अदिति कर कुणाल के मुह से निकला 😲"देव भाई"।
देेेव उस आदमी को घूर के देेेख रहा था😡 ।उसकी आंंखें गुस्से से लाल हो रखी थी। उसने कहा ; तेेरी
इतनी हिम्मत ,तूने मेरी बहन को चोट पहुुँचाई।ओर उसे मारने लगा।फिर कुछ गुंडो ने उसे रोकना चाहा तो उसने उसे भी धो दिया था।जिसने शीवांगी को चाकू मार था देव ने उसे तो इतना मार मारा की वो बेहोश ही हो गया था।पर देव उसे छोड़ना नही चाहता था उसे मारे ही जा रहा था।तभी पुलिस की साइरन की आवाज आई ।बाकी के गुंडे भागने लगे कि कुणाल,अदिति ओर शीवांगी ने उन्हें रोक लिया।तभी पुलिस जीप देव की उम्र का लड़का जिसने पुलिस यूनिफार्म पहन रखी थी।उसने देव को पकड़ा और जोर से चिल्ला के कहा; देव..!Leave him dam it ..| मर जाएगा वो।
देव ने उसे बिना देखे कहा ,छोड़ मुझे अमन..,ये तो मरेगा ही आज.,how dare he touch my sister ,leave me! I will kill that basterd ..|
अमन ने उसे दूर कर वहां की सिचुएशन संभाली।अमन ने गुंडो को कॉन्स्टेबल के साथ जीप में बैठा के पोलिस स्टेशन भेज दिया।और उस बेहोश आदमी को हॉस्पिटल भेज दिया।(अमन- देव का दोस्त और कुणाल का बड़ा भाई ।ये यहा के acp है।)
देव अभी भी गुस्से में था ।उसने शीवांगी का हाथ पकड़कर गाड़ी में बैठाया।इस के साथ सभी घर के लिए निकल गए।घर जाके देव को देख सब डरे हुए थे।देव ने शीवांगी को सोफे पे बिठाया।ओर फर्स्ट एड लाके घाव पर पट्टी कर रहा था।अदिति ने कहा, मैं...!
देव ने उसे गुस्से में देखा तो वो डर गई।
में घर चलती हु।बड़ी मुश्किल से उसके गले से ये शब्द निकले ।वो फटाक से घर चली गई।अमन ने भी कुणाल को घर भेज दिया।
शीवांगी ने देव को देखा जो अभी भी गुस्से में था।ड्रेसिंग के बाद देव कुछ कहता उससे पहले ही शीवांगी कान पकड़कर उठक - बैठक करते हुए बोल ने लगी।
Sorry..,sorry !अब नही होगा। पर वो गलती हमारी नही थी।हमे कुछ नही हुआ हम ठीक है।भाई !! Sorry ,sorry,, sorry।।
देव ने उसे रोक दिया।और हाथ कान से हटा दिया तो।शीवांगी उसके गले झट्ट से लग गई।रुंधे हुए गले से बोली:-चोट इतना दर्द नही दे रही,भाई!जितना आपका गुस्सा दे रहा है।प्लीज..,वो रोने लगीं😭।ये देखकर अमन ने कहा , रुला दिया..,ना।मेरी बहन को अब खुश..,गधा!
उसने शीवांगी को देव के पास से अपनी ओर लेके उसे चुप कराने लगा।चुप करो बच्चा, आप की कोई गलति नही है।वो लोग गुंडे ही थे।अब ,चुप करो।मेरा बच्चा।मेरी गुड़िया।
देव ने शीवांगी को रोते हुए देखा तो उसका गुस्सा छू ही हॉ गया।उसने अमन से शीवांगी को लगभग छीनते हुए कहा।ये मेरी बहन है।ओर शीवांगी के आँसू पोछकर गले लगा के कहा,sorry !सोना ,बहुत गुस्सा किया न हमने।हम जानते है आपकी गलती नही है।हम्म,चलिए जाइये ओर सो जाइए चोट लगी है ना आपको।आराम कीजिये उसने शीवांगी के माथे को चूमते हुए कहा।
शीवांगी मुस्कुरा दी और बोली ;-गुड नाईट भाई! गुड नाइट अमन भाई।। वो चली गई।
तभी अमन ने देव से कहा ,तू ठीक है.
