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मौसम की तरह बदले तुम , फसल की तरह बर्बाद हुए हम ।
कर दिया आज़ाद उनको जो दिल मे हमारे रहकर, ख़्वाब किसी और का देखते थे ।
मीठा से होता है सफ़र यह जिंदगी का , बस कड़वाहट तो किसी से ज्यादा उम्मीदें रखने से होती है ।
नहीं दिखता प्यार यहाँ किसी को किसी के दिल में , पत्थर के ताजमहल में आखिर लोग ढूंढते क्या ?
दिल से बड़ी कोई कब्र नही होती , हर रोज कोई न कोई एहसास दफ्न होता है ।
जिंदगी है चार दिन की कुछ भी ना गिला कीजिए , दवा , जाम , इश्क़ या जहर जो भी मिले मजा लीजिए ।
अहसास सच्चे हो वही काफी है , यकीन तो लोग सच पर भी नही करते ।
कैसे कहे जिंदगी क्या देती है , हर कदम पर दगा देती है । जान से ज्यादा जिनकी कीमत हो दिल मे, दूर उन्हीं से रहने की सजा देती है ।
तेरा अक्स गढ़ गया है आंखों में कुछ ऐसा, सामने खुदा भी हो तो दिखता है हूबहू तुझ जैसा ।
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