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A Dark Night – A tale of Love, Lust and Haunt - 15

हॉरर साझा उपन्यास

A Dark Night – A tale of Love, Lust and Haunt

संपादक – सर्वेश सक्सेना

भाग – 15

लेखक – अभिषेक हाडा

अखिल ये सब देख कर एक अनजाने भय से कांप गया| शैतानी शक्तियों ने अनुज के शरीर को अपनी तांत्रिक क्रियाओ के लिए चुन लिया था|

उसने बिना एक पल की देर किये अनुज को उठाया और कहा – “अनुज तुम ठीक तो हो? ये तुम्हारे हाथ की चमड़ी कैसे और किसने उतार ली?”

खुद अनुज को भी अभी ठीक से होश नहीं आया था| उसने दर्द से कराहते हुए कहा – “वो. . . अचानक ... कुछ काले साये ... उन्होंने बड़ी बेरहमी से मेरी ... आह... मुझे ठीक से कुछ याद नहीं|”

अखिल ने देखा कि उसके हाथ की ज्यादा चमड़ी नहीं निकाली गयी थी| उसने जल्दी से पलंग की चादर से थोडा कपडा फाडा और उसके हाँथ पर बांध दिया|

अनुज ने कराहते हुए अखिल से पूछा – “अंकल ये सब क्या हो रहा है ? और क्यों ? कहीं हम सब मर तो नहीं जायेंगे ? अंकल मैं मरना नहीं चाहता|”

अखिल ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा – “ जब तक मैं हूँ, मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा, चिंता मत करो|”

“पर मुझे खुद से ज्यादा पूजा की चिंता है| वो इस वक्त कहाँ होगी| किस हाल मैं होगी ? मैं ही उसको यहाँ लेकर आया था ? मै ही इन सबका जिम्मेदार हूं| आखिर हम यहाँ कैसे फंस गये ? मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है ?” – अनुज ने अपना सिर पकड़ते हुए कहा|

“पर मुझे सब समझ आ गया ? ये सब घटनाये क्यों हो रही है ? तुम्हारा इसमें कोई दोष नही, मुझे पता है कौन इन घटनाओं के पीछे है ?” – अखिल ने उस शैतानी किताब की और देखते हुए कहा|

“तो क्या आप पूजा का पता नही लगा सकते ?” – अनुज ने एक उम्मीद के साथ अखिल की ओर देख कर कहा|

“हाँ, पर उसके लिए मुझे ही कुछ सोचना होगा|”- कहते हुए वो वहां रखे एक पुराने पलंग पर बैठ गया|

बारिश अभी भी बंद नही हुई थी, लगातार गरजते बादल और बार बार चमकती बिजलियों के बीच अचानक से अखिल के दिमाग में एक विचार आया|

मैंने अपने पिछले जन्म में अपने पिता के द्वारा प्रताड़ित बहुत सी आत्माओं की उनका बदला लेने में मदद की थी| उन आत्माओं का अस्तित्व आज भी इसी हवेली में होगा| मुझे एक बार उनसे सहायता मांगने का प्रयास करना चाहिए|

अगले ही पल उसने अपने हाथ ऊपर उठाये और जोर जोर से चिल्लाते हुए कहा – “इस हवेली के कोने कोने में रहने वाली अतृप्त आत्माओं... जागो.... जागो... मेरी मदद करो... मेरी मदद करो.... मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है, तुम सब जहाँ भी हो, मेरे सामने आओ... मेरी मदद करो... जागो... जागो...|”

पर उसकी इस पुकार से भी वहां कुछ भी हलचल नहीं हुई|

अखिल को इस तरह आत्माओं का आह्वान करते देख कर अनुज की आँखे भय से चौड़ी हो गयी| उसे लग रहा था कि कहीं अखिल कोई तांत्रिक तो नहीं है जो उसकी बलि देना चाहता हो| वो चुपचाप पीछे जाने लगा|

अखिल ने उसकी तरफ आँखे बड़ी करते हुए कहा – जहाँ खड़े हो वहीँ खड़े रहो| लगता है वो आत्माए ऐसे नहीं आएँगी| उनको दूसरे तरीके से ही बुलाना पड़ेगा|

अखिल ने वहां पड़ा एक नुकीला लोहे का टुकड़ा उठाया और फिर अपने हाथ पर उससे वार कर के खून निकाल दिया| खून की कई बूंदे फर्श पर टपकने लगी|

उस खून से उसने एक षटकोण बनाया और उसके अन्दर बैठ गया और फिर से एक बार जोर जोर से उन आत्माओं का आह्वान करने लगा “इस हवेली में रहने वाली आत्माओं मेरी मदद करो.. मेरी मदद करो... जागो... मैं ही पिछले जन्म का रुद्रांश हूँ| पिछले जन्म, मैने तुम्हारी मदद की थी| आज मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है| मेरी मदद करो... जागो...|”

ये कहकर उसने कुछ मन्त्र पढ़ना शुरू कर दिया और तभी अचानक से उस हवेली में जैसे तूफ़ान आ गया हो| जोर जोर से तेज़ हवाएं चलने लगी| हवेली के सारे खिड़की दरवाजे खुलने और बंद होने लगे| फिर बहुत सी औरतों की रोने चीखने और हंसने की आवाजे वहां गूंजने लगी और कुछ ही देर में वहां बहुत सी काली परछाईयां हवा में धुंए की तरह घूमने लगी|

अनुज का दिल जोर जोर से धड़कने लगा था, उसे ये सब क्या हो रहा था कुछ समझ नही आ रहा था| ऐसा उसने केवल भूतिया फिल्मो में देखा था|

फिर अगले ही पल जैसे वो सब आत्मायेंएक साथ बोलने लगी – “बोल... बोल... क्यों हमें बुलाया| क्या मदद चाहिए हमारी????”

अखिल ने अपनी जगह पर खड़े हो कर कहा – “मुझे मेरी बेटी पूजा के बारे पता लगाना है| वो कहाँ है?”

उन आत्माओं ने एक साथ कहा - “तेरी बेटी अब शैतान के चंगुल में है| कोई वहां से उसे नहीं ला सकता| एक बार जो वहां चला जाता है| वो फिर लौट कर नहीं आता|”

“मुझे मौत से डर नहीं लगता मुझे केवल मेरी बेटी को बचाना है| मुझे केवल उस जगह पहुंचा दो|”

“तेरी बेटी अब इस लोक में नहीं है| शैतान ने उसे पाताललोक में ले जा कर कैद कर लिया है| वहां वो उसके चंगुल में है, वहीं वो तेरी बेटी की बली चढाकर उस शैतानी किताब को पूरी करेगा| ये परम्परा सदियों से वो उस इस बियावन जंगल के उस मैदान में करता आ रहा है लेकिन अब उसने इस कार्य के लिये पाताल को चुना है जहां जाना किसी के वश मे नहीं|”

“वो चाहे किसी भी लोक में हो मैं उसे खोजकर बचा लूँगा| मुझे केवल वहां तक जाने का रास्ता बताओ|”

“हम रास्ता बता देंगे लेकिन याद रखना वहां से आज तक कोई मनुष्य जिन्दा लौट कर नहीं आया|” उन आत्माओं ने एक स्वर मे कहा|

“हाँ, मैं मरने के लिए भी तैयार हूँ पर मैं अपनी बेटी को खोजने जरुर जाऊंगा|” अखिल ने मन में पक्का निश्चय कर लिया था|

तभी अनुज ने कहा- “अंकल आप अकेले नहीं जा सकते| मैं भी आपके साथ चलूँगा|”

“हम अपनी शक्तियों से केवल एक ही व्यक्ति को वहां पंहुचा सकती है|” – उन आत्माओ ने अनुज की बात सुन कर अखिल से कहा|

“मैं उसका पिता हूँ अनुज| मैं उसे बचा लूँगा| मैं नहीं चाहता कि तुम्हे कुछ हो इसलिये तब तक तुम इस हवेली मे सुरक्षित रहो|” अखिल ने अनुज से कहा|

उनकी बातें सुनकर आत्माओं ने फिर कहा “जल्दी करो| तुम्हारे पास अधिक समय नहीं है| सूर्योदय से पहले अगर तुम अपनी बेटी को नहीं बचा पाए तो फिर तुम और तुम्हारी बेटी पाताललोक में ही फंस कर रह जाओगे| इसलिए जितना जल्दी हो सके उसे खोज कर बचाने की कोशिश करना|”

“ हाँ आप जल्दी से मुझे वहां पहुंचा दीजिये|” अखिल ने कहा |

“अपनी आँखे बंद करो| हम तुम्हे वहां पहुचाते है|”

“हाँ” – अखिल ने तुरंत अपनी आँखे बंद की|

और फिर उसके पास हवा का एक बवंडर बनने लगा| जिसके अंदर वो समा गया और अगले ही पल उसने खुद को एक गर्म जलती तपती जगह पर पाया| वहां वातावरण में जैसे आग बरस रही थी| अखिल ने आस पास देखा चारो तरफ पिघलती हुई चट्टानें और लाल अंगारों से पत्थर थे|

वो खुद को इस माहोल में सम्भाल पाता उससे पहले ही उसे किसी के फुंफकारने की आवाज आई| उसने डर से कांपते हुए पीछे देखा – “अनेक फनो वाला एक विषधारी भयंकर सांप उसके पीछे उसे निगलने के लिए तैयार खड़ा था|”

उसने अपनी भयंकर विषैली जीभ को लपलपाते हुए उसकी तरफ बढाया| अखिल बिना एक क्षण गंवाए वहां से दूर हट गया|

और एक चट्टान के पीछे जा कर छुप गया पर उसने उसका पीछा नहीं छोड़ा और अपने मुंह से आग की ज्वाला उस चट्टान की तरफ फेंकी जिससे वो चट्टान मोम की तरह पिघल गयी| अखिल जल्दी से उठा और उस सर्प से दूर भागने लगा पर वो तो जैसे अखिल की जान लेने के लिए सोच कर ही बैठा था| वो पूजा को बचाने के लिए यहाँ आया था पर अब उसे लग रहा था कि इस रात की कहानी यही खत्म होने वाली है|

अचानक से अखिल के दिमाग में एक विचार कौंधा| उसका जिन्दा रहना जितना उसके लिए जरुरी है उतना ही शैतान के लिए जरुरी है| अगर वो जिन्दा रहेगा तभी वो उस शैतानी किताब को पूरा कर पायेगा| उसे शैतान से मदद मांगनी चाहिए|

वो ये सब सोच ही रहा था कि उस विशाल विषधर सर्प ने उसे अपनी पूंछ से पकड़ लिया और उसे अपने मुंह की तरफ लाने लगा|

उसने जोर से चिल्लाकर कहा – “हे शैतान के पुजारी मुझे पता है मेरी जान तुम्हारे लिए अनमोल है, मुझे बचाओ...|”

पर वहां कुछ हलचल नहीं हुई| विषधर सर्प उसे निगलने ही वाला था| वो जोर से चिल्लाया – “बचाओ|”

और उसने डर कर आँखे बंद कर ली पर अब जैसे सब कुछ शांत हो गया हो| उसने अपनी आंखें खोलीं तो उसने खुद को एक सुनसान जगह पाया| जहाँ चारो तरफ बस खाइयाँ ही खाइयाँ थी और आगे बढ़ने के लिए केवल एक पतला संकरा रास्ता जिसके नीचे आग से भरी गहरी खाई थी| उसके दूसरी तरफ उसे सामने एक गुफा नजर आई, ये सब देख उसका दिमाग चकरा गया|

“पापा $$$$” – तभी उसे अचानक उस गुफा से पूजा की आवाज आई|

उस जगह पर अगला कदम बढ़ाने पर भी जान जाने का खतरा था| लेकिन अपनी बेटी के लिए जान की परवाह किये बिना ही अखिल ने अपना कदम आगे बढाया|

