Lout aao tum book and story is written by Zakia Zubairi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Lout aao tum is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
लौट आओ तुम... ! - Novels
by Zakia Zubairi
in
Hindi Moral Stories
लौट आओ तुम... ! ज़किया ज़ुबैरी (1) “बीबी... ! कहाँ हैं आप... !” ''मैं नीचे हूं आपा... ड्राइंग रूम में।'' “क्या कर रही होगी...शायद... सफ़ाई कर रही होगी...! ” आपा ने सोचा। “आपा मैं चाय पीकर आती हूं...। ” बीबी जवाब देकर खो गई - इमेजिन टी.वी. का सीरियल देखने में। बिलकुल व्यस्त हो गई। ये सीरियल भी सिगरेट और शराब की तरह नशा बन कर जीवन का अटूट हिस्सा बन जाते हैं। बंदिनी, ज्योति, रक्तसंबंध, गुनाहों का देवता... बीबी वे तमाम सीरियल देखती और उसकी देखा देखी आपा ने भी सीरियल में दिलचस्पी लेना शुरु कर दिया क्योंकि बीबी अक्सर साबजी के पीछे
लौट आओ तुम... ! ज़किया ज़ुबैरी (1) “बीबी... ! कहाँ हैं आप... !” ''मैं नीचे हूं आपा... ड्राइंग रूम में।'' “क्या कर रही होगी...शायद... सफ़ाई कर रही होगी...! ” आपा ने सोचा। “आपा मैं चाय पीकर आती हूं...। ” ...Read Moreजवाब देकर खो गई - इमेजिन टी.वी. का सीरियल देखने में। बिलकुल व्यस्त हो गई। ये सीरियल भी सिगरेट और शराब की तरह नशा बन कर जीवन का अटूट हिस्सा बन जाते हैं। बंदिनी, ज्योति, रक्तसंबंध, गुनाहों का देवता... बीबी वे तमाम सीरियल देखती और उसकी देखा देखी आपा ने भी सीरियल में दिलचस्पी लेना शुरु कर दिया क्योंकि बीबी अक्सर साबजी के पीछे
लौट आओ तुम... ! ज़किया ज़ुबैरी (2) आपा भी बीबी के साथ ज़मीन ही पर सिकुड़ कर बैठ गईं। साबजी के कमरे का गहरा लाल दहकता हुआ दुल्हन के रंग का मोटा गदीला क़ालीन ! आपा को आज महसूस ...Read Moreरहा था कि जैसे उस क़ालीन ने उनको कितनी इज़्ज़त बख्श दी है कि वे आज बीबी के साथ वहां बैठ सकी हैं। “यह क़ालीन कब बदला गया?” आपा आज बहुत दिनों बाद अपने शौहर के कमरे में दाख़िल हुई थीं। “आप जब बाहर-गांव गई हुई थीं।” “यह रंग किसने चुना? ” “मैंने...! ” आपा चाहते हुए भी आगे कुछ
लौट आओ तुम... ! ज़किया ज़ुबैरी (3) आपा बिस्तर से निकलीं और सीधी शावर में जाते जाते बीबी से कहा, “मुझे भी आंवला शिकाकाई ला दो, बाल धोने हैं। और हां साबजी का नुस्ख़ा भी मुझे दे दो। मैं ...Read Moreले आउंगी।” “नहीं आपा अभी जल्दी क्या है। अगले महीने मैं हौलिडेज पर जाउंगी तब आप ही को साबजी का सारा काम करना होगा। बिलकुल ऐसे ही जैसे मैं करती हूँ...! आपा कांप गई कि क्या वे इतनी सहजता और सरलता से सब कुछ कर भी पाएंगी ?... और क्या अब उनको मेरा काम पसंद भी आयेगा...! क्या वे मुझे