Do Pagal - kahani sapne or pyaar ki - 26 books and stories free download online pdf in Hindi

दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 26

     नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सब लोगो से कि अगर आपने आगे के २५ अंको को अभी नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से  समझ आए और आप इसे अच्छे से एन्जोय कर सके । आगे के अंको को पढने के लिए www.vspstories.com पर क्लिक करे और पढे सारे बहेतरीन अंक । तो आइए शुरु करते है हमारी इस बहेतरीन नवलकथा के इस बहेतरीन अंक को।

     आगे आपने देखा की कैसे संजयसिह जेल में बेठे बेठे रुहान और जीज्ञा को बरबाद करने की चाले सोचता है और इस तरफ उससे एकदम अंजान रुहान और जीज्ञा आज बडे दिनो के बाद साथ मे डिनर लेकर खुश थे। लेकिन उनकी खुशी अब ज्यादा दिनो तक टिकने नही वाली है क्योकी पहले से ही पुर्वी के मोबाइल मे मेसेज के जरिए एक महासंकट जीज्ञा और रुहान के जीवन में दस्तक दे चुका था। पुर्वी उस रात मन ही मन ठानलेती है की वो इस बात को जीतने दिन हो सके उतने दिन जीज्ञा से छुपाके रखेगी ताकी वो कुछ दिन अपनी जींदगी जी सके और अभी आई हुई छोटीसी खुशीयो को एन्जोय कर सके। 

     दुसरे दिन सुबह १२ बजे। संजयसिह और उसके दोस्तो को जमानत मिलजाती है और सभी जेल से छुटकर संजयसिह के अड्डे पर जा रहे थे संजयसिह की ओपनजीप सभी के बिच अभी भी चर्चा रुहान और जीज्ञा को लेकर ही चल रही थी। 

     भाई अब तो बडे लेवल पे हमारी बेइज्जती हो गई है। अब तक इससे बडे बडे कांड किए हैं लेकिन कभी भी जेल नहीं गए... जीप चला रहे संजयसिह के दोस्तने संजयसिह से कहा। 

     सही है भाई अब इन लोगो को सबक तो सिखाना ही चाहिए... पीछे बेठे हुए संजयसिह के दुसरे साथी ने कहा। 

     सालो उसके दोस्त तक को तो संभाल नहीं पाए और खुद उस भडवे रुहान से लडने की बात कर रहे हो ... संजयसिहने अपने साथीओ को कहा। 

     उसका बाप आ गया भाई वरना मा कसम उसके दोनो दोस्त मे से किसी को नहीं छोडते हम लोग... संजयसिह के तीसरे साथीने कहा।

     इसलिए हम रुहान से ताकत से नहीं लड सकते अगर रुहान से लडना है तो राजनैतिक ताकत से लडना होगा और वो मे करलुंगा तुम लोग बस देखते जाओ और हा अभी कॉलेज केन्टिंग पे चलो भुख लगी है... संजयसिहने अपने साथीओ से कहा ।

     अरे भाई होटल चलते हैं ना केन्टिंग पे क्यु... संजयसिह के साथीने कहा। 

     होटल पे मुफ्त मिलेगा... नहीं मिलेगा और अपनी केन्टिंग पे सबकुछ फ्री मिलता है तो वही जाना चाहिए की नहीं... संजयसिहने अपने दोस्तों से कहा। 

     जेल से छुटा हुआ संजयसिह सीधा कॉलेज की केन्टिंग पे पहुचता है जहा सभी विद्यार्थी नास्ता कर रहे थे। संजयसिह को आज पहलीबार उस केन्टिंग मे आकर एसा अहसास हो रहा था की अब उसकी कॉलेज में कोई औकात नहीं है और उससे कोई नहीं डरता। सभी कॉलेज स्टुडन्टस अब बिना डरे अपना नास्ता कर रहे थे और कोई कोई स्टुडन्टस तो संजयसिह के सामने ताक कर देख रहे थे। संजयसिह खाली टेबल पे अपने दोस्तों के साथ जाकर बेठता है।

     अबे ओय तेरे पास खाने लायक जो भी है वो ला जल्दी... संजयसिहने केन्टिंग वाले से कहा। 

     सामने गार्डन में रुहान और उनकी टीम अपने फाइनल नाटक की रीहसल कर रही थी और वो संजयसिह का साथी देख लेता है। 

     भाई जरा सामने गार्डन मे तो देखो कोन है... संजयसिह के साथीने केन्टिंग के सामने की और गार्डन में देखकर कहा। 

