tumbad movie review in Hindi Film Reviews by Mahendra Sharma books and stories PDF | तुंबाड फिल्म रिव्यू

तुंबाड फिल्म रिव्यू

तुंबाड फिल्म रिव्यू

तुंबाड फिल्म 2018 में आई हुई एक बहुत ही दिलचस्प और डरावनी फिल्म है। अगर आपको कंतारा फिल्म अच्छी लगी है तो आपको यह फिल्म और ज़्यादा अच्छी लगेगी। आज इतने सालों बाद इस फिल्म का रिव्यू लिखने का पर्याय एक ही है कि फिल्म से कुछ सीखते जाना है। आज भी लोग धन कमाने के लिए अंधश्रद्धा पर विश्वास रखते हैं जिसमें कई जाने जातीं हैं और कई घर बर्बाद होते हैं। फिल्म की कहानी में भी आपको यही सब दिखेगा । कहानी और निर्देशन उम्दा कक्षा का है। इस डरावनी फिल्म में डर कम सीख ज़्यादा है।

तुंबाड फिल्म की कहानी महाराष्ट्र के तुंबाड गांव से जुड़ी है जो देवों के द्वारा शापित गांव है । वहां पर पूरे वर्ष बारिश होती रहती है। इस गांव के लोगों ने एक हस्तर नाम के राक्षस का मंदिर बनाया था इसलिए अन्य देवों ने उस पर प्रतिक्रिया जताते हुए इस गांव को श्रापित कर दिया। हस्तर उस देवी का बेटा है जिस देवी ने सभी देवों को जन्म दिया। उस देवी के पास बहुत सा सोना और अन्न था। हस्तर ने उस देवी का सब सोना ले लिया था और तभी दुनिया के सभी देव उसके दुश्मन हो गए और वह जब अन्न लूटने गया तब अन्य देवों ने उसको श्रापित कर दिया। फिर हस्तर की मां ने उसे अपने कोख में फिर से सुरक्षित किया।  पर वह उस कोख में हमेशा भूखा रहता था। अब यह एक शापित मंदिर में तुम्बाड में रहता था और जो भी इस हस्तर को अन्न देता हस्तर उसे सोना देता । पर अगर उसने उस अन्न देने वाले को छू लिया तो वह देने वाला भी श्रापित हो जाएगा और प्रेत बन जाएगा।

कहानी का नायक या फिर कहें खलनायक विनायक नाम का लड़का है जिसे यह राज़ पता है कि हस्तर के मंदिर की गर्भशाला में हस्तर आज भी प्रेत रूप में जीवित हैं। उसे अगर अन्न दिया जाए तो वह उसे सोना देगा पर इस प्रक्रिया में हस्तर अगर आपको छू लेगा तो आप भी प्रेत बन जाएंगे।

इस शापित गांव से दूर विनायक की मां उसे पुणे ले जाती है और वहां जाकर उसे पाल पोस कर बड़ा करती है। पर विनायक को वापस तुम्बाड आना है और सोना बटोड़ना है । इसलिए वह एक  दिन आखिर तुम्बाड फिर से आ जाता है। वह अपनी चालाकी से हस्तर के लिए गेहूं के लड्डू बनाता है, उसे खिलाता है और उसके पास से सोने के सिक्के लेकर वापस भाग कर मंदिर के गर्भ गृह से बाहर आ जाता है। अब ये सोना लेकर अपने घर पुणे आता है और बड़े आराम से जिंदगी जीता है।

पर ये सिलसिला रुकता नहीं है। विनायक को जैसे सोने की खान मिल गई हो वैसे ही वो दिन प्रतिदिन तुम्बाड आकर हस्तर को खाना देता और सोना चुराके वापस अपने घर आ जाता। इस बीच उसे जान हथेली पर लेनी पड़ती क्योंकि अगर हस्तर ने कभी उसे छू लिया तो वह भी प्रेत बन जाता पर वो हरबार बचकर आ जाता और सोना चुराके उसे मार्केट में एक बनिए को बेच देता। एक बार बनिए ने उसका पीछा किया और वह भी विनायक के पीछे तुम्बाड आ पहुंचा। उसने देखा की विनायक ने आटे के लड्डू बनाए तो उसने भी बनाए। विनायक मंदिर के गर्भ गृह में गया तो वह भी उसके पीछे गया। विनायक ने हस्तर को लड्डू खिलाए तो उसने भी खिलाए। दोनो को सोने के सिक्के मिले पर विनायक चालाक था। वह जल्दी गर्भ गृह से बाहर निकला पर वह बनिया नहीं निकल पाया और उसे प्रेत ने पकड़ लिया, अब वह बनिया भी प्रेत बन गया।

कहानी में दिखाया गया है की विनायक अब कुछ काम धंधा नहीं करता था, बस हस्तर के श्रापित सोने से उसका जीवन चल रहा था। उसने दूसरी शादी भी की। पर बस आराम और हराम की जिंदगी कट रही थी। इसके बेटे को भी उसने यह सब सिखा दिया था। अब उसका बेटा पांडुरंग भी सोना चुराने लगा। पर यहां पांडुरंग के पास उसकी मां के संस्कार थे। उसने अपनी मां को अपने पिता से नफरत करते देखा था। कारण था कामचोरी और लालच। विनायक ने पूरी जिंदगी कामचोरी और लालच में बिताई और अपने बेटे को भी वह सिखा रहा था।

एक दिन माँ के मना करने पर भी विनायक अपने बेटे पांडुरंग को तुम्बाड ले गया और उससे मंदिर जाकर हसतर के लिए आटे के लड्डू बनवाए। और फिर वे दोनों हस्तर् को लड्डू देने गर्भ गृह में गए। विनायक अब कमज़ोर हो चुका था इसलिए लड्डू देकर वह वापस भाग नहीं पाया। उसे हस्तर ने पकड़ लिया और विनायक प्रेत बन गया। उसने अपने बेटे को कहा की वह उसे जिंदा जला दे तभी उसकी मुक्ति होगी। बेटे ने उसे जला दिया और उसे मुक्त कर दिया। और पांडुरंग ने अब वहां फिर नहीं आने का निर्णय लिया।

कहानी है लालच की, अंध विश्वास की और इंसान की कामचोरी की। हर कामचोर इंसान जल्दी पैसे कमाने की सोचता है क्योंकि उसे रोज काम नहीं करना।

निर्माता आनंद राय ने इससे पहले तनु वेड्स मनु सिरीज़ बनाई है और साथ ही रक्षा बंधन, अतरंगी रे और ज़ीरो फिल्में बनाई हैं।एक्टर सोहम शाह की उम्दा अदाकारी है।

फिल्म एमेजॉन प्राइम पर है, एक बार जरूर देखें।

महेन्द्र शर्मा 20.02.2023

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Rahul Shrimali

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very cleverly writtened review. you have good vocabulary in both languages. keep it up.

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