Mahila Purusho me takraav kyo ? - 11 books and stories free download online pdf in Hindi

महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 11

सभी चौक में बैठे बैठे बात कर रहे थे, एकाएक दो औरतें आकर नाचने लगी, पांव उछाल उछाल कर कमर मटका रही थी । सब उन्हें देखने, घर के आंगन में इकट्ठे हो गये, दरवाजे पर, ओर दो महिलाएं ढोलक मंजीरे लिए थी , तभी अंदर से केतकी व उसकी सास भी बाहर आंगन में आ गयी । केतकी की सास ने अपना दाहिना हाथ.. उपर कर ..उन्हें रूकने को कहा । लेकिन वे महिलाएं अब.. केतकी की सास के चारों ओर घूम घूमकर नाचने लगी .. महिलाएं कस्तुरी (केतकी की सास) को बधाई दिये जा रही थी । कस्तुरी बोली तुम रूक जाओ, मैं तुम्हें खुश करके ही भेजूंगी, बस तुम मेरे बेटे बहु को अच्छा आशीर्वाद दे दो ।
सास ने केतकी को खैचकर अभय के पास खड़ा कर दिया । महिलाएं सिर पर हाथ धरकर कुछ मुंह से बुदबुदाती और पीछे हट जाती । सब ने जब आशीर्वाद दे दिया तो, कस्तुरी ने 500 रूपये दिये..वे .. 11000 हजार की मांग करने लगी ..बीच में ही पूरण सिंह बोला.. बस .. इतना ही दे पायेंगे .. बेटा फौजी है इसका कोई बिजनस तो है नही ..आप सब जानती हैं फौजी को इतनी ही तन्ख्वाह मिलती है जिससे .. घर खर्च चल सके । आखिर वे महिलाएं मान गयी और आशीर्वाद देती हुई घर से बाहर निकल गयी ।
किरायेदार को यह सब कम जम रहा था, वह बोला ..पूरण जी ..इन्हें धमकाकर बाहर निकाल देते ..किस लिए पैसा दिया । पूरणसिंह बोला, भाईसाहब ! ये महिलाएं नहीं थी किन्नर थी, पूरणजी .! मै भी इन्हें देखकर समझ गया था । पूरण सिंह बोला भाईसाहब..कस्तुरी पुराणे ख्यालों की है इनके शाप से डरती है, मै कस्तुरी को नाराज नहीं कर सकता ।
इतने में कस्तुरी ने सुन लिया, वह बोली .. भाईसाहब ! आप नही मानते, मै तो मानती हूँ ..मेरे गांव में एक सेठ के घर बच्चा जन्मा था वहां पर इसी तरह ..किन्नर आ गये और नाचने लगे ..सेठ को बुरा लगा ..उसने किन्नरों के थप्पड़ मारकर घर से बाहर निकाल दिया ..किन्नर नाराज होकर अपना पेशाब फैंक गये ..कुछ दिन में उनका बच्चा व बहु चल बसे, सेठ ने अपने दूसरे बच्चो की शादी की ..पर कोई औलाद नहीं हुई..वंश ही रूक गया, अब पूरे गांव में चर्चा है, यह सब किन्नरों के शाप की वजह से हुआ है ।

उधर ..केतकी मन ही मन सोच रही थी, ये लोग किस जमाने के हैं, ऐसे लोगों की वजह से देश मे लाखों भिखमंगे हैं, इनकी वजह से हमारा देश दुनियां में शर्मसार हो रहा है । ये लोग कुछ काम तो करते नहीं, भीख मांगने को धंधा बना रखा है । देश तरक्की कैसे करेगा ? । खाने पीने की वस्तु देना तो ठीक है पर पैसा देना ठीक नहीं है । अशिक्षित ऐसा करे तो लगे भी कि इसकी सोच सीमित है, पर ..पढे लिखे ही इसे बढावा दे रहे हैं ..यह कैसे ठीक हो सकता है ..ससुर पत्रकार है ..फिर भी गलत का समर्थन ?
आजकल की सरकारें भी जनता को मुफ्तखोर बनाने में लगी हैं ..बैठे बिठाये फ्री रासन ..फ्री बिजली..देकर ..नक्कारा बना रही है ..एक दिन ऐसा आयेगा, नक्कारा लोगों की तादाद बढ जायेगी और देश नक्कारा लोगों का हो जायेगा ..कामचोर लोगों की भीड़ होगी, देश के साथ गद्दारी भी करेगी ..बस ..उनको मुफ्त में मिल जाये फिर कुछ भी, करने को तैयार हो जायेगी ।
अगले ही पल बुआ ने केतकी का हाथ पकड़कर हिलाया ..कहां खो गयी ..कब से तुझसे बोल रही हूं ..अब रात हो गयी है ..अपने कमरे में जाओ ..अभय भी थका हारा है ..

अगली सुबह .. बुआ ने दरवाजा खटखटाया ..केतकी ने दरवाजा खोला ..केतकी का चेहरा कुम्हलाया हुआ ..चेहरे से मासूमियत गायब .. फोन पर बात कर रही थी ..किन्तु ..