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NeverTrustAnyoneElseMoreThanYourself
कुछ लोग कहानियोंकी पहेली जैसे होते है जितना पढ़ने की कोशिश करो उतने ज्यादा पन्ने सामने आते हैं जितना सुलझाने की कोशिश करो उतने ही उलझा कर रख देते है -Smile
तेरे नाम का सैलाब मेरे शहरमें आज आया है तेरी यादें भी मानो बारिश सी आज बरस रही है . रोक ले इसे कहीं आज बह ना जाऊं इसमें यू आज फिर तुझे देखने को नज़रे मेरी तरस रही है .................................................................. आज वो नहीं मैं जो पहले थी कभी जिम्मेदारियां कुछ वक़्त ने और भी मुझ पर डाली हैं . एक वक्त तेरी यादसे महक उठता था जहां मेरा ख़ुशी आज भी वहीं है पर वज़ह तुम हो ये जता नहीं सकती .................................................................. एक पल सोचा कि सारे जज़्बात सारी कसमें तोड़कर आ जाऊं तुम्हारी दुनियामें . लेकिन प्यार के लिए कुछ रिश्तोंसे बेवफ़ाई नहीं कर सकतीं थी मैं .................................................................. गुनेहगार हू मैं तुम्हारी हर इल्ज़ाम कुबूल है मुझे . क्या कुछ मजबूरी मेरी कैसे बताऊं मैं तुझे .................................................................. हो सके तो माफ़ कर देना आज मेरे दिल-ए-नादानको . दुआओंमें ना सही बद्दुआ में ही याद कर लेना तुम इस बेवफाको .................................................................. कभी मौसम से भी ज्यादा खुशहाल हुआ करती थी आज महज़ एक पत्थर की मूर्ति बन गई हू मैं . तुम्हें सोचना भी आज ग़ैर होगा दुनिया के नजरिए से क्योंकि आज किसी और कि अमानत बन गई हू मैं ..................................................................
बात रूप की हो या स्वभाव की इन्हे किसीके लिए कभी मत बदलना क्योंकी किसी ना किसी की नजरमे आप दुनिया के सबसे प्यारे और खूबसूरत इंसान होते है -Smile
हाल ए दिल कितनी बख़ूबी से दिखते है . कुछ गाने कुछ अल्फ़ाज़ दिलको इसतरह छू जाते है -Smile
simple सी life हो हाथ में अदरक की चाय और आसमान में सितारों की बारिश हो... -Smile
कैसी होती हैं ना ये दुनिया बचपन में जिसे पापा की परी कहती थी आज एक पल में उसे पराये घर की अमानत कहती हैं... -Smile
" कर्ण " कुंतिपुत्र होते हुए भी, उसने राधा मां की ममता मानी थी रक्तके खिलाफ जाकर, गलत मित्र की मित्रताही चुनी थी एक साधारण कुल में इतना तेजस्वी बालक कैसे यह पहेली बड़े अजीब मोड़ पर उसे सुलझी थी पर रिश्तो की डोर कर्तव्य के बंधन से बड़ी ही कस के उलझी थी स्वयं इंद्र रूप बदल आए थे कवच मांगने बनकर याचक देवलोक के वो महारथी स्वयं थे अर्जुन के रक्षक सूर्यदेव की चेतावनी के बाद भी कर्ण ने दान दिया कहा, इतना बड़ा इंद्र आज याचक बन मेरे दर आया मृत्यु अटल है जानकार भी युद्ध के मैदान में उतरा लड़ता रहा वो वीर और गिरता लहू का एक एक कतरा एक क्षण आया जब कृष्ण भगवान युद्ध के नियम भूले और उनके ही कहनेपर निशस्त्र कर्णपर अर्जुनके बाण चले आखरी सांस खत्म होने तक उसने अपना धर्म निभाया मृत्युयातनामेंभी उसने सोनेका दात निकालकर दान दिया सूतपुत्र कहकर जिंदगीभर दुनियाने जिसका उपहास बनाया लेकिन उसी सूतपुत्र ने आखिर "दानवीर कर्ण" नाम पाया
सिखना हैं तो फूलोंसे सिखों... चाहे उसकी पंखुड़ियां तक निचोड़ दे कोई लेकीन खुशबू तो वो उस बेरहम को भी देते है -Smile
कुछ लहरे यु उठती है समंदर की गहराईमे तय ही नहीं कर पाता मांजी महफूज़ किनारा रख पाएगा या कश्ती? -Smile
झूठ को चाहे समंदर की गहराई में छुपालो एक दिन सच का सैलाब उसे खींच कर बाहर लाता है -Smile
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