Shree maddgvatgeeta mahatmay sahit book and story is written by Durgesh Tiwari in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Shree maddgvatgeeta mahatmay sahit is also popular in Spiritual Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
श्री मद्भगवतगीता माहात्म्य सहित - Novels
by Durgesh Tiwari
in
Hindi Spiritual Stories
जय श्रीकृष्ण बंधु-बांधवोंबहुत समय उपरांत फिर एक लेख लेके आपके सम्मुख उपस्थित हूँ। आप सब के स्नेह की अभिलाषा है।बंधुओ मैन श्री मद्भगवतगीता जी को पढ़ा और मुझे ह्रदय से प्रेणा हुई कि इसको मैं लिखु और जैसे मैं इसके पूण्य और सद्कर्म भरे शब्दो से अनुग्रहित हुआ वैसे ही आप भी अनुग्रहित हो।?भगवान के 108 नाम?ॐ कन्हैया, कृष्ण, केशव, चक्रधारी, नन्दलाल, माधो, सुन्दरश्याम, मुरारी, राधावर, बंसीबजैया, रघुवीर, नटवर, नन्द नन्दन, गजाधर, अविनाशी, निरोत्तम, अर्जुनसखा, अमर-अजर, सांवरिया, सांवला, गोपाल, दामोदर, ब्रजनाथ, दयालु, दीनबन्धु, जगदीश, दीनानाथ, जगतपिता, नारायण, बावन, यशोदा लाल, बिहारी, मदन मोहन, कृपानिधान, सर्वरक्षक, ईश्वर, सर्व शक्तिमान, मन हरण,
जय श्रीकृष्ण बंधु-बांधवोंबहुत समय उपरांत फिर एक लेख लेके आपके सम्मुख उपस्थित हूँ। आप सब के स्नेह की अभिलाषा है।बंधुओ मैन श्री मद्भगवतगीता जी को पढ़ा और मुझे ह्रदय से प्रेणा हुई कि इसको मैं लिखु और जैसे ...Read Moreइसके पूण्य और सद्कर्म भरे शब्दो से अनुग्रहित हुआ वैसे ही आप भी अनुग्रहित हो।?भगवान के 108 नाम?ॐ कन्हैया, कृष्ण, केशव, चक्रधारी, नन्दलाल, माधो, सुन्दरश्याम, मुरारी, राधावर, बंसीबजैया, रघुवीर, नटवर, नन्द नन्दन, गजाधर, अविनाशी, निरोत्तम, अर्जुनसखा, अमर-अजर, सांवरिया, सांवला, गोपाल, दामोदर, ब्रजनाथ, दयालु, दीनबन्धु, जगदीश, दीनानाथ, जगतपिता, नारायण, बावन, यशोदा लाल, बिहारी, मदन मोहन, कृपानिधान, सर्वरक्षक, ईश्वर, सर्व शक्तिमान, मन हरण,
जय श्रीकृष्ण बंधु! आज फिर आप सभी बंधु जनों का सस्नेह पाने की अभिलाषा लेकर आप सभी के सम्मुख उपस्थित हूँ 'श्रीगीताजी का दुसरा अध्याय और उसके महातम्य' के साथ । मेरी श्रीगीताजी ...Read Moreभगवान श्री कृष्ण से यही प्रार्थना है कि जो भी बंधु जन इस लेख को पढ़े सुने या फिर गलती से देखे भी भगवान उनकी सारी मनोकामनाएं सारे मनोरथ सारे काज पूरी करे साथ ही उन्हें इस आवागमन से मुक्ति प्रदान करे !~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~~ ?दूसरा अध्याय?संजय ने कहा- हे धृतराष्ट्र! अब श्रीकृष्ण दया से युक्त
जय श्रीकृष्ण बंधु! आज फिर एकबार आपसभी बंधुजनों के सम्मुख आप सभी स्वजनों का अन्तःकरण से प्रेम पाने के लिए उपस्थित हुआ हूं । जैसे आप सभी बंधुजन मेरे सभी लेखों को अपने प्रेम भरे पालो से ...Read Moreकरके अपना कीमती विचारो से मुझे कृतार्थ करते है वैसे ही लेख को पढ़ के मुझे अनुग्रहित करे तथा जैसे मैं श्रीगीता जी को पढ़ के लिख के सुनके कृतार्थ और भगवान श्रीकृष्ण का कृपापात्र हुआ हूं उसोतरः आप भी होव और आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो यही ईश्वर से प्राथना है।जय श्रीकृष्ण! ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जय श्रीकृष्ण बंधुजन!भगवान श्रीकृष्ण की अपार कृपा से मैं आप सभी बंधुजनों के लिए श्रीमद्भगतगीता जी के चौथे अध्याय को लेकर उपस्थित हूँ। आप सभी बंधु जन इस अध्याय को भी अपने प्रेम से सिंचित करके मेरा मनोबल बढ़ाये ...Read Moreआप सभी बंधु जन भी श्रीगीताजी के इस माहात्म्य का फल प्राप्त कर अपने आप को और अपनों को अनुग्रहित करे! श्री गीताजी और ईश्वर से यही कामना करता हूँ की ईश्वर आप सभी को ओ सारी खुशियां प्रदान करे जिनकी आपको अभिलाषे है।जय श्रीकृष्ण!~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ ?श्री मद्भावतगीता अध्याय -४?श्रीकृष्ण भगवान बोले- इस अविनाशी कर्म योग
जय श्री कृष्ण बंधुजन!भगवान श्रीकृष्ण जी की अशीम अनुकामप्पा से आज मैं श्रीगीताजिनके पांचवे अध्याय तथा उसके महातत्म्य के साथ उपस्थित हु। आप सभी बंधुजन श्री गीता जी के अमृत शब्दो को पढ़कर अपने आप को तथा श्रीगीताजी को ...Read Moreसुना कर अपनो को भी कृतार्थ करे! ईश्वर आप सभी बंधुओ के जीवन को सुखमय बनाये।जय श्रीकृष्ण! ????? श्री मद्भगवतगीता (अध्याय-५)अर्जुन बोले- हे कृष्ण! आप पहले कर्मों का त्याग करने को कहा, फिर कर्म करने की प्रशंसा करते हो, इन दोनों में