हा, चल बात करते है।में चाय बना के लाता हूँ।
अमन बेठ गया।कुछ ही देर में देव चाय बनाके ले आया।अमन:-तो सब ठीक चल रहा है लाइफ में।
देव:-हा, हा, तुझे कहा याद आती है?दोस्त की।
अमन:-नाराज क्यों हो रहा हैं?तुजे पता है ना duty comes first।
देव:-ये ,तो है।😃
अमन:-वैशे भी मेरी नजरो से देख मेरे दोस्त ।गलती हमारे प्रोफ़ेशन के है।
देव:- वो कैसे??
अमन:- देख ना,तू डॉक्टर और में पुलिस ।दोनों फसे पड़े है।एक पेशेंट में एक क्रिमिनल्स में।हां.., हां😂😂
देव को भी हँसी आ गई।
कुछ देर बाद चाय खत्म करके अमन ने कहा देव मुझे आज तो शीवू का सच जानना ही है।उसकी बात पे देव ने कहा,शशश!! तुझे कितनी बार कहा है ये बात मत छेड़ा कर।अमन ने कहा;देख आज में इसी बारे में तुझसे बात करने घर पर आ रहा था।पर रास्ते मे कुणाल का मैसेज आया उसने danger लिख के अपनी लोकेशन भेजी थी।फिर तो तुझे सब पता है।पर आज मुझे सब जानना ही है।देव ने चल स्टडी में बात करते है।स्टडी रूम में जाके देव ने दरवाजा बंद कर दिया।फिर बेठ कर कहा,क्या जानना है तुझे?
अमन:-यही की शीवू तेरी सगी बहन नही है।right।
तो वो कोन है?ये बात शीवू को पता है?तुझे पता है उसकी असली पहचान और फैमिली के बारे में?वो एक सांस में बोले ही जा रहा था।
देव उसे रोकते हुए:-बस भी कर!कितने सवाल पूछेगा।सांस भी लेले।
अमन:-जब से तुझे ओर पापा को बात करते हुए सुना है ना कि शीवांगी तेरी असली बहन नही है।सच बोल रहा हु, चैन ही नही पैड रहा है,यार।सच बता देना..!दोस्त हु तेरा ओर शीवू का भाई भी इस नाते हक बनता हैं मेरा।समझा।
देव:-ठीक है।बताता हूं।पर तु बीच मे कुछ नही बोलेगा।देव ने आर्डर देते हुए बोला।
अमन ने मुह पे उंगली रखे अंगूठे👍 से इशारा कर दिया।
(FLASHBACK--देव की झुबानी)
20 साल पहले मा-पापा की डेथ के बाद में सदमे में चला गया था। ये बात राजेश अंकल को पता थी।राजेश अंकल हमारे वकील ओर पापा के बहुत अच्छे दोस्त थे।पापा की विल के मुताबिक मेरे 21 साल के होने तक वही मेरे गार्डियन भी थे।राजेश अंकल मुझसे बहुत प्यार करते थे।वो मुझे हँसाने की,खेलानी की कोशिश भी करते थे पर मुझ पे कोई असर नही हो रहा था।में था भी तो 10 साल का बच्चा ही।कुछ 25 दिनों बाद राजेश अंकल ने अस्सी घाट वाले मंदिर में पूजा रखवाई थी।वो मुझे वहां ले कर गए क्योंकि पूजा मेरे ही हाथों होनी थी।हम वहा पहुंचे पूजा भी हो गई।पुजा खत्म होते होते शाम हो गई थी।कुछ 9 बजे होंगे शायद पर बरसाती माहौल था।तो सब जल्दी जा चुके थे में ओर राजेश अंकल सब समेट ही रहे थे कि तब वहां एक आदमी भाग के आया,जो बहुत हांफ रहा था।शायद भागता हुआ आया था।जगह -जगह घाव ,खून ,कपड़े भी कही कही फटे हुए और हाल से पूरा बेहाल लग रहा था।उसकी डर और गभराहट से भरी आंखे इधर उधर कुछ ढूंढ रही थी।उसी की गॉद में प्यारी सी एक बच्ची थी,कुछ खरोंचे उसके शरीर पर भी थी।पर वो शायद नींद में थी या बेहोश..,राजेश अंकल कुछ कहते उससे पहले ही वो महादेव की मूर्ति की पीछे चला गया।मे तो उसे देखकर डर से राजेश अंकल को लिपट ही गया।उन्होंने मुझे गॉद में उठाया और मूर्ति की तरफ चले गए पर वहा कोई नही था।तभी घाट की ओर से कुछ गाड़ियों की ओर गोलियों की आवाज आई।राजेश अंकल मुझे लेके उस ओर बढ़ गए।हम सामने का नजारा देख हैरान ही हो गए,कुछ आदमियों ने उसी घायल आदमी को पकड़ रखा था।और सामने एक ओर आदमी जो कि नकाबपोस था।वो गन लेके खड़ा था।उसने गन ताने रखी थी।में ओर राजेश अंकल थोड़े दूर थे तो क्या बाते हो रही थी ये नही पता।तभी अचानक उसने गोली चला दी।राजेश अंकल ने मुझे घुमाकर कस के गले लगा दिया।वो लोग गाड़ियों में बैठ कर निकल गए।सब इतनी जल्दी में हुआ कि कुछ समझ नही आ रहा था।राजेश अंकल घाट की तरफ गए।अब भी उस इंसान में जान बची थी।राजेश अंकल ने मुझे नीचे उतारा और उस आदमी को उठाने लगे।तभी उस इंसान ने राजेश अंकल के कान में कुछ कहा और हाथ मे कुछ दे दिया।राजेश अंकल ने मुझे वापस गोद मे उठाया और मंदिर में आ गए।वो वहा कुछ ढूंढ रहे थे शायद ।तभी मेरी नजर महादेव की मूर्ति पर गई।वहां से वही छोटी बच्ची मेरी तरफ बढ़ कर आ गई,में उसके सामने नीचे बैठ गया तो उसने अपने छोटे -छोटे हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिए मेरे गाल पे लगाते हुए वो अपनी तोती झुबान से बोली ; भैया.!हम थेल जीत गए ना।अब वो धंधे धंधे लोग नही आएंगे ना।उसकी टिमटिमाती हुई प्यारी आंखे मुझे ही देख रही थी।तभी वो बच्ची बेहोश होकर गिर गई।राजेश अंकल ने ये देख लिया उन्होंने अचानक साल निकल ली उस बच्ची को ओढा दी ओर गोद लेके मुझे साथ लेकर वो जल्दी से घर आ गए।उन्होंने doctor को भी बुला लिया।कुछ देर बाद डॉक्टर आये और बच्ची को चेक कर राजेश अंकल से बात करने लगे।
डॉक्टर:-देखिए!खरोंचे और चोटे ज्यादा गहरी नही है।पर लगता है बच्ची ने दो-तीन दिन से कुछ खाया नही है।इसलिये कमज़ोरी की वजह से बेहोश हो गई।उसका ख्याल रखे।वो चले गए।तभी मेने राजेश अंकल से पूछा;सोना को क्या हुआ है?मेरी बहन को क्या हुआ है अंकल?राजेश अंकल मुझे हैरानी से देख रहे थे।करीब 25 दिन बाद में कुछ बोला था वो खुश भी थे पर उतने ही हैरान भी।उन्होंने मुझसे पूछा:-कोन सोना?कोन बहन देव?मेने उन्हें उसी बच्ची को दिखाके कहा:-वो उसने ही मुझे भाई कहा था..,ना!वो मेरी बहन है उसे क्या हुआ है।राजेश अंकल को समझ ही नही आया कि वो मुझे क्या कहे।उन्होने मेरे सिर पर हाथ फेर के कहा,कुछ नही बेटा!जाओ सो जाओ।में उसी बच्ची के पास चला गया।फिर राजेश अंकल ने अधिवेश अंकल यानी के तेरे पापा जो कि उस वक्त यहा के acp थे उन्हें बुला लिया।और सब बात बता दी,अधिवेश:-ठीक है।में कुछ दिनों में पता करके बताता हूं कि माज़रा क्या है।वो ये कहके चले गये।इधर ६-७दिन बीत गए।इन दिनों में सब से ज्यादा मुझमे बदलाव था।में फिरसे हँसने लगा था,खेलने लगा था,बाते करने लगा था।सिर्फ सोना की वजह से वो मुझे चैन लेने नहीं देती थी।भाई ये ,भाई, वो सारा दिन मुझे बीझी रखती थी।ये सब राजेश अंकल ने देखा था,खास की मेरे अंदर आये हुए बदलाव।वो भी खुश थे कि मेरे सदमे से बाहर आ रहा हूँ।एक दिन अधिवेश अंकल मिलने आये।उन्होंने राजेश अंकल को जो पता लगा पाए थे उसके बारे में बताया।
अधिवेश:-देख,राजेश !मुझे पता चला है कि वो लोग यहा के नही थे ओर नाही ये बच्ची ।किसी ओर जगह से थे शायद पर हां थे उस बच्ची के पीछे ही उन्होंने एक अनाथाश्रम भी जला दिया इस वहम में की शायद ये बच्ची उस मे है।
राजेश:-अब क्या करे?
अधिवेश:-मेरी मान तो उस बच्ची को किसी अनाथाश्रम में छोड़ दे,वैसे भी कुछ पता नही चला और कब तक यहा रखेगा इसे ।मेने ये आखरी बात सुन ली थी।
मेने राजेश अंकल से कहा:-मेरी सोना कहा जा रही है?क्यों जा रही है।में भी उसके साथ जाऊंगा।है ना,राजेश अंकल..,बताओ ना।
राजेश अंकल ने मुझे सोफे पे बैठा दिया फिर उन्होंने मेरे सामने बैठ के कहा:-किस ने कहा कि आपकी सोना कही जा रही है? आपकी सोना आपके पास ही रहेगी पर..,एक बात पूछनी है हमे आपसे आप बताएंगे हमे.।
मेने हा में सर हिला दिया।तो राजेश अंकल मुस्कुरा दिये।
राजेश अंकल:-आप सोना क्यों कहते है,अपनी बहन को?
देव:-मा ने कहा था जब हमारी बहन आएगी हम उसका नाम सोना रखेंगे।तो वो तो आ गई हमारी सोना।।
राजेश अंकल ने कहा , वो तो आपकी मा ने प्यार से रखा होगा पर उनका नाम सोना नही है,उनका सच्चा सच्चा वाला नाम तो शीवांगी है।
देव:-सच्ची अंकल ,पर में तो सोना ही बुलाऊंगा।कहते हुए में भाग गया और राजेश अंकल हँस दिये।मेरे जाने के बाद अधिवेश अंकल ने कहा इस का मतलब भाभी मा बनने वाली थी,ओर..,
राजेश:-हा, उस एक्सीडेंट में देव ने सिर्फ अपने माँ-बाप को ही नही अपनी होनेवाली बहन को भी खो दिया।में ये तो नही जानता अधिवेश की वो बच्ची कोंन है?ये भी नही पता ये सही है गलत बस इतना पता है देव बहुत खुश है ।उस बच्ची ने देव को सदमे में जाने से बचा लिया।मैने अपने दोस्त से वादा किया था,में उसके बेटे को हर खुशी दूंगा ओर अपना बेटा बनाके रखूंगा।अगर मेरे बेटे की खुशी उसकी बहन में है तो यही सही।माफ,करना महादेव पर इस वक्त मुझे यही सही लग रहा है।अधिवेश अंकल चले गए,अभी कुछ 3 सालों पहले ही मुझे पता लगा की राजेश अंकल नही रहे।ये बताने के लिए ही तुम्हारे पापा यानी कि अधिवेश अंकल ने मुझे घर बुलाया था।उन्होंने मुझे ये भी बताया कि उस मरते हुए आदमी ने राजेश अंकल को लॉकेट दिया था और कहा था कि वक्त आने पर यही सोना की पहचान बनेगा तबतक वो उसे संभाल ले।
(FLACHBACK END)
मतलब..!पापा को शीवू की असली पहचान के बारे में अमन ने कहा।
देव:-शायद नही।
अमन:-अच्छा देव तू बुरा न माने तो क्या वो लॉकेट देख सकता हूं।
देव एक ड्राअर से लॉकेट निकाल के उसे दिया।अमन उसे बहुत गोर से देखते हुए बोला;देखने मे तो किसी राजमोहर या राजमुद्रा जैसा है,खानदानी लगता है।उसने जैसे ही लॉकेट पलटा उसके पीछे कुछ पड़के उसने कहा देव..!
तभी देव ने कहा:- पता है मुझे की शीवांगी का नाम लिखा हुआ है ।शायद इसलिए राजेश अंकल ने मुझे यही नाम बताया था।
अमन:-हम्म. ,शीवांगी उसका असली नाम है।देव तुझे शीवू की बताना चाहिए।जसे ही अमन ने ये कहा
देव 😡ने चिल्ला के कहा;नही बिल्कुल नही ना में बताऊंगा नही तू कुछ बताएगा।
अमन:- देख ,गुस्सा मत कर पर ठंडे दिमाग से सोच,हो सकता हैं कि उसकी फैमिली उसे ढूंढ रही हो।क्या होगा जब कोई उसे ढूंढता हुआ यहां आएगा तो।ओर शीवू से भी हक़ है खुद के बारे में जान ने का।
देव:-बस..,आजतक कोई आया क्या? नही ना..आगे भी कुछ नही होगा।
अमन समझ गया कि इस वक्त कोई फायदा नही होगा कुछ कहने का।उसने हँसते हुए कहा :-ठीक है मेरे यार जैसे तू चाहे बस,अब गुस्सा छोड़ मुस्कुरा दे यार।😉
देव हल्का सा मुस्कुरा दिया।अमन ने कहा चल चलता हूँ।देव ने घड़ी देखते हुए कहा ,4 बजने वाले हैं इधर ही सो जा सुबह चले जाना।अमन मांन गया।वो कमरे में चला गया।और देव शीवांगी के कमरे में गया वो सो रही थी देव उसके पास बैठ गया।शीवांगी ने जैसे ही करवट ली उसका सिर देव की गोद मे आ गया।देव ने उसके सिर को सहलाते हुए कहा;कैसे आपको खुद से दूर करदे ..,सोना!कैसे बाताये सच?डरते है,अगर आप छोड़ के चली गई तो हम फिरसे अनाथ हो जाएंगे।अमन ने तो आज कहा है पर आपको खोने का डर कब से है हमारे दिल मे ।पता नही सही क्या है और गलत ।बस इतना जानते है कि अभी आपको कुछ नही बताना हमे।हम आपके भाई है और आप हमारी बहन। बस..,बात यही खत्म!!उसने वही दीवाल से सर टिका दिया।कुछ देर में वो भी नींद की आगोश में खो गया।सुबह जब शीवांगी उठी तो उसने देव को देखा वो मुस्कुरा दी,ओर मैन में ही बोली; कुछ तो है भाई जो आप हम से कह नही पा रहे या फिर छुपा रहे है!पर..,क्या? बस यही नही जानते।पर हमें विश्वास है आप पर सही वक्त आने पर आप खुद हमे बता देंगे।वो नहाके मंदिर चली गई।महादेव के दर्शन के बाद वो घाट पर ही बेठ गई।
..............बाकी अगले भाग में.....।