Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 22 books and stories free download online pdf in Hindi

Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 22

सुबह तक छाई रही शांति की वजह से नर्मदा पागल हुई जा रही थी। नील ने उसे उठाया और उसे फोन दिया क्योंकि वोह इडियट, राज, बात करना चाहता था उससे। वोह नील की आँखों में घूरते हुए राज से स्वीटली बात किए जा रही और उसे शॉपिंग और फिर उसके बाद पार्टी का प्लान बता रही थी।

उन्होंने दो दिन पहले ही वोह झोपड़ी वाला घर छोड़ दिया था और होटल में आ कर रह रहे थे। और अब नील उसे होटल से गाड़ी में कहीं ले कर जा रहा था। एक घंटा बीत चुका था, उन्हे गाड़ी में, पर नील ने तब से एक शब्द भी नही बोला था, और नर्मदा यह अब एक पल और नही सह सकती थी।

“मुझे कोई फर्क नही पड़ता शहर के नाम से, पर हमें वहाँ तक पहुँचने में और कितना टाइम लगेगा?“ नर्मदा ने अपनी पीठ सीट पर नीचे कर रखी थी और पैर डैशबोर्ड पर रख दिए अपने अंकलेट्स को एडजस्ट करने के बाद— जो की उसकी इकलौती ज्वैलरी थी जिसे उसने अपने शरीर से अलग करने से मना कर दिया था क्योंकि वोह खानदानी निशानी थी।

नर्मदा ने नील को पकड़ लिया था उसके खुले पैरों को देखते हुए क्योंकि उसकी ढीली पैंट की वजह से और इस तरह से बैठने की वजह से उसके पैंट सरक कर नीचे से घुटनों तक ऊपर आ गई थी। उसने और अपने कंधे नीचे किए, और ज्यादा फैल कर बैठ गई, और अपने पैरों को और भी ज्यादा स्ट्रैच कर लिया।

नील की आँखों पर सनग्लासेज चढ़े हुए थे पर नर्मदा जिस एंगल से बैठी थी उसे नील की आँखों के कॉर्नर दिखाई दे रहे थे जिससे उसे यह पता चल रहा था की नील की तिरछी निगाहें किस ओर है।

“मैं थोड़ी देर सो रहीं हूं, मुझे उठा देना जब हम पहुँचने वाले होंगे,” नर्मदा ने कहा और सोने की एक्टिंग करने लगी। उसने अपने आँखें हल्की सी खोली हुई थी जिससे उसे नील साफ दिखाई दे रह था पर सामने वाले को लगेगा की वोह सो रही है।

तकरीबन आधे घंटे से नर्मदा उसे निहारे जा रही थी, पर नील ने भी अपनी नज़रे सड़क से एक पल के लिए भी नही हटाई थी। नर्मदा नही समझ पा रही थी की आखिर वोह क्या चाहती है की नील क्या करे। वोह चिढ़ रही थी की नील उसकी तरफ नही देख रहा है, पर उसके दिलोदिमाग का एक हिस्सा यह भी कह रहा था की उसे चिढ़ना चाहिए था जब नील उसके पैरों को घूर रहा था।

गाड़ी अपनी गति से आगे बढ़ रही थी, और उसके आधे घंटे बाद गाड़ी धीमे होने लगी, और नील डैशबोर्ड की तरफ झुका, उसका हाथ डैशबोर्ड में से कुछ निकालते वक्त नर्मदा की टांगों को छू जा रहा था।

वोह उसके जवाब में अंदर ही अंदर कराह गई थी, और यह था पहली बार जब एक पल के लिए ही सही पर नील ने उसकी तरफ देखा था। नील गाड़ी धीरे धीरे बढ़ाते हुए एक जगह पर आ कर रुक गया।

“टोल कितना है?“ नील ने गरजते हुए कहा जिससे नर्मदा सोच में पड़ गई की ऐसे वोह सब से बात करता है, सब से पर बस नर्मदा को छोड़ कर। नर्मदा को याद था की नील कॉलेज में शायद ही किसी से बात करता था।

“तुमने एक बार और देखा, मैं तुम्हारा आँखें बाहर खींच लूंगा।” नील चिल्लाया, और नर्मदा को नही समझ आया की नील इस तरह क्यों अचानक गुस्सा हो गया था।

