Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 4 books and stories free download online pdf in Hindi

Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 4

नर्मदा ने पाँच में से एक मिनिट तोह अपने मन में चल रहे विचारों को इकट्ठा करने में लगा दिया। उसका शरीर कांप उठा था उसकी छुअन को याद करके जो की उससे उसकी खाल उधेड़ने के लिए धमका रहा था। जिस आदमी को वोह इतने सालों पहले जानती थी वोह अब कहीं खो चुका था और एक मॉन्स्टर में बदल चुका था। वोह अभी भी यह नहीं समझ पा रही थी की आखिर उस आदमी ने उसे बंदी क्यों बना रखा है।

उसने रैक पर से टॉवल उठाई और उसे काउंटर पर अच्छे से फैला लिया। उसने उन ज्वैलरी को उठाया जो नीचे गिर गए थे और उन्हें टॉवल पर रखा। उसने अपने गले से दूसरा हार भी निकाला और उसे भी टॉवल पर रख दिया। वोह अपनी उंगलियों को अपने गाल पर सहलाने लगी जहां एक बड़ा सा निशान था जो की उसके सोने की वजह से उसके इयररिंग्स से बन गया था।

नर्मदा ने महसूस किया था की नील के लिए यह ज्वैलरी कोई काम की नही है लेकिन वो इस ज्वैलरी को किसी और को दे कर यहां से भागने के काम आ सकती थी। उसने अच्छे से उस ज्वैलरी को टॉवल में बंधा और फिर अपने ट्रेडिशनल ड्रेस को उतारने लगी। उसकी सांसे ही अटक गई जब उसने देखा की उसका ब्लाउज पीछे से फटा हुआ है। उसने इतनी ज़ोर से खींचा था की वोह कपड़ा तुरंत फट गया था। उसने अपना सिर झटका ताकि अपने दिमाग को घेर रहे डर को झटक सके और फिर लूज फिटिंग की कॉटन पैंट और शर्ट पहन ली। उसने अपना मुंह धोया और अपने जुड़े को खोल दिया और उसकी एक पोनीटेल बना ली।

उसने ज्वेलरी का बंडल उठाया और बाथरूम से बाहर आ गई। वह उस बेडरूम में आ गई जो उस वक्त खाली था और उस कमरे में हल्की हल्की रोशनी थी। वह साफ-साफ उसकी आवाज कमरे के बाहर सुन सकती थी जो कि एक झुंड में सुनाई दे रही थी। उसने धीरे-धीरे चुपचाप बिना आवाज किए अपने कदम उस आदमी की आवाज की और बढ़ाए और पाया कि वह आदमी एक कांच की दीवार के पास खड़ा था और फोन पर बात कर रहा था। उसने देखा कि वह आदमी दिखने में बहुत बड़ा है, उसके कंधे में चौड़े चौड़े हैं, उसके मसल्स भी बहुत टाइट है, उसके हाथों की मसल्स भी बहुत चौड़ी और टाइट थी। उसे देखने के बाद उसने डिसाइड किया कि वह इससे फिजिकली तो लड़ाई नहीं कर सकती।

"मुझे थोड़े और दिन का वक्त लगेगा," उस आदमी की आवाज में चिचिड़ाहट और गुस्सा था।

वह चुपचाप एक जगह खड़े उस आदमी की बात सुन रही थी इस उम्मीद से कि यह जान सके कि वह किससे बात कर रहा है या फिर कहीं वह उसके बारे में तो बात नहीं कर रहा।

मानो जैसे कि उस लड़की की मौजूदगी वह लड़का समझ गया था और तुरंत पलट कर पीछे देखा। उसके देखते ही नर्मदा का शरीर डर से कांपने लगा।

"मुझे जाना होगा," उस आदमी ने फोन पर कहा और फोन काट दिया।
"यह क्या है?" उसने नर्मदा के हाथों में एक बंडल देखा।

"यह.....यह मेरी ज्वेलरी है।"

"जहां तुम जा रही हो, वहां इसकी कोई जरूरत नहीं है।" वह नर्मदा की तरफ आगे बढ़ा और नर्मदा को मजबूर कर दिया की वोह सपोर्ट के लिए दरवाजे के फ्रेम को पकड़ ले।

"यह सिर्फ एक ज्वेलरी नहीं है, यह बरसों से हमारे खानदान की निशानी रही है।" नर्मदा ने उसकी तरफ ऐसे देखा जैसे उसे चेतावनी दे रही हो की खबरदार मुझे धमकाया तो। वह कभी उसका दोस्त हुआ करता था और अब उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह उस से डर रही थी।

"क्या तुम ऐसे ही इसको पकड़े हुए चलोगी?"

नर्मदा ने उसकी तरफ ऐसे देखा जैसे वह समझने की कोशिश कर रही हो कि वह उसे सरकास्टिक में ताना मार रहा हो।

दरवाजे पर हुई दस्तक ने नर्मदा को चौका दिया।

क्या इसके और भी साथी है?

वह आदमी नर्मदा के पास से उस डबल दरवाजे की तरफ गया और दरवाजा खोल दिया। नर्मदा के लिए हैरानी की बात थी की, दरवाज़ा खुलने के बाद सामने खड़े शख्स को देखकर वह आदमी मुस्कुराने लगा था। उसकी प्यारी सी मुस्कुराहट उसे उस आदमी की याद दिला गई जिसे वोह सालों पहले नील के नाम से जानती थी। पर वोह उसकी मुस्कुराहट से अब और बेवकूफ नही बन सकती थी।

नर्मदा देख रही थी की जैसे ही उस आदमी ने दरवाजा खोला था एक बूढ़ी सी औरत होटल के जैसे यूनिफॉर्म पहने हुए एक कार्ट लेती हुई अंदर, बड़े से लिविंग एरिया में चली आ रही थी।

"हेलो, मैसेज कुमार। आपसे मिलकर अच्छा लगा।" वह नर्मदा की ओर देख कर मुस्कुराने लगी।

"मेरी क्वीन अभी अभी नींद से जागी है," उस आदमी ने नर्मदा की ओर देखें आँख मार दी और नर्मदा को यह सोचने पर मजबूर कर दिया की कहीं वह कोई सपना तो नहीं देख रही।

"मैं उम्मीद करती हूं कि आप यहां इस होटल में इंजॉय कर रहे होंगे। आपका सुइट इस बिल्डिंग का सबसे बेस्ट सुइट है।" उस बूढ़ी औरत ने खाने की प्लेट को कार्ट से उठाई और कॉफी टेबल पर रख दी।

"मैं आपके लिए यह टॉवल लॉन्ड्री में भिजवा सकती हूं," उस औरत ने नर्मदा की तरह मुस्कुराते हुए देखा।

"ओह...नहीं, कोई बात नहीं।" नर्मदा ने बंडल को कस के पकड़े हुए किसी तरह से कहा। उसका दिमाग तेजी से दौड़ रहा था कि क्या वह इस औरत से मदद के लिए पूछे।

"मेरे कुछ ट्रेडिशनल कपड़े भी है बाथरूम में," अचानक नर्मदा बोल पड़ी जब उसने उस बूढ़ी औरत को कमरे से बाहर जाते हुए देखा।

"ओह...मैं अपनी टीम से कह दूंगी की वोह आपके सामान की एक्स्ट्रा केयर करें," वोह बूढ़ी औरत नर्मदा के पास आई।

नर्मदा ने नील की तरफ देखा वह उसे ऐसे घूर रहा था जैसे उसकी खाल को अपनी नजरों से जला देगा। नर्मदा ने अपनी नजरें नील पर से हटाई और उस बूढ़ी औरत के पीछे पीछे चलने लगी, बाथरूम तक। उसने अपनी सिल्क की ड्रेस उसे पकड़ाई और एक बार दरवाजे की तरफ देखा की कहीं नील तो आस पास नहीं है।

"प्लीज़ मेरी मदद कीजिए," नर्मदा ने मुस्कुराते हुए कहा। "मुझे किडनैप किया गया है।"

वोह बूढ़ी औरत हांफने लगी मगर उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और ना ही कुछ कहा। "मैसेज कुमार..."

"नहीं मैं उसकी वाइफ नहीं हूं। इस टॉवल में ज्वैलरी है, बहुत सारी। प्लीज मेरी मदद कीजिए।"

वह बूढ़ी औरत जोर जोर से हंसने लगी और नर्मदा यह सोचने लगी कि उसने ऐसा क्या मजाक किया जो वह हंस रही है।

"मिस्टर कुमार..." उस बूढ़ी औरत ने उसे बुलाया, वोह अभी भी हँस रही थी।

नील बाथरूम के दरवाजे तक पहुंचा। उसके चेहरे पर कठोर भाव थे।

"आप सही थे। अब मुझे लगता है मुझे आपके लिए वोह स्पेशल डेजर्ट लाना ही पड़ेगा।" बूढ़ी औरत मुस्कुराते हुए नील की तरफ जाने लगी।

"मैंने आपको पहले ही कहा था, यह पैदाइशी एक्ट्रेस है।" नींद ने उस औरत की तरफ अपनी एक आंख दबा दी।

यह क्या बकवास है?

