संतुलन - Novels
by Ratna Pandey
in
Hindi Moral Stories
मीरा और विनय के विवाह को लगभग पाँच वर्ष बीत गए थे। पूजा पाठ पर अत्यंत ही भरोसा करने वाले दोनों पति-पत्नी ने मंदिर-मंदिर जाकर भगवान से विनती की पर औलाद के सुख से वंचित ही रहे। दोनों ने ...Read Moreचैकअप भी करवा लिया, दोनों में किसी तरह की कोई कमी नहीं थी और दोनों ही माता-पिता बनने में पूर्ण रूप से सक्षम भी थे।
एक दिन मीरा ने विनय से कहा, " भगवान हमारे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं विनय? जब हम दोनों में कोई कमी है ही नहीं तो फिर ऐसा संजोग क्यों नहीं बन पा रहा है?"
"धैर्य रखो मीरा, यदि भगवान चाहेंगे तो सब ठीक हो जाएगा।"
"हाँ शायद तुम ठीक कह रहे हो, वैसे भी हम इंतज़ार के सिवाय और कर भी क्या सकते हैं?"
देखते-देखते एक वर्ष और बीत गया। मीरा का पूजा पाठ और अधिक बढ़ गया था। अब वह डॉक्टर के पास एक बार फिर से गए। डॉक्टर ने उन्हें बहुत कुछ समझाया, कुछ दवाइयाँ भी बताईं। डॉक्टर की सलाह मानकर उन्होंने सारी दवाइयाँ ली और उनकी बताई हर बात का ख़्याल रखा। उसके बाद कुछ ही दिनों में मीरा को ऐसा आभास हुआ कि शायद वह ख़ुशी की घड़ी आ गई है जिसका उन्हें इंतज़ार था।
मीरा और विनय के विवाह को लगभग पाँच वर्ष बीत गए थे। पूजा पाठ पर अत्यंत ही भरोसा करने वाले दोनों पति-पत्नी ने मंदिर-मंदिर जाकर भगवान से विनती की पर औलाद के सुख से वंचित ही रहे। दोनों ने ...Read Moreचैकअप भी करवा लिया, दोनों में किसी तरह की कोई कमी नहीं थी और दोनों ही माता-पिता बनने में पूर्ण रूप से सक्षम भी थे। एक दिन मीरा ने विनय से कहा, " भगवान हमारे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं विनय? जब हम दोनों में कोई कमी है ही नहीं तो फिर ऐसा संजोग क्यों नहीं बन पा रहा
मीरा और विनय के स्वयं के लिए भले ही बड़े सपने ना हों लेकिन अपनी बेटी राधा के लिए वे बड़े-बड़े सपने देखते थे और उन सपनों को सच करने की कोशिश में दोनों ही लगे रहते थे। नाज़ो ...Read Moreपल रही राधा अपने घर की राजकुमारी थी। विनय की माँ राधा को छः माह का करके अपने गाँव वापस चली गईं। उन्हें जब भी राधा की याद आती वह बीच-बीच में उससे मिलने आती रहती थीं। विनय हमेशा राधा के लिए नए-नए डॉक्टर सेट लेकर आता था। राधा भी गुड़िया और दूसरे खिलौने छोड़कर डॉक्टर सेट से ही सबसे
राधा के मेडिकल में एडमिशन की ख़बर सुनते ही पूरे परिवार में ख़ुशी की फुहार बरस रही थी। विनय की माँ भी ख़ुशी के इस मौके पर परिवार के साथ थीं। आज मीरा को विनय की कही वह बात ...Read Moreआ रही थी कि यदि बच्चे में दम है, मेहनती है तो किसी भी स्कूल में पढ़ कर डॉक्टर, इंजीनियर जो चाहे बन सकता है। यह बात याद आते ही मीरा ने कहा, "विनय तुमने जो कहा था उसे सच करके दिखा दिया। हमारी राधा ने सरकारी स्कूल में पढ़ते हुए भी हमारा सपना पूरा किया।" "हाँ मीरा वह कहते
राधा का इस तरह शादी से इंकार करने पर विनय ने उसे समझाते हुए कहा, “राधा तुम्हें मैंने बचपन से हर काम में, हर चीज में संतुलन करना सिखाया है. बस उसी फॉर्मूले को यहाँ भी अपनाना फिर देखना ...Read Moreदिक्कत नहीं आएगी। सोचो बेटा आज यदि मेरे साथ तुम्हारी माँ ना होती तो कैसा होता मेरा जीवन? अकेला, वीरान, सुनसान, जीवन साथी तो होना ही चाहिए। बिना पतवार के नाव नहीं चलती बेटा। एक दूसरे का सहारा, जो अंतिम समय तक वृद्धावस्था तक हमें साथ दे; वह पति पत्नी का रिश्ता ही होता है। " "लेकिन पापा . .
आकाश के मुँह से यह सुनकर कि उसे राधा द्वारा अपने माता-पिता का ध्यान रखने की बात से कोई आपत्ति नहीं है, राधा ने कहा, "लेकिन आकाश विवाह के बाद, वक़्त के साथ तुम्हारा यह निर्णय बदल तो नहीं ...Read Moreना?" "राधा में एक प्रश्न पूछ सकता हूँ?" अपने बालों की लटों को पीछे करते हुए राधा ने कहा, " हाँ ज़रूर पूछिए?" "क्या तुम एक बेटी की तरह मेरे पापा मम्मी का वैसे ही ख़्याल रख सकोगी, जैसा तुम अपने ख़ुद के माता-पिता का रखती हो।" "यह कोई पूछने की बात है आकाश, वह तो मेरा पहला कर्त्तव्य होगा,
आकाश के मुँह से राधा की तरफ़दारी की बात सुनकर उसकी माँ सितारा ने कहा, "आकाश यह तो ग़लत बात है तू समझ क्यों नहीं रहा; इसका मतलब तो ये हुआ कि वह अपना वेतन भी उन्हें दिया करेगी। ...Read Moreडॉक्टर लड़की ढूँढने का क्या फायदा होगा फिर? मना कर देते हैं अभी तो सगाई भी नहीं हुई है। अच्छा है पहले ही पता चल गया वरना . . . " "अरे नहीं मम्मी आप ग़लत सोच रही हो। मुझे तो वह लड़की काफी सुलझी हुई लगी और उसका अपने माँ-बाप का ख़्याल रखना भी मुझे बुरा नहीं लगा। आप
राधा अपने माता पिता से विदा होकर ससुराल आने लगी। जब वह अपनी माँ के गले लगी तब मीरा ने कहा, "राधा बेटा यह रिश्ते बड़े ही नाज़ुक होते हैं। हमारी वज़ह से तुम्हारे जीवन में कभी कोई समस्या ...Read Moreआनी चाहिए। हमसे ज़्यादा तुम आकाश के माता-पिता का ध्यान रखना। अब वह घर ही तुम्हारा असली घर है।" "माँ प्लीज़ ऐसा मत कहो मेरे लिए तो दोनों ही घर असली घर हैं। मैं जितना ख़्याल आप लोगों का रखूँगी, उतना ही उनका भी रखूँगी, मैं संतुलन बनाकर रखूँगी माँ आप चिंता मत करो," कहते हुए राधा रो पड़ी। मीरा
शादी के दो दिनों के बाद जब राधा और आकाश अपने हनीमून के लिए जाने लगे; तब राधा ने सितारा से कहा, "मम्मी जी प्लीज़ मेरे माँ पापा का ख़्याल रखना।" सितारा ने बात को टालते हुए कहा, " ...Read Moreलोग अपना ख़्याल रखना।" उसके बाद वे दोनों कश्मीर जाने के लिए एयरपोर्ट पहुँच गए। शाम को सितारा ने सोचा जाऊँ जाकर एक बार उसकी माँ से मिल आती हूँ। राधा कहकर गई है ना कि मेरे पापा माँ का ख़्याल रखना सोचते हुए सितारा सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी। तभी आधे रास्ते में ही उसे मीरा मिल गई। उसने
एक दिन मीरा की तबीयत ख़राब थी। राधा ऑफिस से आने के बाद रोज़ ही कुछ देर सितारा के पास बैठकर बातें करती। दिन भर के हाल-चाल पूछती और उसके बाद अपनी माँ से मिलने नीचे चली जाती। वह ...Read Moreही देर में वापस भी आ जाती थी लेकिन आज वह जाने के बाद जल्दी वापस नहीं आई। वह अपनी माँ के बुखार के कारण उनके पास ही थी। इधर सितारा का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था। वह पल-पल राधा के लौटने का इंतज़ार कर रही थी। अंततः सितारा से रहा नहीं गया और उसने सोचा आज तो हद