आपने आप में गुस्से में बड़बड़ाते हुए नील ने खिड़की का कांच चढ़ा दिया। वोह वापिस डैशबोर्ड की ओर झुका, अपना वॉलेट वापिस रखने के लिए, और इस बार वोह एक पल के लिए रुक गया। नर्मदा उसे देख रही थी, अपनी सांसों को रोके हुए, नील अपनी उंगलियों की टिप से नर्मदा के एंकलेट को छूने लगा, और फिर उसकी पैंट का किनारा पलड़ा और नीचे कर दिया।

“गिद्धों का झुंड,” नील बड़बड़ाया और गाड़ी के इंजन को रोर करते हुए स्टार्ट कर दी।

नर्मदा बिना हिले चुपचाप पैसेंजर सीट पर बैठी हुई थी, उनकी नज़रे फिर से नील पर जा कर टिक गई। नील के कसे हुए जबड़े और गुस्सा देख कर साफ पता चल रहा था की कोई नर्मदा को घूर रहा था, इससे उसे एक नई उम्मीद मिल गई।

नर्मदा अपने ही खयालों को समझ नही पा रही थी। उसका प्रैक्टिकल दिमाग यह कह रहा था की उसे नील से ज्यादा करीबी नही बढ़ानी चाहिए क्योंकि उसके साथ उसका कोई भविष्य नहीं नज़र आ रहा था, और उसका दिल, वोह उस से कह रहा था की वोह क्या है या उसने क्या किया, अगर वोह उसकी परवाह करता है, तोह वोह उसका जिंदगी भर ख्याल रखेगा।

“नील,” नर्मदा ने उसे पुकारा, उसकी आवाज़ में मदहोशी छाई हुई थी।

नील जवाब में घुरघुराया।

“क्या हम पहुँच गए हैं?“ नर्मदा उठ कर सीधी बैठ जाए थी और अपने घुटने मोड़ कर अपने सीने से टिका दिए थे।

“दो और घंटे।”

“मुझे पहले शॉपिंग करनी है। यहाँ आस पास के बेस्ट मॉल में गाड़ी रोक दो,” नर्मदा ने आदेश दिया।

“यह अच्छा आइडिया नही है।”

“मुझे कोई फर्क नही पड़ता, राज ने कहा था की मैं शॉपिंग पर जा सकती हूं और फिर उसके बाद डांसिंग के लिए। मैं तुम्हारी जिम्मेदारी हूं,” नर्मदा ने क्यूट से पाउट बनाते हुए कहा।

नील ने हल्के से सिर हिलाया लेकिन कहा कुछ नही।

“मैं थक गई हूं यह ओवरसाइज कपड़े कपड़े पहनते पहनते। मैं बहुत बुरी लग रही हूं।” नर्मदा ने अपनी पहनी हुई टी शर्ट को पकड़ते हुए कहा।

“नही, तुम नही लग रही हो,” नील के शब्दो ने नर्मदा को सर्प्राइज कर दिया।

“नाइस ट्राई, पर तुम मुझे अभी भी शॉपिंग पर ले कर जाओगे,” नर्मदा ने उसे चिढ़ाते हुए कहा।

“कोई बहाना नही बना रहा।”

“वेट, क्या तुमने अभी मेरी तारीफ की?“ वोह ज़ोर से हँस पड़ी।

“मैने बस अपना ओपिनियन दिया है।”

“गुड, अभी मुझे तुम्हारी बहुत सारी ओपिनियन की जरूरत है जब मैं बाद में अपने कपड़े और जूते चुनूंगी।”

“मैं किस झमेले में फंस गया,” वोह बड़बड़ाया।

“यह कोई आसान काम नही है, एह....हंटर? नर्मदा ने चिढ़ते हुए पूछा।

“तुम मुझे हंटर नही बुलाओगी।”

“क्यों?“

“तुम नही बोलोगी,” नील ने स्थिर आवाज़ में कहा।

“तो तुम क्या कर लोगे.....हंटर?“ नील के चिढ़े हुए चेहरे को देख कर नर्मदा ने उसे और चिढ़ाते हुए कहा।

“यह कोई मज़ाक नहीं है,” वोह गुर्राया और अपनी पकड़ स्टीयरिंग पर मजबूत कर दी।

“मैं हँस नही रही हूं। मुझे यह नाम पसंद है....हंटर।” नर्मदा ने धीरे से अपनी हथेली उसकी बांह पर सहलाई।