"आप जीत गए, मिस्टर कुमार।" उस औरत ने नर्मदा के कन्फ्यूज्ड एक्सप्रेशन की ओर देख कर मुस्कुराया।

नील उस ओर आया जहां पर नर्मदा हैरान-परेशान खड़ी थी और उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया। "तुमने बहुत अच्छा किया, बेबी। मिसेज शर्मा को ऑलमोस्ट तुम पर यकीन हो गया था।"

नर्मदा कांप गई जब नील ने अपने नाखून नर्मदा के कंधे पर गड़ा दिए।

"हम आपके स्पेशल डेजर्ट का इंतजार कर रहे हैं।" नील ने उस बूढ़ी औरत की तरफ देख कर मुस्कुरा दिया और नर्मदा को अपने साथ जबरदस्ती लाते हुए उस औरत के पीछे चलने लगा।

नर्मदा इंतजार कर रही थी जैसे की शाम को वोह उस पर चिल्लाया था वैसे ही उस पर अब फिर से बरसेगा, पर हैरानी की बात थी की, नील ने ऐसा नही किया। उसने दरवाज़ा बंद किया और डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ गया।

नर्मदा अभी जान बूझ कर लिविंग एरिया में ही खड़ी रही ताकी दरवाजे की तरफ भाग सके। इस वक्त नील अपने फोन में देख रहा था, और नर्मदा ने महसूस किया की यही मौका है यहां से भाग कर किसी से मदद लेने का। वोह टॉवल जिसमे ज्वैलरी थी वो तो बाथरूम के काउंटर पर ही छूट गई थी, पर उसके पास इस वक्त समय नही था। कुछ पल बाद नर्मदा ने धीरे धीरे बिना कदमों की आहट किए दरवाज़े की तरफ पहुंची। उसने दरवाज़ा खोला और कमरे से बाहर चली गई।

उसने अपने लेफ्ट देखा और फिर राइट देखा, उसे कोई और दरवाज़ा नही दिखा। उसने सामने की ओर एलिवेटर का साइन देखा और उस तरफ भागी जल्दी जल्दी एलिवेटर का बटन दबाने लगी।

"सच में?" उसकी आवाज़ ने नर्मदा की हड़बड़ाहट को रोक दिया। "तुम्हे क्या लगता है की यहां से भागना इतना आसान है?"

"मुझे जाने दो," नर्मदा ने कहा।

"यह नहीं हो सकता," नील ने उसकी कलाई पकड़ी और उसे पलट कर वापिस ले जाने लगा।

नर्मदा ने अपना आपा खो दिया और उसके हाथ में डेकोरेशन का एक फ्लावर पॉट आया उसने वही उठाकर नील के ऊपर फेंक कर मारा। पिछली बार के विपरीत इस बार वोह फूलदान नील की गर्दन के पीछे नीचे की ओर लगा।

"मुझे जाने दो," नर्मदा अपने गुस्से पर काबू नहीं कर पाई।

नील तुरंत पलटा और इतनी सफाई से तुरंत उसे पकड़ा, की नर्मदा को रिएक्ट करने का समय ही नही मिला। नील ने उसे दीवार पर धक्का दे कर लगा दिया और उसकी गर्दन दबाने लगा।
नर्मदा डर से चिल्लाने लगी जबकि वोह जानती थी की यहां कोई नहीं है, जो सुन रहा होगा और उसे बचाने आएगा। नील का परफ्यूम नर्मदा की नाक में घुस कर उसे दम घोट के मारने से धमका रहा था। और नील की गर्म सांसे नर्मदा को अपने गाल पर महसूस हो रही थी।

"बहुत आसान है तुम्हारी गर्दन को तोड़ना, मुझे मजबूर मत करो।"

"तोह करो ना," नर्मदा भी भड़की।

नील ने अपनी पकड़ उसकी गर्दन पर और बढ़ा दी, नर्मदा का दम घुटने लगा। अगले ही पल नील ने उसे छोड़ दिया। नर्मदा अपनी उखाड़ती सांसे नियंत्रित करने लगी, उसे पक्का यकीन था की अगर नील चाहता तोह वोह अभी मर जाती।

