Dhith Muskurahate book and story is written by Zakia Zubairi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Dhith Muskurahate is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
ढीठ मुस्कुराहटें... - Novels
by Zakia Zubairi
in
Hindi Moral Stories
ढीठ मुस्कुराहटें... ज़किया ज़ुबैरी (1) “अरे भई रानी मेरी एड़ी को गुदगुदा क्यों रही हो... क्या करती हो भई... ये क्या हो रहा है... यह गीला गीला क्या है... अरे अब तो जलन भी हो रही है... उठो जागो भी, देखो क्या हो गया है..!” रानी ने अंगड़ाई लेते हुए करवट बदली और फिर से मुंह ढँक कर सो गई। सरजी बोलते रहे, बड़बड़ाते रहे... कराहते भी रहे... रानी ख़िदमत कर कर के तंग आ चुकी थी। छोटी सी बीमारी को पहाड़ बना दिया करते थे सरजी। मगर आज शायद सचमुच तकलीफ़ में थे। एक बार फिर ज़ोर से आवाज़
ढीठ मुस्कुराहटें... ज़किया ज़ुबैरी (1) “अरे भई रानी मेरी एड़ी को गुदगुदा क्यों रही हो... क्या करती हो भई... ये क्या हो रहा है... यह गीला गीला क्या है... अरे अब तो जलन भी हो रही है... उठो जागो ...Read Moreदेखो क्या हो गया है..!” रानी ने अंगड़ाई लेते हुए करवट बदली और फिर से मुंह ढँक कर सो गई। सरजी बोलते रहे, बड़बड़ाते रहे... कराहते भी रहे... रानी ख़िदमत कर कर के तंग आ चुकी थी। छोटी सी बीमारी को पहाड़ बना दिया करते थे सरजी। मगर आज शायद सचमुच तकलीफ़ में थे। एक बार फिर ज़ोर से आवाज़
ढीठ मुस्कुराहटें... ज़किया ज़ुबैरी (2) “अरे भाभी जी, आप!.. नमस्ते।” रानी को बैठक की ओर आते हुए देख कर इन्सपेक्टर खड़ा हो गया। “अच्छा सर जी मैं चला; रिपोर्ट देता रहूंगा।” रानी ने चेहरे पर मुस्कुराहट लाए बिना नमस्ते ...Read Moreएक सपाट सा जवाब दिया और सर जी के हाथ में घर का फ़ोन थमाते हुए कहा, “लीजिये, आपके मैनेजर का फ़ोन है। ” पति देव ने फ़ोन हाथ में लेते हुए अपना आदेश भी सुना दिया, “रानी, नाश्ता लगवा दो आज बैंक जल्दी जाना है। ” “आपको तो रोज़ ही जल्दी जाना होता है और देर से वापिस आना