adhuri havas - 9 in Hindi Horror Stories by Balak lakhani books and stories PDF | अधूरी हवस - 9

अधूरी हवस - 9

(9)

(आगे आप सब ने कहानी मे देखा कि मिताली राज के साथ रिश्ता रखने वाली लड़की से बात करती हैं और उसे दुनिया की एक कड़वी सच्चाई सामने आती है, और अचम्भे मे रहे जाती है, राज भी उसे और लड़कीयों के नंबर दे जाता है बात करके तसल्ली के लिए अब आगे )

राज ओर मिताली के बीच मे तीन चार दिन बात नहीं होती है, इधर राज मिताली को याद करता है कि बात करू या ना करू मिताली से राज को मिताली जब मिलने आयी थी तब का वोह दृश्य बार बार सामने आ जाता था
और काम मे भी मन नहीं लगता था पर अपने आप को रोके रक्खा था किसी कारन के वजह से,

उस तरफ मिताली की हालत कुछ वैसी ही थी उसने सभी लड़की से अपने हिसाब से बाते करली सभी का जबाव एक ही आया था हम ख़ुशी ख़ुशी ऎसे रिस्तों बंधने को राजी हुई थी, हमारे लिए और आसान रहा जब राज ने हमे पहेले ही कहा था कि और कोई बंधन नहीं रिश्ते में शारीरिक रिश्तों के अलावा कोई उम्मीद नहीं ये बाते सब से जान ने बाद राज के प्रति मिताली की सोच बदल जाती है, राज का पाला भूख मिटाने वाले से ही पड़ा है तो मे उसे ही दोषी मान के चलु ये सही नहीं है,मिताली के दिल मे एक सच्चे इंसान की छवि उभर आई और राज की दिल ही दिल मे कुछ खास जगह बन गई वोह मिताली को भी पता ना चला,

मिताली अब रोज राज को उठते ही राज को एसएमएस कर देती और क्या करते हो कहा हो ये एसएमएस का सिलसिला दोनों मे शुरू हो चुका था, राज भी मिताली के एसएमएस का अब इंतजार करता वक़्त पे एसएमएस नहीं आता तो राज भी सामने से एसएमएस कर देता दोनों तरफ चिंगारी भड़क चुकी थी पर दोनों अंजन थे, उनको तो बस लगता था कि ये सिर्फ ऎसे ही हाल चाल वाला रिश्ता है

( राज के फोन पे मिताली का कॉल आया राज फोन रिसीव करते हुवे)

राज : हा हैलो.

मिताली : काम मे थे क्या? मेंने आपको तंग तो नहीं किया ना?

राज :अरे नहीं नहीं कुछ काम नहीं था फ्री ही बैठा था.

मिताली : तो ठीक है अगर काम हो तो बाद मे बात करेंगे

राज : अरे नहीं फ्री ही हू, तुम बताओ कुछ काम था क्या?

मिताली : नहीं ऎसे ही बोर हो रही थी, कुछ अच्छा नहीं लग रहा था तो सोचा किसीसे बात करू, तो तुमसे बात करने का दिल किया, कोई प्रॉब्लम तो नहीं ना?

राज : अरे बाबा कितनी बार बोलू, मुजसे बात करने का दिल किया क्यू, कुछ लफड़ा हो गया क्या तुम्हारा और तुम्हारे मंगेतर के बीच?

मिताली : हा थोड़ा सा

राज : क्या मे जान सकता हू किस बात पे, अगर तुम बताना चाहो तो.

मिताली : बस थोड़ी सी बहस हुई और मुजे गुस्सा आ गया

राज : कब आज?

मिताली : नहीं कल रात को

राज : एसी क्या बात हुई तो तुम्हें गुस्सा होना पड़ा?

मिताली : बात बताते हुवे वेसे तो हमारी अरेंज मेरेंज होने वाली है, पर ऎसे तो लव मेरेंज हे

राज : ओह ऎसा हे मुजे नहीं पाता था

मिताली : हा मे हमारे बाजू के बड़े शहर मे कोलेज जॉइन किया था वहा ही सूरज से मुलाकात हुई थी और बाद मे शादी तक

राज : अच्छी बात है ना तो तुमने जिसे चाहा उससे तुम शादी करने जा रही हो

मिताली : नहीं ऎसा नहीं है, लव मेरेंज उसके लिए हे, मेरे लिए तो परिवार वालो ने जो फेसला लिया उसको स्वीकार किया है,

राज :तो तुम खुश नहीं हो तुम्हारे इस रिश्ते से?

