Ek Ladki - 23 - last part in Hindi Love Stories by Radha books and stories PDF | एक लड़की - 23 - अंतिम भाग

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एक लड़की - 23 - अंतिम भाग

3 साल बाद ----

सुबह के समय, हर्ष अपने रूम में सोया हुआ था उसके रूम के बाहर परिवार की चहल पहल हो रही थी जिससे हर्ष को दिक्कत हो रही थी लेकिन फिर भी सोने की कोशिश कर रहा था तभी उसके पास ही रखे उसके मोबाइल में रिंग बजती है हर्ष अपनी आंखे खोलता है और फ़ोन चेक करता है ऋषि का कॉल आ रहा था हर्ष फ़ोन उठाता है उधर से ऋषि कहता है - good morning.
हर्ष - good morning.
ऋषि - अब उठ भी जाओ 9 बज चुके है।
हर्ष - ह्म्म्म।
ऋषि - जल्दी से उठो और तैयार हो जाओ।
हर्ष - क्यों? अब क्या हो गया?
ऋषि - बहुत कुछ हो गया है तुमने पिछले 10 दिनों से मेरा कॉल उठाया नही है।
हर्ष - सॉरी, पर हुआ क्या है फिर से तुम दोनों की लड़ाई हो गयी है क्या ?
ऋषि - हा ! ऐसा ही कुछ ।
हर्ष - अब क्यों?
ऋषि - मुझे अपने लिए एक ड्रेस पसन्द आयी है लेकिन वो उसे पसन्द नही आ रही है। तो उसने मुझे चेंज करने के लिए बोल दिया।
हर्ष- तो चेंज कर लो ना ।
ऋषि- नहीं ,मुझे वो ही पसन्द है तुम मनाओ ना उसे।
हर्ष - कपड़ो के लिए कौन लड़ता है ? ऐसी किसलिए खरीदी है जो तुम चेंज नही करना चाहते ?
ऋषि - सगाई के लिए , कल हमारी सगाई है।
ऐसा सुनते ही हर्ष चौकते हुए बिस्तर से उठ कर बैठ जाता है और कहता है - सगाई ???
ऋषि - हां, सगाई।
हर्ष - तुमने इसका प्लेन कब बनाया ?
ऋषि - कुछ दिन पहले ही बना है, इसलिए तो तुम्हें कॉल कर रहा था।
हर्ष - ये तो बहुत अच्छी बात है ।
ऋषि - हां, बहुत खास दिन है मेरे लिए इसलिए तो मै अपनी पसंद की ड्रेस पहनना चाहता हूं।
हर्ष - इसमें तो मैं कुछ नहीं कर सकता ये तुम दोनों का दिन है।
ऋषी - ऐसे क्यों बोल रहे हो ।
हर्ष - सॉरी !!!!
ऋषि - वैसे तुम आज आ रहे हो ना ?
हर्ष - मैं ?
ऋषि - हां तुम , तुम्हे तो आना होगा।
हर्ष - सॉरी ऋषि पर अभी तो नही आ पाऊंगा।
ऋषि - तुम्हे आना होगा। तुम नही आये तो मै कल सगाई ही नहीं करूंगा।
हर्ष - मज़ाक मत करो । ठीक है मैं कल आज आने की कोशिश करूंगा।
ऋषि - ये हुई न बात।
हर्ष - चलो ठीक है बाद में बात करते हैं अब मैं तैयार हो जाता हूँ।
ऋषि - ठीक है।
हर्ष अपने बिस्तर से उठता है और तैयार हो जाता है तभी उसकी माँ रूम में आती है और कहती हैं- उठ गये, बेटा ! मैं चाय लेकर आती हु, पी लेना।
हर्ष -नहीं मां अभी मन नहीं है।
उसकी मां उसकी ओर देख कर कहती है - क्या हुआ, तुम इतने उदास उदास क्यों लग रहे हो।
हर्ष झूठी मुस्कान के साथ कहता है - उदास कहा हूँ मां, मैं ठीक हूं आपको गलतफहमी हो रही होगा।
उसकी मां उसे देख कर कहती हैं - तुम आज कही जा रहे हो ?
हर्ष - हां मां, कल ऋषि की सगाई है उसने बुलाया है ।
मां - अच्छा, तब तो तुम्हें जाना चाहिए।
हर्ष - हां मां।
मां - सुनो।
हर्ष - हां ??
मां - मैने तुम्हारे फ़ोन के एक लड़की का वॉलपेपर देखा था उसी के साथ ऋषि की सगाई है क्या ?
हर्ष - हां मां, वो मेरी फ्रेंड है और उन दोनों की ही सगाई है।
मां - तूमने 3 सालो से अपनी फ्रेंड का वॉलपेपर लगा रखा है।
हर्ष थोड़ी देर कुछ नहीं बोलता है फिर अपनी नज़रे फेरते हुए कहता है - वो मां, हम अच्छे दोस्त हैं इसलिए लगा रखा है।
फिर जाते हुए हर्ष कहता है - मां अब मुझे जाना चाहिये बहुत लंबा रास्ता है।
मां - अपने पापा से मिल लो जितने में मैं कुछ बना कर लाती हु।
हर्ष - ठीक है।
1 घण्टे बाद हर्ष अपने पापा से मिल खाना खा कर निकल जाता हैं।

