The Author Shweta Misra Follow Current Read Bandh Ghadi By Shweta Misra Hindi Short Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books हनुमान शतक- समीक्षा एवं पद्य - 2 हनुमान शतक- समीक्षा एवं पद्य 2 हनुमान शतक सवैया कविता और द... एक मुसाफ़िर एक हसीना: A Dangerous Love Story - 44 44 इंतज़ार अब अनुज की नज़र लाश पर गई तो उसने देखा कि इसक... टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 32 टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 32 पिछले एपिसोड में:भावेश... पीड़ा में आनंद - भाग 16 - पराए बच्चे पराए बच्चेदयाल बाबू की पत्नी सुनंदा बार बार दरवाज़े तक जाकर... MUZE जब तू मेरी कहानी बन गई - 2 Chapter 2: टकराव से तकरार तक मुंबई के बादलों ने उस सुबह भी... 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क्या हो गया उसे ?सोच कर पलक रोती रही l पलक को मास्टर करने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो से स्कालरशिप मिल गयी थी और कुछ ही दिनों में वह अमेरिका चली गयी lधीरे धीरे 15 साल गुज़र गए और पलक को वहां एक बहुत ही अच्छी कम्पनी में नौकरी मिल गयी थी और बीते समय के साथ वंहा की नागरिकता भी मिल गयी थी l पलक वहां के रंग ढंग में रच बस गयी थी पर दिल के किसी कोने अब भी उसकी दुनिया वैसे ही थी जिसे वह अपने साथ ले आई थी l पलक जिस कम्पनी में मैनेजिंग डायरेक्टर थी उस कंपनी ने अपनी एक शाखा भारत में भी खोल रखी थी l कम्पनी ने कुछ एम्प्लोयिज़ को ट्रेनिग देने के लिए अमेरिका बुलाया था जिनमे एक एम्प्लोयी आकाश भी था l ट्रेनिग को 10 दिन बीत चुके थे l वीकेंड पर कंपनी की ओर से पार्टी थी इसमें सभी शामिल हुए थे l आकाश अपने यूनिट के साथ पार्टी के मजे ले रहा था कि उसे अचानक पलक दिखाई दी जो कम्पनी के वरिष्ठ अधिकारिओं के साथ थी l आकाश को बहुत हैरानी हुई पलक को यहां देखकर ....पूछने पर पता चला की पलक इस कम्पनी की मैनेजिंग डायरेक्टर है l पलक पार्टी में सभी से मिल रही थी अब बारी आकाश की थी lगुड इवनिंग मैडम ...माय नेम इस आकाश .... आकाश ने पलक की ओर हाथ बढ़ाते हुए उससे कहा .......गुड इवनिंग ...कह कर पलक आगे निकल गयी और दुसरे सदस्यों से मुलाकात करने लगी l दुसरे दिन आकाश ने पलक के घर का पता लेकर उसके घर जा पंहुचा l कॉल बेल बजाने पर पलक ने दरवाजा खोला l तुम, तुम यहाँ कैसे आकाश ?और मेरे घर का पता तुमको किसने दिया ??अच्छा ....आओ ..अन्दर आओ बाहर बर्फ गिरने के कारण काफी ठण्ड है l बैठो ....काफी लोगे या चाय ? कुछ भी चलेगा ..आकाश ने मुस्कुराकर कहा ...पलक दो कप काफी और कुछ स्नेक्स ले कर आयी और बैठ गयी l आपको देख कर आपसे मिलने का मन हुआ तो खुद को रोक न पाया ऑफिस से आपके घर पता लिया और यहाँ चला आया l ऑफिस में बिना काम के मैं कैसे मिलता और अब तो तुम हमारी बॉस हो तो .....आकाश ने मुस्कुरा कर पलक से कहा lवैसे तो सालों पहले हमारे मिलने की सारी वजह ही ख़तम हो चुकी थी तो अब ...अब क्या ...पलक ने आकाश से कहा l वैसे भी मैं किसी अमीर खानदान से तो थी नही जो दोस्त दूर तक मेरा साथ निभाते l तुम ..तुम नौकरी कर रहे हो ..मैं तो सोच रही थी कि तुम कई कम्पनी के मालिक होगे l आकाश ने कहा शादी के बाद ही सब ख़तम हो गया था lवजह ये थी कि मैं लोन नही भर पाया और धीरे धीरे सब ख़तम हो गया ...अब ..मैं एक छोटे से फ्लैट में अपनी फॅमिली के साथ रहता हूँ lसुन कर बहुत अफ़सोस हुआ ..पलक ने आकाश से कहा तुम्हारी फॅमिली में कौन कौन है ? सॉरी मेरा मतलब था आपकी फॅमिली में ..आकाश ने पलक से पूछा पलक मुस्कुरायी ...एक लम्बी सांस छोड़ते हुए.....झुक कर कप को टेबल पर रखा और बोली वही जिन्हें मैं अपने साथ ले आई थी अब भी मैं उन्ही के साथ हूँ lआकाश तुम मुझे तुम ही कह कर संबोधित कर सकते हो .....तुम्हारे मुंह से आप अच्छा नही लगता ...आकाश ने पलक के हाथ वही घडी देखी जो उसने वर्षों पहले उसे उपहार स्वरूप दिया था l अरे ये तो वही घडी है जिसे मैने तुमको तुम्हारे जन्मदिन पर दिया था l वो भी जब हम दोनों साथ पढ़ते थे l ये घडी चलती भी है ??और आज भी तुम इस घडी को ......पलक ने आकाश की बात को बीच में रोकते हुए कहा ..आकाश जिस दिन हम आखिरी बार मिले थे घडी तभी से बंद है l बंद घडी पहनने से क्या फायदा पलक ?? आश्चर्य से आकाश ने पलक से पूछा ..आकाश मेरे लिए वक़्त उसी दिन ठहर गया था जब तुम मुझे छोड़ गए थे .....ये घडी आज भी मेरे साथ है मेरे एक तरफ़ा प्यार की तरह एक याद बन कर , मेरी हिम्मत बन कर, मैं बंद घडी बदलना ही नही चाहती क्युकि मैं उस पल से बाहर आना ही नही चाहती l और आज मैं इन सब के साथ बेहद खुश हूँ l शायद इस घडी की वजह से मुझे कभी किसी की जरुरत ही नही महसूस हुई lआकाश तुम्हे देर हो रही है तुम्हे जाना चाहिए अब .......पलक ने आकाश से कहा हाँ ...पलक .....वक़्त क्या हुआ है पलक ..पलक ने बंद घडी की ओर देखा और कहा 10 बज रहे हैं रात के ....आकाश को यकीं न हुआ उसने अपना मोबाईल निकाल कर टाइम चेक किया 10 ही बज रहे थे ....बंद घडी से सही वक़्त .....तुम कितनी अलग थी ...आज भी तुम वैसी ही हो ....सबसे अलग .....मैं तुम्हे क्यूँ पहचान न सका.... तुम हमेशा की तरह शांत अपने निर्णय के साथ अटल ....वक़्त ....कितना बदल गया ....नही बदली तो तुममैं ... मैं एक झटके में अमीर बनने का ख्वाब ले कर तुम्हे झुठलाकर तुमसे आगे निकलने चला था....लेकिन आज...आज मेरे पास सिर्फ और सिर्फ पछतावा ही है.......... जिन्दगी की कडवाहट को सोचते हुए आकाश अपने होटल तक आ चुका था ............ 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