मिताली : नहीं ऎसा नहीं है पर एक डर सा लगा रहेता है हर वक़्त

राज : किस बात का डर, तुम उसे जानती हो तो डर किस बात का

मिताली : कभी कभी खयाल आता है कि ये सब दिखावा है उनका, उन्होंने किया ही ऎसा हे.

राज : क्या किया ऎसा तो तुम्हें डर लगा रहेता हे

मिताली : कॊलेज मे दो साल मेरे पीछे पड़ा रहा मेने हाँ ही नहीं बोला कभी तो उसने हमारे रिश्ते दारो से बात कर के शादी की बात लेके आ गया और वोह बात उसने मुजे बताई भी थी कि मे शादी तुमसे ही करूंगा, मेंने मेरे घर पर तुम्हारे बारे मे सब बता दिया है, मेंने उसे कहा कि मे तुमसे प्यार नहीं करती कितनी बार बताया पर तुम समझते ही नहीं और रोज आ जाते हो मुजे परेशान करने, उसके बाद भी वोह नहीं समजा और पीछे आने का सिलसिला उसका चालू रहा.

राज : तुम अपने घर पर बता सकती थी ना, कोलेज मे बता सकती थी,

मिताली : मेरी मदद कोई नहीं कर सकता था मेरे पिताजी नहीं है, और मे अगर ये सब बाते घर पर बताती तो मेरी पाढ़ी रुक जाती, और मुजे आगे पढ़ना था, मेरे बाद मेरे भाई के बारे मे भी सोचना था उसके फ्यूचर के बारे में, जेसे तेसे करके पापा के पेंशन मेसे हमारा गुजारा माँ करती थी,ए सब बाते बताने से बहोत सारी परेशानियां शुरु हो जाती ये सोच के मे चुप थी.

राज : ओह मुजे नहीं पाता था तुम्हारे पिता नहीं है, मुजे माफ करना.

मिताली : नहीं कोई बात नहीं उनको गुजरे बहोत साल हो गये मे बहोत छोटी थी तब हमे छोड़ के चले गए, मुजे बहोत आती है जब हमारा झगड़ा होता है तब कास मेरे पिताजी होते तो मुजे उससे शादी ना करनी पड़ती.
( उतना कहते कहते मिताली की आवाज भारी भारी सी हो गई थी वोह राज को महसूस हुवा, पर मिताली ने फोन काट दिया)

राज सामने से फोन लगाता है पर मिताली उठाती नहीं है, फिर कोल जोड़ता है, मिताली सिर्फ इतना बोल के काट देती है, बाद मे बात करती हू, पर राज को पता लग जाता है कि मिताली रोने लगी थी इसीलिए फोन काट दिया , राज को लगा वापिस उसे बात करके चुप कराऊँ पर नहीं किया कोल, कि उसको उसके पिताजी की याद आ गई है तो दिल भारी होगया है तो थोड़ा खुलकर रोलेगी तो
अच्छा होगा करके वापिस कॉल नहीं लगाया. राज का दिल पिघल रहा था मिताली की बाते सुन कर, मिताली एसएमएस करके कहती हैं कि मे अभी आपसे बात नहीं कर सकती मे सामने से आपको कॉल करूंगी,

राज ने सामने जवाब देते कहा ठीक है अपना खयाल रखना जी भर रो लेना,

राज मिताली के फोन का इंतज़ार करता रहा पर रात हो गई पर फोन ना एसएमएस कोई
कई बार फोन से नंबर डायल की पर लगाई नहीं कोल, अखिर थका हारा रात को एसएमएस कर के सो गया रीप्ले का इंतज़ार करते कब आंख लग गई उसे भी पता ना चला, रात को एक बजे राज के फोन की घंटी बजती है, फोन उठाए उसके पहेले तो कट हो गया, राज ने देखा इतनी रात को किसका फोन होगा शायद फैक्ट्री से होगा करके देखा तो मिताली का. राज वापिस मिताली को कोल करता है.

राज : हैलो इतनी रात को? सब ठीक तो हे ना? तुम तो ठीक हो ना?

(ढेर सारे सवाल पूछ लिए राज ने मिताली से कुछ बोल नहीं रही थी सामने से थोड़ी देर बाद)

मिताली : माफी चाहती हूं इतनी रात को मेने आपको परेशान किया

राज : कोई परवाह नहीं तुम ठीक हो?