“स्टॉप।” नील की तेज़ आवाज़ गाड़ी में गूंज उठी।

नर्मदा कांप गई जब गाड़ी सिंगल लेन रोड पर साइड में खुली बजरी पर आ कर तेज़ी से रोर करते हुए रुकी। अगर नर्मदा ने सीट बेल्ट नही पहना होता तो उसका चेहरा बुरी तरह डैशबोर्ड पर आ लगता।

गुस्से से जलते हुए, नील ने क्लिक की आवाज़ करते हुए अपनी सीट बेल्ट खोली और गाड़ी से उतर गया। नर्मदा अभी भी शॉक में उसे गाड़ी से बाहर निकलते हुए देख रही थी। दरवाज़ा खोल कर गाड़ी से बाहर उतरने में उसे थोड़ा समय लगा अपने आप को संभालने में।

वोह सावधानी से नील की तरफ बढ़ने लगी। नील उसकी तरफ पीठ किए हुए अपने दोनो हाथों को पॉकेट में डाले हुए सीधे खड़ा था।

“नील, क्या हुआ है?“

नील ने कोई जवाब नही दिया, जब नर्मदा उसके कंधे पर हाथ रखा तब भी उसने कोई जवाब नही दिया।

“मैं.... मैं....“ उसकी आवाज़ अटकने लगी जब नील उसकी तरफ पलट कर उसे देखने लगा, उसकी आँखों में गुस्सा झलक रहा था।

उसने उसकी कमर पर हाथ रख कर उसे अपने करीब खींचा, दोनो के चेहरों के बीच इंच भर फासला था। “मुझे कभी भी इस नाम से मत बुलाना।”

नर्मदा को नील के गुस्से से परे कुछ और नज़र आने लगा था— उदासी। उसने अपने हाथ बढ़ा कर नील के गालों पर रख लिया। “आई एम सॉरी, मैं कभी भी ऐसा दुबारा नही करूंगी।”

वोह अपने पंजों पर खड़ी हुई और अपने होठों को उसकी जॉ लाइन पर रगड़ने लगी। “क्या तुम मुझे बताना चाहोगे की क्यों?“

बिना जवाब दिए नील ने उसे आगोश में भर लिया।

“कोई बात नही अगर तुम अभी बात नही करना चाहो, पर मैं जानना चाहती हूं,” वो फुसफुसाई।

“तुम वोह इकलौती इंसान हो.....तुम वोह इकलौती इंसान हो जो मुझे यह एहसास दिलाती हो की मैं भी इंसान हूं। मुझे नही पता क्यूं...तुम्हारे बारे में हर चीज़ मुझे सब कुछ पर सवाल उठना चाहता है....जो सब कुछ मैने किया, जो सब कुछ मैं करना चाहता हूं।” उसने अपनी पकड़ और मजबूत कर उसे बिल्कुल अपने से सटा लिया जैसे की वोह घबराया हुआ हो की छोड़ा तो कहीं वोह गायब ना हो जाए।

नर्मदा ने भी अपनी बाहें उसकी इर्द गिर्द फैला ली और थपकी देने लगी। “तुमने मुझे डरा दिया था।”

“मेरा ऐसा इरादा नहीं था,” नील ने उसे ऐसे ही बाहों में लिए हुए कहा।

“तुम्हे बाकी के लोग इस नाम से क्यूं बुलाते हैं?“ नर्मदा की आवाज़ में नरमी थी पर स्थिरता भी थी।

नील अपनी पकड़ और मजबूत करता चला गया। “जो काम मैं करता हूं उसकी वजह से।”

“तुम बंद क्यूं नही कर देते?“

“नही कर सकता।”

“तुम बंद कर दोगे तो क्या हो जायेगा?“ नर्मदा हल्का सा उससे दूर हुई और उसकी आँखों में देखने लगी।

“मुझे नही पता।” नील ने नज़रे फेर ली।

नर्मदा ने उसकी चिन पकड़ी और उसका चेहरा अपनी ओर किया ताकी वोह नर्मदा की मुस्कुराती हुई आँखों में देखे। “क्या यह सब तब बंद हो जायेगा, जब हम दोनो एक साथ हो जायेंगे?“

“साउंड स्केरियर,” नील मुस्कुराया।

“ओह येअह, देखते हैं की आज रात तुम हमारी डेट पर क्या करते हो।” नर्मदा भी मुस्कुराई, और उसके गाल पर बटरफ्लाई किस करने लगी।
























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कहानी अगले भाग में अभी जारी रहेगी...
❣️❣️❣️