जलप्रलय-एक रिवेंज - Novels
by सूरज
in
Hindi Science-Fiction
जलप्रलय -एक रिवेंजभाग -1...शाम का वक़्त! समुद्र की भयानक लहरें जोर-जोर से उठा पटक मचा रही थी। लोगो का हुजूम तट पर बढ़ता ही जा रहा था। बात ही कुछ ऐसी थी। कई सारे चैनलों के रिपोर्टर्स ...Read Moreमोर्चा संभाल चुके थे। सभी की निगाहें समुद्र तट से दस कदम की दूरी पर पानी मे उपस्थित उस अकल्पनीय दृश्य पर जमी हुई थी।सूचना पाते ही भारी पुलिस फोर्स भी तैनात हो चुका था। उनकी रायफल्स भी एकदम निशाने पर तनी हुई थी। यद्यपि वहां खतरे जैसी कोई बात दिखाई नहीं पड़ रही थी पर मनुष्य तो आखिर मनुष्य है। दसियों स्टीमर्स पर
जलप्रलय -एक रिवेंजभाग -1...शाम का वक़्त! समुद्र की भयानक लहरें जोर-जोर से उठा पटक मचा रही थी। लोगो का हुजूम तट पर बढ़ता ही जा रहा था। बात ही कुछ ऐसी थी। कई सारे चैनलों के रिपोर्टर्स ...Read Moreमोर्चा संभाल चुके थे। सभी की निगाहें समुद्र तट से दस कदम की दूरी पर पानी मे उपस्थित उस अकल्पनीय दृश्य पर जमी हुई थी।सूचना पाते ही भारी पुलिस फोर्स भी तैनात हो चुका था। उनकी रायफल्स भी एकदम निशाने पर तनी हुई थी। यद्यपि वहां खतरे जैसी कोई बात दिखाई नहीं पड़ रही थी पर मनुष्य तो आखिर मनुष्य है। दसियों स्टीमर्स पर
भाग - 2 धांय! धांय! धांय! सहसा तीन फायर हुए। पहला निशाना गुलाब के हाथ में थमी रायफल थी जो तुरंत छिटक कर दूर जा गिरी, बाकी दो का निशाना उसके दोनों घुटने थे पर राइफल ...Read Moreसे छिटकने और अचानक हुए इस अप्रत्याशित हमले से वह लड़खड़ा गया, जिससे दोनों निशाने चूक गए। पकड़ लो इसे, भागने न पाये। वातावरण मे एक रौबदार आवाज गूंजी। कई सारे सिपाही गुलाब की तरफ लपके। गुलाब कुछ समझ पाता उसके पहले ही दो सिपाहियों ने उसकी दोनों बाहें पकड़ ली, वह कसमसाया, पर पकड़ मजबूत थी। वे उसे एक साइड ले जाने
■■■ "मेरे बच्चे को वापस लाइये ढूंढ कर... वापस लाइये, किसी भी कीमत पर मेरा बच्चा हर हाल में सुरक्षित होना चाहिए।" प्रमिला देवी का रो रो कर बुरा हाल था। "सब ठीक हो जाएगा, भोले नाथ पर भरोसा ...Read Moreवो अपने गुलाब को कुछ नहीं होने देंगे।" शंभू नाथ ने अपनी पत्नी प्रमिला को दिलासा देते हुए कहा जबकि वे खुद टूटे हुए थे। दोनों पति पत्नी ने जब से यह सुना था की गुलाब को कोई विचित्र जीव उठा ले गया है तबसे ही उन दोनों का हाल बेहाल था, शंभू नाथ, यद्यपि कुछ न कर पाने की
"ये कैसी आवाज है अमर?" "ध्यान मत दे।" "क्यों? तू ऐसे क्यों बोल रहा है?" "सही बोल रहा हूँ भाई! ध्यान मत दे, ये सब रोज़मर्रा की मामूली बातें हैं, और दूसरी बात ये गाँव नहीं है, यहाँ किसी ...Read Moreकिसी से मतलब नहीं रहता, तू भी मत रख मतलब, इसी में भलाई है अपन की, चल ग्लास दे उधर से!" अमर ने गुलाब को समझाते हुए कहा। "लेकिन यार ये औरत कौन है जो चीख रही है, मुझे लगता है उसको हमारी सहायता की जरूरत है, तू ये कैसी बाते कर रहा है पहले तो ऐसा नहीं था। "यार
■■ दोनों चुपचाप खड़े थे। ग्यारह बजने को थे, प्लैटफ़ार्म पर औसत भीड़ थी, जो कि धीरे धीरे बढ़ रही थी। उनको यहाँ खड़े एक घंटे से ऊपर हो चुके थे, ट्रेन आने में अभी भी करीब तीस मिनट ...Read Moreरह रह कर वे दोनों ही सशंक दृष्टि से अपने चारो तरफ नजर दौड़ा लेते थे। जो इक्का दुक्का चेयर्स थी उनपर पहले ही यात्री पसरे हुए थे। दोनों ही काफी देर तक चुपचाप खड़े रहे। "कितने पैसे हैं तेरे पास?" अमर ने चुप्पी तोड़ी। "पाँच साढ़े पाँच सौ होंगे!" "इसी के बल पर लड़ने चला था, अब कहाँ जाएगा?
■■ "ओके! ओके! तिथल बीच पर ही मिलेंगे जल्दी आना।" अमर ने वलसाड रेलवे स्टेशन पर उतरते ही किसी को कॉल किया। "ओके! तीन, साढ़े तीन तक पहुंचूंगा।" दूसरी तरफ से आवाज आईं। वे दोनों करीब डेढ़ बजे तक ...Read Moreरेलवे स्टेशन पर पहुंच चुके थे, अभी सचिन को आने में समय था इसलिए उन दोनों ने तब तक इधर उधर घूमने का मन बनाया। बोईसर से सुरक्षित निकल आने और सचिन से बात हो जाने के पश्चात अमर थोड़ा रिलैक्स महसूस कर रहा था, दूसरी बात इतने दिनों बाद उसको फिर से थोड़ा मजा आया था हालांकि उसकी एक
गतांक से आगे- ■■■ वह जीव गुलाब को उड़ाता हुआ जंगल के मध्य घने और काफी बड़े पेड़ो से घिरे एक ऐसे स्थान पर ले गया जो बेहद साफ सुथरा और शांत दिख रहा था, जब उस जीव ने ...Read Moreको धरातल पर उतारा तो एकाएक गुलाब चौंका, उसने घूम घूम कर अपने चारो तरफ देखा और फिर अपनी आंखे मलने लगा मानो नींद से उठा हो, वह फिर से अपनी आंखे फाड़ फाड़ कर चारो तरफ देखने लगा। "य ...ये क्या? अभी अभी तो हम खुले आसमान के नीचे थे पर ये अचानक से ये कहाँ आ गए हम?"
जलपरी .... उस जलपरी ने समुद्र की गहराइयों से ही सब देख लिया था, नील का बच्चे को उठाना, भीड़ का जुटना और फिर नील का उन कुटिल मानवो से घिरना, एक लड़के का नील को बचाने के लिए ...Read Moreकदम, अब तक तो वह बस यही सोचा करती थी की मानव जाति क्रूर से क्रूरतम होती है, इस सोच की वजह भी थी पर नील के लिए आज एक लड़के का संघर्ष देखकर उसे अपनी धारणा बदलनी पड़ी। गोली चलने से लेकर उस लड़के का असफल प्रयास और उसके फसने तक सब कुछ तो देखा था उसने अपनी आंखो
समुद्र के विराट वक्षस्थल पर धवल चाँदनी फैली हुई थी। उस मनमोहक चाँदनी में बलखाती समुद्री लहरों की चमक रोमांच से भरे दे रही थी, इतना विशाल सागर और वह अथाह जलराशि जिसकी थाह पाना सचमुच कितना दुष्कर है, ...Read Moreमुग्ध किए दे रही थी। इस विराटता के आगे मनुष्य तो धूल के एक छोटे कण के बराबर भी नहीं है फिर भी वह इस अनंत सागर ही नहीं अपितु सम्पूर्ण सृष्टि पर अपना आधिपत्य जमाने की और अपने इशारो पर नचाने के स्वप्न देखता रहता है, सृष्टि भी इस खेल में कदाचित विनोद वश साथ ही देती होगी मनुष्यों