मिताली : हा ठीक हू अब, आप सो गए थे क्या?
राज : हा

मिताली :आपकी नीद खराब की आधी रात को माफ कर देना मुजे.

राज :अरे माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं. बोलो क्या कुछ बात करनी हे क्या, तुम दुपहर को बात करते करते रोने क्यू लगी थी?

मिताली :ऎसे ही किसी की याद आगई थी तो दिल भर आया था.

राज : हो गया खाली तो?

मिताली : क्या?

राज : अरे बाबा दिल भारी हो गया था तो खाली हो गया ऎसा पूछ रहा हू.

मिताली : थोड़ा सा ही हुवा खाली, वेसे वोह खाली हो ही नहीं सकता.

राज : अरे क्यू नहीं होगा, चाहो तो हो जाता है, सही जगह, कोई दिल के दबे दर्द को खाली करो तो हो जाता है,

मिताली : वहीं तो नहीं हो पाता.

राजा : क्या तुम्हें तुम्हारे पापा की याद आ गई थी?

मिताली : हा बरसों बाद मुजे ऎसा महसूस हुवा मुजे की उनसे बाते कर रही हू और वोह मुजे सुन रहे हो.

राज : अच्छा हे ना तो फिर तुम्हें एसा ही करना चाहिए तुमको जिससे बात करके तसल्ली मिलती है तो एसा रोज करना चाइये, दिल मे दर्द भरे रखने से, इंसान का नेचर एक तरह से चिड़चिड़ा हो जाता है, तुम अपने मंगेतर से इसी लिए हमेशा लड़ती रहती होगी.

मिताली : हा दिन मे कई बार लड़ाई हो जाती है, आज दुपहर को ही हुई लड़ाई, आपसे बात करने के तुरंत थोड़ी देर बाद सूरज का फोन आ गया और क्यू रो रही हो क्या हुवा मुजे माफ कर दो मेरी वजह से रो रही हो, मेरी क्या बात बुरी लगी फलाना फलाना सब बोल के इतना पकाया मुजे बात ही मत पूछो.

राज : ए तो अच्छी बात है ना, लगता है वोह तुम्हारा बहोत खयाल रखता है,

मिताली : हा वहीं तो वजह है, जो मुजे उसपे गुस्सा आ जाता है, घुटन सी होने लगती है कभी कभी, मेरी गलती पर भी सो बार माफी मांग लेना, दिन मे कितनी दफा बात करने का, कुछ तो वक़्त किसी और को भी देना चाहिए ना, बाकी भी रिश्ते नाते होते है जिंदगी मे उनको भी वक़्त देना होता है, ए बात उसे समज ही नहीं आती.

राज : सही है वक़्त तो सभी को देना चाहिय
प्यार हे तो बाकी सब रिश्ते को नहीं निभाना चाहिए एसा तो कहीं लिखा नहीं,
प्यार मे बंधन नहीं होना चाहिए ब्लकि आजादी होनी चाहिए, ना कि ना कि पिंजरे मे कैद पंछी, प्यार तो शायद आजाद परिन्दों की तरह होना चाहिए, कोई भी रिश्ता हो थोड़ी जगह तो होनी ही चाहिए.

मिताली : हा वहीं बात उसके दिमाग मे जाती ही नहीं है, या वोह जान बुज कर दिमाग पर लेता नहीं है, फिर मे ही थक कर अपने आप को समजा बुज़ा लेती हू.

राज : अच्छा रात बहोत हो रही है, तुम्हें नींद नहीं आ रही क्या?

मिताली : में सो ही गई थी पर कुछ सपना ऎसा देखा कि मेरी आंख खुल गई, और आपसे बात करने का दिल किया.

राज : एसा तो कौनसा सपना देखा तुम नींद से जाग गई, कोई ज्यादा बुरा सपना था?

मिताली : नहीं बुरा नहीं था पर थोड़ा अलग था जो आज से पहेले कभी एसा सपना मुजे नहीं आया.

राज: जरा मुजे भी बताओ अगर तुम बताना चाहो तो.

मिताली : नहीं आज नहीं फिर कभी बताऊंगी सही वक़्त पर.

राज : ठीक है तुम्हारी मर्जी, चलो शुभ रात्री

मिताली : आपको भी

(दोनों ने शुभ रात्री कहे कर बात खत्म कर के सो गए,)
क्रमशः.........


















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