परम माननीयl डॉ ललित किशोरी शर्मा जी वंदन अभिनंदन
आपके चिंतन की धरोहर ----कालिदास के काव्य में सौंदर्य विधान---नामक पुस्तक पठन हेतु प्राप्त हुई पठन के दौरान बहुत सारे नवीन चिंतन साहित्य गत विशेषताएं लिए मिले वैसे तो काव्य कला का सच्चा और सार भूत दिग्दर्शन आवरण पृष्ठ की मनोहारी अलौकिक झांकी चिंतन ही अद्भुत धरोहर होकर पुस्तक की संपूर्णता से ओतप्रोत है। सच में जीवन चिंतन का अनूठा सा निनाद है बृहद काय पुस्तक की नैसर्गिक सूक्ष्मा झांकी है।'आभार प्रकाश की तथा भूमिका भी स्व धन्य है भाषा। सौंदर्य और सौष्ठव ही पुस्तक की सच्ची समीक्षा प्रतीत होती है पुस्तक के अष्ट सोपानो में काव्यगत विवेचन और विश्लेषण मार्मिकता लिए हुए हैं आपने कभी कुलभूषण कालिदास कृत संपूर्ण साहित्य पर बड़ी ही सुख दृष्टि से काव्यगत अनुशीलन किया है आपके द्वारा क्रम की परिधि में चिंतन के विस्तार को भारतीय तथा पाश्चात्य दृष्टिकोण ओं के मंतव्य से अनूदित किया है सोपानो का क्रम मनोहारी होकर हृदय ग्राही है यथा काव्य मैं गृहीत सौंदर्य और रसान भूति, सौंदर्य के उपादान सौंदर्य संबंधी तत्व ,प्राकृतिक सौंदर्य, मानवी सौंदर्य निरूपण ,शारीरिक सौंदर्य तथा सौंदर्य अधिकारिक गुण एवं उप संहार। इन सोपानो के अंतर्गत सौंदर्य बोध की गहनता व संवेदनशीलता तथा जीवन में उसकी आवश्यकता उपयोगिता का अत्यंत सटीक विश्लेषण किया गया है इसके अतिरिक्त नाट्यशास्त्र व अन्य ग्रंथों के आधार पर शारीरिक सौंदर्य के मानदंडों का भी उल्लेख किया गया है भारतीय तथा पाश्चात्य सौंदर्य शास्त्रीय ओके विचार के साथ ही सौंदर्य द्वारा प्राप्त होने वाली रस अनुभूति का हो गया अत्यंत ही मार्मिक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है
उपर्युक्त सोपानो द्वारा अंतर्मन की गहन संवेदना ओं को कुशल एवं मार्मिक वास्तुकार की भांति उकेरा गया है भाषा और शब्द संरचना विधान के साथ भावों की गहनता अनुपम बंद पड़ी है जिसका भवन कन तथा चित्रांकन चित्रण रघुवंश, कुमारसंभव मेघदूत ,ऋतुसंहार ,अभिज्ञान शाकुंतलम् ,मालविकाग्निमित्रम् तथा विक्रमोरवाशियम मैं सुंदर कल्पना ओ ,उपमा ओ अलंकारों तथा प्रकृति का मनमोहक चित्रण हृदय ग्राही है आपकी संप्रेष्णीय भाषा का निनाद चिंतन की सारगर्भित था आनंद उत्प्रेरक है जो आपको प्रदत्त सामानों की मूक गवाही है आपने कई स्थानों पर अनछुए प्रश्नों को वे वाक रखा है यथा सौंदर्य का स्वरूप निश्चित करना और समझना ही नहीं है बल्कि वह एक तरल भंगुर और वह मूर्ति आभास सा भी है जिसे परिभाषा की सीमाओं में आमद नहीं किया जा सकता है। आपने जीवन मार्ग की उलझन ओ और संकीर्ण पगडंडियों को भी सुलझाने का प्रयास किया है यथा --एकांत विलन भली-भांति परीक्षा कर लेने के बाद ही करना चाहिए अन्यथा जिसके हृदय को भली बात नहीं पहचाना है उसके प्रेम का अंतर में ही होता है। योवन की अनूठी परिभाषा देकर समझाने का अनुपम प्रयास भी किया है यथा--- योवन शरीर रूपी लता का नैसर्गिक श्रृंगार है । मदिरा के समान ही मन को मत वाला बनाने वाला है तथा कामदेव का बिन फूलों वाला बाण है
उपर्युक्त चिंतनों से कालिदास के साहित्य को निकट से देखा और परखा है जो आपके गहन चिंतन और मनन की मनोरम झांकी कालिदास के काव्य सौंदर्य विधान में भली-भांति देखी जा सकती है
अतः कलम की नुकीली धार को वंदन आपके चिंतन मनन और काव्य अनुशीलन का अभिनंदन धन्यवाद
कलम का आभारी वेद राम प्रजापति
मन मस्त पता गायत्री शक्तिपीठ रोड
गुप्ता पुरा डबरा
ग्वालियर