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Karn Pishachini by Rahul Haldhar | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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कर्ण पिशाचिनी by Rahul Haldhar in Hindi
Novels

कर्ण पिशाचिनी - Novels

by Rahul Haldhar Matrubharti Verified in Hindi Horror Stories

(266)
  • 95.6k

  • 206.1k

  • 41

क्योंकि मेरी तरह आप भी हिंदी भाषी राज्य में रहते हो तो कहानी में जिस जगह का उल्लेख किया गया है वह आपको पता नही होगा । जगह का नाम बोलपुर है जो बंगाल के बीरभूम जिले में उपस्थित ...Read More। यह जगह ठाकुर रवीन्द्रनाथ टैगोर के शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय और 51 शक्तिपीठों में से एक देवी कंकालेश्वरी /कंकालीतला देवी के लिए प्रसिद्ध है जो कोपाई नदी के किनारे कंकालीतला नामक गाँव में उपस्थित है । यह मंदिर तांत्रिक व कापालिकों का बहुत प्रिय स्थान है क्योंकि यहाँ देवी काली की मूर्ति जागृत बताई जाती है ।

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कर्ण पिशाचिनी - Novels

कर्ण पिशाचिनी - 1
क्योंकि मेरी तरह आप भी हिंदी भाषी राज्य में रहते हो तो कहानी में जिस जगह का उल्लेख किया गया है वह आपको पता नही होगा । जगह का नाम बोलपुर है जो बंगाल के बीरभूम जिले में उपस्थित ...Read More। यह जगह ठाकुर रवीन्द्रनाथ टैगोर के शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय और 51 शक्तिपीठों में से एक देवी कंकालेश्वरी /कंकालीतला देवी के लिए प्रसिद्ध है जो कोपाई नदी के किनारे कंकालीतला नामक गाँव में उपस्थित है । यह मंदिर तांत्रिक व कापालिकों का बहुत प्रिय स्थान है क्योंकि यहाँ देवी काली की मूर्ति जागृत बताई जाती है । ------------------------------------------------ यह कहानी इस
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कर्ण पिशाचिनी - 2
भाग - 2विजयकांत को जब होश आया तब उसने देखा कि वो एक घर के आँगन में लेटा हुआ है । चारों तरफ बहुत सारे जिज्ञासु चेहरे उसे ही देख रहे थे । विजयकांत को होश आते ही वह ...Read Moreआपस में बात करने लगे । " पंडित जी होश आ गया । " इसके बाद जो बूढ़ा ब्राह्मण पास आकर उसके नाड़ी को जांच करने लगे , उन्हें देखकर विजयकांत आश्चर्य में पड़ गया । क्योंकि यही वो आदमी है जिसके घर विजयकांत आ रहा था
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कर्ण पिशाचिनी - 3
भाग - 3गोपालेश्वर की बात बाद में करते हैं । पहले एक और कहानी को पढ़ लेते हैं ।वर्धमान का सोनपुर गांव , पिछले कुछ दिनों से यहां पर एक रहस्य की उत्पत्ति हुई है ।यह माघ महीना ( ...Read More- फ़रवरी ) है । जमींदार हरिश्चंद्र की एकमात्र लड़की दीपिका दोपहर का भोजन समाप्त कर , नौकरानी की लड़की माला को साथ लेकर छत पर धूप सेंकने गई थी । सोनपुर एक समृद्ध व धनी गांव है । जमींदार के पास पैसों का भंडार है ।
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कर्ण पिशाचिनी - 4
भाग - 4 अगले दिन शाम को यज्ञ - हवन शुरु हुआ । दीपिका एक कमरे के अंदर बंद थी । गुरुदेव ने अपना और दीपिका की देह - बंधन कर रखा है । शाम जितना बढ़ता गया चारों ...Read Moreहवा की गति भी उतनी ही बढ़ती गई । हवा की वजह से आसपास के पेड़ों की शाखाएं टूटने लगी । इधर दीपिका भी कमरे के अंदर छटपटाने लगी । घर के चारों तरफ 3 दिया जलाया गया है । गुरुदेव अपने गंभीर आवाज में मंत्र को पढ़ते जा
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कर्ण पिशाचिनी - 5
भाग - अंतिमदेखते ही देखते शनिवार आ गया । उधर शुक्रवार से ही गोपालेश्वर अपने काम में व्यस्त है । यज्ञ कुंड बनाया जा रहा है और इस बार वह पंचमुंडी के आसन पर साधना करना चाहता है । ...Read Moreपेड़ के नीचे पंचमुंडी का आसन बनाया जा रहा है । इसमें लगने वाले पांच सिर शनिवार शाम तक जुगाड़ हो जाएंगे । नाग , बंदर , सियार , चंडाल और अकाल मृत्यु से मरे किसी मनुष्य का सिर , इन पांच कटे सिर की जरूरत होगी ।
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कर्ण पिशाचिनी - 6
- : कर्ण पिशाचिनी की एक दूसरी स्टोरी :- भाग - 1कुछ दिन पहले ही पूर्णिमा खत्म हुई ...Read Moreगोल चाँद धीरे धीरे अपनी आकृति को खो रहा है । चारों तरफ सन्नाटा है । नहीं पूरी तरह सन्नाटा भी नहीं कहा जा सकता क्योंकि सन्नाटे में भी कुछ आवाजें होती है । दूर बहुत दूर कुछ सियारों की ' हुऊऊऊऊ ' आवाज सुनाई दे रहा । पत्तों पर हल्का हवा लगने के कारण सरसराहट की आवाज तैयार हुआ है । और बारिश की वजह से पेड़ के
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कर्ण पिशाचिनी - 7
भाग - 2" भाई और कितनी देर तक सोएगा । इससे पहले मैंने किसी को भी ऐसा नहीं देखा । अपने शादी के दिन कौन दोपहर तक सोता है । उठ जा ।" " उफ्फ दीदी , हट ...Read Moreथोड़ा और सो लेने दो । " " लगता है कल भी पूरी रात तू ममता के साथ फोन पर लगा था । आज के बाद तो पूरी जिंदगी के लिए.... " " नहीं दीदी , कल ज्यादा बात नहीं हुई । असल में सिर थोड़ा भारी था इसीलिए नींद नहीं
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कर्ण पिशाचिनी - 8
भाग - 3बिस्तर पर बैठे पुरानी बातों को सोचते हुए विवेक को झपकी आने लगी थी । अचानक किसी ने उसका नाम लेकर उसे बुलाया । हड़बड़ाकर वह फिर उठ बैठा । शायद वह कोई सपना ही देख रहा ...Read More। पिछले कुछ दिनों से विवेक के लिए स्वप्न और वास्तव मिक्स हो गया था । लगभग 1 साल पहले शादी की तारीख ठीक होने के दिन ऐसा शुरू हुआ था । ममता के घर पर उस दिन कई रिश्तेदार थे और विवेक के घर से भी सभी गए
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कर्ण पिशाचिनी - 9
भाग - 4गुरु भैरवानंद ने हर्षराय को विस्तार से साधना प्रक्रियासमझा दिया । एक विशेष मंत्र भी दिया जिसका जप हर्षराय को प्रतिदिन एक हजार बार करना होगा । गुरुदेव के नाम से संकल्प लेकर हर्षराय की साधना शुरू ...Read More। भोर होते ही गुरु भैरवानंद साधना की लकीर व साधना स्थल से चले गए । गुरुदेव के जाने से पहले हर्षराय ने उन्हें साष्टांग प्रणाम किया । गुरु भैरवानंद ने आशीर्वाद देकर फिर से सावधान वाणी को बताया ।सूर्य की किरणों से शिप्रा की जल रक्तिम आभा से भर गई
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कर्ण पिशाचिनी - 10
भाग - 5विवेक की मां भगवान की मूर्ति के सामने से उठ ही नहीं रही हैं । केवल गुरु महाराज शांत व स्थिर हैं ।अंत में सभी को आश्चर्य करते हुए रात में लगभग साढ़े तीन बजे ममता के ...Read Moreजी का फोन आया । वो सभी तथा कुछ रिश्तेदार आधे घंटे में ही विवेक के घर पर आ रहे हैं । यहीं से सभी एक साथ गुरु महाराज के घर जाएंगे । अचानक ही सभी मानो जीवित हो उठे । तय हुआ कि विवेक के माता- पिता
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कर्ण पिशाचिनी - अंतिम
अंतिम भाग " मुझे भूख लगी है । मुझे भूख चढ़ाओ । नर मांस दो मुझे... " कर्णपिशाचिनी के आवाज से मानो यह शांत जंगल कांप उठा । रात के कुछ पंछी डरते हुए उड़ गए । हर्षराय विकट ...Read Moreमें थे उन्होंने सोचा तो क्या अंत में इतने दिनों की साधना यूं ही व्यर्थ चली जाएगी । मन ही मन उन्होंने देवी गुह्यकाली को शरण किया । गुरु भैरवानंद की सावधान वाणी उन्हें याद आई । गुरु ने कहा था, " जितनी भी विकट परिस्थिति आए अपने दिमाग को शांत
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