Veera Humari Bahadur Mukhiya - 12 books and stories free download online pdf in Hindi

वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 12

इशिता को परेशान देख बरखा पुछती है..." वीरा क्या बात है तुम अब भी परेशान लग रही हो...."
" हां बरखा... अभी सबके दिलों से डर खत्म नहीं हुआ है...." इशिता ने गंभीर भाव से कहा
सुमित : वीरा जी....सब कह रहे हैं...वो साथ है हमारे....

इशिता : नहीं सुमित सब कह ही रहे हैं पर मुझे पता है कोई भी पूरी तरह तैयार नहीं है अभी भी इनके अंदर डर बाकी है खैर सरपंच जी एक हफ्ते बाद गांव में जगमगहाट होगी.... गांव रोशनी से खिल उठेगा....

" कैसे मुखिया जी..." सरपंच ने हैरानी से पूछा

इशिता : गांव की इलेक्ट्रॉनिक की समस्या अब खत्म हो जाएगी....अब किसी को भी इन‌ लैम्ब

" वीरा जी... लालटेन..." इशिता की बात को काटते हुए सोमेश ने कहा....

इशिता : हां वही......इनकी जरूरत नहीं पड़ेगी....

सुमित : वीरा जी आप तक गई होंगी अब आराम कर लिजिए....

बरखा : सही कहा सुमित.... वीरा चलो ...और निराली चाची ने तुम्हारे लिए शर्बत बनाया है

इशिता : ठीक है बरखा...चलो.....और सुमित मेरी बात का ध्यान रखना जो सामान मैंने कहा है वो ले आना....

सुमित : जी वीरा जी....कल शाम तक आपका सामान आ‌ जाएगा......

इशिता : ठीक है.....(इतना कहकर इशिता बरखा के साथ चली जाती हैं).....

बरखा : वीरा ये रांगा बहुत परेशान कर रहा है.....

इशिता : मुझे पता है बरखा...अब इसे ही ठीकाने लगाना पड़ेगा.... इससे पहले की खड़गेल भी गांव पर फिर से हमला न कर दे.... कुछ तो सोचना पड़ेगा....

बरखा : वीरा..... मैं भी तुम्हारी तरह ही बहादुर बनना चाहती हूं ताकि मैं भी अपनी तरफ से पूरा सहयोग कर सकू....

" तुम दे रही हो बरखा.... मुझे तुम्हारा ही तो सहयोग है नहीं तो मैं कुछ भी नहीं कर पाती..." इशिता ने बरखा के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा...

बरखा : तुम्हें ऐसा लगता है वीरा....

इशिता : हां बिल्कुल लगता है मुझे..... तुम्हें लड़ने की जरूरत नहीं है वो तो मैं संभाल लूंगी बस तुम मुझे कभी कमजोर मत होने देना बरखा....

बरखा : मैं तुम्हें कभी कमजोर नहीं पड़ने दूंगी वीरा....ये मेरा वादा है तुमसे (इशिता बरखा के गले लग जाती है)....

दोनों बातें करते हुए निराली के घर पहुंचती है......

निराली खुशी से इशिता को गले लगा लेती है....." आ गई मेरी बच्ची...."

" चाची मैं कहीं गई थोड़ी थी..." भावुक होकर इशिता ने कहा...(इशिता हर परिस्थिति को संभाल लेती है लेकिन प्यार के आगे वो खुद को नहीं रोक पाती ...)

बरखा : चाची तुमने वीरा को भी रूला दिया.....(निराली इशिता के आंसू पोछती है)....

निराली : बैठो बेटा.... नंदिता (अपनी बेटी को आवाज लगाती है)...ये लड़की भी न पता नहीं कहां है...तुम ये शर्बत पीयो ... सोमेश.....देख तो सही नंदिता कहां है....

सोमेश : जी मां...

इशिता : नंदिता घर पर नहीं है क्या चाची....?

निराली : नहीं वीरा...... मुझे लगा वो खेतों में गई होंगी शाम तक लौट आएगी पर पता नहीं अभी तक क्यूं नहीं आई......

इतने में सोमेश आता है....." मां नंदिता तो कहीं नहीं है... कहां गई थी वो.....

निराली : मुझे नहीं पता सोमेश..... मेरी बच्ची कहां गई....?