     अरे वाह सारी छमीया एक जगह इक्कठी हुई लगती हैं... संजयसिहने सामने रुहान और उसकी टीम को रीहसल करते देखकर कहा। 

     वेइटर आता है और संजयसिह के टेबल पर एक खाने की डिस रखता है। 

     बे साले एक ही डिस क्यु लाया है यह सब लोग तेरे बाप की शादी मे जाकर खाना खाएगें... संजयसिहने अपनी दादागीरी वेइटर के उपर दिखाते हुए कहा। 

     लाता हु साहब... इतना बोलकर वेइटर दुसरी प्लेटे लाने के लिए अपना मु गुलामो की तरह झुकाकर चला जाता है। 

     सजंयसिह की वेइटर के उपर की गई दादागीरी को वहा बेठे हुए सभी विद्यार्थी देख रहे थे लेकिन अभी भी कोई उसके सामने बोलने को तैयार नहीं था सिवाय एक विद्यार्थीनी के। 

     अबे ओय रीस्पेक्ट के साथ बात कर तेरी बाप के उम्र के है अंकल... उस विद्यार्थीनी ने अपनी जगह पे उठकर कहा। 

     लडकीने सामने आवाज उची की यह देखकर संजयसिह अंदर से हिल जाता है और अपने अहम को शांत करने के लिए अपनी जगह से उठकर लडकी को दबाने की कोशिश करता है। 

     बे लडकी जबान बहार आ रही है कटने के चान्स मत बढा। मे भी तेरे बाप समान ही हु अपनी आवाज निची रखना वरना यहा पे बेठा कोई भी टट्टा तेरा भाई नहीं बनने वाला। सालो सब सुनलो मे अभी भी यहा का दादा हु समझलो। याद रखना भुलना नहीं कभी... आगे आकर उस एक लडकी के बाल पकडते हुए संजयसिहने कहा। 

     अपने बाल पकडने के बाद भी वो लडकी अब पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थी। जीज्ञा, पुर्वी और रुहान के दोस्तो की वजह से कोलेज के स्टुडन्टस मे काफी बदलाव आया था। अब संजयसिह से कॉलेज में इतने छात्र नहीं डरते थे जितने पहले डरते थे।

     छोड दे मवाली वरना अच्छा नहीं होगा अब यहा पे तेरे से कोई नहीं डरता... उस लडकीने अपनी हिंमत दिखाते हुए कहा। 

     लडकी की हिंमत को देखते हुए वहा बेठे बहुत से स्टुडन्टस उस लडकी के सपोर्ट मे खडे होते हैं और संजयसिह और उसके दोस्तो को घेर लेते हैं और यह सब देखकर संजयसिह भुखे शेर की तरह बोखला जाता है और अपनी जेब से बंदुक निकालता है और उपर छत की तरफ फाइरींग करता है और उससे सभी स्टुडन्टस थोडे से डर जाते हैं लेकिन संजयसिह यह साफ साफ देख सकता था और समझ भी सकता था की यह डर बंदुक का था ना की संजयसिह का। गन की आवाज पास के गार्डन में रीहसल कर रहे रुहान और उसके दोस्तो को सुनाई देती है।

     साला एक भी भवडा हम से उलझने आया है ना तो उसकी दुनिया हम बर्बाद करने मे समय नही लगाएगे...हाथ मे बंदुक थामे संजयसिहने कहा। 

     अपनी बंदुक का झोर किसी और पे चलाना हम नहीं डरने वाले... रुहानने अपने दोस्तों के साथ केन्टिंग मे प्रवेश करते हुए कहा। 

     आजा बारात मे बस तेरी ही कमी थी...संजयसिहने कहा। 

     पहले लडकीओ पर अपनी ताकात दिखाना बंद कर और बाद मे मेरे साथ बात कर... रुहानने लडकी को छोडने के लिए कहा। 

     ले छोड दिया वेसे भी मुझो हिरीनीओ का शिकार करने का शोख नहीं है यह तो मेरे रस्ते में आइ तो मुझे लगा जो भी हमारे रास्ते में आए उसे बिना देखे सोचे और समझे साफ कर देना चाहिए... संजयसिहने अपनी बात रुहान और जीज्ञा को टारगेट करते हुए कहा ।

     सीधे सीधे बोलना तु मेरी बात कर रहा है... रुहानने संजयसिह की आखो में आखे डालते हुए कहा।

