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ચલો આઓ કૂછ અહસાસ સૂનતે હૈ...
हाअब संभलने लगी हूँ में .... तेरे वादों ने जो तोड़ा था मुजे .... तेरी ही यादो से अब संभलने लगी हूँ में .... प्यार में साथी के साथ वक्त कैसे कटता था पता है मुजे .... पर अब साथी के बिना प्यार कैसे होता है ; अब जानने लगी हूँ में .... अब खुद से ही और प्यार करने लगी हूँ में .... क्योंकि अब कही न कहीं तू भी तो बसता है मुजमे ... तेरी तो जैसे आदत ही हो गई ही है मुजे ... और तुने तो मेरी आदत को बहोत बिगाड़ा भी तो है .... पर अब तेरी यादों की आदत के साथ जीने लगी हूँ में ... तेरी यादो के साथ रहने लगी हूँ में .... हा अब संभलने लगी हूँ में .... Dr.Divya...
गुजरे हुए रास्ते से आज फिर से गुजरे है .... टूटे हुए ख़्वाब जहाँ बिखरे पड़े है .... दिल चाहता है फिर से समेटलु वो ख़्वाब सारे ... थामलू फिर से वो सारे जज्बातों का आँचल .... वो ख़्वाब वो जज्बातों के बीच ही तो कहीं ज़िन्दगी बिखरी पड़ी है मेरी .... शायद उन्हें समेटते समेटते कहीं ज़िंदगी भी समेट जाए खुद .... उन ख़्वाबो और जज्बातो का आईना है जिंदगी मेरी .... समेट पाऊ या न समेट पाऊ .... बस थोड़ी देर उस रास्ते पे थमजा तू जरा ये जिंदगी .... Dr.Divya
आज फिरसे तेरी याद आयी है ; क्योंकि आज फिरसे वो याद सामने आई है .... वक्त फिरसे दोहरा रहा है ; वो सारी बाते जो तेरे मेरे दरमियां थी .... इसलिए आज फिरसे वो रात आयी है .... आँखों के आगे छा रहे है फिरसे वो लम्हे .... जो हमने साथ गुजारे थे उस वक्त में ..... वो वक्त फिरसे दोहरा रहा है खुदको .... वक्त ही सामने लाया है हर एक लम्हे को .... वक्त ने भी वो बात याद दिलाई है .... जो वक्त के चलते भूल चुके थे हम .... उस लम्हे में गुजरे वक्तने फिरसे तेरी याद दिलाई है ... Dr.Divya....
पत्ता नही क्या है ये ...... प्यार है या कुछ और ..... नाहीं हमें किसी और का होने देता है ... नाहीं उनसे प्यार होने का यकीन दिलाता है ... क्या है ये उनसे ये कुछ समज नही आता है .... किसी और के पास क्या जाए ..... हर वक्त उनका ही ख्याल मन में रहता है ... नाही हम उनके है .... नाही किसी और के हो पा रहे है .... इसी कशमकश में लगता है .... की खुद से ही दूर जा रहे है । Dr.Divya
तुजे पा तो लिया था मेने बस अपना बना न सके .. चाहकर भी हम तेरे बिना मुसकरा न सके .. तू था यही कहीं मेरे आसपास ही बस मेरे साथ न था तेरे बिना कोई खुशी हम अपना न सके .... तेरी हर बात पे आँख बंद करके यकीन किया मेंने ... तूने तो हरपल कहा ही था कि चले जाओंगे तुम ... पर हम तेरी यही बात पे यकीन कर ना सके ... तेरी यादों का समंदर था मेरे पास तो बस ख्वाबो में ही रहे ... चाह कर भी हकीकत को हम अपना न सके ... तेरे साथ न होने के वजूद को मान न सके .... Dr.Divya
चलो मान लीया की तुजे भूला चुके है हम ... चलो मान लिया कि तेरी यादों को अपने जहन से मिटा चुके है हम .... चलो मान लिया कि अब वो प्यार नही रहा ... तो फिर ऐसा क्यों होता है ... जब भी खुदा से कुछ मांगते है तो जुबा पे तेरा ही नाम पेहले क्यों आता है ...! चलो मान लिया कि दिल मे किसी और को बसा लिया है हम ने ... चलो मान लिया कि मन मे हर वक्त किसी और कि छबि रहती है ... तेरे हर एक इल्ज़ाम को हसके मानने को तैयार है हम ... तो फिर तू ही बता .... ये कोनसी जगह है मुजमे जहाँ कही ना कही तुम बसे हो .... कैसे कहदे की तुमसे अब प्यार नही करते ... माना कि पहले जैसा जुनून नही अब मुजमे तुजे पाने का ... तो फिर क्यों तेरा ही नाम जहन में आता रहेता है हर वक्त ... Dr.Divya
એવું કેમ કરીને કહીં દઉં કે હું તને ભૂલી ગઇ છું ... એવું કેમ કરી ને કહીં દઉં કે હું તને પ્રેમ નથી કરતી ... હજી પણ તારી એક એક યાદ મેં હ્ર્દય માં રાખી છે .. હજી પણ તારી યાદ ની એક એક વસ્તુ મેં સાચવી ને રાખી છે ... હજી પણ તારી સાથે ની પેહલી મુલાકાત એમજ યાદ છે ... હજી પણ તારો પહેલીવાર નો એ સ્પર્શ એમજ યાદ છે ... આજે પણ તારા નામ થી દિલ એક ધડકન ચુકી જાય છે ... હજી પણ તારી સાથે વિતાવેલી એ ક્ષણો નઝર માં એમ જ અકબંધ છે .... આટઆટલા વર્ષો વીતવા છતાં એ એહસાસ હ્ર્દય માં એમજ અકબંધ છે ... Dr.Divya
गुजरे हुए रास्ते से आज फिर से गुजरे है ... टूटे हुए ख़्वाब जहाँ बिखरे पड़े है ... दिल चाहता है फिर से समेट लू वो ख़्वाब सारे .. थाम लू फिर से वो सारे जज्बातो का आँचल .. वो ख़्वाब वो जज्बातों के बीच ही तो कहीं जिंदगी बिखरी पड़ी है मेरी ... शायद उन्हें समेटते समेटते कहीं जिंदगी भी समेट जाये ... उन ख्वाबो और जज्बातो का आइना है जिंदगी मेरी । समेट पाउ या न समेट पाउँ बस थोड़ी देर उस रास्ते पे थम जा तू जरा जिंदगी । Dr.Divya
जिंदगी को कर दिया है जिंदगी के हवाले ... गुमनाम सी राहो पर चल पड़े है यू ... नाही रास्ते का पता ; नाहीं मंजिल का ..... बस युही गुमराह फिर रहे हम ... न जाने कोन सी डगर .... कोन सी राह पर चल पड़े है कदम ... कुछ पाने की आरजू में ; कुछ ख्वाहिशें पूरी करने की आरजू में ; सब कुछ लुटाने को चल पड़े है हम ... Dr.Divya
પૂછો તો ખરા કોઈ જઈને એને ...!? શેની મચી છે આ હલચલ અહીં રહીં ને …!? શેની માટે શોર મચાવે છે એ ....!? શેની ખલબલી થઈ રહી છે એને …!? કેમ પોતાના જ વશ માં નથી રહ્યું એ …!? ક્યાં જવાની ઉતાવળ થઈ રહી છે એને …!? શું જોઈને ભાગદોડી કરે છે એ …!? શેની ઈચ્છા મનમાં થઈ રહી છે એને …!? કોઈ તો જાણો શું થઈ રહ્યું છે એને …!? Dr.Divya
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