तांत्रिक और
पिशाच - 1मधुपुर ( झारखण्ड ) से कुछ दूरी पर स्थित किशनपुर गांव अपने प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। हरा - भरा , शांत , छायादार परिवेश युक्त है यह किशनपुर गांव । नजर जितनी दूर जाती चारों तरफ फ़सल ही फ़सल लहलहा रहा है। बाकी गावों की तरह यहाँ सुबह - सुबह कोलाहल अक्सर नहीं सुनाई देता। यहाँ सुबह मुर्गे के बांग से शुरू होता है। साथ ही खेतों में चरते गायों की आवाज़ तथा इसी के साथ चिड़ियों के चीं - चीं आवाज़ भी सुनाई देती है। सुबह की शीतल हवा किशनपुर गांव के परिवेश को और भी मनोरम बना देता है। लोगों का कोलाहल व आना - जाना सुबह के कुछ बाद शुरू होता है। उनके आने - जाने के लिए गांव में कंकड - पत्थर से बना एक ही कच्चा रास्ता है। इस रास्ते से जाते वक्त दोनों तरफ पर्वत टीले व बत्तखों व हंसों के झुंड मन मोह लेते हैं। रास्ते के दोनों तरफ पेड़ों के नीचे कई प्रकार के रंग - बिरंगे फूल खिले हुए हैं। गांव के घर काफी पुराने समय के लगते हैं। गांव के उत्तर की ओर एक बड़ा सा तालाब है। सुबह के बाद खुले मैदान में गांव के छोटे बच्चों ने खेल - कूद शुरू कर दिया है तथा गांव की महिलाएं भी घड़ा लेकर पूरे दिन की पेय व अन्य कार्य के लिए पानी लाने में व्यस्त हैं। गांव के कच्चे रास्ते से वो सभी तालाब की ओर जा रहे हैं।
हालांकि इस बड़े से तालाब की पानी से गांव वालों के नित्य क्रियाकलाप पूर्ण तो हो जातें है लेकिन पानी की कमी इस गांव की एक बड़ी समस्या है। इसी समस्या की समाधान के लिए पिछले कुछ दिनों से गांव में एक नल लगाने का कार्य चल रहा है। इस गांव के दक्षिण - पूर्व कोने पर एक कुआँ है । मीठे पानी के लिए यह कुआं प्रसिद्ध था लेकिन लगभग 30 साल पहले एक भयानक सूखे की वजह से इस कुएं ने अपनी प्रसिद्धि को खो दिया। कई दिनों तक चले सूखे की वजह से कुएं से पानी खत्म होता गया। जब यह किसी कार्य का ना रहा तब इसे सीमेंट द्वारा बंद कर दिया गया। लेकिन गांव के बड़े - बूढ़े कुछ दूसरी बात बोलते हैं। उनका कहना है कि गांव के दक्षिण की ओर किसी कुएं या तालाब का होना अशुभ होता है। इसी कारण से इस कुएं को बंद कर दिया गया। जो भी हो अब असली बात पर आते हैं।
काफी दूर से दो लोग इस कुएं की ओर आते हुए दिख रहे हैं। उनमें से एक का शरीर काफी है ह्रष्ट - पुष्ट है लेकिन दूसरा काफी पतला है। उन दोनों के हाथों में खोदने के लिए लोहा रॉड व फावड़ा दिखाई दे रहा है। दोनों आदमी जब कुएं के पास पहुंचे तब पतला आदमी बोला ,
" राजनाथ जी को और कोई काम नहीं मिला। इस कुएं से क्या पानी निकलेगा, ना जाने कब से यह बंद पड़ा है। इसे खोलकर भी कोई लाभ नहीं है। इसमें बहुत मेहनत करना पड़ेगा तब शायद कहीं पानी मिले। जो भी हो चलो हम अपना काम करते हैं अगर समय से पहले काम समाप्त नहीं हुआ तो बाबूसाहेब हम पर चिल्लायेंगे। "
इतना बोलकर उन्होंने काम शुरू कर दिया। लोहे के मोटे रॉड से कुएं के ऊपर दोनों ने ठोकना शुरू कर दिया लेकिन सीमेंट की यह मोटी परत आसानी से टूटने नहीं वाला। उसके चार कोने पर चार ताले लगे हुए हैं।