     अरे तु तो मेरे लिए मच्छर है तुझे तो मेने कबका साफ कर दिया है... संजयसिहने रुहान से कहा।

     तेरे पास लवारी करने के अलावा और कोई काम भी है या नहीं... जीज्ञाने भी आगे आकर संजयसिह से कहा। 

     तुम दोनो अब अपनी हद पार कर रहे हो। आज तक मुझे मच्छर भी काटने से डरता था लेकिन तुम दोनो के कारण आज इन मच्छरो ने मुझे काटने की हिम्मत की है... कॉलेज के बाकी के स्टुडन्टस के संदर्भ में बोलते हुए संजयसिहने कहा। 

     ना ना बहुत गलत जा रहा है तु तुझे मच्छर काटने से डरते थे यह तेरी गलतफहमी है हकीकत तो यह है की मच्छर तेरा गंदा खुन चुसना नहीं चाहते थे... भडके हुए को और भडकाते हुए जीज्ञाने कहा। 

     तुझे अब अपनी जान प्यारी नहीं लगती हैं। कितना बरबाद होंगी तु... जीज्ञा के लिए संजयसिह के इतना बोलते ही वहा खडी स्टुडन्टस की भीड गुस्सा हो जाती है और संजयसिह को वहा से भागने के लिए मजबुर कर देती है। 

     तुम सबको तो मे छोडुगा नहीं । बरबाद करदुंगा बरबाद... इतना बोलते हुए संजयसिह अपने दोस्तों के साथ अपनी कार मे बेठकर निकल जाता है लेकिन वो अभी हारा नहीं था। संजयसिह को अब एक ही चीज दिख रही थी की जीज्ञा और रुहान को बरबाद केसे किया जाए और इस सोच की वजह से हमारी कहानी का अब फिरसे माहोल बदलने वाला था। 

     इधर सभी स्टुडन्टस की एकता के कारण बरोडा के सबसे बड़े माफिया के लडके को दुम दबाके भागना पडा था लेकिन अब वो शांत होनेवालो मे से नहीं था।

    दो दिन बितते है। अब जीज्ञा, रुहान और उनके के दोस्त फाइनल मुकाबले से कुछ ही दिन की दुरी पर थे। सभी एक अलग ही उत्साह और आनंद के साथ अपने फाइनल मुकाबले की तैयारी कर रहे थे लेकिन उनके और फाइनल मुकाबले के बिच एक बहुत बडी अडचन आनेवाली थी जो इस कहानी का अंत लीखनेवाली हैं। वो अडचन क्या है वो जानने के लिए आपको अगले अंक तक रुकना जरुर पडेगा लेकिन आप परेशान ना हो एसे ही इस अंत का समापन नहीं होगा वो अडचन कैसे आएगी वो आज आपको इस अंक मे जरुर बताउंगा। पढीए आगे। 

    संजयसिह अपने साथी दोस्तो के साथ बेठकर जीज्ञा की होस्टेल के पास से गुज़र रहा था। वो अभी तक अपने दिमाग मे अपनी बेइज्जती घुसाए बेठा था। 

    भाई अब आपको एसा नहीं लगता कि हमारी कुछ ज्यादा ही बेइज्जती हो रही है... गाडी चला रहे संजयसिह के साथीने कहा। 

    बेइज्जती तो हो रही है लेकिन गुस्से में आकर कोई फेसला नहीं ले सकते क्योकी हमारा कोई भी गलत फेसला बापु के सही फेसले को बिगाड सकता है... संजयसिहने अपने साथी दोस्त को कहा। 

     यह पहला एसा मच्छर है जो आपके सामने इतनी देर से उड रहा है वरना आप तो बाकी सब को कब का मसल चुके होते... पीछे बेठे संजयसिह के एक और साथीने कहा। 

     यह डेन्गु का मच्छर है और यह कानुन के साथ जुडा हुआ है और इसको अगर हमने मार दिया तो बापु का गुजरात में और उसमे भी बरोडा मे आना बहुत मुश्किल हो जाएगा क्योकी उसका बाप हाथ धोकर मेरे बापु के पीछे पडा है... मु खराब करके बेठे हुए सजंयसिहने कहा। 

