Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 26 books and stories free download online pdf in Hindi

Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 26

"सर, क्या आप प्लीज़ अपनी चिन थोड़ा ऊपर की ओर उठा सकते हैं? मुझे आपके यह पावरफुल जॉ कैप्चर करना है।"

अभय पोर्ट्रेट आर्टिस्ट पर चिल्लाया।

"सर, वैसे तोह आपका यह चिल्लाना भी काफी सेक्सी है, मुझे लगता है की आपकी वाइफ भी चाहती है की आप अपने फैमिली पोर्ट्रेट में खुश दिखाई दें।"

अनिका धीरे से हंस पड़ी। अभय पलटा अनिक की तरफ उसे घूरने के लिए, पर अपनी खूबसूरत पत्नी के खुश और मुस्कुराते चेहरे को देख कर, अभय का आवाज़ शांत पड़ गई और वोह भी मुस्कुराने लगा।

"मैं जानती हूं की तुम किसी तरह से यहां से पीछा छुड़ाना चाहते हो," अनिका ने कहा।

"बिलकुल, सही कहा। अगर यह पोर्ट्रेट सच में तुम्हें नही चाहिए होता, तोह तुम्हे जानना चाहिए की मैं वर्ल्ड का बेस्ट पोर्ट्रेट आर्टिस्टस हायर कर सकता था। वोह आते सिंघम एस्टेट और वहीं ठहरते और तुम्हारे शेड्यूल के मुताबिक पोर्ट्रेट तैयार कर देते।" अभय अभी भी थोड़ा नाराज़ सा था की उसे दूसरे कपल के पोर्ट्रेट फिनिश होने तक इंतजार करना पड़ा था अपनी बारी आने के लिए।

अनिका मुस्कुराने लगी। "ममैं जानती हूं, पर यह हुनेशा मेरे लिए स्पेशल रहेगी," अनिका ने प्यार से कहा।

अभय को भी यह बात दिल तक छू गई। वोह जानता था की यह दिन अनिका के लिए कितना स्पेशल है। वोह दोनो सैन फ्रांसिस्को में टूरिस्ट की तरह घूमने निकले थे। अगले दिन, वोह अनिका को वापिस सिंघम एस्टेट ले जाने वाला था जहां उनकी वास्तविक जिंदगी इंतजार कर रही थी।

"सर प्लीज़, सीधा देखिए।" पोर्ट्रेट आर्टिस्ट की आवाज़ अभय के कानों में पड़ी और वोह वापिस उस औरत पर चिल्लाने लगा।

अभय की नज़रे दूसरे टूरिस्ट पर घूम रही थी जो सड़क के उस ओर चल रहे थे—कुछ लोग हँस रहे थे पिक्चर्स खीच रहे थे। अभय की आँखें एक आदमी पर चली गई जो की जाहिर तौर पर इंडियन लग रहा था। वोह कुछ जाना पहचाना लग रहा था, खास कर की जिस तरह से उसने अपने दाढ़ी मूछ उगा रखी थी और उसके हरे और लाल रंग के टैटू जो की उसकी गर्दन पर बना हुआ था जिस वजह से अभय का ध्यान उस पर चला गया। उस आदमी का चेहरा अभय की तरफ था, इसलिए उसका टैटू साफ नही दिख रहा था। वोह आदमी हाथों से इशारे करते हुए किसी से फोन पर बात कर रहा था।

दो मिनट बाद, उस आदमी ने फोन कट कर दिया और सामने की तरफ देखने लगा। अपना एक हाथ उठाते हुए उसने टैक्सी को रुकने का इशारा किया। उनकी आंखें मिली, और अभय अपनी नज़रे उस आदमी के दाहिने गाल पर जले के निशान पर से नही हटा पा रहा था। सब कुछ शांत हो गया जैसे अभय कुछ समझने की कोशिश कर रहा हो जो वह अपने सामने देख रहा था।

बल्कि उस आदमी की आंखें भी फैल गई और वह घबराने लगा था। अभय बेंच से धीरे से उठ खड़ा हुआ और देखने लगा की वह आदमी कुछ बड़बड़ा रहा है और उसके लिप्सिंग को समझते हुए उसे यह समझ आ रहा था कि वह आदमी विजय सिंघम का नाम ले रहा है।

"अभय?" अनिका ने पुकारा।

"यहां से हिलना मत। यहीं रहना। मैं अभी आता हूं," अभय ने कहा और किसी उद्देश्य से उस आदमी की ओर चल पड़ा।

उस आदमी ने अभय को आते हुए देखा तो फिर दूसरी तरफ जल्दी जल्दी चलने लगा। अभय ने ध्यान नहीं दिया आते हुए ट्रैफिक की तरफ और पैदल चलने के रूल्स की तरफ और जल्दबाजी में रोड क्रॉस करने लगा।

वह आदमी आगे चलते हुए ही बार-बार पीछे मुड़ मुड़ कर देख रहा था। जल्दी वह टैक्सी तक पहुंच गया और उसका दरवाजा खोल दिया। अभय भी उसके पीछे पीछे तेज भाग रहा था।

"रुको!"

उस आदमी ने टैक्सी की खिड़की से झांक कर देखा और ड्राइवर से कुछ कहने लगा।

जब अभय उससे दस कदमों की दूरी पर था तब गाड़ी ट्रैफिक को चीरते हुए आगे निकल गई। अभय वहां हैरान सा जड़ चुका था। वोह वहां खड़ा टैक्सी को जाते हुए देखता रहा जब ताकी वोह टैक्सी अभय की नजरों से ओझल नहीं हो गई।

"अभय? क्या हुआ? कौन था वह?"

