Ekza the Story of Death - 15 books and stories free download online pdf in Hindi

एकजा द स्टोरी ऑफ डेथ - भाग 15

शिवाय जब वापिस लौटा तो देखा सब उसी का इंतज़ार कर रहे थे तभी उसने अपने हाँथ में ली किताब को अपने पीछे छिपा लिए ताकि कोई उसे देखे नहीं। तभी समीर ने कहा - आ गया तू हमे लगा तू वही रहने वाला है और ऐसा क्या काम था जो तू हमारे साथ नहीं आया। इसपे शिवाय ने कहा कुछ नहीं यार बस गांव के बारे में जानने का मन था। वही करन जो चुप चाप वही बैठा था उसने नोटिस किया शिवाय अपने पीछे कुछ छिपा रहा है लेकिन उसने सबके सामने शिवाय से कुछ नहीं कहा। तभी समीर के पिता जी ने कहा बेटा जाओ हाँथ मुँह धो लो फिर निचे आ जाओ खाना तैयार है। ये सुनके शिवाय ने कहा टिक है अंकल जी मैं अभी आता हूँ।
इसके बाद शिवाय वह से जल्दी से निकल गया और कमरे में जा कर उसने वो किताब अपने कपड़ो में छिपा दी ताकि कोई उसे देख ना सके।
वही सब निचे बैठ कर बाते कर रहे थे , करन ने मुखिया की तरफ देख के पूछा ऐसा हादसा पहले भी हुआ है कभी अंकल ?
इसपे मुखिया ने कहा बेटा जब मैं छोटा था , तब मैंने ऐसा कुछ सूना था। बहुत पहले गांव के लोगो ने महान पुरुष के साथ मिल कर उस महल को बंद करवा दिया था और तब से ही वो महल बंद कर दिया गया था।
इसपे करन ने पूछा वो सिद्ध पुरुष कौन थे अगर ऐसा है तो आप लोग उन्हें क्यू नहीं बुला लेते ?
ये सुनके मुखिया ने कहा - उन्हें बुलाना आसान नहीं वो अपनी मर्जी से आये थे और अपनी ही मर्जी से चले गए। वो किसी के बुलाने से तब नहीं आये थे। दरसल वो तब भ्रमण करते हुए आये थे। इसलिए किसी को नहीं पता उन्हें कैसे बुलाया जाये। हमे तो उनका नाम भी नहीं पता। वो महल कई सालो पहले बंद किया गया था।
तभी वह शिवाय आ गया और बोला क्या बाते कर है आप सब ?
शिवाय को देख कर समीर ने कहा - आजा बैठ तो जा पहले , वैसे हम उस महल के बारे में बाते कर रहे थे। इसपे शिवाय ने कहा अच्छा !!!
तभी मुखिया जी ने कहा - बेटा तुम सब उस महल के पास मत जाना , अब तो दिन में भी उसके आस - पास जाना खतरे से खली नहीं।
इसपे सबने हां में सर हिला दिया। तभी मुखियायिन ने कहा - चलो अब सब खाना खो लो।
वही सावी लगातार शिवाय को देखे जा रही थी मनो जैसे पहली बार देख रही हो , तभी रीया ने उसे हिलाते हुए उसके कान में कहा -"सावी ऐसे घूरना बंद कर , तू उसे बता क्यू नहीं देती "। वो दोनों बाते कर ही रहे थे की शिवाय की नज़र सावी से जा मिली जिसे देख क्र शिवाय को रात की बात याद आ गयी और खाना उसके गले में अटक गया जिसकी वजह से वो जोर - जोर से खांसने लगा तभी करन ने पानी देते हुए कहा कहा ध्यान है तेरा भाई ! ध्यान से। वही सावी ये देख के मुस्कुरा रही थी और मन ही मन बोली अभी तो ये सफर शुरू हुआ है पर इस बार मैं ये सफर खत्म जरूर करुँगी। शिवाय ! कुछ देर बाद सबने खाना खा लिया और सरे दोस्त घर से बाहर उस महल की तरफ चल दिया। तभी समीर ने कहा - "यार हम क्यू जा रहे है उस महल में तुम सबको पता है ना आज क्या हुआ " उसके बाद भी तुम सब क्यू जानें चाहते हो वहा। मुझे तो डर लग रहा है इसपे करन ने कहा तू इतना नेगेटिव क्यू सोच रहा। चील कर और वैसे भी तू अकेला थोड़ी ना जा रहा है। हम सब साथ है।
जब वो सभी उस महल के पास पहुंचे तब अचानक से रीया को लगा जैसे किसी ने उसके पीठ को छुआ जब वो पीछे मुड़ के देखने लगी तो उसे कोई नहीं दिखा , उसे लगा वो उसका वहम है। तभी अचानक से सावी ने रीया को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा। ये देख के समीर ने कहा क्या हुआ तुम दोनों को , रीया भी सावी की तरफ सवालिया नज़रो से देखने लगी तभी सावी ने नीचे इशारा करते हुए कहा ये देखो तभी सबने वह देखा तो पाया वह एक बिच्छू था जो काफी जहरीला था तभी शिवाय ने उस बिच्छू को मारने के लिए पत्थर उठाया ही था की वो बिच्छू वहा से गायब हो गया। ये दकह कर करन ने कहा ये कहा गायब हो गया अचानक से। ये देखके सब हैरान हो गए। तभी करन ने कहा अरे !! अब चलो भी अंदर या बाहर ही रहने का इरादा है।
तब सभी अंदर चले गए। अंदर जा कर आज उन्होंने सोचा आज तो देख के ही रहेंगे कौन है यहाँ।
जब वो महल के और अंदर गए तो उन्हें एक बड़ी सी तस्वीर दिखी जो किसी राजा की थी।सभी उस तस्वीर को देख ही रहे थे की सावी ने कहा ये तस्वीर महाराज रणादित्य प्रताप सिंह की है। ये सुनके सबने सावी की तरफ देखा और बोले तुम्हे कैसे पता?
इसपे सावी मुस्कुराते हुए बोली अरे ध्यान से देखो इसके नीचे लिखा है इनका नाम। तब सबने उस लिखावट की तरफ देखा तभी शिवाय ने कहा अच्छा तो ये है उस राजकुमारी के पिता। तब सब महल में आगे बढे तभी शिवाय एक कमरे के पास जा कर रुक गया उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे पुकारा , शिवाय उस दरवाजे को खोलता उससे पहले सावी ने उसे जोर से अपनी तरफ खीचा , क्यूकी शिवाय का ध्यान नहीं था तो वो सीधा सावी से टकरा गया जिसकी वजह से वो जमीन पर जा गिरे। इस समय शिवाय सावी के ऊपर था। आखिर कौन था रीया के पीछे ?
किसने शिवाय को पुकारा ?
क्या महल का राज जान पाएंगे शिवाय और उसके दोस्त ?
आखिर क्या हुआ आगे?
जानेगे आगे की कहानी में।
जानने के लिए पढ़ते रहे -"एकजा "

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