Aura.……(The litmus test of life) – 2 books and stories free download online pdf in Hindi

आभा.…...( जीवन की अग्निपरीक्षा ) - 2

आभा......( जीवन की अग्निपरीक्षा ) ( भाग - 2 )




बेसब्री से खुद को ताक रहे स्टूडेंट्स को देखते हुए प्रिंसिपल मैम बोलीं ।

प्रिंसिपल मैम - तो स्टूडेंट्स......, ये हैं आपकी न्यू हिस्ट्री टीचर....। आभा...., आभा त्रिपाठी ।

प्रिंसिपल मैम की बात सुनकर सभी स्टूडेंट्स ने अपना सिर पकड़ते हुए एक साथ कहा ।

स्टूडेंट्स - मर गए.....🤦🤦🤦।

स्टूडेंट्स का ऐसा रिएक्शन देखकर , प्रिंसिपल मैम को हैरानी हुई और उन्होंने उसी भाव से आभा की तरफ देखा । पर आभा ने कोई जवाब नहीं दिया और वो भी स्टूडेंट्स की तरफ देखने लगी । प्रिंसिपल मैम को सभी से शैतानी की बदबू आ रही थी । तो उन्होंने अपनी शक भरी नजरें , सभी स्टूडेंट्स की तरफ घुमाकर कर कहा ।

प्रिंसिपल मैम - ऐसा क्यों कहा आप सभी ने , कि मर गए....???? क्या आप लोगों ने कोई शैतानी की है , इस क्लास में या फिर....., ( आभा की तरफ देखने के बाद बच्चो की तरफ देखते हुए ) या फिर अपनी हिस्ट्री टीचर के साथ...???? बताइए आप सभी , क्या किया है आप लोगों ने ...???? इस बार बता रही हूं , अगर मेरा अंदेशा सही निकला , तो सबके सब एक साथ रेस्टिकेट हो जाओगे इस स्कूल से । और आप सभी के कैंरेक्टर सर्टिफिकेट पर , रेड पेन से साइन कर लिखूंगी , आप सभी के पिछले ईयर और इस ईयर के अभी तक के सारे कारनामें । अगर स्कूल में आगे पढ़ाई करनी हो , तो शांति से कोई भी एक स्टूडेंट उठ कर बता दो , कि आप सभी ने कैसी शरारत की है , न्यू मैम के साथ...!!!!???

कोई कुछ कहने को नहीं हुआ , तो प्रिंसिपल ने सभी को एक बार फिर डांट लगाई । पर तब भी कोई कुछ नहीं बोला । तभी एक लड़की अपनी पनिशमेंट से बचने के लिए , डरते - डरते खड़े होकर , सारी बातें बताने को हुई , कि उसके खड़े होने से पहले ही उसकी बगल वाली दोस्त ने, उसे बैठा दिया और धीरे से कहा ।

दोस्त - चुप - चाप बैठी रह । दिख नहीं रहा है तुझे , कि सबकी बोलती कैसे बंद है । जब सभी शांत है , तो तू क्यों राजा हरिश्चंद्र की ओलाद बन रही है । जब फसेंगे , तो सब साथ में फसेंगे , तू ज्यादा होशियारी दिखा के , खुद को बक्शने की मत सोच ।

बेचारी लड़की , अपनी दोस्त की बातें सुनकर शांत हो गई । और टुकुर - टुकुर सामने खड़ी दोनों मैम को निहारने लगी । प्रिंसिपल मैम ने एक बार फिर , पर थोड़ा तेज आवाज में सभी को डांट लगाई , लेकिन मजाल है , जो कोई कुछ बोले । वाकई में , बड़े ढीठ किस्म के थे ये ग्यारहवीं के बच्चे , जिसे आभा भी बखूबी नोटिस कर रही थी । जब कोई कुछ नहीं बोला , तो थक - हार कर , प्रिंसिपल मैम आभा की तरफ मुड़ी और उससे कहा ।

प्रिंसिपल मैम - आप ही बता दीजिए आभा जी , इन बच्चों ने क्या आपके साथ बत्तमीजी की है या कोई शरारत की है ...????

प्रिंसिपल मैम की बात सुनकर , सारे बच्चों का दिल डर के मारे धक - धक हो रहा था । सब जानते थे , उन्होंने जो किया हैं, उसकी सजा तो आज ही उन लोगों को मिलकर रहेगी । और आभा तो सब कुछ प्रिंसिपल मैम को बता ही देगी । और बताए भी क्यों न , सभी ने बात भी तो बहुत घटिया तरह से की थी , आभा से । इन सबकी सोच से उलट आभा सभी के डरे हुए चेहरे देख रही थी । और फिर उसने प्रिंसिपल मैम से शालीनता से कहा ।

आभा - नो मैम....., इन स्टूडेंट्स ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा , जो आपत्ति जनक हो । और न ही इन्होंने कोई शैतानी की ।

आभा का जवाब पाकर , सारे स्टूडेंट्स उसे हैरानी से देखने लगे । जबकि प्रिंसिपल मैम ने चैन की सांस ली और कहा ।

प्रिंसिपल मैम - मुझे तो लगा था , कि इन्होंने पक्का कुछ किया है , तभी इनमें से कोई कुछ नहीं कह रहा । लेकिन आपने मेरा शक दूर कर दिया । ( स्टूडेंट्स से ) अगर आप सभी सही होते हैं , तो अपनी सच्चाई बेझिझक बताया कीजिए ।

तभी एक लड़का स्टूडेंट बोला - और अगर गलत हों तो...???

उस स्टूडेंट के बचकाने से सवाल से , क्लास में उपस्थित सभी लोगों ने उसे घूरकर देखा , कि अगर अभी किसी को मौका मिलेगा , तो सबके - सब एक साथ उसे कच्चा चबा जायेंगे । लेकिन आभा ने बात को संभालते हुए तुरंत कहा ।

आभा - अगर आप गलत हैं , तब भी अपनी गलती कुबूल कर सच्चाई बताइए । इससे आप छोटे तो नहीं होंगे , लेकिन हां... , आपके किया गए अपराध या गलती की सज़ा जरूर कम हो जायेगी ।

आभा की बात पर , सारे बच्चों का इत्तू सा मुंह बन गया । लेकिन अभी भी किसी में हिम्मत नहीं थी , कि प्रिंसिपल मैम के सामने अपनी गलती कुबूल कर लें । प्रिंसिपल मैम आभा के जवाब से संतुष्ट हुईं और उसे क्लास लेने का कह कर , चली गईं । उनके जाने के बाद , सभी बच्चों ने एक साथ आभा से सॉरी कहा और फिर अपनी सीट पर बैठ गए । आभा को ये देखकर अच्छा लगा , कि प्रिंसिपल के सामने न सही , पर उनके जाने के बाद बच्चों को ये एहसास तो हुआ , कि इन्होंने गलती की है , तभी ये सब सॉरी कह रहे हैं । आभा ने अब सभी की तरफ देखते हुए। शालीनता से कहा ।

आभा - खुशी हुई मुझे ये देखकर , कि आपने किसी तरह तो खुद की गलती मानी और उसे सुधारने की कोशिश के साथ , मुझसे सॉरी भी बोला । मैं आपसे सॉरी नहीं बुलवाना चाहती थी , पर हां , ये जरूर चाहती थी कि आप सभी अपनी गलती से कुछ सीखें और उसे मानें । आपने कुछ सीखा या नहीं सीखा , इसका तो मुझे नहीं पता , पर आपने अपनी गलती एक्सेप्ट की , यही मेरे लिए बहुत बड़ी बात है । क्योंकि खुद की गलती मानना भी, अपने आप में एक बहुत बड़ा कार्य होता है । ( सारे स्टूडेंट्स चुप ही रहे , तो आभा ने आगे कहना शुरू किया ) लेकिन आपको आज के इस वाकिया से ये सीख जाना चाहिए , कि किसी इंसान की पूरी बात सुने बिना ही , कभी रिएक्ट नहीं करना चाहिए । दूसरा , सामने वाले का हुलिया देखकर , कभी भी उसके बारे में या उसके प्रोफेशन के बारे में जज नहीं करना चाहिए । शायद इसी लिए इंग्लिश में एक कहावत बनी है , " डोंट जज ए बुक , बाय इट्स कवर " । सुनी तो होगी आप सभी ने ये कहावत....। कोई इसका मतलब बताएगा मुझे ...???

एक लड़की ( नजरें झुकाकर, खड़ी होकर बोली ) - " किसी पुस्तक को, उसके आवरण से न आंकें । "

आभा - सिट डाउन ...., ( आभा की बात सुनकर , वह लड़की बैठ गई ) तो सुना न आप सभी ने , मेरे कहने का मतलब । आशा करती हूं आप सभी , इस बात को अच्छे से समझ गए होंगे और इसे अब अपनी जिंदगी में उतारेंगे भी ।

सभी ने एक साथ यस मैम कहा और अपनी हिस्ट्री की बुक और नोट बुक निकाल ली । आभा ने सब सभी से , उनका इंट्रोडक्शन लिया और इन्हीं सब में , पूरी क्लास निकल गई । क्योंकि पंद्रह मिनट तो आज के तमाशे में निकल गए थे और बाकी के बचे बीस मिनट , इंट्रो में निकल गए थे । क्योंकि कम से कम पचास बच्चों की क्लास थी वो । और पैंतीस मिनट की क्लास में सिर्फ इतना ही हो सकता था । तो आभा ने सभी को गुड डे कहा , और क्लास से निकल गई । सभी स्टूडेंट्स को अब पछतावा हो रहा था , कि उन्होंने आज बहुत बड़ी गलती कर दी , आभा को जज करने में । क्योंकि आभा का स्वभाव देखकर , उन्हें आभा की शालीनता और अच्छे विचार समझ में आ गए थे । ऊपर से , उन सब की गलती होने के बाद भी , आभा ने उन्हें सिर्फ माफ ही नहीं किया , बल्कि प्रिंसिपल मैम से उन सबकी गलती भी छुपाई । कई स्टूडेंट्स के लिया आभा , एक बहुत अच्छी टीचर साबित हो चुकी थी । तो कई स्टूडेंट्स ने, एक ही मुलाकात में आभा को अपना आइडियल और फेवरेट टीचर मान लिया था । पर ये सस्पेंस अभी भी बरकरार था , कि आखिर आभा ने अपना चेहरा आधा ढका क्यों हुआ था । इस सच्चाई से अभी सारे स्टूडेंट्स अंजान थे और शायद इसके पीछे छुपी एक भयावह वजह से भी..... ।


क्रमशः