Do Pagal - Kahani Sapne Or Pyaar ki - 14 books and stories free download online pdf in Hindi

दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 14

अंक १४ पेच-अप ?

हेल्लो दोस्तो तो कैसे हो आप लोग। मे आपका अपना लेखक वरुण एस पटेल आज फिर से हाजीर हु आपकी अपनी कहानी यानी दो पागल के १४ अंक के साथ। मे चाहता हु कि आप इस अंक को पढे इससे पहले आगे के तेरह अंको को पढले ताकी आपको यह अंक समझ आए। आइए शुरू करते है पेच-अप वाली गाथा |

शुरुआत 

    अगले अंक मे आपने देखा की केसे मनीषभाई के जाने से और जीज्ञा के सपने के टुटने से जीज्ञा और रुहान के रिश्तो में जीज्ञा की वजह से जान बुझकर दुरीया आ रही थी और जाते समय भी जीज्ञाने रुहान से मिलना ठिक नहीं समझा। अब आगे।

    संजयसिह और उसके साथी मित्र बरोडा के अपने अड्डे पर शराब की बोटल के साथ बेठे थे। सभी के हाथ में शराब का एक एक ग्लास था और सभी के बिच संवाद चल रहा था।

   यारो अब समय नजदीक ही है कि जब हम उन दोनो हरामी के जीवन में एसा भुचाल खडा कर देंगे की वो जींदगीभर अपने आपको कोसते रहेंगे की हमने संजयसिह से पंगा क्यो लिया... सजंयसिहने पेग मारते हुए कहा।

   वो तो ठीक है भाई लेकिन आप करने क्या वाले हो यह तो बताओ... सजंयसिह के एक आदमी ने सवाल करते हुए कहा।

   समय आने पर बताउंगा लेकिन सबसे पहले मे उस आदमी को सबकुछ बताउंगा जो यह सब सुनने के बाद भी नहीं समझ पाएगा की वो सजंयसिह की बनाई गई चाल मे फस गया है। रुहान बेटा तु और जीज्ञा बहुत गलत आदमी से भीड गए हो अब मे तुम दोनो को दिखाउगा की राजनैतिक बदला केसा होता है... सजंयसिहने दुसरा पेग मारते हुए कहा।

   चलो फिर देखने का मजा आएगा... सजंयसिह के आदमीने कहा।

   इधर संजयभाइ अपनी चाल चलने की तैयारी कर के जीज्ञा और रुहान की जींदगी को और भी कोम्पलीकेटेड करने वाला था और इस तरफ अहमदाबाद में बेठी जीज्ञा को उस बात का कोई अंदाजा ही नहीं था।

   अहमदाबाद में जीज्ञा के घर।

   अपने घर के होल में सोफे पर बेठी जीज्ञा गुजरात के सबसे बड़े लेखक तारक महेता की किताबे पढ रही थी और उससे थोडी दुर उसी सोफे पर बेठे हुए जीज्ञा के पापा न्युझ पेपर पढ रहे थे। प्रेमीलाबेन कही काम से बहार गए हुए थे। पिता और बेटी दोनो एकदम शांत होकर अपना अपना काम कर रहे थे। थोडा समय पसार होता है। जीज्ञा के पाडोशी का बेटा अहमदाबाद क्रिकेट की टीम में सिलेक्ट होने के कारण पुरी पोर( चोल, सोसायटी) मे मिठाईया बाट रहा था और वो लडका( विरल.) मिठाई बाटते बाटते जीज्ञा के घर पहुचता है और अंदर आके गीरधनभाई को मीठाई देते हुए कहता है।

    यह लो अंकल मीठाई खाओ मे अहमदाबाद क्रिकेट टिम मे सिलेक्ट हो गया... विरलने कहा।

    अरे वाह यह तो मीठाई खानेवाली ही बात है ला... ला खीला चल... मीठाई के डिब्बे मे से मीठाई लेते हुए गीरधनभाईने कहा।

