(Rajasthan)-
रेत के टीलों के बीच बहुुुत सारी गाड़िया खड़ी थी।एक आदमी किसी दूसरे आदमी का कोलर पकड़ पूछता है,बता 20 साल पहले उस बच्ची को कौन उठवाना चाहता था।तभी एक आवाज ओर आई ,कुंवरसा! वो उस आदमी को होश आया गया।वो कोमा से बाहर है।चलिए।अचानक उसने कोलर छोड़ दिया।और सारी गाड़िया फटाफट वहां से निकल गई।
(रतनगढ़ का महल)-
रुद्राक्ष ने देखा सुमित्राजी खाने का थाल ले के वहा आई थी,रुद्र ने देखते हुए कहा,क्या मासां?आप को क्या जरूरत थी खाना लाने की किसी के हाथ भिजवा देते।समित्राजी ने कहा:-आदित्य के जाने से आप उदास होंगे यही सोच के आप को खाना खिलाने आये थे ।पर..,आप तो उदास नही लग रहे हैं।रुद्राक्ष सुमित्राजी के ऐसे बोलने से झेप गया वो बोल पड़ा:-हा., वो,में तो आदित्य से ही बात कर रहा था।मासां तो उदासी कैसे?
सुमित्राजी:-हा तो ठीक है,आप हमें सफाई क्यों दे रही है।रुद्राक्ष को कुछ सूझ नही रहा था उसने कहा ,बहुत भूख लग रही है।वो खाना खाने लगता है।खाना खत्म करने के बाद वो सुमित्राजी के पास बैठा था।तभी सुमित्राजी ने कहा:-एक ओर बात है ,जो बतानी थी हमे।
रुद्राक्ष:-जी..,कहिये ना मासां,,
सुमित्राजी:-कल, शिवराज जी और उनका परिवार आने वाले है,वो..,शीवांगी..,वो आगे कुछ कहती उससे पहले ही रुद्राक्ष ने गुस्से😤:-मुझे उन लोगो से कुछ लेना देना नही खास करके उस लड़की,I don't care about her कितनी बार कहा है ,मैने आपसे मासां मुझसे इस बारे में बात मत कीजिये ओर करनी हो तो अपने पति और बड़े ठाकुरसा से करे।
सुमित्राजी चिल्ला के:-रूद्र.!वो आपके पिता है।
रुद्राक्ष कुछ सुनना नही चाहता था वो फुर्ती से कमरे के बाहर निकल गया।गुस्से में कार चला के चला गया।पर ये बात सोनाली ने भी सुन ली थी।सुमित्राजी ने कहा,कब आप समझेंगे रूद्र,!शीवांगी की कोई गलती नही है।फिर सिर झटक वहा से चली गयी।
पर सोनाली के मन मे बहुत सवाल आ गए थे ,वो उससे झुझते हुए किचन में आ गई।उसने वीना को देखा तो सोचा शायद ,वीना को पता हो ।वैसे भी वो तो मुझसे पहले शादी करके आई हैं., ना!।तभी वीना ने उसे देखते कहा:-क्या हुआ भाभीसा? आप यहा ,इतनी रात गए कुछ चाहिए था।
सोनाली:-नही पर क्या में अपनी जेठानी से बात भी नही कर सकती क्या।
वीना ने हाथ साफ करते हुए :-क्या आप भी भाभीसा ,माना कि की रिश्ते में बड़े है पर उम्र में तो छोटी ही हु।आप मुझे वीना ही कहिये।
सोनाली चलो छत पर चलते है ।फिर आराम से बाते करते है।दोनो छत पर गई वहा एक झूला ओर कुछ चेयर्स थी।वो दोनों बेठ के बाते करने लगी।
सोनाली:-अच्छा ,वीना तुमसे कुछ पूछे?
वीना:-पूछिये ना ,भाभीसा।
सोनाली:-ये रुद्राक्ष भैया पापा से नाराज क्यों रहते है?
मेने देखा है वो बड़े ठाकुर कहते है ना कि पापा।क्यों.?
वीना:-ये तो मुझे भी नही पता बस इतना पता है ।पंद्रह साल पहले कुछ हुआ था बाप बेटे के बीच।
सोनाली:-हम्म..,ये शीवांगी कोन है?उसका क्या है?
वीना:-ज्यादा नही पता पर ये पता है,वो जैसलमेर के हुक़ूमसा है ना!बड़े पापा के दोस्त शिवराजजी उन्ही की बेटी है।
सोनाली:-पर वो तो कही बार हमारे घर आ चुके है ,मेने तो उनकी बेटी को नही देखा।
वीना:-अरे,होती तो दिखती ना।वो तो 20 साल पहले ही खो गई है।रुद्राक्ष भैया उससे भी गुस्सा करते है ,नाम तक सुनना पसंद नही करते।
सोनाली:-हम्म,!मतलब ये सब 20 साल पहले के राज है।तभी पीछे से आते आरिश ने कहा:-हा, ओर तुम्हे इनसे दूर रहना चाहिए।आरिश को देखकर वीना वहां से चली गई।
आरिश ने सोनाली को समझते हुए कहा:-देखो,सोनाली जब जो होना है तब वो होगा ।मेरी बात मानो वक्त आने पे सब पता चल जाएगा।कही ऐसा ना हो कि राज के चक्कर मे तुम किसी को दर्द दे बेठो।चलो,बहुत रात हो गई।सोना चाइये हमे।वो दोनों चले गए।
इधर रुद्राक्ष ग़ुस्सेमे कार ड्राइव करते ही बोल रहा था:-i just hate u shivangi,!तुम नही जानती तुमने मुझसे वो छीना है ,जो मुझे सबसे प्यारा था।गुम हुई हो ना मिलना भी मत वर्ना मुझसे बुरा कोई नही होगा।कितनी नफरत करता हूँ तुमसे।तुम नही जानती।उसने स्टीयरिंग विल्ह पर अपना हाथ दे मारा।
रात के अंधेरे में सब खामोश हो गया।शिवाय सब के मन के।।
(बनारस)-
शीवांगी मंदिर में बैठी अपने महादेव से बाते कर रही थी। thank you!🙏🙏mahadevji आप हमारे सच्चेवाले दोस्त है।आपने हमें hint तो दे दिया,पर पता है क्या,ये बात हम रुद्र को नही बताएंगे कि हम उनका नाम जानते है।थोड़ा और जान ले हम इस रुद्र को...!अच्छा चलते है collage भी जाना है आपकी दोस्त को ।वो सिर झुका के बाहर की ओर चल दी जहा, अदिति उसका पहले ही इंतेज़ार कर रही थी।अपनी मानेक ओर अदिति के साथ collage चली जाती है।
रुद्राक्ष भी जल्दी तैयार हो के आफिस चला जाता है।
(दिल्ली)-
DOCTOR'S SEMINAAR चल रहा था।तभी एक बहुत बड़े डॉक्टर ने ,देव का मेडिकल कम्प का आईडिया सब के साथ सेर किया।सब ने बहुत प्रसंशा की ओर अपनी अपनी सहूलियत के अनुसार वो भी कैम्प करेंगे ये कहा।कुछ देर बाद सेमिनार खत्म हो गया।सब खाना खाने चले गए।
एक लड़का सामने किसी से टकराया तो उसकी कटोरी से थोड़ी दाल उस पर गिर गई।
उसने झट्ट से बोला😱:-ओह्ह.,shitt!,I am so sorry..,sir उसने उसकी तरफ देख फिर से बोला:-i am really really sorry..,Mr..?
Dev..,Dr.dev Ahuja उसने जवाब दिया।वैसे थोड़ी गलती तो मेरी भी थी। Mr..?
Aditya.,Dr.aditya deewan.! उसने जवाब दिया।
देव :-i am also sorry.dr.aditya
आदि:-नही,सर गलती मेरी थी।
देव :-its ok आदित्य। वो दोनों बाते करने लगे ।फिर दोनो अलग होते है।
आदित्य:-ok, देव सर आपसे मिल के बहुत अच्छा लगा।प्लीज ,कभी आप मुम्बई आये तो जरूर मुझसे मिलायेगा।बहुत कुछ शिखना है मुझे आपसे।
देव :-और आप भी आदित्य बनारस जरूर आएगा।वो दोनों हसकर ।विदा लेकर अपनी अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ गए।
दो महीने बाद-----
कहते है पानी,हवा और समय बहुत जल्दी गुजरते है,वैसे इन दो महीनों में सोनाली के सवाल अभी भी वही थे।देव की अपने तरीके अपना काम और जिंदगी चल रहा था।अमन भी राजस्थान चला गया था।उसने अपनी ड्यूटी जॉइंट कर ली थी।रुद्राक्ष ओर शीवांगी की की दोस्ती भी आगे बढ़ चुकी थी,वो दोनों एकदूसरे के बारे में बहुत कुछ जान चुके थे,खाने -पीने ,कलर /पसंद-नापसंद सबकुछ इससे .!सिवाय एकदूसरे के नाम के ।इससे बढ़ के दोनों के बीच का एहसास ओर गहरा हो चुका था।आदित्य भी कभी - कभी रुद्राक्ष को call कर देता था।वो भी मुम्बई में अपने काम मे व्यस्त था।सबकी जिंदगी उ ही व्यस्त थी,,,,
.......................बाकी अगले पार्ट में।।