तांत्रिक व पिशाच - 7
तांत्रिक मसाननाथ और हरिहर दोनों ने किसी के चिल्लाने की आवाज़ सुनी। वह आदमी प्रधान साहब के नाम को जोर - जोर से पुकारते हुए इधर ही आ रहा था। अब वह आदमी सामने के गेट से आँगन में आया।
उस आदमी को देखकर हरिहर बोला,
" अरे भोला सरदार तुम इस वक्त यहाँ , आखिर क्या हुआ है ? डर से कांप क्यों रहे हो ? "
भोला सरदार बोला ,
" हरिहर भाई मेरी लड़की को कुछ हो गया है। मेरी लड़की सोई हुई थी फिर अचानक उठते ही उसे ना जाने क्या हो गया ? मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा कि उसे क्या हुआ? मैं डॉक्टर बुलाने के लिए जैसे ही घर से निकला , वह घर से न जाने कहां चली गयी। मेरी लड़की को बचाइए। वह आखिर ऐसा क्यों कर रही है ? "
भोला सरदार के बातों को सुनकर हरिहर आश्चर्य में पड़ गया।
" अभी कुछ घंटे पहले ही तो तुम मुझे यहां छोड़ कर गए और इतनी देर में ही यह सब हो गया। और वह अकेली चली गई मतलब , कहां गई ? "
" गांव के दक्षिण कोने की ओर गई है। गांव के लोगों ने उसे देखा और वो सभी कह रहे थे कि वह गिरते - पड़ते व रेंगते हुए जा रही थी। मुझे नहीं पता वह ऐसा क्यों कर रही है ? "
यह सुनकर मसाननाथ बोले,
" हरिहर जल्दी जाओ और जहां पूजा की जाती है वहां से शंख लेकर आओ। "
हरिहर ने पूछा ,
" शंख का क्या कार्य तांत्रिक बाबा ? "
" जो कहा वो करो। प्रश्नों के उत्तर देने का समय नहीं है सब कुछ बाद में बताऊंगा। "
हरिहर चला गया और कुछ देर बाद शंख लेकर कमरे से बाहर आया।
हरिहर को देखकर मसाननाथ बोले,
" हरिहर, जिधर गोपाल का घर है वहां मुझे लेकर चलो। क्योंकि मुझे उसका घर नहीं पता। जल्दी चलो जल्दी। "
यह सुनकर हरिहर जल्दी से गोपाल के घर की ओर चल पड़ा। हरिहर के पीछे - पीछे तांत्रिक मसाननाथ और भोला सरदार चलते रहे। वह तीनों लगभग दौड़ते हुए तेजी से चल रहे थे।
चलते हुए हरिहर ने प्रश्न किया ,
" तांत्रिक बाबा आपको कैसे पता कि गांव के दक्षिण की ओर गोपाल का घर है ? और क्या वहीं पर भोला की लड़की है ? "
मसाननाथ ने उत्तर दिया ,
" मैं बहुत कुछ जानता हूं। अब बात करके और समय बर्बाद मत करो। जल्दी से चलो वही पर तुम्हारे सभी प्रश्नों का उत्तर है। "
गोपाल के घर के सामने पहुंचते ही उन्होंने घर के अंदर से गोपाल के चिल्लाने की आवाज सुनी। सभी ने दौड़ते हुए घर के अंदर प्रवेश किया। घर के अंदर जाते ही उनके सामने जो दृश्य दिखा वह बहुत ही भयानक व विभत्स था। ऐसे दृश्यों के साथ मसाननाथ परिचित थे लेकिन हरिहर और भोला सरदार ने ऐसा कभी सोचा भी नहीं होगा।
उन्होंने देखा कि भोला सरदार की 11 साल की लड़की जमीन पर घुटनों पर बैठी हुए है। लेकिन उसका रूप अलग है। उसके बाल बिखरे हुए , कंधा झुका हुआ , हाथ इतने लंबे कि घुटने से नीचे तक और दोनों पैर उल्टे , हाथ - पैर की नाखून बड़े - बड़े , सफ़ेद आँख जिसमे कोई पुतली नहीं। वह लड़की गुस्से से गूं - गूं कर रही थी और दूसरी तरफ एक कोने में बैठकर गोपाल डर से चिल्ला रहा था। देख कर ऐसा लग रहा था कि गोपाल की हत्या करना ही उस लड़की का उद्देश्य है। मानो उसे मार कर ही वह लड़की शांत होगी।
यह दृश्य देखने के बाद तुरंत ही मसाननाथ ने अपने पोटली से शंख को बाहर निकालकर हरिहर के हाथ में देते हुए बोले,
" इसे पकड़ो और जितनी तेज हो सके बजाओ। "
अब मसाननाथ अपनी पोटली से एक रुद्राक्ष का माला निकाल उसे जपते हुए मंत्र पढ़ने लगे।
उसी के साथ हरिहर ने भी शंख बजाना शुरू कर दिया।
अचानक ही भोला सरकार की लड़की गुस्से से चिल्लाते हुए ना जाने क्या बोलने लगी। उसकी बातों को कोई भी समझ पा रहा था लेकिन वह गुस्से में कुछ बोलना चाहती है यह उसके चेहरे पर दिख रहा है।
अपनी बेटी के इस विचित्र व्यवहार को देखकर भोला सरदार रोने लगे। हरिहर यह सब देखते हुए भी शंख लगातार बजाता रहा। वह समझ गया था कि इस शंख की आवाज ही भोला सरदार की बेटी को बचा सकता है।