"मेरे लिए एक टूथपिक को तोड़ने के समान है," नील गुस्से से भड़का।

"या तो मुझे मार दो या मुझे जाने दो।" नर्मदा चिल्लाई, और उसे अपने से दूर धक्का दे दिया।

नील का चेहरा बहुत ज्यादा गुस्से में लग रहा था जैसे ही उसने एक लोहे की रॉड जैसी चीज़ अपने पीछे से निकाली और नर्मदा के मुंह में ठूस दी। ज्यादातर लड़कियां तो डर से ही मर जाती पर—नर्मदा अपनी दादाजी और भाइयों के साथ पली बढ़ी थी जिनके पास हर समय गनस हुआ करती थी।

नर्मदा अब थक चुकी थी डरते डरते, उसने अपनी सारी हिम्मत बटोरी और नील का हाथ ज़ोर से खींचा ताकी अपने मुंह से खींच कर गन निकाल सके। नर्मदा ने देखा की नील के चेहरे पर हल्की सी हैरानी दिख रही है, इससे पहले की नील कुछ करता, नर्मदा ने अपना हाथ नील की गर्दन पर डाला और उसके निचले होंठ को अपने दांतों के बीच दबोचने लगी। नर्मदा को कोई आइडिया नही था की उसने ऐसा क्यों किया, पर वोह इस वक्त यही कर सकती थी और अपने आप को नही रोक पा रही थी।

नील ने हैरानी से गुर्राने लगा जब नर्मदा ने उसके और करीब आ कर पानी पकड़ उसकी गर्दन पर और मजबूत कर दी। उसने उसकी गर्दन का सहारा ले कर अपने आप को और ऊपर उठाया और अपनी दोनो टांगों को नील की कमर पर लपेट दिया। अब वो उस पर लटक चुकी थी और उसे किस किए जा रही थी, जैसे की वोह अपने आप को रोक ही नही पा रही हो। वोह इस वक्त बहुत गुस्सा थी और उसे बताना चाहती थी की वोह उसका फिजिकली फायदा नही उठा सकता।

नील ने अपनी उंगलियां नर्मदा के हिप्स पर गड़ा दिया और वो भी उसे किस करने लगा। उसने उसे दीवार से सटा दिया और उसके पैरों को अच्छे से पकड़ लिया और उसे किस किए जा रहा था जैसे उसके फेंफड़ों में से सांसे ही खींच लेगा। नर्मदा एक हाथ उसकी गर्दन से हट कर उसके गाल पर आ गया। नर्मदा कराहने लगी अपने होठों पर प्रेशर महसूस करके या नील के रिस्पॉन्स को देख कर। नील के होंठ उसके होंठो पर सॉफ्ट थे।

अगले ही मोमेंट जो दोनो एक दूसरे को अपने गुस्से की वजह से किस किए जा रहे थे वोह अब किसी और चीज़ में बदल गया, ऐसा कुछ जिसे वोह समझ नही सकते थे और उस मोमेंट में खोते जा रहे थे।

एक बेल की आवाज़ हुई और एलिवेटर का दरवाज़ा खुला और वोह दोनो अपनी असलियत में वापिस आ गए। वोह बूढ़ी औरत जो उनके लिए डिनर ले कर आई थी वो दुबारा खड़ी थी लिफ्ट में, अपने हाथ में एक ट्रे लिए। उसने दोनो को एक दूसरे से ऐसे करीब जुड़े हुए देखा और नीचा गिरा हुआ पौधा और फूलदान देखा तोह उसके गाल शर्म से लाल हो गए।

"आई एम सॉरी। मेरा इरादा आप लोगों को परेशान करने का नही था। यह आज का डेजर्ट ऑफ द डे है।" उस बूढ़ी औरत ने वहीं साइड में रखी एक टेबल पर ट्रे रख दी और तुरंत एलिवेटर से नीचे चली गई।

नर्मदा का दिल उसके सीने में तेज़ी से धक धक किए जा रहा था जब वो उसके शरीर से नीचे उतर रही थी। नील ने अभी भी उसे दीवार से सटाए रखा हुआ था और उसी की तरफ देख रहा था।

"नील.....तुमने मुझे क्यों किडनैप किया है?"

