दह--शत - Novels
by Neelam Kulshreshtha
in
Hindi Thriller
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] जैसे ही नीता व अनुभा ने बड़े गेट से अंदर जाकर कालीननुमा लॉन के बीच के बने दोनों तरफ़ गमलों से सजी कतारों से सजे रास्ते को पार कर तीन सीढ़ियाँ चढ़ बरामदा ...Read Moreकर ऑफ़िसर्स क्लब के हॉल में कदम रक्खा, सुन्दरबाई ने तभी छत के बीच में लगे विशाल शेंडलियर्स व चारों दीवारों पर लगे लैम्पपोस्ट के स्विच ऑन कर दिए। हॉल की क्रीम कलर की दीवारें मुस्कराने लगीं। दरवाज़े व खिड़कियों के रेशमी पर्दे इस राजसी रोशनी में नहाते इतराने लगे। हॉल में कुछ महिलायें कुर्सियों पर बैठीं थीं, कुछ
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड -1 जैसे ही नीता व अनुभा ने बड़े गेट से अंदर जाकर कालीननुमा लॉन के बीच के बने दोनों तरफ़ गमलों से सजी कतारों से सजे रास्ते को पार कर तीन सीढ़ियाँ चढ़ ...Read Moreपार कर ऑफ़िसर्स क्लब के हॉल में कदम रक्खा, सुन्दरबाई ने तभी छत के बीच में लगे विशाल शेंडलियर्स व चारों दीवारों पर लगे लैम्पपोस्ट के स्विच ऑन कर दिए। हॉल की क्रीम कलर की दीवारें मुस्कराने लगीं। दरवाज़े व खिड़कियों के रेशमी पर्दे इस राजसी रोशनी में नहाते इतराने लगे। हॉल में कुछ महिलायें कुर्सियों पर बैठीं थीं, कुछ
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड -2 समिधा ने समिधा इतवार को दरवाज़ा खोला, देखा कविता हाथ में रुमाल से ढकी प्लेट लिए खड़ी है, सुन्दर साड़ी में ऊपर से नीचे तक सजी धजी। वह सकुचा जाती है। आज ...Read Moreहै सारा घर और वह सुबह ग्यारह बजे तक अलसाये हुए से हैं। ये बनी संवरी तारो ताज़ा आई है। वह कहती है, "आओ --आओ। " "नमश्का---र जी."कहते हुए कविता अंदर आ गई। वह उसे ड्राइंग रूम में से होते हुए अंदर बरामदे में ले आई। कविता डाइनिंग टेबल के सामने की कुर्सी खींचकर बैठ गई, "आप तो हरियाली तीज
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड --3 अभय के समझ में नहीं आया कि समिधा कविता पर क्यों गुस्सा हो रही है ? उसने कमीज़ के बटन खोलते हुये पूछा "क्यों क्या हुआ ?" "अपने ड्राइंग रूम में मेरे ...Read Moreकी की नक़ल कर वैसी ही चीज़ें लगाकर बैठ गईं।" अभय ने हेंगर पर अपनी कमीज लगाते हुये कहा, "तुम्हें तो खुश होना चाहिये, तुम्हें अपनी च्वॉइस पर नाज़ है। वह तुम्हारी नक़ल कर रही है। " "लेडीज़ ऐसी चीज़ों से घर सजातीं हैं जो किसी के पास नहीं हों और ये कुशन्स पर लेस तक मेरे घर जैसी लगाकर
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड -4 एक दिन अनुभा नहाकर सूर्यमंत्र पढ़ते हुए सूरज को जल चढ़ा रही है केवल अपने आउटहाऊस के दरवाज़े पर खड़ा बहुत ध्यान से उसे देख रहा है उसकी पूजा समाप्त होने पर ...Read Moreहै, “ आँटी ! आप पानी क्यों बर्बाद कर रही हो? गामड़ा में तो पानी नहीं है तो आप पानी क्यों डोल (गिरा) रही हो? ” वह उसकी बात से झेंप जाती है सूरज को जल चढ़ाना बंद कर देती है। पर्यावरण जागरण के अध्यायों ने आज बाई के बेटे को भी पानी की बर्बादी की चिंता लगा दी है।
एपीसोड ---५ महिला समिति की तरफ़ से कभी बच्चों के शेल्टर होम जाना हो या अस्पताल में सामान बाँटने समिधा कविता को बुला लेती है, बिचारी घर में पड़ी-पड़ी बोर होती रहती है । समिधा वहाँ जाते समय गाड़ी ...Read Moreकविता को बताती जाती है, “जैसे-जैसे दुनियाँ प्रगति कर रही है, महिलायें अच्छी शिक्षा पा रही हैं ये महिला समितियाँ भी बदल रही हैं । ये अब कोई रेसिपी या व्यंजन बनाना सीखने की जगह नहीं रही है । केम्पस में सुधार, आस-पास के गरीब बच्चों में सुधार आरम्भ हो जाता है । यदि कोई पदाधिकारी साहित्यिक अभिरुचि की होगी
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड --6 इधर जबसे कविता के रिश्तेदार को ट्रांसफ़र के कारण शहर छोड़ना पड़ता है। कविता उसके पीछे पड़ी रहती है, “ आपका भी दिल नहीं लगता, हम लोगों का भी। कम से कम ...Read Moreमें एक ‘ संडे ’ तो हम लोग साथ में डिनर लिया करें। ” वह बहाना बनाती है, “ हम लोग इस शहर में बरसों से रह रहे हैं कितने ही ‘सोशल ऑर्गनाइजेशन’ से जुड़े हुए हैं। कोई न कोई पार्टी चलती रहती है। ” “ फिर भी कभी-कभी क्या बुराई है? ” “ बाद में देखा जायेगा। ” वह
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड -7 विकेश अपने उसी ढीठ अंदाज़ में उसके दरवाज़े आ खड़ा हुआ था, “भाभीजी मैं ऑफ़िस से सीधा चला आ रहा हूँ । भाई साहब के प्रमोशन की खबर मैं सबसे पहले आपको ...Read Moreचाहता था।” “बैठिए ।” वह अपने रोष को नियंत्रित नहीं कर पा रही थी । “आप को बहुत-बहुत बधाई !” “धन्यवाद ।” उसने पानी का गिलास उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा था । “वैसे भाई साहब का प्रमोशन हो ही गया चाहे दो वर्ष बाद ही क्यों नहीं हुआ ।” “पैसे के हिसाब से हमें कोई फ़र्क नहीं पड़ा ।
