One hundred and sixteen moon nights... books and stories free download online pdf in Hindi

एक सो सोलह चांद की रातें ...

1987 का वो गीत "मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास है" उसमें से वह शब्द "एक सो सोलह चांद की रातें एक तुम्हारे कांधे का तिल .."यह गीत के शब्द और रीना के पीठ पर दिखा वह काला बड़ा तिल देखकर हर बार राजदीप यह सोचता था कि शायद गुलजार जी के ये जो लिरिक्स अब सही समझ में मुझे आ रहे हैं कई बार जब वह सॉन्ग सुनता था तो वह वही उसकी सोच अटक जाती थी कि यह क्या है "एक सो सोलह चांद की रात है और एक तुम्हारे कांधे का वो तिल" पता नहीं था उसे कि शायद गुलजार जी ने भी यह कल्पना किसी खास के लिए की होगी
दरअसल रीना और राजदीप एक ही रूट से अपनी जॉब के लिए जाते थे तो कई बार ऐसा होता था कि बस में जगह ना मिल पाने की वजह से दोनों को खड़ा रहना पड़ता था रीना बहुत ही खूबसूरत थी और साथ में उसकी हाइट भी काफी थी इसलिए राजदीप का ध्यान अक्सर उस पर जाकर ही उसकी पीठ पर वह जो काला तिल था उस पर जाकर अटक जाता था पर वह था बड़ा शर्मिला कभी अपने प्यार का इजहार कर ही नहीं पाया और जब भी वह देखता था उसके कांधे का वो तिल तो इस गीत के बोल उसे याद आते थे पर उसकी शर्मीले स्वभाव के कारण हो कभी उसे कहीं नहीं पाया...

पर आज शादी के कई सालों बाद जब रीना यह सॉन्ग सुन रही थी मेरा कुछ सामान और वो गुनगुना रही थी तभी रीना ने राजदीप से पूछा कि मुझे यह शब्द समझ नहीं आ रहे "एक सो साल सोलह चांद की राते एक तुम्हारे कांधे का तिल" और राजदीप अपनी मुंह की बात बोल गया कि मुझे भी पहले यह शब्द समझ नहीं आता था पर जब हम शादी से पहले बस में जाते थे तो मैंने तुम्हारे पीठ पर यह काला तिल देखा और तब मुझे गुलजार जी की यह लिरिक्स सबसे परफेक्ट लगने लगी तुम नहीं जानती तुम्हारे कांधे का तिल देख कर मैं अक्सर यह गीत मन में गुनगुनाया करता था और राजदीप देखता है कि रीना का मुंह तो खुला ही रह गया और आंखें चौड़ी हो गई फिर राजदीप को अपनी बात पर शर्म आती है वह शर्मिंदा होता है दोनों एक दूसरे को देखते हैं आंखों में देखकर ही वह भी शर्मा जाती है और अपने बाल कंधे से आगे करके हाथों से संवार कर राजदीप के सामने मुड़कर अपनी पिठ दिखा कर चल दि और राजदीप फिर से वह तिल देखकर मन ही मन जो शब्द आए वह होठों से निकल गये और राजदीप गुनगुनाने लगा "एक सो सोलह चांद की रातें एक तुम्हारे कांधे का वो तिल" ..


और रीना भी बड़बड़ाती हुई बोली" बड़े शरीफ लगते थे तब तुम मुझे, शादी के इतने साल बाद आज मुझे यह पता चला ..." और राजदीप खिड़की से देखता है कि रीना शरमाई और उसके गाल पर उसकी प्रेम की लाली बरस आई
शादी के कई सालों बाद वह बीते पुराने नगमे दोनों ने याद किए और अपने दिल की बात कह बैठा राजदीप
कभी-कभी कुछ अनकही सी बातें भी और जज्बात भी हम किसी को कह नहीं सकते शायद वक्त नहीं होता या तो वक्त होता है तो हम इजहार नहीं कर पाते पर जो दिल में होता है वह जुबां पर आता है तो समझ लीजिएगा कि आपसे वह बहुत ही प्यार करते हैं आपके तरफ उनकी चाहत बरकरार रहती है...जय द्वारिकाधीश 🙏🏻