Tuti Futi Kahaniyon Ka Sangraha - 4 in Hindi Short Stories by Sonu Kasana books and stories PDF | टूटी फूटी कहानियों का संग्रह - भाग 4

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टूटी फूटी कहानियों का संग्रह - भाग 4

एक मनोवैज्ञानिक डॉ. अदिति सिंह का जीवन अचानक उस समय उलट-पलट हो गया, जब एक दिन पुलिस उनके दरवाजे पर दस्तक दी। वह शहर की प्रतिष्ठित मनोवैज्ञानिक थीं, जिन्होंने कई लोगों की मानसिक समस्याओं को सुलझाया था, लेकिन आज वे खुद एक अजीब स्थिति में फंसी हुई थीं। पुलिस ने उन पर हत्या के मामले में शामिल होने का आरोप लगाया।

मामला एक महिला, साक्षी मेहरा, की हत्या से जुड़ा था, जो डॉ. अदिति की मरीज़ थीं। साक्षी कुछ महीनों से डॉ. अदिति के पास काउंसलिंग के लिए आ रही थीं और अवसाद से जूझ रही थीं। पुलिस का दावा था कि आखिरी बार साक्षी को जीवित किसी ने डॉ. अदिति के क्लिनिक में देखा था। यही कारण था कि शक की सुई सीधी उन पर जा रही थी।

डॉ. अदिति ने पुलिस को यकीन दिलाने की कोशिश की कि उनका साक्षी की मौत से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन सबूतों के अभाव में उनकी बातों पर कोई विश्वास करने को तैयार नहीं था। पुलिस ने उनसे कहा, "आपके क्लिनिक से ही साक्षी की कार मिली है, और जिस दिन साक्षी की हत्या हुई, उस दिन भी वह आपकी आखिरी मरीज़ थी। हमें आपके खिलाफ ठोस सबूत मिले हैं।"

डॉ. अदिति ने अपनी बेगुनाही साबित करने की ठान ली। उन्होंने सोचा, "अगर मैं खुद एक मनोवैज्ञानिक हूं, तो मुझे इस मामले को उसी दृष्टिकोण से देखना होगा। मैं साक्षी के जीवन और उसके मानसिक स्थिति को गहराई से समझ सकती हूं। कहीं न कहीं इस मामले में कुछ ऐसा है जो छिपा हुआ है।"

अदिति ने साक्षी की काउंसलिंग के दौरान लिखे गए सभी नोट्स का गहराई से अध्ययन किया। साक्षी ने कई बार अपने पति और एक नजदीकी दोस्त के बारे में चिंता व्यक्त की थी। वह कहती थी कि उसका पति उसे नियंत्रित करने की कोशिश करता है, और वह अपने दोस्त से कुछ छिपा रही थी। अदिति को साक्षी के जीवन में कुछ और रहस्य दिखाई दिए, जिनके बारे में उसने पहले कभी ध्यान नहीं दिया था। 

अदिति ने पुलिस से कहा, "साक्षी के जीवन में कुछ और पहलू थे जो आपने शायद नहीं देखे। उसके पति और उसके दोस्त के बीच कुछ गहरे संबंध थे। हो सकता है कि यह हत्या किसी निजी द्वेष या संबंधों की जटिलता का परिणाम हो।"

पुलिस ने पहले तो अदिति की बातों को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन फिर उन्होंने अदिति को कुछ और समय दिया। अदिति ने खुद साक्षी के पति से मिलने का निर्णय किया। जब वह उससे मिली, तो उसने पाया कि साक्षी के पति के चेहरे पर गहरा तनाव था। उसकी बातचीत में अदिति को कुछ अजीब लगा। वह लगातार अपने दोस्त का जिक्र करता था, और बार-बार यही कहता था कि साक्षी उसे समझ नहीं पाई। 

अदिति को एहसास हुआ कि साक्षी के पति और उसके दोस्त के बीच एक संबंध हो सकता है। वह यह बात पुलिस को बताने के लिए तैयार थी, लेकिन पहले उसे और सबूत चाहिए थे। उसने साक्षी के मोबाइल रिकॉर्ड और क्लिनिक के आसपास के सीसीटीवी फुटेज की जांच करने का सुझाव दिया। 

सीसीटीवी फुटेज की जांच के दौरान, अदिति और पुलिस को साक्षी के पति और उसके दोस्त को एकसाथ क्लिनिक के पास देखा गया। यह वही दिन था जब साक्षी की हत्या हुई थी। यह सबूत काफी था कि पुलिस ने साक्षी के पति और उसके दोस्त को गिरफ्तार कर लिया। 

पूछताछ के दौरान, साक्षी के पति ने स्वीकार किया कि उसने और उसके दोस्त ने मिलकर हत्या की साजिश रची थी। वे दोनों साक्षी से छुटकारा पाना चाहते थे ताकि वे अपनी गुप्त संबंध को आगे बढ़ा सकें। 

अदिति ने इस मामले को सुलझा लिया था। पुलिस ने उनकी मदद की सराहना की और उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। अदिति ने अपने अनुभव से यह सीखा कि कभी-कभी सबसे जटिल समस्याओं का समाधान मानव मानसिकता की गहराइयों में छिपा होता है। 

यह मामला सिर्फ एक हत्या का नहीं था, बल्कि यह मानव संबंधों की जटिलताओं और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से सच्चाई की परतों को उजागर करने का भी था।