     अब संजयसिह की कार जीज्ञा की होस्टेल के पास से गुजर रही थी तभी एक पोस्टमास्टर अपनी साइकल लेकर होस्टेल के गेट के पास जाने के लिए रोड क्रॉस कर रहा था तभी बातो बातो मे गाडी चला रहे संजयसिह के दोस्त से उस पोस्टमास्टर को गाडी से हलकी सी टक्कर लग जाती है और पोस्टमास्टर वही रोड पे गीर जाता है और आगे जाके एकदम से अपनी कार की ब्रेक लगाके अपनी कार संजयसिह का आदमी साइड मे खडी करता है। 

      साले एक लफडा संभाला नहीं जाता और तु अभी इस काके को मारके दुसरा खडा कर देता... शिर के पीछले हिस्से में थप्पड़ मारते हुए संजयसिहने उस साथी दोस्त को कहा जो कार चला रहा था। 

      सोरी भाई वो बातो बातो में ध्यान नहीं रहा... अपनी गाडी से उतरते हुए संजयसिह के साथीने कहा। 

      चल उस काका को खडा कर... संजयसिहने रोड पे अपनी साइकल के साथ गीरे हुए पोस्टमास्टर की तरफ देखते हुए कहा। 

      पोस्टमास्टर रोड पे गीरे हुए थे और उनके थेले का सारा सामान बहार आ गया था। संजयसिह और उसके दोस्त जाकर पोस्टमास्टर को खडा करते हैं और होस्टेल के दरवाजे पे वोचमेन की शीट पे बिठाते है और संजयसिह बिखरा हुआ सामना पोस्टमास्टर के थेले में डालने के लिए बेठता है और पहले ही कवर पे जीज्ञा का नाम लिखा हुआ था जो देखकर संजयसिह सोच मे पडजाता है और वो कवर पोस्टमास्टर ना देखले वेसे खोलकर देखने लगता है और फिर देखकर वो कवर फिरसे जेसा था वेसे का वेसा फिट कर देता है और उस कवर को थेले मे डालने के बजाय अपनी कार मे छुपकर रख देता है और उस पोस्टमास्टर के पास जाता है। 

      काका माफ कर देना वो हमसे थोडी गलती हो गई। आपको ज्यादा लगा तो नहीं ना... संजयसिहने काका को उनकी बेग देते हुए कहा। 

      खुद ही गीराते हो और फिर माफी मांगते हो। हमारे जीवन की कोई किंमत आपलोगो को है भी या नहीं ...पोस्टमास्टरने नाराज होते हुए कहा। 

      अरे काका गलती हो गई माफ कर दोना और हा आजाव हम आपको आगे तक छोडदेते हैं और हा यह बेग इसे दो इसको यहा पे जो देना है वो पढके दे देगा... संजयसिहने अपने चालाक दिमाग का उपयोग करते हुए कहा। 

     पोस्टमास्टर का बेग संजयसिह अपने दोस्त को देता है और उसे आख के इसारे से समझाता है की तु पार्सल देने का नाटक करके आजा और उसका समझदार दोस्त बिलकुल वेसा ही करता है। उस बडे कवर मे जीज्ञा के लिए एसा क्या था जीसे देखकर संजयसिह अपना मुड ठीक कर लेता है और नई चाल भी अपने दिमाग मे रच लेता है ? क्या था पुर्वी के मोबाइल मे आनेवाले मसेज के पीछे का रहस्य जो पुर्वी जीज्ञा से छुपा रही है ? अब संजयसिह अपनी कोनसी चाल चलने वाला है ? क्या इतना सबकुछ होने के बावजुद भी जीज्ञा और रुहान के बिच अब प्यार होने की कोई गुंजाइश है ? क्या सभी दोस्त फाइनल मुकाबले मे परफोर्मन्स कर पाएगे ? अब किस मोड पे जाकर रुकेगी जीज्ञा रुहान और उसके दोस्तो की यह दास्तान यह  देखना बहुत ही रसप्रद होने वाला है क्योकी अब आप इस कहानी के अंतिम सफर के अंतिम अंको मे होंगे तो प्लीज़ पढना ना भुले और इसे अपने दोस्तों के साथ शेर करना ना भुले। धन्यवाद ।

TO BE CONTINUED NEXT PART... 

। जय श्री कृष्ण । । श्री कष्टभंजन दादा सत्य है ।                   

A VARUN S PATEL STORY 

    अगर आपने अभी तक आगे के अंको को नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को अभी के अभी निचे दिए गए सारे अंको के लिंक पर क्लिक करे और आनंद उठाए इस मजेदार नवलकथा को पढने का और इसे अपने दोस्तों के साथ शेर करना ना भुले।