Ekza the Story of Death - 6 books and stories free download online pdf in Hindi

एकजा द स्टोरी ऑफ डेथ - 6

अगले दिन सुबह , सारे दोस्त मिलके बाहर जाने के लिए तैयार थे , तभी समीर की माँ ने उन सबकी तरफ देख के पूछा आज कहा जा रहे हो तुम सब बेटा। तो उन्होंने एक दूसरे को देखा और आँखों ही आँखों में एक -दूसरे को कुछ इशारा किया और बोले आज हम सब पास के बाजार में जा रहे है और शाम तक आ जायेगे। फिर समीर ने अपनी माँ को गले लगा कर कहा -"माँ आप टेंशन ना लीजिये हम जल्दी आ जायेगे ।

ये बोलने के बाद सब वह से बहार निकल गए , बहार जाते ही सबने एक गहरी साँस ली , समीर ने सबको देखके बोला यार हम ठीक तो कर रहे है ना। इसपे शिवाय ने कहा हां भाई , देख वो आवाज जो कल हमने सुनी उसका तो पता लगाना ही है यार , और ये भी तो देखना है वहा सच में कोई है भी या कोई ऐसे ही अफवा फैलाई हुए है अपना काम निकलने के लिए।

सबने फिर समीर को कहा हां समीर , अब चल ज्यादा ना सोच। इसके बाद सब वहा से उस महल की तरफ चल दिए।
जब वहा जा के उन्होंने महल को बहार से देखा तो सब देखते रह गए , रिया ने बोला यार ये तो सच में बहुत बड़ा है , ये जब बना होगा तब ये और सुन्दर लगता होगा , ये सुनके सावी ने भी हां बोला। क्यूकी उस महल का आगे का गेट मोहन और उसके दोस्तों ने खोल दिया था तो उन्हें वो गेट खोलना नहीं पारा और वो सारे अंदर की और चल दिए। जब शिवाय और उसके दोस्तों ने उस महल के गेट के अंदर अभी कदम ही रखा था की अचानक से एक तेज हवा का झोखा आया , मानो जैसे सबको उड़ा के ले जायेगा। तभी शिवाय ने जैसे ही अपना हाँथ से उस गेट को पकड़ा तो सब ऐसे शांत हो गया मानो कुछ हुआ ही नहीं था। सारे दोस्तों ने कहा , यार ये क्या था। तभी शिवाय के कानो में एक आवाज आयी जिससे सुनके उसको समझ नहीं आया की ये आवाज कहा से आयी। उस फुसफुसाती हुए आवाज ने कहा - तुम आ गए , तुम्हे पता है मैंने तुम्हारा कितनी सदियों से तुम्हारा इंतज़ार किया है , और आज मेरा इंतेज़ार खत्म हो गया , शिवाय ये सुनके हैरान था , उसने अपने दोस्तों से पूछा तुम लोगो को कुछ सुनाई दिया। सबने अपना सर हिला कर ना कर दिया। शिवाय ने बोला , ठीक है। जब सब अंदर गए तो उन्होंने चारो तरफ देखा , दायीं ओर कुछ हवेलिया ,सामने जिसमें सड़क के दोनों तरफ कतार में बनायी गयी दो मंजिली इमारते हैं।जो अब खंडर बन चुकी है। तभी सावी की नज़र इसकी बायीं ओर पे शिव जी के विशालकाय मंदिर पर पड़ी। जिससे देखने के लिए वो मंदिर की ओर चली गयी। उस मंदिर को देख कर सावी ने प्रणाम किया और फिर उस जगह को बहुत ध्यान से देख रही थी तभी वहा शिवाय भी पहुंच गया और उस मंदिर को देखके प्रणाम करने के बाद बोला तुम ऐसे कैसे बिना बोले यहां आ गयी। ये दोनों बात कर ही रहे थे कि तभी समीर कि चीख उन्हें सुनाई दी। जिससे सुनके सावी और शिवाय उनके तरफ भागे। वहा जाके उन्होंने देखा तो समीर जमींन पर परा हुआ था और करन को घूरते हुए देख रहा था। वही रिया जोर -जोर से हस रही थी , ये देख के शिवाय और सावी ने एक साथ पूछा क्या बात है। इसपे समीर उठते हुए बोला -"यार शिवाय मैंने इस गेट को खोलने के लिए हाँथ बढ़ाया तो मुझे एक तेज झटका लगा जिससे मैं निचे गिर गया , और ये दोनों बेशरम मुझपे हस रहे। तभी शिवाय ने अपना हाँथ उस गेट पे रखा तो उसे कुछ नहीं हुआ ये देखके करन बोला देखा , इस गेट में ऐसा कुछ नहीं था, शिवाय को देख कुछ नहीं हुआ।