यहां बता दूं कि कुछ दिन पहले ही राजनाथ तिवारी इस गांव के नए प्रधान बने हैं। अपने काम द्वारा गांव वालों को प्रसन्न करके पिछले प्रधान को काफी वोटों से हराकर वो गांव के प्रधान व मुखिया बने हैं। इस चुनाव के बारे में कुछ बातें बता दूँ । यहाँ प्रधानी चुनाव बैलेट पेपर या EVM के द्वारा नहीं होता। गांव के बरगद पेड़ के नीचे सभी गांव वालों एकत्रित होते हैं तथा इसके बाद जो भी चुनाव लड़ रहे हैं वो सभी बरगद के नीचे खड़े हो जाते हैं। गांव के सबसे अनुभवी व्यक्ति को विचार कर्ता के रूप में चुना जाता है। चुनाव में खड़े जिस व्यक्ति के लिए सबसे ज्यादा गांव वाले हाथ उठाएंगे विचार कर्ता उसे ही विजयी घोषित कर देगा ।
गांव के नए प्रधान होने के बाद राजनाथ जी को केवल एक ही चिंता है कि गांव के पेयजल की समस्या को कैसे दूर किया जाए। इस समस्या के बारे में सोचते ही सर्वप्रथम उनके दिमाग में दक्षिण - पूर्व की तरफ वाला वह कुआँ याद आया, जो कई सालों से बंद पड़ा था। इसीलिए उन्होंने सोचा कि गांव में जब एक कुआं है तो गांव वालों को पानी के लिए परेशानी क्यों हो। इस वक्त चैत्र का महीना है इसीलिए अगर जल्दी से काम शुरू नहीं किया तो कुछ ही दिनों बाद गर्मी आ जायेगा। गर्मी के मौसम में गांव वालों के पेयजल की समस्या और भी बढ़ जाएगी। इसीलिए गांव के प्रधान जी ने इन दोनों से कुएं को तोड़ने का आदेश दिया है।
वो दोनों क्रमशः लोहे की रॉड से सीमेंट की परत को ठोकते रहे। दिन बीतने के साथ-साथ सूर्य का ताप भी बढ़ रहा है। इसीलिए दोनों पसीने से तरबतर हो गए लेकिन दोनों अपना काम करते ही जा रहे हैं। प्रधान जी का आदेश है अगर काम पूरा नहीं किया तो दंड मिलेगा। सूर्य अब लगभग सिर के ऊपर आ गया है। इस तेज धूप में गांव के चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है। केवल लोहे के रॉड का सीमेंट पर टकराने की आवाज सुनाई दे रहा है।
अचानक ही काम करते हुए उन्होंने एक बूढ़े आदमी के आवाज को सुना। वह बूढा आदमी किसी पागल की तरह उन दोनों के तरफ दौड़ते हुए आ रहा था। उस पतले से बूढ़े आदमी के सिर पर बड़े जटा जैसी बाल और चेहरा दाढ़ी से भरा हुआ है। बूढ़े आदमी के शरीर का वस्त्र भी गंदा व फटा हुआ है। कुएं के पास आते ही वह बूढ़ा आदमी बोला ,
" उसे मत खोलो । मत खोलो उसे। उसे खोल दिया तो अंदर से पिशाच बाहर निकल आएगा। हाथ जोड़ रहा हूं उसे मत तोड़ो। अगर उसे खोल दिया तो सभी मरेंगे। कोई नहीं बचेगा। उसे मत खोलो....। "
यह सुनते ही दोनों उस बूढ़े आदमी की ओर लोहे की रॉड व फावड़ा लेकर आए और बिगड़ते हुए उन्हें यहां से जाने के लिए कहा। बूढ़ा आदमी भी गाली देता हुआ वहां से चला गया।
" तुम सभी मरोगे साले। सभी मरेंगे। कोई नहीं बचेगा। सभी मरने वाले हैं। "
उस बूढ़े आदमी के जाते ही वो दोनों फिर से अपने काम में लग गए। अंत में लगभग 2 घंटे की मेहनत के बाद कुएं के ऊपर बनी सीमेंट की परत को खोलने में वो दोनों कामयाब हो गए। किसी तरह सीमेंट की परत को कुएं के ऊपर से हटाते ही, बहुत सारे काले रंग के कीड़े कुएं के अंदर से निकलने लगे। कुएं के अंदर झाँकते ही उन्होंने देखा कि कुए के अंदर गहरा अंधेरा जमा हुआ है। सूर्य का थोड़ा प्रकाश कुएं के अंदर जा रहा है लेकिन उससे कुएं की गहराई का पता करना बहुत मुश्किल है। अचानक ही कुएं के अंदर से सड़न की बदबू आने लगी। उन दोनों ने जल्दी से सीमेंट की परत द्वारा फिर कुएं को ढक दिया , जिससे रात को कोई अंदर गिर ना जाए। काम शुरू करने से पहले इसे फिर हटा दिया जाएगा। आज का काम बस केवल कुएं के ऊपर से सीमेंट की परत को तोड़ना था। यह काम पूरा हो गया है, बताने के लिए वह दोनों प्रधान जी के घर की ओर चले गए।.....
क्रमशः......