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वीर पंजाब की धरती

*वीर पंजाब की धरती* महाकाव्य के दशम कृपाण (सर्ग): *"माच्छीवाडा़ से तलवंडी यात्रा चित्रण"* से चुनिंदा पद -
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*जब गुरु गोविंद सिंह महाराज चमकोर युद्ध के बाद मछीवाड़ा जंगल में आए तब मछीवाड़ा ने उनका स्वागत इस प्रकार किया कि......*
पढ़िए 🙏


गुरु दशमेश कलगीधर बादशाह मछीवाड़ा आए
देख कानन में पिता को चरणों में पराग कण बिछाए


जुगनू लगे से पूछने यहाँ कौन तपस्वी आया
स्वागत कर रहा तृण तृण क्यों प्राग चरणों में बिछाया
यह कौन महापुरुष है जिसके मुख ओज कितना छाया
कौन युगपुरुष है जिसके दर्शन करने खग मृग है आया

कौन है ये वीर , जो छवि दया करुणा के स्वाभिमान की
कौन है महान पुरुष जिसमें भरी संवेदना सम्मान की
मुख मंडल पर सूर्य सा तेज शीश पर पहना दस्तार है
कर में तेज तेज है , कवच फटा , फटे वस्त्र तार तार है

सैकड़ों घाव लगे तन पर लहू से लहूलुहान है वीर।
फिर भी अदम्य जोश से थाम रखा धनुष के संग तीर।
छाले हैं पांव में फिर भी चल रहा जैसे नाहर है ।
सौष्ठव देख लग रहा ये वीर लाखों के बराबर।।

निराभिमान है, ऊँचा स्वाभिमान है ,जैसे वितान है
हे कानन बताओ हमें , आखिर कौन ये पुरुष महान है।
क्यों कर रहे वन्य जीव जंतु पशु पक्षी स्वागत सत्कार हैं
हे वटवृक्षों कहो, कौन आया मालीवाड़ा के द्वार हैं

महापुरुष को नत प्रणाम कर लगा , लगा वृद्ध वृक्ष बताने
वृद्ध वृक्ष देते हुए परिचय लगा श्रद्धामय बताने
मछीवाड़ा के वन में आज स्वयं करतार आए हैं
योद्धाओं के योद्धा वीरों की वीर सरकार आए हैं

करता पुरुष करतार बादशाह गुरु दशमेश आए हैं ।
दानियों के दानी आज ये, सब कुछ दान कर आए हैं
दान कर आए हैं अपना आनंदपुर राज्य का राज है।
मछीवाड़ा पधारे गुरु गोविंद सिंह महाराज है।

त्याग आए हैं, देश धर्म की आन पर अपना सारा।
त्याग आए हैं सभी कुछ
अपना , प्राणों से भी प्यारा
ये बादशाह बाजा वाला है, महान वीर दानी है
दान वीरों की तुलना में इनका कोई ना सानी हैं।

बचपन में दान किया, अपने पिता के स्नेह दुलार का
आज दान कर आए हैं, खालसा सूत्रों के प्यार का
दान किया है आज ,बाल वीर पुत्र अजीत जुझार का
मछीवाड़ा में आया, दाता दानवीर संसार का।

जिन्होंने खालसा सुपुत्र को युद्ध की भेंट चढ़ाया
खालसा पंथ शौर्य की आन का, प्राणों से मोल चुकाया।
चमकोर युद्ध में घिरे हुए मुगलों से चारों ओर थे
रण में भेज दिए अपने पुत्र जो कलेजे की कोर थे

पाँच पाँच योद्धाओं का सिंह वीरों का जत्था बनाकर
धूल चटाई लाखों मुगलों को, सामने से टकराकर
ये हिंद का पीर है, ये फकीर दानियों का दाता है।
यह अदम्य पुरुष स्वयं गुरु गोविंद सिंह विधाता है।


करो स्वागत जुगनूओं, पंखों से कानन रोशन कर दो।
पुष्प पराग प्रण बिछकर पावन चरणों में ,सुखद भर दो
आया है दशमेश बादशाह स्वागत में सारे आओ।
खग मृग करो संरक्षण वन को आनंदपुर सदृश बनाओ

ये योद्धा है , युद्धवीर हैं, वीर खालसा की शान है
ये सच्चा राष्ट्र नायक है, भारतवर्ष की पहचान है।
धन-धन हुआ आज मछीवाड़ा , परम सौभाग्य पाकर।
पवित्र किया आज मछीवाड़ा को, करतार ने आकर।

इन्ही की कृपा से आनंदपुर में आनंद घर-घर में।
इन्ही की कृपा से सुसज्जित हुए वीर चमकौर रण में
इन्ही की कृपा से बाल साहिबजादे रण परवान हुए
इन्ही की कृपा से खालसा वीर, युद्ध में बलिदान हुए

घावों से भरा बदन, नंगे पांव चलते आ रहे हैं ।
छाले बने हुए पैरों में फिर भी चले जा रहे हैं ।
फट चुके वस्त्र हैं दशमेश के, कवच भी छिन्न-भिन्न हो गया
आज इस महादानी दानदाता का सब कुछ है खो गया

लुटा कर आया है निस्वार्थ भाव से अपना सारा
लूटा कर आया है सारा अपना प्राणों से प्यारा
इतना कुछ खो गया देखो फिर भी अद्वितीय मान हैं
सहृदय झुक झुक स्वागत करो आया दशमेश महान है।


आकर बैठ गया धरती पर बादशाह बाजा वाला
सब सुखों को त्याग कर आया है राजा बाजा वाला
हे वृक्षों अपनी शाखाएं झुकाओ पुष्प पराग बिछाओ
वन्यजीवों चारों ओर सुरक्षा घेरा बनाओ

हे बहती जलधारा तुम भी थोड़ा शीतल हो जाना
धोकर दाता दशमेश के चरणों को सौभाग्य पाना
प्यास बुझा ना तुम आए आज करता पुरख संसार के
प्रकृति के अपार ऋण है इन पर कोटि-कोटि उपकार के

प्रजा संग संग दशमेश पिता ने प्रकृति को भी पाला
वन्यजीवों संग दाता दशमेश हमारा रखवाला
इनकी कृपा से ही कानन हरे-भरे लहराते हैं
इनकी कृपा से जीव जंतु गातें चहचहातें हैं

स्वागत स्वागत करता हुआ अब तृण तृण लगा पुकारने
पिता दशमेश के पथ पथ को तृण तृण लगा सवारने
वन्य जीव हुआ सुरक्षा में उपस्थित कर रहा आभार
माछीवाड़ा ने धन धन भाग सराह कर लुटाया प्यार

खिले हुए पराग पुष्प अमर सौभाग्य सराह रहे थे
दर्शन कर दाता दशमेश के आभार जता रहे थे

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