    जरुर काका ( अंकल, चाचा )... विरलने कहा।

     गीरधनभाई को मीठाई देने के बाद विरल जीज्ञा को मीठाई देता है।

     Congratulations विरु... जीज्ञाने विरल से कहा।

     बेटा देश के लिए खेलना है कि नही खेलना है...  गीरधनभाईने जाते हुए विरल से कहा।

     जरुर खेलना है काका और एक तो वर्डकप भी खेलने का सपना है... विरलने अपने सपने के बारे मे गीरधनभाई को बताते हुए कहा।

     चलो कोई तो निकला बडा सपना देखनेवाला हमारी पोर में से। बेटा सपने हंमेशा उच्चे देखने चाहिए और उसे पुरा करने के लिए हमको जीजान लगा देनी चाहिए... गीरधनभाईने विरल को वो बात बताते हुऐ कहा जीस बात पर वो खुद अमलीकरण नहीं करते थे।

     जी काका ( अंकल, चाचा ) ... जाते हुए विरलने कहा।

     जीज्ञा गीरधनभाई के इस रुप को कभी बरदाश्त नहीं कर शक्ति थी क्योकी वो जानती थी की यह सब बाते गीरधनभाई सिर्फ और सिर्फ जमाने के सामने अच्छा होने के लिए बोल देते हैं। जीज्ञा अपनी जगह से खडी होती हैं और अपने घर से बहार निकलकर उस जगह चली जाती है जहा वो जब बहुत ज्यादा दुंःखी होती है तब जाती है और उस जगह का नाम सायद आपको भी मालुम होगा। अहमदाबाद का रिवरफ्रन्ट ( search Ahemedabad riverfront) । अहमदाबाद का रिवरफ्रन्ट वो जगह है जहा पे आपको दोस्तों की मस्ती, दोस्तो के बिच का झगडा, दो लफंगे ग्रुपो का झगड़ा, प्यार का इजहार, प्यार में रुठना मनाना, ब्रेक-अप - पेच-अप, अपने बच्चे के साथ अपनी जींदगी को जीते हुए माता-पिता यह सब रिश्ते आपको रिवरफ्रन्ट पे देखने मिलेगा। मे आपको एसा जरुर बोल सकता हु कि यहा पे दुनिया के सारे इमोशन्स आपको देखने को जरुर मिलेंगे।

     जीज्ञा को जब भी अपने अंदर से दुःख लगता तब वो रिवरफ्रन्ट पे पुल के निचे जाकर बेठजाती। आज भी जीज्ञा यहा पे आकर बेठी हुई थी। एकदम खामोश न तो दिमाग मे कोई ख्याल न तो दिल में कोई सवाल बस एकदम शांत। जीज्ञा अब धीरे धीरे तुटने लगी थी। जीज्ञा को अब रुहान की याद आने लगी थी क्योकी जीज्ञा के जीवन में वही एक एसा आदमी था जो उसकी हर मुसीबत में बिना सोचे साथ दे सकता था। जीज्ञा अपने इमोशन्स कभी किसीके साथ शेर नहीं करती थी बस जब उसे एसा लगे कि उसने अपने अंदर कुछ ज्यादा ही भरलीया तब वो रिवरफ्रन्ट पे आकर बेठजाती।

     आज चारो तरफ एकदम शांती थी। जीज्ञा का दिमाग अब शांत हो गया था न पापा की चीक चीक थी और न कोई सपनो का दबाव लेकिन इस शांत माहोल मे जीज्ञा के पीछे एक एक्टिवा के फिसलने की आवाज आती है मतलब कोई गीरजाता है। जीज्ञा अभी भी अपने मे ही खोई हुई थी। जीज्ञा के पीछे से आवाज आता है।

     ओह मेडमजी जरा हमे उठाने का कष्ट करेगी... रुहानने कहा।

     जीज्ञा को पीछे से रुहान की आवाज सुनाई देती है इसलिए वो इसे एक भ्रम समझकर पीछे ना देखते हुए अपना कार्यक्रम जारी रखती है। जीज्ञा को यह बाते भ्रम जरुर लग रही थी लेकिन सही मे वो पीछे गीरने वाले आदमीओ में से एक रुहान ही था और दुसरा रवी था।