लेकिन कदम आगे बढ़ाते ही उसे लगा कि वो उस खाई में गिरने वाला है| इसलिए वो अब एक एक कदम संभल कर उठा रहा था लेकिन फिर भी एक चट्टान के टुकड़े पर पैर रखते ही वो नीचे गिर गया|

“नहीं| मैं नहीं मर सकता, मुझे पूजा को बचाना है|” - अखिल ने मन में सोचा| लेकिन वो उस आग से भरी खाई में गिरने लगा|

पर जैसे ही वो आग से टकराने वाला था उसने खुद को एक भयानक बदबूदार जगह पर पाया| उसने देखा वहां बहुत सी सड़ी गली लाशें पड़ी हुई थी| उनके ऊपर बड़ी बड़ी मक्खियाँ भिनभिनाती हुई आवाज कर रही थी| साथ ही कुछ लाशो में इल्लियां और लाश को खाने वाले कीड़े लगे हुए थे| मुर्दों के सड़ने गलने की एक अजीब सी बदबू वहां चारो तरफ फ़ैल रही थी| कुछ जंगली जानवर भेड़िये और बड़ी बड़ी छिपकलियाँ उनके पेट में से आंते निकाल निकाल कर भाग रहे थे तो कोई उनके फटे हुए पेट में से दिल, यकृत, फेफड़े अपने पैने नुकीले दांतों से खींच रहे थे| किसी के मुंह में उनके हाथ थे, तो किसी के मुंह में उनकी टांग| उनकी हड्डियों को चबाने की चट चट आवाज को वो भी अपने कानो से सुन सकता था| चारो तरफ बस ख़ून ही खून बह रहा था जिससे वहां दलदल जैसा बन चुका था|

अखिल ने देखा उन लाशो में से किसी के भी शरीर पर चमड़ी नहीं थी| ये सब उन्ही लोगों की लाशे थी जिन्हें शैतानी किताब लिखने के लिए मार दिया गया था| अखिल को ये सब देख कर उल्टी करने का मन होने लगा| पर तभी वहां लाशो का मांस नोच रहे जानवरों का ध्यान उस पर चला गया| और वो उसे अपनी लाल ख़ूनी आँखों से घूरने लगे| एक विशालकाय छिपकली ने अपनी लपलपाती जीभ उसकी तरफ की और उसकी तरफ बढ़ने लगी|

तभी उसे उन लाशो के ढेर के दूसरी तरफ पूजा की आवाज आई – “पापा बचाओ मुझे, मेरा दम घूंट रहा है यहाँ|”

“हाँ मैं तुम्हे बचाऊंगा.... पर....” अखिल ने अपने सामने बढ़ रहे उन हिंसक भेडियों और छिपकलियों को देख कर कहा|

पर अगले ही पल पूजा वहां से गायब हो गयी| तब अखिल को समझ आया कि ये सब हो न हो शैतान का ही मायाजाल है जो मुझे पूजा तक नहीं पहुंचने देना चाहता, अगर मैं इसी मायाजाल में उलझा रहा तो मैं कभी पूजा तक नहीं पहुँच पाऊंगा और मेरा मकसद पूरा नहीं हो पायेगा, समय निकलता जा रहा है, हे भगवान!!! मेरी मदद करो...|”

नहीं..., ये पाताललोक है यहाँ शैतान से ही मदद मांगनी होगी|

यही सब सोचते हुए उसने जोर से चिल्ला कर कहा – “हे शैतानों के शैतान... मुझे तुमसे मिलना है, तुमसे समझौता करना है, मैं तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हूँ पर पहले मुझे इस मायाजाल से निकालो|”

तब अचानक से वहां से सभी दृश्य बदलने लगे, सारी लाशें और भयानक जीव जंतु गायब हो गये|

उसने देखा कि वहां काला अन्धेरा पूरे आसमान में छाने लगा और उस अँधेरे से एक मानव आकृति बन गयी और फिर ज़ोर जोर से बिजलियाँ कड़कने लगी, वहां उसके सामने अब तांत्रिक खड़ा हुआ था|

“हा हा हा.... आखिर तू आ ही गया, बहुत समय लगाया तूने यहां तक आने में, मेरे मायाजाल ने तुझे मजबूर कर ही दिया| भगवान को छोड़ तुझे शैतान की शरण में आना ही पड़ा ....हा हा हा..... तुझे लग रहा था तू शैतान का सामना कर सकता है|” तांत्रिक ने अट्टहास करते हुए कहा|

“हाँ, क्योंकि मेरी बेटी भगवान के पास नहीं तुम्हारे पास है और मुझे मेरी बेटी वापस चाहिए| कहाँ है मेरी बेटी? बताओ ?” अखिल ने उसकी आँखों में आँखों डालते हुए कहा|

“तुम्हारी बेटी वो रही” – तांत्रिक ने उसे अपने हाथ से इशारा करते हुए कहा|

अखिल ने देखा – पूजा हवा में थी| और उसके शरीर में से खून की कुछ बूंदे नीचे टपक रही थीं जो कि जमीन पर रखे एक पात्र में गिर रही है जिससे किताब लिखी जानी थी और उसके चारों ओर अग्निकुंड से जल रहे थे जिनकी हल्की हल्की तपन से पूजा तड़प रही थी|

वो चिल्लाया “छोड़ दो मेरी बेटी को|”

“सोच लो..... तुम कहते हो तो छोड़ देता हूँ| ये कहते हुए उसने पूजा को छोड़ दिया|”

और पूजा नीचे की ओर गिरने लगी|

वो चिल्लाया – “पूजा|”

पूजा भी चिल्लाई – “पापा बचाओ|”

वो पापा बचाओ बचाओ की आवाज लगाये जा रही थी|

“हा हा हा! इसे इतनी आसान मौत नहीं मिल सकती, किताब पूरा करने के लिए अभी इसकी जरूरत है|”

“नहीं, नहीं ये क्या कह रहे हो तुम| किताब पूरी करने के लिए मेरी बेटी को तुम नहीं मार सकते, उसे जाने दो|” अखिल ने हाथ जोड़ते हुए कहा|

“इसे मरना ही होगा तभी तो इसे भविष्य से इस काल में लेकर आया हूँ| क्योंकि वो किताब अब तुम्हारे ही अंश के खून से लिखी जा सकती है और तुम्हे इसे पूरा करना ही होगा|” तांत्रिक ने उसे अपनी बड़ी बड़ी आँखों से डराते हुए कहा|

“पर अगर मैं लिखने से मना कर दूँ तो|” अखिल ने अपनी आवाज में गुस्सा लाते हुए कहा|

“शैतान को किसी की ना सुनने की आदत नहीं होती| तुम्हे इस काम को पूरा करना ही होगा|” तांत्रिक की आवाज में भी गुस्सा था|

“वरना.... तुम क्या करोगे? मुझे मारोगे ? अगर मैं ही नहीं रहा तो तुम किससे किताब लिखवाओगे? मैं खुद ही मर जाऊंगा|” अखिल ने उसकी आँखों में आँखे डालते हुए कहा|

“शैतान तुम्हे इतनी आसानी से नही मरने देगा|” - तांत्रिक ने कहा|

“पर हम एक समझौता कर सकते है|” – अखिल ने कहा|

कैसा समझौता ??

“तुम मेरी बेटी मुझे सौंप दो मैं तुम्हारे लिए वो किताब लिख दूंगा और तुम्हे मेरे अंश का खून चाहिए तो मैं अपने खून में पूजा के खून की कुछ बूंदे मिलाकर उस किताब को लिखूंगा, इससे इस किताब को लिखने की शर्त भी पूरी हो जायेगी|” अखिल ने तांत्रिक को समझाते हुये कहा|

“हा हा हा हा! मानना पडेगा तुझे....मुझे ये समझोता मंजूर है|” - तांत्रिक ने हँसते हुए कहा|

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