तब समीर ने शिवाय कि तरफ देख के कहा - यार हम आये तो बहार का गेट तो खुला था लेकिन इस महल के अंदर जाने का गेट अभी भी बंद है। इसे कैसे खोले देख इसपे तो बहार से भी ज्यादा बड़ा ताला लगा है ऊपर से पूरे गेट पर मंत्र लिखे हुए है और ये सब संस्कृत में है। अब हम इस गेट को कैसे खोले और कैसे पता लगाए इसपे क्या लिखा है। हममे से तो संस्कृत किसी को नहीं आती। तभी करन ने कहा मुझे आती है संस्कृत , ये सुनके सब हैरानी से करन को देखने लगे। तभी करन ने कहा तुम सब ऐसे क्यूँ देख रहे हो , जैसे तुम जानते नहीं , तुम सब शायद भूल गए मैं एक मैथोलॉजिस्ट हूँ तो मैंने हर तरह कि किताब पढ़ी है। करन ने समीर कि तरफ देख के कहा , साइड हो मुझे देखने दे इसपे क्या लिखा है। करन ने उसे पढ़ते हुए कहा :-करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो
ये सुनके समीर ने अपना सर खुजलाते हुए करन की तरफ देख के बोला यार करन इसका क्या मतलब है , मुझे तो कुछ समझ नहीं आया। इसपे रिया ने बोला ओ !! समीर तुझे क्या हम में से किसी को कुछ नहीं समझ आया। इसपे करन ने अपनी आँखों में चमक दिखते हुए बोला मुझे छोड़ के। इसपे शिवाय बोला अच्छा करन बता ना इसका क्या मतलब है। इसपे करन उन्हें समझाते हुए बोला : - यह मंत्र मूल रूप से भगवान शिव से क्षमा मांगता है और यह आत्मा की शुद्धि करता है। अगर किसी व्यक्ति पर भूत सवार है तो यह मंत्र उससे रक्षा करता है। ये मंत्र भूतों को उनके दुखी जीवन से स्थायी रूप से मुक्त करने और भूतो की मुक्ति के लिए इस मंत्र का इस्तेमाल किया जाता है।
इसका मतलब इस मंत्र से अंदर किसी की आत्मा को यहां से मुक्ती की कोशिश की गयी होगी। लेकिन जब वो आत्मा मुक्त नहीं हुई होगी तो उस आत्मा हो अंदर बंद करने के लिए इसपे मंत्रो से इसे बंद किया गया होगा ।
इसपे सब हसते हुई बोले करन ये क्या बोल रहा है , भूत , आत्मा तेरा दिमाग ठीक तो है ना। इसपे करन गुस्सा होते हुई बोला मत मानो , मैं तो सिर्फ वो बता रहा हूँ जो इसपे लिखा है। मैंने ये सब किताबो में पढ़ा है। और पुरानी चीजों पे रीसर्च भी कर रहा हूँ समझे। वो सभी बाते कर ही रहे थे कि उन्हें सबको उनके पीछे कुछ महसूस हुआ और एक परछाई जो उस गेट पे दिख रही थी जिसे देख के सबके रोंगटे खड़े हो गए। आखिर किसकी थी वो परछाई ?
क्या शिवाय और उसके दोस्त उस गेट को खोल देंगे।
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