एपीसोड --- ८ कविता रोली की दिनचर्या के बारे में सुनकर अपनी काजल भरी आँखें व्यंग से नचाकर कहती है, “बिचारी कितनी मेहनत कर रही हैं यदि किसी छोटे शहर में शादी हो गई तो ये डिग्री रक्खी की ...Read Moreरह जायेगी ।” समिधा उसकी बात से चिढ़ उठी, “जब हम उसे अच्छी डिग्री के लिए पढ़ा रहे हैं तो उसकी शादी भी सोच समझकर करेंगे ।” “फिर भी लड़कियों की किस्मत का क्या ठिकाना ? सोनल का न आगे पढ़ने का मन था, न हमें उसे पढ़ाने का । होटल मैनजमेंट के सर्टिफिकेट कोर्स के लिए पता करने गई
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड --- 9 समिधा हंस पड़ती है कि रोली में भी अक्ल आ गई है। कैसे पूछ रही है कि विकेश का बेटा इतना दुबला है. अक्षत बड़ों जैसा गंभीर चेहरा बनाकर कहता, “उसके ...Read Moreउसकी मम्मी नहीं रहती न ! इसलिए उसे अकेलापन खा गया है ।” “ही....ही.....ही......।” रोली व वह उसकी इस टिप्पणी पर हँस देते । तब समिधा को भी नहीं पता था । ये बात हँसने जैसी नहीं थी । शिरीष अब दसवीं कक्षा में आ गया था । वैसा ही दुबला पतला था । प्रतिमा शान से बताती, “भाभी !
एपीसोड --- १० घर में अभय की माँ है। अभय देर तक छत पर घूमते हैं। वह कुछ समझ नहीं पाती। रात को काम इतने होते हैं कि रात को अभय के साथ घूमना नहीं हो पाता । एक ...Read Moreशाम को सात बजे पीछे के दरवाज़े पर खट-खट होती है। दरवाज़ा खोल कर उसके मुँह से निकलता है, “कविता ! तुम ? आओ ।” वह तने हुए आत्मविश्वास से डग भरती कमरे की तरफ चलती है, समिधा उसके पीछे चल देती है, चौकन्नी । अभय माँ को दवाई दे रहे हैं । कविता सधी आँखों से दोनों को नमस्ते
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड --11 “हाँ, बाई अपने आउटहाउस में दशामाँ की पूजा करती है । चलिए उस खिड़की से देखें ।” शुभ्रा और वे उठकर खिड़की तक आ गये । कोकिला औरतों के समूह के बीच ...Read Moreबालों से काँप रही है । उसकी आँखें चढ़ी हुई हैं । सिर घुमा-घुमाकर बीच मे चीखती, “बोलो दशामाँ नी जयऽ ऽ ऽ......” शुभ्रा की हँसी निकल जाती है, “इस धन व शक्ति के समाज में कौन शुभ्रा पर ध्यान दे और कौन आपकी कोकिला पर ध्यान देता है ।” “मतलब?” “मतलब ये कि हम औरतें किसी देवी की आड़
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड --12 जब उम्र ढ़लान की तरफ बढ़ती है तो बहुत कुछ पीछे छूटता चला जाता है । पहले जैसी ऊर्जा, संग साथ के परिवार, कुछ मृत सपने, कुछ चंचलता, कुछ उत्साह वगैरहा, वगैरहा ...Read Moreकॉलोनी में उनके पारिवारिक मित्रता वाले परिवार बचे ही नहीं ह
एपीसोड ----१3 “मैं लिलहारी शब्द का अर्थ बतातीं हूँ .हाथ पैर या शरीर के किसी भी अंग पर गोदना गोदने वाली को लिलहारी कहा जाता है । इस नृत्य नाटिका में कृष्ण लिलहारी का वेष धारण करके राधा के ...Read Moreमें अपने प्रेम की थाह लेने उसके गाँव जाते हैं । अंत में जब उन्हें राधा के प्रेम की गहराई का पता लगता है स्त्री वेष छोड़ असली वेष में आ जाते हैं फिर शुरू होता है उन्मत रास ।” अनुभा बताती है, “और प्रतिभा पंडित की नृत्य नाटिका को नीता ने `शॉर्ट’ कर के लिखा है ।” नीता खिलखिलाती
एपीसोड ----१४ प्रिंसीपल वी. पी .की आँखें आग उगलने लगीं “आप मेराऑफ़रठुकराकर जा रही हैं शायद आप वी.पी. को जानती नहीं हैं ।” उनकी आँखों में वहशी लाल डोरे उभर आये थे । “कल तक मेरा ‘रेजिग्नेशन लैटर’ आप ...Read Moreपहुँच जायेगा ।” “आपने वी.पी. को समझ क्या रखा है? मुझे नाराज़ कर आप इस शहर में कहीं नौकरी न कर पायेंगी?” “नौकरी करने के अलावा भी मेरे जीवन में बहुत काम है ।” कहते हुए वह तेज़ी से बाहर निकल आई थी। उनके बंगले का गेट घबराहट में खुला छोड़ एक ऑटो पकड़ घर चल दी थी । “मैडम
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड ---15 इन दिनों मौसम बहुत ख़राब चल रहा है । न बादल खुल के बरसते हैं, न हल्की रिमझिम बंद होती है । दिन भर काली-काली बदरियाँ चमकती रोशनी निगले रहती है । ...Read Moreके कार्यक्रम से दो दिन पहले इतवार को समिधा को पता नहीं क्या सूझा वह रोली व अभय से ज़िद कर बैठी, “रात को बाहर कुछ खायेंगे ।” रोली घर आती है तो ढीले-ढाले कपड़ों में घर पर आराम करने के व मॉम के हाथ का कुछ स्पेशल खाने के मूड में होती है इसलिए उसी ने हँगामा अधिक किया,
