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बच्चों को सुनाएँ - Novels
by r k lal
in
Hindi Children Stories
बच्चों को सुनाएँ – 1 “कुरूप सुषमा” आर० के० लाल एक गाँव की लड़की की यह कहानी है जो बहुत सुंदर नहीं थी । उसका नाम सुषमा था । सुषमा बड़ी साधारण सी लड़की थी । उसका रंग एकदम काला था और वह बहुत बदसूरत थी। सुंदरता के भी कोई विशेष चिन्ह नहीँ थे उसमे। चपटी और आगे से फैली नाक ने चेहरे को थोड़ा और बिगाड़ दिया था । लोग उसे अनाप सनाप बातें सुनाते रहते थे । बचपन से ही उसे किसी का प्यार नहीं मिला था । सभी उसे भाग्यहीन , मनहूस कहते और हर समय
बच्चों को सुनाएँ – 1 “कुरूप सुषमा” आर० के० लाल एक गाँव की लड़की की यह कहानी है जो बहुत सुंदर ...Read Moreथी । उसका नाम सुषमा था । सुषमा बड़ी साधारण सी लड़की थी । उसका रंग एकदम काला था और वह बहुत बदसूरत थी। सुंदरता के भी कोई विशेष चिन्ह नहीँ थे उसमे। चपटी और आगे से फैली नाक ने चेहरे को थोड़ा और बिगाड़ दिया था । लोग उसे अनाप सनाप बातें सुनाते रहते थे । बचपन से ही उसे किसी का प्यार नहीं मिला था । सभी उसे भाग्यहीन , मनहूस कहते और हर समय
बच्चों को सुनाएँ – 2 “बहन मिल गयी ” आर० के० लाल एक लड़का था । उसका नाम सौरव था। वह ...Read Moreमाँ बाप का इकलौता बच्चा था। जब वह लगभग तीन साल का था तो एक दिन रोए जा रहा था, उसकी मम्मी उसे पुचकार रहीं थी। मगर वह चुप होने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसके पापा सुनील ने उससे पूछा, “क्या बात है बेटा”? उसने कहा, “पापा, पापा मुझे एक बहन ला कर दो। मेरे सभी दोस्तों के पास एक बहन है। उनकी बहनें उनके साथ खेलती हैं, मैं अकेला ही रहता हूं। मेरी
बच्चों को सुनाएँ – 3 आवारा लड़का आर ० के ० लाल दस साल का एक गरीब लड़का राजन था। घर में वह अपने माता ...Read More पिता के साथ बहुत खुश था। उसके पिता फेरी लगाकर समान बेंचते और तीनों का पेट पालते । उसकी मां भी लोगों के घर पर काम करती थी और राजन को स्कूल भेजती। अचानक उसकी मां बहुत बीमार हो गई, उचित समय पर इलाज न मिल पाने के कारण वह चल बसी। उसके पिता उस पर बहुत ध्यान देते, कहते यह मेरा नाम रोशन करेगा। उसे संस्कार की अच्छी अच्छी बातें सिखाते
बच्चों को सुनाएँ – 4 मल्टीमीडिया का कमाल आर० के० लाल दो सगे भाइयों में देवांश बड़ा और हिमांशु छोटा था । ...Read Moreवैसे तो दोनों की उम्र में केवल एक साल का अंतर था परंतु दोनों एक ही स्कूल में एक ही क्लास में पढ़ाई कर रहे थे। दोनों की इंटर की परीक्षा खत्म हो चुकी थी । दोनों बच्चे पढ़ने में अति निपुण थे, सदैव अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होते थे। उसके पिता चाहते थे कि उनके दोनों बेटे अपनी रुचि के हिसाब से अपना प्रोफेशन चुने जिसके लिए वे उनकी पूरी मदद करना चाहते थे।
बच्चों को सुनाएँ – 5 “रसगुल्ला” आर ० के ० लाल रजनीश ऑफिस से आ कर सोफे पर ...Read Moreगया था। उसके चेहरे पर बहुत तनाव था परंतु आंखों की चमक बता रही थी कि जैसे उसने कोई जग जीत लिया हो। उसकी आँखों में कई सपने आ जा रहे थे। उसकी पत्नी सोनल उसे देख कर बोली, “आज दफ्तर में कौन सा तीर मार कर आए हो? रुको, पहले मैं तुम्हारे लिए चाय बनाकर ले आती हूं”। सोनल से रजनीश से कहा ने कहा, “नहीं डार्लिंग! ऐसा कुछ भी नहीं है, बस आज एक पुराना केस