शाम के 6 बजे -----

ऋषि अपने घर के हॉल में बैठा हुआ था दरवाजे की घंटी बजती है। हर्ष दरवाज़ा खोलता है सामने हर्ष था हर्ष को देख ऋषि बहुत खुश होता है और गले लगाते हुए कहता है - बहुत दिनों बाद मीले हो । हर्ष भी उसे गले लगाता है ।
ऋषि कहता है - अंदर आओ तुमसे बहुत सारी बाते करनी है।
ऋषि हर्ष को अपने रूम में लेकर जाता है और दोनों बहुत सारी बाते करते हैं कुछ देर बाद हर्ष कहता है - अभी मुझे कुछ काम है मैं जाकर आता हूं।
ऋषि - अभी क्या काम है ?
हर्ष जाते हुए कहता है - मैं थोड़ी देर में आ रहा हूँ।
ऋषि पीछे से आवाज लगाते हुए कहता है- रुको तो सही, अपनी कार की चाबी तो ले लो।
हर्ष दरवाजे से मुड़ कर पीछे देखता है ऋषि उसे चाबी देते हुए कहता है- लो , बहुत दिनों से तूम्हारी कार तुम्हारा वैट कर रही हैं वैसे तुम अपनी कार साथ लेकर क्यों नहीं गए थे ?
हर्ष - मुझे उसकी जरूरत नहीं थी इसलिए।
ऋषि - चलो अब जाओ।
हर्ष मुस्कुराते हुए - हा, अब जाता हूँ।
और ऐसा कहते हुए वो चला जाता है
पंछी के घर में चहल पहल हो रही थी सभी कल की सगाई की तैयारियां कर रहे थे लेकिन पंछी अपनी रूम की खिड़की पर चुप चाप बैठी हुई थी और बाहर आसमान की ओर देख रही थी। झील उसके पास आकर कहती है - कल तुम्हारी ही सगाई है और तुम यहाँ चुप चाप बैठी हुई हो चलो हमारे साथ मे तय करते हैं कि कल क्या करना है और क्या नही, क्या पहनना है इन सब की तैयारी करते है।
पंछी - दी , मेरा मन नही है। तुम ही डिसाइड कर लो मेरी ड्रेस भी।
झील - ऐसी रूखी रूखी बाते मत कर ओर चल।
पंछी - नही दी, मेरा मन है मुझे कुछ देर यही रहना है थोड़ी देर में आती हु।
झील - ठीक है, जल्दी आना।
पंछी - ठीक है।
झील वहाँ से चली जाती हैं चारो ओर अंधेरा हो रहा था पंछी वहीं बैठ फिर से आसमान को देखने लगती है कुछ देर में हर्ष पंछी के घर के बाहर अपनी कार रोकता है और पंछी की खिड़की की ओर देखता है पंछी वहीं बैठी हुई थी ऒर ऊपर देख रही थी हर्ष ने बहुत दिनों बाद उसे देखा था तो बिना पलक झपकाये उसे बड़ी ही मासूमियत से देख जा रहा था पंछी उस समय बहुत ही प्यारी लग रही थी जिससे हर्ष अपनी नज़रे फेर ही नहीं पा रहा था। ऐसे ही कुछ समय बीत जाता है पंछी कि नज़र नीचे कार पर पड़ती हैं । लेकिन अचानक से हर्ष अपनी नज़रे फेर लेता है। पंछी को कार में कोई दिखाई नहीं देता है लेकीन उसे अहसास होता है कि कार में हर्ष है वो पुकारने ही वाली थी कि हर्ष अपनी कार स्टार्ट कर चला जाता हैं। और पंछी फिर से वही उदासी के साथ वही बैठ जाती हैं।

