Boys Cry Too - Part 2 in Hindi Moral Stories by Saurabh kumar Thakur books and stories PDF | लड़के भी रोते हैं - पार्ट 2

लड़के भी रोते हैं - पार्ट 2

1. टूटते हुए सपनों को देखकर

जिंदगी की उधेड़बुन में बैठा किशोर आज बहुत रोना चाहता था, वह चाहता था कि आज कम से कम दो-तीन घंटे रोऊँ किसी के कंधे पर सर रखकर । पर वो रो नहीं पाया ।।।


अट्ठारह साल की उम्र हुए आज 17 दिन होने वाले थे उसे । उसे अपनी जिंदगी की जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा था, शायद उसे पता चल रहा था कि अब अपना जिंदगी जीने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा ।

कई पुरानी बातें याद आ रही थी जब वह छोटा बच्चा था चौथी पाँचवी में पढ़ता था, तो उसकी स्कूल की फीस उसके पापा जाकर हर महीने दिया करते थे । पर अब वह बढ़ती उम्र और अपने आने वाले कल की चिंता में न जाने इस प्रकार से उलझ बैठा था कि अब उससे निकलने के लिए वह केवल रोना चाहता था । बस रोना चाहता था और रोते ही रहना चाहता था । पर वह रो नहीं पाया; ना उसकी आँखों से एक बूँद आँसू निकल सका।

पार्क के कोने में लगी बेंच पर एक तरफ बैठ कर के वह यही सोच रहा था कि अब मुझे क्या करना चाहिए कि मैं कॉलेज का फीस भर सकूं और आगे की पढ़ाई कर सकूं, परिवार का भरण-पोषण कर सकूँ । जिंदगी के इस कशमकश में न जाने बुरी तरह से उलझ गया था किशोर ।

किशोर एक बहुत ही अलग सा लड़का था। उम्र से छोटा पर दिमाग से बहुत तेज । पापा किसान थे उसके और मां थोड़ी कम पढ़ी-लिखी है तो कुछ करती नहीं, बस अपना घर सम्भालती हैं । एक बड़ी बहन भी है । दसवीं की परीक्षा बहुत अच्छे अंकों के साथ निकालने के बाद उसने 12वीं की पढ़ाई करी । 12वीं की परीक्षा भी बहुत अच्छे अंक से निकालने के बाद अब वह ग्रेजुएशन करने हैदराबाद जैसे शहर पहुँचा था ।

लाजमी सी बात है कि हैदराबाद एक बहुत महँगा शहर है वहां पर रहने के लिए बहुत खर्च लग जाता है । पर किशोर एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का था । गांव में कुछ महाजनों से कर्ज लेकर उसके पिता ने उसका नामांकन करवाया था हैदराबाद विश्वविद्यालय में । सब अच्छे से चल रहा था, पर तभी घर से खबर मिली कि जिन महाजनों से उसके पिता ने कर्ज ले रखा था, उन्होंने उसकी थोड़ी जमीन पर कब्जा कर लिया ।

जमीन पर किसी और ने कब्जा कर लिया है, इस तनाव में उसके पिता ने उन महाजनों से लड़ाई कर ली और उस लड़ाई में घायल हो गए । आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराई गई । प्रशासन तो कुछ कर नहीं पाई, उल्टे उनके इलाज में इतने अधिक पैसे लगे कि बचे-खुचे जमीनों को भी बेचना पर गया । पर होनी को कुछ और ही मंजूर था, कुछ दिनों बाद उसके पिता जी चल बसे ।

घर में माँ, बड़ी बहन, छोटा सा भूमि का टुकड़ा जिस पर उसका घर है उसके अलावा और कुछ नही बचा। अब उसके पास कोई चारा नही बचा था।

भारत के एक महत्त्वपूर्ण केंद्रीय विश्वविद्यालय हैदराबाद विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा किशोर अब उसके पास कोई चारा नहीं बचा था, पिताजी की देहांत हो ही चुकी थी बहन की जिम्मेदारी, माँ का ध्यान रखना, घर का खर्च । सभी तरह की परेशानियों से उलझा हुआ किशोर पार्क के कोने में बेंच पर बैठा हुआ अपनी किस्मत को कोस रहा था । और बस रोना चाहता था, और लगातार रोना ही चाहता था
। चाहता था कि बस रोता रहूं ताकि दिल हल्का हो सके ।

पर आँसू नहीं निकल पा रहे थे उसकी आंखों से । अपने टूटते हुए सपनों के बारे में सोच कर, अपनी भविष्य की चिंता में, आज उसे याद आ रही थी कि जब उसने कहा था कि पापा मुझे हैदराबाद विश्वविद्यालय में एडमिशन मिल गया है वह भी इंजीनियरिंग में । कितने खुश हुए थे उसके पिता । उन्होंने कहा था कि चाहे कुछ भी हो, चाहे खुद को बेचना पड़े, तुम्हारी पढ़ाई के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ। और आज ऐसी खराब किस्मत की वजह से उसकी हालत बहुत दयनीय हो चुकी थी ।

इन सारी बातों को याद करते हुए उसके आंख से आँसू निकल पड़े करीब 47 मिनट तक वह फूट-फूट कर रोया अपनी किस्मत को कोसता हुआ फिर वह उन निकलते हुए आंसुओं को रोक नहीं पाया; और बस रोता रहा।



कहते हैं ना "चाहे कुछ भी हो जाए लड़के नहीं रोते हैं" नहीं लड़के भी रोते हैं ! लड़के भी रोते हैं ! जिंदगी में जब एक समय ऐसा आता है कि उन्हें दिखता है कि अब अपना सपना पूरा नहीं हो सकता । तो अपने टूटते हुए सपने को देखकर और अपने भविष्य की जिम्मेदारियों को समझ करके उनकी आँख से भी आंसू निकलते हैं।
हाँ लड़के भी रोते हैं........................सच में लड़के भी रोते हैं...........



- सौरभ कुमार ठाकुर



और हाँ......! मैं भी एक लड़का ही हूँ.

Rate & Review

Miss Chhotti

Miss Chhotti Matrubharti Verified 4 months ago

Hmg Gautam

Hmg Gautam 6 months ago

Shreekesh Yadav

Shreekesh Yadav 6 months ago

Priya Talati

Priya Talati Matrubharti Verified 6 months ago

Saurabh kumar Thakur
Share