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड --16 समिधा जल्दी से बोली, “फ़िल्म का नाम तो मुझे भी याद नहीं आ रहा लेकिन इस फ़िल्म में हेमामालिनी केमिस्ट्री की लेक्चरार है धर्मेन्द्र हिन्दी का लेकिन तुम झूठ क्यों बोल रही ...Read Moreउसमें नृत्यनाटिका कोई है ही नहीं।” कहते हुए उसने अभय की तरफ देखा जो मंत्रमुग्ध से कविता की तरफ देखते हुए मुस्करा रहे थे। उसने कविता की तरफ़ चेहरा घुमाया वह भी शरारती होठों से मुस्कराती उन्हें घूरे जा रही थी। समिधा का खून सनसना उठा। पति शहर से बाहर गया है कविता का उसकी उपस्थिति में इतना बेबाक इशारा
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड ---17 अस्पताल के बरामदे में रूककर राजुल उत्तर देता है “थोड़ा बुख़ार है ।” “तुम्हारे दादा जी कैसे हैं ?” “उन्हें परसों ‘हार्ट अटैक’ हुआ है डैडी कल अजमेर चले गये हैं ।” ...Read Moreये सुन तनाव में घिरने लगी । उसने पूछा, “राजुल ! तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है ? कितने बजे स्कूल जाते हो ?” “बारह बजे स्कूल जाता हूँ ।” “ओ.के.।” समिधा अभय को खाना खिलाते समय साफ़ देख पा रही है वह अपने आप में नहीं हैं । खाना खाकर वे आराम करने बेडरूम में चले जाते हैं ।
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड --18 समिधा कविता की हिम्मत देखकर दंग रह गई, “पता तो लग ही गया है ।” “अच्छा!” उसकी आवाज़ का संतुलन वैसा का वैसा था, “सच ही हम लोगों को आपके लिए, भाईसाहब ...Read Moreलिए बुरा लगता है । मैं व सोनल रात में नौ बजे घूमने निकले थे । अब आप चारों स्कूटर पर जा रहे थे । सोनल ने तो तब भी कहा था कि ज़रूर कोई सीरियस बात है ।” समिधा जान-बूझकर कहती, “किस दिन हमको देखा था?” “संडे को । भाई साहब के लिए बहुत चिन्ता हो रही है ।”
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड ---19 फ़िज़ियोथैरेपी रूम में समिधा केस पेपर उसके सहायक को दे देती है। वह रजिस्टर में उसका केस नम्बर लिखने लगता है। समिधा मोहसिना को उत्तर देती है, “अब तो बहुत अच्छी हूँ।” ...Read Moreखुश होकर कहती है, “अब आपको एक डेढ़ महीने तक मेरे पास आना होगा। आप मुझे बहुत अच्छी लगती है, आप की बातें भी। पहले कभी आपसे बात करने का भी अधिक मौका नहीं मिला।” समिधा की आँखें भर आई। मोहसिना अपनी रौ में कहे जा रही है, “हमारे पड़ौसी बच्चे आपसे पढ़ने आते हैं। सभी आपके बहुत बड़े फ़ैन
एपिसोड -२० वह उनके मोबाइल की कम्पनी में जाती है । वहाँ का अधिकारी कहता है, “वॉट’स ए जोक! आप शक्ल से तो पढ़ी लिखी लगती हैं क्या आपको पता नहीं है किसी के मोबाइल की कॉल्स की लिस्ट ...Read Moreलिए पुलिस में एफ़ आई आर लिखवानी पड़ती है या फिर वह व्यक्ति स्वयं लिखकर दे तो ये लिस्ट मिल सकती है ।” वह उस चीखती औरत, “हाँ मैं बहुत बोल्ड हूँ..... बहुत बोल्ड हूँ ।” कहती औरत की कल्पना कर, मोबाइल की कॉल्स की लिस्ट के सामने उसका उतरा पराजित चेहरा देखना चाह रही थी । ये कल्पना कहाँ
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड – 21 ऋचा ने पड़ौसिन का स्वागगत किया “मैं ऋचा हूँ। अंदर आइए।” “मैं आपसे माफ़ी माँगने आई हूँ। आपके यहाँ के गृहप्रवेश के समय हम लोग बाहर थे, आ नहीं पाये।” “कोई ...Read Moreनहीं। आपके फ़्लैट का ताला देखकर अफ़सोस हो रहा था कि नज़दीक के
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड – 22 “हाँ, जी कविता मैडम को पहचानता हूँ।” दुकानदार समिधा की बात का उत्तर देता है। “उनका मोबाइल बंद है। यदि वह बाहर सड़क पर आये उसे बता दीजिये आज महिला समिति ...Read Moreचार बज़े मीटिंग है।” वह कविता के बंद घर रखने के नाटक से सशंकित है वर्ना उसे पता है महिला समिति तो वह कब की छोड़ चुकी है। चार बज़े वह तैयार होकर निकलती है। आज उसने लाल बॉर्डर वाली कलकत्ते की साड़ी बहुत दिनों बाद पहनी है। सुर्ख रंग के कोरल्स की माला भी बहुत दिनों बाद पहनी है।
एपीसोड –२३ शाम को वह साफ़ महसूस कर रही है अभय व उसकी साँसों में तनाव उनके घर में आने के साथ आ घुसा है। वह शाम को बैडरूम में रखी अलमारी में कपड़े ठीक कर रही हैं। अभय ...Read Moreबैड पर पीठ से तकिया टिकाकर बैठ गये हैं, “मुझे तुमसे बात करनी है।” “हाँ, कहिये।” “मेरे पास आकर बैठो।” वह हल्की डरी हुई उनके पैरों की तरफ बैठ गई है जैसे उसने ही अपराध किया है। “मैं जब ऑफ़िस जा रहा था तो तुम क्या कह रही थी?” “कब?” “इतनी जल्दी भूल गई?” “ओ ऽ ऽ .... मैं तुम्हें
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड --24 “तुम अठ्ठाइस साल पुरानी हो गयी हो तुम इन बातों को क्या समझो? मुझमें सच ही कुछ है।” अभय उनकी भाषा व संकेत सुनकर उसकी चीख निकल जाती है, “अभय ! तुम ...Read Moreगंदी रंडी के चक्कर में पड़कर अपने होश खो बैठे हो।" फिर समिधा सहमकर अपनी जीभ काट लेती है वह कैसा शब्द इस्तेमाल कर बैठी है। “क्या ऽ ऽ....? जलती हो उससे ? ।” “उस सड़ी-गली औरत से मैं जलूँगी?” “जलती तो हो।” “अभय ! तुम कैसी बहकी बातें करते रहते हो? तुम्हें क्यों स्वयं समझ में नहीं आता?” वे
एपीसोड ---२५ बुआ जी के सामने जब कविता की बात खुल गई थी तो समिधा ने उनसे अपना शक ज़ाहिर किया , “ बुआजी ऐसा लगता है वह अपने पति को कोई नशीली चीज खिलाती है। उससे शिकायत करे ...Read Moreउस पर असर नहीं होता। वो इनसे मोबाइल पर ‘वल्गर टॉक्स’ करके इनके सोचने-समझने की शक्ति छीने ले रही है।” “मैं जानती हूँ तुम समझदार हो। आजकल ‘इज़ी मनी’ कमाने का चक्कर भी शुरू हो गया है। ज़रा सम्भलकर रहना।” “बुआजी! वो ऐसे लोग तो नहीं लगते लेकिन औरत पक्की बदमाश है।” बुआजी घर सूना करके चली जाती है। इस
एपीसोड ---२6 समिधा के बैंक का सही समय बताने पर अभय घर से जल्दी जाने की कोशिश नहीं करते। शाम को चाय पीकर कम्प्यूटर की किसी वहशी वैबसाइट पर आँखें गड़ाये बैठे रहते हैं जिससे उसे चिढ़ है। एक ...Read Moreएक पत्रिका उठाकर उसके पृष्ठ पलटते हुए वे उत्तेजित हो जाते हैं, “देखो इसमें भी लिखा है जितने लोगों से ‘सैक्स रिलेशन्स’ बनाओ उतनी ही हेल्थ अच्छी रहती है।” उसकी चीख निकल जाती है, “अभय! तुम्हें ये बातें कौन सिखा रहा है?” “वही.....।” “वही कौन?” वे बात टालकर चेहरे पर चिकनापन लाकर अपनी अजीब सी चढ़ी हुई आँखों से अपनत्व
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड ---27 अब वह नोट कर पाती है, अक्सर लंच के समय या कभी-कभी सुबह सात बजे इंटरनल फ़ोन पर एक रिंग आती थी अब वह रिंग आना बंद हो गई है। ऐसा फ़ोन ...Read Moreके यहाँ नहीं है। पाँच-छः दिन बाद धीरे-धीरे दोनों का तनाव हल्का होता है तो वह फँसे गले से अभय से कहती है, “अभय ! मेरा शक ठीक था।” “ कौन सा?” “कविता के खेल में बबलू जी का पूरा-पूरा हाथ है। कविता ने ‘इज़ी मनी’ का रास्ता बबलूजी को दिखाया है।” “क्या बक रही हो? कोई पति ऐसा कर
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड ---28 समिधा को अपने घर के दीवान पर बैठी व कहती, “हाँ, मैं बहुत बोल्ड हूँ। मैं बहुत बोल्ड हूँ।” फुँफ़कारती कविता याद आ जाती है। तीसरे दिन मीनल का फ़ोन आ जाता ...Read More“समिधा जी! कल कविता का मेरे पास फ़ोन आया था वह कह रही थी आपने उससे कहा है कि मैं उसे याद कर रही हूँ। ‘इनफ़ेक्ट’ मैं तो उसे अच्छी तरह जानती भी नहीं हूँ।” “हाँ, मैंने ही उससे कहा था। मैं उसके कारण बहुत मुसीबत में हूँ। शी इज़ ए विकेड लेडी उसने इसीलिए महिला समिति छोड़ी है।” “अच्छा?”
एपीसोड –29 अभय उसे हॉस्पिटल के चैक अप का समय बताते हैं ,“करीब ग्यारह बज़े।” दोपहर वे चहकते से, बेहद खुश लौटते हैं, “तुम क्यों नहीं आईं?” “कोचिंग इंस्टीट्यूट से फ़ोन आ गया कि चपरासी कॉपीज़ लेकर आने वाला ...Read More“ओह।” अभय खाना खाकर पंद्रह बीस मिनट आराम कर चल देते हैं। वह तनाव व गुस्से में है तभी आधे घंटे बाद विकेश का फ़ोन आता है, “भाभी जी ! नमस्ते ।” वह रूखे स्वर में कहती है, “नमस्ते कहिए।” “भाई साहब क्या घर में है? सारे डिपार्टमेंट में.....अंदर....बाहर.....सब जगह देख लिया है। वे तो यहाँ नहीं है।” विकेश की
एपीसोड ------30 अक्षत आते ही एकांत मिलते ही उसे ही कठघरे में खड़ा कर देता है, “आफ़्टर ऑल, पापा की इज्ज़त का सवाल है। आपको उनके ऑफ़िस में तो शिकायत नहीं करनी थी। लोग हँस रहे होंगे।” रोली गुस्सा ...Read Moreगई, “वॉट डु यू मीन बाई पापा `ज डिग्निटी? मॉम की कोई ‘डिग्निटी’ नहीं है? तुम क्या चाह रहे हो पापा उन बदमाशों में फँसकर मॉम को पीटते रहें और वह पिटती रहे?” “मेरा मतलब वो.....।” “और क्या मतलब है? मॉम ये सब इसलिए कह रही है कि हम दोनों की शादी नहीं हुई है। मैं इनकी जगह होती तो
एपीसोड ----31 नीता अनुभा को फ़ोन पर ज़ोर देकर समझाती है ,“जो बाई तुझे दीपावली के दिन बीमार कर डालने की कोशिश कर रही है। कुशल के आस-पास मँडराती रहती है। इतने बड़े त्यौहार पर तेरा ड्राइंगरूम ख़राब कर ...Read Moreहै तू समझ नहीं पा रही उसकी ईर्ष्या हदें पार कर रही है। ये वो ही है न जो दशा माँ की स्थापना करती है।” “हाँ, वही है।” “इसे तुरंत निकाल दे। तूने ‘जिस्म’ फिल्म नहीं देखी? उसमें एक अमीर बीमार स्त्री की सेवा करने नर्स विपाशा बसु आती है। उस स्त्री को निमोनिया है। बर्फ़ीली सर्दी की रात है।
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड --32 दूसरे दिन ऑफ़िस से लौटकर अभय बताते हैं, “आकाश सर का ट्रांसफ़र बम्बई हो गया है।” उसे उस घर के रात में पर्दे खुलने व रोशनी होने के जश्न का उत्तर मिल ...Read Moreहै। एक और परिवर्तन समिधा को एक सप्ताह में समझ में आता है। वह व अभय चाहे शाम को सात बजे से लेकर रात के ग्यारह बजे कभी भी घूमकर घर आते हो, उस घर के पहले कमरे की बिजली यदि जल रही हो तो उनके अपनी लेन में घूमते ही बंद कर दी जाती है, यदि बुझी हो तो