अगले दिन शाम के समय ----

एक बड़ा सा हॉल जो बहुत ही खूबसूरती के साथ सजा हुआ था बहुत खूबसूरत लग रहा था सामने ही स्टेज सजा हुआ था जिसके ठीक ऊपर बहुत खूबसूरत बहुत बड़ा कांच का झूमर लटका हुआ था उस जगह को देख सब देखते रह गए थे। कुछ देर में हर्ष और ऋषि दोनो ऋषी के परिवार के साथ प्रवेश करते हैं ऋषि बहुत ही हैंडसम लग रहा था और उसके साथ ही उसके चेहरे की वो खुशी जो बहुत ही प्यारी लग रही थी। सभी अंदर आकर अपने अपने रिश्तेदारों से बातें करने लगते हैं। कुछ देर बाद पंछी अपनी फैमिली के साथ प्रवेश करती हैं। पंछी ने हरे रंग का लहँगा पहन रखा जो बहुत ही खूबसूरत लग रहा था हर्ष और ऋषि बातें कर रहे थे तभी ऋषि की नज़र पंछी पर पड़ती है पंछी को देख वो देखता रह जाता है। ऋषि को देख हर्ष पंछी की और देखता है। पंछी बहुत प्यारी लग रही थी। हर्ष भी एक पल के लिए खो गया था। पंछी का परिवार ऋषि के परिवार से मिलने उनके पास चला जाता हैं पंछी, हर्ष और ऋषि के पास आती है पास आकर हर्ष से कहती है - हर्ष, कैसे हो ?
हर्ष - मैं ठीक हु ,तुम कैसी हो ?
पंछी -मैं ठीक हु, बहुत दिनों बाद मीले हो।
हर्ष - हां , टाइम नही मिलता था इसलिये बीच में आया नही।
पंछी - अच्छा !!! तुम अच्छे लग रहे हो।
हर्ष - थैंक्स, तुम भी अच्छी लग रही हो।
तभी ऋषि कहता है - पंछी, तुम्हें मैं नही दिख रहा क्या ? मैं अच्छा नहीं लग रहा ?
पंछी -तुम भी बहुत अच्छे लग रहे हो।
तभी ऋषि के पापा उन दोनों की सगाई की घोषणा करते हैं और दोनों को स्टेज पर बुलाते हैं । ऋषि अपना हाथ आगे करता है पंछी अपना हाथ ऋषि के हाथ में देती है और दोनों स्टेज की ओर बढ़ते हैं। कुछ देर में दोनों वहाँ आमने सामने खड़े हो जाते हैं। उनका परिवार उनसे कुछ दूर खड़े होकर देख रहे थे लेकिन हर्ष दूर खड़ा होकर देख रहा था। झील रिंग्स लेकर आती है और दोनों को देकर थोड़ा दूर चली जाती है कैमरामैन कुछ फोटोज लेता है पहले ऋषि पंछी को रिंग पहनाता है ऋषि बहुत खुश लग रहा था। दूर खड़ा हर्ष बीच बीच में अपनी नज़रे फेर रहा था क्योंकि उससे देखा नहीं जा रहा था। हर्ष जब एक बार ऊपर देखता है तो वो देखता है कि ऋषि और हर्ष के ठीक ऊपर लगा हुआ झूमर हिल रहा था वो जिस कड़े से जुड़ा हुआ था वो टूटने वाला था उसे देख हर्ष घबरा जाता है तब पंछी ऋषि को रिंग पहनाने वाली ही थी हर्ष दौड़ता हुआ उनके पास जाकर उन दोनों को वहाँ से धक्का दे देता है लेकिन उसी समय वो झूमर टूट जाता है ऋषि और पंछी दूर जाकर गिरते हैं लेकिन हर्ष के हटने से पहले की झूमर हर्ष के ऊपर गिर जाता है हर्ष के चोट लगने से झूमर के चारो ओर से खून बहने लगता है उसे देख पंछी एकदम से चिल्ला उठती है अचानक से हुए हादसे से सब सहम जाते हैं। ऋषि ओर कुछ लोग उस झूमर को हटाते है और हर्ष को बाहर निकालते हैं हर्ष के सिर पर चोट से काफी खून बह रहा था ऋषि जल्दी से उसे हॉस्पिटल लेकर जाता है वहाँ पंछी ओर उनके परिवार वाले भी जाते हैं। हॉस्पिटल में डॉक्टर हर्ष को ICU में लेकर जाते हैं सब बाहर ही इतेज़ार करते हैं कुछ देर बाद डॉक्टर बाहर आकर कहते हैं - सॉरी , हम उसे बचा नही सके। ये सुन ऋषि को बहुत दुख होता है, दूर ही खड़ी पंछी के ये सुन बिल्कुल टूट जाती है और कुछ नहीं बोल कर वही बैठ जाती है तबउसे उस दिन की याद आती हैं जब हर्ष और पंछी ज्योतिष के पास गए थे ज्योतिष ने उसे बताया था कि तुम तीनों में से जो भी सबसे ज्यादा प्यार करता होगा वो नही जाएगा। उस दिन की ये बात उसके दिमाग में घूमे जा रही थी। ऋषि पंछी को बहुत आवाज़ लगाता है लेकिन वो सुन ही नहीं रही थी उसके दिमाग में बस ज्योतिष की बातें ही घूम रही थी और पंछी वही बेहोश हो जाती है।

***** समाप्त ******

आशा करती हूं कि आपको ये कहानी पसन्द आयी हो