़ार चुके थे। घास और मकई के एक हिस्से की बिक्री के बाद भी सर्दियों के लिए भोजन के भंडार की स्थिति कोई ज़्यादा सुखद नहीं थी। लेकिन हर कमी की पूर्ति पवनचक्की ने कर दी थी। वह अब लगभग आधी बन चुकी थी। फसल के बाद साफ सूखे मौसम का एक लम्बा समय गुज़रा था और जानवरों ने यह सोचकर पहले से कहीं ज्यादा मेहनत की थी कि यदि वे ऐसा कर के दीवारों को एक फ़ुट और ऊँचा कर सकें तो पत्थर के शिलाखंडों को इधर से उधर ले जाने में किया गया परिश्रम सार्थक हो जाएगा। बॉक्सर रात में भी बाहर आ जाता था और शरच्चंद्र की रोशनी में एक-दो घंटे अकेला काम करता था। अपने खाली समय में जानवर आधी-अधूरी मिल के, उसकी दीवारों की मज़बूती और ऊँचाई की प्रशंसा करते हुए, चक्कर लगाते रहते थे और आश्चर्यचकित रह जाते थे कि वे भी ऐसी भव्य चीज़ बना सकते थे। केवल वृद्ध बेंजामिन में पवनचक्की के प्रति कोई उत्साह नहीं था।यद्यपि, हमेशा की तरह वह इस गूढ़ टिप्पणी से ज़्यादा कुछ नहीं बोलता था कि गधे लंबे समय तक जीवित रहते हैं।


नवंबर में उग्र दक्षिण-पश्चिम हवायें चलने लगीं थीं। आर्द्रता बहुत ज़्यादा थी और सीमेंट को मिलाना मुश्किल हो रहा था। इसलिए निर्माण कार्य रोकना पड़ा। अंत में एक रात को इतनी तेज़ आंधी आयी कि फ़ार्म की इमारतों की नींव हिलने लगी। खलिहान की छत से कई टाइलें उड़ गईं। मुर्गियाँ दहशत से जाग उठीं, उन्होंने एक साथ, दूर कही एक बंदूक चलने की आवाज़ सुनने का सपना देखा था। सुबह जानवर जब अपने थानों से बाहर आए तो देखा कि ध्वज-दंड उड़ गया था और बाग के छोर पर एक एल्म का पेड़ मूली की तरह उखड़ गया था। वे अभी यह मंज़र देख ही रहे थे कि हर जानवर के गले से निराशा की रूलाई फूट पड़ी। उनकी आँखों के सामने एक भयानक दृश्य था। पवनचक्की खंडहर में तब्दील हो गई थी।


वे एक साथ घटनास्थल की ओर लपके। नेपोलियन, जो शायद ही कभी टहलने निकलता हो, उन सब से आगे दौड़कर गया। हाँ, यह उनके सभी संघर्षों का फल नींव तक समतल हुआ पड़ा था। वे पत्थर जिनको उन्होंने इतने परिश्रम से तोड़ा था और यहाँ लेकर आए थे, चारों ओर बिखरे पड़े थे। वे गिरे हुए पत्थरों के कचरे को शोकपूर्ण नज़रों देखते हुए मूक होकर खड़े थे। नेपोलियन खामोशी से एक-एक क़दम रखते हुए इधर से उधर घूम रहा था और कभी-कभी आवेश के साथ जमीन को घूर रहा था। उसकी पूंछ कठोर हो गई थी और एक सिरे से दूसरे सिरे की ओर तीक्षणता से मुड़ गई थी। यह उसके दिमाग़ में हो रही एक गहन मानसिक गतिविधि का संकेत था। अचानक वह रुक गया जैसे कि उसने कुछ निश्चय कर लिया हो।


वह शांत भाव से बोला- "भाइयों और बहनों! क्या आप जानते हैं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है? क्या आप उस दुश्मन को पहचानते हैं, जो रात में आया है और हमारी पवनचक्की को उखाड़ कर फैंक गया?" वह अचानक गरजती हुए आवाज़ में चिल्लाया, "स्नोबॉल!” यह काम स्नोबॉल ने किया है! सरासर विद्वेष से। हमारी योजना में बाधा डालने के विचार से और अपने लज्जाजनक निष्कासन का बदला लेने के लिए। यह गद्दार रात के अंधेरे में छुप कर यहाँ घुस आया और हमारे लगभग एक साल के काम को नष्ट कर गया। भाइयों और बहनों! मैं अब और यहीं स्नोबॉल को मौत की सजा देने की घोषणा करता हूँ। जो जानवर उसको न्याय की दहलीज़ तक लेकर जाएगा उसे 'पशु नायक -द्वितीय श्रेणी’ और आधा मण सेब दिया जाएगा । जो कोई उसे जिंदा पकड़ेगा उसे पूरा एक मण सेब दिया जाएगा।


जानवरों को यह जान कर कि स्नोबॉल भी इस तरह की कार्रवाई का दोषी हो सकता है बहुत भारी झटका लगा। सब आक्रोश से भर उठे। सब कोई स्नोबॉल को, अगर वह कभी वापस आ जाए तो, पकड़ने के तरीके सोचने लगे। लगभग तुरंत ही टीले से कुछ दूरी पर घास में सूअर के पैरों के निशान खोज लिए गए थे। उनको केवल कुछ गज तक ही देखा जा सकता था। पर यह लग रहा था कि वे बाड़ में एक छेद तक जा रहे थे। नेपोलियन ने अत्यंत आक्रोश से उनकी तरफ़ देखा और उनको बताया कि वे स्नोबॉल के ही थे। उसने कहा कि उसकी राय में स्नोबॉल शायद फॉक्सवुड फार्म की दिशा से आया था।


पदचिह्नों का परीक्षण कर लेने के बाद नेपोलियन ज़ोर से बोला, “भाइयों और बहनों! अब और देरी मत करो। अभी और काम करना है। आज सुबह ही हम पवनचक्की का पुनर्निर्माण शुरू कर देंगे और हम सर्दी, गर्मी या बारिश में भी निर्माण जारी रखेंगे। हम इस अधम देशद्रोही को सिखाएंगे कि वह हमारे काम को इतनी आसानी से नष्ट नहीं कर सकता। भाइयों और बहनो! याद रखना हमारी योजना में कोई फेरबदल नहीं होना चाहिए। उसे ऐसी की ऐसी पूरी करनी है। भाइयों और बहनों! आगे बढ़ो! पवनचक्की अमर रहें! एनिमल फार्म अमर रहे! "


अध्याय ७


कड़कड़ाती सर्दी थी। तूफानी मौसम के बाद तुषार-वर्षा और हिमपात हुआ था। फिर पाला पड़ा जो फरवरी तक चलता रहा। जानवर जितना सम्भव हो सकता था, पवनचक्की के पुनर्निर्माण के काम को जारी रखे हुए थे। वे जानते थे कि बाहरी दुनिया उन्हें देख रही थी और यदि पवनचक्की का काम समय पर पूरा नहीं हुआ तो ईर्ष्यालु मनुष्य आनन्दित होंगे और जीत महसूस करेंगे।


द्वेषवश मनुष्य ऐसा दिखावा करते थे कि वे यह नहीं मानते कि स्नोबॉल ने पवनचक्की को नष्ट किया था। वे कहते थे कि दीवारें बहुत पतली होने की वजह से पवनचक्की गिरी थी। जानवर जानते थे कि बात यह नहीं थी। फिर भी पहले की तरह अठारह इंच की जगह इस बार तीन फीट मोटी दीवारें बनाने का फैसला किया गया। जिसका मतलब था कि बड़ी मात्रा में पत्थर इकट्ठा करना होगा। लंबे समय से खदान बर्फ़ के बहाव से भरी हुई थी और कुछ भी नहीं किया जा सकता था। अगले शुष्क शीत मौसम में कुछ प्रगति हुई थी। लेकिन उसमें काम करना बहुत ही दुष्कर था। जानवरों को इस बार पहले जैसी उम्मीद नहीं थी। उन्हें हमेशा ठंड लगती रहती थी और वे आमतौर पर भूखे भी रहते थे। केवल बॉक्सर और क्लोवर ने कभी भी हिम्मत नहीं हारी। स्क्वीलर सेवा के आनंद और श्रम की गरिमा पर उत्कृष्ट भाषण देता था। लेकिन अन्य जानवरों को बॉक्सर की ताकत और उसके "मैं और अधिक कठिन काम करूंगा!" वाले अजेय घोष से ज़्यादा प्रेरणा मिलती थी।


जनवरी में खाने की कमी हो गयी।मकई का राशन काफी कम कर दिया गया था और यह घोषणा की गई कि इसकी पूर्ति के लिए आलू का अतिरिक्त राशन जारी किया जाएगा। तब पता चला कि आलू की फसल के बड़े हिस्से में गुच्छे पड़ने के समय पर ही पाला पड़ गया था। जिससे आलू पर्याप्त मोटे नहीं हुए थे। आलू नरम और बेरंग हो गये थे और उनमे से केवल कुछ ही खाने लायक़ थे। कई दिनों तक जानवरों के पास कुट्टी और चुकंदर के सिवाय खाने के लिए कुछ भी नहीं होता था। उनके सामने भुखमरी आ खड़ी हुई थी।


इस बात को बाहरी दुनिया से छिपाना अति आवश्यक था। पवनचक्की के ढह जाने से उत्साहित होकर मनुष्य एनिमल फार्म के बारे में नए-नए झूठ गढ़ रहे थे। एक बार फिर से यह फैलाया जा रहा था कि सभी जानवर अकाल और बीमारी से मर रहे थे। वे लगातार आपस में लड़ रहे थे। नरभक्षी हो गए थे और शिशु हत्या करने लगे थे। नेपोलियन को उन बुरे परिणामों के बारे में अच्छी तरह से पता था, जो भोजन की स्थिति के वास्तविक तथ्यों का पता चलने पर हो सकते थे। इसलिए उसने इसके विपरीत भावना फैलाने के लिए श्री व्हिम्पर का उपयोग करने का निर्णय कर लिया था। अब तक जानवरों का व्हिम्पर से उसकी साप्ताहिक यात्राओं के दौरान बहुत कम या कोई संपर्क नहीं होता था। तथापि अब कुछ चुने हुए जानवरों, जिनमें ज्यादातर भेड़ें होती थीं, को उसकी श्रवणगोचरता में यदकदा यह टिप्पणी करने के निर्देश दिए गए थे कि राशन बढ़ा दिया गया था। इसके अलावा नेपोलियन ने भंडारगृह में लगभग खाली हो चुके डिब्बों को किनारे तक रेत से भरने और फिर उनको ऊपर से जो कुछ अनाज और भोजन बच रहा था उससे अच्छादित कर देने का आदेश दे दिया था। किसी उपयुक्त बहाने से व्हिम्पर को भंडारगृह से होकर ले जाया जाता था और उसे डिब्बों की एक झलक पाने का अवसर दिया जाता था। वह धोखे में आ गया था और बाहरी दुनिया को यह सूचना देता रहता था कि एनिमल फार्म में भोजन की कोई कमी नहीं थी।


कुछ भी हो जनवरी के अंत तक यह स्पष्ट हो गया था कि कुछ और अनाज खरीदना पड़ेगा। इन दिनों नेपोलियन शायद ही कभी सार्वजनिक रूप से दिखाई देता था। वह अपना सारा समय फार्महाउस में व्यतीत करता था। जिसके प्रत्येक दरवाजे पर भयंकर दिखने वाले कुत्ते पहरा देते रहते थे। जब भी वह बाहर आता था तो रस्मी तौर पर आता था। छह कुत्ते उसको घेर कर एस्कॉर्ट करते थे और अगर कोई भी उसके पास आ जाता तो वे गुर्राते थे। प्रायः वह रविवार की सुबह भी नहीं आता था। किसी अन्य सूअर के माध्यम से, जो आमतौर पर स्क्वीलर ही होता था, अपने आदेश जारी करवाता था।


एक रविवार की सुबह स्क्वीलर ने घोषणा की कि मुर्ग़ियों को, जिन्होंने अभी-अभी अण्डे दिए थे, अपने अण्डे समर्पित करने होंगे। नेपोलियन ने व्हिम्पर के माध्यम से एक सप्ताह में चार सौ अण्डे देने का अनुबंध किया था। उनकी कीमत से गर्मियाँ आने और स्थितियाँ अनुकूल होने तक फ़ार्म का काम चलाने के लिए पर्याप्त अनाज और भोजन ख़रीदा जा सकेगा।


जब मुर्ग़ियों ने यह सुना तो वे दारूण आर्तनाद करने लगीं। उन्हें पहले चेता दिया गया था कि ऐसा बलिदान करना पड़ सकता है। लेकिन उन्हें यह विश्वास नहीं था कि वास्तव में ऐसा होगा। वे अभी बसंत में अण्डे देने के लिए अपने घोंसले तैयार ही कर रही थी । उन्होंने ने विरोध किया कि अब उनसे अण्डों को दूर ले जाना एक तरह से हत्या थी। जोन्स के निष्कासन के बाद पहली बार विद्रोह जैसा कुछ दिखा था। तीन काले मिनोरका नस्ल के युवा चूज़ों के नेतृत्व में मुर्गियों ने नेपोलियन की इच्छाओं को विफल करने का दृढ़ प्रयास किया। उन्होंने यह तरीक़ा अपनाया कि उड़ कर छत तक जाती और वहाँ अण्डा देती जो नीचे फ़र्श पर गिर कर टुकड़े-टुकड़े हो जाता। नेपोलियन ने तेजी से और बेरहमी से काम लिया। उसने मुर्गियों का राशन बंद करने का आदेश दे दिया और यह फ़रमान जारी कर दिया कि यदि किसी भी जानवर ने मुर्ग़ियों को मकई के दाने जितना भी कुछ दिया तो उसकी सज़ा मौत होगी। कुत्तों ने इन आदेशों की पालना सुनिश्चित की। पाँच दिनों तक मुर्गियाँ डटी रहीं फिर उन्होंने हथियार डाल दिए और अपने दड़बों में लौट गईं। इस बीच नौ मुर्ग़ियों की मौत हो गई थी। उनके शवों को बाग में दफनाया दिया गया और यह बताया गया कि वे कोकिडायोसिस से मर गईं थीं। व्हिम्पर को इसकी कानोकान ख़बर नहीं लगी और अण्डों की विधिवत सुपुर्दगी कर दी गई। एक किराना-व्यापारी की गाड़ी सप्ताह में एक बार फ़ार्म तक आती और अण्डे ले कर चली जाती थी।


इस दौरान स्नोबॉल पर कोई ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया। उसके बारे में यह अफ़वाह थी कि वह पड़ोसी फार्मों, फॉक्सवुड या पिंचफील्ड में से किसी एक में छिपा हुआ था। पहले की तुलना में अब नेपोलियन के अन्य किसानों के साथ थोड़े बेहतर सम्बन्ध थे। अहाते में लकड़ियों का एक ढेर पड़ा था जो दस साल पहले सफ़ेदे के पेड़ों का एक उपवन साफ़ करके लगाया गया था। लकड़ियाँ परिपक्व थीं और व्हिम्पर ने इन्हें बेचने के लिए नेपोलियन को सलाह दी थी। श्री पिलकिंगटन और श्री फ्रेडरिक दोनों इसे खरीदने के लिए उत्सुक थे। नेपोलियन अपना मन नहीं बना पाने के कारण दोनों के बीच अधरझूल हो रहा था। यह लग रहा था कि जब भी वह फ्रेडरिक के साथ समझौते पर पहुँचता हुआ दिखता स्नोबॉल के फॉक्सवुड में छुपे होने घोषणा होती। जब भी उसका झुकाव पिलकिंगटन की ओर होता तो यह कहा जाता कि स्नोबॉल पिंचफील्ड में छुपा हुआ है।


अचानक बसंत की शुरुआत में एक चौंकाने वाली बात का पता चला। स्नोबॉल रात में चुपके से फ़ार्म पर आता था! जानवर इतने परेशान थे कि वे शायद ही अपने थान में सो सकते थे। यह कहा जाता था कि हर रात वह अंधेरे की आड़ में रेंगता हुआ आता था और तमाम तरह की शरारतें करता था। उसने मकई चुरा ली, उसने दूध की बाल्टी को उलट दिया, उसने अण्डे फोड़ दिए, उसने क्यारियों को रौंद दिया, उसने फलदार पेड़ों की छाल चबा ली। यह सामान्य बात हो गई थी कि जब भी कुछ गलत हो जाता तो इसका दोष स्नोबॉल के सिर डाल दिया जाता था। यदि कोई खिड़की टूट जाती या नाली बंद हो जाती तो कोई न कोई अवश्य कह देता था कि यह रात में आ कर स्नोबॉल ने कर दिया था। जब भंडारगृह की चाबी खो गई थी तब तो पूरे फ़ार्म को यकीन करा दिया गया था कि स्नोबॉल ने उसे कुँए में फेंक दिया था। आश्चर्यजनक रूप से वे इस बात पर तब भी विश्वास करते रहे जब चाबी खाने की एक बोरी के नीचे मिल गई। गायों ने सर्वसम्मति से यह घोषणा कर दी कि स्नोबॉल उनके थानों में घुस जाता है और नींद में ही उनका दूध निकाल लेता है। जिन चूहों ने सर्दियों में परेशानी खड़ी की थी उनके बारे में भी यह कहा जाता था कि वे स्नोबॉल के संघ में थे।