एपीसोड ----33 एक औरत का पुलिस वालों से सम्पर्क करना किसको अच्छा लगता है? वह जलकर मर जाये तो दिल से आँसू बहाने को तैयार रहती है दुनियाँ। एम. डी. के ऑफ़िस के अंदर जाकर वह सोचती है उसका ...Read Moreठीक था, उनके चेहरे पर तल्ख़ी है, “मैं आपसे दो-तीन बार मिला हूँ। मैं सोचता था कि आप बहुत समझदार महिला है लेकिन आपने अपने पति के पीछे पुलिस लगा दी?” “वॉट? मैं क्यों पुलिस लगाऊँगी? यदि ऐसा करना होता तो पहले ही एफ़.आई.आर.कर देती। आपसे पास क्यों आतीं? आपके पास मेरी ‘कम्पलेन’ थी इसी हिम्मत से उनके पास गई
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड --34 "रोली !ऐसा क्यों कह रही है पढ़ी लिखी औरत को भी पैर की जूती समझा जाता है ?" "मैंने यूनीवर्सिटी के ‘वीमेन रिसर्च सेंटर’ के नोटिस बोर्ड पर ‘पैम्फ्लेट्स’ लगे देखे थे, ...Read More! यू ब्रेक द साइलेंस’, ‘अत्याचार के विरुद्ध अपनी चुप्पी तोड़िये’, ‘आगे बढ़कर आवाज़ उठाए’ तो इस सबका कोई अर्थ नहीं है?” “तू ऐसा क्यों पूछ रही है?” “मैं इसलिए पूछ रही हूँ कि आप जैसी लेडी ‘एडमिनिस्ट्रेशन’ को लिखकर दे रही है। तब भी लोग आप पर विश्वास नहीं कर रहे? वे यही समझ रहे हैं कि आज पापा
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड ----35 डॉ.पटेल थोड़ा आश्चर्य कर उस सुपरवाइज़र से कहतीं हैं, “बिचारी के ख़ून निकल रहा था ऐसे कैसे भगा देती? उनको मैंने दवा लगाई, उन्हें हिम्मत दी। एक अफ़सर की बीवी या कॉलोनी ...Read Moreकोई औरत ऐसे आ जाये तो उसे कैसे निकाल सकते हैं? " "कॉलोनी में एक आदमी अपनी बीवी को पीट रहा है और सब तमाशा देख रहे हैं?” समिधा बोल पड़ती है। “ये मामला बड़ा अजीब है। बाहर का व्यक्ति समझ की नही सकता है। वह चाहे तो पुलिस में जा सकती हैं ।” श्रीमती सिंह स्वयं ही पुलिस बनकर
एपीसोड ---36 एम डी बड़े बड़े डग रखते अपने ऑफ़िस के पीछे के दरवाज़े से निकल चुके हैं.वह खिसियाई सी, रुआँसी एम डी के चैम्बरमें सोचती रह जाती है, ‘यू बिग बॉस! एक भयानक राक्षसी से वह लड़ रही ...Read Moreयुद्ध में पीठ दिखाना उसकी फ़ितरत में नहीं है। धनुष से तीर वह भी छोड़ती जा रही है। लेकिन धीरज के साथ सोच समझ कर। आपने उस देहातन श्रीमती सिंह को अपना मर्दाना सुझाव दे दिया हैं, ऐसा सुझाव आपको ही मुबारकहो। वह कॉलोनी में सिंह को पीट-पीट कर अपने घर का तमाशा कर रही है।’ पस्त कदमों से घर
एपीसोड –37 कहीं सच ही वर्मा पुलिस के साथ न आ रहा हो....वह घर के मंदिर में दीपक जला देती है...मन के भय पर काबू पाने के लिए ‘ऊँ भृ भवः सः’ का ऊँची आवाज़ में जाप करने लगती ...Read Moreउसे लग रहा है उसके भय के साथ घर का कोना-कोना थर्रा रहा है। अभय खुश ख़बरी देते हैं, “लो टिकट मिल गये लेकिन मैं दीदी की बेटी की शादी में जाऊँगा। तुम्हारी बहिन के यहाँ नहीं जाऊँगा।” समिधा उन्हें रूठे हुए बच्चे की तरह बहला देती है, “कोई बात नहीं है, मत जाना।” वह अच्छी तरह समझ गई है
एपीसोड --—38 कैसा भयानक शातिर दिमाग पाया है कविता ने वह किसी नशीली चीज के नशे में अभय को विश्वास दिला चुकी थी कि उन्हें घर में कोई नहीं पूछता । बड़ा घमंड था उसे अपने आप पर कि ...Read Moreघर में रहकर अपने घर व बच्चों की बहुत अच्छी तरह देखभाल कर रही है । घर में आहिस्ता से सेंध लगती रही, वह बमुश्किल पहचान पा रही है वह भी टुकड़ों, टुकड़ों में । बरसों से ड्रग के नशे की आदी कविता से नशा व अपना नशा देकर दूसरों को पशु बनानेवाली कविता इसी लत से दरिंदा बन चुकी
एपीसोड---39 शादी की तैयारी के तनाव तो होते ही हैं लेकिन उसके तनाव तो कुछ और भी भयंकर थे। मेह़मानों की विदाई के बाद ऐसा लगता रहता है जैसे सारा स्नायु तंत्र काँप रहा है। दिमाग समेटे नहीं सिमट ...Read Moreबीस दिन की ट्यूशन के बच्चों की छुट्टी कर दी है। कुछ भी पढ़ा पाना उसके बस में नहीं है। शरीर में जैसे जान नहीं रही है। होली पर रोली चहकती, खुश लौटी है उसकी सूरत देखकर समिधा की आत्मा तृप्त है। रोली आते ही उसे एकांत में ले जाती है, “मॉम! कैसी हैं?” “फाइन! लेकिन तेरे बिना ये घर
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड -40 समिधा नसों को ढीला कर तनावमुक्त करती है वह कुछ नहीं करेगी धीरज से प्रतीक्षा करेगी....बस धीरज से। मंगल को अभय का चेहरा निर्मल सा है, तनाव रहित मुस्कराहट है। इस चेहरे ...Read Moreशांति देख उसके दिमाग में बिजली कौंधती है तो फिर इन्हें ड्रग देकर मनचाहा करवा लिया गया है। वह बेबस हो नीता के सामने बह उठती है, रो उठती है। उसे नंगे हॉर्न की बात बता देती है जिसे एक पति ने अपनी बीबी सप्लाई करने के बाद बजाया था। नीता हैरान है, “ये बात तू अब बता रही है?