     दोनो को कोई चोट नही लगी थी।दोनो अपने आप ही खडे होते हैं और अपनी एक्टिवा को साईड मे लगाते हैं और जीज्ञा की तरफ आगे बढते है।

     अरे वाह मेडम तो आप अभी यहा पे बेठी हुई है और वो भी बडी शांति से और हम वहा पीछली दस रातो से ठिक से सोए भी नहीं है... रुहानने जीज्ञा के ठीक पीछे खडे होकर कहा।

     जीज्ञा को दुसरी बार रुहान की आवाज सुनकर पता चलता है कि यह कोई भ्रम नहीं है सच मे रुहान ही है और जीज्ञा पीछे मुडती है और रुहान को देखती है।

     अरे रुहान और रवी तुम लोग यहा पे। केसे... जीज्ञाने कहा।

     क्यो अहमदाबाद सिर्फ तेरा ही है क्या... रुहानने जीज्ञा से कहा।

     नहीं नहीं मेने एसा कब कहा... जीज्ञाने कहा।

     बस वो कुछ काम था जीसके चक्कर में पीछले दस दिनो से ठिक से सोया नहीं था इसीलिए अब लगा की उस काम को पुरा करना ही होगा तो बस आ गए अहमदाबाद... रुहानने कहा।

     कुछ काम था मतलब कोई नया बिजनेस शुरु किया है... जीज्ञाने जान बुझकर यह सवाल करते हुए कहा।

     क्यों अंजान बन रही है तुझे भी पता है कि मे यहा पे तेरे लिए आया हु और मुझे तुझ से जवाब चाहिए कि मेरी एसी क्या गलती है कि तु मेरे साथ एसा बर्ताव कर रही हैं... रुहानने सीधा मुद्दे पर आते हुए कहा।

     प्लीज़ यार मुझे इस बारे में कोई चर्चा नहीं करनी है... जीज्ञाने कहा।

     तो ठीक मत कर चर्चा बस अब मुझे कभी ढुंडने की कोशिश मत करना आज से हमारा जो भी रिश्ता था वो अब पुरा हो गया... रुहानने जाने की जानबुझकर ऐक्टिंग करते हुए कहा।

     रुहान की यह बात सुनकर जीज्ञा डरजाती हैं क्योकी जीज्ञा भी जानती थी की उसके जीवन मे रुहान ही है जो उसे बिना कुछ पुछे समझ लेता है इसलिए जीज्ञा भी नहीं चाहती थी की रुहान उसके जीवन से चला जाए।

     रुक जा यार अब तु तो मेरी परिस्थिति को समझ। मेने तुम्हें अपने आप से इसलिए दुर किया ताकी तु मेरे पीछे अपना जीवन बरबाद ना करे। तेरे भी जीवन में कुछ सपने है और मेरे कारण तु सिर्फ मेरे सपने पे ही ध्यान दे रहा है तेरे सपने का क्या ?... जीज्ञाने सवाल करते हुए कहा।

     तो तुझे एसा लगता है कि तेरा मेरे जीवन में से निकल जाने से मेरे सपने पुरे हो जाएगे। देख जीज्ञा मेरा कोई एसा सपना नहीं है जो मेरे जीवन में मेरे दोस्तों से ज्यादा महत्व रखता हो। और तुझे क्या लगता की तेरे और मेरे अलग होने से हम दोनो के सपने पुरे हो जाएंगे। देख जीज्ञा हमने मिलकर तय किया था कि हम एकसाथ मिलकर अपने सपने को पुरा करेंगे... रुहान जीज्ञा को समझाने के लिए बोल ही रहा था तभी रवी बिच मे कुछ एसा बोलता है जीससे इस रिवरफ्रन्ट का गंभीर वातावरण दोस्तो की मस्ती और गुस्से में बदल जाता है।