नेपोलियन ने फ़रमान जारी कर दिया कि स्नोबॉल की गतिविधियों की पूरी जाँच होनी चाहिए। अपने कुत्तों के साथ उसने फार्म की इमारतों का गहन निरीक्षण किया। अन्य जानवर सम्मानजनक दूरी बना कर उसके पीछे-पीछे चले। कुछ कदम चलने के बाद नेपोलियन रुक जाता और स्नोबॉल के कदमों के निशानों का पता लगने के लिए जमीन को सूँघता। उसका कहना था कि वह गंध से उनका पता लगा सकता है। उसने हर कोने में, खलिहान में, गौशाला में, मुर्गीखानों में, सब्ज़ी के बगीचे में, सूंघा और लगभग हर जगह स्नोबॉल के निशान पाए। वह अपनी थूथन को जमीन पर रख देता, कई गहरी साँस लेता और एक भयानक आवाज़ में आश्चर्य से कहता-"स्नोबॉल! वह यहाँ आया था! मुझे उसकी गंध साफ़-साफ़ आ रही है।" और "स्नोबॉल" शब्द पर सभी कुत्ते रक्तरंजित गुर्राहट करते और अपने पार्श्व-दन्त दिखाते।


जानवर पूरी तरह से भयभीत हो गए थे। ऐसा लगता था जैसे स्नोबॉल किसी प्रकार का अदृश्य प्रभाव था जो उनके चारों ओर की हवा में व्याप्त था और उन्हें तमाम तरह के खतरों से डराता था। शाम को स्क्वीलर ने उन्हें एक जगह बुलाया और चिंतातुर होकर उन्हें बताया कि उसके पास उन्हें सूचित करने के लिए कुछ गंभीर खबरें हैं।


कुछ बेचैनी के साथ उचकते हुए स्क्वीलर ने पुकारा- "भाइयों और बहनों! एक अत्यंत भयानक बात पता चली है। स्नोबॉल पिंचफील्ड फार्म के फ्रेडरिक के हाथों बिक चुका है। जो अब भी हम पर हमला करने और हमारे फ़ार्म को छीन लेने की साजिश रच रहा है! हमला होने की स्थिति में स्नोबॉल उसके मार्गदर्शक के रूप में काम करने वाला है। लेकिन इससे भी बदतर एक बात और है। हमने सोचा था कि स्नोबॉल का विद्रोह मात्र उसके अभिमान और महत्वाकांक्षा का ही परिणाम था। लेकिन भाइयों और बहनों! हम गलत थे। क्या आपको पता है कि असली कारण क्या था? स्नोबॉल शुरू से ही जोन्स के साथ था! वह हमेशा से जोन्स का गुप्तचर था। यह सब उन दस्तावेजों से साबित हुआ है, जो वह अपने पीछे छोड़ गया था और जो हमने अभी-अभी खोजे हैं। भाइयों और बहनों! मेरे विचार में यह बहुत कुछ कह देता है। क्या हमने स्वयं नहीं देखा कि कैसे उसने गौशला के युद्ध में हमें मात देने और नष्ट करने का प्रयत्न किया था। पर सौभाग्य से विफल रहा।


जानवर स्तब्ध रह गए। स्नोबॉल की यह दुष्टता, पवनचक्की के विध्वंस से भी बढ़कर थी। लेकिन इस बात को पूरी तरह से पचा पाने में उनको कुछ समय लगा। उन सब को याद था या उनका ऐसा ख़्याल था कि कैसे गौशला के युद्ध में उन्होंने स्नोबॉल को आगे बढ़कर उत्तरदायित्व संभाले देखा था। कैसे उसने हर मोड़ पर उनको एकजुट और प्रोत्साहित किया था। कैसे वह एक पल के लिए भी नहीं रुका था जब जोन्स की बंदूक के छर्रों ने उसकी पीठ को घायल कर दिया था। पहली बार तो यह मानना थोड़ा मुश्किल जान पड़ता था कि वह जोन्स के पक्ष में था। यहां तक ​​कि बॉक्सर भी, जो शायद ही कभी सवाल पूछता था, हैरान रह गया था। वह अपने सामने के खुरों को अपने नीचे मोड़ कर बैठ गया। अपनी आँखें बंद कर ली और बड़ी ही कठिनाई से अपने विचारों को आकर देने लगा।


उसने कहा- "मुझे इस पर विश्वास नहीं होता", “स्नोबॉल गौशाला के युद्ध में बहादुरी से लड़ा था। मैंने उसे खुद देखा था। क्या हमने उसके तुरंत बाद उसे 'पशु नायक- प्रथम श्रेणी' का सम्मान नहीं दिया था ?"


"मित्र, वह हमारी गलती थी। क्योंकि अब हम जानते हैं-यह सब उन गुप्त दस्तावेजों में लिखा हुआ है, जो हमें मिले हैं- कि वास्तव में वह हमें ललचाकर हमारे विनाश की ओर ले जाने की कोशिश कर रहा था।"


बॉक्सर ने कहा, "लेकिन वह घायल हो गया था", "हम सभी ने उसे खून से लथपथ देखा था।"


"यह षड्यंत्र का हिस्सा था!" स्क्वीलर चिल्लाया। "जोन्स के शॉट से उसे केवल खरोंच लगी थी। यदि आप पढ़ पाते तो मैं इसे उसके ख़ुद के हाथ से लिखा हुआ दिखा देता। स्नोबॉल के लिए यह भूमिका तय थी कि नाज़ुक क्षण में वह भागने का संकेत देगा और दुश्मन के लिए मैदान खाली कर जायेगा। वह सफल होने ही वाला था - बल्कि भाइयों और बहनों! मैं तो यह कहूंगा कि वह सफल हो जाता यदि वहाँ हमारे वीर नेता मित्र नेपोलियन नहीं होते। क्या आपको याद नहीं है कि जोन्स और उसके आदमियों के अहाते में आते ही कैसे स्नोबॉल अचानक मुड़ा और भाग गया था और कई जानवर भी उसके पीछे हो लिए थे। क्या आपको यह भी याद नहीं है कि ठीक उसी क्षण जब घबराहट फैल रही थी और यह लग रहा था कि सब कुछ खो गया है, मित्र नेपोलियन इस घोष के साथ मैदान में कूदा था कि “मनुष्य जाति का विनाश हो” और जोन्स के पैर में अपने दांत गड़ा दिए थे? निश्चित रूप से, भाइयों और बहनों! याद करो? " इधर उधर कूद-फांद करते हुए स्क्वीलर ने अचम्भे के साथ कहा।


अब जब स्क्वीलर ने इस दृश्य को इतने जीवंत रूप में वर्णित किया तो जानवरों को लगने लगा कि उन्हें यह याद है। कम से कम उनको यह याद आया कि लड़ाई के महत्वपूर्ण क्षण में स्नोबॉल पलायन कर गया था। लेकिन बॉक्सर अब भी थोड़ा असहज था।


आखिरकार उसने कहा, "मुझे विश्वास नहीं होता कि स्नोबॉल शुरुआत से देशद्रोही था","उसने बाद में जो कुछ किया है वह अलग बात है। लेकिन मेरा मानना ​​है कि गौशाला के युद्ध में वह एक अच्छा सहयोगी था।"


स्क्वीलर ने बहुत धीमे और दृढ़ता से बोलते हुए घोषणा की, "भाइयों और बहनों! हमारे नेता, मित्र नेपोलियन ने स्पष्ट रूप से, हाँ स्पष्ट रूप से, कहा है कि स्नोबॉल शुरुआत से ही जोन्स का एजेंट था- जी हाँ, बहुत पहले से, जब विद्रोह के बारे में सोचा भी नहीं गया था।"


"ओह!, यह अलग बात है!" बॉक्सर बोला, "अगर मित्र नेपोलियन यह कहता है तो यह सही ही होना चाहिए।"


"मित्र! यह है सच्ची भावना!" स्क्वीलर ने ज़ोर से कहा। लेकिन सब ने देखा कि उसने अपनी छोटी-छोटी टिमटिमाती आँखों से बॉक्सर पर एक बेहद भद्दी सी नज़र डाली। वह जाने के लिए मुड़ा, फिर रुक गया और प्रभावशाली ढंग से जोड़ा: "मैं इस फ़ार्म के प्रत्येक जानवर को चेतावनी देता हूँ कि वह सचेत होकर अपनी आँखें खुली रखे। क्योंकि हम सोचते हैं कि स्नोबॉल के कुछ गुप्तचार इस क्षण भी हमारे बीच छुपे हुए हैं!"


नेपोलियन अपने दर्शकों का कड़ाई से सर्वेक्षण करते हुए खड़ा हुआ और फिर तेज़ आवाज़ में क्रंदन किया। कुत्ते तुरंत आगे बढ़े।चार सूअरों को कानों से पकड़ा और दर्द और भय से चीख़ते हुओं को घसीट कर नेपोलियन के पैरों में ला पटका। सूअरों के कानों से खून बह रहा था। कुत्तों ने खून का स्वाद चख लिया था और कुछ क्षणों के लिए वे पागल से हो गए थे। यह देख कर हर कोई विस्मित था कि उनमें से तीन बॉक्सर पर झपटे। बॉक्सर ने उन्हें आते देखा तो अपना भारी-भरकम खुर बाहर निकाल लिया और एक कुत्ते को बीच हवा में पकड़ कर जमीन पर पटक दिया। कुत्ता दया की भीख माँगने लगा। अन्य दो कुत्ते अपनी पूंछ पैरों के बीच दबाकर भाग खड़े हुए। बॉक्सर ने यह जानने के लिए नेपोलियन की ओर देखा कि कुत्ते को कुचल कर मार दिया जाए या जाने दिया जाए। नेपोलियन का मुख-मंडल बदलता हुआ दिखाई दिया और उसने तेजी से बॉक्सर को कुत्ते को जाने देने का आदेश दिया। जिस पर बॉक्सर ने अपना खुर उठा लिया। कुत्ता चोट खाकर भौं-भौं करता हुआ चंपत हो गया।


अफरा-तफरी बंद हो गई। चारों सूअर काँपते हुए इंतजार करते रहे। अपराध बोध उनके चहरे की हर रेखा पर अंकित था। नेपोलियन ने अब उनसे अपने अपराधों को क़बूल करने का आह्वान किया। ये वही चार सूअर थे जिन्होंने नेपोलियन द्वारा रविवार की बैठकों को समाप्त किए जाने का विरोध किया था। बिना किसी और प्रबोधन के उन्होंने क़बूल किया कि स्नोबॉल के निष्कासन के समय से ही वे गुप्त रूप से उसके संपर्क में थे, कि पवनचक्की को नष्ट करने में उन्होंने उसका साथ दिया था और कि श्री फ्रेडरिक को एनिमल फार्म सौंपने के लिए उन्होंने उसके साथ समझौता किया था। उन्होंने यह भी कहा कि स्नोबॉल ने निजी तौर पर उनके सामने यह स्वीकार किया था कि वह सालों से जोन्स का गुप्तचार था। उनके अपना कबूलनामा पूरा करते ही कुत्तों ने तुरंत उनके गले को फाड़ दिया। फिर नेपोलियन ने भयानक आवाज में पूछा कि क्या किसी अन्य जानवर को कुछ कबूल करना है।


अब वे तीन मुर्ग़ियाँ, जिन्होंने अण्डों के बारे में किए गए विद्रोह के प्रयास में मुखिया की भूमिका निभाई थी, सामने आयीं और कहा कि स्नोबॉल उनके सपने में आया था और उन्हें नेपोलियन के आदेशों की अवज्ञा करने के लिए उकसाया था। उनकी भी हत्या कर दी गई। तब एक बतख़ आगे आयी और यह कबूल किया कि उसने पिछले साल की फसल के दौरान मक़ई के छह भूट्टे छुपाए थे और उन्हें रात में खा लिया था। तब एक भेड़ ने पानी के पोखर में पेशाब करने की बात कबूली- उसने कहा कि स्नोबॉल ने ऐसा करने का आग्रह किया था-और दो अन्य भेड़ों ने यह क़बूल किया कि उन्होंने एक बूढ़े मेंढ़े को, जो नेपोलियन का भक्त था, उस वक़्त अलाव के चारों ओर दौड़ा दौड़ाकर मार दिया जब वह खांसी से पीड़ित था। उन सबको मौके पर ही मौत के घाट उतार दिया गया। इस प्रकार नेपोलियन के पैरों के सामने लाशों का ढेर लग जाने तक क़बूलने और दण्डित करने की कहानी चलती रही। खून की गंध से, जो वहाँ जोंस के निष्कासन के बाद से अज्ञात थी, हवा भारी हो गई थी।


जब यह सब समाप्त हो गया तब सूअरों और कुत्तों को छोड़कर शेष जानवर एक साथ चले गए। वे अंदर तक हिल गए थे और दुखी थे। उन्हें नहीं पता था कि कौन सी बात अधिक चौंकाने वाली थी - जानवरों द्वारा स्नोबॉल के साथ मिलकर किया गया विश्वासघात या वह क्रूर प्रतिशोध जिसको अभी-अभी उन्होंने साक्षात देखा है। पुराने ज़माने में रक्तपात के ऐसे भयानक दृश्य अक्सर होते रहते थे, लेकिन उन सबको लगा कि अब जो उनके बीच आपस में हो रहा था वह उससे भी कहीं बदतर था। जब से जोन्स ने फ़ार्म को छोड़ा था तब से आज तक किसी भी जानवर ने दूसरे जानवर को नहीं मारा था। एक चूहा भी नहीं मारा गया था। वे छोटे टीले पर, जहाँ आधी-अधूरी पवनचक्की खड़ी थी, पहुँचे और वे सब तालमेल के साथ नीचे बैठ गए जैसे गरमाहट के लिए झुंड बना लिया हो- क्लोवर, मुरिल, बेंजामिन, गायें, भेड़ें, और एक पूरा झुंड बतखें और मुर्गियाँ -सब, सचमुच, बिल्ली को छोड़कर, जो जानवरों को इकट्ठा होने के लिए नेपोलियन द्वारा आदेश दिए जाने से ठीक पहले अचानक गायब हो गई थी। कुछ समय तक कोई कुछ नहीं बोला। केवल बॉक्सर खड़ा रहा। वह अपनी लंबी काली पूंछ को अपने पार्श्वों पर घुमाते हुए और कभी-कभी ताज्जुब से हिनहिनाते हुए इधर से उधर कुलबुलाता रहा। अंत में उसने कहा:


"यह मेरे समझ में नहीं आता। मुझे विश्वास नहीं होता कि इस तरह की चीजें हमारे फ़ार्म पर हो सकती हैं। यह अवश्य हमारी अपनी गलती की वजह से हो रहा होगा। मुझे लगता है इसका समाधान है और कठिन काम करना। अब से मैं रोज सुबह एक घंटे पहले जगा करूँगा।"


और वह लड़खड़ाती चाल से खदान की ओर चला गया। वहां पहुंचने के बाद उसने पत्थर के लगातार दो भार एकत्र किए और रात को आराम करने के लिए जाने से पहले उन्हें पवनचक्की तक घसीट ले गया।


जानवर बिना बोले क्लोवर के चारों ओर घेरा बना कर खड़े हो गए। उस टीले से जिस पर बैठे थे उन्हें ग्रामीण क्षेत्र का पूरा दृश्य नज़र आ रहा था। उन्हें एनिमल फार्म का अधिकांश भाग- मुख्य सड़क तक फैला लंबा चारागाह, घास का मैदान, झुरमुट, पानी का पोखर, जुते हुए खेत, जिनमें घने-हरे गेहूं के पौधे खड़े थे, और फ़ार्म की इमारतों की धुआँ उगलती चिमनियों सहित लाल छत- दिखाई दे रहा था। यह बसंत की एक साफ़ शाम थी। सूरज की समतल किरणों में घास और प्रस्फुटित हो रही झड़ियाँ तैरती सी दिखाई दे रही थी।जानवरों को फ़ार्म- और एक तरह के आश्चर्य के साथ उन्हें याद आया कि यह उनका अपना फ़ार्म था, हर इंच उनकी खुद की संपत्ति थी - कभी भी इतना आकर्षक दिखाई नहीं दिया था। जब क्लोवर ने नीचे पहाड़ियों की ओर देखा तो उसकी आँखों में आँसू भर आये। यदि वह अपने विचार अभिव्यक्त कर सकती तो यही कहती कि यह वह नहीं था, जो वे वर्षों पहले मनुष्य जाति को उखाड़ फेंकने की राह पर चले थे तब उनको लक्षित था। आतंक और वध के ये दृश्य वह नहीं थे, जिसकी उन्होंने उस रात आशा की थी जब वृद्ध मेजर ने पहली बार उन्हें विद्रोह के लिए उकसाया था। अगर उसके पास भविष्य की कोई तस्वीर होती तो जानवरों के ऐसे समाज की तस्वीर होती जिसमें सभी भूख और चाबुक से मुक्त होते, सभी एक समान होते, प्रत्येक अपनी क्षमता के अनुसार काम कर रहा होता, मज़बूत कमजोर की रक्षा कर रहा होता, जैसे उसने मेजर के भाषण वाली रात अपने अगले पैरों से अनाथ बतख़ के बच्चों के झुण्ड की की थी। इसके बजाय - वह नहीं जानती थी कि क्यों- वे एक ऐसे समय में आ गए थे, जहाँ कोई भी अपने मन की बात कहने की हिम्मत नहीं कर सकता था। जहाँ भयानक गुर्राते हुए कुत्ते हर जगह घूमते थे। जहाँ आपको अपने भाइयों और बहनों को घिनौने अपराध कबूल करने के बाद टुकड़े-टुकड़े होते देखना पड़ता था। उसके मन में विद्रोह या अवज्ञा का कोई भी विचार नहीं था। वह जानती थी कि जो भी हो, वे उससे तो कहीं बेहतर ही थे, जितना वे जोन्स के दिनों में थे और सबसे पहले मनुष्यों की वापसी को रोकना ज़रूरी था। जो कुछ भी हो वह वफादार रहेगी, कड़ी मेहनत करेगी, उसे दिए गए आदेशों का पालन करेगी और नेपोलियन के नेतृत्व को स्वीकार करेगी। फिर भी, यह वह बात नहीं थी जिसके लिए उसने और अन्य सभी जानवरों ने उम्मीद की थी और परिश्रम किया था। उन्होंने इसके लिए पवनचक्की का निर्माण और जोन्स की बंदूक की गोलियों का सामना नहीं किया था। ऐसे थे, उसके विचार। यद्यपि उन्हें व्यक्त करने के लिए उसके पास शब्द नहीं थे।


अन्तत: ‘इंग्लैंड के जानवर’ गाने को एक तरह से उन शब्दों का विकल्प समझकर, जो उसे मिल नहीं रहे थे, वह इसे गाने लगी। उसके पास बैठे अन्य जानवरों ने उसका साथ दिया और उन्होंने इसे तीन बार गाया - बहुत ही सुरीली आवाज में, लेकिन धीरे-धीरे और शोकपूर्वक, एक ऐसे तरीक़े जिससे उन्होंने इसे पहले कभी नहीं गाया था।

उन्होंने तीसरी बार गायन समाप्त ही किया था कि दो कुत्तों के साथ स्क्वीलर ऐसे हाव-भाव के साथ उनके पास पहुँचा, जैसे कोई महत्वपूर्ण बात कहने के लिए आया हो। उसने घोषणा की कि भाइयों और बहनों! नेपोलियन के एक विशेष फरमान से ‘इंग्लैंड के जानवर’ गाने को खत्म कर दिया गया है । इसके के बाद से अब इसको गाना निषिद्ध है ।


जानवर हैरान रह गये।


"क्यों?" मुरिल ने क्रंदन किया।


"भाइयों और बहनों! अब इसकी जरूरत नहीं है"- स्क्वीलर ने कड़े शब्दों में कहा। "इंग्लैंड के जानवर विद्रोह का गीत था। लेकिन अब विद्रोह पूरा हो गया है। आज दोपहर में देशद्रोहियों को दी गई फांसी अंतिम कार्य था। बाहरी और आंतरिक दोनों तरह के दुश्मनों को पराजित कर दिया गया है। ‘इंग्लैंड के जानवर’ गीत में हमने आने वाले दिनों में एक बेहतर समाज की अपनी आकांक्षा व्यक्त की थी। लेकिन अब वह समाज स्थापित हो चुका है। जाहिर है कि इस गीत का अब कोई उद्देश्य नहीं रह गया है।"


यद्यपि वे भयभीत थे तो भी कुछ जानवरों ने संभवतः विरोध किया होता, लेकिन उसी क्षण भेड़ों ने हमेशा की तरह मिमियाना शुरू कर दिया-"चार पैर अच्छे, दो पैर बुरे", जो कई मिनटों तक चलता रहा और चर्चा को समाप्त कर दिया।


इसलिए ‘इंग्लैंड के जानवर’ गीत को फिर कभी नहीं सुना गया। इसके स्थान पर कवि मिनिमस ने एक अन्य गीत की रचना कर दी थी, जिसकी शुरुआत ऐसे होती है:


पशु-खेत, पशु-खेत,

करूँ मैं तुमसे हेत,

रहूँ हमेशा तेरा रक्षक,

बनूँ न मैं तेरा भक्षक।

और यह हर अध्याय ८


कुछ दिनों बाद जब फांसी की वजह से उत्पन्न आतंक कम हो गया, कुछ जानवरों को याद आया - या उन्हें लगा कि उन्हें याद है - कि छठी आज्ञा का फ़रमान था कि "कोई जानवर किसी अन्य जानवर को नहीं मारेगा।" और यद्यपि हर किसी ने सूअरों या कुत्तों की श्रवणगोचरता में इसका उल्लेख नहीं करने की सावधानी बरती तो भी यह महसूस किया गया कि जो हत्याएं हुई थीं वे इसके अनुरूप नहीं थीं। क्लोवर ने बेंजामिन से उसको छठी आज्ञा पढ़कर सुनने के लिए कहा।जब बेंजामिन ने हमेशा की तरह कहा कि उसे इन मामलों में नहीं पड़ना, तो उसने मुरील को बुलाया। मुरील ने उसे आज्ञा पढ़कर सुनाई। इसमें लिखा था कि "कोई भी जानवर बिना किसी कारण के अन्य जानवर को नहीं मारेगा।" किसी न किसी कारण से बाद वाले दो शब्द जानवरों की याददाश्त से फिसल गए थे। लेकिन अब उन्हें लगा कि आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया गया था। क्योंकि स्पष्ट रूप से उन देशद्रोहियों को मारने का पर्याप्त कारण था जिन्होंने स्नोबॉल का साथ दिया था। पूरे वर्ष जानवरों ने उससे भी अधिक मेहनत की, जितनी उन्होंने पिछले वर्ष में की थी। पहले से दुगुनी मोटी दीवारों के साथ पवनचक्की का पुनर्निर्माण करना और खेत के नियमित काम के साथ-साथ नियत तारीख तक इसको पूरा करना एक जबरदस्त श्रमसाध्य काम था। ऐसा समय भी आता था जब जानवरों को लगता था कि वे लम्बे समय तक काम करते थे और उन्हें जोन्स के समय में दिए जा रहे खाने से बेहतर खाना नहीं दिया गया था। रविवार की सुबह स्क्वीलर अपने पंजे की पौरों में कागज की एक लंबी फ़ेहरिस्त को पकड़े हुए यह साबित करते हुए उनके सामने आंकड़ों की सूची पढ़कर सुनाता था कि खाद्य पदार्थों के हर वर्ग का उत्पादन यथास्थिति दो सौ प्रतिशत, तीन सौ प्रतिशत, या पाँच सौ प्रतिशत बढ़ा था। जानवरों को उसमें अविश्वास करने का कोई कारण नहीं दिखाई देता था। खासकर तब, जब उनको अब बहुत स्पष्ट रूप से यह याद नहीं था कि विद्रोह से पहले क्या स्थितियां थीं। तथापि, ऐसे दिन भी थे जब उन्हें लगता था कि जल्द ही उनके पास आंकड़े कम और भोजन अधिक होगा।


सभी आदेश अब स्क्वीलर या एक अन्य सूअर के माध्यम से जारी किए जाते थे। नेपोलियन खुद एक पखवाड़े में एक से अधिक बार सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं देता था। जब वह दिखाई भी देता था तो उसके साथ न केवल हमेशा की तरह उसके कुत्ते होते थे बल्कि एक काली कोयल भी साथ होती थी जो उसके आगे-आगे चलती थी और नेपोलियन के बोलने से पहले क़ुहु-क़ुहु की तेज़ आवाज़ करके एक तुर्यवादक की भूमिका निभाती थी। यहां तक ​​कि फार्महाउस में यह कहा जाता था कि नेपोलियन दूसरों से अलग अपार्टमेंट में निवास करता था। वह अकेले में भोजन करता था और उस समय दो कुत्ते उसकी सेवा में बैठे रहते थे। वह हमेशा क्राउन डर्बी डिनर सर्विस से, जो ड्राइंग-रूम में कांच की अलमारी में रखी रहती थी, खाना खाता था। यह भी घोषणा की गई थी कि अन्य दो वर्षगांठों के साथ-साथ बंदूक हर साल नेपोलियन के जन्मदिन पर भी चलाई जाएगी।


नेपोलियन को अब केवल "नेपोलियन" नहीं कहा जाता था। उसे हमेशा औपचारिक शैली में "हमारा नेता मित्र नेपोलियन" के नाम से सम्बोधित किया जाता था। सूअर उसके लिए नये नये संबोधनों का आविष्कार करना पसंद करते थे। जैसे “जानवरों के पिता”, “मनुष्यों का आतंक”, “भेड़-समूह रक्षक”, “चूज़ों के दोस्त” आदि आदि। स्क्वीलर अपने भाषणों में गालों से लुढ़कते आँसुओं के साथ नेपोलियन के ज्ञान, उसकी सुहृदयता और सभी जानवरों, चाहे वे जहाँ कहीं के भी हों, के प्रति उसके प्रेम, यहाँ तक और विशेषत: उन दुखी जानवरों के प्रति, जो अभी भी दूसरे फार्मों में अज्ञानता और गुलामी में जी रहे थे, के बारे में बात करता था। यह सामान्य बात हो गई थी कि हर उपलब्धि और हर सौभाग्यशाली घटना का श्रेय नेपोलियन को दिया जाता था। अक्सर ऐसी टिप्पणियाँ सुनी जाती थीं : एक मुर्ग़ी दूसरी को कह रही थी, "हमारे नेता मित्र नेपोलियन के मार्गदर्शन में, मैंने हे! अनाथों के नाथ!

हे! आनंददाता!

हे! मद्य पात्र नियंता!

देख व्योम रवि सी

धीर-गंभीर आँखे आपकी

आहा! आलोकित हुआ मन!

हे मित्र! नेपोलियन,


हे! प्राणियों का प्रिय प्रदाता, महान!

दिन में दो बार उदर होत परिपूर्ण,

लोटन को मिले पवित्र पुआल,

हर जीव, लघु -विशाल,

शांति से सोये अपने थान

सबके रखवारे आप महान!

हे मित्र! नेपोलियन,


हो चाहे दूधमुहा सुअर,

या बलिष्ठ शरीर,

ज्यों डेढ़ पाव हो या पूर्ण काय,

करे वफ़ादारी सच्चाई लाय,

प्रथम हो नाम आपका उसके मन,

हे मित्र! नेपोलियन,


नेपोलियन ने इस कविता को मंजूरी दे दी और स्क्वीलर से इसे बड़े खलिहान की दीवार पर नेपोलियन की तस्वीर के बराबर प्रशस्ति स्वरूप सफ़ेद रंग में अंकित करवा दिया।

इस बीच व्हिम्पर के माध्यम से नेपोलियन फ्रेडरिक और पिलकिंगटन के साथ जटिल सौदेबाज़ी में संलग्न था। लकड़ियों का ढेर अभी भी बिका नहीं था। फ्रेडरिक इसे हथियाने के लिए ज़्यादा उत्सुक था, लेकिन वह उचित मूल्य की पेशकश नहीं कर रहा था। उसी समय नए सिरे से अफवाहें उठने लगी कि फ्रेडरिक और उसके लोग एनिमल फ़ार्म पर हमला करने और पवनचक्की को नष्ट करने की साजिश रच रहे थे, जिसके निर्माण से उसके मन में उग्र ईर्ष्या पैदा हो गई थी। स्नोबॉल के बारे में अभी भी यह माना जा रहा था की वह पिंचफील्ड फार्म पर छुपा हुआ था। गर्मियों के मध्य जानवरों को यह सुनकर घबराहट हुई कि तीन मुर्गियों ने यह कबूल लिया था कि स्नोबॉल से प्रेरित होकर वे नेपोलियन की हत्या की साजिश में शामिल हो गयी थीं। उनको तुरंत मौत की सज़ा दे दी गई और नेपोलियन की सुरक्षा के लिए नये सिरे से पूर्वोपाय किए गए। रात में चार कुत्ते उसके बिस्तर के प्रत्येक कोने पर पहरा देते थे और पिंकी नाम के एक युवा सुअर को उसके खाने से पहले उसका खाना चखने का काम दिया गया था, ताकि कोई उसे जहर नहीं दे दे।


लगभग उसी समय यह विदित हुआ कि नेपोलियन ने लकड़ी का ढेर श्री पिलकिंगटन को बेचने की व्यवस्था कर ली थी। वह एनिमल फार्म और फॉक्सवुड के बीच कुछ उत्पादों के आदान-प्रदान के एक नियमित समझौते में भी शामिल होने जा रहा था। नेपोलियन और पिलकिंगटन के बीच संबंध, यद्यपि वे केवल व्हिम्पर के माध्यम से ही संचालित किए जा रहे थे, अब लगभग मित्रवत थे। जानवर पिलकिंगटन पर, एक इंसान के रूप में, अविश्वास करते थे लेकिन फ्रेडरिक, जिससे वे डरते भी थे और नफ़रत भी करते थे, की तुलना में उसे ज़्यादा प्राथमिकता देते थे। जैसे-जैसे गर्मियाँ बीतने लगी और पवनचक्की का काम पूर्णता की ओर अग्रसर होने लगा वैसे-वैसे ही आसन्न विश्वासघाती हमले की अफवाहें तेज होती गईं। यह कहा जा रहा था की फ्रेडरिक उनके खिलाफ बंदूकों से लैस बीस आदमी लाने का इरादा रखता था और उने मजिस्ट्रेट और पुलिस को पहले ही रिश्वत दे दी थी ताकि अगर एक बार उसे एनिमल फार्म के स्वामित्व के दस्तावेज़ मिल जाएं तो फिर वे कोई सवाल नहीं पूछेंगे। इसके अलावा फ्रेडरिक द्वारा अपने जानवरों पर किये जा रहे अत्याचार की भयानक कहानियां भी पिंचफील्ड से निकल कर आ थीं। उसने एक बूढ़े घोड़े को चाबुक मार मारकर मौत के घाट उतारा था। वह अपनी गायों को भूखा रखता था। उसने एक कुत्ते को भट्टी में फेंक कर मार दिया था। वह शाम को मुर्ग़ों के पंजों में रेजर-ब्लेड के टुकड़े बाँध कर उनकी लड़ाई का आनंद लेता था। जब जानवर सुनते कि उनके भाई-बहनों के साथ यह किया जा रहा है तो ग़ुस्से से उनका खून खौल उठता था। कभी-कभी वे एक समूह के रूप में पिंचफील्ड फार्म पर जाकर हमला करने, मनुष्यों को निकाल बाहर करने और जानवरों को आज़ाद कर देने की अनुमति देने की माँग करते थे। लेकिन स्क्वीलर उन्हें अविवेकपूर्ण कार्रवाई से बचने और मित्र नेपोलियन की रणनीति में विश्वास करने का परामर्श देता था।


फ्रेडरिक के खिलाफ भावना तेज़ी से बढ़ रही थी। एक रविवार की सुबह नेपोलियन खलिहान में आया और बताया कि उसने कभी भी फ्रेडरिक को लकड़ियों का ढेर बेचने का विचार नहीं किया था। उसने कहा ऐसे दुष्ट के साथ व्यवहार करना वह अपनी गरिमा के ख़िलाफ़ मानता था। जिन कबूतरों को अब भी विद्रोह की ख़बर फैलाने के लिए भेजा जाता था, उन्हें फॉक्सवुड में पैर रखने से भी मना किया गया था और "मनुष्यों का नाश हो" के अपने पूर्व नारे को छोड़ने और "फ्रेडरिक का नाश हो" नारा अपनाने का आदेश दिया गया था। गर्मियों के आख़री दिनों में स्नोबॉल के एक और कुचक्र को नंगा किया गया। गेहूं की फसल खरपतवारों से भरी हुई थी और यह पता चला कि एक रात में आकर स्नोबॉल मक़ई के बीजों के साथ खरपतवार के बीज मिला गया था। साजिश रचने में शामिल एक हंस ने स्क्वीलर के सामने अपना अपराध कबूल किया और तुरंत ही घातक धतुरा निगलकर आत्महत्या कर ली। जानवरों को अब यह जानकारी भी हो गई कि स्नोबॉल को कभी भी, जैसाकि उनमें से कई विश्वास करते थे, "पशुनायक-प्रथम श्रेणी" का सम्मान नहीं मिला था। यह केवल एक किंवदंती थी जो स्वयं स्नोबॉल ने गौशाला के युद्ध के बाद किसी समय फैलाई थी। सम्मान दिया जाना तो बहुत दूर की बात थी, उसकी तो लड़ाई में कायरता दिखाने के लिए निंदा की गई थी। एक बार फिर कुछ जानवरों को यह सुनकर हैरानी हुई लेकिन स्क्वीलर जल्द ही उन्हें यह समझाने में सफल हो गया कि उनकी यादास्त गलत थी।


शरद ऋतु में एक जबरदस्त थकाऊ प्रयास से- क्योंकि फसल भी ठीक उसी समय इकट्ठी की जानी थी- पवनचक्की का काम पूरा हो गया। मशीनरी अभी स्थापित की जानी शेष थी। व्हिम्पर उसकी ख़रीद की बातचीत कर रहा था। लेकिन संरचना पूरी हो गई थी। हर कठिनाई का सामना करते हुए, अनुभवहीनता, आदिम औजारों, बुरे भाग्य और स्नोबॉल के विश्वासघात के बावजूद कार्य समय से और निर्धारित दिन पर ही पूरा हो गया था! थके हुए लेकिन गर्व के साथ जानवर अपनी सर्वोत्कृष्ट रचना के चारों ओर गोल-गोल घूमने लगे, जो उन्हें उससे भी ज़्यादा सुंदर दिखाई दे रही थी जिसको प्रथम बार बनाया था। इसके अलावा दीवारें भी पहले की तुलना में दोगुनी मोटी थीं। अबकी बार किसी प्रकार का कोई विस्फोटक भी उसे नीचे नहीं गिरा सकेगा! उन्होंने कैसे परिश्रम किया था। उन्हें कैसी कैसी मायूसियों का सामना करना पड़ा था। जब पंखे घूमेंगे और डायनमो चलेंगे तब उनके जीवन में कितना भारी अंतर आएगा- जब उन्होंने ये सब सोचा तो उनकी थकान मिट गई और वे विजय घोष करते हुए पवनचक्की के चारों ओर घूम घूम कर कलोल करने लगे। नेपोलियन खुद अपने कुत्तों और कोयल के साथ पूर्ण हुए कार्य का निरीक्षण करने के लिए आया। उसने जानवरों को उनकी उपलब्धि पर व्यक्तिगत रूप से बधाई दी और घोषणा की कि चक्की का नाम नेपोलियन चक्की रखा जाएगा।


फॉक्सवुड के साथ सभी संबंध तोड़ दिए गए थे। पिलकिंगटन को अपमानजनक संदेश भेज दिए गए थे। कबूतरों को पिंचफील्ड फार्म की उपेक्षा करने और अपने नारे को "फ्रेडरिक का नाश हो" से बदलकर "पिलकिंगटन का नाश हो" कर लेने के लिए कह दिया गया था। उसी समय नेपोलियन ने जानवरों को आश्वस्त कर दिया था कि एनिमल फार्म पर आसन्न हमले की कहानियां पूरी तरह से असत्य थीं और फ्रेडरिक के बारे में अपने जानवरों के प्रति क्रूरता करने के किस्से अतिशयोक्ति पूर्ण थे। ये सभी अफवाहें शायद स्नोबॉल और उसके गुर्गों ने फैलाई थी। अब आखिरकार यह प्रकट हुआ कि स्नोबॉल पिंचफील्ड फार्म पर नहीं छुपा हुआ था। वास्तव में वह अपने जीवन में कभी वहाँ गया ही नहीं था। वह काफी ऐश्वर्य से रह रहा था। इसलिए यह कहा गया कि वह फॉक्सवुड में रह रहा था और वास्तव में वर्षों से पिलकिंगटन का पेंशनभोगी था।


सूअर नेपोलियन की धूर्तता के कारण परमानंद में थे। पिलकिंगटन के साथ मित्रवत होने का दिखावा करके उसने फ्रेडरिक को कीमत में बारह पाउंड की बढ़ोतरी करने के लिए मजबूर कर दिया था। लेकिन स्क्वीलर के विचार में नेपोलियन के दिमाग की बेहतर गुणवत्ता इस बात में दिखती थी कि वह किसी पर भी भरोसा नहीं करता था। यहाँ तक कि फ्रेडरिक पर भी नहीं। फ्रेडरिक लकड़ी के लिए एक चेक नामक चीज से भुगतान करना चाहता था। जो एक काग़ज़ के टुकड़े जैसा दिखता था। जिस पर भुगतान का वादा लिखा हुआ था। लेकिन नेपोलियन उससे ज़्यादा चालाक था। उसने पांच पाउंड के असली नोटों में भुगतान की मांग की थी। जो लकड़ी हटाने से पहले सौंपे जाने थे। फ्रेडरिक ने पहले से ही भुगतान कर दिया था और उसने जो राशि उसने अदा की थी वह पवनचक्की के लिए मशीनरी खरीदने के लिए पर्याप्त थी।


इस बीच लकड़ियों को तेज़ी से ले जाया जा रहा था। जब सारी लकड़ियाँ ले जायी जा चुकी तब फ्रेडरिक द्वारा दिए गए बैंक-नोटों का निरीक्षण करने के लिए खलिहान में जानवरों के लिए एक विशेष बैठक और आयोजित की गई। नेपोलियन मधुर मुस्कान के साथ अपने दोनों सम्मानों को पहने हुए मंच पर बने पुआल के एक बिस्तर पर टेक लगाकर बैठ गया। उसकी बग़ल में फ़ार्महाउस की रसोई से लाई गई चीनी मिट्टी की एक तस्तरी पर नोट बड़े ही क़रीने से सजाकर रखे हुए थे। जानवर धीरे-धीरे एक क़तार में पीछे खड़े हो गए और हर कोई उसके संतुष्ट चहरे को निहारने लगा। बॉक्सर ने बैंक नोटों को सूँघने के लिए अपनी नाक आगे की। सफ़ेद झीने नोटों की हलचल ने उसकी सांस में सरसराहट सी पैदा कर दी।


नेपोलियन ने तुरंत सभी जानवरों को बुलाया और एक भयानक आवाज में फ्रेडरिक के लिए मौत की सजा मुक़र्रर की। उसने कहा कि यदि फ्रेडरिक पकड़ा जाए तो उसे ज़िंदा जला दिया जाए। साथ ही उसने उन्हें चेताया कि इस विश्वासघात के बाद अब कुछ भी हो सकता है। फ्रेडरिक और उनके आदमी किसी भी क्षण हमला कर सकते हैं। जिसकी आशंका काफ़ी समय से थी। फ़ार्म के सभी रास्तों पर प्रहरी नियुक्त कर दिए गए। इसके अलावा चार कबूतरों को एक सुलह संदेश के साथ फॉक्सवुड भेजा गया। यह उम्मीद थी कि इससे पिलकिंगटन के साथ फिर से अच्छे संबंध स्थापित हो सकते हैं।


अगली ही सुबह हमला हुआ। जानवर नाश्ता ले रहे थे उसी समय हरकारे ने ख़बर दी कि फ्रेडरिक और उसके आदमी पांच आरे वाले दरवाज़े में आ चुके हैं। पर्याप्त साहस के साथ जानवर उनसे मुक़ाबला करने के लिए झपटे। लेकिन इस बार उनके लिए जीत इतनी आसान नहीं थी जितनी उनको गौशाला के युद्ध में मिली थी। वे पंद्रह आदमी थे। उनके पास आधा दर्जन बंदूकें थीं।और उन्होंने पचास गज के भीतर पहुंचते ही गोलियां चलाना शुरू कर दी थी। जानवर भयानक विस्फोटों और चुभने वाले छर्रों का सामना नहीं कर सके। नेपोलियन और बॉक्सर द्वारा उन्हें संगठित किये जाने के प्रयासों के बावजूद उन्हें जल्द ही पीछे खदेड़ दिया गया। उनमें से कई पहले से ही घायल थे। उन्होंने फ़ार्म की इमारतों में शरण ली और दरारों और सुराखों में से सावधानीपूर्वक बाहर झाँकाने लगे। पवनचक्की सहित पूरा बड़ा चारागाह दुश्मन के क़ब्ज़े में था। एक पल के लिए तो नेपोलियन भी हिम्मत हार गया था। वह बिना एक शब्द बोले ऊपर-नीचे हो रहा था। उसकी पूंछ कठोर और मुड़ी ही थी। फॉक्सवुड की दिशा में उदास नज़रें डाली जा रही थीं। यदि पिलकिंगटन और उसके आदमी उनकी मदद करते तो अब भी उनकी जीत हो सकती थी। लेकिन उसी वक़्त एक दिन पहले भेजे गए चार कबूतर वापस लौट आए। उनमें से एक के पास पिलकिंगटन की ओर से भेजा गया कागज का एक टुकड़ा था। उस पर पेंसिल से लिखा गया था- "आपके लिए यही सही है।"


इस बीच फ्रेडरिक और उनके आदमी पवनचक्की के पास रुक गए थे। जानवरों ने उन्हें देखा और एक बैचेनी की बड़बड़ाहट चारों ओर फैल गई। दो आदमियों ने एक सबल और हथौड़ा निकाल लिया था। वे पवनचक्की को गिराने जा रहे थे।


नेपोलियन चिल्लाया-"असंभव!" "हमने इसके लिए बहुत मोटी दीवारें बनाई हैं। वे इसे एक हफ्ते में भी नहीं गिरा सकते। भाइयों और बहनों ! हिम्मत रखो!”

लेकिन बेंजामिन आदमियों की हरकतों को गौर से देख रहा था। वे दोनों हथौड़े और सबल से पवनचक्की के आधार के पास एक गढ़ा खोद रहे थे। बेंजामिन ने धीरे-धीरे और लगभग विनोद करते हुए अपनी लंबी थूथन को हिलाया।


"मैंने भी यही सोचा था" -उसने कहा। "क्या आपको यह नहीं दिखाई दे रहा कि वे क्या कर रहे हैं? अगले ही क्षण वे उस गढ़े में विस्फोटक भरने वाले हैं।"


जानवर भयभीत हो कर इंतजार करने लगे। अब इमारतों की शरण से बाहर निकलना असंभव था। कुछ मिनटों के बाद मनुष्य चारों दिशाओं में भागते नज़र आए। तब वहाँ एक भयंकर गर्जना हुई। कबूतर हवा में तैर गए। नेपोलियन को छोड़कर सभी जानवर पेट के बल नीचे लेट गए और अपने चेहरे छुपा लिए। जब वे फिर से उठे तो जहाँ पवनचक्की हुआ करती थी उस जगह पर काले धुएँ का एक विशाल बादल लटक रहा था। धीरे-धीरे हवा उसे दूर बहा कर ले गई। पवनचक्की का अस्तित्व समाप्त हो गया था!


यह देखकर जानवरों का साहस वापस लौट आया। एक पल पहले जो भय और निराशा उन्हें महसूस हुई थी, वह इस अपमानजनक, घृणित कृत्य के खिलाफ उनके गुस्से में तिरोहित हो गई थी। प्रतिशोध का एक शक्तिशाली घोष हुआ और आगे के आदेशों की प्रतीक्षा किए बिना वे एक समूह में अग्रसर हुए और सीधे दुश्मन की ओर बढ़े। इस बार उन्होंने उन क्रूर छर्रों की परवाह नहीं की जो उन पर ओलों की तरह वर्ष रहे थे। यह एक बर्बर द्वेषपूर्ण लड़ाई थी। मनुष्यों ने बार-बार गोलीबारी की और जब जानवर उनके नज़दीक पहुँचे तो उनको डंडों और भारी बूटों से मारने लगे। एक गाय, तीन भेड़ें, और दो बतख़ मारी गई थीं। लगभग सभी घायल हो गए थे। नेपोलियन, जो पीछे से कुमुक का निर्देशन कर रहा था, की पूंछ का सिरा भी गोली से छलनी हो गया था। लेकिन मनुष्य भी अछूते नहीं रहे। तीन के सिर बॉक्सर के खुरों के वार से फट गए थे। एक के पेट में गाय ने अपना सींग घुसेड़ दिया था। जेसी और ब्लूबेल ने एक अन्य की पतलून फाड़ दी थी। जब नेपोलियन के अंगरक्षक नौ कुत्तों, जिन्हें नेपोलियन ने बाड़ के नीचे छुपकर एक चक्कर लगाने का निर्देश दिया था, अचानक भयंकर रूप से भौंकते हुए मनुष्यों के पार्श्व में आ खड़े हुए तो वे बुरी तरह से भयभीत हो गए। उन्हें लगा कि अब उन पर घिर जाने का खतरा था। फ्रेडरिक ने अपने आदमियों को चिल्लाते हुए कहा कि मौक़ा देखकर बाहर भाग जाओ और अगले ही पल कायर दुश्मन अपनी जान लेकर भागते नजर आए। जानवरों ने खेत के किनारे तक उनका पीछा किया और जब वे काँटेदार झाड़ियों के बीच से अपना रास्ता बना रहे तब उनके कुछ आखिरी लाते जमायीं।


वे जीत गए थे। लेकिन वे थके हुए थे और उनके खून बह रहा था। धीरे-धीरे वे लंगड़ाते हुए वापस फ़ार्म की ओर जाने लगे। अपने मृत भाई-बहनों को घास पर पड़े हुए देखकर उनमें से कुछ के आँसू बहने लग गए। वे थोड़ी देर के लिए उस जगह पर ग़मगीन होकर खड़े रहे जहां कभी पवनचक्की खड़ी थी। हाँ, यह चली गई। उनके श्रम का लगभग अंतिम निशान चला गया! यहां तक ​​कि नींव को भी आंशिक रूप से नष्ट कर दिया गया था। इसके पुनर्निर्माण में वे इस बार पहले की तरह गिरे हुए पत्थरों का उपयोग नहीं कर सकते थे। इस बार पत्थर भी गायब हो गए थे। विस्फोट की ताक़त से वे सैकड़ों गज दूर जा गिरे थे। ऐसे लग रहा था मानो यहाँ पवनचक्की कभी थी ही नहीं।


जैसे ही वे फ़ार्म में पहुँचे, स्क्वीलर, जो लड़ाई के दौरान बिना बताए अनुपस्थित रहा था, अपनी पूँछ हिलाते हुए और संतुष्टि के साथ मुस्कराते हुए उनकी ओर कुलाँचे भरते हुए आया। जानवरों ने फ़ार्म की इमारतों की ओर से एक बंदूक के चलने की आवाज़ सुनी।


बॉक्सर ने कहा- "यह बंदूक किस लिए चलाई गई है?"


स्क्वीलर ने ज़ोर से जवाब दिया- "हमारी जीत का जश्न मनाने के लिए!"


बॉक्सर ने कहा- "कैसी जीत?" उसके घुटनों से खून बह रहा था। उसकी एक नाल निकल गई थी और उसका खुर फट गया था। उसके पिछले पैर में एक दर्जन छर्रे घुस गए थे।


"कैसी जीत? भाइयों और बहनों! क्या हमने अपनी भूमि-एनिमल फार्म की पवित्र भूमि- से दुश्मन को खदेड़ कर बाहर नहीं कर दिया है?"


"लेकिन उन्होंने पवनचक्की को नष्ट कर दिया है। हमने इस पर दो साल काम किया था!"


" तो क्या हुआ? हम दूसरी पवनचक्की का निर्माण कर लेंगे। अगर हम चाहें तो हम छह पवनचक्कियों का निर्माण कर लेंगे। भाइयों और बहनों! हमने जो महान काम किया है उसकी आप क़द्र नहीं कर रहे हो। दुश्मन का इसी भूमि पर, जहाँ हम खड़े हैं, कब्जा था। और अब- मित्र नेपोलियन के नेतृत्व का धन्यवाद करो - हमने हर इंच भूमि को फिर से जीत लिया है! "


बॉक्सर ने कहा- "मतलब हमने वही जीता है जो हमारे पास पहले से था।"


स्क्वीलर बोल- "यह हमारी जीत है।"


वे लंगड़ाते हुए अहाते में चले गए। बॉक्सर के पैर की त्वचा में घुसे छर्रों में पीड़ा होने लगी थी। उसे अपने सामने नींव से लेकर पवनचक्की का पुनर्निर्माण करने तक का भारी श्रम दिखाई दे रहा था। उसने मन ही मन पहले से ही स्वयं को इस कार्य के लिए तैयार कर लिया था। लेकिन पहली बार उसे लगा कि वह ग्यारह साल का था और शायद उसकी मज़बूत मांसपेशियाँ अब पहले जैसी नहीं रहीं हैं।


लेकिन जब जानवरों ने हरे रंग के झंडे को उड़ते हुए देखा और बंदूक दागने की आवाज़ फिर से सुनी - बंदूक़ को सात बार दागा गया था - और उनके आचरण पर उन्हें बधाई देते हुए नेपोलियन का भाषण सुना तो उन्हें लगा कि आख़िर उन्होंने एक महान जीत हासिल की थी। लड़ाई में मारे गए जानवरों का औपचारिक रूप से अंतिम संस्कार किया गया। बॉक्सर और क्लोवर ने उस गाड़ी को खींचा जो शवयान के रूप में काम में ली गयी थी। स्वयं नेपोलियन जुलूस के आगे आगे चला। पूरे दो दिन तक उत्सव मनाया गया। गाने, भाषण और बंदूक की गोलीबारी हुई। हर जानवर को एक-एक सेब का विशेष उपहार दिया गया। प्रत्येक पक्षी को दो औंस मकई और प्रत्येक कुत्ते को तीन बिस्कुट दिए गए। यह घोषणा की गई कि लड़ाई को पवनचक्की का युद्ध कहा जाएगा। नेपोलियन ने एक नये सम्मान-“हरी पताका का दस्तूर” की स्थापना की। जिसे उसने स्वयं को प्रदान किया। असीम आनन्द में बैंक नोटों वाले दुर्भाग्यपूर्ण मामले को भुला दिया गया।


इसके कुछ दिनों बाद सूअरों को फार्महाउस के तहखाने में एक व्हिस्की की पेटी मिली। इसे उस समय नजरअंदाज कर दिया गया था जब वे घर में पहली बार रहने के लिए आए थे। उस रात फार्महाउस से तेज़ गाने की आवाज़ें आई। सब आश्चर्यचकित थे कि उसमें ‘इंग्लैंड के जानवर’ गीत के अंतरे भी मिले हुए थे। श्री जोन्स की एक पुरानी गेंदबाजों वाली टोपी पहने हुए करीब साढ़े नौ बजे के आस-पास नेपोलियन को पिछले दरवाजे से निकल कर तेजी से अहाते का चक्कर लगाते हुए और फिर घर के अंदर गायब होते हुए साफ़ तौर पर देखा गया। लेकिन सुबह फार्महाउस के ऊपर एक गहरी चुप्पी छा ​​गई। एक भी सुअर की हलचल नहीं दिखाई दी। लगभग नौ बजे स्क्वीलर ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। वह धीरे-धीरे और बेतरतीब ढंग से चल रहा था। उसकी आँखें सुस्त हो गईं थी। उसकी पूंछ उसके पीछे लटकी हुई थी। और वह हर तरह से बीमार लग रहा था। उसने जानवरों को एक साथ बुलाया और उन्हें बताया कि उसके पास एक बुरी ख़बर है। मित्र नेपोलियन मरने वाला है!


ख़बर सुनकर विलाप शुरू हो गया। फार्महाउस के दरवाजों के बाहर पुआल बिछा दिया गया। जानवर धीरे धीरे पंजों के बल चलने लगे। वे आंखों में आंसू भर कर एक दूसरे से पूछने लगे कि अगर उनके नेता को उनसे छीन लिया गया तो उनका क्या होगा। एक अफवाह चल पड़ी कि अंततः स्नोबॉल ने ही नेपोलियन के भोजन में जहर मिलाने का षड्यंत्र किया था। ग्यारह बजे स्क्वीलर एक और घोषणा करने के लिए बाहर आया। पृथ्वी पर अपने अंतिम कार्य के रूप में मित्र नेपोलियन ने एक गंभीर फरमान जारी किया है -शराब पीने की सज़ा मौत होगी।


तथापि शाम तक नेपोलियन कुछ बेहतर दिखाई दिया और अगली सुबह स्क्वीलर उन्हें यह बताने की स्थिति में था कि वह ठीक हो रहा था। उस दिन की शाम तक नेपोलियन काम पर वापस आ गया था और अगले दिन पता चला कि उसने व्हिम्पर को विलिंगडन से शराब और आसवन पर लिखी कुछ पुस्तिकाएं खरीदने के निर्देश दिये थे। एक हफ्ते बाद नेपोलियन ने आदेश दिया कि बग़ीचे से अगला छोटा बाड़ा, जिसको पहले काम छोड़ चुके जानवरों की चराई के लिए छोड़ने की मंशा थी, की जुताई कि जानी थी। यह ऐलान किया गया था कि चारागाह समाप्त हो गया था और उसमें पुन: बीज बोने की आवश्यकता थी। लेकिन यह जल्द ही ज्ञात हो गया कि नेपोलियन का इसमें जौ बोने का इरादा था।


इस समय के आस-पास एक अजीब घटना हुई थी जिसे शायद ही कोई समझ पाया हो। एक रात लगभग बारह बजे अहाते में एक जोरदार धमाका हुआ और जानवर अपने थानों में से बाहर निकल आए। चाँदनी रात थी। बड़े खलिहान की अंतिम दीवार के तल पर, जहाँ सात आज्ञाएँ लिखी हुई थीं, वहाँ दो टुकड़ों में टूटी हुई एक सीढ़ी पड़ी हुई थी। उसके बग़ल में स्क्वीलर पड़ा हुआ था। वह स्तब्ध था। उसके हाथ के पास एक लालटेन, एक पेंट-ब्रश और सफेद रंग का डिब्बा उलटा पड़ा था। कुत्तों ने तुरंत स्क्वीलर के चारों और एक घेरा बना लिया और जैसे ही वह चलने में सक्षम हुआ उसे फार्महाउस में वापस ले गए। जानवरों में से कोई भी यह नहीं समझ पाया कि इसका क्या मतलब था। सिवाय वृद्ध बेंजामिन के, जिसने जानी-पहचानी भाव-भंगिमा में अपनी थूथन को हिलाया और लगा कि वह समझ गया था। लेकिन वह कुछ भी कहने वाला नहीं था।


लेकिन कुछ दिनों बाद मुरील ने सात आज्ञाओं को पढ़ते समय पाया कि उनमें से एक और ऐसी आज्ञा थी जिसको जानवरों ने गलत याद रखा था। वे सोचते थे कि पांचवीं आज्ञा थी "कोई भी जानवर शराब नहीं पियेगा"। लेकिन दो शब्द ऐसे थे जिन्हें वे भूल गए थे। वास्तव में आज्ञा इस प्रकार थी-"कोई भी जानवर अधिक शराब नहीं पियेगा।"


अध्याय ९


बॉक्सर का फटा हुआ खुर लंबे समय से बहाल नहीं हुआ था। विजय उत्सव समाप्त होने के अगले दिन से उन्होंने पवनचक्की का पुनर्निर्माण शुरू कर दिया था। बॉक्सर ने एक दिन भी काम बंद करने से इनकार कर दिया और इसे सम्मान की बात बना लिया कि किसी को यह न लगे कि वह दर्द में था। शाम को वह निजी तौर पर क्लोवर के सामने स्वीकार करता था कि खुर से उसे बहुत परेशानी होती है । क्लोवर जड़ी-बूटियों की पुलटिस, जिसे वह चबाकर तैयार करती थी, से खुर का इलाज करती थी। वह और बेंजामिन दोनों बॉक्सर से कम मेहनत करने का आग्रह करते थे। वह उससे कहती थी - " घोड़े के फेफड़ों में हमेशा दम नहीं रहता है"। लेकिन बॉक्सर कुछ भी नहीं सुनता था। वह कहता था कि उसकी बस एक ही महत्वाकांक्षा बची है कि वह अपनी सेवानिवृत्ति की उम्र तक पहुँचने से पहले पवनचक्की को अच्छी तरह से चलते हुए देखना चाहता है।


शुरुआत में जब एनिमल फ़ार्म के कानूनों को पहली बार तैयार किया गया था तब सेवानिवृत्ति की उम्र घोड़ों और सूअरों के लिए बारह वर्ष, गायों के लिए चौदह वर्ष, कुत्तों के लिए नौ वर्ष, भेड़ों के लिए सात वर्ष और मुर्गी और बतखों के लिए पांच वर्ष तय की गई थी। उदार वृद्धावस्था पेंशन देने पर सहमति हुई थी। अभी तक कोई भी जानवर वास्तव में पेंशन पर सेवानिवृत्त नहीं हुआ था। किन्तु काफ़ी समय से इस विषय पर बार-बार चर्चा की गई थी। अब चूंकि बाग से आगे वाले छोटे बाड़े को जौ बोने के लिए रख छोड़ा था, इसलिए यह अफवाह थी कि बड़े चरागाह के एक कोने की बाड़बंदी करके उसे सेवानिवृत्त जानवरों के लिए चराई के मैदान में बदल दिया जाएगा। यह कहा जाता था कि घोड़े को पेंशन के पेटे प्रतिदिन पांच पाउंड मकई और सर्दियों में पंद्रह पाउंड घास दी जाएगी और साथ ही सार्वजनिक अवकाश के दिन एक गाजर या संभवतः एक सेब दी जाएगी। बॉक्सर का बारहवां जन्मदिन अगले वर्ष की गर्मियों के आख़िर में था।


इस बीच जीवन कठिन हो गया था। सर्दी पिछले वर्ष जैसी ही ठंडी थी। भोजन उससे भी कम था। सूअरों और कुत्तों के सिवाय एक बार फिर सभी का राशन कम कर दिया गया। स्क्वीलर ने समझाया - राशन में अत्यधिक कठोर समानता, पशुवाद के सिद्धांतों के विपरीत होगी। कुछ भी हो अन्य जानवरों को यह साबित करने में उसे कोई कठिनाई नहीं थी कि चाहे प्रकट रूप से कुछ भी नज़र आए वास्तव में उनके पास भोजन की कोई कमी नहीं थी। बस कुछ समय के लिए राशन का तालमेल बैठाया गया था (स्क्वीलर हमेशा इसे "तालमेल बैठाना" कहता था। कभी भी "कमी" नहीं कहता था।) लेकिन जोन्स वाले दिनों की तुलना में बढ़ोतरी काफ़ी बड़ी थी। द्रुत, तीव्र स्वर में संख्याओं को पढ़ते हुए उसने उनके सामने विस्तार से यह साबित किया कि उनके पास उससे कहीं अधिक जई, अधिक घास, अधिक शलजम थे जितने जोन्स के समय हुआ करते थे। उन्हें उससे कम घंटे काम करना पड़ता था। उनके पीने का पानी उससे बेहतर गुणवत्ता वाला था। वे तब के बजाय अधिक समय तक जीवित रह रहे थे। उनकी शिशु मृत्यु दर भी उस समय से काम थी। उनके थानों में उससे अधिक पुआल था और वे पिस्सूओं से कम पीड़ित थे। जानवरों ने उसके हर शब्द पर विश्वास कर लिया था। सच्चाई यह थी कि वे जोन्स और उसके महत्व को लगभग भूल चुके थे। वे जानते थे कि आजकल जीवन दुष्कर और अरक्षित था। वे अक्सर भूखे रहते थे ।और उन्हें अक्सर ठंड लगती रहती थी। वे आमतौर पर जब तक सो नहीं जाते थे, तब तक काम करते रहते थे। लेकिन निस्संदेह पुराने दिन इससे भी बदतर थे। ऐसा मानकर वे खुश थे। इसके अलावा उन दिनों वे गुलाम थे और अब स्वतंत्र थे। और सारा फर्क इसी बात में था, जैसा कि स्क्वीलर हमेशा रेखांकित करता था।


अब खिलाने के लिए और भी कई मुँह थे। शरद ऋतु में चारों सुअरियों ने एक साथ लगभग इकतीस बच्चे पैदा किए थे। बच्चे चितकबरे थे और फ़ार्म पर नेपोलियन एकमात्र नर सूअर था इसलिए उनके पितृत्व का अनुमान लगाना संभव था। यह घोषणा की गई थी कि बाद में जब ईंट और लकड़ी खरीद ली जायेंगी तब फार्महाउस के बगीचे में एक स्कूल बनाया जाएगा। फ़िलहाल युवा सूअरों को स्वयं नेपोलियन ही फ़ार्महाउस की रसोई में पढ़ाता था। वे बगीचे में व्यायाम करते थे और उन्हें अन्य जानवरों के बच्चों के साथ खेलने से माना किया जाता था। उसी समय यह नियम भी निर्धारित किया गया था कि जब कोई सुअर और कोई अन्य जानवर रास्ते पर मिले तो दूसरे जानवर को एक तरफ खड़ा हो जाना चाहिए और यह भी कि सभी सूअरों को चाहे वे किसी भी श्रेणी के हों रविवार के दिन अपनी पूँछ पर हरा रिबन बाँधने का विशेषाधिकार होगा।


फ़ार्म पर इस वर्ष काफी अच्छी फ़सल हुई थी लेकिन अभी भी पैसे की कमी थी। स्कूल के कमरे के लिए ईंटें, रेत और चूना ख़रीदना था। पवनचक्की की मशीनरी के लिए भी बचत शुरू करना ज़रूरी था। इसके अलावा घर के लिए दीपक का तेल और मोमबत्तियाँ, नेपोलियन की अपनी मेज के लिए चीनी (उसने अन्य सूअरों को इस आधार पर चीनी खाने से मना कर दिया था कि इससे वो मोटे हो रहे थे) और सभी अन्य रोज़मर्रा की वस्तुएँ जैसे औज़ार, कील, रस्सी, कोयला, तार, लोहे के टुकड़े, कुत्तों के बिस्कुट आदि भी लाने थे। एक घास का ढेर और आलू की फ़सल का एक हिस्सा बेच दिया गया था। अण्डों के अनुबंध को बढ़ाकर छह सौ प्रति सप्ताह कर दिया गया था। इसलिए उस साल मुर्गियाँ मात्र इतने ही चूज़े से सकीं जितने उनकी संख्या को समान स्तर पर बनाए रखने के लिए पर्याप्त थे। राशन, जो दिसंबर में घटाया गया था, फरवरी में और घाटा दिया गया। तेल बचाने के लिए थानों में लालटेन जलाना मना कर दिया गया। लेकिन सूअर बड़े आराम में थे और वास्तव में यदि कुछ हो रहा था तो वह यह था कि उनका वज़न बढ़ रहा था। फरवरी के अंत में एक दोपहर एक छोटे से आसवन-गृह से, जो रसोई की दूसरी ओर स्थित था और जो जोन्स के समय में अनुपयोगी पड़ा था, तेज़ मसालेदार स्वादिष्ट खुशबू, जैसी जानवरों ने पहले कभी नहीं सूंघी थी, उठ रही थी जिससे पूरा अहाता महक रहा था। किसी ने कहा कि यह जौ पकाने की गंध थी। जानवरों ने हवा को बेसब्री से सूँघा और सोचा कि क्या उनके खाने के लिए गर्म दलिया तैयार किया जा रहा था। लेकिन कोई गर्म दलिया दिखाई नहीं दिया और लेकिन यदि सहन करने के लिए कठिनाइयाँ थी तो उनकी आंशिक रूप से इस बात से भरपाई भी हो जाती थी कि आजकल के जीवन में पहले की तुलना में अधिक गरिमा थी। अधिक गाने, अधिक भाषण, अधिक जुलूस थे। नेपोलियन ने आज्ञा दे रखी थी कि सप्ताह में एक बार स्वतः स्फूर्त जुलूस जैसा कुछ आयोजित किया जाना चाहिए। जिसका उद्देश्य एनिमल फार्म के संघर्ष और विजय का जश्न मनाना हो। नियत समय पर जानवर अपने काम को छोड़ देते थे और सैन्य विन्यास में फ़ार्म के परिसर के चारों ओर परेड करते थे। सबसे आगे सूअर, फिर घोड़े, फिर गाय, फिर भेड़ और फिर मुर्ग़ियाँ और बतख़ें होती थी। कुत्ते परेड के पार्श्व भाग में चलते थे। परेड के अग्र भाग में नेपोलियन की काली कोयल चलती थी। बॉक्सर और क्लोवर हमेशा अपने बीच एक हरे रंग का ध्वज ले कर चलते थे जिस पर खुर और सींग अंकित होता था और नीचे "मित्र नेपोलियन अमर रहे!" लिखा होता था। बाद में नेपोलियन के सम्मान में रचित कविताओं का पाठ किया जाता था।स्क्वीलर का एक भाषण होता था जिसमें खाद्य पदार्थों के उत्पादन में हुई नवीनतम वृद्धि का विवरण होता था। इस अवसर पर बंदूक भी दाग़ी जाती थी। भेड़ स्वतः स्फूर्त जुलूस की सबसे बड़ी भक्त थीं। यदि कोई यह शिकायत करता (जब सूअर या कुत्ते पास नहीं होते तो कुछ जानवर कभी-कभी ऐसा करते थे) कि उन्होंने समय बर्बाद कर दिया जिससे लंबे समय तक ठंड में खड़ा रहना पड़ा तो यक़ीन मानिए भेड़ "चार पैर अच्छे, दो पैर बुरे!" की भयंकर मिमियाहट से उसको चुप कर देती थी। लेकिन अधिकांशतः जानवर इन समारोहों का आनंद लेते थे। उन्हें इससे सुकून मिलता था। क्योंकि यह उन्हें याद दिलाता था कि आखिरकार वे वास्तव में स्वयं अपने स्वामी थे और वे जो काम करते थे वह उनके अपने फायदे के लिए था। अतएव, गाने, जुलूस, स्क्वीलर के आंकड़ों की सूची, बंदूक की गड़गड़ाहट, कोयल की कूक और झंडे के फड़फड़ाहट के साथ कम से कम कुछ समय के लिए ही सही वे यह भुला देते थे कि उनका पेट ख़ाली था।


अप्रैल में एनिमल फ़ार्म को गणराज्य घोषित कर दिया गया था। इसलिए राष्ट्रपति का चुनाव करना आवश्यक हो गया था। केवल एक उम्मीदवार था -नेपोलियन। जिसको सर्वसम्मति से चुन लिया गया था। उसी दिन यह पता चला कि नए दस्तावेज पाए गए थे जिनसे जोन्स के साथ स्नोबॉल की मिलीभगत के बारे में और जानकारी सामने आई थी। अब यह लग रहा था कि स्नोबॉल ने न केवल कपट से गौशाला का युद्ध हारने का प्रयास किया था, जैसा कि जानवर पहले सोच रहे थे, बल्कि वह जोन्स की तरफ से खुले तौर पर लड़ भी रहा था। वास्तव में मनुष्यों की कुमुक का नेतृत्व वही कर रहा था और अपने होठों पर "मनुष्य अमर रहे" के शब्दों के साथ लड़ाई में कूदा था। स्नोबॉल की पीठ पर घाव, जो कुछ जानवरों को अभी भी याद थे, नेपोलियन ने ही अपने दांतों से किये थे।


गर्मियों के मध्य काला कौआ मूसा कई वर्षों की अनुपस्थिति के बाद अचानक फ़ार्म में फिर से नज़र आया। उसमें कोई बदलाव नहीं आया था। वह अब भी कोई काम नहीं करता था और गन्ने के पहाड़ के बारे में पहले की तरह ही बात बात करता था। वह घास के ढेर पर बैठ जाता, अपने काले पंखों को फड़फड़ाता और कोई सुनने वाला होता तो घंटों बात करता रहता था। "वहाँ”, मित्रों!, वह अपनी बड़ी चोंच से आकाश की ओर इशारा करते हुए कहता, "वहाँ”, बस उस काले बादल के दूसरी ओर, जो आपको दिखाई दे रहा है, वहाँ स्थित है यह गन्ने का पहाड़! वह खुशहाल देश! जहाँ हम निरीह जानवर हमारे इस श्रम से छुटकारा पाकर हमेशा के लिए आराम से रहेंगे! " वह यह भी दावा करता था कि वह अपनी एक उच्चतर उड़ान के दौरान वहाँ जा चुका था। वहाँ तिपतिया घास और अलसी के डले तथा बाड़ पर उगी हुई गुड़ की भेली के अनंत खेत देख चुका था। बहुत से जानवर उसका विश्वास करते थे। वे तर्क देते थे कि जब उनका जीवन भूख से परिपूर्ण और श्रमसाध्य था तो क्या यह सही और न्यायसम्मत नहीं था कि एक बेहतर दुनिया कहीं और मौजूद होनी चाहिए? एक बात जिसको निर्धारित करना मुश्किल था वह थी मोशे के प्रति सूअरों का रवैया। उन सब ने अवमानना पूर्वक यह ​​घोषणा कर दी थी कि गन्ने के पहाड़ वाली उसकी कहानियाँ झूठी थीं। तो भी उन्होंने उसे बिना काम किए फ़ार्म पर रहने की अनुमति दे दी थी और साथ ही उसे प्रतिदिन पांच तौला बीयर भी दी जाती थी।


खुर ठीक हो जाने के बाद बॉक्सर पहले से भी कहीं ज्यादा मेहनत से काम करने लगा था। वास्तव में उस वर्ष सभी जानवर ग़ुलामों की तरह काम कर रहे थे। फ़ार्म के नियमित काम और पवनचक्की के पुनर्निर्माण के अलावा युवा सूअरों के लिए स्कूल-भवन भी बनाना था। जो मार्च में शुरू किया गया था। कभी-कभी अपर्याप्त भोजन पर लंबे समय तक रहना असहनीय होता था। लेकिन बॉक्सर कभी भी कमज़ोर नहीं पड़ता था। वह जो कुछ करता था या कहता था उससे कभी भी यह नहीं लगता था कि अब उसमें पहले वाली जैसी ताक़त नहीं रही है। बस उसका रूप-रंग ही थोड़ा सा बदला हुआ लगता था। उसकी चमड़ी की चमक पहले से कुछ फीकी पड़ गई थी और उसके पुट्ठे सिकुड़े हुए लगते थे। दूसरे जानवर कहते थे- "बसंत का घास आने पर बॉक्सर फिर से तगड़ा हो जाएगा"। बसंत आ गया पर बॉक्सर तगड़ा नहीं हुआ। कभी-कभी खदान के शीर्ष पर जाने वाले ढलान पर जब वह किसी विशाल शिलाखण्ड के वजन के विपरीत अपनी मांसपेशियों को सिकोड़ता तो लगता था कि वह अपनी इच्छा शक्ति के बल पर ही पैरों पर खड़ा था। ऐसे समय में उसके होंठों से लगता था कि वह कह रहा है कि "मैं और मेहनत करूँगा" पर उसकी आवाज नहीं निकलती थी। एक बार फिर क्लोवर और बेंजामिन ने उसे अपने स्वास्थ्य का ख़याल रखने के लिए चेताया। किंतु बॉक्सर ने कोई ध्यान नहीं दिया। उसका बारहवां जन्मदिन आ रहा था। उसने अब तक क्या हुआ इसकी कोई परवाह नहीं की क्योंकि उसके पेंशन पर जाने से पहले पत्थरों का एक अच्छा-ख़ासा भंडार जमा हो गया था।


गर्मियों की एक देर शाम को अचानक फ़ार्म में एक अफवाह फैल गई कि बॉक्सर को कुछ हो गया था। वह पत्थर के भार को पवनचक्की तक खींच लाने के लिए अकेला निकला था। और निश्चित रूप से अफवाह सच थी। कुछ मिनट बाद दो कबूतर दौड़ते हुए खबर लाये कि बॉक्सर गिर गया है! वह एक तरफ गिरा हुआ है और उठ नहीं पा रहा है!


फ़ार्म के लगभग आधे जानवर उस टीले की ओर दौड़े जिस पर पवनचक्की खड़ी थी। वहाँ बॉक्सर गाड़ी के जूड़ों के बीच पड़ा था। उसकी गर्दन लटकी हुई थी और वह सिर उठाने में भी असमर्थ था। उसकी आँखें पत्थरा गई थी। उसके पार्श्व पसीने से भीग गए थे। उसके मुंह से खून की एक पतली सी धारा बह निकली थी। क्लोवर उसके पास अपने घुटनों के बल गिर गई।


उसने रोते हुए कहा- "बॉक्सर! तुम ठीक तो हो ना?"


"अब दम नहीं है" - बॉक्सर ने कमजोर आवाज़ में कहा। "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे लगता है कि आप मेरे बिना भी पवनचक्की का काम पूरा कर पाएंगे। पत्थर का एक अच्छा-ख़ासा भंडार जमा हो गया है। वैसे भी मेरे जाने में से केवल एक और महीना बचा था। सच्च कहूँ तो मैं भी सेवानिवृत्ति का ही इंतज़ार कर रहा था। बेंजामिन भी बूढ़ा हो रहा है। इसलिए शायद वे उसे भी उसी समय सेवानिवृत्त होने देंगे और मेरा साथी बनने देंगे।"


क्लोवर ने कहा - "हमें तुरंत मदद मंगवानी चाहिए", "कोई भागो और स्क्वीलर को बताओ कि क्या हुआ है।"


अन्य सभी जानवर स्क्वीलर को खबर देने के लिए तुरंत फार्महाउस की ओर दौड़ पड़े। केवल क्लोवर और बेंजामिन वहाँ रुक गए थे। बेंजामिन बॉक्सर के पास बैठ गया और बिना बोले अपनी लंबी पूंछ से मक्खियों को उड़ाता रहा। लगभग पन्द्रह मिनट बाद स्क्वीलर आया। सहानुभूति और चिंता से भरा हुआ। उसने कहा कि मित्र नेपोलियन को फ़ार्म के सबसे वफादार कार्मिक के साथ हुई इस दुर्भाग्य पूर्ण और बहुत ही भारी दुखद घटना की जानकारी हो चुकी है और वह पहले से ही बॉक्सर को विलिंग्डन में अस्पताल में इलाज के लिए भेजने की व्यवस्था कर रहा है। इस पर जानवरों को थोड़ी बेचैनी महसूस हुई। मोली और स्नोबॉल के अलावा किसी भी अन्य जानवर ने कभी फ़ार्म नहीं छोड़ा था। वे नहीं चाहते थे कि उनका बीमार मित्र मनुष्यों के हाथों में जाए। तथापि, स्क्वीलर ने उन्हें आसानी से समझा दिया कि विलिंगडन के पशु चिकित्सक द्वारा बॉक्सर का इलाज फ़ार्म की तुलना में बेहतर ढंग से किया जा सकता है। लगभग आधे घंटे बाद बॉक्सर कुछ ठीक हुआ तो वह मुश्किल से अपने पैरों पर खड़ा हुआ और लंगड़ाते हुए वापस अपने थान में चला गया। जहाँ क्लोवर और बेंजामिन ने उसके लिए पुआल का एक अच्छा सा बिस्तर तैयार कर दिया था।


अगले दो दिनों तक बॉक्सर अपने थान में ही रहा। सूअरों ने गुलाबी दवा की एक बड़ी बोतल, जो उन्हें बाथरूम में दवा की अलमारी में मिली थी, भेज दी थी। क्लोवर इसे भोजन के बाद दिन में दो बार बॉक्सर को देती थी। शाम को वह उसके थान में बैठी रहती थी और उससे बात करती थी। जबकि बेंजामिन उस पर से मक्खियां उड़ाता रहता था। बॉक्सर ने जो कुछ भी हुआ था उसके लिए खेद प्रकट नहीं किया। यदि वह अच्छी तरह से स्वस्थ हो गया तो वह तीन साल और जीने की उम्मीद कर सकता था। वह उन शांतिपूर्ण दिनों के बारे में सोचता था जो वह बड़े चरागाह के कोने में बिताएगा। यह पहली बार होगा जब उसे पढ़ाई करने और अपने दिमाग़ को उन्नत करने के लिए अवकाश मिलेगा। वह कहता था कि उसका इरादा है कि वह अपना शेष जीवन बचे हुए बाईस अक्षरों को सीखने में समर्पित करेगा।


बेंजामिन और क्लोवर केवल काम के घंटों के बाद बॉक्सर के साथ रह सकते थे जबकि उसे लेने के लिए गाड़ी दोपहर के समय आयी थी। सभी जानवर सुअरों की देखरेख में चुकंदर की खरपतवार हटाने में लगे हुए थे। तभी उन्होंने आश्चर्य के साथ देखा कि बेंजामिन गला फाड़कर रेंगते हुए फ़ार्म की इमारतों की दिशा से सरपट दौड़ता हुआ आ रहा था। यह पहली बार था जब उन्होंने बेंजामिन को इतना उत्तेजित देखा था ।वास्तव में यह पहली बार था जब किसी ने उसे सरपट दौड़ता देखा था। "जल्दीकरो, जल्दी करो!" - वह चिल्लाया। "तुरन्त आओ! वे बॉक्सर को ले जा रहे हैं!" सुअरों के आदेश की प्रतीक्षा किए बिना जानवरों ने काम छोड़ा और फ़ार्म की इमारतों की ओर दौड़े। सचमुच अहाते में एक बड़ी बंद गाड़ी जिसमें दो घोड़े जुते थे खड़ी थी। उसके पार्श्वों में अक्षर लिखे थे। ड्राइवर की सीट पर गेंदबाजों वाली टोपी पहने एक धूर्तसा दिखने वाला व्यक्ति बैठा था। बॉक्सर का थान खाली था।


जानवर गाड़ी के चारों ओर भीड़ लगाकर खड़े हो गए और एक साथ कहने लगे, "अलविदा बॉक्सर! अलविदा!"


बेंजामिन उनके चारों और घृष्टता से कूद-फाँद करते हुए और अपने पैरों को ज़मीन पर पटकते हुए चिल्लाया, "मूर्खों! मूर्खों!" "मूर्खों! क्या तुम्हें दिखाई नहीं देता कि उस गाड़ी के पार्श्व में क्या लिखा हुआ है?"


इससे जानवरों ने विराम लिया और वहाँ एक नीरवता छा गई। मुरील ने धीरे-धीरे एक-एक अक्षर को पढ़ना शुरू किया। लेकिन बेंजामिन ने उसे एक तरफ धकेल दिया और एक अत्यंत चुप्पी के बीच उसने पढ़ा:


"अल्फ्रेड सिमंड्स हॉर्स स्लॉटर एंड ग्लू बॉयलर, विलिंगडन। चमड़े और हड्डी-चूरे के व्यापारी। परनाला आपूर्तिकर्ता।" क्या आपको समझ नहीं आ रहा है कि इसका क्या मतलब है? वे बॉक्सर को घोडकसाई के पास ले जा रहे हैं! "


सभी जानवर खौफज़दा होकर क्रंदन करने लगे। इसी समय डिब्बे पर बैठे आदमी ने अपने घोड़ों को चाबुक मारा और गाड़ी तेज़ी से चलती हुई अहाते के बाहर चली गई। सभी जानवर गला फाड़कर विलाप करते हुए गाड़ी के पीछे चलने लगे। क्लोवर भीड़ को चीरते हुए आगे आ गई। गाड़ी गति पकड़ने लगी। क्लोवर ने अपने कठोर अंगों को धक्का देकर सरपट दौड़ने की कोशिश की और गाड़ी के बराबर पहुँच गई। वह चिल्लाई "बॉक्सर!", "बॉक्सर! बॉक्सर! बॉक्सर!" और ठीक उस क्षण मानो उसने बाहर का हंगामा सुन लिया था, गाड़ी के पीछे की छोटी खिड़की से बॉक्सर का चेहरा नाक के नीचे की सफेद पट्टी के साथ दिखाई दिया।


"बॉक्सर!" एक भयानक आवाज़ में क्लोवर ने क्रंदन किया, "बॉक्सर! बाहर आ जाओ! जल्दी से बाहर आओ! वे तुम्हें तुम्हारी मौत की ओर ले जा रहे हैं!"


सभी जानवर विलाप करने लगे-"बॉक्सर आ जाओ, बाहर आ जाओ!" लेकिन गाड़ी पहले से ही गति पकड़ रही थी और उनसे दूर जा रही थी। पता नहीं क्लोवर ने जो कुछ कहा था उसको बॉक्सर समझा था या नहीं। लेकिन एक पल बाद उसका चेहरा खिड़की से गायब हो गया और गाड़ी के अंदर से खुरों की जबरदस्त ढोल बजने जैसी आवाज आई। वह लात मार कर बाहर आने की कोशिश कर रहा था। एक समय था जब बॉक्सर के खुरों की कुछ लातें ही गाड़ी को माचीस की डिब्बी की तरह चकनाचूर कर सकती थीं। लेकिन अफसोस! अब उसमें वह ताकत नहीं रही थी। कुछ ही पलों में ख़ुरों की आवाज़ कमज़ोर पड़ गई और धीरे धीरे बंद हो गई। हताशा में जानवरों ने उन दो घोड़ों से, जो गाड़ी को खींच रहे थे, रुकने की अपील करना शुरू कर दिया। बे चिल्लाये "भाइयों, भाइयों !", "अपने भाई को मृत्यु के मुँह में मत ले जाओ!" लेकिन वे मूर्ख इतने ज़ाहिल थे कि जो कुछ हो रहा था उसे महसूस नहीं कर सकते थे। उन्होंने केवल अपने कान पीछे की ओर किए और अपनी गति बढ़ा दी। बॉक्सर का चेहरा फिर खिड़की से नज़र नहीं आया। बहुत देर से किसी ने दौड़ कर पाँच-आरे वाले दरवाज़े को बंद करने के बारे में सोचा लेकिन दूसरे ही क्षण गाड़ी उसके बाहर चली गई और सड़क पर तेज़ी से चलकर गायब हो गई। बॉक्सर को फिर कभी नहीं देखा गया।


स्क्वीलर ने अपना पंजा उठाकर और एक आंसू पोंछते हुए कहा- "ऐसा प्रभावित करने वाला दृश्य मैंने आज तक नहीं देखा"! "मैं अन्त तक उसके बिस्तर के पास था। अंत में जब वह मुश्किल से बोल पा रहा था उसने मेरे कान में फुसफुसाया कि उसका एक मात्र दुःख यह था कि वह पवनचक्की का काम पूरा होने से पहले जा रहा था। वह फुसफुसाया- 'आगे बढ़ो, भाइयों और बहनों!' 'विद्रोह के नाम पर आगे बढ़ो। एनिमल फ़ार्म अमर रहे! मित्र नेपोलियन अमर रहे! नेपोलियन हमेशा सही होता है।' भाइयों और बहनों! ये थे उसके अंतिम शब्द।"


यहां स्क्वीलर के मनोभाव अचानक बदल गए। वह एक पल के लिए चुप हो गया और आगे बढ़ने से पहले उसने अपनी छोटी-छोटी आंखों से इधर-उधर संदेह भरी नज़रें डाली।

उसने कहा उनकी जानकारी में यह आया है कि बॉक्सर को ले जाते समय एक मूर्खतापूर्ण और दुष्ट अफवाह फैलाई गई थी। कुछ जानवरों ने देखा था कि बॉक्सर को ले जाने वाली गाड़ी पर "हॉर्स स्लॉटर" लिखा हुआ था। वास्तव में वे बिना सोचे-समझे इस निष्कर्ष पर पहुँच गए थे कि बॉक्सर को घोडकसाई के पास भेजा जा रहा था। स्क्वीलर ने कहा यह पूरी तरह से अविश्वसनीय था कि कोई भी जानवर इतना मूर्ख हो सकता है। वह अपनी पूंछ फटकारते हुए और इधर- उधर उछलते हुए क्रोधित हो कर चिल्लाया, सचमुच! क्या सचमुच वे अपने प्रिय नेता मित्र नेपोलियन को उससे ज़्यादा अच्छी तरह से जानते हैं ? स्पष्टीकरण वास्तव में बहुत सरल है। गाड़ी पहले घोडकसाई के पास थी। बाद में पशुचिकित्सा सर्जन द्वारा खरीद ली गई थी, जिसने अभी तक पुराने नाम को हटाया नहीं था। इस कारण से गलतफ़हमी पैदा हो गई थी।


यह सुनकर जानवरों को बड़ी राहत मिली और जब स्क्वीलर बॉक्सर की मृत्यु-शय्या का और अधिक जीवंत विवरण देने के लिए आगे बढ़ा तो उसे बड़े ही सराहनीय ढंग से सुना गया और महंगी दवाओं , जिसकी लागत पर एक बार भी विचार किये बिना नेपोलियन ने उनका भुगतान कर दिया था, के बारे में सुन कर उनका अंतिम संदेह भी गायब हो गया था और वह दुःख भी, जो उन्हें अपने मित्र की मौत पर था, यह सोचकर काम हो गया की कम से कम वह ख़ुशी से मर गया था।


भोज के लिए नियत दिन पर एक किराने बाले की गाड़ी विलिंगडन से आयी और फार्महाउस पर एक लकड़ी की बड़ी पेटी दे कर गई। उस रात वहाँ पर तीव्र गायन की आवाज़ हो रही थी। उसके बाद एक हिंसक झगड़े की आवाज़ें आयी जो लगभग ग्यारह बजे ज़ोर से कांच टूटने की आवाज़ के साथ समाप्त हुईं। अगले दिन दोपहर से पहले तक फार्महाउस में कोई हलचल नहीं हुई और यह अफ़वाह फैली कि कहीं से सूअरों ने अपने लिए व्हिस्की की एक और पेटी खरीदने के लिए पैसा हासिल कर लिया था।


अध्याय १०


वर्षों बीत गए। मौसम आये और चले गये। अल्प पशु जीवन बितता गया। एक समय आया जब क्लोवर, बेंजामिन, मोशे और बहुत से सूअर नहीं रहे।

मुरील मर गई थी। ब्लूबेल, जेसी और पिन्चर भी मर चुके थे। जोन्स भी मर गया था - वह प्रांत के दूसरे हिस्से में एक शराबी के घर में मर गया था। स्नोबॉल को भुला दिया गया था। कुछ एक को छोड़कर जो उसे जानते थे, बॉक्सर को भी भुला दिया गया था। क्लोवर वृद्ध हो गई थी।अब उसके जोड़ सख़्त हो गए थे। आंखों में गठिया हो गया था। उसकी सेवानिवृत्ति की उम्र दो साल पहले ही पूरी हो गई थी। लेकिन कोई भी जानवर कभी वास्तव में सेवानिवृत्त नहीं हुआ था। सेवानिवृत्त जानवरों के लिए चारागाह के एक कोने को आरक्षित करने की बात लंबे समय से बंद कर दी गई थी। नेपोलियन अब ३३६ पाउण्ड का परिपक्व सूअर हो गया था। स्क्वीलर इतना मोटा हो गया था कि वह अपनी आँखों से मुश्किल से देख पाता था। थूथन पर थोड़ी सी सफ़ेदी के अलावा वृद्ध बेंजामिन पहले जैसा ही था और बॉक्सर की मृत्यु के बाद से पहले से अधिक मंदबुद्धि और शांत हो गया था।


अब फार्म पर कई और जीव थे। यद्यपि यह वृद्धि इतनी अधिक नहीं थी जितनी की शुरुआती वर्षों में अपेक्षा थी। बहुत से जानवरों का जन्म विद्रोह के बाद हुआ था। जिनके लिए विद्रोह दूसरों के मुँह से सुनी हुई एक धुंधली सी परंपरा मात्र थी। अन्य जानवर बाहर से खरीदे गए थे जिन्होंने अपने आगमन से पहले इस तरह की किसी बात के बारे में कभी नहीं सुना था। अब फ़ार्म पर क्लोवर के अलावा तीन घोड़े थे। वे अच्छे प्रतिष्ठित, तत्पर कामगार और अच्छे मित्र जानवर थे। लेकिन बहुत ही बेवकूफ थे। उनमें से कोई भी ख अक्षर से आगे वर्णमाला सीखने में सक्षम साबित नहीं हुआ था। उन्हें विद्रोह और पशुवाद के सिद्धांतों के बारे में जो कुछ भी बताया जाता था उसे वे स्वीकार कर लेते थे। विशेष रूप से क्लोवर के द्वारा, जिसका वे पुत्रवत सम्मान करते थे। लेकिन वे इस बारे में बहुत ज़्यादा कुछ समझे थे इस पर संदेह था।


अब फ़ार्म अधिक समृद्ध और बेहतर संगठित था। इसमें नए दो खेत और जुड़ गए जो श्री पिलकिंगटन से खरीदे गए थे। अंततः पवनचक्की सफलतापूर्वक पूरी हो गई थी और फ़ार्म में अपनी स्वयं की थ्रेशिंग मशीन और एक एलिवेटर था। अनेक नए भवनों का निर्माण कर लिया गया था। व्हिम्पर ने अपने लिए एक कुत्ता-गाड़ी ख़रीद ली थी। यद्यपि पवनचक्की अंततः बिजली के उत्पादन के लिए उपयोग में नहीं ली गई थी। यह मकई पीसने और एक अच्छा लाभ कमाने के लिए इस्तेमाल की जाती थी। जानवर एक और पवनचक्की के निर्माण के लिए कठोर परिश्रम कर रहे थे। ऐसा कहा जाता था कि इसका निर्माण पूरा होने पर डायनेमो स्थापित किया जाएगा। लेकिन स्नोबॉल ने जिन ऐश्वर्यों के बारे में जानवरों को सपने देखना सिखाया था-बिजली के प्रकाश और गर्म और ठंडे पानी से युक्त थान और तीन-दिवसीय सप्ताह- उनके बारे में अब कोई बात नहीं की जाती थी। नेपोलियन ने इस तरह के विचारों की पशुवाद की भावना के विपरीत बताते हुए भर्त्सना की थी। वह कहता था कि सच्ची खुशी कड़ी मेहनत करने और किफ़ायती जीवन जीने में है।


ऐसा लग रहा था कि फ़ार्म तो धनवान हुआ था पर बेशक सूअर और कुत्तों को छोड़कर स्वयं जानवर अमीर नहीं हुए थे। शायद यह आंशिक रूप से इस कारण था कि वहाँ बहुत सारे सूअर और कुत्ते थे। ऐसा नहीं था कि ये जीव अपने संप्रदाय के कारण काम नहीं करते थे बल्कि जैसा कि स्क्वीलर बताते नहीं थकता था, वहाँ फ़ार्म की देखरेख और संगठन का अंतहीन काम था और उसमें से अधिकांश कार्य ऐसा था जिसको अन्य जानवर अज्ञानता के कारण नहीं समझ सकते थे। उदाहरण के लिए स्क्वीलर उन्हें बताता था कि सूअरों को हर दिन "पत्रावलियाँ", "रिपोर्ट", "कार्यवृत्त" और "ज्ञापन" नामक रहस्यमयी चीजों पर भारी श्रम खर्च करना पड़ता था। ये कागज़ के बड़े पत्तरे थे जिन्हें बारीक-बारीक लिखकर पूरा भरना पड़ता था और जैसे ही वे भर जाते थे उन्हें भट्ठी में जलाना पड़ता था। स्क्वीलर कहता था यह फ़ार्म के कल्याण के लिए सबसे महत्वपूर्ण काम था। लेकिन फिर भी न तो सूअर और न ही कुत्ते अपने श्रम से कोई खाद्य पदार्थ पैदा करते थे। तथापि वे बहुत सारे थे और उनकी भूख भी हमेशा अच्छी होती थी।

जहाँ तक दूसरों की बात थी, उनका जीवन, जहाँ तक वे जानते थे, वैसा ही था जैसा पहले था। वे आम तौर पर भूखे रहते थे। भूसे पर सोते थे। पोखर से पानी पीते थे। फ़ार्म पर परिश्रम करते थे। सर्दियों में ठंड से परेशान रहते थे और गर्मियों में मक्खियों से। कभी-कभी कोई वृद्ध जानवर अपनी धुंधली यादों को खंगालता था और यह निश्चय करने की कोशिश करता था कि क्या विद्रोह के शुरुआती दिनों में, जब जोन्स का निष्कासन अभी ताज़ा था, हालात अब से बेहतर थे या बदतर। उन्हें याद नहीं आ रहा था। ऐसा कुछ भी नहीं था जिसके साथ वे अपने वर्तमान जीवन की तुलना कर सकते थे। उनके पास स्क्वीलर के आंकड़ों की सूची- जिसमें हमेशा यह प्रदर्शित किया जाता था कि सब कुछ बेहतर से बेहतर हो रहा था- को छोड़कर कुछ भी नहीं था। । जानवरों को समस्या अनसुलझी लगती थी। फिर उनके पास अब ऐसी बातों का अन्दाज़ लगाने के लिए समय भी बहुत कम होता था। केवल वृद्ध बेंजामिन यह दावा करता था कि अपने लंबे जीवन का हर विवरण उसको याद है और वह जानता है कि हालात न तो कभी बेहतर थे और न ही बदतर और न ही कभी हो सकते थे - वह कहता था कि भूख, कठिनाई और निराशा जीवन के अटल नियम थे।


फिर भी जानवरों ने कभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी थी। यही नहीं उन्होंने एक पल के लिए भी अपना हास्य बोध नहीं खोया था और पूरे प्रांत में -पूरे इंग्लैंड में! - अब तक यही एकमात्र ऐसा फ़ार्म था जो जानवरों के स्वामित्व में और उनके द्वारा संचालित था। उनमें से हर कोई - सबसे कम उम्र वाले भी, यहाँ तक कि नवआगुन्तक भी जो दस-बीस मील दूर के फार्मों से लाए गए थे-उस पर हमेशा आश्चर्य करते थे। जब वे बंदूक का धमाका सुनते और और हरे रंग के झंडे को ध्वजदंड पर फहराते हुए देखते तो उनका दिल अक्षय गर्व से भर जाता था और बात हमेशा पुराने वीरतापूर्ण दिनों - जोन्स के निष्कासन, सात आज्ञाओं के लेखन, महान लड़ाइयों, जिसमें मनुष्य आक्रमणकारियों को पराजित किया गया था- की ओर मुड़ जाती थी। पुराने सपनों में से किसी को भी अभी छोड़ा नहीं गया था। जानवरों के गणतंत्र - जिसकी मेजर ने भविष्यवाणी की थी और जिसमें इंग्लैंड के हरे-भरे खेत मनुष्य के पैरों तले नहीं कुचले जाएँगे - में अभी भी विश्वास किया जाता था। किसी न किसी दिन यह आना था। चाहे यह जल्द नहीं आये। चाहे अब जीवित जानवरों के जीवनकाल में नहीं आये। लेकिन तो भी यह आएगा ज़रूर। यहां तक ​​कि इंग्लैंड के जानवर की धुन भी शायद यहां-वहां गुपचुप तरीके से गुनगुनायी जाती थी। कुछ भी हो यह एक तथ्य था। फ़ार्म का प्रत्येक जानवर इसे जानता था। यद्यपि कोई भी इसे जोर से गाने की हिम्मत नहीं करता था। चाहे उनका जीवन कठिन था और उनकी सभी उम्मीदें पूरी नहीं हुई थीं तो भी उनको भान था कि वे अन्य जानवरों की तरह नहीं थे। यदि वे भूखे रहते थे तो इस कारण से नहीं कि अत्याचारी मनुष्य उनको खिलाते नहीं थे। अगर वे कड़ी मेहनत करते थे तो यह तो था कि कम से कम उन्होंने अपने लिए काम किया था। उनमें से कोई भी प्राणी दो पैरों पर नहीं चला। कोई भी प्राणी किसी दूसरे प्राणी को "मालिक" नहीं कहता था। सभी जानवर बराबर थे।


गर्मियों की शुरुआत में एक दिन स्क्वीलर ने भेड़ों को अपने पीछे आने का आदेश दिया और उन्हें फ़ार्म के दूसरे छोर पर ज़मीन के एक बेकार टुकड़े तक ले गया जिस पर सनौबर के पौधे उग आए थे। भेड़ों ने वहाँ पूरा दिन स्क्वीलर की देखरेख में पत्तियों को खाते हुए बिताया। शाम को वह खुद फार्महाउस लौट आया। लेकिन गर्मी का मौसम होने के कारण भेड़ों को वे जहां थीं वहीं रहने के लिए कह दिया। वे पूरे सप्ताह वहीं रही तब काम पूरा हुआ। उस दौरान अन्य जानवरों ने उनके बारे में कुछ भी नहीं देखा। प्रत्येक दिन अधिकांश समय स्क्वीलर ही उनके साथ रहता था। उसने कहा कि वह उन्हें एक नया गाना गाना सिखा रहा था। जिसके लिए एकांत की आवश्यकता थी।


भेड़ों के लौटने के ठीक बाद एक सुखद शाम को जब जानवर काम खत्म कर चुके और फ़ार्म की इमारतों में वापस जा रहे थे तभी अहाते से एक घोड़े की ख़ौफ़नाक हिनहिनहट की आवाज़ आयी। जानवर चौंक कर रास्ते में ही रुक गए। यह क्लोवर की आवाज थी। वह फिर हिनहिनाई और सभी जानवर सरपट दौड़े और अहाते में घुस गए। उन्होंने वहाँ वह देखा जो क्लोवर देख रही थी।


यह एक सुअर था जो अपने पिछले पैरों पर चल रहा था।


हाँ, यह स्क्वीलर था। थोड़ा अजीब लग रहा था। वह उस स्थिति में अपने काफ़ी भारी वज़न को थामे रखने का आदी नहीं था। लेकिन सही संतुलन के साथ वह पूरे अहाते में टहल रहा था। एक क्षण बाद फार्महाउस के दरवाजे से सूअरों की एक लंबी क़तार निकल कर आई। वे सभी अपने पिछले पैरों पर चल रहे थे। दूसरों के बजाय कुछ बेहतर ढंग से चल रहे थे। एक या दो थोड़े से अस्थिर थे और ऐसा लग रहा था कि उन्हें छड़ी के सहारे की आवश्यकता है। लेकिन उनमें से प्रत्येक ने अहाते का सफलतापूर्वक चक्कर लगाया। अंत में कुत्ते ज़ोर से भौंके और काली कोयल ने कहु-कहु की तीव्र अवाज निकाली। इधर-उधर सख़्त नज़र डालते हुए नेपोलियन खुद शाही अन्दाज़ में बाहर आया। उसके कुत्ते उसके चारों ओर कलोल कर रहे थे।


उसने अपने पंजे में एक चाबुक ले रखा था।


वहाँ एक भीषण सन्नाटा छाया हुआ था। आश्चर्यचकित, भयभीत और एक झुंड में खड़े हुए जानवरों ने देखा कि सूअरों की लंबी कतार धीरे-धीरे चलते हुए अहाते के चक्कर लगा रही है। ऐसा लग रहा था मानो दुनिया उलटी हो गई हो। फिर एक क्षण ऐसा आया जब पहला सदमा कुछ काम हुआ और सब कुछ के बावजूद- कुत्तों के आतंक और कभी शिकायत या आलोचना नहीं करने की वर्षों से विकसित आदत- के बावजूद भी शायद वे विरोध के कुछ शब्द बोलते लेकिन ठीक उसी क्षण, जैसे किसी ने संकेत दिया हो, सभी भेड़ें जबरदस्त मिमियाहट के साथ फूट पड़ीं-


"चार पैर अच्छे, दो पैर बेहतर! चार पैर अच्छे, दो पैर बेहतर! चार पैर अच्छे, दो पैर बेहतर!"

