Mere Khushiyon Ki Wajah Ho Tum... - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

मेरे खुशियों की वजह हो तुम.... - 1

मेरे खुशियों की वजह हो तुम....! Part 1
(परिचय- मैं इस कहानी को इस तरह लिख रहा हूं जैसे हम और हर कोई लिखना या जीना चाहता हो ।
प्यार, इश्क, मोहब्बत, यह सब हो बच्चो के लिए है, इस जमाने में प्यार वो नही जो आपको पहली नाराज में देख कर हो जाए प्यार तो वो है जिस के लिए हमारे दिल इज्जत हो, सम्मान हो, चार दिन की मोहब्बत तो कोई भी कर लेगा मगर जो आपका सम्मान करे आपको खुश रखे, खयाल रखे ऐसी ही जिंदगी को जीने के लिए हम उस इंसान को ढूंढते है, जिसे कह सके, मेरी खुशी की वजह हो तुम....!)


वैशाली राने (उम्र 27, प्रोफेशन - डॉक्टर )
हमारे कहानी की हीरोइन जो प्यार से बोहत आगे निकल चुकी है, उसने जिंदगी में प्यार करने की कोशिश करी मगर उसे वो नही मिला जिसके लिए वो बनी है, पढ़ाई ने इजाजत दि नही और आज कामयाब डॉक्टर है, सरकारी अस्पताल में वो काम करती है, घरवालों ने कभी कहा नहीं, लगा अब खुद डॉक्टर बन गई है तो अपने जिंदगी के फैसले लही लेंगी।



विक्रांत पाटिल (उम्र 24, प्रोफेशन - बिजनेसमैन )
विक्रांत हमारे कहानी के हीरो जिसने अपनी उम्र से ज्यादा सिख लिया है, परिवारों को जिम्मेदारियों में उसे इस काबिल बनाया है की आज वो बिजनेसमैन है, उसकी खुदकी ट्रैवल कंपनी है, जो ऑल ओवर द इंडिया चल रही है (mytravelcompany) इस नाम से उसने कंपनी खड़ी करी, शुरुवात में बिहार परेशानियां आई मगर उसने संभाल लिया ।
अब यह देखना है की डॉक्टर और बिजनेसमैन एक दूसरे को खुशी को वजह कैसे बनते है


श से शुरुवात


एक बार डॉक्टर को दिल्ली जना था, कुछ नई रिसर्च और एग्जिबिशन के लिए उसमे वैशाली को भी चुना गया, उनके लिए का ट्रैवल इंतजाम विक्रांत के कंपनी से हुआ था, डॉक्टर्स को पता था को mytravelcompany उनका पूरा खयाल रखने वाली थी, इस बारे में हर जगह चर्चा थी, कंपनी को मार्केट में २ साल हो हुए थे और उसको डॉक्टर्स को आजमाने के अभी मौका मिल गया, जब मार्केट में कंपनी आई तो बिहार से लोगो ने विरोध किया, मगर विक्रांत में अपना काम जारी रखा कंपनी को गिरने नही दिया।


अ से अभी


"आज न तुम कितने लेट हो गए हो, मैं कबसे तुम्हारा वेट कर इज हु मैंने अब तक ३ कॉफी लेली है.." वैशाली गुस्से में कहती है...
"माफ करदो मुझे वो चेक साइन करने थे इसलिए देर हो गई मुझे..." विक्रांत उसके आंखों में देख कर कहता है।
"ठीक है, तुम हर बार स्माइल छोटी करके मुझे मना लेते हो, और बड़ी करके मुझे एक्साइट कर देते हो", विक्रांत हस्ते हस्ते कहता है, "आप की वजह से मेरे घर की खुशी वापिस आ गयी, वरना मैं कभी खुश नहीं हो पाता, आपको बोहत बड़ा एहसान है मुझपे"
उसका हाथ पकड़ कर...
"नही नही , मैने तो अपना फर्ज निभाया है, और अगर जिंदगी में मौका मिला तो यही चीज दोहराऊंगी।"

दोनो को कभी लगा हो नही की वो दोनो एक दूसरे के इतने करीब आ जायेंगे, क्यों की मुलाकाते मुश्किल थी, मगर उनका एक दूसरे के प्रति सम्मान वो बोहत मायने रखता है, विक्रांत उसे आप कह कर बात करता है, वैसे भी वो उम्र में बडी है।


ई से इजहार


आज विक्रांत अपनी कंपनी के बिल्डिंग के टैरेस पर वैशाली को लेकर आया है और मस्त हवाएं चल रही, विक्रांत अपने घुटनो पे बैठ कर कहता है,
"आप शादी करेंगी मुझसे?"
"क्या सच में ?"
"क्यू यकीन नही हो रहा है, देखो सच में रिंग लाया हु"
"तुम आज ही प्रपोज करना चाहते थे न, तुम्हे पता था कि मुझे आज ही डॉक्टर की डिग्री मिली?"
"हा पता था इसलिए तुम्हारे लिए नई डिग्री लाया हु जिसे तुम्हे लेकर काम पर रोज आना होगा",
" हा, करूंगी"


ख से खुशी


ट्रैवल के वक्त जब दिल्ली वैशाली गई थी तो रास्ते में एक गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ था और जिस कार में वैशाली बैठी थी वो सेपरेट कार थी, क्यू की उसकी फ्लाइट १ घंटा लेट थी, तो दूसरे डॉक्टर्स को बस ने पिक अप कर लिया। एक्सीडेंट के बाद वह से वैशाली की कार गुजर रही थी, तो उसने गाड़ी रोक कर वो एग्जीबिशन छोड़ कर उसने उस गाड़ी में उस परिवार को बचया, उस कार में विक्रांत को मां, बाबा, और छोटा भाई था। इसलिए विक्रांत कहता है आप का एहसान है मुझ पर, उस वक्त विक्रांत लखनऊ में था उसे जैसे ही पता चला वो तुरंत वहा से दिल्ली आ गया।
वैशाली ने अपना फर्ज निभाया और हॉस्पिटल लेकर आय, जब पूछताछ हुई तो वैशाली ने बयान दिया थी कैसे उसके सामने से एक्सीडेंट हुआ।
विक्रांत में उसे हॉस्पिटल में आकर थैंक्यू कहा और उसे गले लगा कर कहा, आपने मेरी जिंदगी को खुशी बचाली है।


अ से अंत से नई शुरुवात


विक्रांत और वैशाली की कहानी अभी बोहत बड़ी है, उसे अब इस कहानी में बताना आसान नहीं होगा, इसका अगला पार्ट जल्द ही आजाएगा.


- अंकित मुकाडे
(20/02/2023)