"मैं जानता हूं की मैने तुम्हे उठाने की गलती की है। मुझे तुम्हे ड्रग्स दे कर ही रखना चाहिए था।" नील गरजा, और उसकी तरफ से पलट कर साइड हो गया।

"नील, मुझसे बात करो। प्लीज।"

"मुझे तुम्हारी सुपारी मिली है, नर्मदा।" नील को किसी ने नर्मदा को उसे सौंपने को कहा था ताकी उसके बदले उसे वो मिल सके जिसके पीछे वोह पिछले सात सालों से था।

"कौन? किसने दी है?"

"मेरे क्लाइंट ने।"

"क्यूं? वोह मुझसे क्या चाहता है?" नर्मदा ने पूछा।

"मुझे नही पता और मुझे फर्क भी नही पड़ता। मेरा काम है तुम्हे उस तक पहुंचाना, और बस।"

"और बस? मैं तुम्हारे लिए कोई मायने नहीं रखती? मैं बस तुम्हारे लिए तुम्हारा काम हूं?"

"तुम मेरे लिए क्यों कुछ मायने रखोगी, नर्मदा?" नील ने भी बदले में जवाब पूछ दिया।

"नील, हम दोस्त थे, अच्छे दोस्त, और फिर एक दिन अचानक तुम गायब हो गए, और अब तुम मेरे सामने आए हो मुझे किडनैप करने?"

"नही, हम दोस्त नही थे," नील गुस्से बोला।

नर्मदा ने महसूस किया की नील अब वोह नही था जिसे वोह छह साल पहले जानती थी और अब वोह उसे मार ही डालेगा अगर वोह चाहे तोहऔर उसे उससे छुटकारा पाना होगा तोह। पर इस वक्त उसके लिए, या किसी और के लिए, नर्मदा को जिंदा रहना था।

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"किसकी इतनी हिम्मत हुई मेरी बेटी को किडनैप करने की?" नर्मदा के पिता अपने मुलाजिमों पर भड़के। यह कुछ दिन उनके लिए सबसे बुरे दिनों में से एक थे। सिंघम और प्रजापति ने मिल कर उनके बेटे, रेवंथ सेनानी को मार दिया था। और अब उसकी इकलौती बची बेटी को भी किडनैप कर लिया गया था।

"सर, हम लगा की वोह कोई ट्रांसपोर्टर है। उसके पास उस कंपनी का आईडी कार्ड भी था।" उसके एक आदमी ने कहा।

"बेवकूफ, किसने उसका आईडी कार्ड चेक किया था?" नर्मदा के पिता ने कहा।

"सर, हमे वोह सही लग रहा था। उसका और उसके आईडी कार्ड के डिस्क्रिप्शन मैच कर रहा था।" उनके असिस्टेंट ने आगे कहा।

"मेरी तरफ पैसे देखना बंद करो और जाओ लोगों को भेजो उसे ढूंढने के लिए।" नर्मदा के पिता की आवाज़ लिविंग एरिया में गूंज उठी।

"येस सर," पूरे स्टाफ ने एक साथ कहा।

"सारे लोगों को ढूंढने के लिए हर दिशा में भेज दो। मुझे कोई मीडिया आसपास नहीं चाहिए। उस आदमी को ढूंढ कर लाओ जिसमें इतनी हिम्मत है कि मेरी बेटी को किडनैप कर सके और उसका सर पकड़ कर लेकर आओ।"

सागर सेनानी अपने लोगों को इधर-उधर भागते हुए देख रहा था। वह पलटा अपने पिता की ओर देखने के लिए जो सामने सोफे पर बैठे हुए थे और अपने पोतों की तस्वीर को हाथ में लिए हुए थे हेमंथ और रेवंथ सेनानी।

"अब तो आप बहुत खुश होंगे? मैने अपने बेटों को आप जैसा बनने दिया, और वोह दोनो मारे गए, मेरी बेटी कहीं मिल नही रही है, और मैं यह भी नही जानता की मैं उसे कभी देख भी पाऊंगा या नही।"

वोह बूढ़ा आदमी ज़ोर से चिल्लाया, अपने आसुओं से लड़ रहा था— अपने पोतों को मरते हुए नहीं देखना चाहता था। वोह नही जनता था की कैसे, पर वोह सिंघम के पास वापिस जाना चाहता था, एस्पेशियली उनकी पत्नियों के पास।





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कहानी अभी जारी है...
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