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सपनों का राजकुमार - 3

भाग 3

अचानक शलभ ने बाइक स्टार्ट कर ली। शायद उसका फोन समाप्त हो गया था। बाइक आगे बढ़ी तो रत्ना ने मुड कर देखा। उसे भी अपनी ओर ही देखते हुए पाया। मन ने फिर कहा, कौन हो तुम? बड़ा तालाब आकर रत्ना आइसक्रीम जरूर खाती थी तो शलभ ने आइसक्रीम कार्नर के पास ही बाइक रोकी। रत्ना का मन तो वहां था ही नहीं। उसकी आंख में बस वहीं चेहरा था। शलभ ने उसकी फेवरिट चॉकलेट कोन उसे दी। वह बिना कुछ कहे खाने लगी। आस पास कहीं गाना बज रहा था- ‘अजनबी कौन हो तुम, जबसे तुम्हें देखा है, सारी दुनिया मेरी आंखों में सिमट आई है’। …. पुराने गानों को बिल्कुल न पसंद करने वाली रत्ना को लगा यह गाना तो सिर्फ मेरे ही लिए लिखा गया है। वह गाने में खो सी गई।

पिघल रही है सारी आइसक्रीम। लग गया ड्रेस पर कहां ध्यान है तुम्हारा। शलभ ने टिश्यू से उसके शर्ट पर गिरे आइसक्रमी को पोछते हुए पूछा।

रत्ना ने देखा, आइसक्रीम पिघल कर कुछ नीचे जमीन पर, कुछ उसके शूज में और कुछ उसकी शर्ट में लगी थी। टेस्ट अच्छा नहीं है। उसने बहाना बना दिया।

हर बार पसंद आती थी। आज क्या हो गया?

कुछ नहीं भइया देख कितना अच्छा गीत बज रहा है। रत्ना ने आवाज की दिशा में देखते हुए कहा।

गीत? शलभ ने समझने की कोशिश की फिर कहा, ये तो ओल्ड सांग है। तु आज बजाने वाले को कोसने की जगह इसे अच्छा कह रही है। क्या हो क्या गया है तुझे? आज किधर से निकला था सूरज? मम्मी को भी बताना पड़ेगा। वह हंसा।

देख मारूंगी, मेरा मजाक मत बना। आज पहली ही बार तो सुन रही हूं। अच्छा लगा तो बोल दी।

अच्छा चल बोटिंग करते हैं, शलभ ने मनाया।

नहीं, यहीं कहीं बैठो।

पागल है? यहां कहां बैठेंगे। चल झील को देखते हैं। कहता हुआ वह आगे बढ़ गया।

गुस्सा करती, रत्ना भी आई। उसे डर था उस तरफ जाने के बाद गाना सुनाई नहीं देगा।

पर, ये क्या जैसे ही आगे बढ़ कर रेलिंग के पास पहुंची, थोड़ी ही दूर पर वही लड़का खड़ा था। रत्ना का दिल धक धक करने लगा। कौन है यह? यहां कैसे आ गया? क्या उसका पीछा कर रहा था? अगर भइया को पता चला तो इसे मार बैठेंगे। उसने सोचा वह उसकी ओर नहीं देखेगी। पर आंखों ने उसकी बात मानने से साफ इंकार कर दिया। वह बस रह रह कर उधर ही देखने लगी। यहां तक की उसने चेहरा ही घुमा कर उसकी ओर कर लिया और शलभ से बातें करने लगी। बातें वह वही सब कर रही थी जो हमेशा से शलभ के साथ उसकी होती थी। पर उसकी नजर और उसका सारा ध्यान अजनबी की ओर था। वह भी एक लड़के के साथ था और रत्ना की ओर चेहरा करके बात कर रहा था। उसकी नजर एक पल के लिए भी रत्ना के चेहरे से नहीं हट रही थी।

तभी उसने आंखों से झील की ओर इशारा किया और आगे बढ़ गया। रत्ना समझ गई की वह वोटिंग के लिए जा रहा है। उसने शलभ से कहा, चल वोटिंग करते हैं।

शलभ उन दोनों की भावनाओं से बिल्कुल अंजान था। बोला, अभी तो मना कर रही थी और अभी मन हो आया। खैर चलते हैं।