अभय ने धीरे से पलट कर देखा तो उसकी वाइफ घबराई हुई सी खड़ी थी। "मुझे लगता है की वोह नरसिम्हा रायडू था, मेरे पापा का बॉडीगार्ड।

अनिका की आंखें छोटी हो गई। "क्या वोह यहां आ गया था मंदिर हत्याकांड के बाद?"

अभय बस अपनी वाइफ की तरफ देख रहा था जो की एक चीप फ्रेम करे हुए पोर्ट्रेट को लिए खड़ी थी।

"अभय, तुम मुझे डरा रहे हो। बताओ ना क्या बात है?" अनिका ने पूछा।

अभय ने गहरी सांस ली,और अपने मन चल रहे खयालों एकत्रित करने लगा। "उस आग में नरसिम्हा रायडू को मर जाना चाहिए था हमारे पिताओं के साथ। उसे मेरे माँ और पापा के साथ होना चाहिए था उन्हे प्रोटेक्ट करने के लिए और मर जाना चाहिए था उन्हे बचाते बचाते।"

अनिका भी हैरान थी सुन कर।
"क्या?"

अभय याद कर रहा था उस घटना को, पर जिस जिसने भी उसे यह कहानी सुनाई थी वोह एक नतीजे पर नहीं पहुँच पा रहा था।

"तुम इतना श्योर कैसे हो की वोह नरसिम्हा रायडू ही था?" अनिका की शांत आवाज़ ने अभय की सोच पर खलल डाल दिया।

"वोह मेरी तरफ घबराहट और डर से देख रहा था। और उसने मुझे विजय सिंघम भी बुलाया। उसकी गर्दन पर सेनानी का टैटू भी है जो की उसके पिता के साइड की फैमिली के हैं।"

अनिका सब कुछ सुनते हुए और समझते हुए चुपचाप खड़ी रही।

"तोह उस ने अपनी ही मौत का किसी वजह से झूठा खेल खेला। वोह तुम्हारे पिता से डरता होगा?"

अभय ने ना में गर्दन हिलाया। "नही, वोह दोनो तो साथ ही बड़े हुए हैं। उसकी तोह बल्कि एक फैमिली भी है। मालिनी उसी की तोह बेटी है।"

अनिका हैरान हो गई। "मालिनी ने कहा था की उसके पिता आग ने जल कर मर गए थे। तोह उसने अपने परिवार को भी अपने जिंदा होने की खबर नहीं दी।"

एक दम शांति छाई रही, दोनो अपने ही खयालों में थे।

"शायद उसे शर्म महसूस हो रही हो कि वह अपने लोगों की रक्षा नहीं कर पाया जो काम उसे सौंपा गया था और वह इकलौता जिंदा बच निकलने वाला इंसान था। इसलिए वह भाग गया।" अनिका ने कहा पर उसे भी अपनी कही हुई बात पर आशंका होने लगी।

अभय ने गहरी सांस ली और अनिका को प्यार से कंधे से पकड़ लिया। "हमे हमारे जाने की टिकट्स पोस्टपोन करानी होगी। मैं उस आदमी का पता लगाए बिना वापिस नही जा सकता," अभय ने कहा और अनिका ने हां में सिर हिला दिया।

"मैं ठीक हूं, अभय। मैं भी जानना चाहती हूं की इस वक्त क्या हुआ था।"

अभय ने अपनी जेब से अपना फोन निकाला और एक नंबर डायल कर दिया। फोन की घंटी बजे जा रही थी और काफिर देर बाद आखिर फोन दूसरी तरफ से उठा लिया गया था।

"हेलो," एक गहरी भारी आवाज़ दूसरी तरफ से आई।

"देव, मैं अनिका के साथ कुछ दिन और यहां रहूंगा। मुझे नही पता कब तक। मैं चाहता हूं की तुम एस्टेट में सब संभाल लो।"

"क्या हुआ?" देव ने पूछा, उसे कुछ आभास हो गया था।


"मुझे लगता है की मैने नरसिम्हा रायडू को देखा था।"

"व्हाट द फक? डैड्स बॉडीगार्ड?" देव ने लगभग चिल्लाते हुए कहा।

"हाँ।"

"मैं भी वहां आना चाहता हूं उस आदमी को पकड़ कर पूछने के लिए की उस वक्त क्या हुआ था।"

"लोगों को वहां तुम्हारी जरूरत है, देव। वहीं रही और वहां सब संभाल कर रखो और मैं यहां इसे देखता हूं।"

एकदम शांति छा गई दोनो तरफ। अभय अपने भाई को अच्छी तरह से जानता था। देव अपने दिमाग में यह सोच रहा होगा की कौन उसकी गैर हाजरी में सिंघम एस्टेट संभाल सकता है जब वोह अभय के पास रायडू को पकड़ने के लिए चला जायेगा।

"देव, वहीं रहो। एस्टेट में काफी कुछ चल रहा है। धीरे धीरे अब सब अपनी जगह अपनी जगह पर आ रहा है, कैनल और यूनिट्स की वजह से। इस वक्त हम सब कुछ खराब नही कर सकते।"

फिर से एक बार और लंबी चुप्पी छा गई।

"ठीक है," देव ने गरजते हुए जवाब दिया।

कॉल कट करने के बाद अभय ने अपनी वाइफ की तरफ देखा। उसके चेहरे पर दृणिश्चय वाले भाव थे और वोह अपने फोन में कुछ टाइप कर रही थी।

"चलो उन कॉन्टैक्ट्स की लिस्ट बनाते है जो लोग हमारी मदद कर सकते हैं उसे ढूंढने में।"










The End











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कहानी सीज़न 2 में जारी रहेगी..
💕💕💕