यह बिना रुके पांच मिनट तक चलता रहा और जब तक भेड़ें शांत हुईं तब तक विरोध में कुछ बोलने का मौका ही बीत चुका था क्योंकि सूअर वापस फार्महाउस में घुस गए थे।

बेंजामिन को अपने कंधे पर किसी की साँस महसूस हुई। उसने मुड़ कर देखा। यह क्लोवर थी। उसकी बूढ़ी आंखें पहले से कहीं ज्यादा धुंधली दिख रही थीं। बिना कुछ कहे उसने धीरे से उसकी अयाल को खींचा और उसे बड़े खलिहान के अंतिम छोर पर ले गई जहाँ सात आज्ञाएँ लिखी हुई थीं। एक-दो मिनट तक वे सफ़ेद अक्षरों वाली काली दीवार को ताकते रहे।


आखिरकार उसने कहा, "मेरी दृष्टि कमज़ोर हो रही है", "जब मैं छोटी थी तब भी मैं यह नहीं पढ़ पायी थी कि वहां क्या लिखा हुआ था। लेकिन मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि वह दीवार अलग दिखती है। बेंजामिन, क्या सात आज्ञाएं वैसी ही हैं जैसी वे पहले हुआ करती ?"


एक बार के लिए बेंजामिन अपने नियम को तोड़ने के लिए सहमत हो गया और उसने उसे दीवार पर जो लिखा था उसको पढ़कर सुनाया। अब वहाँ एक आज्ञा के सिवाय कुछ भी नहीं था। वह आज्ञा इस प्रकार थी:


सभी जानवर समान हैं लेकिन कुछ जानवर दूसरों से ज़्यादा समान हैं।


उसके बाद यह अजीब नहीं लगा कि अगले दिन फ़ार्म के काम की देखरेख करने वाले सूअर अपने पंजों में चाबुक लिए हुए थे। यह जानकर भी कुछ अजीब नहीं लगा कि सूअरों ने खुद के लिए एक वायरलेस सेट खरीद लिया था, एक टेलीफोन स्थापित करवाने की व्यवस्था कर रहे थे और जॉन बुल, टिट-बिट्स, और डेली मिरर की सदस्यता ले ली थी। यह भी अजीब नहीं लगा कि नेपोलियन फार्महाउस के बगीचे में मुंह में पाइप लगाकर टहलता हुआ नज़र आया था - नहीं! तब भी नहीं जब सूअरों ने श्री जोन्स के कपड़ों को वार्डरोब से निकाल लिया था और ख़ुद ने पहन लिया था। नेपोलियन खुद काले कोट, पतलून और चमड़े के जूतों में दिखाई दे रहा था। जबकि उसकी पसंदीदा सूअरी उन रेशमी कपड़ों में दिखाई देती थी जिन्हें श्रीमती जोन्स रविवार को पहना करती थी।


एक हफ्ते बाद दोपहर में कई कुत्ता-गाड़ियाँ फ़ार्म में आयीं। पड़ोसी किसानों के एक प्रतिनिधि मण्डल को निरीक्षण-दौरा करने के लिए आमंत्रित किया गया था। उन्हें पूरा फ़ार्म दिखाया गया। उन्होंने उस हर चीज़ की जिसको उन्होंने देखा, विशेष रूप से पवनचक्की की, बहुत प्रशंसा की। जानवर शलजम के खेत की निराई कर रहे थे। वे अपने चेहरे को जमीन से उठाये बिना और बिना ये जाने कि सूअरों से ज़्यादा भयभीत होना चाहिए या मानव आगंतुकों से, लगन से काम कर रहे थे।


उस शाम फार्महाउस से जोर की हँसी और गाने की आवाज आई। अचानक मृदुल स्वरों की आवाज पर जानवर जिज्ञासा से भर गए। अब जबकि पहली बार जानवर और इंसान समानता की शर्तों पर मिल रहे थे, वहाँ क्या हो रहा होगा? वे एकमत होकर फार्महाउस के बगीचे में यथासंभव चुपचाप रेंगने लगे।

वे गेट पर रुक गए। आगे जाने से थोड़ा घबरा रहे थे। लेकिन क्लोवर उन्हें अंदर ले गई। वे पंजों के बल घर तक पहुँच गए। ऐसे जानवरों ने जो काफ़ी लम्बे थे भोजन कक्ष की खिड़की में से झाँक कर देखा। वहाँ एक बड़ी मेज के चारों ओर आधा दर्जन किसान और आधा दर्जन प्रतिष्ठित सूअर बैठे थे। स्वयं नेपोलियन मेज के सिरे पर मुख्य सीट पर बैठा हुआ था। सूअर अपनी कुर्सियों में पूरी तरह से आराम से दिखाई दे रहे थे। मण्डली ताश के खेल का आनंद ले रही थी। लेकिन जाहिर तौर पर शराब का पैग पीने के क्रम में मण्डली बिखर गई थी। एक बड़ा सा जग घूमाया जा रहा था। मगों में बीयर भरी जा रही थी। खिड़की से घूर रहे जानवरों के आश्चर्यचकित चेहरों पर किसी का भी ध्यान नहीं था।


फॉक्सवुड के श्री पिलकिंगटन खड़े हो गए थे। उनके हाथ में बीयर का मग था। दूसरे पल वे बोले -मैं इस मण्डली से एक-एक शराब का जाम पीने के लिए कहूँगा। लेकिन ऐसा करने से पहले मैं दो शब्द कहना अपना दायित्व समझता हूँ।


उसने कहा- मेरे लिए यह बहुत ही संतोष की बात है और और मेरा विश्वास है कि सभी उपस्थित लोग भी यह महसूस कर रहे होंगे कि अविश्वास और गलतफहमी का एक लंबा दौर अब समाप्त हो गया है।एक समय था कि मैं ही नहीं, यहाँ उपस्थित मण्डलीमें से हर कोई ऐसी भावनाएँ रखता था। लेकिन एक समय था जब एनिमल फार्म के सम्मानित मालिकों के प्रति, मैं द्वेषभाव से नहीं कह रहा हूँ, शायद उनके मनुष्य पड़ोसी कुछ हद तक गलत भावनाएँ रखते थे। दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई थीं। गलत विचार प्रचलित थे। यह महसूस किया गया था कि सूअरों के स्वामित्व और संचालनाधीन फ़ार्म का अस्तित्व किसी तरह से असामान्य बात थी और पड़ोस में अस्थिरता के लिए उत्तरदायी थी। बहुत सारे किसानों ने बिना किसी जांच के यह मान लिया था कि इस तरह के फ़ार्म में उच्छृंखलता और अनुशासनहीनता की भावना प्रबल होगी। उनमें अपने जानवरों, यहां तक ​​कि अपने मनुष्य कर्मचारियों पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के बारे में घबराहट थी। लेकिन ऐसे सभी संदेह अब दूर हो गए हैं। आज मैंने और मेरे दोस्तों ने एनिमल फार्म का दौरा किया है और इसकी हर इंच का अपनी आँखों से निरीक्षण किया है और हमनें क्या पाया? न केवल अत्यंत आधुनिक तरीके। बल्कि एक अनुशासन और व्यवस्था। जो हर जगह के सभी किसानों के लिए एक उदाहरण होना चाहिए। मेरा विश्वास ​​है कि मेरा यह कहना सही था कि एनिमल फार्म के नीचे के स्तर के जानवरों ने अधिक काम किया और प्रांत के किसी भी जानवर की तुलना में कम भोजन प्राप्त किया। वास्तव में मैंने और मेरे साथी-आगंतुकों ने आज कई ऐसी विशेषताओं का अवलोकन किया जिन्हें हम अपने फार्मों पर तुरंत शुरू करने का इरादा रखते है।


उसने कहा - मैं अपनी टिप्पणी इस बात पर ज़ोर देते हुए समाप्त करूँगा कि एनिमल फार्म और उसके पड़ोसियों के बीच दोस्ताना की यह भावना जारी रहे और जारी रहनी चाहिए। सूअरों और मनुष्यों के बीच कोई हितों का टकराव नहीं है और न होने की जरूरत है। उनका संघर्ष और उनकी कठिनाइयाँ एक थीं। क्या श्रम-समस्या हर जगह एक जैसी नहीं थी? यहाँ यह स्पष्ट हो गया था कि श्री पिलकिंगटन मण्डली पर कुछ सावधानीपूर्वक तैयार किए गए कुछ परिहास उछालना चाहते थे लेकिन एक पल के लिए वे मनोरंजन से इतना अभिभूत हो गये कि कुछ बोल नहीं पाये। बहुत सी हिचकियों के बाद, जिसके दौरान उसके चिबुक नीललोहित हो गए थे, वे इससे बाहर निकलने में कामयाब रहे। फिर उन्होंने कहा, "क्या आप अपने निचले स्तर के जानवरों का मुक़ाबला कर लेते हैं", "हमारे पास भी हमारे निचले वर्ग हैं!"! इस लतीफ़े से मेज पर तेज़ खिलखिलाहट फैल गई। श्री पिलकिंगटन ने एक बार फिर सूअरों को कम राशन, लंबे काम के घंटे और लाड़ प्यार की सामान्य अनुपस्थिति, जिसको उन्होंने ऐनिमल फार्म पर देखा था,पर बधाई दी।


और अब, उसने आखिरकार कहा, मैं मण्डली से कहूँगा कि वह पैरों पर खड़ी हो जाए और यह सुनिश्चित करले कि उनके गिलास भरे हुए हैं। सज्जनों!, श्री पिलकिंगटन ने अंत में कहा, मैं आपको एक-एक जाम और देता हूं - एनिमल फार्म की समृद्धि के लिए!"


वहाँ उत्साही जयकार और पैरों की धमक हो रही थी। नेपोलियन इस कदर कृतज्ञ था कि वह अपना स्थान छोड़कर श्री पिलकिंगटन के पास गया और उसके मग से अपना मग टकराने के बाद उसको पिया। जब जयकारे मंद पड़ गए तब नेपोलियन ने, जो अपने पैरों पर बने हुए था, कहा कि वो भी दो शब्द कहना चाहता है।


नेपोलियन के अन्य भाषणों की तरह ही यह भी एक छोटा और बिंदुवर भाषण था। उसने कहा- मैं भी खुश हूँ कि गलतफहमी का दौर समाप्त हो गया। लंबे समय से अफवाहें फैली हुई थीं - और मुझे विश्वास था कि वे किसी दुष्ट दुश्मन द्वारा फैलाई गई थी - कि मेरे और मेरे सहयोगियों के दृष्टिकोण में कुछ विध्वंसक और क्रांतिकारी था। हम पर यह लांछन लगाया गया कि हम पड़ोसी फार्मों के जानवरों के बीच विद्रोह भड़काने का प्रयास कर रहे थे। कोई भी बात सच्चाई से इतनी दूर नहीं हो सकती थी! हमारी, अब और अतीत में भी, एकमात्र इच्छा अपने पड़ोसियों के साथ शांति से रहने और उनके साथ सामान्य व्यापार संबंध रखने की थी। यह फ़ार्म, जिसको नियंत्रित करने का मुझे गौरव प्राप्त है, एक सहकारी उद्यम था। स्वामित्व के दस्तावेज़, जो मेरे खुद के कब्जे में थे, संयुक्त रूप से सूअरों के नाम थे।


उसने कहा - मैं नहीं मानता कि पुराने संदेह अभी भी शेष हैं, लेकिन हाल ही में फ़ार्म की दिनचर्या में कुछ बदलाव किए गए हैं, जो आत्मविश्वास को और भी बढ़ावा देने बाले साबित होने चाहिए। अब तक फ़ार्म के जानवरों के बीच एक दूसरे पशुओं को "मित्र" कह कर पुकारने की मूर्खतापूर्ण प्रथा है। जिसका दमन किया जाना है। एक बहुत ही अजीब रिवाज और भी है, जिसका उद्भव अज्ञात है, यह है कि हर रविवार की सुबह एक सूअर की खोपड़ी के आगे मार्च-पास्ट करना, जो बगीचे में एक खम्भे पर टँगी हुई है। इसका भी दमन कर दिया जाएगा। खोपड़ी को तो पहले ही दफन कर दिया गया है। मेरे अतिथियों ने उस हरे झंडे को भी देखा होगा जो ध्वजदंड पर फहरा रहा है। यदि देखा होगा तो उन्होंने शायद यह भी ग़ौर किया होगा कि उस पर पहले सफेद खुर और सींग अंकित किये हुए थे। अब उन्हें भी हटा दिया गया है। अबसे यह केवल हरा झंडा होगा।

उसने कहा - श्री पिलकिंगटन के उत्कृष्ट और पड़ोसी जैसे भाषण कि मैं केवल एक बात के लिए आलोचना करूँगा। श्री पिलकिंगटन ने पूरे भाषण में "एनिमल फार्म" का उल्लेख किया है। वे सचमुच यह नहीं जानते थे- क्योंकि मैं, नेपोलियन, पहली बार यह घोषणा कर रहा हूँ- कि "एनिमल फार्म" नाम को समाप्त कर दिया गया है। इसके बाद, फ़ार्म को "मैनर फार्म" के नाम से जाना जायेगा, जो, मैं मानता हूँ, उसका सही और मूल नाम है।


नेपोलियन ने अंत में कहा - "सज्जनों, मैं आपको पहले की तरह ही एक-एक जाम दूंगा! लेकिन एक अलग रूप में। अपने ग्लासों को ऊपर तक भर लें। सज्जनों! यह मेरा जाम है - मैनर फ़ार्म की समृद्धि के लिए!"


पहले की तरह ही हार्दिक जय-जय कार हुई और मगों को पैंदे तक खाली कर दिया गया। लेकिन बाहर खड़े जानवरों ने जैसे ही यह दृश्य देखा उनको लगा कि कुछ अजीब सी बात हो रही थी। वह क्या था जिसने सूअरों के चेहरों को बदल दिया था? क्लोवर की पुरानी धुँधली आँखें एक चेहरे से दूसरे चेहरे की ओर घूम गईं। उनमें से किसी के पाँच चिबुक थे। किसी के चार। किसी के तीन। लेकिन ऐसा क्या था जो पिघलता और बदलता हुआ दिख रहा था? फिर जब वाहवाही समाप्त हो गई तो मंडली ने अपने-अपने पत्ते उठाए और खेल, जो बीच में ही बाधित हो गया था, शुरू कर दिया। जानवर चुपचाप दूर चले गए।


लेकिन वे बीस गज भी नहीं चले थे कि रुक गए। फार्म हाउस से शोरगुल की आवाज़ें आ रही थीं। वे वापस भागे और फिर से खिड़की से देखने लगे। हां, एक हिंसक झगड़ा जारी था। कोई चिल्ला रहा था। कोई मेज से लटक रहा था। कोई तीव्र संदेह की नज़रों से देख रहा था। कोई उग्र होकर इनकार कर रहा था। यह लग रहा था कि परेशानी का स्रोत यह था कि नेपोलियन और श्री पिलकिंगटन ने एक साथ हुकुम का इक्का खेला था।


बारह आवाजें गुस्से में चिल्ला रही थीं और वे सभी एक जैसी थीं। सूअरों के चेहरे पर क्या हुआ था अब इसका कोई मतलब नहीं था। बाहर खड़े प्राणियों ने सुअर से मनुष्य की ओर और मनुष्य से सुअर की ओर और फिर सुअर से मनुष्य की ओर देखा लेकिन यह कहना एकदम असंभव था कि कौन, कौन था।

अनुवादक- महावीर प्रसाद