वह भी वोट स्टेशन की ओर चला। उस अजनबी ने शायद वोट वाले को कुछ कह रखा था। जिस वोट के पास वे लोग थे, वही वोट वाले भइया शलभ के पास आकर कहने लगे चलिए भइया हम तुरंत चल रहे हैं।

शलभ उसकी ही वोट में जाकर बैठ गया। वे दोनों भी बैठे। वह रत्ना के बिल्कुल सामने बैठा था। शलभ के कारण रत्ना की हिम्मत नहीं हो रही थी उसकी ओर देखने की। वह भी दिखा ऐसे रहा था जैसे वह सिर्फ अपने दोस्त के साथ ही है। उससे ही बातें कर रहा था पर वह चोर निगाहों से बीच- बीच में रत्ना की ओर देख लेता। वोट का टाइम पूरा हो गया था। सभी नीचे उतरे। उसने इस बीच कोई असभ्य हरकत नहीं की थी। पर इतनी देर में भी रत्ना को उसका नाम नहीं मालूम हो पाया था।

शलभ ने घर चलने की बात कही तो वह खोई- खोई सी गर्दन हिला दी। वापस वे लोग घर की ओर चले। रास्ते में उसे अजनबी नहीं दिखा। उसके मन में गीत बजने लगा, ‘अजनबी कौन हो तुम…’.।

घर आकर उसने हर बार की तरह मम्मी को गले नहीं लगाया। सीधे अपने रूम में चली गई। कपड़े बदल कर आइने के सामने आई। पर ये क्या आइना आज उसका अक्स दिखा ही नहीं रहा था। आइने में तो उसे वह अजनबी नजर आया। कभी मुस्कुराते हुए, कभी बालों में हाथ फेरते हुए, कभी नजरे मिलाते हुए, कभी वोट स्टेशन की ओर चलने का इशारा करते हुए। रत्ना की समझ में नहीं आया। ये क्या हो रहा है। इस आइने में उसकी तस्वीर क्यों दिख रही है जबकि वह यहां है ही नहीं। बिस्तर पर लेट कर वह उन पलों को फिर से जीने लगी। इतने लड़के क्लास में, स्कूल में हैं। इतने लड़के बाहर दिखते हैं पर कभी वो नहीं लगा जो आज लगा। कैसे धड़क रहा था दिल? हे! तुम कौन हो, तुम कौन हो, तुम हो कौन?? उसके मन ने कहा ।

रत्ना क्या हुआ बेटा, तबियत ठीक नहीं है क्या? मम्मी को उसका व्यवहार बदला हुआ लगा। न वह कंधे से झुली थी न ही बाहर आकर घूमने के बारे में बता रही थी, इसलिए वे कमरे में आ गई उसे देखने।

नहीं, थोड़ी देर लेटने भी नहीं देता कोई मुझे इस घर में, रत्ना ने बनावटी से गुस्से से कहा और चेहरा ढंक लिया।

चल उठ, छुप जाती है, चुप हो जाती है तो घर सूना- सूना लगता है, कहते हुए मम्मी ने उसके पेट में गुदगुदी की।

रत्ना हंसते हुए मम्मी की गोद में आ लेटी।

बता आज क्या हुआ झील के किनारे? शलभ कह रहा था तुझे पुराने गीत पसंद आए, कौन सा गीत था बता जरा। मम्मी ने उसे प्यार करते हुए पूछा?

रत्ना असमंजस में पड़ गई। मम्मी को उस गीत और अजनबी के बारे में बता दे? वह तो मम्मी को स्कूल की, सहेलियों की, सीरियल की, फिल्मों की हर बात बता ही देती है फिर अजनबी के बारे में भी बता देना चाहिए क्या? कहीं मम्मी ये न कह दे कि वो तुझे देख रहा था तो तुने शलभ को क्यों नहीं बताया, वह वहीं उसकी धुलाई कर देता। ईव टीजिंग को छुपाना या सहना नहीं चाहिए। मम्मी ने पहले ही कई बार समझाया था। तो क्या यह ईव टीजिंग थी? कहीं बताने से भइया ही जाकर न उसकी पुलिस से कंप्लेन कर दे। उसकी आंखो में हथकड़ियों में जकड़ा अजनबी तैर गया। वह सहम गई। देख तो मैं भी उसे रही थी तो क्या उसके घरवाले मेरी भी पिटाई कर देंगे, मेरी थाने में रिपोर्ट कर देंगे?