एपीसोड्स --41 वह एम.डी. के कार्यालय जाकर अपनी ट्रिक व घटनायें बताकर कहती है, “सर! अब वे लोग डरे हुए हैं आप वर्मा को बुला लीजिये।” “ये भी हो सकता है वे आपको चिढ़ा रहे हों ।” “सर! मैं ...Read Moreबच्ची हूँ जो मज़ाक व सच्चाई में अंतर नहीं जानती? मेरे पति को कुछ सोचने-समझने लायक नहीं छोड़ा है, प्लीज ! उन्हें बचाइये।” “सोचते हैं ।” एक घरेलू औरत बेशर्मी से जिस चीज़ को हथियार बनाकर उसके घर को बर्बाद करने पर तुली है तो क्या वह बेशर्म नहीं हो सकती, “सर ! मैं कब से कह रही हूँ आप
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड –42 “पति को छोड़ दीजिये।” मैडम सुहासिनी कुमार बड़ी चलाकी से सलाह देतीं हैं। एम.डी.मैडम की ये सलाह सुनकर वह चौंककर उन्हें देखती रह जाती है। “यदि ये उनका प्यार होता तो मैं ...Read Moreछोड़ देती, उन्हें जाल में फँसाया गया है। ये बात बस मैं हीं जानती हूँ। “”ये बात आप इतने विश्वास से कैसे कह रही हैं ?” “जून 2005 में मैं पाँच छः दिन घर में अंदर से ताला लगाकर सोई हूँ जब कि मुझे पता भी नहीं था इन्हें ड्रग दी जा रही है उन दिनों इनकी हालत बहुत खराब
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड –43 मम्मी के पास जाने का रिज़र्वेशन हो चुका है। वह यात्रा के दो दिन पहले ठंड के कोहरे भरी सड़क पर घूमकर अकेली लौट रही है। सामने से आती सुरक्षा विभाग की ...Read Moreलगी काले काँचों की खिड़की वाली जीप जानबूझकर उसके पास धीमी होती है फिर फ़र्राटे भरती तेज़ निकल जाती है। उसके पीछे है एक साधारण जीप जो हॉर्न बज़ाती तेज़ निकल जाती है। भयभीत करने के इन संकेतों को वह खूब समझती है, उसे डर बिल्कुल भी नहीं लगता। वह कायर नहीं है लेकिन जानबूझ कर ख़तरा मोल लेने में
एपीसोड ---44 रास्ते भर उसे होली की दौज की पूजा याद आ रही है। पूजा के बाद उसकी नानी घर के बाहर के कमरे में एक लम्बा मूसल उठाकर चल देती थीं, “चलो बैरीअरा कूटें।” नन्हीं वह अपनी मम्मी ...Read Moreपूछती थी, “मम्मी ! ये बैरीअरा क्या होता है?” “बैरी अर्थात दुश्मन। ये एक तरह का टोटका किया जाता है कि सारे वर्ष दुश्मन परेशान न करें।” बाहर के दरवाज़े के पास एक कोने में थोड़ी घास डालकर उस पर पानी छिड़क कर नानी व बाद में घर की सारी स्त्रियाँ मूसल से उसे कूटती थीं व गाती जाती थीं,
एपीसोड ----45 तीनों बच्चे दोपहर को आते हैं। उनके आने के हंगामे, रात की शानदार पार्टी में चमकीली साड़ी में हँसती, मुस्कराती उसके हृदय में कहीं चिंता धँसी हुई है। उसने आज ही जाना है। इन ड्रग्स से हृदयरोग ...Read Moreहो सकता है। नशे में झूमते, आँख निकालते, गला फाड़ते अभय पहले से ही हृदयरोगी थे। ऊपरवाले की कौन सी मेहरबानी से बची है उन दोनों की जाने? किसी भयानक अपराध की काली छाया से ये घर? कौन जाने? नहीं तो वह पार्टी में ऐसे नहीं मुस्करा रही होती। वह एम.डी. के ऑफ़िस जा धमकती है,“सर ! आप मेरी बात
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड ---46 अश्विन पटेल के यहाँ बेटे की शादी से पहले की संगीतमय शाम है। समिधा का मन बहल रहा है। मंच पर सजे हुए दूल्हा-दूल्हिन नृत्य कर रहे हैं, “आँखों में तेरी अजब ...Read Moreअजब सी अदायें हैं।” इंटरवल में कोल्ड कोको पीते हुए देखती है। अभय ऑफ़िस के लोगों के साथ लॉन के एक कोने में खड़े हैं। उनके साथ विकेश को देखकर वह जानबूझकर अपना गिलास लिये वहाँ जा पहुँचती है। विकेश भद्दे रूप से मोटा हो रहा है। सफ़ेद बालों से घिरे चेहरे पर उसकी हरकतों का घिनौनापन बिछा हुआ है।
एपीसोड ---47 एम .डी. मैडम से बड़ी मुश्किल से समय मिलता है लेकिन वह उनके ऑफ़िस में इंतज़ार करती रह जाती है। एक के बाद एक मीटिंग में वह व्यस्त हैं। अभय घर आ चुके हैं, “कहाँ गईं थीं?” ...Read Moreझूठी शान से कहती है, “देखो, इस समीकरण में मेरी तरफ़ कोई औरत नहीं थी इसलिए समस्या हल नहीं हो रही थी। अब उस गुँडी से कहो अपना सामान बाँध ले। मैडम अब उसे ठीक करेंगी।” अब अभय को कुछ दिन घेरने का प्रयास नहीं होगा। महिला समिति की सभी सदस्याएं पशोपेश में हैं। अब इस समिति का अध्यक्ष कौन
एपीसोड –48 “पति को छोड़ दीजिये।” मैडम सुहासिनी कुमार बड़ी चलाकी से सलाह देतीं हैं। एम .डी .मैडम की ये सलाह सुनकर वह चौंककर उन्हें देखती रह जाती है। “यदि ये उनका प्यार होता तो मैं उन्हें छोड़ देती, ...Read Moreजाल में फँसाया गया है। ये बात बस मैं हीं जानती हूँ। “”ये बात आप इतने विश्वास से कैसे कह रही हैं ?” “जून 2005 में मैं पाँच छः दिन घर में अंदर से ताला लगाकर सोई हूँ जब कि मुझे पता भी नहीं था इन्हें ड्रग दी जा रही है उन दिनों इनकी हालत बहुत खराब थी।” कहते कहते
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड –49 “हाँ आ गये बोलो?” अभय बेशर्मी से विकेश के घर की पार्टी से लौटकर कहते हैं। “पार्टी में जाने के लिए उस बदमाश का घर ही मिला था?” “हाँ....अब तो मैं ऐसी ...Read Moreमें जाया ही करूँगा....रोक कर तो देखना।” ये वहशीपन विकेश के भड़काने पर ही उभरता है। “नहीं रुके तो इस नर्क में स्वयं ही जलोगे।” “तुम्हें क्या है?” अभय लापरवाह अंदर के कमरे में चले जाते हैं। समिधा क्या करे ? कविता का शहर में ही तीन दिन छिपे रहने का नाटक, विकेश के घर की वह पार्टी-एक संकेत है-भयानक
एपीसोड----50 आधी फ़रवरी भी निकल गई है। कविता का सारा घर बंद रहता है। बालकनी में बस तीन तार कपड़े सूखते दिखाई देते हैं जैसे कि सिर्फ़ उसका बेटा वहाँ रह रहा हो। क्या सच ही कविता का बेटा ...Read Moreघर में अकेला रहा रहा है ? उसके सामने की इमारत में रहने वाली पड़ोसिन श्रीमती बर्नजी बताती हैं, “तीन-चार दिन पहले कविता को बालकनी में देखा था। पता नहीं सारा दिन घर बंद करके क्या करती रहती है?” रशिता डिटेक्टिव एजेंसी के ऑफ़िस में उसे बताती है, “आप भी ठीक कह रहीं थीं कि जनवरी प्रथम सप्ताह में कविता
एपीसोड ---51 पापा का हिपनोटाइज़ करके टैस्ट होगा, ये बात जानकार, अक्षत के चेहरे के असमंजस को पढ़ रही है। उसके लिये ये आसान नहीं है..... उसे भी कौन-सा अच्छा लग रहा है । उसी रात फ़ोन की घंटी ...Read Moreपर अभय फ़ोन उठाते हैं, “नमस्कार ! भाईसाहब और कैसे हैं ?......अभी बात करवाता हूँ।” वह समिधा को बुला लेते हैं ,``दिल्ली वाले भाईसाहब तुमसे बात करना चाहतें हैं।`` “नमस्कार ! भाईसाहब” “तुमने जो हमें पत्र डाला था उसी समस्या पर बात कर रहे हैं। ” वह बुरी तरह चौंक जाती है, “अब? ठीक सवा साल बाद ? आपने मेरी
दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड –52 अमन अभय से कहते हैं, “ऐसा क्यों नहीं करते इन्हें यहाँ से हटा दो, बेटे बहू के पास रख दो या बहू को यहाँ बुला लो।” वह चिल्ला उठती है, “मैं क्या ...Read Moreचीज़ हूँ कि उसे ये हटा देंगे?” अमन निर्णायक स्वर में कहते हैं, “आपको तो इस घर से, इस केम्पस से हटवाना पड़ेगा।” वह चिल्ला उठती है, “स्टॉप दिस नॉनसेंस। आप होते कौन हैं?” अभय अमन से कहते हैं, “मैं कह रहा था न ये साइकिक हो रही हैं।” अमन गंभीर होकर कहते हैं, “मेरे जान-पहचान के एक ‘साइकेट्रिस्ट’ हैं,
एपीसोड -----53 समिधा के घर के ओवरहैड टैंक से पानी न आने से बाथरूम ,वॉशिंग प्लेस व वॉश बेसिन्स का पानी बंद है। बहुत परेशानी हो रही है। वह पड़ौस में पता करती है, सभी के यहाँ पानी आ ...Read Moreहै। उसे ध्यान आता है कि उनके ऊपर रहने वाले पड़ौसी एक शादी में शहर से बाहर गये हैं। तो कौन गवाही दे सकता है कि समिधा को पानी के लिये तंग किया जा रहा है ? उसका गुस्सा कार्मिक विभाग के प्रमुख पर निकलता है, “हमारी लेन में सभी के यहाँ पानी आ रहा है सिर्फ़ हमारे यहाँ तीन
एपीसोड -54 समिधा गुस्सा दबाती सी डी शॉप की सीढ़ी चढ़ जाती है। वह लम्बा व्यक्ति समिधा को घूरता हुआ अपनी बाइक पर उसे देखता सीटी बजाता किक लगा रहा है। अनुभा के सिवाय किसी को नहीं पता था ...Read Moreवह देवदास के गाने पर डाँस करना चाह रही है तो फिर? फिर? ओ ऽ ऽ. ऽ...... उसके फ़ोन के भी कान है, यह बात तो वह भूल गई थी। वह अक्षत को फ़ोन करती है, “अक्षत ! अपनी देवदास की डीवीडी तुम अपने फ़्रेन्ड के हाथ भेज दो।” डी वी डी अक्षत से मँगाकर वह गुंडों को दिखाना चाहती
एपीसोड – 55 “हाँ ,आ गये बोलो?” अभय बेशर्मी से विकेश के घर की पार्टी से लौटकर कहते हैं। “पार्टी में जाने के लिए उस बदमाश का घर ही मिला था?” “हाँ....अब तो मैं ऐसी पार्टी में जाया ही ...Read Moreकर तो देखना।” ये वहशीपन विकेश के भड़काने पर ही उभरता है। “नहीं रुके तो इस नर्क में स्वयं ही जलोगे।” “तुम्हें क्या है?” अभय लापरवाह अंदर के कमरे में चले जाते हैं। समिधा क्या करे ? कविता का शहर में ही तीन दिन छिपे रहने का नाटक, विकेश के घर की वह पार्टी-एक संकेत है-भयानक खेल कभी भी आरम्भ
एपीसोड –56 प्रेसीडेन्ट शतपथी पूरे भारत के इस विभाग के प्रमुख हैं। उनमें भी हिम्मत नहीं है कि दो अधिकारियों को दिल्ली से छानबीन करने भेज सकते ? एक स्त्री अगर मुसीबत में फँस जाये तो? अमित कुमार के ...Read Moreपर नाचने वाले सुरक्षा विभाग का इंस्पेक्टर समिधा को क्या न्याय दिला पायेगा? दस बजे तक वह सारे ज़रूरी काम करके तैयार होकर मुस्तैद होकर बैठ जाती है। अभय एक इंस्पेक्टर व उसके सहायक के साथ घर पर आते हैं, “यदि आप चाहें तो अभय जी के सामने बयान न दें।” “नहीं मैं इन्हीं के सामने बयान दूँगी, नहीं तो
एपीसोड –57 अनुभा समिधा के बीच बातचीत ज़ारी है। “समिधा ! इन बातों को छोड़ पिछला वर्ष तेरे जीवन का कितना सुन्दर वर्ष रहा है, तू नानी बनी है, अक्षत की शादी तय हो गई है।” “ओ यस!” उन ...Read Moreपंजे फैलाये दानवों के बीच जीवन की ये अलौकिक उपलब्धियाँ हैं, अपनी सुमधुर ताल पर चलती हुई। *** “मॉम ! मोनिशा भाभी कैसी हैं?” रोली अमेरिका से पूछ रही है। सुमित रोली व बेटी को लेकर अमेरिका अपने माता-पिता से मिलने गये हैं। “ वैरी क्यूट।” “सब कैसा चल रहा है?” “सब भगवान ही अच्छा चला रहा है।” “झूठ तो
एपीसोड –58 अमन अभय से कहते हैं, “ऐसा क्यों नहीं करते इन्हें यहाँ से हटा दो, बेटे बहू के पास रख दो या बहू को यहाँ बुला लो।” वह चिल्ला उठती है,“मैं क्या कोई चीज़ हूँ ...Read Moreउसे ये हटा देंगे?” अमन निर्णायक स्वर में कहते हैं,“आपको तो इस घर से, इस केम्पस से हटवाना पड़ेगा।” वह चिल्ला उठती है,“स्टॉप दिस नॉनसेंस। आप होते कौन हैं?” अभय अमन से कहते हैं, “मैं कह रहा था न ये साइकिक हो रही हैं।” अमन गंभीर होकर कहते हैं, “मेरे जान-पहचान के एक ‘साइकेट्रिस्ट’ हैं, उन्हें दिखा देते हैं।”
एपीसोड –59 धार्मिक गुरू मीता शाह की कार चलने को है। वह अपनी परेशानियों का पुलंदा एक लिफ़ाफ़े में रखकर लाई है। उनके हाथ में देते हुए कहती है, “मुझे आपकी सहायता चाहिए।” वह मुस्कराकर उससे लिफ़ाफ़ा ले लेती ...Read More“ठीक है।” उनकी कार चल दी है, समिधा के दिल में आशा की ज्योत जलाकर। इनके ट्रस्ट के स्कूल के बच्चे भी समिधा के पास पढ़ने आते हैं। ट्रस्ट से अनेक अस्पताल व महिला योजनायें संचालित हो रही हैं। कोचिंग संस्थान से कार्यक्रम के फ़ोटोज़ मीता बेन को पहुँचाने का काम उसे सौंपा जाता है। वे मंदिर के प्रांगण में
एपीसोड –60 समिधा ने बहुत जगह शिकायत की थी, पता नहीं कौन सी शिकायत ने रंग दिखाया है कि पुलिस ने नारकोटिक सेल की सहायता लेकर जाल बिछाया है । समिधा उस दिन सुबह अख़बार में बरसों बाद देख ...Read Moreहै जो देखना चाहती है प्रमुख पृष्ठ पर एक बड़ी फ़ोटो में हैं बिखरे हुए बालों में बिफरी हुई कविता, वर्मा, बौखलाया विकेश और प्रतिमा लटके हुए मुंह वाले अमित कुमार, सोनल, सुयश, लालवानी, अमन, प्रभाकर, चौहान व कुछ और आदमी, औरतों के हाथ में हथकड़ी लगी हुई। समिधा को लगता है कहीं कोई तप कर रही उसकी आत्मा मुस्करा