अचानक ही मसाननाथ की ओर उंगली उठाकर वह लड़की बोलने लगी,
" तुझे मैं नहीं छोडूंगा , इसका बदला मैं जरूर लूंगा। "
यही कहते हुए भोला सरदार की लड़की के अंदर से कुछ निकलने लगा। हरिहर और भोला सरदार ने देखा कि लड़की के अंदर से एक परछाई जैसा काला धुआं निकलकर छटपटाते हुए खिड़की से बाहर निकल गया। उस काले धोने के बाहर निकलते ही भोला सरदार की लड़की जमीन पर गिर पड़ी। भोला सरदार ने जल्दी से जाकर अपनी लड़की को उठाया।
उधर गोपाल घर के एक कोने में ही इसी बीच बेहोश हो गया था। मसाननाथ और हरिहर ने उसे उठाकर तख्ते पर लेटा दिया।
अब मसाननाथ ने अपने झोले से कुछ निकाला। हरिहर ने देखा कि उसमें सरसों के दाने हैं।
मसाननाथ ने सरसों के दाने को तख्ते के चारों
डाल दिया। सरसों डालते वक्त मसाननाथ ना जाने क्या मंत्र पढ़ते रहे।
अब उन्होंने हरिहर से कहा,
" अब गोपाल को कुछ भी नहीं होगा। इस सुरक्षा चक्र के अंदर वह सुरक्षित रहेगा। "
उधर भोला सरदार की लड़की ने अपनी आँख खोल दिया था। अब वह पुरी तरह सामान्य थी।मसाननाथ ने अपने हाथ में लिए हुए रुद्राक्ष की माला को उस लड़की के गले में डाल दिया।
" सुबह होने तक उसके गले से यह रुद्राक्ष की माला बाहर नहीं निकलना चाहिए। तुम्हारी लड़की को बचाने का यही एक उपाय है। आज रात के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा। जाओ अब तुम अपनी बेटी को लेकर घर जाओ …। "
यह सुनकर भोला सरदार ने हां में सिर हिलाया और अपनी लड़की को लेकर घर की ओर चला गया। मसाननाथ और हरिहर भी प्रधान जी के घर की ओर चल पड़े। रास्ते में जाते वक्त हरिहर ने मसाननाथ से पूछा,
" तांत्रिक बाबा , भोला सरदार की लड़की को किसने वश में किया था ? आखिर वह ऐसा क्यों कर रही थी ? "
मसाननाथ ने उत्तर दिया ,
" उसकी लड़की के अंदर एक पिशाच था। उसका उद्देश्य गोपाल की हत्या करना था। हमारे राशियों में जो 12 राशि हैं , उसमें मिथुन, मीन व तुला इन तीन राशि को हल्का कहा गया है। हल्का मतलब ये राशि किसी नकारात्मक शक्ति जैसे प्रेत व पिशाच द्वारा आसानी से वशीभूत हो जाते हैं एवं इनका शरीर आसानी से नकारात्मक शक्ति के वश में चला जाता है। भोला सरदार की लड़की की भी इन्हीं तीन राशि में से एक है। जिसके फलस्वरूप उस पिशाच ने उसे आसानी से अपने वश में कर लिया। ठीक इसी तरह वृश्चिक, मेष , वृष व सिंह इन राशियों को काफी भारी व शक्तिशाली कहा जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इन राशि वाले व्यक्ति के पास जल्दी नकारात्मक शक्ति नहीं आते। गोपाल की भी इन्हीं 4 राशियों में से कोई एक है। इसी कारण से गोपाल को मारना इतना सहज नहीं था व उसके शरीर को वशीभूत नहीं कर सकते थे। इसीलिए एक दूसरे शरीर की आवश्यकता थी। पिशाच ने गोपाल को मारने के लिए भोला सरदार की लड़की को चुना।"
अब हरिहर ने पूछा,
" भोला सरदार की लड़की ही क्यों , पिशाच किसी दूसरे को भी अपने वश में कर सकता था? "
" हां ऐसा भी हो सकता है लेकिन यह पिशाच उन्हीं को मार रहा है जो मेरे काम में सहायता कर रहे हैं। भोला सरदार ने भी किसी का ना किसी तरह मेरी सहायता की। वह तुम्हें सन्यासी शिवराज बाबा तक ले गया तथा तुम्हारे द्वारा चिट्टी को मेरे तक लेकर आया। किसी ना किसी तरह भोला सरदार ने हमारी सहायता की है। पिशाच ने अपने गुस्से को भोला सरदार की लड़की पर निकाला। ठीक इसी तरह गोपाल की बातों को सुनकर ही राजनाथ जी ने इस पूजा का आयोजन किया है। उस कुएं के मुंह को खोलने से लेकर इन सभी में गोपाल भी जुड़ा हुआ है इसीलिए वह पिशाच गोपाल को भी मारना चाहता था। यह पिशाच इस पूजा को होने नहीं देना चाहता। "
इतना बताते ही हरिहर बोला,
" बाबा जी अब मेरा क्या होगा , मैंने भी तो आपकी सहायता की है। "
मसाननाथ के चेहरे पर हल्की मुस्कान दिखाई दिया,
" हां तुम्हें भी कुछ हो सकता है लेकिन तुम भूल जाते हो कि तुम्हारे साथ स्वयं तांत्रिक मसाननाथ है। "...
क्रमशः