The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
@yogendrakumarpandey221713
149
66.9k
157.5k
Hey, I am on Matrubharti!
23 मार्च 1931 अपने नश्वर देह को त्याग कर आज ही के दिन 23 मार्च 1931 को फांसी के फंदे पर झूल गए और अमर हो गए शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु हमेशा के लिए, तब की विश्व राजधानी लंदन और ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाकर उन्होंने फूंका था क्रांति का बिगुल और उनके बलिदान ने सिखा दिया स्वतंत्रता और निर्भीकता की शमा पर न्योछावर हो जाना आजादी के करोड़ों परवानों को और उन तीनों की जलाई शमा आज भी जल रही है कोटि युगों तक प्रज्वलित ही रहेगी, और प्रेरित होते रहेंगे करोड़ों नौजवान हर तरह की असमानता परतंत्रता और तानाशाही के खिलाफ देने अपना बलिदान कि सबसे ऊपर है राष्ट्रहित और मानवता। (आज शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान दिवस पर उन्हें शत-शत नमन 🇮🇳🙏) डॉ.योगेंद्र कुमार पांडेय©
होली का त्योहार जब होता मेल रंगों का,मन से मन के जुड़ते तार, जब फगुनाई हवा में,चढ़े तन-मन में नया खुमार। जब पीली चूनर ओढ़े प्रकृति,करती नया श्रृंगार, जब वासंती छटा हो बिखरी,आता होली त्योहार। जब वैर,भेद भुला के सारे,मिलते गले बन यार, जब पीले,हरे,बैंगनी,रंगों से,बनते सतरंगी हार। जब मुख पे अबीर गुलाल,मलते बनकर प्यार, जब राधेकृष्ण का नेह बन,आता होली त्योहार। जब रंगों से सराबोर तन-मन,मस्ती का उपहार, जब गली,गांव और नगर डगर में रंगों की बहार। जब सृष्टि सारी हो तत्पर,करने सबको एकाकार, तब देने खुशी जन-जन को,आता होली त्योहार। (मौलिक रचना) (मातृभारती के सभी पाठकों, रचनाकारों एवं टीम मातृभारती को रंगों के पर्व होली की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं🙏) योगेंद्र
आओ मेरे जीवन में शिव शिव से ही में रस जीवन,शिव जीवन का आधार कैलाश वासी डमरूधर शिव की महिमा अपरंपार शीश पे जिनके जटा मनोहर,है गंगा जी का वास अंग में भस्म लगाए शिवजी,सकल जन की आस वाहन नंदी बैल शिव का,गले में विषधर लिपटे पशुपतिनाथ जिनके त्रिशूल में तीनों लोक सिमटे बिना महलों के भी शिव हैं तीनों लोक के स्वामी आदिशक्ति के स्वामी,अजेय,शिव हैं महिमाशाली बचाने सारी वसुधा को,पी विष नीलकंठ कहाए दे मनचाहा वरदान सभी को औघढ़ दानी कहाए कामदेव की धृष्टता को खोल त्रिनेत्र भस्म किया अखंड योगी शिव ने उमा का तप स्वीकार किया भेदभाव से रहित शिव ने भस्मासुर को वर दिया रावण शुक्राचार्य को भी भक्ति का अवसर दिया लंका विजय से पूर्व पूजित,शंभू रामेश्वर कहलाए कालजयी शिव भक्तों के महाकालेश्वर कहलाए दक्ष घमंडी के यज्ञ का शिव भक्तों ने ध्वंस किया ले सती की दग्ध देह,शिव ने ब्रह्मांड भ्रमण किया आशुतोष वे जल्द प्रसन्न हों,भक्तों को देते वरदान सबके दुखों को हरते शिव,वे करते कृपा अविराम। (मौलिक कॉपीराइट रचना) ( आज महाशिवरात्रि पर मातृभारती के सभी पाठकों रचनाकारों और टीम मातृभारती को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं। सभी पर भगवान शिव की कृपा हो।) योगेन्द्र
संदेसा गणतंत्र का 🇮🇳 तीन रंग का नहीं तिरंगा,ये देश का सम्मान है। झुकने न देंगे इसे कभी,भारतका अभिमान है।1। आज की सुबह खुशियां अगणित आई हैं। गणतंत्र दिवस का संदेसा प्रमुदित लाई हैं।2। शहीदों,सेनानियों की साधना हुई सफल है। संविधान उनकी तपस्या का ही प्रतिफल है।3। देश से बढ़कर नहीं है यहाँ और कोई विधान। धर्म भारत,जाति भी भारत,है मेरा देश महान। हम भारतीय,भारत के,भारत हित रहना होगा। एक अखंड राष्ट्र के हित ही जीना-मरना होगा।4। मातृभारती के सभी पाठकों, रचनाकारों एवं टीम मातृभारती को 74 वे गणतंत्र दिवस की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं✍️🙏🇮🇳 डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय (मौलिक कॉपीराइट रचना)
बेटी गुड़िया सर्द सुबह,सूरज दादा की नहीं है कोई खबर, पलंग पर सोई है गुड़िया,मीठी नींद में बेखबर। डिस्कस थ्रो की लाल डिस्क से,आते हैं सूरज, माँग क्षमा देरी की,बिखेरते किरणों का असर।।1 जगाते हैं पापा गुड़िया को,"उठो सुबह हो गई, तेरी दोस्त चिड़िया डाल पे,आके है बैठ गई।" गिलहरी फुदकती शाखों पे,कहती "आ जाओ", आहट से अलसाती गुड़िया की नींद खुल गई।।2 "हाथ मुँह धोलो गुड़िया,"रसोई से आई पुकार, "आई मम्मा,क्या मेरी,चाय बिस्किट है तैयार?" अँगुली पकड़े पापा की,गुड़िया छत पर चली, खेलने तैयार है अब,बिटिया रानी होशियार।।3 बालिका दिवस की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं.......✍️ डॉ.योगेंद्र कुमार पांडेय (स्वरचित कॉपीराइट रचना)
देखो आई संक्रांति निराली उत्तरायण सूर्य के आभा की छटा निराली, देखो,मकर संक्रांति में आई है खुशहाली। पोंगल,कहीं लोहड़ी,भोगाली बिहु की धूम, छत पे पतंग उड़ाती,टोली के हर्ष की गूंज। नदियों के तट पे गंगासागर व माघ के मेले स्नान,तिल,खिचड़ी के भोग,दान अलबेले। भक्ति आस्था के होते लोक समागम अनूठे। शीत ऋतु में प्रखर सूर्य-दर्शन से सब झूमे। मकर रेखा पे सूर्य की किरणें हैं चहुँ ओर, फसल पर्व,कृषक के हर्ष का ओर न छोर। सभ्यता और संस्कृति का संवाहक त्योहार, संक्रांति ये प्रकृति का,मानव को है उपहार। (मौलिक कॉपीराइट रचना) डॉ.योगेंद्र कुमार पांडेय
पथिक और प्रेम का तारा पथिक को रात में अंबर के करोड़ों टिमटिमाते तारों के मध्य दिखते हो तुम बिलकुल एक अलग चमकते तारे, उस अँधेरे के राही को राह दिखाते। तुम्हें पता नहीं शायद वह तुम्हें ही देखकर लगाता है अनुमान दिशाओं का। रात के अँधेरे में टटोलकर बढ़ता, घुप अंधकार भरी राह में मार्ग ढूंढ़ता। रात भर वह यूँ ही चलता है, और मार्ग ढूंढ़ते-ढूंढ़ते ही सुबह हो जाती है। भोर हो जाने पर मार्ग ढूंढ़ना भी आसान होता है साथ देने वाले भी मिल जाते हैं, मगर दिन के उजाले से अधिक प्रिय है उसे, वो अँधियारी रात, जब तुम उसे साफ दिखाई देते हो। अंबर में तारों की भीड़ में भी वह रोज तुम्हें ढूँढ़ लेता है, तुम्हें ही महसूस करता है। ठीक उस तरह जिस तरह उस दिन सबसे पहले उसने तुम्हें देखा था अनायास, नदी के उस पार के पेड़ के ठीक ऊपर, एक अलग आभा से चमकते सितारे, मध्य रात्रि में। तब से वह प्रतीक्षा करता है तुम्हारी रोज़ रात्रि में देर तक तुम्हारी एक झलक को, यहाँ तक कि बरसात के मौसम में भी भीगते,पहुंचकर नदी तट पर जब बारिश,बूँदों और बिजली में तुम दिखाई नहीं देते क्षितिज पर, तब भी वह महसूस करता है तुम्हें बिना तुम्हारे जाने ही। उसे लगता है इस जग में कोई तो है जो रात के अंधेरे में उसके साथ चलता है, उसे राह दिखाता है, तब भी, जब और छोड़ देते हैं साथ। "हम दोनों कभी मिलते हैं नहीं पर हम दोनों का है बंधन अटूट" -यही मानकर, तुम्हारी हर चीज से बेख़बर,बेपरवाह अभी भी तुम्हें प्रेम करता है, सुबह के उजाले में अपने खो जाने तक पथिक। योगेंद्र (मौलिक कॉपीराइट रचना)
गज़ल कुछ रिश्ते जीवन में बड़े खास होते हैं, दूरी में भी मिलन का आभास होते हैं। ख़्वाबों और ख़यालों में बस वो ही वो, ज़िंदगी में हर पल का विश्वास होते हैं। बिना मिले ही किसी को पाने का भरम, गर टूटे तो ज़िंदगी का उपहास होते हैं। दुनियां के मेले में है भीड़ और चकाचौंध, झूठ औ फरेब क्यूँ यकीं की आस होते हैं। ख़्वाबों का सिलसिला चलता रहे अच्छा, हक़ीक़त में बस ग़म औ आँसू पास होते हैं। रो-रो के बुरा हाल है पर कहाँ उन्हें ख़बर, तन्हाई में हर मंज़र, हर लम्हे उदास होते हैं। इश्क़ है रब की नेमत सबके नसीब कहाँ, किस्मत वालों को इसके अहसास होते हैं। योगेंद्र © मौलिक कॉपीराइट रचना
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
Copyright © 2023, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser