Masoom ganga ke sawal book and story is written by Sheel Kaushik in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Masoom ganga ke sawal is also popular in Poems in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मासूम गंगा के सवाल - Novels
by Sheel Kaushik
in
Hindi Poems
मासूम गंगा के सवाल (लघुकविता-संग्रह) शील कौशिक (1) समर्पण उन सभी प्रकृति प्रेमियों, पर्यावरण विद्वानों को जो प्रकृति को महसूसते हैं... जानते-समझते हैं और उसके प्रति कृतज्ञ हैं अनुक्रमांक मासूम गंगा के सवाल पर... शील कौशिक क्रम सं. 1. बंधन 2. मन की इच्छा 3. जवाब गंगा का 4. क्यों नहीं आया 5. नायिका गंगा 6. मिलना गंगा से 7. अद्भुत दृश्य 8. भीग गया मन 9. कथा बाँचते दीप 10. होने का अर्थ 11. नदिया का संगीत 12. आँखों में ही बचेगा 13. समन्दर आस्था का 14. मायके लौटी गंगा 15. नदियाँ हमारी माताएँ 16. हृदयाघात नदी
मासूम गंगा के सवाल (लघुकविता-संग्रह) शील कौशिक (1) समर्पण उन सभी प्रकृति प्रेमियों, पर्यावरण विद्वानों को जो प्रकृति को महसूसते हैं... जानते-समझते हैं और उसके प्रति कृतज्ञ हैं अनुक्रमांक मासूम गंगा के ...Read Moreपर... शील कौशिक क्रम सं. 1. बंधन 2. मन की इच्छा 3. जवाब गंगा का 4. क्यों नहीं आया 5. नायिका गंगा 6. मिलना गंगा से 7. अद्भुत दृश्य 8. भीग गया मन 9. कथा बाँचते दीप 10. होने का अर्थ 11. नदिया का संगीत 12. आँखों में ही बचेगा 13. समन्दर आस्था का 14. मायके लौटी गंगा 15. नदियाँ हमारी माताएँ 16. हृदयाघात नदी
मासूम गंगा के सवाल (लघुकविता-संग्रह) शील कौशिक (2) बंधन ******* किनारों में बँधे रहना अच्छा नहीं लगता होगा तुम्हें एक दिन पूछा नदी से मैंने ऋतुएं आती हैं एक लय में धरती भी है करती सूर्य के गिर्द एक ...Read Moreपरिक्रमा मैं भी लय पाने को बंधी हूँ किनारों में तो आश्
मासूम गंगा के सवाल (लघुकविता-संग्रह) शील कौशिक (3) सीख लें जीना *********** हाथ पर हाथ धरे यदि यूँ ही ठाले बैठे रहे हम हम नहीं बदलेंगे की तर्ज पर डटे रहे तो फिर सीख लेना चाहिए हमें जीना गंगा ...Read Moreगुस्से के साथ यूँ ही कोहराम मचाती रहेंगी नदियाँ और न जाने कितनी जीवन ज्योत बुझाती रहेंगी यूँ हीI जीवनदान ********* लेकर हाथ में गंगाजल मांगते थे जिन्दगानी कभी मैया से अपने सजना या सजनी की अब गंगा पी-पीकर कचरा छटपटा रही है खुद ही मांग रही है तुमसे जीवनदान सोचो जरा मरती(जलहीन) नदियाँ कैसे देंगी जीवनदान तुम्हेंI किसने छीन
मासूम गंगा के सवाल (लघुकविता-संग्रह) शील कौशिक (4) उदारमना करोड़ों लोगों के सपनों को सुनती हो तुम हाथ जोडकर कोई कुछ भी मांगता है कर लेती हो स्वीकार सहजता ...Read Moreउनकी प्रार्थना थमा कर उन्हें आस का दामन अपनी ऊर्जा से आपूरित करने वाली कितनी उदारमना हो तुम गंगाI ऐसे मिला उत्तर जीवनदायिनी गंगा के तट पर कुछ लोग अधनंगे भिखमंगे क्यों हैं? प्रश्न उठा मेरे मन में एक तेज लहर टकराई मेरे पैरों से बचाव के लिए पकड़ ली मैंने सांकल करना होता है कर्म सभी को मिल गया था मुझे उत्तरI दरियादिली गंगा की अपनी
मासूम गंगा के सवाल (लघुकविता-संग्रह) शील कौशिक (5) दीक्षा गंगा की ******* गंगा गंगा है वह कभी नहीं देना चाहती पलट कर जवाब मिली है उसे कठोर दीक्षा जन्म से ही जीवनदायिनी बनने की बिना धर्म और जाति के ...Read Moreसबको निश्छल अमृत बाँटने की मौन में उतर कर चुपचाप बहते रहने की यही है नदी की संस्कृति I गंगा नाम सत्य है ****** छीन कर पेड़ों की जगह जकड़ ली कंक्रीट और इन्टरलॉक टाइलों में फैला ली दूर तलक अपनी चादर कर दिया बाधित नदी का पेड़ों की जड़ों से मिलना वेंटीलेटर पर है गंगा अब छोड़ दिया उसे