     सही बात है रुहान की... रवी इतना बोलता है तभी रुहान बिना कुछ सोचे समझे रवी की बात मे हा मे हा मिला देता है।

     हा रवी कभी झूठ नहीं बोलता... रुहानने कहा।

     बोलने तो दे पहले मेरे भाई... रवीने बिच मे बोल रहे रुहान से कहा।

     सही बात है रुहान की तेरे बिना वेसे भी यह शराब पीने के अलावा कुछ करता नहीं था जीज्ञा । साला मेरे पैसो से दस शराब बोटल पी गया ... रवीने आग मे घी डालते हुए कहा।

     हा मे हा मिलाता रुहान रवी की इस बात को सुनकर चोक जाता है और रवी के सामने एकदम से देखते हुए कहता है... बे तु मेरे जीवन में लगी हुइ आग को बुझाने आया है या फिर उसमे घी डालकर हवन करने... रुहानने गुस्से के साथ धीमे से रवी को कहा।

     क्या शराब साले तु तो गया। पथ्थर कहा है... शराब का नाम सुनते ही जीज्ञा गुस्सा हो जाती है और रिवरफ्रन्ट पे इधर उधर पथ्थर ढुंडने लगती है ।

     बे तु क्या कर रही हैं... रुहानने इधर उधर देख रही जीज्ञा से कहा।

     पथ्थर मिल जाने दे बाद में बताती हु... इधर उधर पथ्थर ढुंडते हुए जीज्ञाने कहा।

     बे रवी जल्दी से पथ्थर ढुंड... रुहानने रवी को कहा।

     बे तु केसा आदमी है वो हमे मारने के लिए पथ्थर ढुंड रही है और तु उसे मदद करने के लिए कह रहा है... रवीने रुहान से कहा।

     बे मे उसको मदद करने के लिए नहीं कह रहा हु बल्कि अपने बचाव के लिए बोल रहा हुं की उसको पथ्थर मिले इसके पहले हम ढुंडकर उसे बहार फेक देते हैं... रुहानने भी इधर उधर पथ्थर ढुंडते हुए कहा।

     जीज्ञा पथ्थर ढुंडते ढुडते रवी की एक्टिवा के पास पहुचते ही और उनकी एक्टिवा पर लगे लकडे के डंडे को देख लेती है और उसी समय रुहान और रवी का भी ध्यान उस डंडे पर ही जाता है और दोनो डंडे को लेने जाने कि कोशीष भी करते हैं लेकिन जीज्ञा सबसे नजदीक होने के कारण वो डंडा एक्टिवा पर से निकाल लेती है और उस तरफ डंडा लेने के लिए जाते हुए रवी और रुहान जीज्ञा के हाथ में डंडा देखकर अपनी दिशा बदल लेते हैं ताकी उनकी दशा ना बदल जाए ।

      बे भाग रवी। तु साले आज मरवाके मानेगा क्या रवी... भागते हुए रुहानने कहा।

      जरा रुको मे अभी बताती हु शराब पीने का नतीजा क्या होता है... पीछे डंडा लेकर दोड रही जीज्ञाने कहा।

      बे मेने क्या किया तु मेरा नाम क्यु ले रहा है... भागते हुए रवीने रुहान से कहा।

      साले पहले शराब का बोल के लगी हुई आग मे घी डालता है और फिर उसमे कमी रह गई थी तो तुमने डंडे नामका पेट्रोल डाल दिया। साले तुना आज मेरे नाम का हवन कराके ही मानेगा... भागते हुए रुहानने रवी से कहा।

      तो कुछ इस तरह रिवरफ्रन्ट पर जो भावुक सा वातावरण चल रहा था वो अब मस्ती मजाक वाले वातावरण मे बदल चुका था जीसमे जीज्ञा अपनी दोस्ती के हक से एक दोस्त को सुधारने के लिए डंडा लेकर पीछे पड गई थी।

     आगे दोडते दोडते दोनो बिजली के खंभे के पास पहुचते है और दोनो उस खंभे के पीछे खडे रहजाते हैं और जीज्ञा डंडा लिए दोनो के सामने खडी थी।

     देख जीज्ञा यह थोडा ज्यादा गंभीर मामला हो रहा इसलिए हमे बेठकर इसका कोई समाधान निकालना चाहिए... रवीने जीज्ञासे कहा।

     शराब के नाम पे मे किसी भी प्रकार का समाधान नहीं करती मेरे दोस्त शराब पीए यह मुझे कतय पसंद नहीं है... हाथ में डंडा उगामे हुए जीज्ञाने कहा। 

     इतनी चिंता है तो क्यों छोडकर आ गई और आ गई तो कोई बात नहीं फोन भी नहीं उठा रही थी और अब दोस्ती का हक जता रही है मुझे भी अब बात नहीं करनी तेरे से... रुहन हलका सा जीज्ञा से रुठता है और रिवरफ्रन्ट पे साबरमती नदी के किनारे पे जाकर बेठ जाता है। 

     थोडी देर वातावरण मे नमी छा जाती हैं। जीज्ञा अपने हाथ में लिया हुआ डंडा वापस रख देती है। 

     ओके जो भी हो भुल जाते हैं और आगे बढते है। मुझे माफ कर दो रुहान मेने इसलिए तुम से संपर्क तोड दिया ताकी तुम मेरी वजह से अपना केरीयर बरबाद ना करो। क्योकी मेरा कुछ नहीं होनेवाला... जीज्ञाने रुहान के पास जाकर बेठते हुए कहा। 

      तेरा और मेरा सपना एक-दुसरे से जुडा हुआ है और मे अपने दोस्तों का साथ कभी नहीं छोडता आज भी अहमदाबाद इसलिए आया हु की मेरे पास तेरे सपने को पुरा करने का एक और रास्ता भी है मगर तु तो मेरे पीछे डंडा लेकर पडी हुइ है... रुहानने अपनी दोस्त जीज्ञा से कहा। 

      अच्छा बाबा सोरी तो बोला यार अब मान जा और हा मुझे अब कुछ नहीं करना मे अब अपने पापा की कठपुतली बन जाउंगी क्योकी बार बार मुझे अपने सपने को तुटते हुए नहीं देखना... जीज्ञाने नाजुक आवाज से कहा। 

      कम से कम लडना तो मत छोड जीज्ञा। तुन्हे भगवद् गीता क्या इसीलिए पढी थी की तु हार मानना सिखे... पीछे से आकर रवीने कहा। 

      नहीं एसे नहीं चलेगा लडना तो तुझे होगा इसलिए कुछ बोले बिना और सोचे बिना बरोडा आजा तेरा और मेरा दोनो का सपना सच करते हैं... रुहानने जीज्ञा से कहा। 

      चलो ठीक है पर वो रास्ता क्या है वो तो बता... जीज्ञाने रुहान से पुछते हुए कहा। 

      एसे नहीं कोई अच्छे से कोफी शोप पर फोकी पीते पीते बताउंगा वो भी तेरी तरफ से... रुहानने जीज्ञा से कहा।

      जीज्ञाने भले ही दुसरी बार अपने सपने को पुरा करने के लिए तैयार हो गई हो पर वो अब उतनी आश लगाए नहीं बेठी थी जीतनी आश लगाए वो पहले बेठी थी। अब देखना यह रसप्रद होगा की क्या होता है जीज्ञा के सपने का, रुहान और जीज्ञा के प्यार की गाडी चलेगी या फिर... संजयसिह अपने बदले को लेकर किस हद तक जाएगा ? क्या जीज्ञा और भी अपने पापा की पुरानी सोच वाली बात मे फसेगी ? इन सारे रसप्रद सवालो के उत्तर जानने के लिए पढते रहे दो पागल के आनेवाले सारे अंको को ।

TO BE CONTINUED NEXT PART ...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY